इतिहास का महासंग्राम: आज की अंतिम परीक्षा
समय की धारा में गोता लगाने और अपने ज्ञान की गहराई को परखने के लिए तैयार हो जाइए! आज का यह 25 प्रश्नों का मॉक टेस्ट प्राचीन भारत से लेकर आधुनिक विश्व तक के इतिहास के सफर पर आपको ले जाएगा। हर प्रश्न आपकी तैयारी का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है, तो आइए, इतिहास के इस महासंग्राम में अपनी पूरी क्षमता से भाग लें और अपनी जीत सुनिश्चित करें!
इतिहास अभ्यास प्रश्नोत्तरी
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों को हल करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: निम्नलिखित में से किस हड़प्पा स्थल से पक्की ईंटों का प्रयोग, जल निकासी प्रणाली और विशाल स्नानागार के प्रमाण मिले हैं?
- लोथल
- हड़प्पा
- मोहनजोदड़ो
- कालीबंगा
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: मोहनजोदड़ो (सिंधी में ‘मृतकों का टीला’) सिंधु घाटी सभ्यता का एक प्रमुख स्थल है, जहाँ से उत्कृष्ट नगर नियोजन के प्रमाण मिलते हैं। यहाँ पक्की ईंटों का व्यवस्थित उपयोग, एक उन्नत जल निकासी प्रणाली (जिसमें मुख्य सीवर लाइनें और घरों में शौचालय शामिल थे), और एक विशाल सार्वजनिक स्नानागार (Great Bath) पाया गया है।
- संदर्भ और विस्तार: मोहनजोदड़ो का स्नानागार 12 मीटर लंबा, 7 मीटर चौड़ा और 2.4 मीटर गहरा था, जो धार्मिक अनुष्ठानों के लिए इस्तेमाल किया जाता था। इसकी वास्तुकला और इंजीनियरिंग क्षमता हड़प्पावासियों की उन्नत सभ्यता को दर्शाती है।
- अincorrect विकल्प: लोथल एक बंदरगाह शहर था, हड़प्पा पहला खोजा गया स्थल था, और कालीबंगा से जूते हुए खेत के प्रमाण मिले हैं, लेकिन मोहनजोदड़ो विशेष रूप से अपनी उन्नत जल निकासी और स्नानागार के लिए जाना जाता है।
प्रश्न 2: ऋग्वेद में ‘अधन्य’ शब्द का प्रयोग किस पशु के लिए किया गया है?
- घोड़ा
- गाय
- बैल
- ऊँट
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: ऋग्वेदिक काल में गाय को अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण माना जाता था। ‘अधन्य’ का शाब्दिक अर्थ है ‘जिसे मारा न जा सके’। गाय को संपत्ति का प्रतीक माना जाता था और युद्ध भी अक्सर गायों के लिए लड़े जाते थे (गविष्टी)।
- संदर्भ और विस्तार: गाय का महत्व इतना अधिक था कि उसका वध करना गंभीर अपराध माना जाता था। ऋग्वेद में गायों को ‘अधन्या’ कहकर संबोधित किया गया है, जो उसकी पवित्रता और अभेद्य स्थिति को दर्शाता है।
- अincorrect विकल्प: घोड़ा युद्ध और परिवहन के लिए महत्वपूर्ण था, बैल कृषि के लिए, और ऊँट रेगिस्तानी क्षेत्रों में उपयोग होता था, लेकिन ‘अधन्य’ विशेष रूप से गाय के लिए प्रयुक्त होता था।
प्रश्न 3: अशोक द्वारा नियुक्त ‘धम्म महामात्रों’ का मुख्य कार्य क्या था?
- सैन्य अभियानों का नेतृत्व करना
- न्यायिक मामलों का निर्णय लेना
- धम्म के सिद्धांतों का प्रचार और प्रसार करना
- राजस्व एकत्र करना
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: अशोक ने अपने शासनकाल के 13वें वर्ष में ‘धम्म महामात्रों’ की नियुक्ति की थी। इनका मुख्य कार्य अशोक के धम्म (नैतिक आचरण, सार्वभौमिक भाईचारा) के सिद्धांतों का प्रचार-प्रसार करना, लोगों के कल्याण का ध्यान रखना और विभिन्न धार्मिक समुदायों के बीच सद्भाव बनाए रखना था।
- संदर्भ और विस्तार: ये अधिकारी राज्य के विभिन्न हिस्सों में यात्रा करते थे और जनता को अशोक के धम्म की शिक्षाएं देते थे, जिससे समाज में नैतिकता और शांति स्थापित हो सके। अशोक ने अपने शिलालेखों में भी इनके कर्तव्यों का उल्लेख किया है।
- अincorrect विकल्प: सैन्य अभियान, न्यायिक निर्णय और राजस्व संग्रह जैसे कार्य अन्य अधिकारियों के अधीन थे। धम्म महामात्रों का उद्देश्य विशुद्ध रूप से नैतिक और सामाजिक सुधार था।
प्रश्न 4: सातवाहन वंश के प्रमुख सिक्के कौन से थे, जिन पर जहाज का चित्र अंकित होता था?
