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इतिहास का महासंग्राम: आज की निर्णायक परीक्षा!

इतिहास का महासंग्राम: आज की निर्णायक परीक्षा!

कल के पन्नों से आज की इस रोमांचक यात्रा में आपका स्वागत है! अपने ज्ञान की मशाल जलाइए और इतिहास के गलियारों से गुजरते हुए खुद को परखिए। यह सिर्फ एक प्रश्नोत्तरी नहीं, बल्कि अतीत के साथ जुड़ने का एक अनूठा अवसर है। आइए, शुरू करें इतिहास का यह महासंग्राम!

इतिहास अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरण के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: सिंधु घाटी सभ्यता के किस स्थल से एक विशेष प्रकार की ईंटों का प्रयोग देखने को मिलता है, जिसका उपयोग जलरोधी निर्माण में किया जाता था?

  1. हड़प्पा
  2. मोहनजोदड़ो
  3. लोथल
  4. कालीबंगा

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही होने का कारण: मोहनजोदड़ो से प्राप्त इमारतों में विशेष प्रकार की ईंटों का उपयोग किया गया था, जिन्हें जल निकासी और स्नानागारों के निर्माण में जलरोधी बनाने के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया था। ये ईंटें अपने स्थायित्व और जल अवरोधक गुणों के लिए जानी जाती हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: मोहनजोदड़ो (अर्थात ‘मृतकों का टीला’) सिंधु नदी के किनारे स्थित एक प्रमुख शहर था। यहाँ विशाल स्नानागार (Great Bath) के अवशेष मिले हैं, जो संभवतः सार्वजनिक या धार्मिक अनुष्ठानों के लिए उपयोग किए जाते थे। ईंटों का यह विशेष प्रयोग शहरी नियोजन और निर्माण कौशल को दर्शाता है।
  • गलत विकल्प: हड़प्पा एक अन्य महत्वपूर्ण स्थल था, लेकिन मोहनजोदड़ो की तरह जलरोधी ईंटों का विशिष्ट उल्लेख वहाँ नहीं मिलता। लोथल एक गोदी (port) शहर था और कालीबंगा से जुते हुए खेत के प्रमाण मिलते हैं।

प्रश्न 2: किस वैदिक देवता को ‘ऋतस्य गोपः’ (सत्य या नैतिक व्यवस्था का रक्षक) कहा जाता था?

  1. इंद्र
  2. वरुण
  3. अग्नि
  4. सूर्य

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही होने का कारण: ऋग्वेद में वरुण को ‘ऋतस्य गोपः’ या ‘ऋतवरी’ के रूप में वर्णित किया गया है। ‘ऋत’ एक वैदिक अवधारणा है जो ब्रह्मांडीय व्यवस्था, सत्य, न्याय और प्राकृतिक नियमों का प्रतिनिधित्व करती है। वरुण को इन नियमों का संरक्षक और वाहक माना जाता था।
  • संदर्भ और विस्तार: वरुण प्राचीन वैदिक काल के एक महत्वपूर्ण देवता थे, जो स्वर्ग, पृथ्वी और जल के शासक माने जाते थे। वे पापियों को दंडित करने और सत्यनिष्ठ लोगों की रक्षा करने वाले माने जाते थे। उन्हें अक्सर ‘सहस्राक्ष’ (हजारों आँखों वाला) भी कहा जाता था, जो उनकी सर्वज्ञता को दर्शाता है।
  • गलत विकल्प: इंद्र वैदिक काल के प्रमुख देवता थे, जो वर्षा, गर्जन और युद्ध के देवता थे। अग्नि देवताओं और मनुष्यों के बीच मध्यस्थ थे। सूर्य प्रकाश और जीवन के देवता थे।

प्रश्न 3: सम्राट अशोक ने अपने किस शिलालेख में स्वयं को ‘मगध का राजा’ बताया है?

  1. शिलालेख 13
  2. शिलालेख 1
  3. शिलालेख 8
  4. शिलालेख 14

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही होने का कारण: अशोक का 13वां शिलालेख कलिंग युद्ध के भयावह परिणामों और उसके बाद अशोक के हृदय परिवर्तन का विस्तृत वर्णन करता है। इसी शिलालेख में वह स्वयं को ‘मगध का राजा’ (मगधराज) बताता है, जो उसके साम्राज्य और राजनीतिक स्थिति का संदर्भ देता है।
  • संदर्भ और विस्तार: 13वें शिलालेख में कलिंग युद्ध (लगभग 261 ईसा पूर्व) के बाद अशोक के पश्चाताप और बौद्ध धर्म अपनाने की ओर झुकाव का उल्लेख है। यह उसकी विदेश नीतियों और धम्म विजय की ओर बढ़ने की प्रेरणा को भी दर्शाता है।
  • गलत विकल्प: शिलालेख 1 पशु बलि का निषेध करता है, शिलालेख 8 अशोक की धर्मयात्राओं का वर्णन करता है, और शिलालेख 14 धार्मिक सहिष्णुता की बात करता है।

प्रश्न 4: निम्न में से किस गुप्त शासक को ‘भारत का नेपोलियन’ कहा गया है?

