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इतिहास का महासंग्राम: 25 प्रश्न, 25 विस्तृत उत्तरों के साथ!

इतिहास का महासंग्राम: 25 प्रश्न, 25 विस्तृत उत्तरों के साथ!

तैयार हो जाइए इतिहास के गलियारों में एक रोमांचक यात्रा के लिए! आज का अभ्यास सत्र आपको प्राचीन भारत की गहराइयों से लेकर आधुनिक युग की उथल-पुथल तक ले जाएगा। अपनी तैयारी को परखें और हर प्रश्न के पीछे छिपे ज्ञान के खजाने को खोलें!

इतिहास अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: सिंधु घाटी सभ्यता का कौन सा स्थल गुजरात में स्थित है, जहाँ से गोदी (डॉकयार्ड) के प्रमाण मिले हैं?

  1. हड़प्पा
  2. मोहनजोदड़ो
  3. लोथल
  4. कालीबंगा

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: लोथल, जो गुजरात में स्थित है, सिंधु घाटी सभ्यता का एक महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थल है। यहाँ से एक विशालकाय कृत्रिम गोदी (डॉकयार्ड) के अवशेष मिले हैं, जो उस समय के उन्नत समुद्री व्यापार और इंजीनियरिंग कौशल को दर्शाते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: लोथल को प्राचीन काल का एक प्रमुख बंदरगाह माना जाता था। यह स्थान फारस की खाड़ी के साथ व्यापार के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र था। लोथल से मिले व्यापारिक मुहरें और अन्य कलाकृतियाँ इस बात की पुष्टि करती हैं।
  • गलत विकल्प: हड़प्पा और मोहनजोदड़ो प्रमुख सिंधु घाटी शहर थे, लेकिन वे वर्तमान पाकिस्तान में स्थित हैं और उनके मुख्य प्रमाण गोदी से संबंधित नहीं हैं। कालीबंगा राजस्थान में है और वहाँ से जुते हुए खेत के प्रमाण मिले हैं।

प्रश्न 2: ऋग्वेद में ‘अघन्य’ शब्द का प्रयोग किस पशु के लिए किया गया है?

  1. घोड़ा
  2. गाय
  3. बैल
  4. भेड़

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: ऋग्वेद में ‘अघन्य’ शब्द का प्रयोग ‘गाय’ के लिए किया गया है। ‘अघन्य’ का अर्थ है ‘जिसे मारा न जा सके’।
  • संदर्भ और विस्तार: वैदिक काल में गाय को अत्यधिक पवित्र और महत्वपूर्ण माना जाता था। यह न केवल आर्थिक समृद्धि का प्रतीक थी, बल्कि सामाजिक और धार्मिक जीवन का भी अभिन्न अंग थी। गायों के दान का विशेष महत्व था।
  • गलत विकल्प: ऋग्वेद में घोड़े का महत्व था, विशेषकर अश्वमेध यज्ञों में, लेकिन उसे ‘अघन्य’ नहीं कहा गया। बैल और भेड़ भी पालतू पशु थे, लेकिन गाय के समान पवित्रता का दर्जा उन्हें प्राप्त नहीं था।

प्रश्न 3: जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर कौन थे?

  1. महावीर
  2. पार्श्वनाथ
  3. ऋषभनाथ
  4. अजितनाथ

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर ऋषभनाथ थे, जिन्हें आदिनाथ के नाम से भी जाना जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: जैन धर्म के अनुसार, ऋषभनाथ ने मानव जाति को सभ्य बनाने और विभिन्न कलाओं तथा व्यवसायों को सिखाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्हें जैन धर्म का संस्थापक माना जाता है, हालांकि महावीर स्वामी 24वें और अंतिम तीर्थंकर थे जिन्होंने जैन धर्म को व्यापक रूप से प्रचारित किया।
  • गलत विकल्प: महावीर स्वामी 24वें तीर्थंकर थे। पार्श्वनाथ 23वें तीर्थंकर थे, जिन्होंने चार महाव्रतों (अहिंसा, सत्य, अस्तेय, अपरिग्रह) की शिक्षा दी थी। अजितनाथ चौथे तीर्थंकर थे।

प्रश्न 4: चन्द्रगुप्त मौर्य के गुरु और प्रधानमंत्री कौन थे, जिन्होंने अर्थशास्त्र की रचना की?

