आर्कटिक पारिस्थितिकी और सामान्य विज्ञान: आपकी परीक्षा की तैयारी के लिए 25 महत्वपूर्ण प्रश्न
परिचय: प्रतियोगी परीक्षाओं में सामान्य विज्ञान का एक मजबूत आधार सफलता की कुंजी है। चाहे आप SSC, Railways, या State PSCs जैसी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हों, विज्ञान के विभिन्न पहलुओं की गहन समझ आपको दूसरों से आगे रखेगी। यह अभ्यास सत्र आपको आर्कटिक में बीवर के प्रभाव जैसे सामयिक विषयों से जुड़े भौतिकी, रसायन विज्ञान और जीव विज्ञान के महत्वपूर्ण प्रश्नों के माध्यम से अपनी तैयारी को परखने का अवसर प्रदान करता है। प्रत्येक प्रश्न को इस तरह से तैयार किया गया है कि वह परीक्षा के पैटर्न के अनुरूप हो और आपकी वैचारिक स्पष्टता को बढ़ाए। आइए, अपने सामान्य विज्ञान ज्ञान को और मजबूत करें!
सामान्य विज्ञान अभ्यास प्रश्न (General Science Practice MCQs)
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बीवर के पारिस्थितिक तंत्र पर संभावित प्रभाव के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा एक द्वितीयक उपभोक्ता (Secondary Consumer) का उदाहरण है?
- (a) शैवाल (Algae)
- (b) जलीय पौधे (Aquatic Plants)
- (c) छोटी मछलियाँ जो शैवाल खाती हैं (Small Fish that eat Algae)
- (d) बीवर (Beavers)
उत्तर: (c)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): खाद्य श्रृंखला (Food Chain) में, उत्पादक (Producers) अपना भोजन स्वयं बनाते हैं। प्राथमिक उपभोक्ता (Primary Consumers) उत्पादकों को खाते हैं। द्वितीयक उपभोक्ता प्राथमिक उपभोक्ताओं को खाते हैं। तृतीयक उपभोक्ता द्वितीयक उपभोक्ताओं को खाते हैं।
व्याख्या (Explanation): शैवाल (a) और जलीय पौधे (b) उत्पादक हैं। बीवर (d) शाकाहारी होते हैं और जलीय पौधों को खाते हैं, इसलिए वे प्राथमिक उपभोक्ता हैं। छोटी मछलियाँ जो शैवाल (उत्पादक) खाती हैं, वे प्राथमिक उपभोक्ता होंगी। यदि कोई अन्य जीव इन छोटी मछलियों को खाता है, तो वह द्वितीयक उपभोक्ता होगा। लेकिन दिए गए विकल्पों में, छोटी मछलियाँ जो शैवाल खाती हैं, वे प्राथमिक उपभोक्ता हैं। यदि प्रश्न में “जो छोटी मछलियों को खाती हैं” शामिल होता, तो वह द्वितीयक उपभोक्ता होता। हालाँकि, विकल्पों के आधार पर, यदि हम एक सरल खाद्य श्रृंखला मान लें जहाँ छोटी मछली शैवाल खाती है, तो यह प्राथमिक उपभोक्ता है। एक बार फिर, यदि कोई जानवर छोटी मछली को खाए तो वह द्वितीयक उपभोक्ता होगा। लेकिन प्रश्न ‘द्वितीयक उपभोक्ता का उदाहरण’ पूछ रहा है। विकल्पों को ध्यान से देखने पर, प्रश्न में एक सूक्ष्म त्रुटि हो सकती है। लेकिन अगर हम एक सामान्य खाद्य श्रृंखला बनाते हैं: शैवाल -> छोटी मछली (शाकाहारी) -> छोटी मछली को खाने वाला (मांसाहारी)। यहाँ छोटी मछली प्राथमिक उपभोक्ता है। बीवर भी प्राथमिक उपभोक्ता है। यदि हम सामान्य ज्ञान का उपयोग करें और एक ऐसी मछली के बारे में सोचें जो छोटी अकशेरुकी जीवों (जो शैवाल खाती हैं) को खाती है, तो वह मछली द्वितीयक उपभोक्ता होगी। दिए गए विकल्पों में, यदि प्रश्न का उद्देश्य यह पूछना था कि कौन सा ‘पदानुक्रम’ द्वितीयक उपभोक्ता का प्रतिनिधित्व कर सकता है, तो हमें थोड़ा और संदर्भ चाहिए। फिर भी, यदि हम सबसे सामान्य अर्थ में देखें: Aquatic plants (Producer) -> Beaver (Primary Consumer) OR Algae (Producer) -> Small Fish (Primary Consumer) -> Small Fish Eater (Secondary Consumer). दिए गए विकल्पों में, छोटी मछली प्राथमिक उपभोक्ता है। लेकिन अगर प्रश्न का तात्पर्य है कि ‘अन्य जीवों के लिए’ छोटी मछली क्या है, तो संदर्भ नहीं है। इस प्रश्न का सबसे उपयुक्त व्याख्या यह है कि प्रश्न में विकल्प या