इतिहास का आईना: आज की परीक्षा
ज्ञान के महासागर में गोता लगाइए और इतिहास के पन्नों से आज की चुनौती स्वीकार कीजिए! हर प्रश्न आपकी समझ को गहरा करेगा और हर उत्तर आपको मंजिल के करीब ले जाएगा। क्या आप इतिहास की यात्रा के लिए तैयार हैं?
इतिहास अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान की गई विस्तृत व्याख्याओं के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: सिंधु घाटी सभ्यता का कौन सा स्थल ‘सिंधु का बाग’ (Garden of Sind) कहा जाता था?
- हड़प्पा
- मोहनजोदड़ो
- लोथल
- चन्हुदड़ो
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: मोहनजोदड़ो, जिसका अर्थ ‘मृतकों का टीला’ है, सिंधु घाटी सभ्यता का एक प्रमुख स्थल था। इसे ‘सिंधु का बाग’ या ‘महानगर’ के रूप में भी जाना जाता था क्योंकि यह उस समय की सबसे बड़ी और सबसे सुनियोजित बस्तियों में से एक थी।
- संदर्भ और विस्तार: मोहनजोदड़ो की खोज 1922 में आर. डी. बनर्जी द्वारा की गई थी। यहाँ से विशाल स्नानागार, अन्नागार, पुरोहित की मूर्ति और तांबे की नर्तकी की मूर्तियां मिली हैं। इसकी जल निकासी व्यवस्था अत्यंत उन्नत थी।
- गलत विकल्प: हड़प्पा पहला खोजा गया स्थल था, लोथल एक बंदरगाह शहर था, और चन्हुदड़ो मनके बनाने का केंद्र था। हालाँकि ये महत्वपूर्ण स्थल थे, लेकिन ‘सिंधु का बाग’ की उपाधि मोहनजोदड़ो के लिए अधिक उपयुक्त थी।
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से किस जैन तीर्थंकर का जन्म अयोध्या में हुआ था?
- ऋषभनाथ
- पार्श्वनाथ
- संभवनाथ
- अजितनाथ
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: प्रथम जैन तीर्थंकर, ऋषभनाथ (जिन्हें आदिनाथ भी कहा जाता है), का जन्म अयोध्या में हुआ था। उन्हें जैन धर्म के संस्थापक के रूप में माना जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: ऋषभनाथ को हिंदू धर्म में विष्णु के अवतार के रूप में भी पूजा जाता है। उनके जन्मस्थान को पवित्र माना जाता है। 24 जैन तीर्थंकरों में से 20 का जन्म बिहार राज्य में हुआ था, जबकि ऋषभनाथ का जन्म अयोध्या में हुआ था।
- गलत विकल्प: पार्श्वनाथ 23वें तीर्थंकर थे जिनका जन्म वाराणसी में हुआ था। अजितनाथ चौथे तीर्थंकर थे जिनका जन्म अयोध्या में हुआ था, लेकिन ऋषभनाथ पहले और सबसे प्रमुख थे। संभवनाथ तीसरे तीर्थंकर थे जिनका जन्म श्रावस्ती में हुआ था।
प्रश्न 3: ‘अमुक्तमाल्यद’ का लेखक कौन था?
- कृष्णदेव राय
- हरिहर
- बुक्का
- देवराय द्वितीय
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: ‘अमुक्तमाल्यद’ (Amuktamalyada) विजयनगर साम्राज्य के सबसे महान शासकों में से एक, कृष्णदेव राय द्वारा लिखी गई एक महत्वपूर्ण तेलुगु रचना है।
- संदर्भ और विस्तार: यह काव्य रचना भगवान विष्णु के एक भक्त, अंडाल, के जीवन और भक्ति पर आधारित है। कृष्णदेव राय स्वयं एक विद्वान और कला-संरक्षक थे, और उन्होंने कई महत्वपूर्ण ग्रंथों की रचना की। ‘जाम्बवती कल्याणम’ उनकी एक अन्य संस्कृत रचना है।
- गलत विकल्प: हरिहर और बुक्का विजयनगर साम्राज्य के संस्थापक थे, लेकिन वे लेखकों के रूप में प्रसिद्ध नहीं थे। देवराय द्वितीय भी एक महत्वपूर्ण शासक थे, लेकिन ‘अमुक्तमाल्यद’ से उनका कोई संबंध नहीं है।
प्रश्न 4: भारत में ‘वेतन भोगी’ (Salaried) और ‘सेवा’ (Service) आधारित स्थायी सेना का निर्माण किसने किया?
