इतिहास का महारथी: 25 प्रश्नों का दैनिक ज्ञानवर्धक संग्राम
आइए, इतिहास के विशाल सागर में गोता लगाएं और अपने ज्ञान की गहराई को परखें! प्रस्तुत है आपके लिए 25 चुनिंदा प्रश्नों का एक ऐसा संग्रह, जो आपको प्राचीन भारत से लेकर आधुनिक विश्व तक की यात्रा पर ले जाएगा। हर प्रश्न एक अवसर है, हर उत्तर एक सीख। क्या आप तैयार हैं इतिहास के इस रोमांचक सफर के लिए?
इतिहास अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: सिंधु घाटी सभ्यता का कौन सा स्थल ‘सिंधु का बाग’ (Sindhu ka Bagh) कहलाता था?
- हड़प्पा
- मोहनजोदड़ो
- लोथल
- कालीबंगा
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: मोहनजोदड़ो, जिसका अर्थ है ‘मृतकों का टीला’, सिंधु घाटी सभ्यता का एक अत्यंत महत्वपूर्ण और सुनियोजित शहर था। इसकी विशालता, जल निकासी व्यवस्था और सार्वजनिक स्नानागार जैसी संरचनाओं ने इसे विशेष पहचान दी।
- संदर्भ और विस्तार: मोहनजोदड़ो वर्तमान पाकिस्तान के सिंध प्रांत में सिंधु नदी के तट पर स्थित था। यहाँ मिले विशाल स्नानागार (Great Bath) और अन्नागार (Granary) शहर की उन्नत वास्तुकला और नियोजन को दर्शाते हैं। इस स्थल को अक्सर ‘सिंधु का बाग’ कहा जाता था क्योंकि यह उस क्षेत्र में समृद्धि और जल संसाधनों की प्रचुरता का प्रतीक था।
- गलत विकल्प: हड़प्पा पहला खोजा गया स्थल था, लोथल एक महत्वपूर्ण बंदरगाह शहर था, और कालीबंगा एक कृषि-केंद्रित स्थल था, लेकिन ‘सिंधु का बाग’ विशेष रूप से मोहनजोदड़ो के लिए प्रयुक्त होता था।
प्रश्न 2: प्राचीन भारत में ‘गिल्ड’ (Guild) को किस नाम से जाना जाता था?
- श्रेणी
- गण
- संघ
- ग्राम
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: प्राचीन भारत में, शिल्पकारों और व्यापारियों के संगठन को ‘श्रेणी’ (Shreni) कहा जाता था। ये संगठन काफी शक्तिशाली होते थे और अपने सदस्यों के हितों की रक्षा करते थे।
- संदर्भ और विस्तार: ‘श्रेणी’ केवल एक व्यावसायिक संगठन नहीं थी, बल्कि यह एक सामाजिक और आर्थिक इकाई भी थी। ये श्रेणियां उत्पादन, मूल्य निर्धारण, गुणवत्ता नियंत्रण और सदस्यों के बीच विवादों के समाधान जैसे मामलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती थीं। कई अभिलेखों में श्रेणियों के दान या राजाओं के साथ उनके संबंधों का उल्लेख मिलता है।
- गलत विकल्प: ‘गण’ या ‘संघ’ अक्सर गणतांत्रिक या कुलीन समूहों को दर्शाते थे, जबकि ‘ग्राम’ एक गाँव का प्रशासनिक या सामाजिक समूह होता था।
प्रश्न 3: किस गुप्त शासक को ‘भारत का नेपोलियन’ कहा जाता है?
- चंद्रगुप्त प्रथम
- समुद्रगुप्त
- चंद्रगुप्त द्वितीय
- कुमारगुप्त
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: समुद्रगुप्त (शासनकाल लगभग 335-375 ईस्वी) को उनके सैन्य अभियानों और विजयों के कारण ‘भारत का नेपोलियन’ कहा जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: प्रयाग प्रशस्ति (इलाहाबाद स्तंभ शिलालेख) में उनके विजयों का विस्तृत विवरण है, जिसमें कहा गया है कि उन्होंने उत्तर भारत के अनेक राजाओं को हराया और दक्षिण में भी विजय प्राप्त की। उनकी सैन्य प्रतिभा और विशाल साम्राज्य विस्तार के कारण, इतिहासकार वी. ए. स्मिथ ने उन्हें यह उपाधि दी थी।
- गलत विकल्प: चंद्रगुप्त प्रथम ने गुप्त साम्राज्य की नींव रखी, चंद्रगुप्त द्वितीय (विक्रमादित्य) के काल में साहित्य और कला का विकास हुआ, और कुमारगुप्त ने नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना में योगदान दिया।
प्रश्न 4: दिल्ली सल्तनत का कौन सा सुल्तान ‘बाजार नियंत्रण प्रणाली’ के लिए प्रसिद्ध है?
