Get free Notes

सफलता सिर्फ कड़ी मेहनत से नहीं, सही मार्गदर्शन से मिलती है। हमारे सभी विषयों के कम्पलीट नोट्स, G.K. बेसिक कोर्स, और करियर गाइडेंस बुक के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

Click Here

इतिहास का महा-संग्राम: ज्ञान की अग्निपरीक्षा

इतिहास का महा-संग्राम: ज्ञान की अग्निपरीक्षा

तैयारी के इस रोमांचक सफर में आपका स्वागत है, जहाँ हम इतिहास के पन्नों को पलटते हुए ज्ञान की नई ऊँचाइयों को छू रहे हैं! क्या आप अपने ऐतिहासिक ज्ञान की कसौटी पर खरा उतरने के लिए तैयार हैं? आइए, 25 सवालों के इस महा-संग्राम में कूद पड़ें और अतीत के रहस्यों को उजागर करें!

इतिहास अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।


प्रश्न 1: हड़प्पा सभ्यता का कौन सा स्थल ‘सिंधु घाटी का मांचेस्टर’ कहलाता था?

  1. हड़प्पा
  2. मोहनजोदड़ो
  3. लोथल
  4. बनावली

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: मोहनजोदड़ो, जो कि वर्तमान पाकिस्तान के सिंध प्रांत में स्थित है, अपनी उन्नत नगर नियोजन, जल निकासी व्यवस्था और सार्वजनिक स्नानागार के लिए जाना जाता है। यहाँ से प्राप्त मोहनजोदड़ो की विशाल संरचनाओं और व्यापारिक गतिविधियों को देखते हुए, इसे ‘सिंधु घाटी का मांचेस्टर’ कहा गया क्योंकि यह एक प्रमुख औद्योगिक और व्यापारिक केंद्र था, ठीक वैसे ही जैसे औद्योगिक क्रांति के दौरान मैनचेस्टर कपड़ा उद्योग के लिए प्रसिद्ध था।
  • संदर्भ और विस्तार: मोहनजोदड़ो का अर्थ ‘मृतकों का टीला’ है। यहाँ से सूती कपड़ों के अवशेष भी मिले हैं, जो इसके वस्त्र उद्योग की ओर इशारा करते हैं। यह सिंधु घाटी सभ्यता का एक सबसे बड़ा और व्यवस्थित शहर था।
  • गलत विकल्प: हड़प्पा पहला स्थल था जहाँ सिंधु सभ्यता की खोज हुई थी। लोथल गुजरात में स्थित एक प्रमुख बंदरगाह शहर था। बनावली हरियाणा में स्थित एक महत्वपूर्ण स्थल है, जहाँ से मिट्टी का हल मिला है।

प्रश्न 2: ‘अर्थशास्त्र’ के लेखक कौन हैं, जो राजनीतिक, आर्थिक और सैन्य नीतियों पर एक प्राचीन भारतीय ग्रंथ है?

  1. बाणभट्ट
  2. विष्णुगुप्त (चाणक्य)
  3. कालिदास
  4. तुलसीदास

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: ‘अर्थशास्त्र’ के लेखक विष्णुगुप्त हैं, जिन्हें चाणक्य या कौटिल्य के नाम से भी जाना जाता है। वे मौर्य सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य के गुरु और महामंत्री थे। यह ग्रंथ राज्य कला, आर्थिक नीति और सैन्य रणनीति के सिद्धांतों पर एक व्यापक ग्रंथ है।
  • संदर्भ और विस्तार: ‘अर्थशास्त्र’ को राज्य-कला का एक क्लासिक ग्रंथ माना जाता है और इसमें गुप्तचरों के उपयोग, कर प्रणाली, न्यायपालिका और विदेश नीति जैसे विभिन्न विषयों पर विस्तार से चर्चा की गई है। यह ग्रंथ मौर्य साम्राज्य के शासन की कार्यप्रणाली की जानकारी का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।
  • गलत विकल्प: बाणभट्ट हर्षवर्धन के दरबारी कवि थे और उन्होंने ‘हर्षचरित’ तथा ‘कादम्बरी’ की रचना की। कालिदास प्राचीन भारत के महानतम कवियों में से एक थे। तुलसीदास 16वीं सदी के एक भक्ति कवि थे जिन्होंने ‘रामचरितमानस’ लिखा।

प्रश्न 3: किस मुगल सम्राट ने ‘दीन-ए-इलाही’ नामक एक नया धर्म शुरू किया था?

  1. अकबर
  2. जहाँगीर
  3. शाहजहाँ
  4. औरंगजेब

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: मुगल सम्राट अकबर ने 1582 ई. में ‘दीन-ए-इलाही’ (ईश्वर का धर्म) की शुरुआत की थी। यह एक संश्लेषणात्मक धर्म था जिसमें विभिन्न धर्मों के प्रमुख सिद्धांतों को शामिल करने का प्रयास किया गया था।
  • संदर्भ और विस्तार: अकबर धार्मिक सहिष्णुता और एकता को बढ़ावा देने के अपने प्रयासों के लिए जाने जाते थे। दीन-ए-इलाही उनके इसी प्रयास का हिस्सा था, जिसका उद्देश्य विभिन्न धार्मिक समुदायों को एक साथ लाना था। हालांकि, यह अधिक लोकप्रिय नहीं हो सका और केवल कुछ ही लोगों ने इसे अपनाया।
  • गलत विकल्प: जहाँगीर ने कला और वास्तुकला में योगदान दिया, लेकिन उन्होंने कोई नया धर्म शुरू नहीं किया। शाहजहाँ अपनी वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध हैं (जैसे ताजमहल), लेकिन उन्होंने भी कोई नया धर्म शुरू नहीं किया। औरंगजेब अपनी रूढ़िवादी धार्मिक नीतियों के लिए जाने जाते थे।

प्रश्न 4: फ्रांसीसी क्रांति (1789) का तात्कालिक कारण क्या था?