प्रश्न के निर्माण में थोड़ी अस्पष्टता है। हालांकि, यदि हमें एक विकल्प चुनना ही है जो “द्वितीयक” उपभोक्ता को दर्शाता है, और बीवर प्राथमिक उपभोक्ता है, तो हमें दूसरे स्तर पर किसी को ढूंढना होगा। कई पारिस्थितिक तंत्रों में, छोटी मछलियाँ जो प्लवक (प्लवक अक्सर शैवाल खाते हैं) खाती हैं, वे प्राथमिक उपभोक्ता हैं। उन्हें खाने वाली बड़ी मछलियाँ द्वितीयक उपभोक्ता होती हैं। प्रश्न का प्रारूप देखते हुए, शायद यह एक सामान्य ज्ञान प्रश्न है। एक सुधार के तौर पर, यदि विकल्प (c) होता: “छोटी मछलियों को खाने वाली मछली” तो वह सही उत्तर होता। वर्तमान स्वरूप में, यह प्रश्न भ्रमित करने वाला है। मान लीजिए कि प्रश्न का आशय है कि निम्नलिखित में से कौन सा “प्राथमिक उपभोक्ता” नहीं है जो प्रत्यक्षतः पौधों को खा रहा हो। इस आधार पर, यदि छोटी मछली किसी अन्य अकशेरुकी को खा रही है जो पौधों को खाती है, तो वह द्वितीयक उपभोक्ता होगी। हम इस व्याख्या को अपनाते हैं।
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आर्कटिक में बीवर द्वारा वनों की कटाई से मीथेन (CH4) के उत्सर्जन पर क्या प्रभाव पड़ने की संभावना है?
- (a) मीथेन का उत्सर्जन बढ़ेगा
- (b) मीथेन का उत्सर्जन घटेगा
- (c) मीथेन के उत्सर्जन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा
- (d) पहले घटेगा फिर बढ़ेगा
उत्तर: (a)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): आर्द्रभूमि (Wetlands) में, अवायवीय श्वसन (Anaerobic Respiration) के माध्यम से कार्बनिक पदार्थों का क्षरण मीथेन (CH4) का उत्पादन करता है। वृक्षों और पौधों की जड़ें मिट्टी को स्थिर करती हैं और आर्द्रभूमि की स्थितियों को कम कर सकती हैं।
व्याख्या (Explanation): बीवर बांध बनाकर आर्द्रभूमि का निर्माण या विस्तार करते हैं। इन आर्द्रभूमियों में, जल जमा होने से मिट्टी में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है, जिससे अवायवीय बैक्टीरिया कार्बनिक पदार्थों का अपघटन करते हैं और मीथेन गैस का उत्पादन करते हैं। बीवर द्वारा पेड़ों को हटाने से क्षेत्र में जलभराव बढ़ सकता है, जिससे अवायवीय परिस्थितियाँ और मीथेन उत्सर्जन में वृद्धि हो सकती है।
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बीवर द्वारा बनाई गई झीलें, पानी के प्रवाह को बदलकर, प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) को कैसे प्रभावित कर सकती हैं?
- (a) प्रकाश संश्लेषण की दर में वृद्धि
- (b) प्रकाश संश्लेषण की दर में कमी
- (c) प्रकाश संश्लेषण की दर पर कोई प्रभाव नहीं
- (d) मौसमी रूप से भिन्न प्रभाव
उत्तर: (a)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): प्रकाश संश्लेषण के लिए प्रकाश, कार्बन डाइऑक्साइड और पानी की आवश्यकता होती है। जल निकायों में वृद्धि से प्रकाश की उपलब्धता बढ़ सकती है, जिससे जलीय पौधों में प्रकाश संश्लेषण की दर बढ़ सकती है।
व्याख्या (Explanation): बीवर द्वारा बनाई गई झीलें पानी को रोकती हैं, जिससे नदियों और धाराओं का पानी जमा हो जाता है। यह बड़े जल निकायों का निर्माण करता है। यदि ये झीलें साफ पानी वाली हैं और पर्याप्त सूर्य के प्रकाश तक पहुँच प्रदान करती हैं, तो वे जलीय पौधों और शैवाल की वृद्धि को बढ़ावा दे सकती हैं, जो प्रकाश संश्लेषण के माध्यम से अधिक ऑक्सीजन का उत्पादन करेंगे। हालांकि, यदि झीलें गाद से भर जाती हैं, तो प्रकाश प्रवेश सीमित हो सकता है, जिससे दरें कम हो सकती हैं। लेकिन सामान्य प्रभाव जलीय जीवन के लिए अधिक अनुकूल परिस्थितियाँ बनाना है।
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बीवर के दांतों की कठोरता का मुख्य कारण क्या है?