- कुतुबुद्दीन ऐबक
- इल्तुतमिश
- अलाउद्दीन खिलजी
- गयासुद्दीन तुगलक
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: अलाउद्दीन खिलजी (शासनकाल 1296-1316 ईस्वी) ने अपने शासनकाल में कठोर बाजार नियंत्रण प्रणाली लागू की थी।
- संदर्भ और विस्तार: खिलजी का उद्देश्य बड़ी सेना को सस्ते दरों पर रसद उपलब्ध कराना और जनता को राहत पहुंचाना था। उन्होंने आवश्यक वस्तुओं के लिए मूल्य निर्धारित किए, जमाखोरी पर रोक लगाई, और एक अलग ‘दीवान-ए-रियासत’ (बाजार का अधीक्षक) और ‘शहना-ए-मंडी’ (बाजार निरीक्षक) नियुक्त किए। उल्लंघन करने वालों को कड़ी सजा दी जाती थी।
- गलत विकल्प: कुतुबुद्दीन ऐबक दिल्ली सल्तनत का संस्थापक था, इल्तुतमिश ने तुर्काने-चहलगानी की स्थापना की, और गयासुद्दीन तुगलक ने तुगलक वंश की स्थापना की और न्यायप्रिय शासक माना जाता है।
प्रश्न 5: विजयनगर साम्राज्य की स्थापना किस वर्ष हुई थी?
- 1325 ईस्वी
- 1336 ईस्वी
- 1347 ईस्वी
- 1350 ईस्वी
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: विजयनगर साम्राज्य की स्थापना वर्ष 1336 ईस्वी में हुई थी।
- संदर्भ और विस्तार: हरिहर प्रथम और बुक्का प्रथम, जिन्होंने संगम राजवंश की स्थापना की, ने वारंगल के काकतीय राजाओं के सामंत के रूप में काम किया था। मोहम्मद बिन तुगलक के कमजोर पड़ने पर, उन्होंने तुंगभद्रा नदी के तट पर विजयनगर शहर की स्थापना की और एक विशाल साम्राज्य की नींव रखी जिसने दक्षिण भारत में सदियों तक शासन किया।
- गलत विकल्प: 1325 ईस्वी में मुहम्मद बिन तुगलक दिल्ली का सुल्तान बना, 1347 ईस्वी में बहमनी सल्तनत की स्थापना हुई, और 1350 ईस्वी एक सामान्य वर्ष है जिसका कोई विशेष महत्व विजयनगर की स्थापना से जुड़ा नहीं है।
प्रश्न 6: ‘The Spirit of Laws’ नामक प्रसिद्ध पुस्तक के लेखक कौन थे?
- जॉन लॉक
- जीन-जैक्स रूसो
- मॉन्टेस्क्यू
- वॉल्टेयर
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: ‘The Spirit of Laws’ (फ्रांसीसी: De l’esprit des lois) नामक पुस्तक के लेखक फ्रांसीसी दार्शनिक चार्ल्स-लुई डी सेकोन्डैट, बैरन डी ला ब्रेडे एट डी मोंटेस्क्यू (Montesquieu) थे।
- संदर्भ और विस्तार: यह पुस्तक 1748 में प्रकाशित हुई थी और इसमें शक्ति पृथक्करण (separation of powers) के सिद्धांत की वकालत की गई है। मॉन्टेस्क्यू ने तर्क दिया कि सरकार की शक्तियों (विधायी, कार्यकारी और न्यायिक) को अलग-अलग स्वतंत्र संस्थाओं में विभाजित किया जाना चाहिए ताकि किसी एक अंग को अत्यधिक शक्ति प्राप्त न हो और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा हो सके। यह विचार अमेरिकी संविधान जैसे कई आधुनिक लोकतांत्रिक संविधानों का आधार बना।
- गलत विकल्प: जॉन लॉक ने ‘टू ट्रीटीज ऑफ गवर्नमेंट’ लिखी, रूसो ने ‘द सोशल कॉन्ट्रैक्ट’ लिखी, और वॉल्टेयर एक प्रमुख प्रबोधन विचारक थे लेकिन इस पुस्तक के लेखक नहीं थे।
प्रश्न 7: 1857 के विद्रोह के दौरान, कानपुर से इसका नेतृत्व किसने किया था?
