इतिहास का आज का महासंग्राम: 25 प्रश्न आपकी तैयारी के लिए
तैयारी के मैदान में उतरिए और इतिहास के महासागर में गहराई तक गोता लगाइए! आज हम आपके लिए लाए हैं 25 बहुमूल्य प्रश्न, जो प्राचीनता से लेकर आधुनिकता तक, भारतीय और विश्व इतिहास के महत्वपूर्ण पलों को कवर करते हैं। क्या आप अपने ज्ञान को परखने और अगले स्तर पर ले जाने के लिए तैयार हैं? तो चलिए, समय के इस रोमांचक सफर की शुरुआत करते हैं!
इतिहास अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: निम्नलिखित में से किस हड़प्पा स्थल से ‘नर्तकी’ की प्रसिद्ध कांस्य प्रतिमा प्राप्त हुई है?
- हड़प्पा
- मोहनजोदड़ो
- लोथल
- कालीबंगा
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: मोहनजोदड़ो, सिंधु घाटी सभ्यता (लगभग 2500 ईसा पूर्व) का एक प्रमुख स्थल था, जहाँ से ‘नृत्य मुद्रा’ में एक छोटी, सुंदर कांस्य प्रतिमा मिली है, जिसे आमतौर पर ‘नर्तकी’ कहा जाता है। यह प्रतिमा उस समय की उन्नत धातु कर्म कला का उत्कृष्ट उदाहरण है।
- संदर्भ और विस्तार: यह प्रतिमा लगभग 4 इंच लंबी है और इसे ‘लॉस्ट-वैक्स’ (मोम विधि) कास्टिंग तकनीक से बनाया गया था। इसकी भंगिमा और शारीरिक गठन तत्कालीन मूर्तिकला की बारीकी को दर्शाता है। मोहनजोदड़ो का अर्थ ‘मृतकों का टीला’ है और यह सिंधु नदी के तट पर स्थित था।
- गलत विकल्प: हड़प्पा से जॉन मार्शल के नेतृत्व में खुदाई हुई थी और यहाँ ईंटों के विभिन्न स्मारकीय निर्माण मिले। लोथल एक प्रमुख बंदरगाह शहर था जहाँ गोदी (dockyard) के साक्ष्य मिले। कालीबंगा से जुते हुए खेत के प्राचीनतम साक्ष्य मिले।
प्रश्न 2: ‘राजतरंगिणी’ के अनुसार, मौर्य काल में कश्मीर का शासक कौन था?
- चंद्रगुप्त मौर्य
- अशोक
- बिन्दुसार
- ब्रह्मदत्त
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: कल्हण द्वारा रचित ‘राजतरंगिणी’ भारत की प्राचीनतम उपलब्ध ऐतिहासिक कृतियों में से एक है। इसके अनुसार, मौर्य सम्राट अशोक ने कश्मीर में श्रीनगर शहर की स्थापना की थी और उस समय वहाँ एक स्थानीय राजा था, लेकिन अशोक ने वहाँ बौद्ध धर्म का प्रसार किया और व्यवस्था स्थापित की। हालांकि, सीधे तौर पर ‘शासक’ के रूप में अशोक का उल्लेख है, क्योंकि उन्होंने इसे अपने साम्राज्य का हिस्सा बनाया था।
- संदर्भ और विस्तार: ‘राजतरंगिणी’ में कश्मीर का इतिहास 12वीं शताब्दी तक दर्ज है। अशोक ने अपने शासनकाल के तीसरे दशक में कश्मीर पर विजय प्राप्त की और बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए वहाँ मिशनरियां भेजीं।
- गलत विकल्प: चंद्रगुप्त मौर्य और बिन्दुसार भी मौर्य शासक थे, लेकिन राजतरंगिणी का सीधा संबंध कश्मीर से अशोक के शासनकाल के दौरान अधिक है। ब्रह्मदत्त एक काल्पनिक राजा का नाम है जिसका उल्लेख नहीं है।
प्रश्न 3: दिल्ली सल्तनत के किस सुल्तान ने ‘दीवान-ए-अर्ज’ नामक एक सैन्य विभाग की स्थापना की थी?
