आपका पॉलिटी बूस्टर: संकल्प और समाधान
नमस्कार, भविष्य के लोक सेवकों! भारतीय लोकतंत्र के आधार स्तंभ को समझना आपकी तैयारी का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। आज के इस विशेष पॉलिटी अभ्यास सत्र में, हम आपके वैचारिक स्पष्टता को परखेंगे और प्रत्येक प्रश्न के गहन विश्लेषण के साथ आपके ज्ञान को और मजबूत करेंगे। आइए, संविधान की गहराई में उतरें और अपनी तैयारी को नई ऊँचाइयाँ दें!
भारतीय राजव्यवस्था और संविधान अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: भारतीय संविधान का कौन सा भाग ‘गणराज्य’ (Republic) की अवधारणा से सर्वाधिक निकटता से जुड़ा है?
- प्रस्तावना
- मूल अधिकार
- नीति निदेशक तत्व
- मूल कर्तव्य
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की प्रस्तावना स्पष्ट रूप से भारत को एक ‘संप्रभु, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतान्त्रिक गणराज्य’ घोषित करती है। ‘गणराज्य’ शब्द का अर्थ है कि राज्य का प्रमुख (राष्ट्रपति) अप्रत्यक्ष रूप से लोगों द्वारा एक निश्चित अवधि के लिए चुना जाता है, न कि वंशानुगत आधार पर।
- संदर्भ और विस्तार: यह गणराज्य की अवधारणा हमारे पूरे शासन प्रणाली की नींव रखती है, जहाँ सत्ता अंततः जनता में निहित होती है। प्रस्तावना संविधान के अन्य सभी प्रावधानों की व्याख्या के लिए एक मार्गदर्शक सिद्धांत के रूप में कार्य करती है।
- गलत विकल्प: मूल अधिकार (भाग III) नागरिकों के व्यक्तिगत स्वतंत्रता से संबंधित हैं। नीति निदेशक तत्व (भाग IV) राज्य के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत हैं। मूल कर्तव्य (भाग IV-A) नागरिकों के कर्तव्यों को रेखांकित करते हैं, ये सीधे तौर पर ‘गणराज्य’ की संरचनात्मक प्रकृति को परिभाषित नहीं करते, बल्कि उसके सुचारू संचालन में सहायक हैं।
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सी शक्ति भारत के राष्ट्रपति के पास है, लेकिन वह इसका प्रयोग सीधे तौर पर नहीं करते?
- संसद का अधिवेशन बुलाना
- अध्यादेश जारी करना
- सेना का सर्वोच्च कमांडर होना
- मंत्रिपरिषद की सलाह पर कार्य करना
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 74(1) स्पष्ट करता है कि राष्ट्रपति अपने कार्यों के संपादन में मंत्रिपरिषद की सलाह के अनुसार कार्य करेंगे। यद्यपि यह एक ‘सलाह’ है, व्यवहार में राष्ट्रपति के लगभग सभी कार्य मंत्रिपरिषद की सलाह पर ही किए जाते हैं। राष्ट्रपति की अपनी कोई स्वतंत्र कार्यकारी शक्ति नहीं है, जिसका वे ‘सीधे तौर पर’ प्रयोग करें।
- संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रपति का पद नाममात्र का कार्यकारी प्रमुख है, जबकि वास्तविक कार्यकारी शक्तियां प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली मंत्रिपरिषद के पास होती हैं। राष्ट्रपति की सलाह पर कार्य करने की यह बाध्यता उनके पद की प्रकृति को स्पष्ट करती है।
- गलत विकल्प: (a) राष्ट्रपति अनुच्छेद 85 के तहत संसद का अधिवेशन बुला सकते हैं। (b) राष्ट्रपति अनुच्छेद 123 के तहत अध्यादेश जारी कर सकते हैं। (c) अनुच्छेद 53(2) के अनुसार, राष्ट्रपति भारत की रक्षा सेवाओं का सर्वोच्च कमांडर होता है। ये शक्तियाँ राष्ट्रपति द्वारा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रयोग की जाती हैं, लेकिन ‘सलाह पर कार्य करने’ की प्रकृति ही ऐसी है कि वह सीधे अपनी मर्जी से नहीं, बल्कि दूसरों की सलाह पर कार्य करते हैं।
प्रश्न 3: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘बंधुत्व’ (Fraternity) का क्या अर्थ है?