- रानी लक्ष्मीबाई
- तात्या टोपे
- नाना साहेब
- कुंवर सिंह
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: 1857 के भारतीय विद्रोह के दौरान, कानपुर से इसका नेतृत्व नाना साहेब ने किया था।
- संदर्भ और विस्तार: नाना साहेब पेशवा बाजीराव द्वितीय के दत्तक पुत्र थे और ब्रिटिश सरकार ने उनकी पेंशन रोक दी थी। इसी कारण वे विद्रोह में शामिल हुए और कानपुर में ब्रिटिश सेना को हराने के बाद खुद को पेशवा घोषित कर दिया। उनके साथ तात्या टोपे भी महत्वपूर्ण नेता थे, जिन्होंने बाद में विद्रोह का नेतृत्व संभाला जब नाना साहेब नेपाल चले गए।
- गलत विकल्प: रानी लक्ष्मीबाई झाँसी से लड़ीं, कुंवर सिंह बिहार से लड़े, और तात्या टोपे कानपुर में नाना साहेब के सहयोगी थे और बाद में भी उन्होंने नेतृत्व किया।
प्रश्न 8: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना कब हुई थी?
- 1885
- 1890
- 1900
- 1905
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (Indian National Congress – INC) की स्थापना 28 दिसंबर 1885 को हुई थी।
- संदर्भ और विस्तार: इसकी स्थापना ए.ओ. ह्यूम, जो एक सेवानिवृत्त ब्रिटिश अधिकारी थे, द्वारा की गई थी। पहला अधिवेशन बंबई (अब मुंबई) में तेजपाल संस्कृत कॉलेज में हुआ था, जिसकी अध्यक्षता व्योमेश चंद्र बनर्जी (W.C. Bonnerjee) ने की थी। इसका प्रारंभिक उद्देश्य भारतीयों को राजनीतिक प्रशिक्षण देना और ब्रिटिश सरकार के साथ एक सहयोगी संबंध स्थापित करना था, लेकिन धीरे-धीरे यह भारत की स्वतंत्रता के आंदोलन का मुख्य मंच बन गया।
- गलत विकल्प: अन्य वर्ष कांग्रेस के गठन से संबंधित नहीं हैं; 1905 में बंगाल विभाजन हुआ, जो राष्ट्रीय आंदोलन में एक महत्वपूर्ण मोड़ था।
प्रश्न 9: ‘गांधी-इरविन समझौता’ किस वर्ष हुआ था?
- 1928
- 1929
- 1930
- 1931
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: गांधी-इरविन समझौता 5 मार्च 1931 को हुआ था।
- संदर्भ और विस्तार: इस समझौते पर महात्मा गांधी और तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन के बीच हस्ताक्षर किए गए थे। यह सविनय अवज्ञा आंदोलन (Civil Disobedience Movement) को समाप्त करने के लिए किया गया था। समझौते के तहत, सरकार ने राजनीतिक कैदियों को रिहा करने और शांतिपूर्ण सत्याग्रहियों की जब्त संपत्तियों को लौटाने पर सहमति व्यक्त की, जबकि गांधीजी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन को निलंबित करने और गोलमेज सम्मेलन (Round Table Conference) में भाग लेने पर सहमति व्यक्त की।
- गलत विकल्प: 1928 में साइमन कमीशन का बहिष्कार हुआ, 1929 में कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज का लक्ष्य घोषित किया, और 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू हुआ था।
प्रश्न 10: प्रथम विश्व युद्ध के दौरान, कौन सा देश मित्र राष्ट्रों (Allied Powers) की ओर से नहीं लड़ा?
