आतंक का कबूलनामा: जैश कमांडर का ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर बड़ा खुलासा, मसूद अजहर के परिवार में दरार?
चर्चा में क्यों? (Why in News?):** हाल ही में, एक चौंकाने वाला वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है, जिसमें ‘जैश-ए-मोहम्मद’ (JeM) के एक कमांडर ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान हुई घटनाओं और मसूद अजहर के परिवार के भीतर के तनावों का कथित तौर पर खुलासा किया है। इस खुलासे ने न केवल भारत में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चिंताएं बढ़ा दी हैं। यह घटना आतंकवाद के वित्तपोषण, सीमा पार आतंकवाद, और कट्टरपंथी समूहों के भीतर आंतरिक गतिशीलता जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर प्रकाश डालती है, जो UPSC परीक्षा की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के लिए अत्यंत प्रासंगिक हैं।
यह ब्लॉग पोस्ट इस घटना के विभिन्न पहलुओं का गहराई से विश्लेषण करेगा, जिसमें ‘ऑपरेशन सिंदूर’ क्या था, जैश-ए-मोहम्मद की भूमिका, मसूद अजहर और उसके परिवार की पृष्ठभूमि, इस कबूलनामे का महत्व, और भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए इसके निहितार्थ शामिल हैं। हम इस मुद्दे को UPSC के दृष्टिकोण से देखेंगे, जिसमें इसके ऐतिहासिक, राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक आयामों को शामिल किया जाएगा।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ क्या था? – एक भूले हुए अध्याय का अनावरण
सबसे पहले, हमें यह समझना होगा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ क्या था। हालांकि इस विशेष ऑपरेशन का नाम सुनकर तुरंत कोई स्पष्ट तस्वीर सामने नहीं आती, लेकिन संदर्भ और घटना की गंभीरता से यह प्रतीत होता है कि यह आतंकवाद से जुड़ी एक महत्वपूर्ण घटना या अभियान रहा होगा। इस तरह के ऑपरेशन अक्सर विशेष खुफिया जानकारी, घुसपैठ के प्रयासों, या सुरक्षा बलों द्वारा की गई जवाबी कार्रवाई से जुड़े होते हैं।
संभावित संदर्भ:
- घुसपैठ या हमला: यह संभव है कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा सीमा पार से घुसपैठ करने की किसी योजना को विफल करने या किसी बड़े आतंकवादी हमले को अंजाम देने की कोशिश को नाकाम करने के लिए चलाया गया एक अभियान रहा हो।
- आतंकवादी प्रशिक्षण शिविरों पर कार्रवाई: दूसरा पहलू यह भी हो सकता है कि यह किसी आतंकवादी प्रशिक्षण शिविर या ठिकाने पर की गई कोई जवाबी कार्रवाई हो, जिसे गुप्त रखा गया हो।
- जैश-ए-मोहम्मद की गुप्त गतिविधियाँ: ‘जैश-ए-मोहम्मद’ जैसे संगठन अपनी गतिविधियों को अत्यंत गुप्त रखते हैं, और ऐसे ऑपरेशनों के नाम अक्सर प्रतीकात्मक या कोड नाम के रूप में इस्तेमाल किए जाते हैं।
इस ऑपरेशन का विस्तृत विवरण सार्वजनिक डोमेन में आसानी से उपलब्ध नहीं है, जो आतंकवाद से जुड़ी सूचनाओं की संवेदनशील प्रकृति को दर्शाता है। हालाँकि, कमांडर के कबूलनामे से इसके महत्व का अंदाजा लगाया जा सकता है।
जैश-ए-मोहम्मद (JeM) – एक भयावह पृष्ठभूमि
‘जैश-ए-मोहम्मद’ (JeM) एक प्रतिबंधित पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन है जिसकी स्थापना 2000 में मौलाना मसूद अजहर ने की थी। यह संगठन अपनी क्रूरता और भारत में बड़े आतंकवादी हमलों के लिए जाना जाता है।
प्रमुख हमले और गतिविधियाँ:
- भारतीय संसद पर हमला (2001): यह JeM द्वारा भारत पर किए गए सबसे विनाशकारी हमलों में से एक था, जिसने दोनों देशों के बीच गंभीर राजनयिक संकट पैदा किया।
- आर.डी.एक्स. और अन्य हथियारों की तस्करी: संगठन बड़े पैमाने पर हथियारों और विस्फोटकों की तस्करी में शामिल रहा है।
- अफगानिस्तान और मध्य एशिया में उपस्थिति: JeM ने तालिबान के साथ मिलकर अफगानिस्तान में भी अपनी गतिविधियाँ बढ़ाई हैं।
- अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और कई देशों द्वारा इस संगठन पर प्रतिबंध लगाया गया है।
JeM की विचारधारा इस्लामी चरमपंथ पर आधारित है और इसका मुख्य उद्देश्य भारत से कश्मीर को अलग करवाना है। मसूद अजहर, संगठन का संस्थापक और प्रमुख, एक घोषित आतंकवादी है और कई अंतरराष्ट्रीय अपराधों का मास्टरमाइंड माना जाता है।
मसूद अजहर का परिवार – दरारें और उत्तराधिकार का संकट
वीडियो में कमांडर का यह बयान कि “मसूद अजहर का परिवार टुकड़ों में बिखर गया है” अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह दर्शाता है कि जैश-ए-मोहम्मद, जो बाहर से एक एकजुट इकाई के रूप में दिखाई देता है, आंतरिक कलह और व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं से ग्रस्त हो सकता है।
पारिवारिक गतिशीलता को समझना:
- मसूद अजहर की स्थिति: कुछ रिपोर्टों के अनुसार, मसूद अजहर की स्वास्थ्य स्थिति ठीक नहीं है, और वह संगठन पर अपना नियंत्रण बनाए रखने में सक्षम नहीं हो सकता है।
- उत्तराधिकार की लड़ाई: ऐसी स्थिति में, स्वाभाविक रूप से संगठन के भीतर नेतृत्व के लिए दावेदारों के बीच संघर्ष उत्पन्न होता है। अजहर के भाई, भतीजे या अन्य करीबी कमांडर नेतृत्व की भूमिका के लिए प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं।
- सिद्धांतिक मतभेद: यह भी संभव है कि संगठन के भीतर मसूद अजहर की रणनीतियों या विचारधारा को लेकर भी मतभेद हों, जिससे परिवार और समर्थकों के बीच दरार पैदा हो।
- बाहरी दबाव: अंतरराष्ट्रीय दबाव और पाकिस्तान सरकार की कार्रवाई भी संगठन को भीतर से कमजोर कर सकती है, जिससे आंतरिक मतभेद बढ़ सकते हैं।
इस तरह के आंतरिक संघर्षों का प्रत्यक्ष परिणाम अक्सर कट्टरपंथी समूहों के भीतर अस्थिरता और हिंसा के रूप में सामने आता है। यह आतंकवादी समूहों के विश्लेषण के लिए एक महत्वपूर्ण कारक है, क्योंकि यह उनकी क्षमता और भविष्य की योजनाओं को प्रभावित कर सकता है।
कमांडर का कबूलनामा – क्यों महत्वपूर्ण है?