  1. चंद्रगुप्त प्रथम
  2. समुद्रगुप्त
  3. चंद्रगुप्त द्वितीय
  4. कुमारगुप्त

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही होने का कारण: प्रसिद्ध इतिहासकार वी. ए. स्मिथ ने अपनी पुस्तक ‘Early History of India’ में समुद्रगुप्त की सैन्य उपलब्धियों, विजयों और विशाल साम्राज्य विस्तार के कारण उसे ‘भारत का नेपोलियन’ कहा था।
  • संदर्भ और विस्तार: समुद्रगुप्त (शासनकाल लगभग 335-380 ईस्वी) अपनी विजयों के लिए प्रसिद्ध था। प्रयाग प्रशस्ति (इलाहाबाद स्तंभ शिलालेख) में उसकी उत्तर भारत की विजयों, दक्षिण भारत के राज्यों को अधीन बनाने और कई गणराज्यों को जीतने का वर्णन मिलता है। वह एक कुशल योद्धा और प्रशासक था।
  • गलत विकल्प: चंद्रगुप्त प्रथम ने गुप्त साम्राज्य की नींव रखी और अपनी उपाधि ‘महाराजाधिराज’ ली। चंद्रगुप्त द्वितीय (विक्रमादित्य) के शासनकाल को गुप्त साम्राज्य का स्वर्ण युग माना जाता है, लेकिन ‘भारत का नेपोलियन’ उपाधि समुद्रगुप्त से जुड़ी है। कुमारगुप्त ने नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना करवाई थी।

प्रश्न 5: दिल्ली सल्तनत के किस शासक ने ‘दीवान-ए-अर्ज’ नामक एक सैन्य विभाग की स्थापना की थी?

  1. इल्तुतमिश
  2. बलबन
  3. अलाउद्दीन खिलजी
  4. फिरोज शाह तुगलक

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही होने का कारण: बलबन (शासनकाल 1266-1287 ई.) ने अपनी सैन्य शक्ति को सुदृढ़ करने के लिए ‘दीवान-ए-अर्ज’ नामक एक अलग सैन्य विभाग की स्थापना की थी। इसका मुख्य उद्देश्य सेना का पुनर्गठन, सैनिकों की भर्ती, प्रशिक्षण और उन्हें सुसज्जित करना था।
  • संदर्भ और विस्तार: बलबन ने मंगोल आक्रमणों के खतरे को देखते हुए अपनी सेना को मजबूत बनाने पर विशेष ध्यान दिया। उसने लोह और रक्त की नीति अपनाई थी और साम्राज्य में व्यवस्था बनाए रखने के लिए एक मजबूत केंद्रीय शक्ति की आवश्यकता महसूस की। दीवान-ए-अर्ज इसी आवश्यकता की पूर्ति थी।
  • गलत विकल्प: इल्तुतमिश ने ‘चालीसा’ (तुर्क-ए-चहलगानी) की स्थापना की थी। अलाउद्दीन खिलजी ने स्थायी सेना, दाग (घोड़ों को दागना) और हुलिया (सैनिकों का विवरण) प्रथाएं शुरू कीं। फिरोजशाह तुगलक ने अपनी सेना में वंशानुगत पदों की व्यवस्था की थी।

प्रश्न 6: विजयनगर साम्राज्य का प्रसिद्ध ‘कृष्णदेवराय’ किस राजवंश का शासक था?