  1. स्टेट्स-जनरल का आयोजन
  2. अमीर वर्ग पर कर लगाना
  3. बास्तील का पतन
  4. आर्थिक संकट और करों का भारी बोझ

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: फ्रांसीसी क्रांति का तात्कालिक कारण देश का गंभीर आर्थिक संकट और राजा लुई सोलहवें द्वारा लगाए गए भारी कर थे, जिससे जनता, विशेष रूप से तीसरा एस्टेट (किसान और आम नागरिक) त्रस्त था।
  • संदर्भ और विस्तार: युद्धों (जैसे अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम में फ्रांस की भागीदारी) के कारण फ्रांस भारी कर्ज में डूबा हुआ था। कराधान प्रणाली अन्यायपूर्ण थी, जिसमें पादरी (पहला एस्टेट) और कुलीन वर्ग (दूसरा एस्टेट) को अधिकांश करों से छूट प्राप्त थी, जबकि आम जनता पर करों का बोझ बढ़ता जा रहा था। इस आर्थिक कुप्रबंधन और सामाजिक असमानता ने क्रांति के लिए जमीन तैयार की।
  • गलत विकल्प: स्टेट्स-जनरल का आयोजन 1789 में आर्थिक संकट को दूर करने के एक प्रयास के रूप में किया गया था, लेकिन यह क्रांति को रोकने के बजाय भड़काने वाला साबित हुआ। अमीर वर्ग पर कर लगाने का प्रस्ताव था, लेकिन इसे लागू नहीं किया जा सका था। बास्तील का पतन क्रांति का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है, लेकिन यह तात्कालिक कारण नहीं था, बल्कि क्रांति का परिणाम था।

प्रश्न 5: किस गुप्त शासक को ‘भारत का नेपोलियन’ कहा जाता है?

  1. चंद्रगुप्त प्रथम
  2. समुद्रगुप्त
  3. चंद्रगुप्त द्वितीय
  4. कुमारगुप्त

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: गुप्त शासक समुद्रगुप्त को ‘भारत का नेपोलियन’ कहा जाता है। यह उपाधि उन्हें उनके सैन्य अभियानों और पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में गुप्त साम्राज्य का विस्तार करने की उनकी क्षमता के कारण दी गई थी।
  • संदर्भ और विस्तार: समुद्रगुप्त ने उत्तर भारत के कई राज्यों को जीता और दक्षिण भारत में भी एक सफल अभियान का नेतृत्व किया। प्रयाग प्रशस्ति (जिसे इलाहाबाद स्तंभ शिलालेख भी कहा जाता है) में उनके विजयों का विस्तृत विवरण मिलता है, जो उन्हें एक महान योद्धा और कुशल शासक के रूप में चित्रित करता है।
  • गलत विकल्प: चंद्रगुप्त प्रथम ने गुप्त वंश की नींव रखी और एक शक्तिशाली साम्राज्य की शुरुआत की। चंद्रगुप्त द्वितीय (विक्रमादित्य) का शासनकाल गुप्त काल का स्वर्ण युग माना जाता है, जो अपनी कला, साहित्य और विद्वता के लिए प्रसिद्ध था। कुमारगुप्त ने नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

प्रश्न 6: 1857 के विद्रोह का प्रतीक क्या था?

  1. तलवार
  2. कमल और रोटी
  3. धनुष और बाण
  4. भगवा झंडा

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: 1857 के भारतीय विद्रोह का प्रतीक ‘कमल और रोटी’ था। यह प्रतीकात्मक रूप से विद्रोहियों के बीच एक गुप्त संचार प्रणाली के रूप में कार्य करता था।
  • संदर्भ और विस्तार: कमल का फूल पवित्रता और भारत का प्रतीक था, जबकि रोटी (चपाती) आम जनता से जुड़ी हुई थी। विद्रोह के फैलने से पहले, ये वस्तुएँ एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में गुप्त रूप से भेजी जाती थीं, जो आगामी विद्रोह का संकेत देती थीं। यह अंग्रेजों के लिए एक रहस्य था कि इन प्रतीकों का क्या मतलब है, लेकिन भारतीय सैनिकों के बीच इसका एक स्पष्ट संदेश था।
  • गलत विकल्प: तलवार एक सामान्य हथियार है, लेकिन विद्रोह का विशिष्ट प्रतीक नहीं था। धनुष और बाण और भगवा झंडा भी महत्वपूर्ण भारतीय प्रतीक हैं, लेकिन 1857 के विद्रोह के लिए आधिकारिक तौर पर स्वीकार किए गए प्रतीक कमल और रोटी थे।

प्रश्न 7: प्रसिद्ध ‘जजिया’ कर, जो गैर-मुस्लिमों पर लगाया जाता था, को अंततः किसने समाप्त किया?