  1. अशोक
  2. बिन्दुसार
  3. चाणक्य
  4. मेगस्थनीज

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: चाणक्य (जिन्हें कौटिल्य या विष्णुगुप्त भी कहा जाता है) चन्द्रगुप्त मौर्य के गुरु, संरक्षक और प्रधानमंत्री थे। उन्होंने प्रसिद्ध ग्रंथ ‘अर्थशास्त्र’ की रचना की।
  • संदर्भ और विस्तार: अर्थशास्त्र राजनीति, अर्थशास्त्र, कूटनीति और सैन्य रणनीति पर एक प्राचीन भारतीय ग्रंथ है। इसमें राज्य के संचालन, प्रबंधन और विस्तार के सिद्धांतों का विस्तृत वर्णन है। चाणक्य ने ही चन्द्रगुप्त को नंद वंश का पतन कर मगध पर मौर्य साम्राज्य की स्थापना में सहायता की थी।
  • गलत विकल्प: अशोक चन्द्रगुप्त मौर्य का पोता था। बिन्दुसार चन्द्रगुप्त मौर्य का पुत्र था। मेगस्थनीज एक यूनानी राजदूत था जिसने ‘इंडिका’ नामक पुस्तक लिखी, जिसमें मौर्यकालीन समाज और प्रशासन का वर्णन है।

प्रश्न 5: गुप्त काल को ‘भारत का स्वर्ण युग’ क्यों कहा जाता है?

  1. केवल सैन्य विजयों के कारण
  2. कला, विज्ञान, साहित्य और वास्तुकला में अत्यधिक प्रगति के कारण
  3. विदेशों के साथ व्यापार में भारी वृद्धि के कारण
  4. सभी उपरोक्त कारणों से

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: गुप्त काल को ‘भारत का स्वर्ण युग’ मुख्य रूप से इस काल में कला, विज्ञान, साहित्य, खगोल विज्ञान, गणित और वास्तुकला के क्षेत्र में हुई अभूतपूर्व प्रगति के कारण कहा जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: इस युग में कालिदास जैसे महान कवियों का उदय हुआ, आर्यभट्ट जैसे खगोलविदों ने दशमलव प्रणाली और शून्य की अवधारणा का विकास किया, और गुप्त शासकों के संरक्षण में भव्य मंदिरों का निर्माण हुआ (जैसे देवगढ़ का दशावतार मंदिर)।
  • गलत विकल्प: हालांकि इस काल में सैन्य विजयें भी हुईं और व्यापार भी बढ़ा, लेकिन इन क्षेत्रों की प्रगति कला, विज्ञान और साहित्य में हुई समग्र सांस्कृतिक उत्कर्ष की तुलना में कम महत्वपूर्ण मानी जाती है, जिसने इस युग को ‘स्वर्ण युग’ की उपाधि दिलाई।

प्रश्न 6: दिल्ली सल्तनत के किस सुल्तान ने ‘दीवान-ए-अमीर कोही’ नामक एक नया कृषि विभाग स्थापित किया?

  1. कुतुबुद्दीन ऐबक
  2. इल्तुतमिश
  3. गयासुद्दीन तुगलक
  4. मुहम्मद बिन तुगलक

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: दिल्ली सल्तनत के तुगलक वंश के शासक मुहम्मद बिन तुगलक (शासनकाल 1325-1351 ई.) ने कृषि के विकास और विस्तार के उद्देश्य से ‘दीवान-ए-अमीर कोही’ नामक एक नए कृषि विभाग की स्थापना की थी।
  • संदर्भ और विस्तार: इस विभाग का मुख्य कार्य किसानों को बीज, उपकरण और अन्य आवश्यक संसाधन प्रदान करके खेती को बढ़ावा देना था। मुहम्मद बिन तुगलक ने अपनी राजधानी को दिल्ली से दौलताबाद स्थानांतरित करने और सांकेतिक मुद्रा चलाने जैसे कई प्रयोगधर्मी निर्णय लिए, जिनमें से कुछ असफल रहे, लेकिन कृषि सुधार उनका एक महत्वपूर्ण प्रयास था।
  • गलत विकल्प: कुतुबुद्दीन ऐबक सल्तनत का संस्थापक था। इल्तुतमिश ने ‘चालीसा’ (40 सरदारों का समूह) की स्थापना की। गयासुद्दीन तुगलक ने नहरों के निर्माण पर ध्यान दिया था, लेकिन ‘दीवान-ए-अमीर कोही’ की स्थापना का श्रेय एमबीटी को जाता है।

प्रश्न 7: विजयनगर साम्राज्य के संस्थापक कौन थे?