  1. संगम
  2. सलुव
  3. तुलुव
  4. अराविडु

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही होने का कारण: कृष्णदेवराय (शासनकाल 1509-1529 ई.) विजयनगर साम्राज्य के तुलुव राजवंश के सबसे महान शासकों में से एक थे। उनके शासनकाल को विजयनगर साम्राज्य का स्वर्ण युग माना जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: कृष्णदेवराय एक कुशल प्रशासक, कूटनीतिज्ञ और कला एवं साहित्य के उदार संरक्षक थे। उन्होंने तेलुगु साहित्य को बहुत बढ़ावा दिया और स्वयं एक विद्वान कवि थे। उन्होंने उस समय के शक्तिशाली बहमनी सल्तनत के साथ संघर्ष किया और कई विजयें प्राप्त कीं।
  • गलत विकल्प: संगम राजवंश विजयनगर का पहला राजवंश था, जिसके संस्थापक हरिहर प्रथम थे। सलुव राजवंश ने संगम के बाद शासन किया, और अराविडु राजवंश सबसे अंतिम राजवंश था।

प्रश्न 7: 1857 के विद्रोह के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही नहीं है?

  1. यह विद्रोह उत्तर और मध्य भारत में केंद्रित था।
  2. दिल्ली में विद्रोह का नेतृत्व बहादुर शाह जफर ने किया था।
  3. झांसी की रानी लक्ष्मीबाई ने ग्वालियर में विद्रोह का नेतृत्व किया था।
  4. विद्रोह का मुख्य कारण चर्बी वाले कारतूस थे।

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही होने का कारण: चर्बी वाले कारतूस 1857 के विद्रोह का तात्कालिक कारण (trigger) थे, लेकिन यह विद्रोह का एकमात्र या मुख्य कारण नहीं था। इसके पीछे राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और धार्मिक कारण भी थे, जैसे कि व्यपगत का सिद्धांत (Doctrine of Lapse), ब्रिटिश नीतियों का भारतीयों के धर्म और संस्कृति में हस्तक्षेप, ब्रिटिश उद्योगों को बढ़ावा देना आदि।
  • संदर्भ और विस्तार: यह विद्रोह उत्तर प्रदेश (मेरठ, दिल्ली, लखनऊ, कानपुर), बिहार (पटना), मध्य प्रदेश (झांसी, ग्वालियर) जैसे क्षेत्रों में व्यापक था। बहादुर शाह जफर को विद्रोहियों ने अपना सम्राट घोषित किया था। रानी लक्ष्मीबाई ने तात्या टोपे के साथ मिलकर ग्वालियर में संघर्ष किया।
  • गलत विकल्प: कथन (a), (b), और (c) सही हैं, इसलिए वे गलत उत्तर हैं।

प्रश्न 8: ‘अभिनव भारत’ नामक गुप्त क्रांतिकारी संगठन की स्थापना किसने की थी?

  1. भगत सिंह
  2. खुदीराम बोस
  3. विनायक दामोदर सावरकर
  4. चंद्रशेखर आजाद

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही होने का कारण: विनायक दामोदर सावरकर (वीर सावरकर) ने 1904 ई. में पुणे में ‘अभिनव भारत’ नामक एक गुप्त क्रांतिकारी संगठन की स्थापना की थी। यह संगठन प्रारंभ में ‘मित्र मेला’ के नाम से जाना जाता था।
  • संदर्भ और विस्तार: अभिनव भारत का उद्देश्य ब्रिटिश शासन के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष के माध्यम से स्वतंत्रता प्राप्त करना था। इसके सदस्यों ने ब्रिटिश अधिकारियों की हत्याएं और बमबारी जैसी गतिविधियां कीं। सावरकर ने नासिक में मैडम भीकाजी कामा के साथ मिलकर भी काम किया और बाद में वे अंडमान की सेलुलर जेल भेजे गए।
  • गलत विकल्प: भगत सिंह हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) से जुड़े थे। खुदीराम बोस मुजफ्फरपुर बम कांड में शामिल थे। चंद्रशेखर आजाद हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी (HSRA) के प्रमुख नेता थे।

प्रश्न 9: निम्नलिखित में से कौन सी पुस्तक मूल रूप से संस्कृत में लिखी गई थी और बाद में फारसी में अनुवादित हुई?

