इतिहास का महासंग्राम: दैनिक अग्निपरीक्षा में सफल हों!
इतिहास के रहस्यों और घटनाओं के सागर में गोता लगाने के लिए तैयार हो जाइए! आज की यह विशेष प्रश्नोत्तरी आपको प्राचीन काल से लेकर आधुनिक युग तक एक रोमांचक यात्रा पर ले जाएगी। अपनी ऐतिहासिक समझ का परीक्षण करें और अपनी तैयारी को नई ऊंचाइयों पर ले जाएं। यह सिर्फ एक क्विज नहीं, बल्कि आपकी सफलता की ओर एक कदम है!
इतिहास अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: सिंधु घाटी सभ्यता के किस स्थल से ‘नृत्यरत बालिका’ की कांस्य प्रतिमा प्राप्त हुई है?
- हड़प्पा
- मोहनजोदड़ो
- लोथल
- चन्हुदड़ो
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: मोहनजोदड़ो, जिसे ‘मृतकों का टीला’ भी कहा जाता है, सिंधु घाटी सभ्यता का एक प्रमुख स्थल था। यहीं से ‘नृत्यरत बालिका’ की प्रसिद्ध कांस्य प्रतिमा मिली है, जो उस काल की उन्नत मूर्तिकला का प्रमाण है।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह प्रतिमा लगभग 4,500 वर्ष पुरानी मानी जाती है और 1926 में जॉन मार्शल के नेतृत्व में हुई खुदाई में प्राप्त हुई थी। यह लगभग 10.5 सेंटीमीटर लंबी है और अपनी गतिशील मुद्रा के लिए जानी जाती है।
- गलत विकल्प: हड़प्पा से ‘जवान योगी’ की मूर्ति और कब्रिस्तान R-37 मिले थे। लोथल से गोदी (डॉकयार्ड) और चन्हुदड़ो से मनके बनाने के कारखाने और मेकअप की सामग्री मिली थी।
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से किस वैदिक देवता को ‘युद्ध का देवता’ माना जाता था?
- सोम
- वरुण
- इंद्र
- अग्नि
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: ऋग्वेद में इंद्र को सबसे प्रमुख देवता माना गया है और उन्हें ‘युद्ध का देवता’ या ‘पुरंदर’ (किले तोड़ने वाला) कहा गया है। वे वर्षा, गर्जना और युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे।
- संदर्भ एवं विस्तार: इंद्र को वैदिक काल के शक्तिशाली देवताओं में गिना जाता था, जो आर्यों के सामाजिक और राजनीतिक जीवन को प्रभावित करते थे। उन्हें अक्सर वज्र धारण किए हुए चित्रित किया जाता है।
- गलत विकल्प: वरुण को नैतिक व्यवस्था और जल का देवता माना जाता था। सोम एक पौधा था जिसका रस अनुष्ठानों में प्रयोग होता था। अग्नि देवताओं और मनुष्यों के बीच मध्यस्थ थे।
प्रश्न 3: मौर्य काल में ‘भूमि कर’ के अतिरिक्त, निम्नलिखित में से कौन सा एक अन्य महत्वपूर्ण कर था?
- पशुओं पर कर
- व्यापार पर कर
- जल कर
- वन कर
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: मौर्य काल में भूमि कर (भाग) के साथ-साथ व्यापार पर भी कर लगाया जाता था, जिसे ‘प्रणय’ या ‘शुल्क’ कहा जाता था। यह व्यापार की मात्रा और प्रकार पर निर्भर करता था।
- संदर्भ एवं विस्तार: अर्थशास्त्र में व्यापारिक गतिविधियों से होने वाली आय का विस्तार से वर्णन है, जिसमें सीमा शुल्क, प्रवेश शुल्क और बिक्री कर शामिल थे। ये कर राज्य की आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत थे।
- गलत विकल्प: यद्यपि पशुधन, जल (सिंचाई) और वन उत्पादों पर भी कुछ व्यवस्थाएं रही होंगी, लेकिन व्यापार पर लगने वाला कर राज्य की आय का एक अधिक प्रत्यक्ष और महत्वपूर्ण स्रोत था, जिसे सार्वजनिक रूप से मान्यता प्राप्त थी।
प्रश्न 4: गुप्त काल में ‘धनवंतरी’ किस क्षेत्र से संबंधित थे?
