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इतिहास का महासंग्राम: अपनी तैयारी को परखें!

इतिहास का महासंग्राम: अपनी तैयारी को परखें!

नमस्कार, प्रतियोगी साथियों! एक बार फिर हम इतिहास के विशाल सागर में डुबकी लगाने और अपने ज्ञान की गहराई को मापने के लिए हाजिर हैं। यह समय है अपनी रणनीतियों को परखने और आने वाली चुनौतियों के लिए खुद को तैयार करने का। आज के इस प्रश्नोत्तरी के साथ, हम प्राचीन भारत की सभ्यताओं से लेकर विश्व के महत्वपूर्ण युद्धों तक, हर युग के महत्वपूर्ण पहलुओं को छूएंगे। तो कमर कस लीजिए, क्योंकि ज्ञान का यह सफर शुरू हो चुका है!

इतिहास अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और दिए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।


प्रश्न 1: हड़प्पा सभ्यता के किस स्थल से प्राप्त ‘पुरुषों का धड़’ (Dancing Man) की उत्कृष्ट प्रतिमा बनाई गई है?

  1. हड़प्पा
  2. मोहनजोदड़ो
  3. लोथल
  4. चन्हुदड़ो

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: मोहनजोदड़ो (जो कि सिंधु नदी के तट पर स्थित है) से एक अत्यंत प्रसिद्ध कांसे की प्रतिमा प्राप्त हुई है, जिसे ‘नृत्यरत पुरुष’ या ‘डांसिंग बॉय’ के नाम से जाना जाता है। यह प्रतिमा मोहनजोदड़ो से मिली सबसे प्रतिष्ठित कलाकृतियों में से एक है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह मूर्ति लगभग 10.5 सेमी लंबी है और इसमें एक युवा पुरुष को लापरवाही से खड़े हुए, एक हाथ कमर पर रखे हुए और दूसरे हाथ को कंधे पर रखे हुए दिखाया गया है। इसका बनाने की विधि ‘लॉस्ट-वैक्स’ (cire perdue) तकनीक है। यह प्रतिमा उस समय के उन्नत शिल्प कौशल और कलात्मक चेतना का प्रमाण है।
  • गलत विकल्प: हड़प्पा से ‘अष्टमुखी मातृदेवी’ की प्रतिमा और ‘मुहरों’ का विशाल भंडार मिला है। लोथल एक गोदी (डॉकयार्ड) के लिए प्रसिद्ध है, और चन्हुदड़ो से ‘मनके बनाने का कारखाना’ और ‘लिपस्टिक’ के प्रमाण मिले हैं।

प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा उपनिषद भारतीय दर्शन का एक महत्वपूर्ण स्रोत माना जाता है और ‘सत्यमेव जयते’ (सत्य की ही जीत होती है) का प्रसिद्ध सूत्र इसी से लिया गया है?

  1. बृहदारण्यक उपनिषद
  2. छान्दोग्य उपनिषद
  3. मांडूक्य उपनिषद
  4. मुंडक उपनिषद

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: मुंडक उपनिषद, जो अथर्ववेद से संबंधित है, भारतीय दर्शन का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। इसका प्रसिद्ध वाक्य ‘सत्यमेव जयते’ को भारत के राष्ट्रीय चिह्न के नीचे आदर्श वाक्य के रूप में अपनाया गया है।
  • संदर्भ और विस्तार: इस उपनिषद में ज्ञान और अज्ञान, ईश्वर और ब्रह्मांड के बारे में गूढ़ बातें कही गई हैं। यह ज्ञान को दो भागों में बाँटता है – परा (उच्च) और अपरा (निम्न)।
  • गलत विकल्प: बृहदारण्यक उपनिषद सबसे पुराने और सबसे बड़े उपनिषदों में से एक है, जो दर्शन के कई महत्वपूर्ण सिद्धांतों की व्याख्या करता है। छान्दोग्य उपनिषद भी महत्वपूर्ण है, जिसमें ‘तत् त्वम् असि’ (वह तुम हो) जैसे महावाक्य मिलते हैं। मांडूक्य उपनिषद ‘ॐ’ के महत्व पर केंद्रित है।

प्रश्न 3: मौर्य काल में ‘कर’ (Tax) वसूलने का कार्य कौन अधिकारी करता था?