  1. राजतरंगिणी
  2. अर्थशास्त्र
  3. पंचतंत्र
  4. हितोपदेश

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही होने का कारण: विष्णु शर्मा द्वारा रचित ‘पंचतंत्र’ एक प्राचीन भारतीय कथा संग्रह है, जो मूल रूप से संस्कृत में लिखा गया था। इसके बाद इसका अनुवाद फारसी सहित कई भाषाओं में हुआ, जिसमें ‘अनवर-ए-सुहेली’ नाम से प्रसिद्ध फारसी अनुवाद प्रमुख है।
  • . पंचतंत्र की कहानियाँ नैतिक शिक्षा और व्यवहारिक ज्ञान पर आधारित हैं, जो राजाओं और राजकुमारों को सिखाने के उद्देश्य से लिखी गई थीं। इन कहानियों का विभिन्न संस्कृतियों में व्यापक प्रभाव पड़ा।
  • गलत विकल्प: राजतरंगिणी कल्हण द्वारा रचित कश्मीर का इतिहास है। अर्थशास्त्र कौटिल्य द्वारा रचित राजनीतिक और आर्थिक ग्रंथ है। हितोपदेश नारायण पंडित द्वारा रचित कहानियों का संग्रह है, जिसे भी फारसी में अनुवादित किया गया था, लेकिन पंचतंत्र अधिक प्रसिद्ध और प्राचीन अनुवादों का आधार रहा है।

प्रश्न 10: पुर्तगाली गवर्नर अल्बुकर्क ने भारत में किस स्थान पर अपना मुख्यालय स्थापित किया था?

  1. कैलिकट
  2. कोचीन
  3. गोवा
  4. दमन

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही होने का कारण: अल्फोंसो डी अल्बुकर्क, जो 1509 से 1515 तक पुर्तगाली भारत के गवर्नर रहे, ने 1510 ई. में बीजापुर के सुल्तान आदिल शाह से गोवा जीतकर उसे पुर्तगालियों का प्रशासनिक और सैन्य मुख्यालय बनाया।
  • संदर्भ और विस्तार: गोवा को जीतने के बाद, अल्बुकर्क ने उसे पुर्तगाली साम्राज्य का एक मजबूत गढ़ बना दिया। यहाँ से पुर्तगाली भारतीय महासागर में अपनी शक्ति का विस्तार करने में सक्षम हुए। गोवा पुर्तगालियों के अधीन सदियों तक रहा।
  • गलत विकल्प: कैलिकट पहले पुर्तगाली आगमन का केंद्र था, लेकिन मुख्य मुख्यालय नहीं बना। कोचीन पर भी पुर्तगालियों का प्रभाव था, लेकिन गोवा ने अंततः मुख्य प्रशासनिक केंद्र का स्थान ले लिया। दमन बाद में पुर्तगाली अधिकार क्षेत्र में आया।

प्रश्न 11: 1917 की प्रसिद्ध चंपारण सत्याग्रह का नेतृत्व किसने किया था?

  1. सरदार वल्लभभाई पटेल
  2. महात्मा गांधी
  3. जवाहरलाल नेहरू
  4. राजेंद्र प्रसाद

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही होने का कारण: 1917 में बिहार के चंपारण जिले में नील की खेती करने वाले किसानों पर हो रहे अत्याचारों के विरुद्ध महात्मा गांधी ने अपना पहला सफल सत्याग्रह आंदोलन किया था।
  • संदर्भ और विस्तार: चंपारण में किसानों को तीन-कठिया पद्धति (अपनी भूमि के 3/20वें हिस्से पर नील उगाना) के तहत जबरन नील की खेती कराई जाती थी, जिससे उनकी भूमि की उर्वरता कम हो जाती थी और उन्हें उचित मूल्य भी नहीं मिलता था। गांधीजी के हस्तक्षेप से इस प्रथा को समाप्त कराया गया और किसानों को राहत मिली।
  • गलत विकल्प: सरदार वल्लभभाई पटेल ने खेड़ा सत्याग्रह और बारदोली सत्याग्रह का नेतृत्व किया। जवाहरलाल नेहरू भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रमुख नेता थे। राजेंद्र प्रसाद चंपारण सत्याग्रह में गांधीजी के प्रमुख सहयोगियों में से एक थे और बाद में भारत के प्रथम राष्ट्रपति बने।

प्रश्न 12: ‘सती प्रथा’ के उन्मूलन में किस गवर्नर-जनरल का योगदान सर्वाधिक महत्वपूर्ण माना जाता है?

  1. लॉर्ड डलहौजी
  2. लॉर्ड विलियम बेंटिंक
  3. लॉर्ड कर्जन
  4. लॉर्ड कैनिंग

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही होने का कारण: लॉर्ड विलियम बेंटिंक (1828-1835) ने राजा राममोहन राय जैसे भारतीय समाज सुधारकों के प्रयासों का समर्थन करते हुए 1829 ई. में ‘सती प्रथा’ को गैरकानूनी और दंडनीय घोषित किया।
  • संदर्भ और विस्तार: बेंटिंक के इस कदम ने भारतीय समाज में व्याप्त एक क्रूर प्रथा का अंत किया। उन्होंने फोर्ट विलियम कॉलेज के प्राचार्य के पद से अपने कार्यकाल में ही राजा राममोहन राय जैसे विचारकों से प्रभावित होकर यह महत्वपूर्ण सुधार किया।
  • गलत विकल्प: लॉर्ड डलहौजी व्यपगत के सिद्धांत (Doctrine of Lapse) के लिए जाने जाते हैं। लॉर्ड कर्जन ने बंगाल का विभाजन किया था। लॉर्ड कैनिंग 1857 के विद्रोह के समय गवर्नर-जनरल थे।

प्रश्न 13: ऋग्वैदिक काल में ‘पणि’ किसे कहा जाता था?