- दीनार
- पण
- कार्षापण
- ‘माटीपुत्र’ सिक्के
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: सातवाहन शासकों ने चांदी, तांबा और सीसे के सिक्के जारी किए। इनमें से सीसे के सिक्कों पर जहाज का चित्र अंकित होता था, जो इस बात का प्रतीक था कि सातवाहन राज्य पश्चिमी तट पर एक प्रमुख समुद्री व्यापारिक शक्ति था। ‘कार्षापण’ एक प्रकार की मुद्रा थी।
- संदर्भ और विस्तार: सातवाहन वंश का शासनकाल दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व से तीसरी शताब्दी ईस्वी तक था। उन्होंने भारत के पश्चिमी और दक्षिणी हिस्सों में शासन किया। उनके सिक्कों पर उनके नामों के साथ-साथ जहाज, हाथी, बैल और विभिन्न देवताओं के चित्र भी मिलते हैं।
- अincorrect विकल्प: दीनार गुप्त काल की स्वर्ण मुद्रा थी। पण और कार्षापण दोनों प्राचीन भारत में प्रचलित मुद्राएं थीं, लेकिन सातवाहन जहाज-प्रतीक वाले सिक्के विशेष रूप से उनके व्यापारिक प्रभुत्व को दर्शाते थे। ‘माटीपुत्र’ नाम के सिक्के सातवाहनों से जुड़े नहीं हैं।
प्रश्न 5: दिल्ली सल्तनत का कौन सा सुल्तान ‘दीवाने-ए-आरिज’ (सैन्य विभाग) की स्थापना के लिए जाना जाता है?
- इल्तुतमिश
- बलबन
- अलाउद्दीन खिलजी
- मोहम्मद बिन तुगलक
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: गयासुद्दीन बलबन (1266-1287 ईस्वी) ने दिल्ली सल्तनत में सैन्य संगठन को सुदृढ़ करने के लिए ‘दीवाने-ए-आरिज’ नामक एक स्वतंत्र सैन्य विभाग की स्थापना की। यह विभाग सेना की भर्ती, प्रशिक्षण, वेतन और रसद की देखरेख करता था।
- संदर्भ और विस्तार: बलबन एक योग्य प्रशासक था और उसने सल्तनत की आंतरिक स्थिरता के लिए कई महत्वपूर्ण सुधार किए। उसने मंगोल आक्रमणों से बचाव के लिए एक मजबूत सेना तैयार करने पर जोर दिया।
- अincorrect विकल्प: इल्तुतमिश ने ‘चालीसा’ (40 तुर्की सरदारों का समूह) का गठन किया। अलाउद्दीन खिलजी ने बाजार नियंत्रण और स्थायी सेना की शुरुआत की। मोहम्मद बिन तुगलक अपने महत्वाकांक्षी लेकिन असफल प्रयोगों के लिए जाना जाता है।
प्रश्न 6: विजयनगर साम्राज्य का सबसे प्रसिद्ध शासक कौन था, जिसे ‘आंध्र भोज’ के नाम से भी जाना जाता है?
- कृष्णदेव राय
- देवराय प्रथम
- देवराय द्वितीय
- बुक्का प्रथम
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: कृष्णदेव राय (1509-1529 ईस्वी) विजयनगर साम्राज्य के सबसे प्रतापी शासकों में से एक थे। वे एक कुशल योद्धा, विद्वान और कलाओं के संरक्षक थे। उन्हें ‘आंध्र भोज’ या ‘कर्नाटक सिंहासन स्थापिकाचार्य’ जैसी उपाधियों से सम्मानित किया गया था।
- संदर्भ और विस्तार: उनके शासनकाल में विजयनगर साम्राज्य अपनी शक्ति और समृद्धि के चरम पर था। उन्होंने कई महत्वपूर्ण निर्माण करवाए, जैसे विट्ठल मंदिर और कृष्ण देवराय की हज़ारी राम मंदिर। उन्होंने तेलुगु साहित्य को भी बहुत बढ़ावा दिया और स्वयं एक विद्वान थे।
- अincorrect विकल्प: देवराय प्रथम और देवराय द्वितीय भी महत्वपूर्ण शासक थे, लेकिन कृष्णदेव राय का शासनकाल विजयनगर के स्वर्ण युग के रूप में जाना जाता है। बुक्का प्रथम ने हरिहर प्रथम के साथ मिलकर विजयनगर की नींव रखी थी।
प्रश्न 7: ‘जजिया’ कर किस मुगल सम्राट ने पुनः लागू किया था, जिसे पहले समाप्त कर दिया गया था?