- इल्तुतमिश
- बलबन
- अलाउद्दीन खिलजी
- फिरोजशाह तुगलक
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: गयासुद्दीन बलबन (शासनकाल 1266-1287 ई.) ने सुल्तान की प्रतिष्ठा को पुनः स्थापित करने और सैन्य शक्ति को मजबूत करने के लिए ‘दीवान-ए-अर्ज’ या ‘दीवान-ए-आरिज’ नामक एक स्वतंत्र सैन्य विभाग की स्थापना की। यह विभाग सेना के संगठन, वेतन, और रसद की देखरेख करता था।
- संदर्भ और विस्तार: बलबन ने मंगोल आक्रमणों के बढ़ते खतरे को देखते हुए अपनी सैन्य व्यवस्था को सुदृढ़ किया। इस विभाग का प्रमुख ‘आरिज-ए-मुमालिक’ कहलाता था, जो सीधे सुल्तान को रिपोर्ट करता था।
- गलत विकल्प: इल्तुतमिश ने ‘चालीसा’ (ग़ुलामों का दल) का गठन किया, जो एक प्रशासनिक और सैन्य शक्ति थी। अलाउद्दीन खिलजी ने स्थायी सेना की शुरुआत की और सैनिकों को नगद वेतन दिया। फिरोजशाह तुगलक ने ‘दीवान-ए-बंदगान’ (दास विभाग) और ‘दीवान-ए-इस्तिहाक’ (पेंशन विभाग) जैसे विभाग स्थापित किए।
प्रश्न 4: ‘मनसबदारी प्रथा’ किस मुगल सम्राट के शासनकाल में अपनी पराकाष्ठा पर पहुंची?
- अकबर
- जहाँगीर
- शाहजहाँ
- औरंगजेब
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: मनसबदारी प्रथा की शुरुआत अकबर ने की थी, लेकिन इसका सबसे अधिक विस्तार और जटिल स्वरूप औरंगजेब के शासनकाल में देखने को मिला। औरंगजेब के समय में मनसबों की संख्या और स्तर दोनों बढ़ गए थे, जिससे प्रशासनिक और सैन्य व्यवस्था पर काफी बोझ पड़ा।
- संदर्भ और विस्तार: मनसबदारी एक मिश्रित प्रणाली थी जिसमें पद, वेतन और सैन्य उत्तरदायित्व शामिल थे। मनसबदारों को ‘जात’ (व्यक्तिगत स्थिति) और ‘सवार’ (घुड़सवार टुकड़ी) के आधार पर वर्गीकृत किया जाता था। अकबर ने इसे स्थापित किया, जहाँगीर ने इसमें ‘दो अस्पा’ और ‘सिह अस्पा’ (एक घुड़सवार के लिए दो और तीन घोड़े रखने की व्यवस्था) की शुरुआत की, लेकिन औरंगजेब के समय इसका ढाँचा सबसे व्यापक हो गया।
- गलत विकल्प: अकबर ने प्रथा की नींव रखी, जहाँगीर ने उसमें महत्वपूर्ण सुधार किए, और शाहजहाँ ने इसे जारी रखा, लेकिन औरंगजेब के समय में इसका विस्तार सर्वाधिक हुआ, जिससे कुछ समस्याएँ भी उत्पन्न हुईं।
प्रश्न 5: विजयनगर साम्राज्य के किस शासक ने ‘अष्टदिग्गज’ नामक तेलुगु के आठ महान कवियों को आश्रय दिया था?
- कृष्ण देव राय
- देव राय द्वितीय
- सदाशिव राय
- राम राय
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: विजयनगर साम्राज्य के सबसे प्रसिद्ध शासक कृष्ण देव राय (शासनकाल 1509-1530 ई.) थे, जिन्होंने तेलुगु साहित्य के ‘स्वर्ण युग’ की नींव रखी। उनके दरबार में ‘अष्टदिग्गज’ (आठ दिशाओं के हाथी) के नाम से विख्यात तेलुगु के आठ महान कवि विराजमान थे, जिन्होंने महत्वपूर्ण साहित्यिक कृतियों की रचना की।
- संदर्भ और विस्तार: इन आठ कवियों में प्रमुख थे अल्लसानी पेद्दन्ना (जिन्हें ‘आंध्र कविता पितामह’ कहा जाता है), नंदी तिम्मन्ना, धुरजति, और तेनाली रामकृष्ण। कृष्ण देव राय स्वयं एक विद्वान और कवि थे और उन्होंने ‘आमुक्तमाल्यदा’ नामक तेलुगु काव्य की रचना की।
- गलत विकल्प: अन्य देव राय, सदाशिव राय और राम राय भी महत्वपूर्ण शासक थे, लेकिन ‘अष्टदिग्गज’ का काल कृष्ण देव राय का था।
प्रश्न 6: कांग्रेस के किस अधिवेशन में ‘पूर्ण स्वराज’ का प्रस्ताव पारित किया गया था?