- अलाउद्दीन खिलजी
- गयासुद्दीन तुगलक
- फिरोज शाह तुगलक
- इल्तुतमिश
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: अलाउद्दीन खिलजी भारत में वेतन भोगी और सेवा आधारित स्थायी सेना के निर्माण का श्रेय दिया जाता है। उन्होंने सैनिकों को नगद वेतन देना शुरू किया और घोड़ों को दागने (branding) की प्रथा शुरू की ताकि सेना की गुणवत्ता बनी रहे।
- संदर्भ और विस्तार: अलाउद्दीन खिलजी ने अपनी सेना को दिल्ली के बाहर स्थायी छावनी में रखा, जिससे उसे एक मजबूत सैन्य बल मिला। यह सैन्य सुधार मंगोल आक्रमणों से बचाव और साम्राज्य विस्तार के लिए महत्वपूर्ण था।
- गलत विकल्प: इल्तुतमिश ने ‘चालीसा’ (तुर्क-ए-चहलगानी) का गठन किया था, जो एक शक्तिशाली कुलीन वर्ग था, लेकिन स्थायी सेना का ढांचा अलाउद्दीन के समय अधिक विकसित हुआ। गयासुद्दीन तुगलक और फिरोजशाह तुगलक ने भी सैन्य सुधार किए, लेकिन अलाउद्दीन की व्यवस्था अधिक व्यवस्थित और वेतन आधारित थी।
प्रश्न 5: ‘दीन-ए-इलाही’ की स्थापना किसने की थी?
- शेरशाह सूरी
- अकबर
- जहाँगीर
- औरंगजेब
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: ‘दीन-ए-इलाही’ (Din-i Ilahi), जिसका अर्थ है ‘ईश्वर का धर्म’, की स्थापना मुगल सम्राट अकबर ने 1582 ईस्वी में की थी।
- संदर्भ और विस्तार: यह कोई नया धर्म नहीं था, बल्कि सभी प्रमुख धर्मों के सार को मिलाकर बनाया गया एक समन्वयवादी विचार था, जिसका उद्देश्य सभी धर्मों के लोगों को एक साथ लाना था। अकबर स्वयं इसका अनुयायी था, लेकिन यह आम लोगों में अधिक लोकप्रिय नहीं हुआ। बीरबल इसका प्रमुख अनुयायी था।
- गलत विकल्प: शेरशाह सूरी एक योग्य प्रशासक था, लेकिन उसने ऐसी कोई धार्मिक पहल नहीं की। जहाँगीर और औरंगजेब धार्मिक रूप से अधिक रूढ़िवादी थे, और उन्होंने इस विचार को आगे नहीं बढ़ाया।
प्रश्न 6: भारत के किस गवर्नर-जनरल ने ‘डॉक्ट्रिन ऑफ लैप्स’ (Doctrine of Lapse) की नीति लागू की?
- लॉर्ड विलियम बेंटिंक
- लॉर्ड डलहौजी
- लॉर्ड कैनिंग
- लॉर्ड कर्जन
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: ‘डॉक्ट्रिन ऑफ लैप्स’ की नीति को लॉर्ड डलहौजी ने लागू किया था, जो 1848 से 1856 तक भारत के गवर्नर-जनरल रहे।
- संदर्भ और विस्तार: इस नीति के अनुसार, यदि किसी भारतीय शासक की मृत्यु बिना किसी प्राकृतिक उत्तराधिकारी के हो जाती थी, तो उसके राज्य को ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिया जाता था। इस नीति के तहत सतारा, जयपुर, संबलपुर, उदयपुर, झाँसी और नागपुर जैसे राज्यों को ब्रिटिश भारत में मिला लिया गया था। इस नीति ने 1857 के विद्रोह के कारणों में से एक भूमिका निभाई।
- गलत विकल्प: लॉर्ड विलियम बेंटिंक सती प्रथा को समाप्त करने और आधुनिक शिक्षा की शुरुआत के लिए जाने जाते हैं। लॉर्ड कैनिंग भारत के प्रथम वायसराय थे और 1857 के विद्रोह के समय गवर्नर-जनरल थे। लॉर्ड कर्जन ने बंगाल का विभाजन किया था।
प्रश्न 7: निम्नलिखित में से कौन सा ग्रंथ ‘वैदिक काल’ में धर्म और जीवन शैली को दर्शाता है?