  1. कृष्ण देवराय
  2. हरिहर और बुक्का
  3. राम राय
  4. देव राय द्वितीय

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: विजयनगर साम्राज्य की स्थापना 1336 ईस्वी में हरिहर और बुक्का नामक दो भाइयों ने की थी।
  • संदर्भ और विस्तार: इन भाइयों ने वारंगल के काकतीय वंश के पतन के बाद तुंगभद्रा नदी के किनारे इस शक्तिशाली दक्षिण भारतीय साम्राज्य की नींव रखी। विजयनगर साम्राज्य ने चार राजवंशों – संगम, सालुव, तुलुव और आरविडु – के तहत लगभग 250 वर्षों तक शासन किया और कला, साहित्य, वास्तुकला तथा व्यापार के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
  • गलत विकल्प: कृष्ण देवराय तुलुव राजवंश का सबसे महान शासक था। राम राय तुलुव राजवंश के अंतिम प्रमुख शासक थे। देव राय द्वितीय संगम राजवंश का एक महत्वपूर्ण शासक था।

प्रश्न 8: ‘तहरीक-ए-इब्ला’ नामक आंदोलन का नेतृत्व किसने किया, जिसका उद्देश्य सूफीवाद को शुद्ध करना था?

  1. शेख सलीम चिश्ती
  2. शेख अहमद सरहिंदी
  3. निजामुद्दीन औलिया
  4. बाबा फरीद

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: ‘तहरीक-ए-इब्ला’ (या नवीकरण आंदोलन) का नेतृत्व 16वीं-17वीं शताब्दी के प्रसिद्ध नक्शबंदी सूफी संत शेख अहमद सरहिंदी ने किया था।
  • संदर्भ और विस्तार: शेख अहमद सरहिंदी ने भारतीय सूफीवाद में व्याप्त शिथिलता और गैर-इस्लामी प्रथाओं को इस्लाम के मूल सिद्धांतों के अनुरूप शुद्ध करने का प्रयास किया। उन्होंने ‘वहदत-उल-वुजूद’ (ईश्वर और सृष्टि की एकता) के सिद्धांत की आलोचना की और ‘वहदत-उल-शोहूद’ (ईश्वर और सृष्टि के बीच उपस्थिति की एकता) का प्रचार किया। उन्होंने औरंगजेब को भी प्रभावित किया था।
  • गलत विकल्प: शेख सलीम चिश्ती अकबर के समकालीन थे और फतेहपुर सीकरी में रहते थे। निजामुद्दीन औलिया दिल्ली सल्तनत काल के एक प्रमुख चिश्ती संत थे। बाबा फरीद भी चिश्ती सिलसिले के एक महत्वपूर्ण संत थे।

प्रश्न 9: 1857 के विद्रोह के दौरान, बहादुर शाह ज़फ़र को कहाँ का सम्राट घोषित किया गया था?

  1. दिल्ली
  2. कानपुर
  3. लखनऊ
  4. झांसी

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: 1857 के विद्रोह के प्रारंभ में, विद्रोही सैनिकों ने दिल्ली पहुँचकर मुगल सम्राट बहादुर शाह ज़फ़र को भारत का सम्राट घोषित कर दिया था।
  • संदर्भ और विस्तार: यद्यपि बहादुर शाह ज़फ़र केवल एक नाममात्र का सम्राट था और उसका वास्तविक राजनीतिक अधिकार बहुत सीमित था, विद्रोहियों के लिए वह एकता और प्रतिरोध का प्रतीक था। उन्होंने विद्रोह को राष्ट्रीय स्वरूप देने का प्रयास किया। अंततः, अंग्रेजों ने दिल्ली पर पुनः कब्ज़ा कर लिया और बहादुर शाह ज़फ़र को रंगून (अब यांगून) निर्वासित कर दिया गया, जहाँ उनकी मृत्यु हो गई।
  • गलत विकल्प: कानपुर में विद्रोह का नेतृत्व नाना साहब ने किया, लखनऊ में बेगम हजरत महल ने, और झांसी में रानी लक्ष्मीबाई ने। इन स्थानों पर विद्रोह का नेतृत्व स्थानीय नेताओं ने किया, न कि किसी राष्ट्रीय सम्राट को घोषित किया गया।

प्रश्न 10: ‘रैयतवाड़ी’ बंदोबस्त के तहत, किसानों से सीधे मालगुजारी वसूल की जाती थी। इस व्यवस्था को सबसे पहले कहाँ लागू किया गया?