  1. पुरोहित
  2. सेनानी
  3. व्यापारी
  4. दास

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही होने का कारण: ऋग्वैदिक काल में ‘पणि’ शब्द का प्रयोग उन लोगों के लिए किया जाता था जो व्यापार करते थे और विशेष रूप से पशुधन के व्यापार से जुड़े थे। उन्हें कभी-कभी लोभी और बेईमान भी कहा जाता था।
  • संदर्भ और विस्तार: पणि लोग संभवतः गैर-आर्य थे और अक्सर ऋग्वैदिक समाज के साथ संघर्ष में रहते थे। वे अक्सर इंद्र और अन्य देवताओं के विरोधी के रूप में चित्रित किए जाते हैं। ऋग्वेद में इंद्र द्वारा पणियों को हराने और उनके धन को छीनने के कई उल्लेख मिलते हैं।
  • गलत विकल्प: पुरोहित धार्मिक नेता थे, सेनानी सेनापति थे, और दास वे लोग थे जो कृषि या अन्य कार्यों में लगे हुए थे।

प्रश्न 14: चोल साम्राज्य का प्रसिद्ध बंदरगाह शहर कौन सा था?

  1. कांचीपुरम
  2. तंजावुर
  3. महाबलीपुरम
  4. कावेरीपट्टनम

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही होने का कारण: कावेरीपट्टनम (पुहार) चोल साम्राज्य का एक महत्वपूर्ण बंदरगाह शहर था, जो कावेरी नदी के मुहाने पर स्थित था। यह एक प्रमुख व्यापारिक और वाणिज्यिक केंद्र था।
  • संदर्भ और विस्तार: चोलों का नौसैनिक शक्ति में प्रभुत्व था और उन्होंने दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ व्यापार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कावेरीपट्टनम ने इस समुद्री व्यापार को सुगम बनाने में केंद्रीय भूमिका निभाई। यह एक समृद्ध शहर था जिसके बारे में तमिल साहित्य, विशेष रूप से ‘शिलप्पदिकारम’ में भी वर्णन मिलता है।
  • गलत विकल्प: कांचीपुरम पल्लवों की राजधानी थी। तंजावुर चोलों की एक महत्वपूर्ण राजधानी थी, जहाँ प्रसिद्ध बृहदेश्वर मंदिर स्थित है। महाबलीपुरम पल्लवों का एक बंदरगाह शहर था।

प्रश्न 15: ‘दीन-ए-इलाही’ धर्म की स्थापना किस मुगल बादशाह ने की थी?

  1. अकबर
  2. जहांगीर
  3. शाहजहाँ
  4. औरंगजेब

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही होने का कारण: मुगल बादशाह अकबर ने 1582 ई. में ‘दीन-ए-इलाही’ नामक एक नए धर्म की स्थापना की, जो विभिन्न धर्मों के मूल सिद्धांतों का एक संश्लेषण था। इसका उद्देश्य धार्मिक सद्भाव और एकता स्थापित करना था।
  • संदर्भ और विस्तार: दीन-ए-इलाही में एकेश्वरवाद, सहिष्णुता और नैतिकता पर जोर दिया गया था। इसमें पारसी, हिंदू, ईसाई और इस्लामी धर्मों के तत्व शामिल थे। हालांकि, इसे व्यापक स्वीकृति नहीं मिली और यह अकबर की मृत्यु के बाद प्रभावी रूप से समाप्त हो गया। बीरबल इस धर्म को अपनाने वाले एकमात्र प्रमुख दरबारी थे।
  • गलत विकल्प: जहांगीर कला और चित्रकला का संरक्षक था। शाहजहाँ वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है (जैसे ताजमहल)। औरंगजेब एक कट्टर सुन्नी मुसलमान था और उसने दीन-ए-इलाही को स्वीकार नहीं किया।

प्रश्न 16: निम्न में से किस अधिनियम द्वारा भारत में द्वैध शासन (Diarchy) की शुरुआत की गई थी?