- अकबर
- जहाँगीर
- शाहजहाँ
- औरंगजेब
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: मुगल सम्राट औरंगजेब (1658-1707 ईस्वी) ने 1679 ईस्वी में जजिया कर को फिर से लागू कर दिया था। अकबर ने 1564 ईस्वी में इस कर को गैर-मुसलमानों से समाप्त कर दिया था, लेकिन औरंगजेब ने इसे धार्मिक आधार पर फिर से लगा दिया।
- संदर्भ और विस्तार: जजिया एक प्रकार का धार्मिक कर था जो इस्लामी राज्यों में गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों (ज़िम्मी) पर लगाया जाता था। औरंगजेब के इस कदम ने गैर-मुस्लिम आबादी के बीच असंतोष पैदा किया।
- अincorrect विकल्प: अकबर ने धार्मिक सहिष्णुता की नीति अपनाई और जजिया समाप्त किया। जहाँगीर और शाहजहाँ ने भी अकबर की नीतियों को काफी हद तक जारी रखा, लेकिन औरंगजेब ने इसे पुनः लागू करके एक विवादास्पद निर्णय लिया।
प्रश्न 8: 1857 के विद्रोह को ‘प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम’ की संज्ञा किसने दी?
- सर सैयद अहमद खान
- विनायक दामोदर सावरकर
- जवाहरलाल नेहरू
- ईश्वर चंद्र विद्यासागर
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: विनायक दामोदर सावरकर (वी.डी. सावरकर) ने अपनी पुस्तक “The Indian War of Independence, 1857” में 1857 के विद्रोह को सुनियोजित, राष्ट्रीय और स्वतंत्रता संग्राम का प्रथम युद्ध कहा था।
- संदर्भ और विस्तार: सावरकर ने इस विद्रोह को भारतीय राष्ट्रवाद के उदय के रूप में प्रस्तुत किया और इसे ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक संगठित सशस्त्र संघर्ष के तौर पर चित्रित किया।
- अincorrect विकल्प: सर सैयद अहमद खान ने विद्रोह की समीक्षा की और इसे ‘गदर’ माना, न कि स्वतंत्रता संग्राम। जवाहरलाल नेहरू ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, लेकिन इस संज्ञा का श्रेय सावरकर को जाता है। ईश्वर चंद्र विद्यासागर एक समाज सुधारक थे।
प्रश्न 9: ‘सन्यवाद’ (Anarchism) का सिद्धांत किसने विकसित किया?
- कार्ल मार्क्स
- मिखाइल बाकुनिन
- फ्रेडरिक एंगेल्स
- रोजा लक्ज़मबर्ग
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: मिखाइल बाकुनिन (Mikhail Bakunin) 19वीं सदी के एक प्रभावशाली रूसी क्रांतिकारी और अराजकतावादी विचारक थे। उन्होंने राज्यविहीन समाज की वकालत करते हुए समाजवाद के मार्क्सवादी दृष्टिकोण से भिन्न ‘अराजकतावाद’ के सिद्धांत को प्रमुखता से विकसित किया।
- संदर्भ और विस्तार: बाकुनिन ने सत्ता, अधिकार और राज्य के पूर्ण उन्मूलन की वकालत की, और एक ऐसे समाज की कल्पना की जहाँ व्यक्ति स्वतंत्र रूप से सहयोग करते हुए जी सकें। उन्होंने मार्क्स के सत्तावादी समाजवाद का घोर विरोध किया।
- अincorrect विकल्प: कार्ल मार्क्स और फ्रेडरिक एंगेल्स साम्यवाद के प्रमुख विचारक थे, जबकि रोजा लक्ज़मबर्ग भी एक प्रसिद्ध समाजवादी थीं। ये सभी राज्य के उन्मूलन को अलग-अलग तरीके से देखते थे, लेकिन बाकुनिन को अराजकतावाद का प्रमुख प्रवर्तक माना जाता है।
प्रश्न 10: किस वायसराय के कार्यकाल में भारत में पहली बार तीन चरणों में जनगणना सम्पन्न हुई?