  1. बंगाल प्रेसीडेंसी
  2. बॉम्बे और मद्रास प्रेसीडेंसी
  3. पंजाब
  4. उत्तर-पश्चिमी सीमा प्रांत

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: रैयतवाड़ी बंदोबस्त को सर्वप्रथम ब्रिटिश भारत के मद्रास और बॉम्बे प्रेसीडेंसी में लागू किया गया था।
  • संदर्भ और विस्तार: यह व्यवस्था मुख्य रूप से थॉमस मुनरो (मद्रास के गवर्नर) और कैप्टन अलेक्जेंडर रीड द्वारा 1820 के दशक में पेश की गई थी। इसमें रैयत (किसान) को भूमि का मालिक माना गया और उनसे सीधे मालगुजारी वसूली की जाती थी। यह जमींदारी और महालवाड़ी व्यवस्थाओं से भिन्न थी।
  • गलत विकल्प: बंगाल प्रेसीडेंसी में मुख्य रूप से स्थायी बंदोबस्त (Permanent Settlement) लागू था। पंजाब और उत्तर-पश्चिमी सीमा प्रांतों में अन्य प्रकार के भू-राजस्व बंदोबस्त किए गए थे।

प्रश्न 11: 1905 में लॉर्ड कर्जन द्वारा बंगाल के विभाजन के पीछे क्या कारण बताया गया था?

  1. प्रशासनिक सुविधा
  2. धार्मिक आधार पर हिंदुओं और मुसलमानों को बाँटना
  3. बांग्लादेश को एक अलग राज्य बनाना
  4. पूर्वी बंगाल को विकास की ओर अग्रसर करना

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: लॉर्ड कर्जन ने बंगाल के विभाजन का मुख्य कारण प्रशासनिक सुविधा बताया था, क्योंकि उस समय बंगाल प्रेसीडेंसी का क्षेत्रफल बहुत बड़ा था।
  • संदर्भ और विस्तार: हालाँकि, भारतीय राष्ट्रवादी नेताओं और आम जनता ने इसे ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति का हिस्सा माना, जिसका उद्देश्य बंगाल में बढ़ते राष्ट्रवाद को कमजोर करना और हिंदू-मुस्लिम भावनाओं को भड़काना था। इस विभाजन के कारण बंगाल में तीव्र विरोध प्रदर्शन हुए, जिसे स्वदेशी आंदोलन के रूप में जाना जाता है।
  • गलत विकल्प: विभाजन का कारण धार्मिक आधार पर हिंदुओं और मुसलमानों को बाँटना माना जाता है, यद्यपि इसे आधिकारिक तौर पर प्रशासनिक सुविधा बताया गया था। विभाजन का उद्देश्य बांग्लादेश बनाना या पूर्वी बंगाल का विकास करना नहीं था।

प्रश्न 12: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के किस अधिवेशन में ‘पूर्ण स्वराज्य’ का प्रस्ताव पारित किया गया?

  1. 1929 लाहौर अधिवेशन
  2. 1931 कराची अधिवेशन
  3. 1936 लखनऊ अधिवेशन
  4. 1942 बंबई अधिवेशन

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 1929 के लाहौर अधिवेशन में ‘पूर्ण स्वराज्य’ (पूर्ण स्वतंत्रता) का ऐतिहासिक प्रस्ताव पारित किया गया।
  • संदर्भ और विस्तार: इस अधिवेशन की अध्यक्षता पंडित जवाहरलाल नेहरू ने की थी। इसी अधिवेशन में यह भी तय किया गया कि 26 जनवरी 1930 को ‘स्वतंत्रता दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा। इसने भारत के स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दी और लक्ष्य को स्पष्ट किया।
  • गलत विकल्प: कराची अधिवेशन (1931) में मौलिक अधिकारों और आर्थिक नीति का प्रस्ताव पारित हुआ था। लखनऊ अधिवेशन (1936) में कांग्रेस ने समाजवाद को अपनाने का निर्णय लिया। बंबई अधिवेशन (1942) में ‘भारत छोड़ो’ आंदोलन का प्रस्ताव पारित हुआ था।

प्रश्न 13: ‘संथाल विद्रोह’ का नेतृत्व किसने किया था?