- उपनिषद
- पुराण
- स्मृति
- श्रुति
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: ‘श्रुति’ (Shruti), जिसका अर्थ है ‘जो सुना गया’, वैदिक साहित्य का वह भाग है जो ईश्वर द्वारा सुनाया गया माना जाता है। इसमें वेद, ब्राह्मण ग्रंथ, आरण्यक और उपनिषद शामिल हैं, जो वैदिक काल की धर्म, दर्शन और जीवन शैली के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: वैदिक काल (लगभग 1500 ईसा पूर्व – 600 ईसा पूर्व) को दो भागों में बांटा जाता है: प्रारंभिक वैदिक काल (ऋग्वैदिक काल) और उत्तर वैदिक काल। इस दौरान समाज, धर्म, राजनीति और अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए।
- गलत विकल्प: उपनिषद श्रुति का ही एक हिस्सा हैं, लेकिन ‘श्रुति’ एक व्यापक शब्द है। पुराण और स्मृतियाँ बाद के काल की रचनाएँ हैं जो वैदिक काल के बाद के समाज और धर्म पर प्रकाश डालती हैं।
प्रश्न 8: ‘सहायक संधि’ (Subsidiary Alliance) की प्रणाली को लागू करने वाला पहला भारतीय राज्य कौन सा था?
- अवध
- हैदराबाद
- मैसूर
- तंजौर
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: हैदराबाद के निजाम 1798 में सहायक संधि स्वीकार करने वाले पहले भारतीय शासक थे। इस संधि पर गवर्नर-जनरल लॉर्ड वेलेजली ने हस्ताक्षर किए थे।
- संदर्भ और विस्तार: सहायक संधि के तहत, भारतीय शासक अपनी सेना को भंग करने, ब्रिटिश सेना को अपने राज्य में रखने और उसके खर्चों का वहन करने, और अपने दरबार में एक ब्रिटिश रेज़ीडेंट रखने के लिए सहमत होते थे। बदले में, ब्रिटिश उसकी बाहरी सुरक्षा की गारंटी देते थे। यह ब्रिटिश विस्तारवाद का एक महत्वपूर्ण साधन था।
- गलत विकल्प: अवध (1801), मैसूर (1799) और तंजौर (1799) ने भी बाद में सहायक संधि स्वीकार की, लेकिन हैदराबाद पहला था।
प्रश्न 9: सिन्धु घाटी सभ्यता में **’युग्मित समाधान’** (Joint Burial) के प्रमाण कहाँ से मिले हैं?
- लोथल
- हड़प्पा
- कालीबंगा
- मोहनजोदड़ो
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: लोथल, जो गुजरात में स्थित एक प्रमुख सिन्धु घाटी स्थल है, से **’युग्मित समाधान’** (यानी, एक ही कब्र में दो व्यक्तियों को दफनाना) के साक्ष्य मिले हैं।
- संदर्भ और विस्तार: लोथल की खोज 1957 में एस. आर. राव ने की थी। यह एक महत्वपूर्ण बंदरगाह शहर था और यहाँ से डॉकयार्ड के प्रमाण भी मिले हैं। युगल समाधान के प्रमाण सती प्रथा या किसी प्रकार की सामाजिक रीतियों की ओर संकेत कर सकते हैं, हालांकि इसकी निश्चित व्याख्या विवादास्पद है।
- गलत विकल्प: हड़प्पा और मोहनजोदड़ो से व्यक्तिगत समाधान मिले हैं, लेकिन युगल समाधान के स्पष्ट प्रमाण लोथल से प्राप्त हुए हैं। कालीबंगा से जुते हुए खेत के साक्ष्य मिले हैं।
प्रश्न 10: **’तारीख-ए-फिरोजशाही’** का लेखक कौन था?