  1. अलाउद्दीन खिलजी
  2. मुहम्मद बिन तुगलक
  3. फिरोज शाह तुगलक
  4. औरंगजेब

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: यह प्रश्न ऐतिहासिक रूप से गलत है। जजिया कर को फर्रुखसियर ने 1717 में समाप्त किया था, औरंगजेब ने इसे कभी समाप्त नहीं किया, बल्कि 1679 में इसे फिर से लागू किया था। हालाँकि, दिए गए विकल्पों में से, औरंगजेब ने इसे समाप्त नहीं किया, बल्कि उसे लागू करने वाले में से एक थे। प्रश्न के संदर्भ में, यदि ‘अंततः’ का अर्थ समाप्त करने का प्रयास या नीति में बदलाव से है, तो कोई भी विकल्प सही नहीं है। हालाँकि, यदि प्रश्न यह पूछ रहा है कि किसने इसे पहले लागू किया या जारी रखा, तो सबसे प्रासंगिक शासक वे हैं जिन्होंने इसे लगाया या जारी रखा। लेकिन प्रश्न ‘समाप्त’ के बारे में है। इस संदर्भ में, यदि मुझे दिए गए विकल्पों में से सबसे ‘कम गलत’ या ‘सबसे प्रासंगिक’ चुनना हो, तो वह या तो नहीं है या त्रुटिपूर्ण है। लेकिन क्योंकि यह एक अभ्यास प्रश्न है, और अक्सर ऐसे प्रश्न पूछे जाते हैं, हमें यह समझना चाहिए कि यह सवाल गलत है। यदि हमें किसी एक को चुनना ही पड़े, तो यह सवाल ही गलत है।
  • संदर्भ और विस्तार: जजिया कर की शुरुआत दिल्ली सल्तनत के दौरान हुई थी और इसे विभिन्न शासकों द्वारा विभिन्न रूपों में लागू या समाप्त किया गया था। अकबर ने इसे समाप्त कर दिया था, लेकिन औरंगजेब ने इसे फिर से लागू कर दिया। अंततः, मुगल सम्राट फर्रुखसियर ने 1717 में इसे पूरी तरह से समाप्त कर दिया।
  • गलत विकल्प: अलाउद्दीन खिलजी और मुहम्मद बिन तुगलक ने जजिया कर लगाया था, लेकिन इसे समाप्त नहीं किया। औरंगजेब ने तो इसे पुनः लागू किया था।

(सुधार: चूंकि उपरोक्त प्रश्न में ऐतिहासिक त्रुटि है, एक सामान्य अभ्यास के तौर पर, मैं इस पर एक सही प्रश्न का विकल्प प्रस्तुत करूँगा।)
सही प्रश्न: किस मुगल सम्राट ने 1717 में जजिया कर को स्थायी रूप से समाप्त कर दिया था?

  1. अकबर
  2. जहाँगीर
  3. शाहजहाँ
  4. फर्रुखसियर

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: मुगल सम्राट फर्रुखसियर ने 1717 ई. में जजिया कर को स्थायी रूप से समाप्त कर दिया था।
  • संदर्भ और विस्तार: फर्रुखसियर के शासनकाल के दौरान, उन्होंने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को विशेष व्यापारिक अधिकार देने के बदले में जजिया कर को समाप्त करने का निर्णय लिया। यह एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और आर्थिक कदम था।
  • गलत विकल्प: अकबर ने 1564 में जजिया कर समाप्त कर दिया था, लेकिन बाद में इसे फिर से लागू किया गया। जहाँगीर और शाहजहाँ के शासनकाल में भी जजिया कर या तो लागू रहा या इसमें बदलाव हुए, लेकिन इसे 1717 में फर्रुखसियर ने अंतिम रूप से समाप्त किया।

प्रश्न 8: ‘नील दर्पण’ नाटक के लेखक कौन थे, जो नील की खेती करने वाले किसानों की दुर्दशा को दर्शाता है?

  1. बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय
  2. दीनबंधु मित्र
  3. शरत चंद्र चट्टोपाध्याय
  4. रवींद्रनाथ टैगोर

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: ‘नील दर्पण’ नामक नाटक के लेखक दीनबंधु मित्र थे। यह नाटक 1860 में प्रकाशित हुआ था और इसने ब्रिटिश शासन के तहत भारतीय किसानों, विशेषकर नील की खेती करने वालों पर हुए अत्याचारों और शोषण को मार्मिक ढंग से चित्रित किया।
  • संदर्भ और विस्तार: यह नाटक बंगाल में प्रचलित नील विद्रोह (1859-1860) के संदर्भ में लिखा गया था, जहाँ यूरोपीय बागान मालिक किसानों को जबरन नील की खेती के लिए मजबूर करते थे और अत्यधिक लाभ कमाते थे। दीनबंधु मित्र का यह कार्य सामाजिक सुधारों की ओर एक महत्वपूर्ण कदम था।
  • गलत विकल्प: बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने ‘आनंद मठ’ लिखा। शरत चंद्र चट्टोपाध्याय एक प्रसिद्ध उपन्यासकार थे। रवींद्रनाथ टैगोर एक महान कवि और साहित्यकार थे।

प्रश्न 9: बुद्ध के उपदेशों का संग्रह किस धर्मग्रंथ में मिलता है?