  1. अमात्य
  2. सन्निधाता
  3. भागदुक
  4. पण्याध्यक्ष

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: मौर्य प्रशासन में, ‘भागदुक’ वह अधिकारी था जो करों के संग्रह का कार्य देखता था।
  • संदर्भ और विस्तार: अर्थशास्त्र में मौर्यकालीन प्रशासनिक व्यवस्था का विस्तृत वर्णन है। इसमें विभिन्न अधिकारियों के कर्तव्यों का उल्लेख है। भागदुक का मुख्य कार्य किसानों से भू-राजस्व (भाग) और अन्य करों की वसूली करना था।
  • गलत विकल्प: ‘अमात्य’ एक सामान्य मंत्री या अधिकारी होता था। ‘सन्निधाता’ राज्य के खजाने और अन्न भंडार का प्रमुख होता था, जबकि ‘पण्याध्यक्ष’ वाणिज्य और व्यापार का अधिकारी था।

प्रश्न 4: गुप्त काल के किस शासक को ‘भारत का नेपोलियन’ कहा जाता है?

  1. चंद्रगुप्त प्रथम
  2. समुद्रगुप्त
  3. चंद्रगुप्त द्वितीय
  4. स्कंदगुप्त

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: समुद्रगुप्त (शासनकाल लगभग 335-380 ई.) को उनके विजय अभियानों और विशाल साम्राज्य के कारण इतिहासकार वी. ए. स्मिथ ने ‘भारत का नेपोलियन’ कहा है।
  • संदर्भ और विस्तार: समुद्रगुप्त ने उत्तर भारत के अनेक राज्यों को जीत लिया था और दक्षिण भारत में भी कई अभियान चलाए थे। उनकी विजयों का उल्लेख प्रयाग प्रशस्ति (इलाहाबाद स्तंभ लेख) में मिलता है, जिसे उनके दरबारी कवि हरिषेण ने लिखा था।
  • गलत विकल्प: चंद्रगुप्त प्रथम गुप्त वंश का संस्थापक था। चंद्रगुप्त द्वितीय (विक्रमादित्य) ने मालवा पर विजय प्राप्त की और ‘विक्रमादित्य’ की उपाधि धारण की। स्कंदगुप्त ने हूणों के आक्रमणों का सफलतापूर्वक सामना किया था।

प्रश्न 5: दिल्ली सल्तनत के किस सुल्तान ने ‘दीवान-ए-मुस्तखराज’ नामक एक नए विभाग की स्थापना की, जिसका उद्देश्य बकाया राजस्व की वसूली करना था?

  1. इल्तुतमिश
  2. बलबन
  3. अलाउद्दीन खिलजी
  4. मोहम्मद बिन तुगलक

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: अलाउद्दीन खिलजी (शासनकाल 1296-1316 ई.) ने ‘दीवान-ए-मुस्तखराज’ विभाग की स्थापना की थी।
  • संदर्भ और विस्तार: इस विभाग का मुख्य कार्य ‘मुस्तखराज’ (अर्थात् बकाया) राजस्व की वसूली करना था। अलाउद्दीन खिलजी ने अपने प्रशासन को मजबूत करने और राज्य की आय बढ़ाने के लिए कई सुधारात्मक कदम उठाए थे, जिसमें यह राजस्व विभाग एक महत्वपूर्ण हिस्सा था।
  • गलत विकल्प: इल्तुतमिश ने ‘चालीसा’ (तुरकान-ए-चहलगानी) नामक तुर्की अमीरों के समूह का गठन किया। बलबन ने ‘दीवान-ए-आरिज’ (सैन्य विभाग) को पुनर्गठित किया। मोहम्मद बिन तुगलक ने ‘दीवान-ए-कोही’ (कृषि विभाग) की स्थापना की थी।

प्रश्न 6: विजयनगर साम्राज्य के शासक कृष्णदेवराय ने अपने प्रसिद्ध ग्रंथ ‘आमुक्तमाल्यद’ की रचना किस भाषा में की थी?