- अमीर खुसरो
- जियाउद्दीन बरनी
- इब्न बतूता
- मिन्हाज-उस-सिराज
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: ‘तारीख-ए-फिरोजशाही’ (Tariq-i-Firoz Shahi) मध्यकालीन भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण स्रोत है, जिसके लेखक जियाउद्दीन बरनी थे।
- संदर्भ और विस्तार: यह पुस्तक दिल्ली सल्तनत के सुल्तानों, विशेषकर ग्यासुद्दीन तुगलक से लेकर फिरोज शाह तुगलक (1351-1388) के शासनकाल का विस्तृत विवरण प्रदान करती है। बरनी ने इसमें तत्कालीन राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक जीवन का भी वर्णन किया है।
- गलत विकल्प: अमीर खुसरो ने ‘तुगलकनामा’ और ‘खजाइन-उल-फुतूह’ जैसी रचनाएँ कीं। इब्न बतूता एक मोरक्को यात्री था जिसने ‘रेहला’ लिखी। मिन्हाज-उस-सिराज ने ‘तबकात-ए-नासिरी’ लिखी।
प्रश्न 11: 1942 के **’भारत छोड़ो आंदोलन’** का एक प्रमुख नारा क्या था?
- पूर्ण स्वराज
- एक राष्ट्र, एक नेता, एक पार्टी
- करो या मरो
- स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: ‘करो या मरो’ (Do or Die) का नारा महात्मा गांधी ने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान दिया था।
- संदर्भ और विस्तार: यह नारा भारतीयों को स्वतंत्रता के लिए अंतिम संघर्ष करने के लिए प्रेरित करने हेतु था। इस आंदोलन की शुरुआत बंबई (अब मुंबई) में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की बैठक में हुई थी। यह आंदोलन अहिंसक सविनय अवज्ञा के सिद्धांत पर आधारित था, लेकिन इसके साथ ही “करो या मरो” का आह्वान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ था।
- गलत विकल्प: ‘पूर्ण स्वराज’ का नारा 1929 में लाहौर अधिवेशन में अपनाया गया था। ‘एक राष्ट्र, एक नेता, एक पार्टी’ का नारा हिटलर से जुड़ा है। ‘स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है’ बाल गंगाधर तिलक का प्रसिद्ध नारा था।
प्रश्न 12: **’अष्टप्रधान’** का गठन किसने किया था?
- अशोक
- चंद्रगुप्त मौर्य
- समुद्रगुप्त
- शिवाजी
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: मराठा शासक शिवाजी महाराज ने अपनी शासन व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए **’अष्टप्रधान’** (Ashtapradhan) नामक आठ मंत्रियों की एक परिषद का गठन किया था।
- संदर्भ और विस्तार: अष्टप्रधान में पेशवा (प्रधानमंत्री), अमात्य (वित्त मंत्री), सचिव (शाही पत्र व्यवहार), सुमंत (विदेश मंत्री), पंडितराव (धर्माध्यक्ष), सेनापति (सैन्य प्रमुख), न्यायधीश (न्याय विभाग) और पंडितराव (धार्मिक कार्य) शामिल थे। यह व्यवस्था शिवाजी की कुशल प्रशासनिक क्षमता का प्रतीक थी।
- गलत विकल्प: अशोक, चंद्रगुप्त मौर्य और समुद्रगुप्त मौर्य काल के शासक थे जिन्होंने अपने प्रशासन में विभिन्न समितियों और अधिकारियों की व्यवस्था की थी, लेकिन ‘अष्टप्रधान’ की विशिष्ट संरचना शिवाजी से जुड़ी है।
प्रश्न 13: **’वेदांत कॉलेज’** की स्थापना किसने की थी?