- लोगों के बीच भाईचारे की भावना
- सभी नागरिकों को समान अवसर
- राज्य के निर्देशक सिद्धांतों का पालन
- राजनीतिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करना
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: प्रस्तावना में ‘बंधुत्व’ शब्द का अर्थ है लोगों के बीच भाईचारे की भावना को बढ़ावा देना, जिससे एकता और अखंडता सुनिश्चित हो सके। यह भारत के लोगों की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
- संदर्भ और विस्तार: बंधुत्व का विचार न केवल व्यक्तिगत संबंधों में बल्कि समाज के सभी वर्गों के बीच सामंजस्य स्थापित करने के लिए आवश्यक है। यह राष्ट्रवाद और सामाजिक सद्भाव की भावना को पोषित करता है।
- गलत विकल्प: (b) ‘समान अवसर’ न्याय (सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक) और स्वतंत्रता (विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म, उपासना की स्वतंत्रता) के अंतर्गत आता है। (c) राज्य के निर्देशक तत्व एक अलग अवधारणा है। (d) राजनीतिक स्वतंत्रता प्रस्तावना में उल्लिखित ‘लोकतंत्र’ के पहलू से संबंधित है।
प्रश्न 4: भारत के संविधान में ‘अवशिष्ट शक्तियाँ’ (Residuary Powers) किसके पास हैं?
- संघ (केंद्र) सरकार
- राज्य सरकारें
- संघ और राज्य दोनों
- न्यायपालिका
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची में संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची का उल्लेख है। जो विषय इन तीनों सूचियों में शामिल नहीं हैं, वे अवशिष्ट शक्तियाँ कहलाती हैं, जो अनुच्छेद 248 के अनुसार संघ सरकार के पास निहित हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह प्रावधान संघ सरकार को नए उभरने वाले या अनिश्चित विषयों पर कानून बनाने की शक्ति देता है, जिससे केंद्र को देश के विकास और सुरक्षा संबंधी मामलों में लचीलापन मिलता है।
- गलत विकल्प: राज्य सरकारों के पास केवल राज्य सूची के विषय पर कानून बनाने की शक्ति है। समवर्ती सूची के विषयों पर संघ और राज्य दोनों कानून बना सकते हैं, लेकिन विवाद की स्थिति में संघ का कानून मान्य होता है। न्यायपालिका कानून नहीं बनाती, बल्कि कानूनों की व्याख्या करती है।
प्रश्न 5: किस अनुच्छेद के तहत, संसद नए राज्यों का प्रवेश या स्थापना कर सकती है?
- अनुच्छेद 1
- अनुच्छेद 2
- अनुच्छेद 3
- अनुच्छेद 4
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 2 भारतीय संसद को यह शक्ति देता है कि वह ऐसे निबंधन और शर्तों पर, जो वह ठीक समझे, संघ में नए राज्यों का प्रवेश या उनकी स्थापना कर सकती है। यह उन राज्यों पर लागू होता है जो भारत के क्षेत्र का हिस्सा नहीं हैं।
- संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, सिक्किम को भारत संघ में शामिल करना अनुच्छेद 2 के तहत ही हुआ था। यह अनुच्छेद भारत की क्षेत्रीय संप्रभुता का विस्तार करने की शक्ति प्रदान करता है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 1 भारत के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का नाम और क्षेत्र बताता है। अनुच्छेद 3 संसद को भारत के भीतर मौजूदा राज्यों के नाम, क्षेत्र और सीमाओं में परिवर्तन करने की शक्ति देता है। अनुच्छेद 4 यह स्पष्ट करता है कि अनुच्छेद 2 और 3 के तहत बनाए गए कानून, संविधान के अनुच्छेद 368 के तहत संशोधन नहीं माने जाएंगे।
प्रश्न 6: मौलिक अधिकारों के निलंबन का अधिकार किसे प्राप्त है?