- फ्रांस
- ब्रिटेन
- इटली
- ऑस्ट्रिया-हंगरी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: ऑस्ट्रिया-हंगरी प्रथम विश्व युद्ध के दौरान केंद्रीय शक्तियों (Central Powers) का एक प्रमुख सदस्य था, न कि मित्र राष्ट्रों का।
- संदर्भ और विस्तार: प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) मुख्य रूप से दो गुटों के बीच लड़ा गया था: मित्र राष्ट्र (जिनमें फ्रांस, ब्रिटेन, रूस, इटली, जापान और बाद में संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल थे) और केंद्रीय शक्तियां (जिनमें जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी, ओटोमन साम्राज्य और बुल्गारिया शामिल थे)। युद्ध की शुरुआत ऑस्ट्रिया-हंगरी के आर्कड्यूक फ्रांज फर्डिनेंड की हत्या से हुई थी।
- गलत विकल्प: फ्रांस, ब्रिटेन और इटली (1915 के बाद) मित्र राष्ट्रों की ओर से लड़े थे।
प्रश्न 11: ‘दास प्रथा का उन्मूलन’ (Abolition of Slavery) किस अमेरिकी राष्ट्रपति के कार्यकाल में हुआ?
- जॉर्ज वाशिंगटन
- थॉमस जेफरसन
- अब्राहम लिंकन
- एंड्रयू जैक्सन
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: अब्राहम लिंकन (Abraham Lincoln) के राष्ट्रपति काल (1861-1865) के दौरान अमेरिका में दास प्रथा का उन्मूलन हुआ।
- संदर्भ और विस्तार: लिंकन ने 1863 में ‘मुक्ति उद्घोषणा’ (Emancipation Proclamation) जारी की, जिसने कन्फेडरेट राज्यों में गुलामों को मुक्त घोषित किया। इसके बाद, 1865 में अमेरिकी संविधान में 13वां संशोधन पारित किया गया, जिसने पूरे देश में दास प्रथा को औपचारिक रूप से समाप्त कर दिया। यह अमेरिकी गृहयुद्ध का एक प्रमुख परिणाम था।
- गलत विकल्प: जॉर्ज वाशिंगटन अमेरिका के पहले राष्ट्रपति थे, थॉमस जेफरसन ने स्वतंत्रता की घोषणा का मसौदा तैयार किया, और एंड्रयू जैक्सन एक प्रभावशाली राष्ट्रपति थे लेकिन दास प्रथा के उन्मूलन से सीधे तौर पर जुड़े नहीं थे।
प्रश्न 12: ऋग्वैदिक काल में ‘पुरोहित’ का मुख्य कार्य क्या था?
- सेना का नेतृत्व करना
- राजस्व एकत्र करना
- यज्ञों का संचालन करना
- न्याय प्रदान करना
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: ऋग्वैदिक काल (लगभग 1500-1000 ईसा पूर्व) में पुरोहितों का मुख्य कार्य देवताओं की स्तुति में यज्ञों और अनुष्ठानों का संचालन करना था।
- वेदों में मंत्रों और सूक्तों के माध्यम से देवताओं को प्रसन्न करने का विधान था, और पुरोहित इन कर्मकांडों के विशेषज्ञ होते थे। वे राजाओं और समाज के लिए महत्वपूर्ण थे क्योंकि ऐसा माना जाता था कि उनके अनुष्ठान शुभ फल देते हैं।
- गलत विकल्प: सेना का नेतृत्व सेनानी करते थे, राजस्व संग्रहण का कार्य संभवतः ‘भागदुग’ नामक अधिकारी करता था, और न्याय प्रदान का कार्य राजा या सभा-समिति द्वारा किया जाता था।
प्रश्न 13: हर्यक वंश का वह कौन सा शासक था जिसे ‘पितृहन्ता’ कहा जाता है?
- बिम्बिसार
- अजातशत्रु
- उदयन
- नागदशक
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: हर्यक वंश का शासक अजातशत्रु अपने पिता बिम्बिसार की हत्या करके गद्दी पर बैठा था, इसलिए उसे ‘पितृहन्ता’ कहा जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: अजातशत्रु (लगभग 492-460 ईसा पूर्व) मगध का एक शक्तिशाली शासक था और उसने अपने पिता बिम्बिसार को बंदी बनाकर मार डाला था। उसने अपनेUncle, देवदत्त को भी सहारा दिया था, जो बुद्ध के विरोधी थे। अजातशत्रु ने अपने पड़ोसी राज्यों, विशेषकर कोसल और वज्जिसंघ (वैशाली) के विरुद्ध कई सफल युद्ध लड़े और मगध के साम्राज्य को और विस्तृत किया।
- गलत विकल्प: बिम्बिसार हर्यक वंश का संस्थापक था, उदयन ने अपनी राजधानी पाटलिपुत्र स्थानांतरित की, और नागदशक अंतिम हर्यक शासक था।
प्रश्न 14: किस गुप्त सम्राट ने ‘विक्रम संवत’ की शुरुआत की मानी जाती है?