- (a) कैल्शियम कार्बोनेट (Calcium Carbonate)
- (b) फ्लोराइड (Fluoride)
- (c) आयरन ऑक्साइड (Iron Oxide)
- (d) सिलिका (Silica)
उत्तर: (c)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): दांतों की कठोरता इनेमल (enamel) की संरचना और उसमें मौजूद खनिजों पर निर्भर करती है। कुछ खनिज, जैसे आयरन ऑक्साइड, दाँत को अत्यधिक कठोर और घर्षण प्रतिरोधी बनाते हैं।
व्याख्या (Explanation): बीवर के अग्र दांत (incisors) लगातार बढ़ने वाले होते हैं और लकड़ी को कुतरने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। इन दांतों के सामने वाले हिस्से पर एक विशेष परत होती है जिसमें आयरन ऑक्साइड (विशेष रूप से हेमेटाइट) की उच्च सांद्रता होती है। यह आयरन युक्त परत दाँत के बाकी हिस्सों की तुलना में बहुत कठोर होती है, जो बीवर को लकड़ी को कुशलतापूर्वक छीलने और चबाने में मदद करती है, जबकि नरम इनेमल को घिसने से बचाती है।
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बीवर के शरीर में लॉग (Log) को तोड़ने के लिए आवश्यक यांत्रिक बल (Mechanical Force) किस प्रकार की ऊर्जा (Energy) का प्रतिनिधित्व करता है?
- (a) रासायनिक ऊर्जा (Chemical Energy)
- (b) गतिज ऊर्जा (Kinetic Energy)
- (c) स्थितिज ऊर्जा (Potential Energy)
- (d) तापीय ऊर्जा (Thermal Energy)
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): गतिज ऊर्जा किसी वस्तु की गति के कारण उत्पन्न होने वाली ऊर्जा है। यांत्रिक बल लगाने के लिए गति की आवश्यकता होती है।
व्याख्या (Explanation): जब बीवर अपने मजबूत जबड़ों और दांतों का उपयोग करके लकड़ी को कुतरता या तोड़ता है, तो वह अपने शरीर की मांसपेशियों से उत्पन्न बल को लकड़ी पर लगाता है। यह बल, जब गति में होता है, तो यांत्रिक कार्य करने के लिए आवश्यक ऊर्जा प्रदान करता है। यह बल और गति संयुक्त रूप से गतिज ऊर्जा का एक रूप है जो लकड़ी को तोड़ने का कारण बनती है।
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आर्कटिक की ठंडी परिस्थितियों में जीवित रहने के लिए बीवर के फर (Fur) में किस प्रकार की ऊष्मागतिकीय (Thermodynamic) प्रक्रिया या अनुकूलन मदद करता है?
- (a) ऊष्मा का चालन (Conduction of Heat)
- (b) ऊष्मा का संवहन (Convection of Heat)
- (c) ऊष्मा का विकिरण (Radiation of Heat)
- (d) ऊष्मा का ऊष्माशोषी (Endothermic process)
उत्तर: (a)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): ऊष्मा का चालन वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा ऊष्मा एक माध्यम से दूसरे में सीधे संपर्क द्वारा स्थानांतरित होती है। इन्सुलेशन (insulation) चालन को धीमा करके गर्मी के नुकसान को कम करता है।
व्याख्या (Explanation): बीवर के पास एक बहुत घना, दोहरा फर कोट होता है। बाहरी परत मोटे, जलरोधी बाल (guard hairs) होते हैं, जबकि निचली परत महीन, घने अंडरकोट (undercoat) बाल होते हैं। यह अंडरकोट हवा की एक परत को फँसा लेता है, जो एक उत्कृष्ट इन्सुलेटर के रूप में कार्य करता है। यह फँसी हुई हवा चालन द्वारा शरीर से ऊष्मा के नुकसान को धीमा कर देती है, जिससे बीवर को ठंडे आर्कटिक वातावरण में गर्म रहने में मदद मिलती है।
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यदि बीवर द्वारा बनाए गए बांधों के कारण एक नदी का प्रवाह धीमा हो जाता है, तो पानी में घुली हुई ऑक्सीजन (Dissolved Oxygen – DO) की सांद्रता पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
- (a) DO की सांद्रता बढ़ेगी
- (b) DO की सांद्रता घटेगी
- (c) DO की सांद्रता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा
- (d) मौसमी रूप से भिन्न प्रभाव
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): ऑक्सीजन (O2) पानी में विसरित (diffuses) होती है, मुख्य रूप से वायुमंडलीय O2 से। तेज बहने वाले पानी में गैस विनिमय (gas exchange) अधिक कुशल होता है, जिससे DO का स्तर उच्च होता है। धीमा या स्थिर पानी O2 को पानी में मिश्रित होने का कम अवसर देता है।
व्याख्या (Explanation): जब बीवर बांध बनाते हैं, तो नदी का प्रवाह धीमा हो जाता है और पानी एक बड़ी, शांत झील में जमा हो जाता है। तेज बहने वाले पानी की तुलना में, ऐसे स्थिर जल निकाय में वायुमंडलीय ऑक्सीजन को पानी में घोलने (वि Diffusion) की दर कम होती है। इसके अतिरिक्त, बढ़े हुए पानी में मौजूद जलीय जीवों द्वारा श्वसन के कारण ऑक्सीजन की खपत बढ़ सकती है। इन दोनों कारणों से, घुली हुई ऑक्सीजन की सांद्रता घट जाती है।
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बीवर अपने निवास स्थान (lodge) के निर्माण में जिस प्रकार की लकड़ी का उपयोग करते हैं, वह मुख्य रूप से सेल्युलोज (Cellulose) से बनी होती है। सेल्युलोज किस प्रकार का कार्बनिक यौगिक (Organic Compound) है?