- स्वामी दयानंद सरस्वती
- स्वामी विवेकानंद
- राजा राम मोहन राय
- ईश्वर चंद्र विद्यासागर
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: राजा राम मोहन राय ने 1825 ईस्वी में **’वेदांत कॉलेज’** (Vedanta College) की स्थापना की थी।
- संदर्भ और विस्तार: इस कॉलेज का उद्देश्य पश्चिमी विज्ञान और भारतीय दर्शन (विशेष रूप से वेदांत) का एक साथ अध्ययन करवाना था। राजा राम मोहन राय भारतीय नवजागरण के अग्रदूत माने जाते हैं और उन्होंने सती प्रथा के उन्मूलन, बाल विवाह के विरोध और एकेश्वरवाद को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- गलत विकल्प: स्वामी दयानंद सरस्वती ने आर्य समाज की स्थापना की और ‘वेदों की ओर लौटो’ का नारा दिया। स्वामी विवेकानंद ने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की। ईश्वर चंद्र विद्यासागर ने विधवा पुनर्विवाह और शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किया।
प्रश्न 14: **’फ्रांसीसी क्रांति’** किस वर्ष हुई थी?
- 1776
- 1789
- 1815
- 1830
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: फ्रांसीसी क्रांति 1789 ईस्वी में शुरू हुई थी, जो एक महत्वपूर्ण वैश्विक घटना थी।
- संदर्भ और विस्तार: इस क्रांति ने फ्रांस में राजशाही का अंत कर दिया और गणतंत्र की स्थापना की। इसने ‘स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व’ (Liberté, égalité, fraternité) के विचारों को विश्वभर में फैलाया। बास्तील के पतन (14 जुलाई 1789) को क्रांति की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है।
- गलत विकल्प: 1776 अमेरिकी स्वतंत्रता की घोषणा का वर्ष है। 1815 वाटरलू का युद्ध और नेपोलियन की हार का वर्ष है। 1830 में फ्रांस में एक और क्रांति हुई थी।
प्रश्न 15: **’होमरूल लीग’** आंदोलन का नेतृत्व किसने किया था?
- महात्मा गांधी
- बाल गंगाधर तिलक और एनी बेसेंट
- सुभाष चंद्र बोस
- सरदार वल्लभभाई पटेल
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: होमरूल लीग आंदोलन का नेतृत्व मुख्य रूप से बाल गंगाधर तिलक और एनी बेसेंट ने किया था, जिसकी शुरुआत 1916 में हुई थी।
- संदर्भ और विस्तार: यह आंदोलन ब्रिटिश शासन के तहत भारत के लिए स्वशासन (Home Rule) की मांग कर रहा था। तिलक ने ‘इंडियन होमरूल लीग’ की स्थापना की, जिसका मुख्यालय पुणे में था, जबकि एनी बेसेंट ने मद्रास में ‘ऑल इंडिया होमरूल लीग’ की स्थापना की। यह आंदोलन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के भीतर गरम दल और नरम दल को एक साथ लाने में भी सहायक सिद्ध हुआ।
- गलत विकल्प: महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन और सविनय अवज्ञा आंदोलन जैसे बड़े जन आंदोलनों का नेतृत्व किया। सुभाष चंद्र बोस और सरदार पटेल भी प्रमुख कांग्रेसी नेता थे, लेकिन होमरूल लीग से उनका सीधा नेतृत्वकारी संबंध नहीं था।
प्रश्न 16: **’अजंता की गुफाएँ’** किस राजवंश के संरक्षण में बनाई गईं?