  1. बिरसा मुंडा
  2. सिद्धू और कान्हू
  3. रानी गाइदिन्ल्यू
  4. तिलक मांझी

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: 1855-56 का संथाल विद्रोह, जो बिहार और बंगाल के सीमावर्ती क्षेत्रों में हुआ था, का नेतृत्व सिद्धू और कान्हू नामक दो भाइयों ने किया था।
  • संदर्भ और विस्तार: यह विद्रोह संथालों द्वारा ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन, जमींदारों और साहूकारों के शोषण के विरुद्ध एक जनजातीय विद्रोह था। विद्रोह को भारी दमन के साथ कुचल दिया गया था, लेकिन इसने ब्रिटिश सरकार को जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन में कुछ सुधार करने के लिए मजबूर किया।
  • गलत विकल्प: बिरसा मुंडा ने 19वीं सदी के अंत में मुंडा विद्रोह का नेतृत्व किया। रानी गाइदिन्ल्यू ने पूर्वोत्तर भारत में नागा विद्रोह का नेतृत्व किया। तिलक मांझी ने 18वीं सदी में ब्रिटिश विरोधी आंदोलन का नेतृत्व किया था।

प्रश्न 14: वर्ष 1946 में हुए नौसेना विद्रोह (Royal Indian Navy mutiny) का मुख्य केंद्र कहाँ था?

  1. कलकत्ता
  2. मुंबई
  3. दिल्ली
  4. चेन्नई

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: 1946 के भारतीय नौसेना विद्रोह (जिसे ‘तलवार’ विद्रोह भी कहा जाता है) का मुख्य केंद्र मुंबई था।
  • संदर्भ और विस्तार: यह विद्रोह रॉयल इंडियन नेवी के सैनिकों द्वारा खराब भोजन, नस्लीय भेदभाव और स्वतंत्रता सेनानियों के साथ जेल में हो रहे दुर्व्यवहार के विरोध में शुरू हुआ था। यह विद्रोह तेजी से देश के अन्य हिस्सों में फैल गया, और ब्रिटिश सरकार को भारत की स्वतंत्रता की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए मजबूर करने वाले महत्वपूर्ण कारकों में से एक बना।
  • गलत विकल्प: यद्यपि विद्रोह की चिंगारी अन्य शहरों तक पहुँची, लेकिन इसका सबसे तीव्र और व्यापक प्रकोप मुंबई में हुआ, जो विद्रोह का मुख्य केंद्र बना।

प्रश्न 15: ‘दीनबंधु’ के नाम से किसे जाना जाता है?

  1. महात्मा गांधी
  2. लाला लाजपत राय
  3. सी.एफ. एंड्रयूज
  4. गोपाल कृष्ण गोखले

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: चार्ल्स फ्रेडरिक एंड्रयूज (C.F. Andrews) को ‘दीनबंधु’ (गरीबों का मित्र) के नाम से जाना जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: एंड्रयूज एक ब्रिटिश ईसाई मिशनरी थे जो भारत में गांधीजी के मित्र और सहयोगी बने। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का समर्थन किया और भारतीयों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया, विशेष रूप से गिरमिटिया प्रथा (indentured labour) के उन्मूलन के लिए। महात्मा गांधी ने उन्हें यह उपाधि दी थी।
  • गलत विकल्प: महात्मा गांधी ‘बापू’ या ‘राष्ट्रपिता’ के रूप में जाने जाते हैं। लाला लाजपत राय ‘पंजाब केसरी’ के नाम से प्रसिद्ध थे। गोपाल कृष्ण गोखले को गांधीजी का राजनीतिक गुरु माना जाता है।

प्रश्न 16: प्रथम विश्व युद्ध कब से कब तक चला?