- कलकत्ता अधिवेशन, 1928
- लाहौर अधिवेशन, 1929
- कराची अधिवेशन, 1931
- लखनऊ अधिवेशन, 1936
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन (1929) में पंडित जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में ‘पूर्ण स्वराज’ (पूर्ण स्वतंत्रता) का ऐतिहासिक प्रस्ताव पारित किया गया था। इस अधिवेशन ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम के लक्ष्य को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया।
- संदर्भ और विस्तार: इस अधिवेशन में यह भी निर्णय लिया गया कि 26 जनवरी, 1930 को ‘पूर्ण स्वराज दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा। इसी अधिवेशन में सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू करने का भी निर्णय लिया गया।
- गलत विकल्प: कलकत्ता अधिवेशन (1928) में नेहरू रिपोर्ट पर विचार हुआ था। कराची अधिवेशन (1931) में मौलिक अधिकारों और आर्थिक नीति का प्रस्ताव पारित हुआ था, जिसमें गांधी-इरविन समझौते का समर्थन भी किया गया था। लखनऊ अधिवेशन (1936) में कांग्रेस ने समाजवाद को अपना लक्ष्य घोषित किया था।
प्रश्न 7: ‘द पॉवर्टी एंड अन-ब्रिटिश रूल इन इंडिया’ नामक पुस्तक के लेखक कौन हैं?
- महात्मा गांधी
- दादाभाई नौरोजी
- गोपाल कृष्ण गोखले
- बाल गंगाधर तिलक
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: ‘भारत के राष्ट्रीय आंदोलन का पितामह’ कहे जाने वाले दादाभाई नौरोजी ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘द पॉवर्टी एंड अन-ब्रिटिश रूल इन इंडिया’ (1901) में ब्रिटिश शासन की आर्थिक नीतियों की आलोचना की और ‘ड्रेन थ्योरी’ (धन निष्कासन सिद्धांत) का प्रतिपादन किया।
- संदर्भ और विस्तार: नौरोजी ने तर्क दिया कि ब्रिटिश शासन भारत का आर्थिक शोषण कर रहा है, जिससे गरीबी बढ़ रही है। इस पुस्तक ने भारतीय राष्ट्रवाद को वैचारिक आधार प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- गलत विकल्प: महात्मा गांधी ने ‘हिंद स्वराज’ और ‘माई एक्सपेरिमेंट विद ट्रुथ’ जैसी पुस्तकें लिखीं। गोपाल कृष्ण गोखले को गांधीजी का राजनीतिक गुरु माना जाता है और उन्होंने ‘सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी’ की स्थापना की। बाल गंगाधर तिलक ने ‘गीता रहस्य’ और ‘The Arctic Home in the Vedas’ लिखीं।
प्रश्न 8: भारत में ‘स्थायी बंदोबस्त’ (Permanent Settlement) की शुरुआत किस गवर्नर-जनरल ने की थी?
- लॉर्ड वेलेजली
- लॉर्ड डलहौजी
- लॉर्ड कॉर्नवालिस
- लॉर्ड विलियम बेंटिंक
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: लॉर्ड कॉर्नवालिस ने 1793 ई. में बंगाल, बिहार, उड़ीसा और मद्रास के कुछ हिस्सों में ‘स्थायी बंदोबस्त’ या ‘इस्तमरारी बंदोबस्त’ की शुरुआत की थी। इस व्यवस्था के तहत जमींदारों को भूमि का मालिक माना गया और उनसे लगान वसूलने का अधिकार स्थायी कर दिया गया।
- संदर्भ और विस्तार: इस व्यवस्था का उद्देश्य लगान वसूली को निश्चित करना और जमींदारों को ब्रिटिश सरकार का एक वफादार वर्ग बनाना था। इसके तहत लगान की दरें स्थायी कर दी गईं, जो कंपनी के लिए लाभकारी सिद्ध नहीं हुई जब उपज बढ़ी।
- गलत विकल्प: लॉर्ड वेलेजली ‘सहायक संधि’ (Subsidiary Alliance) के लिए जाने जाते हैं। लॉर्ड डलहौजी ‘व्यपगत का सिद्धांत’ (Doctrine of Lapse) के लिए प्रसिद्ध हैं। लॉर्ड विलियम बेंटिंक को भारत में सती प्रथा उन्मूलन जैसे सामाजिक सुधारों के लिए जाना जाता है।
प्रश्न 9: 1857 के विद्रोह के समय भारत का गवर्नर-जनरल कौन था?