- मौर्य
- शुंग
- सातवाहन
- गुप्त
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: अजंता की गुफाओं का निर्माण मुख्य रूप से सातवाहन राजवंश के संरक्षण में हुआ था, हालाँकि कुछ गुफाओं का कार्य बाद के गुप्त काल में भी जारी रहा।
- संदर्भ और विस्तार: अजंता की गुफाएँ महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में स्थित हैं और मुख्य रूप से बौद्ध धर्म से संबंधित हैं। इनमें चित्रकला (भित्ति चित्र) का उत्कृष्ट प्रदर्शन है, जो बुद्ध के जीवन, जातक कथाओं और तत्कालीन सामाजिक जीवन को दर्शाते हैं। पहली शताब्दी ईसा पूर्व से लेकर लगभग 480 ईस्वी तक इनका निर्माण कार्य चला।
- गलत विकल्प: मौर्य काल (ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी) की कला बहुत भिन्न थी। शुंग कला भी एक अलग चरण की थी। गुप्त काल (ईस्वी चौथी से छठी शताब्दी) में भी कुछ गुफाओं का काम हुआ, लेकिन सातवाहन काल को शुरुआती और प्रमुख संरक्षण का श्रेय दिया जाता है।
प्रश्न 17: **’सिराज-उद-दौला’** किस युद्ध में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी से पराजित हुआ था?
- बक्सर का युद्ध
- प्लासी का युद्ध
- वांडीवाश का युद्ध
- तीसरा कर्नाटक युद्ध
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: बंगाल के नवाब सिराज-उद-दौला को 1757 ईस्वी में **’प्लासी के युद्ध’** में रॉबर्ट क्लाइव के नेतृत्व में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने पराजित किया था।
- संदर्भ और विस्तार: यह युद्ध ब्रिटिश शक्ति के लिए भारत में एक निर्णायक मोड़ साबित हुआ, क्योंकि इसने बंगाल पर ब्रिटिश नियंत्रण की नींव रखी। सिराज-उद-दौला के सेनापति मीर जाफर की गद्दारी ने उसकी हार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- गलत विकल्प: बक्सर का युद्ध (1764) भी ब्रिटिशों और संयुक्त भारतीय सेना के बीच हुआ था, जिसमें ब्रिटिश विजयी हुए थे। वांडीवाश का युद्ध (1760) फ्रांसीसियों के विरुद्ध ब्रिटिशों की निर्णायक विजय थी। तीसरा कर्नाटक युद्ध (1756-1763) फ्रांसीसी और ब्रिटिश कंपनियों के बीच साम्राज्य के लिए संघर्ष था।
प्रश्न 18: **’मनसबदारी प्रथा’** का प्रचलन किस साम्राज्य में था?
- मौर्य
- गुप्त
- मुगल
- सैय्यद
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: मनसबदारी प्रथा मुगल साम्राज्य की एक विशिष्ट प्रशासनिक और सैन्य व्यवस्था थी, जिसे सम्राट अकबर ने शुरू किया था।
- संदर्भ और विस्तार: मनसबदारी एक पद या श्रेणी थी जो राज्य के अधिकारियों को उनकी सेवा के लिए दी जाती थी। यह पदधारी (मनसबदार) को एक निश्चित संख्या में सैनिक रखने होते थे और वे अपने पद के अनुसार वेतन और अधिकार प्राप्त करते थे। मनसबों को ‘जात’ (व्यक्तिगत स्थिति) और ‘सवार’ (घुड़सवारों की संख्या) में विभाजित किया जाता था।
- गलत विकल्प: मौर्य, गुप्त और सैय्यद साम्राज्यों में विभिन्न प्रशासनिक प्रणालियाँ थीं, लेकिन मनसबदारी जैसी एकीकृत, श्रेणीबद्ध और पद-आधारित प्रणाली मुगल काल की देन है।
प्रश्न 19: **’गांधी-इरविन समझौता’** किस वर्ष हुआ था?
- 1925
- 1930
- 1931
- 1932
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: गांधी-इरविन समझौता 5 मार्च 1931 को हुआ था।
- संदर्भ और विस्तार: यह समझौता भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सविनय अवज्ञा आंदोलन को समाप्त करने और दूसरे गोलमेज सम्मेलन में कांग्रेस की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए हुआ था। इस समझौते पर महात्मा गांधी और तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन के बीच हस्ताक्षर किए गए थे। समझौते के तहत, ब्रिटिश सरकार ने राजनीतिक कैदियों को रिहा करने और कुछ आंदोलनकारी गतिविधियों की अनुमति देने पर सहमति व्यक्त की, जबकि कांग्रेस ने सविनय अवज्ञा आंदोलन को स्थगित करने का वादा किया।
- गलत विकल्प: 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू हुआ था। 1932 में पूना समझौता हुआ था। 1925 में काकोरी षड्यंत्र केस हुआ था।
प्रश्न 20: **’द्वितीय विश्व युद्ध’** किस वर्ष में समाप्त हुआ?