- चंद्रगुप्त प्रथम
- समुद्रगुप्त
- चंद्रगुप्त द्वितीय
- कुमारगुप्त
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: चंद्रगुप्त द्वितीय, जिन्हें विक्रमादित्य के नाम से भी जाना जाता है, के शासनकाल से विक्रम संवत (57 ईसा पूर्व) का संबंध जोड़ा जाता है, हालांकि इसका आरंभिक स्रोत उज्जैन के स्थानीय शासक विक्रमादित्य से जुड़ा है।
- संदर्भ और विस्तार: चंद्रगुप्त द्वितीय के दरबार में नवरत्न थे, जिनमें कालिदास जैसे विद्वान शामिल थे। उन्होंने मालवा क्षेत्र पर विजय प्राप्त की और अपनी राजधानी उज्जैन को महत्व दिया। यद्यपि विक्रम संवत चंद्रगुप्त द्वितीय से पहले शुरू हुआ था, लेकिन उनके शासनकाल के दौरान इसका व्यापक प्रयोग और प्रसार हुआ, जिससे यह उनके नाम से जुड़ गया। यह संवत आज भी भारत के कई क्षेत्रों में प्रचलित है।
- गलत विकल्प: अन्य गुप्त शासकों का विक्रम संवत के आरंभ से प्रत्यक्ष संबंध नहीं है।
प्रश्न 15: ‘अष्टप्रधान’ किस मराठा शासक के प्रशासन से संबंधित था?
- शिवाजी महाराज
- संभाजी
- राजाराम
- पेशवा बाजीराव प्रथम
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: ‘अष्टप्रधान’ शिवाजी महाराज (शासनकाल 1630-1680) के प्रशासन में उनके आठ मंत्रियों की एक परिषद थी।
- संदर्भ और विस्तार: शिवाजी ने अपने राज्य के सुचारू प्रशासन के लिए एक कुशल मंत्रिपरिषद का गठन किया था, जिसे ‘अष्टप्रधान’ कहा जाता था। इसमें आठ मंत्री शामिल थे: पेशवा (प्रधानमंत्री), अमात्य (वित्त मंत्री), सचिव (शाही पत्रों का प्रबंधन), सुमंत (विदेश मंत्री), सेनापति (सेना प्रमुख), पंडितराव (धार्मिक मामलों के प्रमुख), न्यायाधीश (मुख्य न्यायधीश), और वाकयानवीस (गुप्तचर विभाग)। प्रत्येक मंत्री अपने विभाग के लिए उत्तरदायी था।
- गलत विकल्प: संभाजी, राजाराम और पेशवा बाजीराव प्रथम ने शिवाजी की प्रशासनिक व्यवस्था को जारी रखा या उसमें कुछ बदलाव किए, लेकिन अष्टप्रधान का ढाँचा शिवाजी ने ही स्थापित किया था।
प्रश्न 16: निम्नलिखित में से कौन सी प्रथा ‘1857 के विद्रोह’ का तात्कालिक कारण बनी?
- व्यपगत का सिद्धांत (Doctrine of Lapse)
- सहायक संधि (Subsidiary Alliance)
- एनफील्ड राइफल में लगी चर्बी वाले कारतूस
- दलितों के प्रति भेदभाव
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: एनफील्ड राइफल में इस्तेमाल होने वाले चर्बी वाले कारतूसों ने 1857 के विद्रोह को भड़काने में तात्कालिक भूमिका निभाई।
- संदर्भ और विस्तार: उस समय सिपाहियों को नई एनफील्ड राइफलें दी जानी थीं, जिनके कारतूसों को इस्तेमाल से पहले दाँतों से काटना पड़ता था। ऐसी अफवाहें फैल गईं कि इन कारतूसों पर गाय और सूअर की चर्बी लगी होती है। गाय हिंदुओं के लिए पवित्र है और सूअर मुसलमानों के लिए अपवित्र, इसलिए यह धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाली बात थी। मंगल पांडे द्वारा बैरकपुर में विद्रोह की शुरुआत इसी घटना के विरोध में हुई थी, जिसने जल्द ही पूरे उत्तर भारत में एक बड़े विद्रोह का रूप ले लिया।
- गलत विकल्प: व्यपगत का सिद्धांत (जैसे झाँसी का विलय) और सहायक संधि जैसी नीतियाँ लंबे समय से असंतोष पैदा कर रही थीं, और दलितों के प्रति भेदभाव भी एक समस्या थी, लेकिन कारतूसों का मुद्दा तात्कालिक चिंगारी बना।
प्रश्न 17: ‘स्वराज पार्टी’ की स्थापना कब और किसके द्वारा की गई थी?