- लॉर्ड डलहौजी
- लॉर्ड कैनिंग
- लॉर्ड एल्गिन
- लॉर्ड लॉरेंस
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: 1857 के विद्रोह के समय लॉर्ड कैनिंग भारत के गवर्नर-जनरल थे। उनके कार्यकाल के दौरान ही भारत में पहला स्वतंत्रता संग्राम हुआ था।
- संदर्भ और विस्तार: इसी विद्रोह के बाद 1858 में ब्रिटिश संसद ने भारत सरकार अधिनियम पारित किया, जिसके द्वारा भारत का शासन ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी से ब्रिटिश ताज के अधीन कर दिया गया, और गवर्नर-जनरल को ‘वायसराय’ की उपाधि दी गई। लॉर्ड कैनिंग ही भारत के प्रथम वायसराय बने।
- गलत विकल्प: लॉर्ड डलहौजी 1856 में भारत से चले गए थे। लॉर्ड एल्गिन (1864-1869) और लॉर्ड लॉरेंस (1864-1869) कैनिंग के बाद वायसराय बने।
प्रश्न 10: ‘रॉलेक्ट एक्ट’ किस वर्ष पारित हुआ था, जिसे ‘बिना अपील, बिना वकील, बिना दलील’ का कानून कहा गया?
- 1918
- 1919
- 1920
- 1921
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: रॉलेक्ट एक्ट (या रॉलेक्ट कमेटी रिपोर्ट) 1919 में भारत सरकार द्वारा पारित किया गया एक दमनकारी कानून था। इसका उद्देश्य राजनीतिक गतिविधियों को कुचलना था। इसने किसी भी व्यक्ति को बिना मुकदमा चलाए संदेह के आधार पर गिरफ्तार करने का अधिकार दिया था।
- संदर्भ और विस्तार: इस कानून के विरोध में महात्मा गांधी ने राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया, जो जलियांवाला बाग नरसंहार (13 अप्रैल, 1919) का कारण बनी। इस कानून को गांधीजी ने ‘बिना अपील, बिना वकील, बिना दलील’ का काला कानून कहा था।
- गलत विकल्प: वर्ष 1918, 1920 और 1921 में अन्य महत्वपूर्ण घटनाएं हुईं, लेकिन रॉलेक्ट एक्ट 1919 में पारित हुआ था।
प्रश्न 11: प्राचीन भारत में ‘महाजनपद’ काल में मगध की राजधानी क्या थी?
- पाटलिपुत्र
- वैशाली
- राजगृह (गिरिव्रज)
- कौशांबी
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: महाजनपद काल (लगभग 600-300 ईसा पूर्व) में मगध की प्रारंभिक राजधानी राजगृह (वर्तमान राजगीर) थी, जिसे गिरिव्रज भी कहा जाता था। बाद में, उदयन ने अपनी राजधानी पाटलिपुत्र स्थानांतरित की।
- संदर्भ और विस्तार: राजगृह पाँच पहाड़ियों से घिरा एक सुरक्षित स्थान था, जो मगध को पड़ोसी राज्यों से सुरक्षा प्रदान करता था। बिम्बिसार और अजातशत्रु जैसे प्रारंभिक शासक राजगृह से शासन करते थे।
- गलत विकल्प: पाटलिपुत्र बाद में मगध की राजधानी बनी, वैशाली लिच्छवियों की राजधानी थी, और कौशांबी वत्स महाजनपद की राजधानी थी।
प्रश्न 12: गुप्त काल को ‘भारत का स्वर्ण युग’ क्यों कहा जाता है?
- आर्थिक समृद्धि और व्यापार में वृद्धि
- कला, साहित्य और विज्ञान का अभूतपूर्व विकास
- साम्राज्य का विशाल विस्तार
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: गुप्त काल (लगभग 320-550 ईस्वी) को ‘भारत का स्वर्ण युग’ इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस काल में आर्थिक समृद्धि, कला, साहित्य, विज्ञान, खगोल विज्ञान, गणित, और वास्तुकला में अभूतपूर्व विकास हुआ। साम्राज्य का विस्तार भी एक महत्वपूर्ण कारण था।
- संदर्भ और विस्तार: इस युग में कालिदास जैसे महान कवि, आर्यभट्ट जैसे खगोलशास्त्री और गणितज्ञ, और वराहमिहिर जैसे ज्योतिषी हुए। अजंता की गुफाओं के चित्र और धातु विज्ञान में भी प्रगति देखी गई।
- गलत विकल्प: तीनों ही कारण गुप्त काल को स्वर्ण युग कहने के लिए महत्वपूर्ण हैं, इसलिए ‘उपरोक्त सभी’ सबसे उपयुक्त उत्तर है।
प्रश्न 13: ‘इंडिका’ नामक पुस्तक का लेखक कौन है, जिसमें मौर्य साम्राज्य का विवरण मिलता है?