  1. 1909 का भारत परिषद अधिनियम
  2. 1919 का भारत सरकार अधिनियम
  3. 1935 का भारत सरकार अधिनियम
  4. 1773 का रेगुलेटिंग एक्ट

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही होने का कारण: 1919 के भारत सरकार अधिनियम (मोंटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार) द्वारा प्रांतों में द्वैध शासन की व्यवस्था की गई थी। इस व्यवस्था के तहत, प्रांतीय विषयों को दो भागों में बाँटा गया था: आरक्षित (Reserved) और हस्तांतरित (Transferred)।
  • संदर्भ और विस्तार: आरक्षित विषयों पर गवर्नर और उसकी कार्यकारिणी परिषद का शासन होता था, जबकि हस्तांतरित विषयों पर चुने हुए भारतीय मंत्री उत्तरदायी होते थे। इसका उद्देश्य भारतीयों को शासन में अधिक भागीदारी देना था, लेकिन यह व्यवस्था पूर्णतः सफल नहीं रही।
  • गलत विकल्प: 1909 का अधिनियम मार्ले-मिंटो सुधार कहलाता है और उसने सांप्रदायिक प्रतिनिधित्व की शुरुआत की। 1935 का अधिनियम प्रांतों में द्वैध शासन को समाप्त कर केंद्र में द्वैध शासन स्थापित करने का प्रयास किया (जो लागू नहीं हुआ)। 1773 का रेगुलेटिंग एक्ट कंपनी के शासन को नियंत्रित करने का पहला कदम था।

प्रश्न 17: ‘तंजौर का बृहदेश्वर मंदिर’ किसने बनवाया था?

  1. चोल शासक राजराज प्रथम
  2. चोल शासक राजेंद्र चोल
  3. पल्लव शासक नरसिंहवर्मन
  4. पांड्य शासक सुंदर पांड्य

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही होने का कारण: तंजावुर (तंजौर) का प्रसिद्ध बृहदेश्वर मंदिर (राजराजेश्वर मंदिर) चोल शासक राजराज प्रथम (शासनकाल 985-1014 ई.) ने बनवाया था। यह द्रविड़ वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और अपनी विशालता, भव्यता और उत्कृष्ट शिल्पकला के लिए जाना जाता है। मंदिर का शिखर 212 फीट ऊंचा है और यह ग्रेनाइट के एक ही पत्थर से बना है। यह चोल साम्राज्य की शक्ति और कलात्मक उपलब्धियों का प्रतीक है।
  • गलत विकल्प: राजेंद्र चोल ने गंगाकोंडचोलापुरम में एक और भव्य मंदिर बनवाया था। पल्लव शासक नरसिंहवर्मन द्रविड़ वास्तुकला के लिए जाने जाते थे, लेकिन उन्होंने रथ मंदिरों का निर्माण करवाया। पांड्य शासक भी कला के संरक्षक थे, पर बृहदेश्वर मंदिर राजराज प्रथम की देन है।

प्रश्न 18: निम्न में से कौन सी घटना सबसे पहले हुई?

  1. गांधी-इरविन समझौता
  2. दांडी मार्च
  3. पूर्ण स्वराज की घोषणा
  4. साइमन कमीशन का भारत आगमन

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही होने का कारण: साइमन कमीशन 1927 में गठित हुआ और 1928 में भारत आया। पूर्ण स्वराज की घोषणा 1929 में लाहौर अधिवेशन में हुई। दांडी मार्च (नमक सत्याग्रह) 1930 में हुआ, और गांधी-इरविन समझौता 1931 में हुआ। इसलिए, साइमन कमीशन का भारत आगमन सबसे पहले हुआ।
  • संदर्भ और विस्तार: साइमन कमीशन का उद्देश्य भारत में संवैधानिक सुधारों की जांच करना था, लेकिन इसमें एक भी भारतीय सदस्य न होने के कारण इसका पूरे देश में विरोध हुआ। इसी विरोध के कारण कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज का लक्ष्य अपनाया।
  • गलत विकल्प: अन्य सभी घटनाएं साइमन कमीशन के भारत आगमन के बाद हुई थीं।

प्रश्न 19: ‘अष्टध्यायी’ का लेखक कौन है?