  1. संस्कृत
  2. कन्नड़
  3. तेलुगु
  4. तमिल

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: विजयनगर साम्राज्य के सबसे महान शासकों में से एक, कृष्णदेवराय (शासनकाल 1509-1529 ई.) ने अपने प्रसिद्ध ग्रंथ ‘आमुक्तमाल्यद’ की रचना तेलुगु भाषा में की थी।
  • संदर्भ और विस्तार: ‘आमुक्तमाल्यद’ एक महाकाव्य है जो अलवर संत अंडाल के जीवन और ईश्वर के प्रति उनकी भक्ति पर आधारित है। यह तेलुगु साहित्य के ‘अष्टदिग्गज’ (आठ महान कवि) में से एक माने जाते हैं। कृष्णदेवराय स्वयं एक विद्वान और कवि थे।
  • गलत विकल्प: विजयनगर में तेलुगु प्रमुख दरबारी भाषा थी, लेकिन संस्कृत का भी महत्वपूर्ण स्थान था। कन्नड़ और तमिल भी साम्राज्य के विभिन्न हिस्सों में बोली और साहित्य की भाषाएं थीं, लेकिन ‘आमुक्तमाल्यद’ तेलुगु में है।

प्रश्न 7: 1857 के विद्रोह के संबंध में, निम्नलिखित में से किस भारतीय नेता ने ‘कानपुर’ से विद्रोह का नेतृत्व किया?

  1. रानी लक्ष्मीबाई
  2. बेगम हजरत महल
  3. कुँवर सिंह
  4. नाना साहिब

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: 1857 के विद्रोह के दौरान, नाना साहिब, जो पेशवा बाजीराव द्वितीय के दत्तक पुत्र थे, ने कानपुर से विद्रोह का नेतृत्व किया।
  • संदर्भ और विस्तार: नाना साहिब ने अंग्रेजों द्वारा अपनी पेंशन रोके जाने और अपनी रियासत पर अधिकार न मिलने के कारण विद्रोह में सक्रिय भूमिका निभाई। उन्होंने कानपुर पर कब्जा कर लिया और खुद को पेशवा घोषित किया।
  • गलत विकल्प: रानी लक्ष्मीबाई ने झाँसी से, बेगम हजरत महल ने लखनऊ से, और कुँवर सिंह ने जगदीशपुर (बिहार) से नेतृत्व किया था।

प्रश्न 8: निम्नलिखित में से किस वायसराय के कार्यकाल के दौरान ‘भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस’ की स्थापना हुई थी?

  1. लॉर्ड लिटन
  2. लॉर्ड रिपन
  3. लॉर्ड डफरिन
  4. लॉर्ड कर्जन

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: लॉर्ड डफरिन (1884-1888 ई.) भारत के वायसराय थे जब 28 दिसंबर 1885 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना बॉम्बे में हुई थी।
  • संदर्भ और विस्तार: कांग्रेस की स्थापना का मुख्य उद्देश्य भारतीयों को राजनीतिक सुधारों के लिए संगठित करना था। हालांकि कांग्रेस की स्थापना वायसराय के कार्यकाल में हुई, लेकिन यह ब्रिटिश नीतियों के विरोध में भारतीयों द्वारा उठाई गई एक महत्वपूर्ण राजनीतिक पहल थी।
  • गलत विकल्प: लॉर्ड लिटन वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट के लिए जाने जाते हैं। लॉर्ड रिपन को स्थानीय स्वशासन का जनक माना जाता है। लॉर्ड कर्जन ने बंगाल का विभाजन (1905) किया था।

प्रश्न 9: ‘पूर्ण स्वराज’ का नारा कांग्रेस के किस अधिवेशन में अपनाया गया था?

  1. कोलकाता अधिवेशन, 1928
  2. लाहौर अधिवेशन, 1929
  3. कराची अधिवेशन, 1931
  4. फैजपुर अधिवेशन, 1936

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: ‘पूर्ण स्वराज’ (पूर्ण स्वतंत्रता) का संकल्प दिसंबर 1929 में लाहौर अधिवेशन में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा अपनाया गया था।
  • संदर्भ और विस्तार: इस अधिवेशन की अध्यक्षता जवाहरलाल नेहरू ने की थी। इसमें यह निर्णय लिया गया कि कांग्रेस का लक्ष्य अब केवल डोमिनियन स्टेटस नहीं, बल्कि पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त करना है। 26 जनवरी 1930 को ‘पूर्ण स्वराज दिवस’ के रूप में मनाने का भी निर्णय लिया गया।
  • गलत विकल्प: 1928 का कोलकाता अधिवेशन मोतीलाल नेहरू की रिपोर्ट पर विचार करने के लिए था। 1931 का कराची अधिवेशन मौलिक अधिकारों और आर्थिक नीतियों से संबंधित था, जिसकी अध्यक्षता सरदार पटेल ने की थी। 1936 का फैजपुर अधिवेशन (अध्यक्ष: जवाहरलाल नेहरू) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का एकमात्र अधिवेशन था जो किसी गांव में आयोजित हुआ था।

प्रश्न 10: भारत में ‘स्थानीय स्वशासन’ के जनक के रूप में किसे जाना जाता है?