- टॉलेमी
- प्लिनी
- मेगस्थनीज
- फाह्यान
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: मेगस्थनीज, एक यूनानी राजदूत था, जिसे सेल्यूकस प्रथम ने मौर्य सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार में भेजा था। उसने अपने अनुभव के आधार पर ‘इंडिका’ नामक पुस्तक लिखी, जिसमें तत्कालीन भारतीय समाज, संस्कृति और मौर्य साम्राज्य की शासन व्यवस्था का विस्तृत वर्णन है।
- संदर्भ और विस्तार: हालांकि ‘इंडिका’ का मूल पाठ खो गया है, लेकिन इसके अंश अन्य लेखकों जैसे एरियन, प्लूटार्क और स्ट्रैबो के लेखन में मिलते हैं। मेगस्थनीज ने पाटलिपुत्र के भव्यता और चंद्रगुप्त मौर्य की प्रशासनिक दक्षता का उल्लेख किया है।
- गलत विकल्प: टॉलेमी एक भूगोलवेत्ता था, प्लिनी ने ‘नेचुरल हिस्ट्री’ लिखी, और फाह्यान एक चीनी यात्री था जो गुप्त काल में भारत आया था।
प्रश्न 14: प्रसिद्ध ‘कोणार्क का सूर्य मंदिर’ किस राज्य में स्थित है?
- पश्चिम बंगाल
- ओडिशा
- तमिलनाडु
- गुजरात
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: कोणार्क का सूर्य मंदिर, जिसे ‘ब्लैक पैगोडा’ भी कहा जाता है, भारत के ओडिशा राज्य में स्थित है। यह 13वीं शताब्दी में राजा नरसिंह देव प्रथम द्वारा बनवाया गया था और इसे यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में भी शामिल किया गया है।
- संदर्भ और विस्तार: यह मंदिर रथ के आकार का है, जिसमें 12 जोड़ी पहिये लगे हैं, जिन्हें सूर्य देव के रथ का प्रतीक माना जाता है। मंदिर की वास्तुकला और मूर्तिकला अत्यंत प्रभावशाली है।
- गलत विकल्प: पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और गुजरात में अन्य प्रसिद्ध मंदिर हैं (जैसे लिंगराज मंदिर ओडिशा में है, खजुराहो मंदिर मध्य प्रदेश में हैं), लेकिन कोणार्क का सूर्य मंदिर ओडिशा में है।
प्रश्न 15: ‘सिखों के पांचवें गुरु’ अर्जुन देव को किस मुगल शासक ने फाँसी दी थी?
- अकबर
- जहाँगीर
- शाहजहाँ
- औरंगजेब
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: मुगल सम्राट जहाँगीर ने 1606 ई. में सिख धर्म के पाँचवें गुरु, गुरु अर्जुन देव को लाहौर में फाँसी दे दी थी। इसका मुख्य कारण गुरु अर्जुन देव का खुसरो (जहाँगीर के पुत्र) को समर्थन देना बताया जाता है, जिसने जहाँगीर के विरुद्ध विद्रोह किया था।
- संदर्भ और विस्तार: गुरु अर्जुन देव ने गुरु ग्रंथ साहिब का संकलन किया और अमृतसर में हरमिंदर साहिब (स्वर्ण मंदिर) का निर्माण कार्य शुरू करवाया। उनकी शहादत के बाद सिख समुदाय मुगलों के प्रति अधिक सतर्क हो गया।
- गलत विकल्प: अकबर धार्मिक सहिष्णु था और उसने गुरुओं के प्रति उदारता दिखाई। शाहजहाँ ने भी गुरुओं के प्रति कड़ा रुख अपनाया, लेकिन गुरु अर्जुन देव को जहाँगीर ने फाँसी दी थी। औरंगजेब ने नौवें गुरु, गुरु तेग बहादुर को फाँसी दी थी।
प्रश्न 16: किस यूरोपीय यात्री ने भारत में ‘सती प्रथा’ का अत्यंत विस्तृत वर्णन किया है?