- 1923, मोतीलाल नेहरू और चितरंजन दास
- 1925, लाला लाजपत राय
- 1928, जवाहरलाल नेहरू
- 1930, सरदार पटेल
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: स्वराज पार्टी की स्थापना 1923 में मोतीलाल नेहरू और चितरंजन दास (सी. आर. दास) द्वारा की गई थी।
- संदर्भ और विस्तार: असहयोग आंदोलन (1920-22) के अचानक स्थगित हो जाने के बाद, कांग्रेस में मतभेद उत्पन्न हो गए थे। कुछ नेता (जैसे मोतीलाल नेहरू और सी. आर. दास) चाहते थे कि कांग्रेस विधान परिषदों में प्रवेश करे और सरकार के कार्यों में बाधा डाले, जबकि अन्य (जैसे गांधीजी) चाहते थे कि विधायी राजनीति से दूर रहा जाए। इसी मतभेद के चलते स्वराज पार्टी (या कांग्रेस-खिलाफत स्वराज पार्टी) का गठन हुआ, जिसका उद्देश्य परिषदों में प्रवेश कर ‘बाधा डालो और राज करो’ की नीति अपनाना था।
- गलत विकल्प: अन्य विकल्प स्वराज पार्टी की स्थापना के सही वर्ष या संस्थापकों को नहीं दर्शाते हैं।
प्रश्न 18: भारत में ‘स्थायी बंदोबस्त’ (Permanent Settlement) किसने लागू किया था?
- लॉर्ड डलहौजी
- लॉर्ड वेलेजली
- लॉर्ड कॉर्नवॉलिस
- लॉर्ड विलियम बेंटिंक
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: स्थायी बंदोबस्त (Permanent Settlement) लॉर्ड कॉर्नवॉलिस द्वारा 1793 में बंगाल, बिहार और उड़ीसा में लागू किया गया था।
- संदर्भ और विस्तार: इस प्रणाली के तहत, जमींदारों को भूमि का मालिक बना दिया गया और उनसे कहा गया कि वे निश्चित राशि सरकार को कर के रूप में दें। यह कर राशि स्थायी थी, अर्थात इसमें कोई बदलाव नहीं किया जाना था। इससे सरकार को नियमित आय सुनिश्चित हुई, लेकिन इसका मुख्य भार किसानों पर पड़ा। जमींदारों ने किसानों से मनमाना लगान वसूलना शुरू कर दिया।
- गलत विकल्प: लॉर्ड डलहौजी व्यपगत के सिद्धांत के लिए जाने जाते हैं, लॉर्ड वेलेजली ने सहायक संधि की नीति लागू की, और लॉर्ड विलियम बेंटिंक सती प्रथा के उन्मूलन और ठगी के दमन के लिए जाने जाते हैं।
प्रश्न 19: ‘गांधी-आर्विंद समझौता’ किस आंदोलन से संबंधित था?
- असहयोग आंदोलन
- सविनय अवज्ञा आंदोलन
- भारत छोड़ो आंदोलन
- खिलाफत आंदोलन
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: गांधी-इरविन समझौता 1931 में सविनय अवज्ञा आंदोलन (Civil Disobedience Movement) के संदर्भ में हुआ था।
- संदर्भ और विस्तार: यह समझौता भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और ब्रिटिश सरकार के बीच एक राजनीतिक समझौता था, जिसने सविनय अवज्ञा आंदोलन को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया था। समझौते के तहत, सरकार ने राजनीतिक कैदियों को रिहा करने और कांग्रेस की मांगों को पूरा करने का वादा किया, जबकि कांग्रेस ने भविष्य के गोलमेज सम्मेलनों में भाग लेने पर सहमति व्यक्त की।
- गलत विकल्प: असहयोग आंदोलन 1920-22 में हुआ था, भारत छोड़ो आंदोलन 1942 में शुरू हुआ था, और खिलाफत आंदोलन 1919-24 के बीच चला था।
प्रश्न 20: ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ का नारा क्या था?