  1. 1905-1910
  2. 1914-1918
  3. 1939-1945
  4. 1945-1950

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: प्रथम विश्व युद्ध 28 जुलाई 1914 को शुरू हुआ और 11 नवंबर 1918 को समाप्त हुआ।
  • संदर्भ और विस्तार: इस युद्ध में केंद्रीय शक्तियां (मुख्यतः जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी, तुर्की और बुल्गारिया) और मित्र राष्ट्र (मुख्यतः फ्रांस, ब्रिटेन, रूस, इटली और बाद में संयुक्त राज्य अमेरिका) शामिल थे। इस युद्ध ने दुनिया के राजनीतिक मानचित्र को बदल दिया और इसके अप्रत्यक्ष प्रभाव भारत के स्वतंत्रता संग्राम पर भी पड़े।
  • गलत विकल्प: 1939-1945 द्वितीय विश्व युद्ध का काल था। अन्य विकल्प विश्व युद्धों के काल से संबंधित नहीं हैं।

प्रश्न 17: अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम का मुख्य कारण क्या था?

  1. धार्मिक स्वतंत्रता का अभाव
  2. व्यापार पर ब्रिटिश सरकार द्वारा अत्यधिक कर लगाना और प्रतिनिधित्व के बिना कराधान (Taxation without representation)
  3. फ्रांस का हस्तक्षेप
  4. दास प्रथा का अंत

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम का मुख्य कारण ब्रिटिश सरकार द्वारा अमेरिकी उपनिवेशों पर लगाए गए भारी कर थे, जबकि उपनिवेशों को ब्रिटिश संसद में कोई प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया था। ‘प्रतिनिधित्व के बिना कराधान नहीं’ (No taxation without representation) एक प्रमुख नारा था।
  • संदर्भ और विस्तार: ब्रिटिश सरकार ने स्टाम्प एक्ट, टाउनशेंड एक्ट और चाय अधिनियम जैसे कई कानून लागू किए, जिनसे अमेरिकी उपनिवेशों को भारी आर्थिक बोझ उठाना पड़ा। उपनिवेशवादियों का मानना था कि जब तक उन्हें ब्रिटिश संसद में प्रतिनिधित्व नहीं मिलता, तब तक उन पर कर लगाना अनुचित है।
  • गलत विकल्प: धार्मिक स्वतंत्रता का अभाव एक कारण हो सकता था, लेकिन यह मुख्य कारण नहीं था। फ्रांस ने उपनिवेशों का समर्थन किया, लेकिन यह संग्राम का कारण नहीं था। दास प्रथा का मुद्दा संग्राम के बाद सुलझाया गया, न कि यह संग्राम का मुख्य कारण था।

प्रश्न 18: फ्रांस की क्रांति (1789) का नारा क्या था?

  1. सरकार की जिम्मेदारी
  2. स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व
  3. लोकतांत्रिक समाजवाद
  4. सभी के लिए शिक्षा

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: फ्रांस की क्रांति (1789) का प्रमुख नारा ‘स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व’ (Liberté, égalité, fraternité) था।
  • संदर्भ और विस्तार: इस क्रांति ने न केवल फ्रांस में राजशाही का अंत किया, बल्कि पूरे यूरोप और दुनिया में स्वतंत्रता, समानता और राष्ट्रवाद के विचारों को फैलाया। इसने सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक व्यवस्था में मौलिक परिवर्तन लाए।
  • गलत विकल्प: अन्य विकल्प महत्वपूर्ण राजनीतिक विचार हैं, लेकिन वे फ्रांस की क्रांति के विशिष्ट और केंद्रीय नारे नहीं थे।

प्रश्न 19: ‘कैबिनेट मिशन’ भारत कब आया?