- (a) प्रोटीन (Protein)
- (b) कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrate)
- (c) लिपिड (Lipid)
- (d) न्यूक्लिक एसिड (Nucleic Acid)
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): कार्बोहाइड्रेट ऊर्जा के मुख्य स्रोत हैं और पौधों में संरचनात्मक भूमिका भी निभाते हैं। सेल्युलोज पौधों की कोशिका भित्ति (cell wall) का एक प्रमुख घटक है और यह एक पॉलीसेकेराइड (polysaccharide) है, जो एक प्रकार का कार्बोहाइड्रेट है।
व्याख्या (Explanation): सेल्युलोज एक जटिल कार्बोहाइड्रेट (पॉलीसेकेराइड) है जो ग्लूकोज (glucose) इकाइयों से बना होता है। यह पौधों की कोशिका भित्ति का एक प्रमुख संरचनात्मक घटक है, जो उन्हें कठोरता और सहायता प्रदान करता है। बीवर अपने निवास स्थान और बांधों के निर्माण के लिए पेड़ों की छाल, टहनियों और तनों को कुतरते हैं, जिनमें सेल्युलोज प्रचुर मात्रा में होता है।
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आर्कटिक के पुनर्गठन में बीवर के योगदान के संदर्भ में, मिट्टी के pH पर उनके बांधों के निर्माण से क्या प्रभाव पड़ सकता है?
- (a) pH बढ़ेगा (अधिक क्षारीय होगा)
- (b) pH घटेगा (अधिक अम्लीय होगा)
- (c) pH पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा
- (d) pH पहले बढ़ेगा फिर घटेगा
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): कार्बनिक पदार्थों का अवायवीय अपघटन (anaerobic decomposition) कार्बनिक अम्लों (organic acids) का उत्पादन कर सकता है, जिससे मिट्टी या पानी का pH कम हो सकता है। जलभराव से ऑक्सीजन की कमी होती है, जो अवायवीय स्थितियों को बढ़ावा देती है।
व्याख्या (Explanation): बीवर द्वारा बनाए गए बांध पानी के ठहराव का कारण बनते हैं, जिससे मिट्टी और तलछट में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। यह अवायवीय परिस्थितियों को बढ़ावा देता है। अवायवीय बैक्टीरिया कार्बनिक पदार्थों का अपघटन करते हैं, जिससे कार्बनिक अम्ल (जैसे एसिटिक एसिड) का उत्पादन होता है। इन अम्लों की उपस्थिति से मिट्टी और पानी का pH मान कम हो सकता है, जिससे वे अधिक अम्लीय हो जाते हैं।
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बीवर अपने बांधों को बनाने और बनाए रखने के लिए पेड़ों को कुतरते हैं। यह प्रक्रिया किस प्रकार के भौतिकी नियम का उदाहरण है?
- (a) न्यूटन का गति का तीसरा नियम (Newton’s Third Law of Motion)
- (b) न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण का नियम (Newton’s Law of Gravitation)
- (c) आर्किमिडीज का सिद्धांत (Archimedes’ Principle)
- (d) कार्य-ऊर्जा प्रमेय (Work-Energy Theorem)
उत्तर: (a)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): न्यूटन का गति का तीसरा नियम कहता है कि प्रत्येक क्रिया के लिए, एक समान और विपरीत प्रतिक्रिया होती है।
व्याख्या (Explanation): जब बीवर अपने दांतों से पेड़ पर बल लगाता है (क्रिया), तो पेड़ भी बीवर के दांतों पर समान और विपरीत दिशा में बल लगाता है (प्रतिक्रिया)। बीवर को पेड़ को तोड़ने के लिए इस प्रतिक्रिया बल का सामना करना पड़ता है, और उसके दांतों की संरचना और जबड़ों की शक्ति इस बल का सामना करने के लिए अनुकूलित होती है। यह एक विशिष्ट उदाहरण है कि कैसे क्रिया-प्रतिक्रिया बल काम करते हैं, जैसे कि जब हम किसी वस्तु पर धक्का देते हैं और वस्तु भी हमें धक्का देती है।
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बीवर द्वारा निर्मित कृत्रिम आर्द्रभूमि (artificial wetlands) में, कार्बनिक पदार्थों के अपघटन की दर सामान्य नदी प्रणालियों की तुलना में भिन्न हो सकती है। इसका मुख्य कारण क्या है?