  1. लॉर्ड विलियम बेंटिक
  2. लॉर्ड कैनिंग
  3. लॉर्ड मेयो
  4. लॉर्ड रिपन

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: लॉर्ड रिपन (1880-1884 ई.) को भारत में ‘स्थानीय स्वशासन’ के जनक के रूप में जाना जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: रिपन ने 1882 में एक प्रस्ताव पारित किया जिसने स्थानीय निकायों को स्वायत्तता प्रदान की और उन्हें अधिक शक्तियाँ दीं। इसका उद्देश्य भारतीयों को प्रशासनिक कार्यों में अधिक भागीदारी देना था। उनके कार्यकाल में ही भारत का पहला कारखाना अधिनियम भी पारित हुआ था।
  • गलत विकल्प: लॉर्ड विलियम बेंटिक सती प्रथा को समाप्त करने के लिए जाने जाते हैं। लॉर्ड कैनिंग 1857 के विद्रोह के समय वायसराय थे। लॉर्ड मेयो ने भारत में पहली बार व्यवस्थित जनगणना शुरू की थी।

प्रश्न 11: ऋग्वैदिक काल में ‘गाविष्टि’ शब्द का प्रयोग किस लिए किया जाता था?

  1. गाय
  2. युद्ध
  3. सभा
  4. यज्ञ

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: ऋग्वैदिक काल में ‘गाविष्टि’ शब्द का प्रयोग ‘युद्ध’ या ‘गौधन की प्राप्ति के लिए संघर्ष’ के लिए किया जाता था।
  • संदर्भ और विस्तार: वैदिक लोग पशुधन, विशेषकर गायों को बहुत महत्व देते थे। ‘गाविष्टि’ शब्द का शाब्दिक अर्थ ‘गौ की खोज’ है, लेकिन इसका प्रयोग अक्सर उन संघर्षों या लड़ाइयों के लिए होता था जिनका उद्देश्य गायों को जीतना या बचाना होता था। यह दर्शाता है कि उस समय पशुधन की सुरक्षा और प्राप्ति युद्ध का एक प्रमुख कारण थी।
  • गलत विकल्प: ‘गा’ का अर्थ गाय होता है, लेकिन ‘गाविष्टि’ का सीधा अर्थ गाय नहीं। ‘सभा’ और ‘समिति’ उस काल की महत्वपूर्ण राजनीतिक संस्थाएं थीं, और ‘यज्ञ’ एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान था।

प्रश्न 12: ‘चंदावर का युद्ध’ (1194 ई.) किनके मध्य हुआ था?

  1. मोहम्मद गोरी और जयचंद
  2. कुतुबुद्दीन ऐबक और भीम द्वितीय
  3. इल्तुतमिश और यल्दूज़
  4. अलाउद्दीन खिलजी और रामदेव राय

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: चंदावर का युद्ध 1194 ई. में मुहम्मद गोरी और कन्नौज के गाहड़वाल शासक जयचंद के बीच लड़ा गया था।
  • संदर्भ और विस्तार: इस युद्ध में जयचंद की पराजय हुई और वह मारा गया। इस विजय ने उत्तर भारत में तुर्की प्रभुत्व को और मजबूत किया। जयचंद ने तराइन के द्वितीय युद्ध (1192) में पृथ्वीराज चौहान का साथ नहीं दिया था, जिसके कारण मुहम्मद गोरी को आसानी हुई थी।
  • गलत विकल्प: कुतुबुद्दीन ऐबक और भीम द्वितीय के बीच युद्ध हुए, लेकिन यह चंदावर का युद्ध नहीं था। इल्तुतमिश और यल्दूज़ ने भी सत्ता के लिए संघर्ष किया। अलाउद्दीन खिलजी और रामदेव राय के बीच देवगिरी का युद्ध हुआ था।

प्रश्न 13: किस मुगल सम्राट ने ‘सिक्कों पर लक्ष्मी अंकन’ की प्रथा चलाई थी?