  1. 1942
  2. 1945
  3. 1946
  4. 1947

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत में राजनीतिक गतिरोध को दूर करने और भारत को स्वतंत्रता देने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए मार्च 1946 में एक कैबिनेट मिशन भारत भेजा गया था।
  • संदर्भ और विस्तार: इस मिशन में तीन सदस्य थे: लॉर्ड पैथिक लॉरेंस, सर स्टैफ़ोर्ड क्रिप्स और ए. वी. अलेक्जेंडर। मिशन ने भारत के लिए एक संविधान बनाने हेतु एक संविधान सभा के गठन का प्रस्ताव दिया और भारत को तीन स्तरीय संघ (समूह) में विभाजित करने की योजना प्रस्तुत की। यद्यपि मिशन की योजनाओं में कुछ कमियाँ थीं, लेकिन इसने भारतीय नेताओं को स्वतंत्रता की दिशा में एक ठोस ढाँचा प्रदान किया।
  • गलत विकल्प: 1942 में क्रिप्स मिशन भारत आया था, जिसका उद्देश्य द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारत का समर्थन प्राप्त करना था। 1945 में एटली सरकार ने भारत की स्वतंत्रता की घोषणा की। 1947 में भारत को स्वतंत्रता मिली।

प्रश्न 20: 1923 में स्वराज पार्टी की स्थापना किसने की?

  1. महात्मा गांधी
  2. मोतीलाल नेहरू और सी. आर. दास
  3. जवाहरलाल नेहरू
  4. सरदार पटेल

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: 1923 में, असहयोग आंदोलन के स्थगित होने के बाद, स्वराज पार्टी की स्थापना मोतीलाल नेहरू और चित्तरंजन दास (सी. आर. दास) ने मिलकर की थी।
  • संदर्भ और विस्तार: स्वराज पार्टी का मुख्य उद्देश्य विधानमंडलों में प्रवेश कर ब्रिटिश सरकार की नीतियों का विरोध करना और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के भीतर स्वशासन की वकालत करना था। वे मानते थे कि विधायी निकायों में प्रवेश कर सुधारों की मांग करना अधिक प्रभावी तरीका है।
  • गलत विकल्प: महात्मा गांधी असहयोग आंदोलन के प्रमुख नेता थे और उन्होंने स्वराज पार्टी के कुछ विचारों का समर्थन नहीं किया था। जवाहरलाल नेहरू और सरदार पटेल कांग्रेस के अन्य प्रमुख नेता थे, लेकिन उन्होंने स्वराज पार्टी की स्थापना में प्रत्यक्ष भूमिका नहीं निभाई, हालांकि वे कांग्रेस के भीतर सक्रिय थे।

प्रश्न 21: ‘ग्रैंड ट्रंक रोड’ का निर्माण किसने करवाया था?

  1. अकबर
  2. शेरशाह सूरी
  3. चंद्रगुप्त मौर्य
  4. औरंगजेब

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: वर्तमान ग्रांड ट्रंक रोड (GT Road) का मुख्य ढांचा और विस्तार सूफी शासक शेरशाह सूरी ने 16वीं शताब्दी में करवाया था।
  • संदर्भ और विस्तार: शेरशाह सूरी ने तत्कालीन उत्तरी भारत में व्यापार और संचार को सुगम बनाने के लिए पेशावर से बंगाल तक एक चौड़ी और पक्की सड़क का निर्माण करवाया था, जिसे ‘सड़क-ए-आजम’ कहा जाता था। इस सड़क के किनारे यात्रियों के ठहरने के लिए सरायों का भी निर्माण करवाया गया था। कालान्तर में ब्रिटिशों ने इसे ग्रांड ट्रंक रोड नाम दिया।
  • गलत विकल्प: चंद्रगुप्त मौर्य ने भी सड़कों का निर्माण करवाया था, लेकिन जीटी रोड का निर्माण शेरशाह सूरी से जोड़ा जाता है। अकबर और औरंगजेब ने भी सड़कों का विकास किया, लेकिन ग्रैंड ट्रंक रोड का श्रेय मुख्य रूप से शेरशाह सूरी को जाता है।

प्रश्न 22: ‘दोहरी शासन प्रणाली’ (Dual Government) की शुरुआत किस वायसराय ने की थी?