- संसद
- सर्वोच्च न्यायालय
- राष्ट्रपति
- प्रधानमंत्री
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: आपातकाल के दौरान, राष्ट्रपति अनुच्छेद 352 के तहत मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन को निलंबित कर सकते हैं। अनुच्छेद 358 के अनुसार, राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान अनुच्छेद 19 द्वारा प्रदत्त अधिकार स्वतः निलंबित हो जाते हैं। राष्ट्रपति अनुच्छेद 359 के तहत अन्य मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन को भी निलंबित कर सकते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह शक्ति राष्ट्रीय सुरक्षा और व्यवस्था बनाए रखने के लिए आपातकाल की स्थिति में प्रदान की गई है। हालांकि, कुछ मौलिक अधिकार (जैसे अनुच्छेद 20 और 21) आपातकाल के दौरान भी निलंबित नहीं किए जा सकते।
- गलत विकल्प: संसद कानून बना सकती है, लेकिन निलंबन का अधिकार राष्ट्रपति का है। सर्वोच्च न्यायालय मौलिक अधिकारों का संरक्षक है, न कि उन्हें निलंबित करने वाला। प्रधानमंत्री मंत्रिपरिषद के प्रमुख हैं, लेकिन यह संवैधानिक शक्ति राष्ट्रपति के पास है।
प्रश्न 7: राज्य के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) को किसके द्वारा लागू किया जा सकता है?
- सर्वोच्च न्यायालय
- उच्च न्यायालय
- विधानमंडल (विधायिका)
- यह अदालतों द्वारा प्रवर्तनीय नहीं हैं
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के भाग IV में वर्णित राज्य के नीति निदेशक तत्व (DPSP) प्रकृति में गैर-प्रवर्तनीय (non-justiciable) हैं। अनुच्छेद 37 स्पष्ट करता है कि ये सिद्धांत न्यायालयों द्वारा प्रवर्तनीय नहीं होंगे, हालांकि वे देश के शासन के लिए मौलिक हैं और विधि बनाने में राज्य का कर्तव्य होगा कि वह इन सिद्धांतों को ध्यान में रखे।
- संदर्भ और विस्तार: DPSP का उद्देश्य एक कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना है। यद्यपि इन्हें सीधे अदालतों द्वारा लागू नहीं कराया जा सकता, संसद समय-समय पर DPSP को लागू करने के लिए कानून बनाती है।
- गलत विकल्प: मौलिक अधिकार (भाग III) के विपरीत, DPSP को सीधे अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती। सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय मौलिक अधिकारों के प्रवर्तक हैं, न कि DPSP के। विधानमंडल (विधायिका) DPSP को लागू करने के लिए कानून बना सकती है, लेकिन यह उनका ‘प्रवर्तन’ नहीं है।
प्रश्न 8: ‘संवैधानिक उपचारों का अधिकार’ किस अनुच्छेद में प्रदान किया गया है?
- अनुच्छेद 30
- अनुच्छेद 31
- अनुच्छेद 32
- अनुच्छेद 35
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 32, जिसे डॉ. बी.आर. अम्बेडकर ने ‘संविधान का हृदय और आत्मा’ कहा है, भारतीय नागरिकों को उनके मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिए सर्वोच्च न्यायालय में सीधे जाने का अधिकार प्रदान करता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह अनुच्छेद सर्वोच्च न्यायालय को पाँच प्रकार की रिट (हेबियस कॉर्पस, मैंडमस, प्रोहिबिशन, सर्टिओरारी, और क्वो वारंटो) जारी करने की शक्ति देता है। यह मौलिक अधिकारों को प्रभावी बनाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण अधिकार है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 30 अल्पसंख्यकों के शिक्षण संस्थानों की स्थापना और प्रशासन से संबंधित है। अनुच्छेद 31 संपत्ति के अधिकार से संबंधित था, जिसे 44वें संशोधन द्वारा हटाया गया। अनुच्छेद 35 संसद को मौलिक अधिकारों से संबंधित कुछ कानूनों को बनाने की शक्ति देता है।