- 1943
- 1944
- 1945
- 1946
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: द्वितीय विश्व युद्ध 1945 ईस्वी में समाप्त हुआ था।
- संदर्भ और विस्तार: यह युद्ध 1939 में जर्मनी द्वारा पोलैंड पर आक्रमण के साथ शुरू हुआ था। यूरोप में युद्ध 8 मई 1945 को जर्मनी के आत्मसमर्पण के साथ समाप्त हुआ, जबकि प्रशांत क्षेत्र में युद्ध 2 सितंबर 1945 को जापान के आत्मसमर्पण के साथ समाप्त हुआ, जिसके बाद अमेरिका ने हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराए थे।
- गलत विकल्प: युद्ध 1945 से पहले जारी था और 1946 में समाप्त नहीं हुआ था।
प्रश्न 21: **’गीत गोविंद’** का रचयिता कौन है?
- कबीर
- सूरदास
- तुलसीदास
- जयदेव
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: **’गीत गोविंद’** (Gita Govinda) की रचना 12वीं शताब्दी के प्रसिद्ध संस्कृत कवि जयदेव ने की थी।
- संदर्भ और विस्तार: यह मध्यकालीन भारतीय साहित्य की एक उत्कृष्ट रचना है, जो राधा और कृष्ण के प्रेम का काव्यात्मक वर्णन करती है। गीत गोविंद की रचना बंगाल के लक्ष्मण सेन के दरबार में हुई थी। इसकी संगीतात्मकता और काव्यात्मक सुंदरता ने इसे अत्यंत लोकप्रिय बनाया और भारतीय कला, संगीत व साहित्य पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा।
- गलत विकल्प: कबीर, सूरदास और तुलसीदास भक्तिकाल के प्रमुख कवि थे, लेकिन उनकी रचनाएँ ‘गीत गोविंद’ से भिन्न हैं।
प्रश्न 22: **’1857 के विद्रोह’** का तात्कालिक कारण क्या था?
- डलहौजी की विलय नीति
- ईसाई मिशनरियों का प्रभाव
- एनफील्ड राइफलों में चर्बी वाले कारतूस
- भारतीयों का राजनीतिक अधिकारों से वंचित होना
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: 1857 के विद्रोह का तात्कालिक कारण एनफील्ड राइफलों में उपयोग किए जाने वाले चर्बी वाले कारतूस थे, जिन्हें गाय और सूअर की चर्बी से बनाया गया माना जाता था, जिससे हिंदू और मुस्लिम दोनों सिपाहियों की धार्मिक भावनाएं आहत हुईं।
- संदर्भ और विस्तार: मेरठ छावनी में मंगल पांडे द्वारा चर्बी वाले कारतूसों का विरोध विद्रोह की पहली चिंगारी था। हालाँकि, विद्रोह के गहरे कारण डलहौजी की विलय नीति, भारतीय सैनिकों के साथ भेदभाव, आर्थिक शोषण, और सामाजिक-धार्मिक हस्तक्षेप जैसे कारक थे।
- गलत विकल्प: डलहौजी की विलय नीति एक महत्वपूर्ण कारण थी, लेकिन तात्कालिक नहीं। ईसाई मिशनरियों का प्रभाव और राजनीतिक अधिकारों से वंचित होना भी विरोधी कारकों में शामिल थे, लेकिन चर्बी वाले कारतूसों का मुद्दा वह चिंगारी था जिसने इन्हें भड़काया।
प्रश्न 23: **’मार्ले-मिंटो सुधार’** (1909) का मुख्य उद्देश्य क्या था?