- लॉर्ड लिटन
- लॉर्ड रिपन
- लॉर्ड कर्जन
- लॉर्ड डफरिन
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: लॉर्ड रिपन (1880-1884 ईस्वी) के कार्यकाल में भारत में पहली व्यवस्थित और वैज्ञानिक जनगणना 1881 ईस्वी में सम्पन्न हुई। यह भारत में नियमित दशकीय जनगणना की शुरुआत थी।
- संदर्भ और विस्तार: लॉर्ड रिपन को ‘भारत में स्थानीय स्वशासन का जनक’ भी कहा जाता है। उन्होंने जनगणना को एक प्रशासनिक और विकास योजना का महत्वपूर्ण अंग माना और इसके सुचारू संचालन के लिए विस्तृत निर्देश जारी किए।
- अincorrect विकल्प: लॉर्ड लिटन (1876-1880) के समय में वर्नाक्युलर प्रेस एक्ट लागू हुआ। लॉर्ड कर्जन (1899-1905) ने बंगाल का विभाजन किया। लॉर्ड डफरिन (1884-1888) के समय भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना हुई।
प्रश्न 11: ‘तारीख-ए-फिरोजशाही’ के लेखक जियाउद्दीन बरनी ने किस सुल्तान के शासनकाल का विस्तृत वर्णन किया है?
- इल्तुतमिश
- बलबन
- अलाउद्दीन खिलजी
- फिरोजशाह तुगलक
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: जियाउद्दीन बरनी, जो दिल्ली सल्तनत के एक प्रमुख इतिहासकार थे, ने अपनी पुस्तक ‘तारीख-ए-फिरोजशाही’ में मुख्य रूप से फिरोजशाह तुगलक (1351-1388 ईस्वी) के शासनकाल का विस्तृत वर्णन किया है। उन्होंने बलबन और अलाउद्दीन खिलजी के शासनकाल का भी उल्लेख किया है, लेकिन फिरोजशाह तुगलक पर अधिक ध्यान केंद्रित किया है।
- संदर्भ और विस्तार: बरनी की रचनाएँ दिल्ली सल्तनत की राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक स्थितियों को समझने के लिए अमूल्य स्रोत हैं। ‘तारीख-ए-फिरोजशाही’ फिरोजशाह तुगलक की नीतियों, सुधारों और शासन-प्रणाली पर प्रकाश डालती है।
- अincorrect विकल्प: जबकि बरनी ने बलबन और अलाउद्दीन खिलजी के बारे में भी लिखा था (जैसे ‘फतुहात-ए-फिरोजशाही’ में), ‘तारीख-ए-फिरोजशाही’ का मुख्य विषय फिरोजशाह तुगलक का शासनकाल है। इल्तुतमिश का काल बरनी के लेखन से काफी पहले का है।
प्रश्न 12: किस चोल शासक को ‘गंगैकोंडचोलपुरम’ की उपाधि प्राप्त थी और जिसने अपना साम्राज्य बंगाल तक बढ़ाया?
- राजराज प्रथम
- राजेंद्र प्रथम
- कुलतुंग प्रथम
- विजयालय
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: राजेंद्र चोल प्रथम (1014-1044 ईस्वी) चोल वंश के सबसे महान शासकों में से एक थे। उन्होंने एक शक्तिशाली नौसेना का निर्माण किया और उत्तर में गंगा नदी तक सैन्य अभियान चलाया। इस विजय के उपलक्ष्य में उन्होंने ‘गंगैकोंडचोलपुरम’ (गंगा के विजेता) नामक शहर की स्थापना की और यह उपाधि धारण की।
- संदर्भ और विस्तार: राजेंद्र चोल प्रथम का साम्राज्य दक्षिण भारत से परे, श्रीलंका, मालदीव, और गंगा के मैदानों तक फैला हुआ था। उन्होंने अपनी विजयों से चोल साम्राज्य को एक प्रमुख शक्ति बनाया।
- अincorrect विकल्प: राजराज प्रथम ने तंजौर के प्रसिद्ध बृहदीश्वर मंदिर का निर्माण करवाया था। कुलतुंग प्रथम ने उत्तरी सीमाओं पर विजय अभियान चलाए थे। विजयालय चोल वंश का संस्थापक था।
प्रश्न 13: ‘सृष्टि’ (Creation) के विषय पर उपनिषदों में सर्वप्रथम विस्तृत विवेचन किस उपनिषद में मिलता है?