प्रश्न 9: भारत में ‘लोकसभा’ के अध्यक्ष का निर्वाचन कौन करता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- राज्यसभा के सदस्य
- लोकसभा के सभी सदस्य
- प्रधानमंत्री
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: लोकसभा के अध्यक्ष का चुनाव लोकसभा के तत्कालीन सभी सदस्यों द्वारा किया जाता है। यह चुनाव लोकसभा की पहली बैठक के पूर्व ही संपन्न हो जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: अध्यक्ष सदन की कार्यवाही का संचालन करते हैं, अनुशासन बनाए रखते हैं, और सदन की शक्तियों और विशेषाधिकारों का प्रतिनिधित्व करते हैं। उनकी निष्पक्षता और निर्णायक भूमिका महत्वपूर्ण होती है।
- गलत विकल्प: राष्ट्रपति का चुनाव लोकसभा अध्यक्ष के चुनाव से सीधा संबंध नहीं रखता। राज्यसभा के सदस्य लोकसभा के अध्यक्ष का चुनाव नहीं करते। प्रधानमंत्री, यदि लोकसभा के सदस्य हैं, तो वे भी अन्य सदस्यों की तरह मतदान करते हैं, लेकिन वे अकेले निर्वाचन नहीं करते।
प्रश्न 10: किस संशोधन द्वारा ‘संपत्ति के अधिकार’ को मौलिक अधिकार की सूची से हटाकर एक सामान्य कानूनी अधिकार बना दिया गया?
- 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
- 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
- 52वां संशोधन अधिनियम, 1985
- 61वां संशोधन अधिनियम, 1989
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 44वें संशोधन अधिनियम, 1978 ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 31 में निहित ‘संपत्ति के अधिकार’ को मौलिक अधिकारों की सूची से हटा दिया। इसे संविधान के भाग XII में अनुच्छेद 300-A के तहत एक ‘कानूनी अधिकार’ (legal right) के रूप में पुनः स्थापित किया गया।
- संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि सामाजिक-आर्थिक सुधारों के लिए सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण आसानी से किया जा सके, और व्यक्तिगत संपत्ति का अधिकार सार्वजनिक हित में बाधा न बने।
- गलत विकल्प: 42वां संशोधन (मिनी संविधान) ने प्रस्तावना में संशोधन किया था। 52वां संशोधन दलबदल विरोधी कानून से संबंधित है। 61वां संशोधन मतदान की आयु 21 से घटाकर 18 वर्ष करने से संबंधित है।
प्रश्न 11: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘न्याय’ (Justice) के किन रूपों का उल्लेख है?
- सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक
- केवल सामाजिक और राजनीतिक
- आर्थिक और धार्मिक
- सभी नागरिकों के लिए समान
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की प्रस्तावना भारत के सभी नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय सुनिश्चित करने का वादा करती है। यह दर्शाता है कि राज्य किसी भी नागरिक के साथ जाति, धर्म, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर भेदभाव नहीं करेगा (सामाजिक न्याय), आय, धन और स्थिति की असमानताओं को कम करेगा (आर्थिक न्याय), और सभी नागरिकों को समान रूप से राजनीतिक भागीदारी का अवसर देगा (राजनीतिक न्याय)।
- संदर्भ और विस्तार: यह न्याय का त्रि-आयामी दृष्टिकोण एक कल्याणकारी राज्य की स्थापना के लिए महत्वपूर्ण है, जहाँ सभी नागरिकों को गरिमापूर्ण जीवन जीने का अवसर मिले।
- गलत विकल्प: प्रस्तावना में सभी तीन प्रकार के न्याय का उल्लेख है। धार्मिक न्याय, यद्यपि पंथनिरपेक्षता के सिद्धांत से जुड़ा है, सीधे तौर पर ‘न्याय’ के रूप में सूचीबद्ध नहीं है। ‘सभी नागरिकों के लिए समान’ एक व्यापक सिद्धांत है, जो विभिन्न प्रकार के न्याय को समावेशित करता है, न कि स्वयं न्याय का एक रूप।
प्रश्न 12: ‘अस्पृश्यता’ का उन्मूलन किस अनुच्छेद के तहत एक मौलिक अधिकार है?