  1. लॉर्ड विलियम बेंटिंक
  2. लॉर्ड डलहौजी
  3. लॉर्ड क्लाइव
  4. लॉर्ड कर्जन

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: ‘दोहरी शासन प्रणाली’ की शुरुआत रॉबर्ट क्लाइव ने 1765 में बक्सर की लड़ाई के बाद की थी।
  • संदर्भ और विस्तार: इस प्रणाली के तहत, दीवानी (राजस्व संग्रह) का अधिकार ईस्ट इंडिया कंपनी के पास था, जबकि निजामत (प्रशासनिक और न्यायिक मामले) का अधिकार बंगाल के नवाब के पास था। यह एक विवादास्पद व्यवस्था थी जिसने कंपनी को अधिक शक्ति दी और जनता पर अत्याचार बढ़ाया। अंततः 1772 में वारेन हेस्टिंग्स द्वारा इसे समाप्त कर दिया गया।
  • गलत विकल्प: लॉर्ड विलियम बेंटिंक ने सती प्रथा को समाप्त किया और भारत में शिक्षा के पश्चिमीकरण की शुरुआत की। लॉर्ड डलहौजी ‘व्यपगत के सिद्धांत’ (Doctrine of Lapse) के लिए जाने जाते हैं। लॉर्ड कर्जन ने बंगाल का विभाजन किया था।

प्रश्न 23: भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान ‘अमर शहीद’ किसे कहा गया?

  1. भगत सिंह
  2. चंद्रशेखर आजाद
  3. सुभाष चंद्र बोस
  4. बाल गंगाधर तिलक

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: भगत सिंह को भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में उनके क्रांतिकारी योगदान और शहादत के लिए ‘अमर शहीद’ के रूप में याद किया जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को 23 मार्च 1931 को लाहौर षड्यंत्र केस में ब्रिटिश सरकार द्वारा फांसी दी गई थी। उन्होंने भारत को ब्रिटिश शासन से मुक्त कराने के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया। उनकी वीरता और आदर्शों ने युवाओं को प्रेरित किया।
  • गलत विकल्प: चंद्रशेखर आजाद भी एक प्रमुख क्रांतिकारी थे और उन्होंने कभी गिरफ्तार न होने का प्रण लिया था, वे मुठभेड़ में शहीद हुए। सुभाष चंद्र बोस ‘नेताजी’ के नाम से जाने जाते हैं। बाल गंगाधर तिलक ‘लोकमान्य’ के नाम से विख्यात थे।

प्रश्न 24: 1947 में भारत की स्वतंत्रता के समय ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कौन थे?

  1. विंस्टन चर्चिल
  2. क्लेमेंट एटली
  3. नेविल चेम्बरलेन
  4. मार्गरेट थैचर

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: 1947 में जब भारत को स्वतंत्रता मिली, तब ब्रिटेन के प्रधानमंत्री क्लेमेंट एटली थे।
  • संदर्भ और विस्तार: क्लेमेंट एटली लेबर पार्टी से थे और उनके मंत्रिमंडल ने ही भारत की स्वतंत्रता की घोषणा की थी और लॉर्ड माउंटबेटन को अंतिम वायसराय नियुक्त किया था। एटली सरकार ने भारत को सत्ता सौंपने का निर्णय लिया था।
  • गलत विकल्प: विंस्टन चर्चिल द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान प्रधानमंत्री थे। नेविल चेम्बरलेन ने युद्ध-पूर्व की तुष्टिकरण नीति अपनाई थी। मार्गरेट थैचर 1980 के दशक में ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थीं।

प्रश्न 25: ‘हड़प्पा’ नामक स्थल का उत्खनन किस वर्ष हुआ?

  1. 1921
  2. 1922
  3. 1924
  4. 1931

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: हड़प्पा नामक सिंधु घाटी सभ्यता के स्थल का उत्खनन वर्ष 1921 में दयाराम साहनी के नेतृत्व में हुआ था।
  • संदर्भ और विस्तार: यह हड़प्पा सभ्यता का पहला खोजा गया स्थल था, जिसके नाम पर इस सभ्यता को ‘हड़प्पा सभ्यता’ कहा गया। इसी के आसपास के क्षेत्र में 1922 में राखालदास बनर्जी ने मोहनजोदड़ो का उत्खनन किया। इन उत्खननों से प्राचीन नगरीय सभ्यता के प्रमाण मिले, जिन्होंने भारतीय इतिहास की समझ को बदल दिया।
  • गलत विकल्प: 1922 में मोहनजोदड़ो की खोज हुई। 1924 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के तत्कालीन महानिदेशक सर जॉन मार्शल ने सिंधु घाटी सभ्यता की खोज की सार्वजनिक घोषणा की। 1931 में अन्य स्थलों पर भी उत्खनन कार्य जारी था।

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