- कला
- साहित्य
- चिकित्सा
- खगोल विज्ञान
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: धनवंतरी को प्राचीन भारत में चिकित्सा के क्षेत्र में एक महान विद्वान और सर्जन के रूप में जाना जाता है। उन्हें अक्सर देवताओं के चिकित्सक के रूप में भी पूजा जाता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: धनवंतरी का संबंध गुप्त काल से जोड़ा जाता है, हालांकि उनका काल निर्धारण विवादित है। उन्हें ‘चरक संहिता’ और ‘सुश्रुत संहिता’ जैसे ग्रंथों के संकलक या उनमें योगदानकर्ता के रूप में भी देखा जाता है।
- गलत विकल्प: कालिदास जैसे विद्वान साहित्य से, आर्यभट्ट खगोल विज्ञान से, और विभिन्न कलाकार मूर्तिकला और चित्रकला से संबंधित थे।
प्रश्न 5: दिल्ली सल्तनत के किस सुल्तान ने ‘बाजार नियंत्रण प्रणाली’ लागू की थी?
- इल्तुतमिश
- बलबन
- अलाउद्दीन खिलजी
- मोहम्मद बिन तुगलक
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: अलाउद्दीन खिलजी (1296-1316) ने अपने शासनकाल में एक सुदृढ़ और कठोर बाजार नियंत्रण प्रणाली लागू की थी। इसका उद्देश्य सेना के लिए सस्ता राशन सुनिश्चित करना और जनता को राहत पहुंचाना था।
- संदर्भ एवं विस्तार: उन्होंने वस्तुओं की गुणवत्ता, मात्रा और मूल्य निर्धारित किए थे और इन नियमों का उल्लंघन करने वालों के लिए गंभीर दंड का प्रावधान था। ‘सराय-ए-अदल’ नामक स्थान पर कपड़ों और अन्य वस्तुओं का विक्रय होता था।
- गलत विकल्प: इल्तुतमिश और बलबन ने सल्तनत को स्थिर करने पर ध्यान केंद्रित किया, जबकि मोहम्मद बिन तुगलक अपनी महत्वाकांक्षी योजनाओं के लिए जाने जाते हैं, जैसे कि सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन।
प्रश्न 6: विजयनगर साम्राज्य की स्थापना कब हुई थी?
- 1206 ईस्वी
- 1336 ईस्वी
- 1526 ईस्वी
- 1576 ईस्वी
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: विजयनगर साम्राज्य की स्थापना 1336 ईस्वी में हरिहर प्रथम और बुक्का प्रथम नामक दो भाइयों ने की थी। यह तुंगभद्रा नदी के किनारे स्थापित हुआ था।
- संदर्भ एवं विस्तार: इस साम्राज्य ने लगभग 250 वर्षों तक दक्षिण भारत पर शासन किया और कला, साहित्य, और वास्तुकला के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। कृष्णदेवराय विजयनगर के सबसे प्रसिद्ध शासकों में से एक थे।
- गलत विकल्प: 1206 ईस्वी में दिल्ली सल्तनत की स्थापना हुई, 1526 ईस्वी में बाबर द्वारा मुगल साम्राज्य की स्थापना हुई, और 1576 ईस्वी हल्दीघाटी के युद्ध का वर्ष है।
प्रश्न 7: ‘अष्टप्रधान’ का गठन किस मराठा शासक ने किया था?
- शिवाजी महाराज
- संभाजी
- बाजीराव प्रथम
- माधवराव
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: शिवाजी महाराज ने अपने प्रशासन को सुव्यवस्थित करने के लिए ‘अष्टप्रधान’ नामक आठ मंत्रियों की एक परिषद का गठन किया था।
- संदर्भ एवं विस्तार: इस परिषद में पेशवा (प्रधानमंत्री), अमात्य (वित्त मंत्री), सचिव (गृह मंत्री), सुमंत (विदेश मंत्री), सेनापति (सैन्य प्रमुख), पंडितराव (धार्मिक मामलों के मंत्री), न्यायाधीश (न्याय मंत्री), और वाकयानवीस (गुप्तचर मंत्री) शामिल थे। यह मराठा साम्राज्य के कुशल प्रशासन का आधार बना।
- गलत विकल्प: संभाजी, बाजीराव प्रथम और माधवराव ने भी प्रशासन में सुधार किए, लेकिन ‘अष्टप्रधान’ की व्यवस्था शिवाजी महाराज द्वारा स्थापित की गई थी।
प्रश्न 8: ‘सहायक संधि’ (Subsidiary Alliance) प्रणाली किसने लागू की थी?