  1. अकबर
  2. जहाँगीर
  3. शाहजहाँ
  4. औरंगजेब

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: मुगल सम्राट अकबर (शासनकाल 1556-1605 ई.) ने अपने सिक्कों पर देवी लक्ष्मी की प्रतिमा का अंकन करवाया था।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अकबर की धार्मिक सहिष्णुता और विभिन्न संस्कृतियों के प्रति सम्मान को दर्शाता है। उसने अपने प्रारंभिक शासनकाल में कुछ सिक्कों पर खलीफा की प्रशंसा और बाद में लक्ष्मी और राम-सीता की आकृतियों का भी अंकन करवाया, जो उसकी ‘दीन-ए-इलाही’ जैसी नई सोच को भी प्रतिबिंबित करता है।
  • गलत विकल्प: जहाँगीर के सिक्कों पर उसकी तस्वीर और फारसी कविताएँ मिलती थीं। शाहजहाँ और औरंगजेब के सिक्कों पर केवल सुलेख (कैलिग्राफी) का प्रयोग होता था, न कि किसी भी प्रकार की मानव या देवी-देवता की प्रतिमाओं का।

प्रश्न 14: ‘रैयतवाड़ी व्यवस्था’ के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य है?

  1. यह भूमि व्यवस्था सीधे किसानों से लागू की गई थी।
  2. सरकार ने जमींदारों को लगान वसूलने का अधिकार दिया था।
  3. इसका मुख्य उद्देश्य करों को बढ़ाना था।
  4. यह व्यवस्था बंगाल और बिहार में लागू की गई थी।

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: रैयतवाड़ी व्यवस्था में, भूमि पर अधिकार सीधे किसानों (रैयतों) का होता था और वे सीधे सरकार को लगान देते थे।
  • संदर्भ और विस्तार: यह व्यवस्था थॉमस मुनरो और कैप्टन रीड द्वारा 1820 के दशक में मद्रास प्रेसीडेंसी में लागू की गई थी। बाद में इसे बॉम्बे प्रेसीडेंसी और असम के कुछ हिस्सों में भी लागू किया गया। इसमें सरकार और किसान के बीच सीधा संबंध था, और बिचौलिए (जैसे जमींदार) नहीं होते थे।
  • गलत विकल्प: विकल्प (b) स्थायी बंदोबस्त (ज़मींदारी व्यवस्था) का वर्णन करता है। विकल्प (d) गलत है क्योंकि ज़मींदारी व्यवस्था बंगाल और बिहार में लागू थी, जबकि रैयतवाड़ी मुख्य रूप से दक्षिण भारत में थी। विकल्प (c) भी पूरी तरह सत्य नहीं है, क्योंकि इसका उद्देश्य एक स्थिर और निश्चित राजस्व प्राप्त करना था, न कि केवल कर बढ़ाना।

प्रश्न 15: ‘पुणे पैक्ट’ (1932) किनके बीच हुआ था?

  1. गांधीजी और ब्रिटिश सरकार
  2. गांधीजी और एम. ए. जिन्ना
  3. गांधीजी और बी. आर. अंबेडकर
  4. जवाहरलाल नेहरू और सुभाष चंद्र बोस

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: पुणे पैक्ट 24 सितंबर 1932 को महात्मा गांधी और डॉ. बी. आर. अंबेडकर के बीच हुआ था।
  • संदर्भ और विस्तार: यह समझौता सांप्रदायिक पंचाट (Communal Award) के प्रतिक्रिया स्वरूप हुआ था, जिसके द्वारा दलितों को पृथक निर्वाचक मंडल प्रदान किए गए थे। गांधीजी ने इसका विरोध करते हुए यरवदा जेल में अनशन शुरू कर दिया था। पुणे पैक्ट ने दलितों के लिए केंद्रीय विधानमंडल और प्रांतीय विधानमंडलों में आरक्षित सीटों की व्यवस्था की, लेकिन पृथक निर्वाचक मंडल के बजाय संयुक्त निर्वाचक मंडल के आधार पर।
  • गलत विकल्प: गांधीजी और ब्रिटिश सरकार के बीच कई समझौते हुए, लेकिन पुणे पैक्ट विशेष रूप से गांधीजी और अंबेडकर के बीच था। जिन्ना के साथ गांधीजी के समझौते गांधी-जिन्ना वार्ता के नाम से जाने जाते हैं। नेहरू और बोस के बीच विचारों में मतभेद थे, लेकिन उनके बीच कोई ऐसा महत्वपूर्ण पैक्ट नहीं हुआ था।

प्रश्न 16: ‘सहायक संधि’ (Subsidiary Alliance) को स्वीकार करने वाली पहली भारतीय रियासत कौन सी थी?