  1. त्रिपिटक
  2. वेद
  3. उपनिषद
  4. भगवद्गीता

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: बौद्ध धर्म के अनुसार, भगवान बुद्ध के उपदेशों और उनके शिष्यों के प्रवचनों का संग्रह ‘त्रिपिटक’ (तीन पिटारे) में मिलता है।
  • संदर्भ और विस्तार: त्रिपिटक तीन भागों में विभाजित है: विनय पिटक (भिक्षुओं के लिए नियम), सुत्त पिटक (बुद्ध की शिक्षाएँ) और अभिधम्म पिटक (बौद्ध दर्शन)। यह पाली भाषा में लिखा गया है और बौद्ध धर्म का सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथ है।
  • गलत विकल्प: वेद हिंदू धर्म के सबसे प्राचीन और पवित्र ग्रंथ हैं। उपनिषद वेदों का अंतिम भाग हैं और दार्शनिक विचारों का संग्रह हैं। भगवद्गीता महाभारत का एक हिस्सा है और हिंदू धर्म का एक प्रमुख ग्रंथ है।

प्रश्न 10: तराइन का प्रथम युद्ध कब हुआ था, जिसमें पृथ्वीराज चौहान ने मुहम्मद गोरी को हराया था?

  1. 1191 ई.
  2. 1192 ई.
  3. 1206 ई.
  4. 1526 ई.

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: तराइन का प्रथम युद्ध 1191 ई. में हुआ था। इस युद्ध में, पृथ्वीराज चौहान के नेतृत्व वाली भारतीय सेना ने मुहम्मद गोरी की सेना को निर्णायक रूप से हराया था।
  • संदर्भ और विस्तार: यह युद्ध आधुनिक हरियाणा के तराइन के मैदानों में हुआ था। यह युद्ध भारतीय इतिहास के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ था क्योंकि इसने भारत में मुस्लिम शासन की नींव रखने की प्रक्रिया शुरू की। पृथ्वीराज चौहान की जीत ने उन्हें उत्तर भारत में एक शक्तिशाली शासक के रूप में स्थापित किया।
  • गलत विकल्प: तराइन का द्वितीय युद्ध 1192 ई. में हुआ था, जिसमें मुहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज चौहान को हराया था। 1206 ई. वह वर्ष है जब कुतुबुद्दीन ऐबक ने दिल्ली सल्तनत की स्थापना की। 1526 ई. पानीपत का प्रथम युद्ध हुआ था, जिसमें बाबर ने इब्राहिम लोदी को हराया था।

प्रश्न 11: ब्रिटिश भारत में ‘सहायक संधि’ (Subsidiary Alliance) की नीति किसने लागू की थी?

  1. लॉर्ड वेलेस्ली
  2. लॉर्ड डलहौजी
  3. लॉर्ड कर्जन
  4. लॉर्ड विलियम बेंटिंक

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: ब्रिटिश गवर्नर-जनरल लॉर्ड वेलेस्ली ने 1798 में ‘सहायक संधि’ की नीति लागू की थी।
  • संदर्भ और विस्तार: इस नीति के तहत, भारतीय शासकों को ब्रिटिश सेना के रखरखाव के लिए भुगतान करने और अपने क्षेत्र में एक ब्रिटिश रेज़िडेंट रखने के लिए मजबूर किया जाता था। बदले में, ब्रिटिश उनकी बाहरी खतरों से रक्षा करने का वादा करते थे। यह नीति ब्रिटिश प्रभाव बढ़ाने और भारतीय राज्यों को अपने अधीन करने का एक प्रभावी तरीका साबित हुई। हैदराबाद, मैसूर, तंजौर और अवध जैसे राज्यों ने इस संधि को स्वीकार किया।
  • गलत विकल्प: लॉर्ड डलहौजी ‘व्यपगत का सिद्धांत’ (Doctrine of Lapse) के लिए जाने जाते हैं। लॉर्ड कर्जन ने बंगाल का विभाजन किया। लॉर्ड विलियम बेंटिंक को भारत में सती प्रथा के उन्मूलन के लिए जाना जाता है।

प्रश्न 12: सिकंदर महान (Alexander the Great) ने भारत पर कब आक्रमण किया था?

  1. 326 ईसा पूर्व
  2. 300 ईसा पूर्व
  3. 261 ईसा पूर्व
  4. 544 ईसा पूर्व

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: सिकंदर महान ने 326 ईसा पूर्व में भारतीय उपमहाद्वीप पर आक्रमण किया था।
  • संदर्भ और विस्तार: सिकंदर ने पश्चिमोत्तर भारत में प्रवेश किया और झेलम नदी के किनारे राजा पोरस (पौरव) के साथ प्रसिद्ध ‘हाइडैस्पिस का युद्ध’ लड़ा। इस युद्ध में सिकंदर विजयी हुआ, लेकिन पोरस की वीरता से प्रभावित होकर, सिकंदर ने उसे उसका राज्य लौटा दिया। सिकंदर की सेना ने आगे बढ़ने से इनकार कर दिया, और वह भारत से वापस लौट गया।
  • गलत विकल्प: 300 ईसा पूर्व वह समय है जब चंद्रगुप्त मौर्य का शासन था। 261 ईसा पूर्व कलिंग युद्ध हुआ था, जब सम्राट अशोक ने युद्ध की भयावहता को देखा और बौद्ध धर्म अपना लिया। 544 ईसा पूर्व का समय बुद्ध के जीवन काल से जुड़ा है।

प्रश्न 13: ‘हरिजन’ पत्रिका के संस्थापक कौन थे?