  1. पतंजलि
  2. पाणिनि
  3. कात्यायन
  4. वराहमिहिर

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही होने का कारण: ‘अष्टध्यायी’ संस्कृत व्याकरण का एक मौलिक ग्रंथ है, जिसके लेखक पाणिनि हैं। यह संभवतः ईसा पूर्व चौथी शताब्दी में लिखा गया था।
  • संदर्भ और विस्तार: अष्टध्यायी में पाणिनि ने संस्कृत भाषा के व्याकरण के नियमों को सुव्यवस्थित तरीके से प्रस्तुत किया है। यह आज भी भाषा विज्ञान और व्याकरण के अध्ययन के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत है। इसने भारतीय भाषा के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • गलत विकल्प: पतंजलि ने ‘महाभाष्य’ लिखा, जो पाणिनि के अष्टध्यायी पर एक टीका है। कात्यायन ने ‘वार्तिक’ लिखे। वराहमिहिर एक खगोलशास्त्री और गणितज्ञ थे, जिन्होंने ‘पंचसिद्धांतिका’ लिखी।

प्रश्न 20: किस अधिनियम द्वारा भारत में कंपनी शासन का अंत किया गया और ब्रिटिश ताज का सीधा शासन स्थापित हुआ?

  1. 1813 का चार्टर अधिनियम
  2. 1833 का चार्टर अधिनियम
  3. 1858 का भारत सरकार अधिनियम
  4. 1861 का भारत परिषद अधिनियम

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही होने का कारण: 1857 के विद्रोह के तुरंत बाद, 1858 में ब्रिटिश संसद ने भारत सरकार अधिनियम पारित किया। इस अधिनियम द्वारा भारत का शासन ईस्ट इंडिया कंपनी से छीनकर ब्रिटिश ताज (Crown) को सौंप दिया गया, जिससे कंपनी शासन का अंत हो गया।
  • संदर्भ और विस्तार: इस अधिनियम के तहत भारत में एक नए पद ‘भारत का राज्य सचिव’ (Secretary of State for India) की व्यवस्था की गई और गवर्नर-जनरल को ‘वायसराय’ कहा जाने लगा। इसका उद्देश्य भारत में बेहतर प्रशासन और नियंत्रण स्थापित करना था।
  • गलत विकल्प: 1813 का अधिनियम कंपनी के व्यापार एकाधिकार को समाप्त करने (चीन के साथ व्यापार और चाय व्यापार छोड़कर) के लिए था। 1833 का अधिनियम कंपनी के व्यापारिक कार्यों को पूरी तरह समाप्त कर उसे प्रशासनिक निकाय बनाने से संबंधित था। 1861 का अधिनियम भारतीय विधान परिषदों में भारतीयों को शामिल करने की दिशा में एक कदम था।

प्रश्न 21: 1857 के विद्रोह का प्रतीक क्या था?

  1. कमल और रोटी
  2. तलवार और ढाल
  3. पुस्तक और कलम
  4. ध्वज और शंख

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही होने का कारण: 1857 के विद्रोह के दौरान, सैनिकों में रोटी और कमल का वितरण किया गया था, जिसे विद्रोह के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। रोटी को सैनिकों में बांटा जाता था, और कमल को आम जनता में, जो विद्रोह के प्रसार का संकेत था।
  • संदर्भ और विस्तार: इस प्रतीकवाद का उद्देश्य स्पष्ट था: भारतीय सैनिकों और आम जनता को गुप्त रूप से संगठित करना और विद्रोह के लिए तैयार करना। यह एक प्रकार का गुप्त संदेश था जो विद्रोह के व्यापक प्रसार को दर्शाता है।
  • गलत विकल्प: अन्य विकल्प ऐतिहासिक रूप से इस संदर्भ में जुड़े नहीं हैं।

प्रश्न 22: ‘महात्मा’ की उपाधि रवीन्द्रनाथ टैगोर ने किस भारतीय नेता को दी थी?

  1. जवाहरलाल नेहरू
  2. सरदार वल्लभभाई पटेल
  3. महात्मा गांधी
  4. सुभाष चंद्र बोस

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही होने का कारण: रवीन्द्रनाथ टैगोर ने महात्मा गांधी को ‘महात्मा’ की उपाधि से संबोधित किया था। यह उपाधि उन्हें दक्षिण अफ्रीका में उनके कार्यों और भारत में स्वतंत्रता संग्राम के नेतृत्व के प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए दी गई थी।
  • संदर्भ और विस्तार: गांधीजी को यह उपाधि 1915 में भारत लौटने के बाद मिली, जब वे चंपारण सत्याग्रह के माध्यम से राष्ट्रीय स्तर पर उभरे। टैगोर स्वयं एक महान कवि, दार्शनिक और समाज सुधारक थे, और उनका यह संबोधन गांधीजी के व्यक्तित्व और कार्यों के महत्व को दर्शाता है।
  • गलत विकल्प: अन्य विकल्प महत्वपूर्ण नेता थे, लेकिन ‘महात्मा’ उपाधि विशेष रूप से गांधीजी से जुड़ी है और टैगोर द्वारा दी गई थी।

प्रश्न 23: प्राचीन भारत में ‘गणराज्य’ शब्द का सर्वप्रथम उल्लेख कहाँ मिलता है?