  1. अवध
  2. मैसूर
  3. हैदराबाद
  4. तंजौर

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: हैदराबाद की रियासत ने 1798 में सबसे पहले सहायक संधि को स्वीकार किया था।
  • संदर्भ और विस्तार: यह संधि लॉर्ड वेलेजली द्वारा लागू की गई थी, जिसका उद्देश्य ब्रिटिश प्रभाव क्षेत्र का विस्तार करना था। इस संधि के तहत, भारतीय शासकों को अपनी सेना समाप्त कर ब्रिटिश सेना रखनी होती थी, जिसके खर्च का भार रियासत को उठाना पड़ता था। साथ ही, उन्हें अपने राज्य में एक ब्रिटिश रेजीडेंट रखना पड़ता था और वे किसी अन्य यूरोपीय शक्ति से संबंध नहीं रख सकते थे।
  • गलत विकल्प: मैसूर ने 1799 में, तंजौर ने 1799 में और अवध ने 1801 में सहायक संधि स्वीकार की थी।

प्रश्न 17: निम्नलिखित में से कौन सा कथन ‘अकबरनामा’ के बारे में सही है?

  1. यह अबुल फजल द्वारा लिखा गया एक फारसी इतिहास है।
  2. इसमें केवल अकबर के व्यक्तिगत जीवन का वर्णन है।
  3. यह हिंदी भाषा में लिखा गया था।
  4. इसका संबंध भक्ति आंदोलन से है।

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: ‘अकबरनामा’ मुगल सम्राट अकबर के शासनकाल का एक विस्तृत इतिहास है, जिसे उनके दरबारी इतिहासकार अबुल फजल ने फारसी भाषा में लिखा था।
  • संदर्भ और विस्तार: यह तीन खंडों में विभाजित है। पहले खंड में अकबर के पूर्वजों का वर्णन है, दूसरे खंड में अकबर के शासनकाल की घटनाओं का वर्णन है, और तीसरा खंड ‘आईन-ए-अकबरी’ है, जिसमें अकबर के प्रशासन, राजस्व प्रणाली, भूगोल, कला, विज्ञान और साहित्य आदि का विस्तृत विवरण है।
  • गलत विकल्प: इसमें अकबर के शासनकाल की राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक गतिविधियों का भी वर्णन है, न कि केवल व्यक्तिगत जीवन का। यह फारसी में लिखा गया था, हिंदी में नहीं। इसका भक्ति आंदोलन से कोई सीधा संबंध नहीं है।

प्रश्न 18: ‘आर्य समाज’ की स्थापना किसने की थी?

  1. स्वामी विवेकानंद
  2. राजा राम मोहन राय
  3. स्वामी दयानंद सरस्वती
  4. ईश्वर चंद्र विद्यासागर

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: ‘आर्य समाज’ की स्थापना 1875 में स्वामी दयानंद सरस्वती ने की थी।
  • संदर्भ और विस्तार: स्वामी दयानंद सरस्वती का मूल नाम मूलशंकर था। उन्होंने वेदों को ईश्वरीय ज्ञान माना और ‘वेदों की ओर लौटो’ का नारा दिया। आर्य समाज ने बाल विवाह, बहुविवाह, जाति प्रथा और मूर्ति पूजा जैसी कुरीतियों का विरोध किया और शिक्षा पर जोर दिया। सत्यार्थ प्रकाश उनकी प्रमुख रचना है।
  • गलत विकल्प: राजा राम मोहन राय ने ‘ब्रह्म समाज’ की स्थापना की थी। स्वामी विवेकानंद ने ‘रामकृष्ण मिशन’ की स्थापना की थी। ईश्वर चंद्र विद्यासागर एक प्रमुख समाज सुधारक और शिक्षाविद् थे।

प्रश्न 19: भारत छोड़ो आंदोलन (1942) के दौरान, गांधीजी ने कौन सा प्रसिद्ध नारा दिया था?

  1. सारे जहाँ से अच्छा
  2. तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा
  3. करो या मरो
  4. इंकलाब जिंदाबाद

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत के समय, 8 अगस्त 1942 को ग्वालियर टैंक मैदान, बंबई में गांधीजी ने ‘करो या मरो’ (Do or Die) का नारा दिया था।
  • संदर्भ और विस्तार: इस नारे का अर्थ था कि भारतीयों को स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए या तो अपना सर्वस्व न्योछावर कर देना चाहिए या अपने लक्ष्य को प्राप्त करना चाहिए। यह अहिंसक सविनय अवज्ञा आंदोलन के लिए एक प्रेरणादायक आह्वान था।
  • गलत विकल्प: ‘सारे जहाँ से अच्छा’ इकबाल ने लिखा था। ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ नेताजी सुभाष चंद्र बोस का नारा था। ‘इंकलाब जिंदाबाद’ का नारा भगत सिंह और उनके साथियों ने लोकप्रिय बनाया था।

प्रश्न 20: प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) के दौरान, ‘त्रिगुट संधि’ (Triple Entente) में कौन से देश शामिल थे?