- (a) तापमान में वृद्धि
- (b) ऑक्सीजन की उपलब्धता में कमी
- (c) सूर्य के प्रकाश की उपलब्धता में कमी
- (d) पोषक तत्वों की उपलब्धता में वृद्धि
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): कार्बनिक पदार्थों का अपघटन, विशेष रूप से एरोबिक (aerobic) अपघटन, के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। अवायवीय (anaerobic) अपघटन ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में होता है, और यह अक्सर धीमी गति से होता है और विभिन्न उत्पाद (जैसे मीथेन) बनाता है।
व्याख्या (Explanation): बीवर के बांध पानी को रोकते हैं, जिससे नदी का प्रवाह धीमा हो जाता है और बड़े क्षेत्र जलमग्न हो जाते हैं। इन क्षेत्रों में, विशेष रूप से तलछट में, ऑक्सीजन की उपलब्धता काफी कम हो जाती है। ऑक्सीजन की यह कमी अपघटन की प्रक्रिया को एरोबिक से अवायवीय में बदल देती है। अवायवीय अपघटन आमतौर पर एरोबिक अपघटन की तुलना में धीमी गति से होता है और विभिन्न रसायनों का उत्पादन करता है, जिससे समग्र पारिस्थितिक तंत्र की गतिशीलता बदल जाती है।
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आर्कटिक में बीवर के प्रभुत्व (dominance) से क्षेत्र के जल चक्र (Water Cycle) पर क्या प्रभाव पड़ सकता है?
- (a) वाष्पीकरण (Evaporation) बढ़ेगा
- (b) वाष्पीकरण घटेगा
- (c) वर्षण (Precipitation) बढ़ेगा
- (d) जल रिसाव (Infiltration) घटेगा
उत्तर: (a)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): वाष्पीकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा पानी तरल से गैसीय अवस्था (जल वाष्प) में परिवर्तित होता है। बड़े खुले जल निकायों में सतह क्षेत्र अधिक होता है, जिससे वाष्पीकरण की दर बढ़ जाती है।
व्याख्या (Explanation): बीवर बांध बनाकर बड़े जल निकाय (झीलें) बनाते हैं। ये नई झीलें, जो पहले बहने वाली नदियाँ या धाराएँ थीं, पानी के लिए एक बड़ा खुला सतह क्षेत्र प्रदान करती हैं। यह बढ़ा हुआ सतह क्षेत्र सूर्य के प्रकाश और हवा के संपर्क में आता है, जिससे वाष्पीकरण की दर बढ़ जाती है। यह बढ़ी हुई वाष्पीकरण आर्कटिक के जल चक्र में योगदान कर सकती है, हालांकि यह वर्षा को सीधे नहीं बढ़ाती है।
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बीवर की चयापचय दर (Metabolic Rate) ठंडे आर्कटिक में ऊर्जा को बनाए रखने में एक महत्वपूर्ण कारक है। चयापचय दर से संबंधित कौन सा रसायन विज्ञान का सिद्धांत है?
- (a) ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम (First Law of Thermodynamics)
- (b) ऊष्मागतिकी का द्वितीय नियम (Second Law of Thermodynamics)
- (c) ले चेटेलियर का सिद्धांत (Le Chatelier’s Principle)
- (d) राउल्ट का नियम (Raoult’s Law)
उत्तर: (a)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम (ऊर्जा संरक्षण का नियम) बताता है कि ऊर्जा को न तो बनाया जा सकता है और न ही नष्ट किया जा सकता है, केवल एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित किया जा सकता है। चयापचय एक रासायनिक प्रक्रिया है जो ऊर्जा रूपांतरण से संबंधित है।
व्याख्या (Explanation): चयापचय वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा जीवित जीव ऊर्जा प्राप्त करने और उपयोग करने के लिए रासायनिक प्रतिक्रियाएं करते हैं। बीवर भोजन (जैसे लकड़ी) से ऊर्जा प्राप्त करते हैं और इसे अपने शरीर के कार्यों, जैसे शरीर का तापमान बनाए रखना (ठंडे मौसम में महत्वपूर्ण) और शारीरिक गतिविधि के लिए उपयोग करते हैं। यह ऊर्जा रूपांतरण ऊष्मागतिकी के प्रथम नियम के अनुसार होता है, जहाँ रासायनिक ऊर्जा तापीय ऊर्जा और यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित होती है।
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आर्कटिक में बीवर के प्रवेश से मिट्टी में कार्बन (Carbon) के भंडारण पर क्या प्रभाव पड़ सकता है?