- अनुच्छेद 14
- अनुच्छेद 15
- अनुच्छेद 16
- अनुच्छेद 17
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 17 ‘अस्पृश्यता’ (Untouchability) को समाप्त करता है और किसी भी रूप में इसके आचरण को निषिद्ध करता है। संसद ने अस्पृश्यता (अपराध) अधिनियम, 1955 (जिसे अब नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 कहा जाता है) पारित करके इसका प्रवर्तन सुनिश्चित किया है।
- संदर्भ और विस्तार: यह मौलिक अधिकार सामाजिक समानता की स्थापना में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो संविधान के आदर्शों को व्यवहार में लाने का प्रयास करता है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 14 कानून के समक्ष समानता और विधियों के समान संरक्षण से संबंधित है। अनुच्छेद 15 धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध करता है। अनुच्छेद 16 लोक नियोजन के विषयों में अवसर की समानता प्रदान करता है।
प्रश्न 13: भारत का नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) अपना प्रतिवेदन किसे प्रस्तुत करता है?
- राष्ट्रपति
- लोकसभा अध्यक्ष
- प्रधानमंत्री
- वित्त मंत्री
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत का नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) संघ के खातों से संबंधित अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को प्रस्तुत करता है (अनुच्छेद 149 के तहत नियुक्ति और अनुच्छेद 151 के तहत रिपोर्टिंग)। राष्ट्रपति इस रिपोर्ट को संसद के दोनों सदनों के समक्ष रखते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: CAG भारत के सार्वजनिक धन का संरक्षक होता है, जो सरकार के वित्तीय खातों की लेखा-परीक्षा करता है। यह वित्तीय जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- गलत विकल्प: लोकसभा अध्यक्ष सदन की कार्यवाही के संचालन से संबंधित हैं, न कि CAG की रिपोर्ट प्राप्त करने से। प्रधानमंत्री कार्यकारी प्रमुख हैं, लेकिन रिपोर्ट सीधे राष्ट्रपति को प्रस्तुत की जाती है। वित्त मंत्री वित्तीय मामलों के प्रभारी हैं, लेकिन CAG की रिपोर्टिंग प्रक्रिया राष्ट्रपति के माध्यम से होती है।
प्रश्न 14: पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा किस संशोधन अधिनियम द्वारा प्रदान किया गया?
- 73वां संशोधन अधिनियम, 1992
- 74वां संशोधन अधिनियम, 1992
- 65वां संशोधन अधिनियम, 1990
- 69वां संशोधन अधिनियम, 1991
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 73वें संशोधन अधिनियम, 1992 ने भारतीय संविधान में एक नया भाग (भाग IX) और ग्यारहवीं अनुसूची जोड़ी। इसने पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया और उन्हें 29 विषयों पर कानून बनाने की शक्ति दी।
- संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन का उद्देश्य पंचायती राज को मजबूत करना और स्थानीय स्वशासन को बढ़ावा देना था, जिससे जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को बल मिले।
- गलत विकल्प: 74वां संशोधन शहरी स्थानीय निकायों (नगर पालिकाओं) से संबंधित है। 65वां और 69वां संशोधन क्रमशः अनुसूचित क्षेत्रों और दिल्ली से संबंधित हैं।
प्रश्न 15: ‘विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया’ (Procedure established by law) वाक्यांश किस देश के संविधान से लिया गया है?
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- यूनाइटेड किंगडम
- जापान
- कनाडा
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान में ‘विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया’ वाक्यांश अनुच्छेद 21 में प्रयुक्त हुआ है। यह सिद्धांत मूल रूप से जापान के संविधान से प्रेरित है। इसके विपरीत, अमेरिका में ‘विधि की उचित प्रक्रिया’ (Due process of law) का सिद्धांत है, जो अधिक व्यापक है।
- संदर्भ और विस्तार: ‘विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया’ का अर्थ है कि किसी व्यक्ति के जीवन या व्यक्तिगत स्वतंत्रता को केवल उस प्रक्रिया के अनुसार छीना जा सकता है जो उस समय प्रवृत्त विधि द्वारा स्थापित की गई हो। यह सुनिश्चित करता है कि कानून निष्पक्ष और यथोचित हों, लेकिन अमेरिका के ‘Due process’ की तरह न्यायिक समीक्षा की शक्ति इतनी व्यापक नहीं है।
- गलत विकल्प: संयुक्त राज्य अमेरिका से ‘विधि की उचित प्रक्रिया’ का सिद्धांत लिया गया है, जो भारतीय संविधान में सीधे तौर पर शामिल नहीं है (हालांकि कुछ अर्थों में सर्वोच्च न्यायालय ने इसका अर्थ विस्तार किया है)। यूके और कनाडा से भी भारतीय संविधान में अनेक प्रावधान लिए गए हैं, लेकिन यह विशिष्ट वाक्यांश जापान से है।
प्रश्न 16: भारतीय संसद का कौन सा सदन ‘स्थायी सदन’ (Permanent House) कहलाता है?