- लॉर्ड कॉर्नवालिस
- लॉर्ड वेलेस्ली
- लॉर्ड विलियम बेंटिंक
- लॉर्ड डलहौजी
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: लॉर्ड वेलेस्ली, जो 1798 से 1805 तक भारत के गवर्नर-जनरल रहे, ने ‘सहायक संधि’ प्रणाली को एक प्रभावी नीति के रूप में लागू किया।
- संदर्भ एवं विस्तार: इस संधि के तहत, भारतीय शासकों को अपने राज्य में ब्रिटिश सेना रखनी पड़ती थी और उसका खर्च उठाना पड़ता था। बदले में, ब्रिटिश उनकी बाहरी दुश्मनों से रक्षा करते थे। यह संधि भारतीय राज्यों को ब्रिटिश नियंत्रण में लाने का एक प्रभावी माध्यम बनी।
- गलत विकल्प: लॉर्ड कॉर्नवालिस स्थायी बंदोबस्त के लिए जाने जाते हैं, लॉर्ड विलियम बेंटिंक सती प्रथा को समाप्त करने के लिए, और लॉर्ड डलहौजी ‘व्यपगत के सिद्धांत’ (Doctrine of Lapse) के लिए।
प्रश्न 9: 1857 के विद्रोह का तात्कालिक कारण क्या था?
- डलहौजी की व्यपगत की नीति
- भारतीयों को ईसाई बनाना
- एनफील्ड राइफल में लगी चर्बी वाले कारतूस
- भारतीयों का अपमान
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: 1857 के विद्रोह का तात्कालिक और सबसे प्रमुख कारण एनफील्ड राइफल में इस्तेमाल किए जाने वाले कारतूसों में गाय और सुअर की चर्बी का प्रयोग था, जिससे हिंदू और मुस्लिम दोनों सैनिकों की धार्मिक भावनाएं आहत हुईं।
- संदर्भ एवं विस्तार: अफवाह थी कि इन कारतूसों को खोलने के लिए दांतों का इस्तेमाल करना पड़ता था, और यह ब्रिटिशों द्वारा धर्म परिवर्तन की चाल का हिस्सा था। मंगल पांडे द्वारा बैरकपुर छावनी में इसका विरोध विद्रोह की चिंगारी बना।
- गलत विकल्प: यद्यपि डलहौजी की नीति, भारतीयों को ईसाई बनाने के प्रयास और भारतीयों का अपमान विद्रोह के गहरे कारण थे, लेकिन चर्बी वाले कारतूस वह तात्कालिक कारण थे जिसने विद्रोह को भड़काया।
प्रश्न 10: ‘सती प्रथा’ को प्रतिबंधित करने वाला ब्रिटिश गवर्नर-जनरल कौन था?
- लॉर्ड डलहौजी
- लॉर्ड कैनिंग
- लॉर्ड विलियम बेंटिंक
- लॉर्ड हेस्टिंग्स
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: लॉर्ड विलियम बेंटिंक ने 1829 में राजा राम मोहन राय के प्रयासों से ‘सती प्रथा’ को कानूनन प्रतिबंधित कर दिया था।
- संदर्भ एवं विस्तार: विनियमन XVII (Regulation XVII) के तहत, सती प्रथा को गैर-कानूनी घोषित किया गया था। यह भारतीय समाज सुधार के इतिहास में एक महत्वपूर्ण कदम था, जिसने विधवाओं को एक भयावह प्रथा से मुक्ति दिलाई।
- गलत विकल्प: लॉर्ड डलहौजी को व्यपगत के सिद्धांत, लॉर्ड कैनिंग को 1857 के विद्रोह के समय गवर्नर-जनरल और हेस्टिंग्स को ब्रिटिश क्षेत्र के विस्तार के लिए जाना जाता है।
प्रश्न 11: किस बौद्ध संगीति में बौद्ध धर्म दो प्रमुख भागों, हीनयान और महायान में विभाजित हो गया?