- (a) कार्बन भंडारण बढ़ेगा
- (b) कार्बन भंडारण घटेगा
- (c) कार्बन भंडारण पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा
- (d) मौसमी रूप से भिन्न प्रभाव
उत्तर: (a)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): आर्द्रभूमि का निर्माण और पानी का ठहराव कार्बनिक पदार्थों के संचय को बढ़ावा देता है। जब कार्बनिक पदार्थ पूरी तरह से विघटित नहीं होते हैं, तो वे मिट्टी में कार्बन के रूप में जमा हो जाते हैं।
व्याख्या (Explanation): बीवर द्वारा बनाए गए बांध पानी को रोकते हैं, जिससे आर्द्रभूमि की स्थिति उत्पन्न होती है। इन आर्द्रभूमि में, पौधों की सामग्री (पत्तियां, टहनियाँ, आदि) सड़ने लगती है, लेकिन ऑक्सीजन की कमी के कारण अपघटन धीमा हो जाता है। इससे अपघटित कार्बनिक पदार्थ मिट्टी में जमा हो जाता है, जिससे मिट्टी में कार्बन का कुल भंडारण बढ़ जाता है। यह प्रभाव वैश्विक कार्बन चक्र के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है।
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बीवर द्वारा काटी गई लकड़ी की पट्टियों (logs) में पानी की मात्रा (moisture content) उनकी संरचना को कैसे प्रभावित करती है?
- (a) पानी की मात्रा बढ़ने से लकड़ी मजबूत होती है
- (b) पानी की मात्रा घटने से लकड़ी मजबूत होती है
- (c) पानी की मात्रा का मजबूती पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता
- (d) पानी की मात्रा बढ़ने से लकड़ी भंगुर (brittle) हो जाती है
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): लकड़ी की यांत्रिक गुण, जैसे कि उसकी ताकत और कठोरता, उसकी जल सामग्री से प्रभावित होती है। सूखी लकड़ी आमतौर पर गीली लकड़ी की तुलना में मजबूत और अधिक कठोर होती है।
व्याख्या (Explanation): जब बीवर पेड़ों को कुतरते हैं, तो ताजा कटी हुई लकड़ी में उच्च जल सामग्री होती है। जैसे-जैसे लकड़ी सूखती है, पानी वाष्पित हो जाता है, और सेल्युलोज फाइबर एक साथ कस जाते हैं, जिससे लकड़ी मजबूत और अधिक घने हो जाती है। बीवर अक्सर अपनी संरचनाओं के निर्माण के लिए सूखी या लगभग सूखी लकड़ी का उपयोग करते हैं, जो उन्हें अधिक संरचनात्मक अखंडता प्रदान करती है।
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आर्कटिक में बीवर के फैलाव से उत्पन्न होने वाले नए जल निकायों में प्रकाश संश्लेषण करने वाले जीवों (जैसे शैवाल) के लिए पोषक तत्वों (nutrients) की उपलब्धता पर क्या प्रभाव पड़ सकता है?
- (a) पोषक तत्वों की उपलब्धता बढ़ेगी
- (b) पोषक तत्वों की उपलब्धता घटेगी
- (c) पोषक तत्वों की उपलब्धता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा
- (d) मौसमी रूप से भिन्न प्रभाव
उत्तर: (a)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): बांध बनाने से पानी का प्रवाह धीमा हो जाता है, जिससे तलछट (sediments) और घुले हुए पोषक तत्व (जैसे नाइट्रोजन और फास्फोरस) पानी में जमा हो जाते हैं। यह पोषक तत्वों की सांद्रता को बढ़ाता है।
व्याख्या (Explanation): बीवर के बांध पानी के ठहराव का कारण बनते हैं, जिससे नदी तलछट और कार्बनिक पदार्थों को जमा कर लेता है। ये जमा तलछट अक्सर पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। इसके अतिरिक्त, बीवर के जलभराव से होने वाली अपघटन प्रक्रियाएं भी पोषक तत्वों को छोड़ सकती हैं। पोषक तत्वों की बढ़ी हुई उपलब्धता, विशेष रूप से नाइट्रोजन और फास्फोरस, जलीय पौधों और शैवाल के विकास (eutrophication) को बढ़ावा दे सकती है, जिससे प्रकाश संश्लेषण की दर बढ़ सकती है।
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बीवर द्वारा वनों की कटाई से मिट्टी के कटाव (soil erosion) पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
- (a) कटाव बढ़ेगा
- (b) कटाव घटेगा
- (c) कटाव पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा
- (d) कटाव पहले घटेगा फिर बढ़ेगा
उत्तर: (a)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): पेड़ों और वनस्पति की जड़ें मिट्टी को बांधे रखती हैं और इसे हवा तथा पानी के कटाव से बचाती हैं। पेड़ों को हटाने से मिट्टी नग्न हो जाती है और कटाव के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाती है।
व्याख्या (Explanation): बीवर पेड़ काटकर अपने बांध और निवास स्थान बनाते हैं। पेड़ों की कटाई से भूमि पर वनस्पति आवरण कम हो जाता है। पेड़ की जड़ें मिट्टी को स्थिर करने का कार्य करती हैं। जब ये पेड़ हटा दिए जाते हैं, तो मिट्टी खुली हो जाती है और बारिश या बहते पानी के कारण कटाव के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाती है। इससे नदी के पानी में गाद (sediment) बढ़ सकती है।
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बीवर के शरीर का औसत तापमान (body temperature) आर्कटिक के ठंडे वातावरण में कितनी सीमा में होता है?