- लोकसभा
- राज्यसभा
- दोनों, क्योंकि वे एक साथ भंग नहीं होतीं
- कोई भी नहीं
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राज्यसभा एक स्थायी सदन है, जिसका अर्थ है कि यह कभी भी पूरी तरह से भंग नहीं होती। इसके एक-तिहाई सदस्य हर दो साल में सेवानिवृत्त हो जाते हैं, और उनके स्थान पर नए सदस्यों का चुनाव होता है (अनुच्छेद 83(1))।
- संदर्भ और विस्तार: यह निरंतरता सुनिश्चित करता है और त्वरित विधायी प्रक्रिया के लिए एक स्थिर मंच प्रदान करता है। लोकसभा, इसके विपरीत, एक अस्थायी सदन है जो आम चुनाव के बाद भंग हो जाती है।
- गलत विकल्प: लोकसभा एक निश्चित कार्यकाल (5 वर्ष) के बाद स्वतः भंग हो जाती है, इसलिए यह स्थायी नहीं है। भले ही दोनों सदन एक साथ भंग नहीं होतीं (लोकसभा के विपरीत), राज्यसभा ही एकमात्र स्थायी सदन है।
प्रश्न 17: ‘महान्यायवादी’ (Attorney General) की नियुक्ति कौन करता है?
- प्रधानमंत्री
- भारत के राष्ट्रपति
- सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश
- कानून मंत्री
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के महान्यायवादी की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है, जैसा कि अनुच्छेद 76(1) में प्रावधानित है। महान्यायवादी भारत सरकार का मुख्य कानूनी सलाहकार होता है।
- संदर्भ और विस्तार: वे उन योग्यताओं वाले व्यक्ति होते हैं जो सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश नियुक्त होने के योग्य हों। महान्यायवादी का पद बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि वे सरकार का प्रतिनिधित्व विभिन्न कानूनी मामलों में करते हैं।
- गलत विकल्प: प्रधानमंत्री सलाह दे सकते हैं, लेकिन नियुक्ति राष्ट्रपति करते हैं। सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और कानून मंत्री इस नियुक्ति प्रक्रिया में सीधे तौर पर शामिल नहीं होते।
प्रश्न 18: राष्ट्रीय आपातकाल (National Emergency) की घोषणा किस अनुच्छेद के तहत की जाती है?
- अनुच्छेद 352
- अनुच्छेद 356
- अनुच्छेद 360
- अनुच्छेद 256
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा भारत के राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 352 के तहत की जाती है, जो युद्ध, बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह की स्थिति में लागू होता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह आपातकाल संघ को राज्यों को निर्देश देने और मौलिक अधिकारों को निलंबित करने की शक्ति प्रदान करता है। इसकी घोषणा का संसद द्वारा एक महीने के भीतर अनुमोदन आवश्यक है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 356 राष्ट्रपति शासन (राज्य आपातकाल) से संबंधित है। अनुच्छेद 360 वित्तीय आपातकाल से संबंधित है। अनुच्छेद 256 राज्यों को केंद्र के निर्देशों का पालन करने के लिए बाध्य करता है।
प्रश्न 19: निम्नलिखित में से कौन ‘संवैधानिक निकाय’ (Constitutional Body) है?