  1. महात्मा गांधी
  2. जवाहरलाल नेहरू
  3. सरदार वल्लभभाई पटेल
  4. डॉ. बी. आर. अम्बेडकर

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: महात्मा गांधी ने ‘हरिजन’ नामक साप्ताहिक पत्रिका का संपादन और प्रकाशन किया था।
  • संदर्भ और विस्तार: ‘हरिजन’ पत्रिका महात्मा गांधी के सामाजिक सुधारों के प्रयासों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थी, विशेष रूप से दलितों (जिन्हें वे ‘हरिजन’ या ईश्वर के संतान कहते थे) के उत्थान और छुआछूत के उन्मूलन के लिए। यह पत्रिका गुजरात, हिंदी और अंग्रेजी में प्रकाशित होती थी, जिसका उद्देश्य समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर करना और समतावाद का संदेश फैलाना था।
  • गलत विकल्प: जवाहरलाल नेहरू भारत के पहले प्रधानमंत्री थे और उन्होंने ‘नेशनल हेराल्ड’ जैसे प्रकाशनों से जुड़े रहे। सरदार वल्लभभाई पटेल एक प्रमुख कांग्रेसी नेता थे। डॉ. बी. आर. अम्बेडकर दलितों के अधिकारों के प्रबल समर्थक थे और उन्होंने ‘मूकनायक’, ‘बहिष्कृत भारत’ जैसे कई प्रकाशनों का संपादन किया।

प्रश्न 14: किस गुप्त शासक के काल को भारतीय इतिहास का ‘स्वर्ण युग’ कहा जाता है?

  1. समुद्रगुप्त
  2. चंद्रगुप्त द्वितीय (विक्रमादित्य)
  3. कुमारगुप्त
  4. स्कंदगुप्त

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: गुप्त वंश के चंद्रगुप्त द्वितीय (विक्रमादित्य) के शासनकाल को भारतीय इतिहास का ‘स्वर्ण युग’ कहा जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: चंद्रगुप्त द्वितीय के शासनकाल में कला, साहित्य, विज्ञान और वास्तुकला का अभूतपूर्व विकास हुआ। उनके दरबार में कालिदास जैसे महान विद्वान थे। इस काल में भारतीय संस्कृति का चहुंमुखी विकास हुआ, और गुप्त साम्राज्य अपनी शक्ति और समृद्धि के शिखर पर था। उन्होंने मालवा पर विजय प्राप्त की और अपनी राजधानी पाटलिपुत्र से हटाकर उज्जैन में भी स्थापित की।
  • गलत विकल्प: समुद्रगुप्त एक महान विजेता थे, लेकिन उनके काल को स्वर्ण युग नहीं कहा जाता। कुमारगुप्त और स्कंदगुप्त ने भी महत्वपूर्ण शासन किया, लेकिन चंद्रगुप्त द्वितीय का काल सांस्कृतिक और कलात्मक विकास के लिए सर्वाधिक प्रतिष्ठित है।

प्रश्न 15: ‘गांधी-इरविन समझौता’ कब हुआ था?

  1. 1929
  2. 1930
  3. 1931
  4. 1932

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: गांधी-इरविन समझौता 5 मार्च 1931 को हुआ था।
  • संदर्भ और विस्तार: यह समझौता लॉर्ड इरविन (भारत के वायसराय) और महात्मा गांधी के बीच दिल्ली में हुआ था। इस समझौते के तहत, कांग्रेस ने सविनय अवज्ञा आंदोलन को निलंबित करने पर सहमति व्यक्त की, और सरकार ने राजनीतिक कैदियों को रिहा करने और जब्त की गई संपत्ति वापस करने का वादा किया। इस समझौते ने द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में कांग्रेस की भागीदारी का मार्ग प्रशस्त किया।
  • गलत विकल्प: 1929 में लाहौर अधिवेशन हुआ जिसमें पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव पारित हुआ। 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू हुआ। 1932 में पूना समझौता (गांधी-अम्बेडकर समझौता) हुआ।

प्रश्न 16: वैदिक काल में ‘अ povos’ (अ povos) शब्द का प्रयोग किसके लिए किया जाता था?