- प्रथम बौद्ध संगीति
- द्वितीय बौद्ध संगीति
- तृतीय बौद्ध संगीति
- चतुर्थ बौद्ध संगीति
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: चतुर्थ बौद्ध संगीति, जो कनिष्क के संरक्षण में कश्मीर के कुंडलवन में हुई थी, में बौद्ध धर्म को स्पष्ट रूप से हीनयान और महायान संप्रदायों में विभाजित माना जाता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: इस संगीति में वसुमित्र और अश्वघोष जैसे विद्वानों ने भाग लिया था। यहाँ बौद्ध धर्म के सिद्धांतों की नई व्याख्याएं की गईं, जो महायान विचारधारा के विकास का मार्ग प्रशस्त कर रही थीं।
- गलत विकल्प: प्रथम संगीति राजगृह में, द्वितीय संगीति वैशाली में, और तृतीय संगीति पाटलिपुत्र में हुई थी। इनमें विभाजन स्पष्ट नहीं था।
प्रश्न 12: ‘कौटिल्य’ का ‘अर्थशास्त्र’ किस विषय पर आधारित ग्रंथ है?
- युद्ध की कला
- राजनीतिक अर्थशास्त्र एवं शासन कला
- धर्म और दर्शन
- चिकित्सा शास्त्र
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: कौटिल्य (चाणक्य) द्वारा लिखित ‘अर्थशास्त्र’ एक प्राचीन भारतीय ग्रंथ है जो मुख्य रूप से राजनीतिक अर्थशास्त्र, शासन कला, कूटनीति, सैन्य रणनीति और लोक प्रशासन जैसे विषयों पर विस्तृत जानकारी प्रदान करता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह मौर्य साम्राज्य के शासनकाल की जानकारी का एक अमूल्य स्रोत है। इसमें राज्य के सात अंग, कर प्रणाली, न्याय व्यवस्था, विदेश नीति और गुप्तचर व्यवस्था जैसे कई महत्वपूर्ण पहलुओं का वर्णन है।
- गलत विकल्प: हालांकि इसमें युद्ध और कूटनीति का भी उल्लेख है, पर इसका मुख्य फोकस व्यापक राजनीतिक और आर्थिक व्यवस्था है।
प्रश्न 13: ‘इक्तादारी प्रथा’ का प्रारंभ किस सुल्तान ने किया था?
- कुतुबुद्दीन ऐबक
- इल्तुतमिश
- बलबन
- अलाउद्दीन खिलजी
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: दिल्ली सल्तनत के वास्तविक संस्थापक माने जाने वाले इल्तुतमिश ने ‘इक्तादारी प्रथा’ का प्रारंभ किया था।
- संदर्भ एवं विस्तार: इस प्रथा के तहत, राज्य की भूमि को छोटे-छोटे हिस्सों में विभाजित करके ‘इक्ता’ कहा जाता था, और उन्हें अधिकारियों को उनके वेतन के बदले या सेवा के बदले प्रदान किया जाता था। ये इक्तादार भू-राजस्व वसूलते थे और सैनिक सहायता प्रदान करते थे।
- गलत विकल्प: कुतुबुद्दीन ऐबक ने सल्तनत की नींव रखी, बलबन ने राजत्व के सिद्धांत पर जोर दिया, और अलाउद्दीन खिलजी ने बाज़ार नियंत्रण और स्थायी सेना पर ध्यान केंद्रित किया।
प्रश्न 14: ‘तैमूरी शासक बाबर’ का भारत पर आक्रमण का तात्कालिक कारण क्या था?