- नीति आयोग
- केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI)
- वित्त आयोग
- राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: वित्त आयोग (Finance Commission) एक संवैधानिक निकाय है, जिसका प्रावधान अनुच्छेद 280 में किया गया है। राष्ट्रपति हर पाँच साल में वित्त आयोग का गठन करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: वित्त आयोग केंद्र और राज्यों के बीच वित्तीय संसाधनों के वितरण और राज्यों के बीच उनके आवंटन की सिफारिश करता है। यह संघवाद को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- गलत विकल्प: नीति आयोग एक कार्यकारी आदेश द्वारा गठित एक गैर-संवैधानिक, गैर-सांविधिक निकाय है। सीबीआई एक जांच एजेंसी है जो केंद्र सरकार के प्रशासनिक नियंत्रण में आती है (कार्मिक मंत्रालय)। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग एक सांविधिक निकाय है, जिसका गठन मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के तहत हुआ है।
प्रश्न 20: भारतीय संविधान में ‘संसदीय विशेषाधिकार’ (Parliamentary Privileges) का उल्लेख किस अनुच्छेद में है?
- अनुच्छेद 104
- अनुच्छेद 105
- अनुच्छेद 106
- अनुच्छेद 107
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 105 संसद और उसके सदस्यों के विशेषाधिकारों और उन्मुक्तियों से संबंधित है। यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि संसद के सदस्य अपने कर्तव्यों का निर्वहन स्वतंत्र रूप से कर सकें।
- संदर्भ और विस्तार: इन विशेषाधिकारों में भाषण की स्वतंत्रता (संसद के भीतर) और किसी भी सदन की कार्यवाही के संबंध में गिरफ्तारी से मुक्ति (कुछ विशिष्ट मामलों को छोड़कर) शामिल है। ये विशेषाधिकार संसद की गरिमा और प्रभावी कामकाज के लिए आवश्यक हैं।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 104 में अनुपद रहते हुए कार्य करने के लिए दंड का प्रावधान है। अनुच्छेद 106 सदस्यों के वेतन और भत्ते से संबंधित है। अनुच्छेद 107 विधेयकों के पुरःस्थापन (introduction) से संबंधित है।
प्रश्न 21: भारत के संविधान की उद्देशिका में ‘समाजवाद’ (Socialism) शब्द कब जोड़ा गया?
- मूल संविधान में
- 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा
- 44वें संशोधन अधिनियम, 1978 द्वारा
- 73वें संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘समाजवाद’, ‘पंथनिरपेक्ष’ (Secularism) और ‘अखंडता’ (Integrity) शब्दों को 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा भारतीय संविधान की प्रस्तावना में जोड़ा गया था।
- संदर्भ और विस्तार: इन शब्दों को जोड़ने का उद्देश्य भारतीय राज्य के सामाजिक-आर्थिक स्वरूप को स्पष्ट करना था, जो समानता और कल्याण पर आधारित हो। हालांकि, ‘समाजवाद’ शब्द की व्याख्या भारतीय संदर्भ में उदारवादी है, न कि मार्क्सवादी।
- गलत विकल्प: ये शब्द मूल संविधान का हिस्सा नहीं थे। 44वें संशोधन ने संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाया। 73वें संशोधन ने पंचायती राज से संबंधित है।
प्रश्न 22: निम्नलिखित में से किस अनुच्छेद के तहत, राज्य को 6 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए प्रारंभिक बाल्यावस्था की देखभाल और शिक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया गया है?