- मार्को पोलो
- इब्न बतूता
- फ्रांस्वा बर्नियर
- पीटर मुंडी
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: पीटर मुंडी, एक अंग्रेज यात्री, जो 17वीं शताब्दी के मध्य में भारत आया था, ने उस समय प्रचलित ‘सती प्रथा’ का अपनी यात्रा वृत्तांतों में विस्तृत और मार्मिक वर्णन किया है। वह मुगल काल के दौरान भारत आया था।
- संदर्भ और विस्तार: मुंडी ने सती प्रथा के विभिन्न रूपों, इसमें महिलाओं की स्वेच्छा और मजबूरी, और इसे देखने वाले लोगों की प्रतिक्रियाओं का भी उल्लेख किया है। उसका विवरण तत्कालीन सामाजिक रीति-रिवाजों की एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्रोत है।
- गलत विकल्प: मार्को पोलो 13वीं शताब्दी में आया था, इब्न बतूता 14वीं शताब्दी में (दिल्ली सल्तनत के समय), और बर्नियर 17वीं शताब्दी के मध्य में (शाहजहाँ के समय) आया था, लेकिन सती प्रथा का विशद वर्णन पीटर मुंडी ने किया है।
प्रश्न 17: ‘प्रिंस ऑफ पिल्ग्रिम्स’ (तीर्थयात्रियों का राजकुमार) किसे कहा जाता है?
- फाह्यान
- ह्वेन त्सांग
- इत्सिंग
- सुंग युन
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: ह्वेन त्सांग (Xuanzang), एक प्रसिद्ध चीनी बौद्ध भिक्षु, 7वीं शताब्दी ईस्वी में भारत आया था। उसने भारत में लगभग 15 वर्षों तक रहकर बौद्ध धर्मग्रंथों का अध्ययन किया और तत्कालीन भारतीय समाज, विशेषकर हर्षवर्धन के शासनकाल का विस्तृत वर्णन किया। उसकी यात्राओं और ज्ञान की खोज के कारण उसे ‘तीर्थयात्रियों का राजकुमार’ कहा जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: ह्वेन त्सांग नालंदा विश्वविद्यालय का छात्र भी रहा और उसने अपनी पुस्तक ‘सी-यू-की’ (सि-यु-कि) में भारत का यात्रा विवरण लिखा है।
- गलत विकल्प: फाह्यान (5वीं शताब्दी) और इत्सिंग (7वीं शताब्दी) भी चीनी यात्री थे जिन्होंने भारत यात्रा की थी, लेकिन ह्वेन त्सांग की यात्रा सबसे प्रसिद्ध और विस्तृत है, और उसे ही यह उपाधि दी जाती है।
प्रश्न 18: भारत का प्रथम वायसराय कौन था?
- लॉर्ड डलहौजी
- लॉर्ड कैनिंग
- लॉर्ड लॉरेंस
- लॉर्ड लिटन
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: 1857 के विद्रोह के बाद, 1858 में भारत का शासन कंपनी से ब्रिटिश ताज के अधीन कर दिया गया। इसी अधिनियम के तहत भारत के गवर्नर-जनरल का पद समाप्त कर ‘वायसराय’ का पद सृजित किया गया। लॉर्ड कैनिंग, जो उस समय भारत के गवर्नर-जनरल थे, भारत के प्रथम वायसराय बने।
- संदर्भ और विस्तार: वायसराय भारत में ब्रिटिश सम्राट का प्रतिनिधि होता था। लॉर्ड कैनिंग का कार्यकाल 1856 से 1862 तक रहा, जिसमें 1857 का विद्रोह और उसके बाद के महत्वपूर्ण प्रशासनिक परिवर्तन शामिल थे।
- गलत विकल्प: लॉर्ड डलहौजी 1856 में भारत छोड़ चुके थे। लॉर्ड लॉरेंस और लॉर्ड लिटन वायसराय बने, लेकिन वे कैनिंग के बाद आए।
प्रश्न 19: ‘अहोम युद्ध’ (Ahom War) किस वर्ष लड़ा गया था, जिसने भारत में ब्रिटिश प्रभुत्व को और बढ़ाया?