  1. पुरोहित
  2. योद्धा
  3. व्यापारी
  4. किसान

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: ऋग्वेद में ‘ povos’ (मूल शब्द ‘आभीरों’ से संभवतः व्युत्पन्न) शब्द का प्रयोग उन समूहों के लिए किया गया है जो योद्धा वर्ग से संबंधित थे, विशेष रूप से चरवाहे और मवेशी पालने वाले। हालाँकि, अधिक प्रचलित और स्वीकार्य शब्द ‘क्षत्रियों’ के लिए है। प्रश्न में ‘ povos’ एक अप्रचलित या गलत अनुवादित शब्द हो सकता है। यदि मूल शब्द ‘ povos’ न होकर ‘गोप’ या ‘क्षत्रिय’ से संबंधित होता, तो उत्तर योद्धा वर्ग होता। मैं प्रश्न में वर्तनी की त्रुटि को देखते हुए, सबसे संभावित अर्थ का विश्लेषण कर रहा हूँ। ‘ povos’ शब्द लैटिन से हो सकता है, जो यहाँ अप्रासंगिक है। यदि यह ‘आभीरों’ का कोई विकृत रूप है, तो यह योद्धा-चरवाहे थे। हालाँकि, ऋग्वैदिक काल में वर्ण व्यवस्था के अनुसार ‘क्षत्रियों’ का उल्लेख है जो योद्धा वर्ग थे। यदि हम ‘ povos’ को ‘गोप’ (गायों के रक्षक) के रूप में व्याख्यायित करें, तो यह मवेशी पालकों को संदर्भित करता है। प्रश्न में अस्पष्टता है। लेकिन यदि ‘ povos’ को ‘आभीर’ से जोड़ें, तो वे योद्धा-चरवाहे थे। सबसे सामान्य विकल्प ‘योद्धा’ या ‘चरवाहा’ हो सकता है। लेकिन ऋग्वेद में ‘क्षत्रियों’ का स्पष्ट उल्लेख है।
  • संदर्भ और विस्तार: ऋग्वैदिक समाज को चार वर्णों में विभाजित किया गया था: ब्राह्मण (पुरोहित), क्षत्रिय (योद्धा और शासक), वैश्य (व्यापारी और कृषक) और शूद्र (श्रमिक)। ‘ povos’ शब्द की अस्पष्टता के कारण, यह समझना कठिन है कि यहाँ किस विशिष्ट समूह को संदर्भित किया जा रहा है। यदि यह ‘गोप’ (चरवाहा) के लिए है, तो यह किसानों से थोड़ा अलग है। यदि यह ‘क्षत्रियों’ के अर्थ में है, तो यह योद्धा वर्ग है। (यहाँ मैं सुधार के लिए एक अधिक मानक प्रश्न का विकल्प प्रस्तुत करूंगा)

(सुधार: प्रश्न में संभावित त्रुटि के कारण, मैं एक मानक प्रश्न का विकल्प प्रस्तुत करता हूँ।)
सही प्रश्न: ऋग्वैदिक काल में, समाज को मुख्य रूप से कितने वर्णों में विभाजित किया गया था?

  1. दो
  2. तीन
  3. चार
  4. पाँच

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: ऋग्वैदिक काल में समाज को मुख्य रूप से चार वर्णों में विभाजित किया गया था: ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र।
  • संदर्भ और विस्तार: ये विभाजन व्यवसाय और सामाजिक कार्यों पर आधारित थे, हालाँकि यह जन्म आधारित व्यवस्था बाद के काल में अधिक कठोर हो गई। ऋग्वेद के दसवें मंडल में पुरुष सूक्त में इन चार वर्णों की उत्पत्ति का उल्लेख मिलता है।
  • गलत विकल्प: ऋग्वैदिक काल में समाज का विभाजन तीन या पांच वर्णों में नहीं था।

प्रश्न 17: किस अधिनियम ने भारत में द्वैध शासन (Dyarchy) की शुरुआत की?

  1. भारतीय परिषद अधिनियम, 1861
  2. भारतीय परिषद अधिनियम, 1909 (मॉर्ले-मिंटो सुधार)
  3. भारत सरकार अधिनियम, 1919 (मोंटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार)
  4. भारत सरकार अधिनियम, 1935

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: भारत सरकार अधिनियम, 1919, जिसे मोंटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार के नाम से भी जाना जाता है, ने प्रांतों में द्वैध शासन की शुरुआत की।
  • संदर्भ और विस्तार: द्वैध शासन के तहत, प्रांतों के विषयों को दो भागों में बाँटा गया था: आरक्षित विषय (जैसे वित्त, भूमि राजस्व, कानून और व्यवस्था) और हस्तांतरित विषय (जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, स्थानीय स्वशासन)। आरक्षित विषयों का प्रशासन गवर्नर और उसकी कार्यकारी परिषद द्वारा किया जाता था, जबकि हस्तांतरित विषयों का प्रशासन भारतीयों द्वारा निर्वाचित मंत्रियों की सहायता से किया जाता था। इसका उद्देश्य भारतीयों को शासन में अधिक भागीदारी देना था, लेकिन यह पूरी तरह से सफल नहीं रहा।
  • गलत विकल्प: 1861 का अधिनियम भारतीयों को विधायी परिषदों में प्रतिनिधित्व देने की दिशा में एक कदम था। 1909 का अधिनियम सांप्रदायिक प्रतिनिधित्व की शुरुआत के लिए जाना जाता है। 1935 का अधिनियम द्वैध शासन को समाप्त कर केंद्र में द्वैध शासन का प्रस्ताव करता था।

प्रश्न 18: विजयनगर साम्राज्य की स्थापना किसने की थी?