- पूर्ण स्वराज
- करो या मरो
- साइमन वापस जाओ
- इंकलाब जिंदाबाद
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ (Quit India Movement) के दौरान महात्मा गांधी द्वारा दिया गया प्रसिद्ध नारा ‘करो या मरो’ (Do or Die) था।
- संदर्भ और विस्तार: यह आंदोलन 8 अगस्त 1942 को मुंबई में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी द्वारा पारित ‘भारत छोड़ो’ प्रस्ताव के साथ शुरू हुआ। इसका उद्देश्य भारत से ब्रिटिश शासन को तुरंत समाप्त करना था। गांधीजी ने देशवासियों को अहिंसक तरीके से स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए ‘करो या मरो’ का नारा देकर प्रेरित किया, जिसका अर्थ था कि या तो वे इस महान संघर्ष में सफल होंगे या अपने जीवन का बलिदान दे देंगे।
- गलत विकल्प: ‘पूर्ण स्वराज’ 1929 के लाहौर अधिवेशन का नारा था, ‘साइमन वापस जाओ’ 1928 में साइमन कमीशन के विरोध में था, और ‘इंकलाब जिंदाबाद’ भगत सिंह का प्रसिद्ध नारा था।
प्रश्न 21: प्राचीन रोम में ‘सीनेट’ (Senate) का क्या कार्य था?
- सेना का नेतृत्व करना
- कानूनों का मसौदा तैयार करना और सरकारी नीतियों पर सलाह देना
- आम जनता की शिकायतों का निवारण करना
- विदेशी राज्यों से संधि करना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: प्राचीन रोम में, सीनेट एक शक्तिशाली सलाहकार निकाय था जो मुख्य रूप से कानूनों का मसौदा तैयार करने और सरकारी नीतियों पर सलाह देने का कार्य करता था।
- संदर्भ और विस्तार: रोमन गणराज्य (Roman Republic) के दौरान, सीनेट में कुलीन वर्ग के सदस्य होते थे और यह राज्य की नीतियों, विदेश मामलों, वित्त और कानून निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती थी। हालांकि यह सीधे तौर पर कोई कार्यकारी शक्ति नहीं रखती थी, लेकिन इसका प्रभाव अत्यंत महत्वपूर्ण था। रोमन साम्राज्य के दौरान भी सीनेट का अस्तित्व बना रहा, हालांकि इसकी शक्तियाँ धीरे-धीरे सम्राट के हाथों में केंद्रित हो गईं।
- गलत विकल्प: सेना का नेतृत्व सामान्यतः जनरल करते थे, आम जनता की शिकायतों का निवारण अन्य अधिकारियों द्वारा किया जाता था, और विदेशी राज्यों से संधियाँ करने में सम्राट याConsul प्रमुख भूमिका निभाते थे।
प्रश्न 22: फ्रांस की क्रांति (1789) का प्रमुख नारा क्या था?
- स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व
- न्याय, शांति, समृद्धि
- धर्म, राजा, राष्ट्र
- एक राष्ट्र, एक राजा, एक धर्म
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: फ्रांस की क्रांति (1789) का प्रमुख नारा ‘स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व’ (Liberté, égalité, fraternité) था।
- संदर्भ और विस्तार: इस नारे ने क्रांति के मुख्य आदर्शों को व्यक्त किया। ‘स्वतंत्रता’ का अर्थ था निरंकुश राजशाही और सामंती विशेषाधिकारों से मुक्ति। ‘समानता’ का अर्थ था कानून के समक्ष सभी नागरिकों की समानता, चाहे उनकी सामाजिक स्थिति कुछ भी हो। ‘बंधुत्व’ का अर्थ था राष्ट्र के सभी नागरिकों के बीच एकता और भाईचारे की भावना। यह नारा आज भी फ्रांस का राष्ट्रीय आदर्श वाक्य है।
- गलत विकल्प: अन्य नारे क्रांति के मूल सिद्धांतों से मेल नहीं खाते।
प्रश्न 23: किस गुप्त सम्राट ने ‘विक्रमादित्य’ की उपाधि धारण की?