- छांदोग्य उपनिषद
- बृहदारण्यक उपनिषद
- ईश उपनिषद
- कठोपनिषद
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: बृहदारण्यक उपनिषद (Brihadaranyaka Upanishad) भारतीय दर्शन के सबसे प्राचीन और महत्वपूर्ण उपनिषदों में से एक है। इसमें सृष्टि की उत्पत्ति, आत्मा, ब्रह्म और मोक्ष जैसे दार्शनिक विषयों पर गहन विवेचन मिलता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह उपनिषद ज्ञानमीमांसा (epistemology) और तत्वमीमांसा (metaphysics) के महत्वपूर्ण सिद्धांतों की व्याख्या करता है। इसमें याज्ञवल्क्य और मैत्रेयी जैसे दार्शनिकों के संवाद शामिल हैं, जो सृष्टि की प्रकृति पर चर्चा करते हैं।
- अincorrect विकल्प: छांदोग्य उपनिषद भी एक महत्वपूर्ण उपनिषद है जिसमें ‘तत्त्वमसि’ जैसे उपदेश मिलते हैं, लेकिन सृष्टि के विस्तृत विवेचन के लिए बृहदारण्यक उपनिषद अधिक प्रसिद्ध है। ईश और कठोपनिषद अन्य महत्वपूर्ण उपनिषद हैं लेकिन सृष्टि पर इनका केंद्रीय विवेचन नहीं है।
प्रश्न 14: ‘द डिक्लाइन ऑफ द ईस्ट’ (The Decline of the East) नामक पुस्तक के लेखक कौन हैं?
- ऑसवाल्ड स्पेंगलर
- अर्नोल्ड टोयनबी
- जॉर्ज ड्यूपॉन्ट
- एच.जी. वेल्स
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: जर्मन दार्शनिक और गणितज्ञ ऑसवाल्ड स्पेंगलर (Oswald Spengler) ने 1918-1922 के बीच दो खंडों में ‘द डिक्लाइन ऑफ द वेस्ट’ (Der Untergang des Abendlandes) नामक अपनी मौलिक पुस्तक प्रकाशित की, जिसका अनुवाद ‘The Decline of the East’ के रूप में भी हुआ। यह पुस्तक सभ्यता के उत्थान और पतन के चक्रीय सिद्धांत पर आधारित है।
- संदर्भ और विस्तार: स्पेंगलर का मानना था कि प्रत्येक सभ्यता का एक निश्चित जीवन चक्र होता है, जिसमें जन्म, वृद्धि, परिपक्वता और अंततः पतन शामिल है। उन्होंने पश्चिमी सभ्यता के पतन की भविष्यवाणी की थी, जिसे यहूदी-ईसाई संस्कृति का अंत और भौतिकवाद की विजय के रूप में देखा।
- अincorrect विकल्प: अर्नोल्ड टोयनबी ने ‘A Study of History’ नामक विशाल कार्य किया, जिसमें सभ्यताओं के उत्थान-पतन का विश्लेषण किया। जॉर्ज ड्युपॉन्ट और एच.जी. वेल्स अन्य लेखक हैं, लेकिन ‘डिक्लाइन ऑफ द ईस्ट’ (या वेस्ट) स्पेंगलर की कृति है।
प्रश्न 15: असहयोग आंदोलन के दौरान ‘चौरी-चौरा’ की घटना कब हुई थी?
- 5 फरवरी, 1922
- 10 फरवरी, 1922
- 20 जनवरी, 1922
- 15 मार्च, 1922
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: चौरी-चौरा की हिंसक घटना 5 फरवरी, 1922 को गोरखपुर जिले (उत्तर प्रदेश) के चौरी-चौरा नामक स्थान पर हुई थी। भीड़ ने एक पुलिस स्टेशन में आग लगा दी थी, जिसमें 22 पुलिसकर्मी मारे गए थे।
- संदर्भ और विस्तार: इस हिंसक घटना के कारण महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन (1920-1922) को तुरंत स्थगित करने का निर्णय लिया, क्योंकि उनका आंदोलन अहिंसक सिद्धांतों पर आधारित था। इस फैसले ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के भीतर काफी मतभेद पैदा किए।
- अincorrect विकल्प: अन्य विकल्प गलत तिथियां हैं। 5 फरवरी, 1922 ही वह दिन था जब यह दुखद घटना हुई, जिसने असहयोग आंदोलन के निलंबन का मार्ग प्रशस्त किया।
प्रश्न 16: ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ के दौरान कांग्रेस के किस वरिष्ठ नेता को ‘भारत के मिस्टर इंडिया’ के रूप में जाना गया, क्योंकि वह गुप्त रूप से आंदोलन का नेतृत्व करते रहे?