- दिल्ली सल्तनत को कमजोर करना
- मध्य एशिया से निष्कासन
- राजपूतों को पराजित करना
- धन की प्राप्ति
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: बाबर, जो तैमूर का वंशज था, को फरगना (मध्य एशिया) से निष्कासित कर दिया गया था। भारत पर आक्रमण करने का एक प्रमुख कारण मध्य एशिया में अपनी सत्ता पुनः स्थापित करने में असफल रहने के बाद एक नया साम्राज्य स्थापित करने की इच्छा थी।
- संदर्भ एवं विस्तार: बाबर ने पानीपत के प्रथम युद्ध (1526) में इब्राहिम लोदी को हराकर भारत में मुगल साम्राज्य की नींव रखी। हालांकि, उसका भारत आगमन एक राजनीतिक और सैन्य आवश्यकता का परिणाम था, न कि केवल धन प्राप्ति या किसी विशिष्ट भारतीय शासक को चुनौती देना।
- गलत विकल्प: यद्यपि धन की प्राप्ति और दिल्ली सल्तनत को कमजोर करना उसके आक्रमण के परिणाम थे, लेकिन मध्य एशिया से निष्कासन और वहां अपनी स्थिति को सुरक्षित न कर पाने की विफलता मुख्य प्रेरक कारण थी।
प्रश्न 15: ‘आगरा’ शहर की स्थापना किसने की थी?
- सिकंदर लोदी
- इब्राहिम लोदी
- फिरोजशाह तुगलक
- मुहम्मद गोरी
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: लोदी वंश के सुल्तान सिकंदर लोदी ने 1504 ईस्वी में आगरा शहर की स्थापना की थी और उसे अपनी राजधानी भी बनाया था।
- संदर्भ एवं विस्तार: सिकंदर लोदी एक महत्वपूर्ण शासक था जिसने अपने साम्राज्य को मजबूत किया और प्रशासन में सुधार किए। उसने भूमि की पैमाइश के लिए ‘गज़-ए-सिकंदरी’ नामक पैमाना भी चलाया।
- गलत विकल्प: इब्राहिम लोदी सिकंदर लोदी का पुत्र था, फिरोजशाह तुगलक तुगलक वंश का शासक था, और मुहम्मद गोरी ने 12वीं शताब्दी में भारत पर आक्रमण किए थे।
प्रश्न 16: ‘मनसबदारी प्रथा’ किसने शुरू की थी?
- अकबर
- जहांगीर
- शाहजहां
- औरंगजेब
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: मुगल सम्राट अकबर ने 1577 में ‘मनसबदारी प्रथा’ की शुरुआत की थी।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह एक प्रशासनिक और सैन्य प्रणाली थी जिसमें अधिकारियों (मनसबदारों) को उनकी पदवी के अनुसार निश्चित संख्या में सैनिक रखने पड़ते थे। मनसब का निर्धारण ‘जात’ (व्यक्तिगत दर्ज़ा) और ‘सवार’ (घुड़सवार सैनिकों की संख्या) के आधार पर होता था। यह साम्राज्य की सैन्य शक्ति और प्रशासन को संगठित करने का एक कुशल तरीका था।
- गलत विकल्प: जहांगीर, शाहजहां और औरंगजेब ने इस प्रथा को जारी रखा और इसमें कुछ संशोधन किए, लेकिन इसकी शुरुआत अकबर ने की थी।
प्रश्न 17: ‘दीन-ए-इलाही’ की शुरुआत किस मुगल सम्राट ने की थी?
- अकबर
- जहांगीर
- शाहजहां
- औरंगजेब
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: मुगल सम्राट अकबर ने 1582 ईस्वी में ‘दीन-ए-इलाही’ नामक एक नवीन धर्म या पंथ की शुरुआत की थी।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह विभिन्न धर्मों के सार को मिलाकर बनाया गया एक सार्वभौमिक धर्म था, जिसका उद्देश्य धार्मिक सहिष्णुता और भाईचारा बढ़ाना था। हालांकि, यह व्यापक रूप से लोकप्रिय नहीं हुआ और इसे केवल अकबर के कुछ करीबी दरबारी ही अपना पाए। बीरबल इसका एकमात्र प्रमुख अनुयायी था।
- गलत विकल्प: अन्य मुगल सम्राटों ने अपनी-अपनी धार्मिक नीतियां अपनाईं, लेकिन ‘दीन-ए-इलाही’ अकबर की एक अनूठी पहल थी।
प्रश्न 18: ‘पानीपत का द्वितीय युद्ध’ (1556) किनके बीच हुआ था?