  1. जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी, इटली
  2. ब्रिटेन, फ्रांस, रूस
  3. अमेरिका, ब्रिटेन, जापान
  4. रूस, फ्रांस, तुर्की

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: प्रथम विश्व युद्ध से पहले और उसके दौरान, ‘त्रिगुट संधि’ (Triple Entente) में मुख्य रूप से ब्रिटेन, फ्रांस और रूस शामिल थे।
  • संदर्भ और विस्तार: ये देश प्रथम विश्व युद्ध में ‘मित्र राष्ट्रों’ (Allied Powers) के रूप में जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी और ओटोमन साम्राज्य के ‘केंद्रीय शक्तियों’ (Central Powers) के विरुद्ध लड़े। यह संधि 1907 में रूस के जुड़ने के साथ अंतिम रूप से स्थापित हुई थी।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a) ‘त्रिगुट गठबंधन’ (Triple Alliance) का वर्णन करता है, जिसमें जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी और इटली (जो बाद में मित्र राष्ट्रों की ओर से लड़ा) शामिल थे। अमेरिका 1917 में मित्र राष्ट्रों की ओर से युद्ध में शामिल हुआ था। तुर्की केंद्रीय शक्तियों का हिस्सा था।

प्रश्न 21: ‘अष्टप्रधान’ का गठन किस मराठा शासक ने किया था?

  1. शिवाजी महाराज
  2. संभाजी
  3. राजाराम
  4. बाजीराव प्रथम

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: मराठा साम्राज्य के संस्थापक शिवाजी महाराज (शासनकाल 1630-1680 ई.) ने अपने प्रशासन को सुचारू रूप से चलाने के लिए ‘अष्टप्रधान’ नामक आठ मंत्रियों की एक परिषद का गठन किया था।
  • संदर्भ और विस्तार: अष्टप्रधान में पेशवा (प्रधानमंत्री), अमात्य (वित्त मंत्री), सचिव (राजलेख विभाग), सुमंत (विदेश मंत्री), सर-ए-नौबत (सेनापति), पंडितराव (धार्मिक मामले), न्यायाधीश (न्याय विभाग) और मंत्री (पत्राचार) जैसे पद शामिल थे। यह शिवाजी के सुव्यवस्थित शासन प्रणाली का प्रतीक था।
  • गलत विकल्प: संभाजी (शिवाजी के पुत्र) और राजाराम ने भी मराठा शासन को जारी रखा, लेकिन अष्टप्रधान की मूल व्यवस्था शिवाजी द्वारा स्थापित की गई थी। बाजीराव प्रथम पेशवा थे जिन्होंने मराठा साम्राज्य का विस्तार किया।

प्रश्न 22: ‘भारतीय पुनर्जागरण का अग्रदूत’ किसे कहा जाता है?

  1. स्वामी विवेकानंद
  2. राजा राम मोहन राय
  3. ईश्वर चंद्र विद्यासागर
  4. महादेव गोविंद रानाडे

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: राजा राम मोहन राय (1772-1833) को ‘भारतीय पुनर्जागरण का अग्रदूत’ और ‘आधुनिक भारत का जनक’ कहा जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: उन्होंने 19वीं सदी में सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक सुधारों की शुरुआत की। उन्होंने 1828 में ‘ब्रह्म समाज’ की स्थापना की, जिसने एकेश्वरवाद का प्रचार किया और मूर्ति पूजा, जाति व्यवस्था, सती प्रथा और अन्य सामाजिक कुरीतियों का विरोध किया। उन्होंने विधवा विवाह और स्त्री शिक्षा का भी समर्थन किया।
  • गलत विकल्प: स्वामी विवेकानंद 19वीं सदी के अंत और 20वीं सदी की शुरुआत के महान संत और समाज सुधारक थे। ईश्वर चंद्र विद्यासागर शिक्षा और विधवा पुनर्विवाह के क्षेत्र में कार्य किया। महादेव गोविंद रानाडे पश्चिमी भारत में एक महत्वपूर्ण समाज सुधारक और राष्ट्रवादी नेता थे।

प्रश्न 23: ‘स्वदेशी आंदोलन’ (1905) का मुख्य उद्देश्य क्या था?