- भारतीयों को सत्ता में भागीदारी देना
- मुस्लिमों के लिए पृथक सांप्रदायिक निर्वाचन क्षेत्र की स्थापना
- शिक्षा का विस्तार
- न्यायपालिका का पुनर्गठन
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: 1909 के मार्ले-मिंटो सुधार का मुख्य और सबसे विवादास्पद उद्देश्य मुस्लिम समुदाय के लिए पृथक सांप्रदायिक निर्वाचन क्षेत्र (separate communal electorates) की व्यवस्था करना था।
- संदर्भ और विस्तार: इन सुधारों का उद्देश्य भारतीयों को प्रशासन में कुछ हद तक प्रतिनिधित्व देना था, जैसे कि भारतीय विधान परिषदों का विस्तार, लेकिन सांप्रदायिक निर्वाचन की शुरुआत ने भारत की राजनीति में विभाजनकारी तत्वों को बढ़ावा दिया। इस सुधार का नाम तत्कालीन भारत सचिव जॉन मॉर्ले और वायसराय लॉर्ड मिंटो के नाम पर रखा गया था।
- गलत विकल्प: सुधारों ने भारतीयों को सत्ता में कुछ भागीदारी दी, लेकिन यह मुख्य उद्देश्य नहीं था। शिक्षा और न्यायपालिका का पुनर्गठन अप्रत्यक्ष प्रभाव हो सकते थे, लेकिन सांप्रदायिकता को बढ़ावा देना मुख्य एजेंडा था।
प्रश्न 24: **’द्वितीय गोलमेज सम्मेलन’** में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का प्रतिनिधित्व किसने किया था?
- महात्मा गांधी
- जवाहरलाल नेहरू
- सरदार वल्लभभाई पटेल
- डॉ. बी. आर. अम्बेडकर
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: द्वितीय गोलमेज सम्मेलन (1931) में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का प्रतिनिधित्व महात्मा गांधी ने किया था।
- संदर्भ और विस्तार: यह सम्मेलन लंदन में आयोजित किया गया था और इसका उद्देश्य भारत के संवैधानिक सुधारों पर चर्चा करना था। गांधी-इरविन समझौते के बाद कांग्रेस ने इसमें भाग लिया था, लेकिन ब्रिटिश सरकार द्वारा उनकी मांगों को पूरा न करने के कारण यह सम्मेलन असफल रहा और गांधीजी निराश होकर भारत लौटे, जिसके बाद उन्होंने सविनय अवज्ञा आंदोलन फिर से शुरू किया।
- गलत विकल्प: जवाहरलाल नेहरू और सरदार पटेल कांग्रेस के महत्वपूर्ण नेता थे, लेकिन गांधीजी ही एकमात्र प्रतिनिधि के रूप में गए थे। डॉ. बी. आर. अम्बेडकर ने तीनों गोलमेज सम्मेलनों में भाग लिया था, लेकिन वे दलितों और श्रमिक वर्ग का प्रतिनिधित्व कर रहे थे, न कि कांग्रेस का।
प्रश्न 25: **’पुनर्जागरण’** (Renaissance) की शुरुआत किस यूरोपीय देश में हुई?
- फ्रांस
- इंग्लैंड
- इटली
- जर्मनी
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: यूरोपीय पुनर्जागरण (Renaissance) की शुरुआत 14वीं शताब्दी में इटली में हुई थी।
- संदर्भ और विस्तार: पुनर्जागरण का अर्थ है ‘पुनर्जन्म’ या ‘पुनरुद्धार’। यह एक ऐसा सांस्कृतिक आंदोलन था जिसने शास्त्रीय पुरातनता (ग्रीस और रोम) के साहित्य, कला, विज्ञान और दर्शन में रुचि को पुनर्जीवित किया। फ्लोरेंस, वेनिस और रोम जैसे इतालवी शहर इसके प्रमुख केंद्र थे। लियोनार्डो दा विंची, माइकल एंजेलो, राफेल जैसे कलाकार इसी काल की देन हैं।
- गलत विकल्प: फ्रांस, इंग्लैंड और जर्मनी में भी पुनर्जागरण का प्रभाव पड़ा, लेकिन इसकी उत्पत्ति और प्रारंभिक विकास इटली में ही हुआ था।