- 1824-26
- 1835-36
- 1845-46
- 1857-58
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: पहला एंग्लो-बर्मी युद्ध, जिसे अहोम युद्ध के नाम से भी जाना जाता है, 1824 से 1826 ईस्वी तक लड़ा गया था। इस युद्ध में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने अहोम साम्राज्य (वर्तमान असम) के क्षेत्र पर विजय प्राप्त की और संधि के तहत यांग्दाबो की संधि (Treaty of Yandabo) के बाद ब्रिटिश प्रभुत्व को असम और म्यांमार (बर्मा) तक बढ़ाया।
- संदर्भ और विस्तार: इस युद्ध के परिणामस्वरूप, ब्रिटिशों ने भारत में अपनी उत्तरी-पूर्वी सीमा का विस्तार किया और असम को अपने नियंत्रण में ले लिया, जो आगे चलकर ब्रिटिश साम्राज्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बना।
- गलत विकल्प: अन्य विकल्प ब्रिटिश विस्तार के अन्य समयों से संबंधित हैं, लेकिन अहोम युद्ध (प्रथम एंग्लो-बर्मी युद्ध) 1824-26 में हुआ था।
प्रश्न 20: निम्नलिखित में से किस अधिवेशन में महात्मा गांधी ने पहली बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन की अध्यक्षता की?
- कलकत्ता अधिवेशन, 1901
- बनारस अधिवेशन, 1905
- लाहौर अधिवेशन, 1909
- बेलगाम अधिवेशन, 1924
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: महात्मा गांधी ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के केवल एक अधिवेशन की अध्यक्षता की थी, जो 1924 में बेलगाम (वर्तमान कर्नाटक) में आयोजित हुआ था।
- संदर्भ और विस्तार: गांधीजी ने भारत में स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व किया, लेकिन वे केवल एक बार कांग्रेस के अध्यक्ष बने। बेलगाम अधिवेशन के बाद, उन्होंने कांग्रेस में अपनी भूमिका कम कर दी और अन्य सामाजिक कार्यों पर ध्यान केंद्रित किया, जैसे कि असहयोग आंदोलन को मजबूत करना और छुआछूत उन्मूलन।
- गलत विकल्प: कलकत्ता अधिवेशन (1901) में वे मुख्य रूप से दर्शक थे। बनारस अधिवेशन (1905) की अध्यक्षता गोपाल कृष्ण गोखले ने की थी, और लाहौर अधिवेशन (1909) की अध्यक्षता मदन मोहन मालवीय ने की थी।
प्रश्न 21: प्रथम विश्व युद्ध का तात्कालिक कारण क्या था?
- जर्मनी का पोलैंड पर आक्रमण
- ऑस्ट्रिया के आर्कड्यूक फ्रांज फर्डिनेंड की हत्या
- जर्मनी का फ्रांस पर आक्रमण
- रूस का जर्मनी को युद्ध की घोषणा
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) का तात्कालिक कारण 28 जून, 1914 को साराजेवो (बोस्निया) में ऑस्ट्रिया-हंगरी के सिंहासन के उत्तराधिकारी आर्कड्यूक फ्रांज फर्डिनेंड और उनकी पत्नी सोफी की सर्बियाई राष्ट्रवादी गैवरिलो प्रिंसिप द्वारा हत्या थी।
- संदर्भ और विस्तार: इस घटना के बाद ऑस्ट्रिया-हंगरी ने सर्बिया को अल्टीमेटम दिया, जिसे सर्बिया ने पूरी तरह स्वीकार नहीं किया। इसके परिणामस्वरूप, ऑस्ट्रिया-हंगरी ने सर्बिया पर युद्ध की घोषणा कर दी, और धीरे-धीरे यूरोपीय शक्तियां गठबंधन के कारण युद्ध में खिंचती चली गईं।
- गलत विकल्प: जर्मनी का पोलैंड पर आक्रमण द्वितीय विश्व युद्ध का कारण था। जर्मनी का फ्रांस पर आक्रमण और रूस का जर्मनी को युद्ध की घोषणा प्रथम विश्व युद्ध के फैलाव के कारण बने, लेकिन आर्कड्यूक की हत्या तात्कालिक चिंगारी थी।
प्रश्न 22: फ्रांसीसी क्रांति (1789) के दौरान ‘आतंक का शासन’ (Reign of Terror) किस राजनीतिक दल के नेतृत्व में चलाया गया था?
- गिरोंडिन
- जिरोंडिस्ट
- जैकोबिन
- ओरंगलिस्ट
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: फ्रांसीसी क्रांति के दौरान ‘आतंक का शासन’ (1793-1794) का नेतृत्व जैकोबिन क्लब (Jacobins) ने किया था, जिसका प्रमुख मैक्सिमिलियन रोबेस्पियर था। इस अवधि में क्रांति के विरोधियों को बड़े पैमाने पर गिलोटिन (फाँसी) पर चढ़ाया गया।
- संदर्भ और विस्तार: जैकोबिन क्लब ने क्रांति को बचाने के नाम पर चरमपंथी नीतियां अपनाईं, जिसमें राजनीतिक दमन, बड़े पैमाने पर गिरफ्तारियां और सार्वजनिक निष्पादन शामिल थे। यह शासन रोबेस्पियर के पतन के साथ समाप्त हुआ।
- गलत विकल्प: गिरोंडिन (Girondins) जैकोबिन के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी थे, जो क्रांति के शुरुआती चरणों में प्रभावशाली थे लेकिन आतंक के शासन के दौरान उन्हें दबा दिया गया। ओरंगलिस्ट (Orangists) नीदरलैंड से संबंधित थे।
प्रश्न 23: ‘गदर पार्टी’ की स्थापना कब और कहाँ हुई थी?