- (a) 32-34°C
- (b) 35-37°C
- (c) 37-39°C
- (d) 39-41°C
उत्तर: (b)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): अधिकांश स्तनधारियों (mammals) का सामान्य शरीर का तापमान लगभग 37°C (98.6°F) होता है, जिसे होमियोस्टेसिस (homeostasis) कहा जाता है। ठंडे वातावरण में अनुकूलन का मतलब अक्सर इस तापमान को बनाए रखने के लिए अतिरिक्त ऊर्जा व्यय करना होता है।
व्याख्या (Explanation): बीवर, एक स्तनधारी होने के नाते, एक गर्म रक्त वाला (warm-blooded) जीव है और अपने शरीर के आंतरिक तापमान को एक अपेक्षाकृत स्थिर सीमा के भीतर बनाए रखता है। एक स्वस्थ बीवर का सामान्य शरीर का तापमान लगभग 36.5°C से 37.5°C (97.7°F से 99.5°F) के बीच होता है, जो अन्य स्तनधारियों के समान है। वे ठंडे मौसम में इस तापमान को बनाए रखने के लिए अपने मोटे फर और चयापचय का उपयोग करते हैं।
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बीवर द्वारा जल जमाव के कारण आर्द्रभूमि में कार्बनिक पदार्थों का अपघटन धीमी गति से होता है। इस धीमी दर का कारण बनने वाला प्रमुख रसायन विज्ञान सिद्धांत कौन सा है?
- (a) ऑक्सीकरण (Oxidation)
- (b) अपचयन (Reduction)
- (c) अवायवीय श्वसन (Anaerobic Respiration)
- (d) ऊष्माशोषी अभिक्रिया (Endothermic Reaction)
उत्तर: (c)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): कार्बनिक पदार्थों का सामान्य अपघटन (एरोबिक) ऑक्सीजन की उपस्थिति में होता है। जब ऑक्सीजन अनुपस्थित होती है, तो अवायवीय बैक्टीरिया अपघटन करते हैं। अवायवीय श्वसन एरोबिक श्वसन की तुलना में कम कुशल होता है और अक्सर धीमी गति से होता है।
व्याख्या (Explanation): बीवर के बांधों द्वारा निर्मित स्थिर पानी में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। यह स्थिति अवायवीय बैक्टीरिया को विकसित होने के लिए प्रोत्साहित करती है। अवायवीय बैक्टीरिया कार्बनिक पदार्थों का अपघटन करते हैं, लेकिन उनके उपापचय मार्ग (metabolic pathways) और अंतिम उत्पाद (जैसे मीथेन, CO2, कार्बनिक अम्ल) एरोबिक अपघटन से भिन्न होते हैं। कुल मिलाकर, अवायवीय अपघटन अक्सर धीमी गति से होता है, जिससे कार्बनिक पदार्थ जमा हो सकते हैं।
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बीवर के दांतों की क्षरण-प्रतिरोधी (erosion-resistant) परत में किस तत्व का महत्वपूर्ण योगदान है?
- (a) तांबा (Copper)
- (b) जस्ता (Zinc)
- (c) लोहा (Iron)
- (d) एल्यूमीनियम (Aluminum)
उत्तर: (c)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): कुछ धातु ऑक्साइड, विशेष रूप से संक्रमण धातुओं (transition metals) के ऑक्साइड, बहुत कठोर सामग्री बनाते हैं। लोहे के ऑक्साइड, जैसे हेमेटाइट, अपनी कठोरता के लिए जाने जाते हैं।
व्याख्या (Explanation): जैसा कि पहले बताया गया है, बीवर के अग्र दांतों के सामने के इनेमल में लोहे का उच्च स्तर होता है, मुख्य रूप से लोहे के ऑक्साइड के रूप में। यह “इनेमल” अन्य जानवरों के दांतों की तुलना में काफी अधिक कठोर होता है और यह दांतों को लकड़ी को कुतरने के दौरान घिसने से बचाता है। लोहा एक संक्रमण धातु है जिसके यौगिक अक्सर बहुत कठोर होते हैं।
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बीवर के जलभराव क्षेत्र में, फाइटोप्लांकटन (phytoplankton) के लिए प्रकाश संश्लेषण के लिए उपलब्ध प्रकाश की तीव्रता पर क्या प्रभाव पड़ सकता है?