  1. कृष्ण देवराय
  2. हर्षवर्धन
  3. हरिहर और बुक्का
  4. राम राय

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: विजयनगर साम्राज्य की स्थापना 1336 ई. में हरिहर और बुक्का नामक दो भाइयों ने की थी।
  • संदर्भ और विस्तार: हरिहर और बुक्का ने तुंगभद्रा नदी के तट पर विजयनगर शहर की स्थापना की और इस साम्राज्य को दक्षिण भारत में एक प्रमुख शक्ति बनाया। यह साम्राज्य अपनी वास्तुकला, कला, साहित्य और व्यापार के लिए प्रसिद्ध था। उन्होंने वारंगल के काकतीय साम्राज्य के पतन के बाद स्वतंत्र रूप से शासन किया।
  • गलत विकल्प: कृष्ण देवराय विजयनगर के सबसे महान शासकों में से एक थे। हर्षवर्धन एक प्राचीन भारतीय राजा थे। राम राय विजयनगर के एक बाद के शासक थे जिन्होंने तालीकोटा के युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

प्रश्न 19: ‘सत्यार्थ प्रकाश’ के लेखक कौन हैं?

  1. स्वामी विवेकानंद
  2. स्वामी दयानंद सरस्वती
  3. राजा राममोहन राय
  4. ईश्वर चंद्र विद्यासागर

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: ‘सत्यार्थ प्रकाश’ के लेखक स्वामी दयानंद सरस्वती हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: स्वामी दयानंद सरस्वती 19वीं सदी के एक प्रमुख समाज सुधारक और आर्य समाज के संस्थापक थे। ‘सत्यार्थ प्रकाश’ उनकी सबसे महत्वपूर्ण रचना है, जिसमें उन्होंने वेदों के महत्व पर जोर दिया और हिंदू धर्म में प्रचलित अंधविश्वासों और कुरीतियों का खंडन किया। उन्होंने ‘वेदों की ओर लौटो’ का नारा दिया।
  • गलत विकल्प: स्वामी विवेकानंद रामकृष्ण मिशन के संस्थापक थे। राजा राममोहन राय ब्रह्म समाज के संस्थापक थे। ईश्वर चंद्र विद्यासागर शिक्षा सुधारक और समाज सुधारक थे।

प्रश्न 20: प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) का मुख्य कारण क्या था?

  1. जर्मनी का आक्रामक विस्तारवाद
  2. ऑस्ट्रिया-हंगरी के आर्कड्यूक फर्डिनेंड की हत्या
  3. राष्ट्रवाद, साम्राज्यवाद, सैन्यवाद और गठबंधन प्रणाली
  4. रूस की क्रांति

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: प्रथम विश्व युद्ध का कोई एक कारण नहीं था, बल्कि यह राष्ट्रवाद, साम्राज्यवाद, सैन्यवाद (सैन्यीकरण) और यूरोप की जटिल गठबंधन प्रणाली (Alliance System) का परिणाम था। आर्कड्यूक फर्डिनेंड की हत्या ने युद्ध को भड़काया, लेकिन यह केवल एक चिंगारी थी।
  • संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रवाद की भावना ने यूरोप के देशों को एक-दूसरे के प्रति आक्रामक बना दिया था। साम्राज्यवाद के कारण यूरोपीय शक्तियाँ उपनिवेशों के लिए प्रतिस्पर्धा कर रही थीं। सैन्यवाद ने देशों को बड़ी सेनाएँ बनाने और युद्ध के लिए तैयार रहने के लिए प्रोत्साहित किया। जटिल गठबंधन प्रणाली (जैसे ट्रिपल अलायंस और ट्रिपल एंटेंटे) ने एक छोटे से संघर्ष को महाद्वीपीय युद्ध में बदल दिया।
  • गलत विकल्प: जर्मनी का विस्तारवाद और आर्कड्यूक फर्डिनेंड की हत्या युद्ध के महत्वपूर्ण घटक थे, लेकिन वे पूर्ण कारण नहीं थे, बल्कि उपर्युक्त व्यापक कारकों के परिणाम थे। रूस की क्रांति 1917 में हुई, जो प्रथम विश्व युद्ध के दौरान हुई, लेकिन युद्ध का कारण नहीं बनी।

प्रश्न 21: इक्ता प्रणाली की शुरुआत किसने की थी?

  1. कुतुबुद्दीन ऐबक
  2. इल्तुतमिश
  3. बलबन
  4. अलाउद्दीन खिलजी

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: इक्ता प्रणाली की शुरुआत दिल्ली सल्तनत के वास्तविक संस्थापक इल्तुतमिश ने की थी।
  • संदर्भ और विस्तार: इक्ता प्रणाली में, भूमि को विभिन्न इकाइयों (इक्ता) में विभाजित किया जाता था और ये इक्ता सल्तनत के अधिकारियों (इक्तादारों) को उनके वेतन के बदले में आवंटित की जाती थीं। इक्तादार अपने इक्ता से राजस्व एकत्र करते थे और इसके बदले में वे सुल्तान को सैनिक तथा अन्य सेवाएं प्रदान करते थे। इस प्रणाली ने सल्तनत को मजबूत करने और प्रशासन को व्यवस्थित करने में मदद की।
  • गलत विकल्प: कुतुबुद्दीन ऐबक ने दिल्ली सल्तनत की नींव रखी, लेकिन इक्ता प्रणाली को इल्तुतमिश ने व्यवस्थित किया। बलबन ने ‘सीस’ (Sijda) और ‘पाइबोस’ (Paibos) जैसी प्रथाएं शुरू कीं। अलाउद्दीन खिलजी ने इक्ता को वंशानुगत होने से रोका और नगद वेतन की व्यवस्था को बढ़ावा दिया।

प्रश्न 22: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पहले मुस्लिम अध्यक्ष कौन थे?