- समुद्रगुप्त
- चंद्रगुप्त द्वितीय
- स्कंदगुप्त
- कुमारगुप्त
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: चंद्रगुप्त द्वितीय ने ‘विक्रमादित्य’ की उपाधि धारण की थी।
- संदर्भ और विस्तार: चंद्रगुप्त द्वितीय (शासनकाल 375-415 ईस्वी) गुप्त साम्राज्य के सबसे शक्तिशाली शासकों में से एक थे। उन्होंने शकों को परास्त किया और मालवा क्षेत्र पर अधिकार किया, जिससे उनकी प्रतिष्ठा बढ़ी। ‘विक्रमादित्य’ का अर्थ है ‘पराक्रम का सूर्य’ और यह उपाधि प्राचीन भारत में महान शासकों को दी जाती थी। उनके शासनकाल को गुप्त काल का स्वर्ण युग माना जाता है।
- गलत विकल्प: समुद्रगुप्त को ‘भारत का नेपोलियन’ कहा जाता है, स्कंदगुप्त ने हूणों को हराया था, और कुमारगुप्त ने नालंदा विश्वविद्यालय के निर्माण में योगदान दिया था, लेकिन ‘विक्रमादित्य’ मुख्य रूप से चंद्रगुप्त द्वितीय से जुड़ा है।
प्रश्न 24: ‘दलबदल विरोधी कानून’ (Anti-Defection Law) को भारतीय संविधान की किस अनुसूची में जोड़ा गया?
- सातवीं अनुसूची
- नौवीं अनुसूची
- दसवीं अनुसूची
- बारहवीं अनुसूची
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: दलबदल विरोधी कानून को भारतीय संविधान की दसवीं अनुसूची (Tenth Schedule) में 1985 में 52वें संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा जोड़ा गया था।
- संदर्भ और विस्तार: इस कानून का उद्देश्य विधायकों (सांसदों और विधायकों) को राजनीतिक दल बदलने पर अयोग्यता घोषित करना है, ताकि राजनीतिक स्थिरता बनी रहे। यह कानून उस अवधि में राजनीतिक अस्थिरता और बार-बार सरकार बदलने की प्रवृत्ति को रोकने के लिए लाया गया था। यह अनुसूची संसद या राज्य विधानमंडल के किसी सदस्य की अयोग्यता से संबंधित प्रावधानों को निर्धारित करती है।
- गलत विकल्प: सातवीं अनुसूची केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों के वितरण से संबंधित है, नौवीं अनुसूची भूमि सुधारों से संबंधित है, और बारहवीं अनुसूची नगर पालिकाओं से संबंधित है।
प्रश्न 25: निम्नलिखित में से किस वायसराय के कार्यकाल में ‘बंगाल का विभाजन’ हुआ था?
- लॉर्ड कर्जन
- लॉर्ड डलहौजी
- लॉर्ड कैनिंग
- लॉर्ड लिटन
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: बंगाल का विभाजन लॉर्ड कर्जन (Lord Curzon) के कार्यकाल में 1905 में हुआ था।
- संदर्भ और विस्तार: लॉर्ड कर्जन, जो 1899 से 1905 तक भारत के वायसराय रहे, ने प्रशासनिक सुधारों के नाम पर 20 जुलाई 1905 को बंगाल के विभाजन की घोषणा की। उनका तर्क था कि बंगाल एक विशाल प्रांत है और इसका प्रशासन ठीक से नहीं चल पा रहा है। हालांकि, विभाजन का असली उद्देश्य हिंदू-मुस्लिम एकता को तोड़ना और राष्ट्रीय आंदोलन को कमजोर करना था। इस विभाजन के विरोध में स्वदेशी आंदोलन शुरू हुआ, जिसने भारत के स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दी। अंततः, 1911 में लॉर्ड हार्डिंग द्वितीय के समय बंगाल का विभाजन रद्द कर दिया गया।
- गलत विकल्प: लॉर्ड डलहौजी ने व्यपगत का सिद्धांत लागू किया, लॉर्ड कैनिंग 1857 के विद्रोह के समय वायसराय थे, और लॉर्ड लिटन के समय वर्नाक्युलर प्रेस एक्ट लागू हुआ था।