  1. ऋग्वेद
  2. अथर्ववेद
  3. उपनिषद
  4. बौद्ध साहित्य

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही होने का कारण: अथर्ववेद में ‘गण’ और ‘संघ’ जैसे शब्दों का प्रयोग मिलता है, जो प्राचीन भारत में गणराज्यों या कुलीनतंत्र की व्यवस्था का संकेत देते हैं। यह ऋग्वेद के जनजातीय समाज से आगे बढ़कर अधिक जटिल राजनीतिक संरचनाओं की ओर इंगित करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: अथर्ववेद में उन राज्यों का उल्लेख है जहाँ राजा नहीं, बल्कि लोगों का समूह (गण) शासन करता था, जिसे ‘गणराज्य’ या ‘संघ’ कहा जा सकता है। यह बाद के महाजनपदों के उदय के लिए एक महत्वपूर्ण सामाजिक-राजनीतिक आधार तैयार करता है।
  • गलत विकल्प: ऋग्वेद में जन (जनपद) और कबीलाई व्यवस्था का उल्लेख अधिक है। उपनिषद दार्शनिक ग्रंथ हैं। बौद्ध साहित्य में गणराज्यों का विस्तृत वर्णन मिलता है, लेकिन सर्वप्रथम उल्लेख अथर्ववेद में माना जाता है।

प्रश्न 24: प्रथम विश्व युद्ध के बाद तुर्की के खलीफा पद को समाप्त करने के विरोध में भारत में कौन सा आंदोलन चलाया गया?

  1. होम रूल आंदोलन
  2. असहयोग आंदोलन
  3. सविनय अवज्ञा आंदोलन
  4. खिलाफत आंदोलन

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही होने का कारण: प्रथम विश्व युद्ध के बाद, मित्र राष्ट्रों द्वारा तुर्की (ऑटोमन साम्राज्य) के साथ अपमानजनक सेवर्स की संधि की गई, जिसने खलीफा पद को समाप्त कर दिया। इससे दुनिया भर के मुसलमानों, विशेषकर भारत के मुसलमानों में रोष उत्पन्न हुआ। इसी रोष के फलस्वरूप 1919 में ‘खिलाफत आंदोलन’ शुरू हुआ।
  • संदर्भ और विस्तार: भारत में यह आंदोलन महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन (1920-22) के साथ मिलकर लड़ा गया था। शौकत अली और मोहम्मद अली (अली बंधु) इसके प्रमुख नेता थे। इसका मुख्य उद्देश्य तुर्की के खलीफा के प्रति सम्मान और उनके पद की बहाली की मांग करना था।
  • गलत विकल्प: होम रूल आंदोलन आयरलैंड की तर्ज पर स्वशासन की मांग कर रहा था। असहयोग आंदोलन ब्रिटिश सरकार के साथ हर तरह का असहयोग करने का आह्वान था। सविनय अवज्ञा आंदोलन सविनय तरीके से कानूनों का उल्लंघन करना था।

प्रश्न 25: ‘गांधी-इरविन समझौता’ किस वर्ष हुआ था?

  1. 1929
  2. 1930
  3. 1931
  4. 1932

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही होने का कारण: गांधी-इरविन समझौता 5 मार्च 1931 को हुआ था। यह समझौता तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन और महात्मा गांधी के बीच हुआ था।
  • संदर्भ और विस्तार: यह समझौता दूसरे गोलमेज सम्मेलन (Round Table Conference) से पहले हुआ था। इसके तहत कांग्रेस ने सविनय अवज्ञा आंदोलन स्थगित करने पर सहमति व्यक्त की, और सरकार ने सत्याग्रहियों पर लगे कुछ प्रतिबंधों को हटाने और राजनीतिक कैदियों को रिहा करने का वादा किया। इसने आंदोलन को अस्थायी रूप से रोक दिया।
  • गलत विकल्प: 1929 में लाहौर अधिवेशन हुआ, 1930 में दांडी मार्च और सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत हुई, और 1932 में पूना पैक्ट हुआ।

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