- जवाहरलाल नेहरू
- सरदार वल्लभभाई पटेल
- जे.बी. कृपलानी
- आचार्य नरेंद्र देव
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: जे.बी. कृपलानी (जीवटराम भगवानदास कृपलानी) ने भारत छोड़ो आंदोलन (1942) के दौरान गुप्त रूप से कांग्रेस के एक महत्वपूर्ण नेता के रूप में कार्य किया, जबकि अधिकांश प्रमुख कांग्रेसी नेता जेल में थे। इस कारण उन्हें ‘भारत के मिस्टर इंडिया’ की उपाधि दी गई।
- संदर्भ और विस्तार: आंदोलन के शुरुआती दौर में महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, पटेल और अन्य नेताओं की गिरफ्तारी के बाद, कृपलानी जैसे नेता भूमिगत रहकर आंदोलन को सक्रिय रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे थे। उन्होंने कांग्रेस की गतिविधियों को जारी रखा और देशव्यापी प्रतिरोध को संगठित करने का प्रयास किया।
- अincorrect विकल्प: जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल और आचार्य नरेंद्र देव सभी महत्वपूर्ण कांग्रेसी नेता थे, लेकिन भूमिगत रहकर गुप्त नेतृत्व की भूमिका में जे.बी. कृपलानी का नाम प्रमुखता से लिया जाता है।
प्रश्न 17: तुगलक वंश का कौन सा शासक ‘जौनपुर’ नगर की स्थापना के लिए जाना जाता है?
- गयासुद्दीन तुगलक
- मोहम्मद बिन तुगलक
- फिरोजशाह तुगलक
- नासिरुद्दीन महमूद
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: फिरोजशाह तुगलक (1351-1388 ईस्वी) ने अपने चचेरे भाई और दिल्ली सल्तनत के महत्वाकांक्षी शासक मुहम्मद बिन तुगलक (जिनका मूल नाम जूना खां था) की स्मृति में जौनपुर नामक शहर की स्थापना की थी।
- संदर्भ और विस्तार: जौनपुर शहर को ‘पूर्व का सिराज’ के नाम से भी जाना जाता था और यह एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक व शैक्षिक केंद्र के रूप में विकसित हुआ, खासकर शरकी सल्तनत के अधीन। फिरोजशाह तुगलक ने कई अन्य शहरों की भी स्थापना की थी, जैसे फिरोजाबाद, फतेहाबाद, हिसार आदि।
- अincorrect विकल्प: गयासुद्दीन तुगलक तुगलक वंश का संस्थापक था। मुहम्मद बिन तुगलक अपने विवादास्पद प्रयोगों के लिए जाना जाता है। नासिरुद्दीन महमूद तुगलक वंश का अंतिम शासक था।
प्रश्न 18: ‘ईस्ट इंडिया एसोसिएशन’ की स्थापना कब और कहाँ हुई?
- 1866, लंदन
- 1857, मुंबई
- 1875, न्यूयॉर्क
- 1885, कलकत्ता
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: दादाभाई नौरोजी ने 1866 ईस्वी में लंदन में ‘ईस्ट इंडिया एसोसिएशन’ की स्थापना की थी। इसका मुख्य उद्देश्य ब्रिटिश जनता को भारतीय मामलों से अवगत कराना और भारतीयों के हितों की पैरवी करना था।
- संदर्भ और विस्तार: यह एसोसिएशन दादाभाई नौरोजी के ‘ड्रेन ऑफ वेल्थ’ (धन के निष्कासन) सिद्धांत को फैलाने और ब्रिटिश सरकार पर भारत के लिए बेहतर नीतियों को लागू करने का दबाव बनाने का एक मंच थी।
- अincorrect विकल्प: 1857 मुंबई में कोई प्रमुख संगठन नहीं था। 1875 में थियोसोफिकल सोसायटी की स्थापना हुई। 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना कलकत्ता में हुई।
प्रश्न 19: इब्न बतूता, जो मोरक्को का यात्री था, किसके शासनकाल में भारत आया था?