- बाबर और इब्राहिम लोदी
- अकबर और हेमू
- अकबर और महाराणा प्रताप
- मुहम्मद गोरी और पृथ्वीराज चौहान
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: पानीपत का द्वितीय युद्ध 5 नवंबर 1556 को मुगल सम्राट अकबर और हेमू (हेमचंद्र विक्रमादित्य), जो एक हिंदू शासक थे, के बीच लड़ा गया था।
- संदर्भ एवं विस्तार: इस युद्ध में अकबर की विजय हुई और इसने भारत में मुगल शासन को मजबूत किया। हेमू को इस युद्ध में बंदी बनाकर मार दिया गया था। यह युद्ध इसलिए भी महत्वपूर्ण था क्योंकि अकबर उस समय केवल 13 वर्ष का था और बैरम खान उसका संरक्षक था।
- गलत विकल्प: पहला युद्ध (1526) बाबर और इब्राहिम लोदी के बीच, तीसरा युद्ध (1761) मराठों और अहमद शाह अब्दाली के बीच, और तराइन का द्वितीय युद्ध (1192) मुहम्मद गोरी और पृथ्वीराज चौहान के बीच हुआ था।
प्रश्न 19: ‘ईस्ट इंडिया एसोसिएशन’ की स्थापना किसने की थी?
- दादाभाई नौरोजी
- सुरेन्द्रनाथ बनर्जी
- गोपाल कृष्ण गोखले
- बाल गंगाधर तिलक
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: दादाभाई नौरोजी, जिन्हें ‘भारत का वयोवृद्ध नेता’ (Grand Old Man of India) भी कहा जाता है, ने 1866 में लंदन में ‘ईस्ट इंडिया एसोसिएशन’ की स्थापना की थी।
- संदर्भ एवं विस्तार: इस संस्था का मुख्य उद्देश्य भारत की समस्याओं और मांगों को ब्रिटिश जनता और सरकार के समक्ष रखना था। इसका गठन ब्रिटिश लोगों में भारतीय मामलों के बारे में जागरूकता फैलाने और ब्रिटिश संसद में भारत के पक्ष को मजबूत करने के लिए किया गया था।
- गलत विकल्प: सुरेन्द्रनाथ बनर्जी ने इंडियन नेशनल एसोसिएशन की, गोखले ने सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी की, और तिलक ने डेक्कन एजुकेशन सोसाइटी की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
प्रश्न 20: ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ (Quit India Movement) किस वर्ष प्रारंभ हुआ था?
- 1930
- 1935
- 1942
- 1947
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: महात्मा गांधी के नेतृत्व में ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ 8 अगस्त 1942 को मुंबई में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में प्रारंभ किया गया था।
- संदर्भ एवं विस्तार: इस आंदोलन का नारा ‘करो या मरो’ था। इसका उद्देश्य भारत से ब्रिटिश शासन को समाप्त करना था। आंदोलन की शुरुआत के तुरंत बाद, गांधीजी और अन्य प्रमुख कांग्रेसी नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन यह आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक निर्णायक मोड़ साबित हुआ।
- गलत विकल्प: 1930 सविनय अवज्ञा आंदोलन का वर्ष था, 1935 भारत सरकार अधिनियम का वर्ष था, और 1947 भारत की स्वतंत्रता का वर्ष था।
प्रश्न 21: ‘रेगुलेटिंग एक्ट’ (Regulating Act) कब पारित किया गया था?
- 1765
- 1773
- 1784
- 1793
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: ब्रिटिश संसद द्वारा ‘रेगुलेटिंग एक्ट’ 1773 में पारित किया गया था।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह भारत में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन को विनियमित करने की दिशा में उठाया गया पहला कदम था। इस अधिनियम के द्वारा बंगाल के गवर्नर को बंगाल का गवर्नर-जनरल बनाया गया और मद्रास एवं बंबई प्रेसीडेंसी को उसके अधीन कर दिया गया। कलकत्ता में एक सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना भी की गई।
- गलत विकल्प: 1765 में रॉबर्ट क्लाइव को बंगाल में द्वैध शासन स्थापित करने का अधिकार मिला। 1784 में पिट्स इंडिया एक्ट आया, और 1793 में चार्टर एक्ट।
प्रश्न 22: ‘खुदाई खिदमतगार’ संगठन की स्थापना किसने की थी?