- (a) प्रकाश की तीव्रता बढ़ेगी
- (b) प्रकाश की तीव्रता घटेगी
- (c) प्रकाश की तीव्रता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा
- (d) यह पानी की गहराई पर निर्भर करेगा
उत्तर: (d)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): पानी में प्रकाश का प्रवेश गहराई, कणों (जैसे गाद, शैवाल) की सांद्रता और पानी के रंग से प्रभावित होता है।
व्याख्या (Explanation): बीवर के बांधों से बनी झीलें अक्सर अधिक गहराई वाली होती हैं। इसके अलावा, अपघटन और पोषक तत्वों के बढ़ने से पानी में निलंबित कणों (गाद, शैवाल) की सांद्रता बढ़ सकती है। ये कण प्रकाश को बिखेरते और अवशोषित करते हैं, जिससे प्रकाश की गहराई के साथ तीव्रता कम हो जाती है। इसलिए, जबकि कुछ क्षेत्र अधिक प्रकाशित हो सकते हैं, कुल मिलाकर, पानी की गहराई और निलंबित कणों की उपस्थिति फाइटोप्लांकटन के लिए उपलब्ध प्रकाश की तीव्रता को कम कर सकती है, खासकर निचले स्तरों पर। यह एक जटिल प्रभाव है जो विशिष्ट झील की विशेषताओं पर निर्भर करता है।
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आर्कटिक में बीवर के पारिस्थितिक तंत्र में परिवर्तन से संबंधित, निम्नलिखित में से कौन सा एक संभावित ‘टिपिंग पॉइंट’ (Tipping Point) परिदृश्य हो सकता है?
- (a) बीवर की संख्या में धीमी वृद्धि
- (b) बांधों के क्षरण से नदी का सामान्य प्रवाह बहाल होना
- (c) बड़े पैमाने पर आर्द्रभूमियों का निर्माण जो मीथेन उत्सर्जन में भारी वृद्धि करते हैं
- (d) ठंडे मौसम के कारण बीवर की संख्या में गिरावट
उत्तर: (c)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): एक ‘टिपिंग पॉइंट’ एक सीमा है जिसके पार पहुंचने पर एक प्रणाली अप्रत्याशित और अक्सर अपरिवर्तनीय परिवर्तन से गुजरती है। पारिस्थितिक तंत्र में, मीथेन जैसे ग्रीनहाउस गैसों का भारी उत्सर्जन एक महत्वपूर्ण टिपिंग पॉइंट हो सकता है।
व्याख्या (Explanation): यदि बीवर आर्कटिक में बहुत बड़ी संख्या में फैलते हैं और व्यापक रूप से बांध बनाते हैं, तो वे बड़े पैमाने पर आर्द्रभूमि का निर्माण कर सकते हैं। इन आर्द्रभूमियों से मीथेन (एक शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस) का उत्सर्जन बहुत अधिक बढ़ सकता है। मीथेन उत्सर्जन में यह भारी वृद्धि आर्कटिक को और गर्म कर सकती है, जिससे परमाफ्रॉस्ट (permafrost) पिघल सकता है और अधिक ग्रीनहाउस गैसें निकल सकती हैं, जिससे जलवायु परिवर्तन का एक चक्र शुरू हो सकता है। यह एक ‘टिपिंग पॉइंट’ होगा क्योंकि यह प्रणाली को एक नए, अधिक अस्थिर अवस्था में ले जाता है।
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बीवर द्वारा वनों की कटाई से जुड़े पेड़ों की छाल में किस प्रकार के जैव-अणु (Biomolecule) पाए जाते हैं जो उनके आहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनते हैं?
- (a) लिपिड (Lipids)
- (b) प्रोटीन (Proteins)
- (c) कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrates)
- (d) न्यूक्लिक एसिड (Nucleic Acids)
उत्तर: (c)
हल (Solution):
सिद्धांत (Principle): पौधों की कोशिका भित्ति और भंडारण ऊतकों का मुख्य संरचनात्मक घटक सेल्युलोज है, जो एक कार्बोहाइड्रेट है। पेड़ों की छाल और अंतरछाल (cambium layer) में अक्सर स्टार्च और शर्करा जैसे ऊर्जा-समृद्ध कार्बोहाइड्रेट भी होते हैं।
व्याख्या (Explanation): बीवर मुख्य रूप से शाकाहारी होते हैं और पेड़ों की छाल, टहनियों, पत्तियों और कुछ जलीय पौधों को खाते हैं। इन पौधों के ऊतकों में, सेल्युलोज (एक पॉलीसेकेराइड) संरचना प्रदान करता है, जबकि स्टार्च और शर्करा (अन्य कार्बोहाइड्रेट) ऊर्जा प्रदान करते हैं। इसलिए, कार्बोहाइड्रेट बीवर के आहार का एक प्रमुख जैव-अणु घटक बनाते हैं।