- गयासुद्दीन तुगलक
- मोहम्मद बिन तुगलक
- फिरोजशाह तुगलक
- सिकंदर लोदी
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: प्रसिद्ध यात्री इब्न बतूता 14वीं शताब्दी में (लगभग 1333 ईस्वी) मुहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल में भारत आया था। मुहम्मद बिन तुगलक ने उसे दिल्ली का काजी (न्यायाधीश) भी नियुक्त किया था।
- संदर्भ और विस्तार: इब्न बतूता ने अपनी यात्रा वृत्तांत ‘सफरनामा’ (या ‘किताब-उल-रेहला’) में तत्कालीन भारतीय समाज, संस्कृति, प्रशासन और मुहम्मद बिन तुगलक के शासन का विस्तृत विवरण दिया है। वह लगभग 8 साल भारत में रहा।
- अincorrect विकल्प: गयासुद्दीन तुगलक (1320-1325) इब्न बतूता के भारत आगमन से पहले ही मर चुका था। फिरोजशाह तुगलक (1351-1388) के समय इब्न बतूता भारत में नहीं था, बल्कि वह उसके शासनकाल के कुछ शुरुआती वर्षों में ही भारत छोड़ चुका था। सिकंदर लोदी लोदी वंश का शासक था।
प्रश्न 20: ‘सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी’ की स्थापना गोपाल कृष्ण गोखले ने कब और कहाँ की?
- 1905, पुणे
- 1906, मुंबई
- 1907, कलकत्ता
- 1908, मद्रास
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: गोपाल कृष्ण गोखले, जो महात्मा गांधी के राजनीतिक गुरु थे, ने 1905 ईस्वी में पुणे में ‘सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी’ (Servants of India Society) की स्थापना की थी।
- संदर्भ और विस्तार: इस संस्था का उद्देश्य भारत की सेवा के लिए भारतीयों को प्रशिक्षित करना और राष्ट्रीय शिक्षा, स्वच्छता, स्वास्थ्य सेवा, सामाजिक कल्याण और आर्थिक सुधार जैसे क्षेत्रों में कार्य करना था। इसका आदर्श वाक्य था ‘धर्मो रक्षित: रक्षित:’ (जो धर्म का पालन करता है, उसकी रक्षा होती है)।
- अincorrect विकल्प: गोखले ने 1905 में पुणे में इसकी स्थापना की थी। अन्य विकल्प गलत वर्ष और स्थान प्रदान करते हैं।
प्रश्न 21: किस सिख गुरु को ‘हिन्द दी चादर’ (हिंदुस्तान का सहारा) कहा जाता है?
- गुरु नानक देव
- गुरु अंगद देव
- गुरु अर्जुन देव
- गुरु तेग बहादुर
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: गुरु तेग बहादुर (1621-1675 ईस्वी), सिख धर्म के नौवें गुरु थे। उन्होंने औरंगजेब के अत्याचारों का विरोध किया और कश्मीरी पंडितों की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया। इस बलिदान के कारण उन्हें ‘हिन्द दी चादर’ (हिंदुस्तान का सहारा) कहा जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: गुरु तेग बहादुर ने धर्म और विवेक की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया और यहूदी धर्म की रक्षा के लिए अपना सिर कटवा दिया। उनकी शहादत ने भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की भावना को मजबूत किया।
- अincorrect विकल्प: गुरु नानक देव सिख धर्म के संस्थापक थे। गुरु अंगद देव दूसरे गुरु थे और गुरुमुखी लिपि का विकास किया। गुरु अर्जुन देव पाँचवें गुरु थे और उन्होंने स्वर्ण मंदिर का निर्माण करवाया और आदि ग्रंथ का संकलन किया।
प्रश्न 22: ‘द सोशल कॉन्ट्रैक्ट’ (The Social Contract) नामक प्रसिद्ध राजनीतिक दर्शन की पुस्तक का लेखक कौन है?
- जॉन लॉक
- जीन-जैक्स रूसो
- इमैनुअल कांट
- थॉमस हॉब्स
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: जीन-जैक्स रूसो (Jean-Jacques Rousseau), एक स्विस-फ्रांसीसी दार्शनिक, ने 1762 में अपनी प्रभावशाली पुस्तक ‘द सोशल कॉन्ट्रैक्ट’ (Du Contrat Social) प्रकाशित की। इस पुस्तक में उन्होंने लोकप्रिय संप्रभुता और राज्य की वैधता पर अपने विचार प्रस्तुत किए।
- संदर्भ और विस्तार: रूसो का तर्क था कि सरकार की वैधता लोगों की सामूहिक इच्छा (general will) से आती है। उन्होंने व्यक्तिगत स्वतंत्रता और सामुदायिक कल्याण के बीच संतुलन पर जोर दिया। उनके विचारों ने फ्रांसीसी क्रांति और आधुनिक राजनीतिक विचार को गहराई से प्रभावित किया।
- अincorrect विकल्प: जॉन लॉक ने ‘टू ट्रीटीज ऑफ गवर्नमेंट’ में प्राकृतिक अधिकारों और सीमित सरकार का समर्थन किया। थॉमस हॉब्स ने ‘लेविथान’ में पूर्ण संप्रभुता की वकालत की। इमैनुएल कांट एक महान जर्मन दार्शनिक थे, लेकिन ‘सोशल कॉन्ट्रैक्ट’ रूसो की कृति है।
प्रश्न 23: प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) का तत्कालीन कारण क्या था?