- महात्मा गांधी
- जवाहरलाल नेहरू
- खान अब्दुल गफ्फार खान
- सरदार वल्लभभाई पटेल
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: ‘खुदाई खिदमतगार’ (ईश्वर के सेवक) नामक एक अहिंसक आंदोलनकारी संगठन की स्थापना सीमांत गांधी के नाम से प्रसिद्ध खान अब्दुल गफ्फार खान ने 1929 में उत्तर-पश्चिम सीमा प्रांत (अब पाकिस्तान का हिस्सा) में की थी।
- संदर्भ एवं विस्तार: इस संगठन ने शांतिपूर्ण सत्याग्रह के माध्यम से ब्रिटिश शासन का विरोध किया। इसके सदस्य लाल रंग की पोशाक पहनते थे, इसलिए उन्हें ‘लाल कुर्ती’ के नाम से भी जाना जाता था।
- गलत विकल्प: अन्य भारतीय नेता स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख व्यक्ति थे, लेकिन ‘खुदाई खिदमतगार’ से खान अब्दुल गफ्फार खान जुड़े थे।
प्रश्न 23: ‘फ्रांसीसी क्रांति’ (French Revolution) का नारा क्या था?
- स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व
- शांति, समृद्धि, सुरक्षा
- लोकतंत्र, गणराज्य, धर्मनिरपेक्षता
- राष्ट्रीयता, एकता, प्रगति
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: फ्रांसीसी क्रांति (1789) का प्रमुख नारा ‘स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व’ (Liberté, égalité, fraternité) था।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह नारा क्रांति के मूल आदर्शों का प्रतीक है, जिसने न केवल फ्रांस बल्कि पूरे यूरोप और दुनिया भर में उदारवादी और लोकतांत्रिक विचारों को प्रेरित किया। इसने पुरानी सामंती व्यवस्था को चुनौती दी और गणतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा दिया।
- गलत विकल्प: ये अन्य नारे राजनीतिक या सामाजिक आंदोलनों से जुड़े हो सकते हैं, लेकिन फ्रांसीसी क्रांति का मुख्य नारा ‘स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व’ ही था।
प्रश्न 24: ‘रूस की क्रांति’ (Russian Revolution) किस वर्ष हुई थी?
- 1905
- 1914
- 1917
- 1922
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: रूस की क्रांति, जिसमें जारशाही का अंत हुआ और बोल्शेविकों के नेतृत्व में सोवियत संघ की स्थापना हुई, मुख्य रूप से 1917 में हुई थी।
- संदर्भ एवं विस्तार: 1917 में दो प्रमुख क्रांतियाँ हुईं: फरवरी क्रांति, जिसने ज़ार निकोलस द्वितीय को सत्ता छोड़ने पर मजबूर किया, और अक्टूबर क्रांति, जिसमें व्लादिमीर लेनिन के नेतृत्व वाली बोल्शेविक पार्टी ने सत्ता पर कब्जा कर लिया।
- गलत विकल्प: 1905 में रूस में एक क्रांति हुई थी लेकिन वह सफल नहीं हुई थी। 1914 प्रथम विश्व युद्ध का प्रारंभ वर्ष था, और 1922 सोवियत संघ की स्थापना का वर्ष था।
प्रश्न 25: ‘प्रथम विश्व युद्ध’ (World War I) का मुख्य कारण क्या था?
- साम्राज्यवाद
- सैन्यवाद
- राष्ट्रवाद
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) का कोई एक अकेला कारण नहीं था, बल्कि यह कई जटिल कारकों का परिणाम था, जिनमें साम्राज्यवाद, सैन्यवाद और उग्र राष्ट्रवाद प्रमुख थे।
- संदर्भ एवं विस्तार: साम्राज्यवाद के कारण यूरोपीय शक्तियों के बीच उपनिवेशों और संसाधनों के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ी। सैन्यवाद ने हथियारों की दौड़ और सैन्य गठबंधनों को बढ़ावा दिया। उग्र राष्ट्रवाद ने विभिन्न देशों में श्रेष्ठता की भावना और शत्रुता को जन्म दिया। आर्कड्यूक फर्डिनेंड की हत्या ने इन तनावों को एक निर्णायक मोड़ दिया।
- गलत विकल्प: यद्यपि ये सभी कारक महत्वपूर्ण थे, लेकिन इनमें से किसी एक को अलग करना अपूर्ण होगा क्योंकि यह एक बहुआयामी संघर्ष था।