  1. अंग्रेजों को भारत से निकालना
  2. बंगाल के विभाजन का विरोध करना
  3. राष्ट्रीय शिक्षा को बढ़ावा देना
  4. भारतीय उद्योगों को प्रोत्साहित करना

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: 1905 में बंगाल के विभाजन के विरोध में शुरू हुआ स्वदेशी आंदोलन का मूल उद्देश्य ब्रिटिश शासन का प्रतिकार करना था, जिसमें बहिष्कार (boycott) और स्वदेशी वस्तुओं का प्रयोग शामिल था।
  • संदर्भ और विस्तार: यह आंदोलन ब्रिटिश निर्मित वस्तुओं का बहिष्कार करने, विदेशी कपड़ों को जलाने, और भारतीय निर्मित वस्तुओं (स्वदेशी) को अपनाने पर केंद्रित था। इसका उद्देश्य ब्रिटिश आर्थिक हितों को नुकसान पहुँचाना और राजनीतिक दबाव बनाना था, ताकि विभाजन रद्द हो। इसने राष्ट्रवाद की भावना को भी बल दिया।
  • गलत विकल्प: हालांकि स्वदेशी आंदोलन में भारतीय उद्योगों को बढ़ावा देना (d) और राष्ट्रीय शिक्षा को बढ़ावा देना (c) भी शामिल था, लेकिन आंदोलन की तात्कालिक और प्राथमिक प्रेरणा बंगाल विभाजन का विरोध करना (b) थी। अंग्रेजों को भारत से निकालने (a) का लक्ष्य ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ (1942) का था।

प्रश्न 24: ‘गदर पार्टी’ की स्थापना कब और कहाँ हुई थी?

  1. 1913, बर्लिन
  2. 1915, सैन फ्रांसिस्को
  3. 1913, सैन फ्रांसिस्को
  4. 1916, लंदन

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: ‘गदर पार्टी’ की स्थापना 1913 में सैन फ्रांसिस्को, अमेरिका में हुई थी।
  • संदर्भ और विस्तार: इसकी स्थापना लाला हरदयाल, सोहन सिंह भकना और अन्य भारतीय राष्ट्रवादियों द्वारा की गई थी। पार्टी का उद्देश्य ब्रिटिश शासन के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष के लिए भारतीय प्रवासियों को संगठित करना था। पार्टी ‘गदर’ नामक एक समाचार पत्र भी प्रकाशित करती थी, जो भारत में स्वतंत्रता संग्राम को प्रेरित करता था।
  • गलत विकल्प: बर्लिन में ‘भारतीय स्वतंत्रता समिति’ (Indian Independence Committee) या ‘भारतीय स्वतंत्रता की लीग’ की स्थापना 1915 में हुई थी, जिसमें वीरेंद्रनाथ चटोपाध्याय जैसे नेता शामिल थे। सैन फ्रांसिस्को 1913 में पार्टी की स्थापना का स्थान था। लंदन में भी कुछ भारतीय राष्ट्रवादियों ने प्रयास किए थे।

प्रश्न 25: ‘फ्रांस की क्रांति’ (1789) का मुख्य नारा क्या था?

  1. स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व
  2. धर्म, राष्ट्र, नेता
  3. शक्ति, सम्मान, विजय
  4. शांति, व्यवस्था, प्रगति

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: 1789 की फ्रांसीसी क्रांति का सबसे प्रसिद्ध और केंद्रीय नारा ‘लिबर्टे, एगैलिते, फ्रेटरनिटे’ (Liberté, égalité, fraternité) था, जिसका अर्थ है ‘स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व’।
  • संदर्भ और विस्तार: इस क्रांति ने राजशाही को उखाड़ फेंका और फ्रांस में गणतंत्र की स्थापना की। इस क्रांति के आदर्शों ने पूरे यूरोप और दुनिया भर में स्वतंत्रता, समानता और मानवाधिकारों के आंदोलनों को प्रेरित किया।
  • गलत विकल्प: अन्य विकल्प क्रांति के मूल आदर्शों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। ‘धर्म, राष्ट्र, नेता’ अक्सर फासीवाद या राष्ट्रवाद के आधुनिक रूपों से जुड़े होते हैं। ‘शक्ति, सम्मान, विजय’ या ‘शांति, व्यवस्था, प्रगति’ भी फ्रांसीसी क्रांति के प्रमुख नारे नहीं थे।

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