- जर्मनी का पोलैंड पर आक्रमण
- ऑस्ट्रिया के आर्कड्यूक फर्डिनेंड की हत्या
- लंदन का डूबना
- वर्साय की संधि
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: प्रथम विश्व युद्ध का तत्कालीन कारण 28 जून, 1914 को साराजेवो में ऑस्ट्रिया के आर्कड्यूक फर्डिनेंड और उनकी पत्नी की हत्या थी। इस हत्या को सर्बियाई राष्ट्रवादी संगठन ‘ब्लैक हैंड’ के सदस्य गैवरिलो प्रिंसिप ने अंजाम दिया था।
- संदर्भ और विस्तार: इस घटना के बाद ऑस्ट्रिया-हंगरी ने सर्बिया को अल्टीमेटम दिया, जिसे सर्बिया ने पूरी तरह स्वीकार नहीं किया। इसके परिणामस्वरूप ऑस्ट्रिया ने सर्बिया पर युद्ध की घोषणा कर दी, और यूरोप की गुटबाजी के कारण यह एक महायुद्ध में बदल गया।
- अincorrect विकल्प: जर्मनी का पोलैंड पर आक्रमण द्वितीय विश्व युद्ध का कारण था। ‘लंदन’ का डूबना (RMS Lusitania का डूबना) प्रथम विश्व युद्ध के दौरान हुआ था और इसने अमेरिका को युद्ध में शामिल करने में भूमिका निभाई, लेकिन यह तत्कालीन कारण नहीं था। वर्साय की संधि प्रथम विश्व युद्ध का अंत थी, कारण नहीं।
प्रश्न 24: ‘भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस’ की स्थापना के समय भारत का वायसराय कौन था?
- लॉर्ड लिटन
- लॉर्ड डफरिन
- लॉर्ड कर्जन
- लॉर्ड एल्गिन द्वितीय
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना 28 दिसंबर, 1885 को हुई थी। उस समय भारत के वायसराय लॉर्ड डफरिन (1884-1888) थे।
- संदर्भ और विस्तार: यह एक दिलचस्प ऐतिहासिक संयोग था कि जिस समय राष्ट्रवादियों ने एक अखिल भारतीय राजनीतिक संगठन की स्थापना की, उस समय एक ब्रिटिश वायसराय भारत पर शासन कर रहा था। लॉर्ड डफरिन की भूमिका पर विद्वानों में मतभेद है, कुछ का मानना है कि वे कांग्रेस की स्थापना से अनभिज्ञ नहीं थे, जबकि कुछ इसे विशुद्ध रूप से भारतीयों की पहल मानते हैं।
- अincorrect विकल्प: लॉर्ड लिटन (1876-1880) और लॉर्ड कर्जन (1899-1905) के कार्यकाल कांग्रेस की स्थापना से पहले और बाद में आए। लॉर्ड एल्गिन द्वितीय (1894-1899) कांग्रेस की स्थापना के बाद वायसराय बने।
प्रश्न 25: 1947 में भारत की स्वतंत्रता के समय ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कौन थे?
- विंस्टन चर्चिल
- क्लीमेंट एटली
- नेविल चेम्बरलेन
- मार्गरेट थैचर
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: 1947 में जब भारत को स्वतंत्रता मिली, तब यूनाइटेड किंगडम (ब्रिटेन) के प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली (Clement Attlee) थे। वे लेबर पार्टी से थे।
- संदर्भ और विस्तार: एटली सरकार ने ही भारत को स्वतंत्रता देने का निर्णय लिया था और उनके कार्यकाल में ही भारत का विभाजन हुआ। उन्होंने लॉर्ड माउंटबेटन को भारत का अंतिम वायसराय नियुक्त किया था, जिन्होंने स्वतंत्रता की प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया।
- अincorrect विकल्प: विंस्टन चर्चिल द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान प्रधानमंत्री थे और भारत की स्वतंत्रता के प्रति उनका रवैया सकारात्मक नहीं था। नेविल चेम्बरलेन युद्ध-पूर्व काल के प्रधानमंत्री थे। मार्गरेट थैचर 1980 के दशक में ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थीं।
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