- 1905, लंदन
- 1907, बर्लिन
- 1913, सैन फ्रांसिस्को
- 1916, कनाडा
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: गदर पार्टी की स्थापना 1913 में सैन फ्रांसिस्को, अमेरिका में हुई थी। इसका उद्देश्य भारत को ब्रिटिश शासन से मुक्त कराने के लिए विदेशों में रह रहे भारतीयों को संगठित करना था।
- संदर्भ और विस्तार: इस पार्टी की स्थापना लाला हरदयाल, सोहन सिंह भकना, और अन्य प्रमुख भारतीय क्रांतिकारियों ने की थी। पार्टी का मुख्य मुखपत्र ‘गदर’ नामक साप्ताहिक अखबार था, जो उर्दू, पंजाबी और अन्य भाषाओं में प्रकाशित होता था।
- गलत विकल्प: लंदन में इंडिया हाउस और अन्य राष्ट्रवादी संगठन थे, लेकिन गदर पार्टी सैन फ्रांसिस्को में स्थापित हुई। बर्लिन में भी कुछ भारतीय क्रांतिकारी सक्रिय थे, लेकिन गदर पार्टी का मुख्य केंद्र अमेरिका था।
प्रश्न 24:FATF (Financial Action Task Force) का संबंध इनमें से किस विषय से है?
- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार
- मानवाधिकार
- मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद का वित्तपोषण
- साइबर सुरक्षा
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: FATF (Financial Action Task Force) एक अंतर-सरकारी संगठन है जिसकी स्थापना 1989 में G7 देशों द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग (B.L.) से निपटने के लिए की गई थी। बाद में, इसके दायरे में आतंकवाद के वित्तपोषण (C.F.T.) को भी शामिल किया गया।
- संदर्भ और विस्तार: FATF वैश्विक वित्तीय प्रणाली की अखंडता की रक्षा के लिए नीतियां विकसित करता है और उनका कार्यान्वयन सुनिश्चित करता है। यह देशों को मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद के वित्तपोषण से निपटने के लिए कानूनी, नियामक और परिचालन सुधार करने हेतु प्रोत्साहित करता है।
- गलत विकल्प: FATF का सीधा संबंध अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, मानवाधिकार या साइबर सुरक्षा से नहीं है, हालांकि मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद का वित्तपोषण अप्रत्यक्ष रूप से इन क्षेत्रों को प्रभावित कर सकता है।
प्रश्न 25: ‘स्वराज पार्टी’ की स्थापना किसने की थी?
- महात्मा गांधी
- जवाहरलाल नेहरू
- मोतीलाल नेहरू और चित्तरंजन दास
- सरदार वल्लभभाई पटेल
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: स्वराज पार्टी (कांग्रेस-खिलाफत स्वराज पार्टी) की स्थापना 1923 ई. में मोतीलाल नेहरू और चित्तरंजन दास (सी.आर. दास) ने की थी। यह उन कांग्रेस नेताओं का एक गुट था जो परिषदों (Legislatures) में प्रवेश कर सरकार की नीतियों में बाधा डालना चाहते थे, जबकि गांधीजी असहयोग आंदोलन के कारण परिषदीय राजनीति के विरोधी थे।
- संदर्भ और विस्तार: स्वराज पार्टी का मुख्य उद्देश्य विधानमंडलों में प्रवेश कर ‘अंदर से विरोध’ करना था। उन्होंने 1923 के चुनावों में भाग लिया और कई सीटों पर जीत हासिल की।
- गलत विकल्प: महात्मा गांधी ने स्वराज पार्टी के गठन का समर्थन नहीं किया था, यद्यपि उन्होंने बाद में इसके कार्यों को स्वीकार किया। जवाहरलाल नेहरू और सरदार पटेल उस समय अधिक समाजवादी और पूर्ण स्वतंत्रता के पक्षधर थे और परिषदीय राजनीति के बजाय सीधे जनसंघर्ष में विश्वास रखते थे।