- अनुच्छेद 44
- अनुच्छेद 45
- अनुच्छेद 46
- अनुच्छेद 47
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 45, जो राज्य के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) का हिस्सा है, में यह प्रावधान है कि “राज्य, इस संविधान के प्रारंभ से दस वर्ष की अवधि के भीतर, सभी बच्चों को, जब तक कि वे छः वर्ष की आयु पूरी नहीं कर लेते, प्रारंभिक बाल्यावस्था की देखभाल और शिक्षा प्रदान करने का प्रयास करेगा।” 86वें संशोधन अधिनियम, 2002 ने इसे संशोधित कर “छः वर्ष की आयु पूरी करने तक” से “छः वर्ष की आयु पूरी करने तक” कर दिया और इसे एक मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 21-A) भी बनाया।
- संदर्भ और विस्तार: यह प्रावधान शिक्षा के अधिकार और बाल कल्याण के प्रति राज्य की जिम्मेदारी को दर्शाता है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 44 समान नागरिक संहिता से संबंधित है। अनुच्छेद 46 अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य कमजोर वर्गों के शैक्षिक और आर्थिक हितों को बढ़ावा देने से संबंधित है। अनुच्छेद 47 पोषाहार स्तर और जीवन स्तर को ऊपर उठाने तथा लोक स्वास्थ्य के सुधार को राज्य का कर्तव्य मानता है।
प्रश्न 23: भारत में ‘साधारण बहुमत’ (Simple Majority) का प्रयोग किन विधायी प्रस्तावों के लिए किया जाता है?
- संविधान संशोधन विधेयक
- राष्ट्रपति का महाभियोग
- अविश्वास प्रस्ताव
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: साधारण बहुमत, जिसमें उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों का बहुमत शामिल होता है, का प्रयोग आमतौर पर महत्वपूर्ण विधायी प्रस्तावों, जैसे सामान्य विधेयकों, अविश्वास प्रस्तावों, स्थगन प्रस्तावों आदि के लिए किया जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: साधारण बहुमत यह सुनिश्चित करता है कि सरकार को सदन का विश्वास प्राप्त हो।
- गलत विकल्प: संविधान संशोधन विधेयकों के लिए विशेष बहुमत (अनुच्छेद 368) की आवश्यकता होती है। राष्ट्रपति के महाभियोग के लिए भी विशेष बहुमत (सदन की कुल सदस्य संख्या का दो-तिहाई) की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 24: किस अनुच्छेद के तहत, सर्वोच्च न्यायालय को मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन हेतु रिट जारी करने की शक्ति प्राप्त है?
- अनुच्छेद 226
- अनुच्छेद 32
- अनुच्छेद 13
- अनुच्छेद 143
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 32 भारतीय नागरिकों को सीधे सर्वोच्च न्यायालय जाने का अधिकार देता है यदि उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होता है। सर्वोच्च न्यायालय अनुच्छेद 32 के तहत पाँच प्रकार की रिट (हेबियस कॉर्पस, मैंडमस, प्रोहिबिशन, सर्टिओरारी, क्वो वारंटो) जारी कर सकता है।
- संदर्भ और विस्तार: इसे ‘संविधान का हृदय और आत्मा’ कहा जाता है क्योंकि यह मौलिक अधिकारों को प्रभावी बनाता है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 226 उच्च न्यायालयों को भी रिट जारी करने की शक्ति देता है, लेकिन यह शक्ति मौलिक अधिकारों के साथ-साथ अन्य कानूनी अधिकारों के प्रवर्तन के लिए भी है। अनुच्छेद 13 कानूनों की न्यायिक समीक्षा से संबंधित है, जबकि अनुच्छेद 143 राष्ट्रपति द्वारा सर्वोच्च न्यायालय से सलाह मांगने से संबंधित है।
प्रश्न 25: भारत के राष्ट्रपति का कार्यकाल कितने वर्ष का होता है?
- 4 वर्ष
- 5 वर्ष
- 6 वर्ष
- राष्ट्रपति की इच्छा तक
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 56(1) के अनुसार, भारत के राष्ट्रपति अपने पद ग्रहण की तारीख से पाँच वर्ष की अवधि तक पद धारण करेंगे।
- संदर्भ और विस्तार: वे इस अवधि की समाप्ति पर भी अपने उत्तराधिकारी के पद ग्रहण तक पद पर बने रह सकते हैं। वे पुनः निर्वाचन के लिए भी पात्र हो सकते हैं।
- गलत विकल्प: अन्य देशों के राष्ट्रपतियों का कार्यकाल भिन्न हो सकता है, लेकिन भारत में यह निश्चित रूप से 5 वर्ष है। राष्ट्रपति का कार्यकाल उनकी निजी इच्छा या महाभियोग जैसी प्रक्रियाओं से प्रभावित हो सकता है, लेकिन निर्धारित अवधि 5 वर्ष है।