  1. मौलाना अबुल कलाम आजाद
  2. सैय्यद अहमद खान
  3. बदरुद्दीन तैयबजी
  4. रहमतुल्लाह सयानी

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: बदरुद्दीन तैयबजी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पहले मुस्लिम अध्यक्ष थे। उन्होंने 1887 में मद्रास में आयोजित कांग्रेस के तीसरे अधिवेशन की अध्यक्षता की थी।
  • संदर्भ और विस्तार: तैयबजी एक प्रमुख वकील और कांग्रेस के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। उनकी अध्यक्षता ने कांग्रेस की धर्मनिरपेक्ष छवि को मजबूत करने में मदद की और देश के विभिन्न समुदायों को एकजुट करने के प्रयासों को दर्शाया।
  • गलत विकल्प: मौलाना अबुल कलाम आजाद कांग्रेस के सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले अध्यक्ष और एक प्रमुख नेता थे। सैय्यद अहमद खान अलीगढ़ आंदोलन के संस्थापक थे और कांग्रेस के शुरुआती दिनों में आलोचनात्मक थे। रहमतुल्लाह सयानी कांग्रेस के दूसरे मुस्लिम अध्यक्ष थे।

प्रश्न 23: ‘वेदों की ओर लौटो’ का नारा किसने दिया था?

  1. राजा राममोहन राय
  2. स्वामी विवेकानंद
  3. स्वामी दयानंद सरस्वती
  4. महात्मा गांधी

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: ‘वेदों की ओर लौटो’ का प्रसिद्ध नारा स्वामी दयानंद सरस्वती ने दिया था।
  • संदर्भ और विस्तार: यह नारा आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती के धार्मिक और सामाजिक सुधार आंदोलन का केंद्रीय विचार था। इसका अर्थ यह था कि तत्कालीन भारतीय समाज में फैली हुई कुरीतियों और अंधविश्वासों को दूर करने के लिए वेदों में निहित शुद्ध और मौलिक सिद्धांतों की ओर वापस लौटना चाहिए। उन्होंने वेदों को ज्ञान का स्रोत माना।
  • गलत विकल्प: राजा राममोहन राय ब्रह्म समाज के संस्थापक थे और उन्होंने एकेश्वरवाद तथा पश्चिमी विचारों का समर्थन किया। स्वामी विवेकानंद रामकृष्ण मिशन के संस्थापक थे और उन्होंने वेदांत दर्शन और हिंदू धर्म के सार को बढ़ावा दिया। महात्मा गांधी एक महान स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक थे, लेकिन यह नारा उनके द्वारा नहीं दिया गया था।

प्रश्न 24: प्रथम बौद्ध संगीति (First Buddhist Council) कहाँ आयोजित की गई थी?

  1. वैशाली
  2. पाटलिपुत्र
  3. राजगृह
  4. कनखल

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: प्रथम बौद्ध संगीति बुद्ध के महापरिनिर्वाण के तुरंत बाद राजगृह (वर्तमान राजगीर) में आयोजित की गई थी।
  • संदर्भ और विस्तार: यह संगीति मगध के राजा अजातशत्रु के संरक्षण में हुई थी और इसका उद्देश्य बुद्ध की शिक्षाओं (धम्म) और भिक्षुओं के लिए अनुशासन (विनय) को संकलित करना था। महाकश्यप इस संगीति के अध्यक्ष थे।
  • गलत विकल्प: वैशाली में दूसरी बौद्ध संगीति आयोजित हुई थी। पाटलिपुत्र में तीसरी बौद्ध संगीति सम्राट अशोक के संरक्षण में हुई थी। कनखल (हरिद्वार) में चौथी बौद्ध संगीति हुई थी।

प्रश्न 25: ‘दांडी मार्च’ (नमक सत्याग्रह) कब शुरू हुआ था?

  1. 1928
  2. 1929
  3. 1930
  4. 1931

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: दांडी मार्च, जिसे नमक सत्याग्रह के नाम से भी जाना जाता है, 12 मार्च 1930 को शुरू हुआ था।
  • संदर्भ और विस्तार: महात्मा गांधी ने साबरमती आश्रम से दांडी (गुजरात के तट पर एक गाँव) तक 240 मील की पैदल यात्रा की, जिसका उद्देश्य ब्रिटिश सरकार के नमक कानून को तोड़ना था। इस कानून के तहत, भारतीयों को नमक बनाने या बेचने से रोका गया था और नमक पर भारी कर लगाया गया था। दांडी पहुँचने पर, गांधीजी ने समुद्र के पानी से नमक बनाकर इस कानून का उल्लंघन किया, जिसने सविनय अवज्ञा आंदोलन को एक नई गति प्रदान की।
  • गलत विकल्प: 1928 में साइमन कमीशन का विरोध हुआ। 1929 में कांग्रेस का लाहौर अधिवेशन हुआ। 1931 में गांधी-इरविन समझौता हुआ।

Leave a Comment