एक सक्रिय आतंकवादी कमांडर द्वारा इस तरह के खुलासे को कई कारणों से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा सकता है:
- खुफिया जानकारी का स्रोत: यह वीडियो खुफिया एजेंसियों के लिए अमूल्य जानकारी का स्रोत हो सकता है। यह न केवल ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के विवरण को उजागर कर सकता है, बल्कि जैश-ए-मोहम्मद की वर्तमान रणनीति, सदस्यों, वित्तपोषण के तरीकों और आंतरिक संरचना के बारे में भी महत्वपूर्ण सुराग दे सकता है।
- मनोवैज्ञानिक युद्ध: ऐसे खुलासे आतंकवादी संगठनों के मनोबल को तोड़ने और उनके समर्थकों के बीच संदेह पैदा करने का एक प्रभावी तरीका हो सकते हैं। यह दर्शाता है कि संगठन अब पहले की तरह अभेद्य नहीं है।
- आतंकवाद विरोधी प्रयासों को बल: यह कबूलनामा उन देशों के लिए एक मजबूत तर्क प्रदान करता है जो आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं, खासकर पाकिस्तान जैसे देशों पर ऐसे संगठनों पर नकेल कसने के लिए दबाव बनाने में।
- अंतरराष्ट्रीय सहयोग: इस घटना का प्रसार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद के खतरे से निपटने के लिए सहयोग को और मजबूत कर सकता है।
“आतंकवाद का सामना करने के लिए, हमें न केवल बाहरी खतरों पर ध्यान देना चाहिए, बल्कि उन दरारों को भी समझना चाहिए जो इसे भीतर से खोखला कर सकती हैं।”
भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा पर निहितार्थ
इस घटना के भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए कई गहरे निहितार्थ हैं:
- बढ़ी हुई चौकसी: यह घटना इस बात का प्रमाण है कि आतंकवादी संगठन अभी भी सक्रिय हैं और निरंतर हमले करने की फिराक में हैं। इसलिए, भारतीय सुरक्षा बलों को अपनी चौकसी और खुफिया तंत्र को और मजबूत करने की आवश्यकता है।
- सीमा प्रबंधन: ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे अभियानों का संबंध सीमा पार से होने वाली गतिविधियों से हो सकता है। यह सीमा प्रबंधन और घुसपैठ विरोधी उपायों की प्रभावशीलता पर सवाल उठाता है।
- डिजिटल युग में आतंकवाद: वीडियो का वायरल होना यह दर्शाता है कि आतंकवादी संगठन अब दुष्प्रचार और मनोवैज्ञानिक युद्ध के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म का भी उपयोग कर रहे हैं। इससे निपटने के लिए साइबर सुरक्षा और डिजिटल निगरानी को मजबूत करना आवश्यक है।
- कट्टरपंथ का मुकाबला: परिवार के भीतर दरारों की बात यह भी दर्शाती है कि युवाओं को कट्टरपंथी बनाने में परिवार और सामाजिक संरचनाओं की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। इन पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है।
UPSC परीक्षा के लिए प्रासंगिकता
यह घटना UPSC सिविल सेवा परीक्षा के विभिन्न चरणों के लिए अत्यंत प्रासंगिक है:
- प्रारंभिक परीक्षा (Prelims):
- सुरक्षा: राष्ट्रीय सुरक्षा, सीमा पार आतंकवाद, आतंकवादी संगठन (जैसे JeM, LeT), अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद।
- भूगोल: सीमावर्ती क्षेत्र, घुसपैठ के मार्ग।
- इतिहास: मसूद अजहर से संबंधित ऐतिहासिक घटनाएँ।
- मुख्य परीक्षा (Mains):
- GS-I (Society): कट्टरपंथ, सामाजिक मुद्दे।
- GS-II (Governance & International Relations): भारत के पड़ोसी देशों के साथ संबंध, आतंकवाद के मुद्दे पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, राष्ट्रीय सुरक्षा प्रबंधन।
- GS-III (Economy & Security): आतंकवाद का वित्तपोषण, आंतरिक सुरक्षा के लिए चुनौतियाँ, सुरक्षा बल और एजेंसियां, साइबर सुरक्षा।
- Essay: आतंकवाद का बहुआयामी स्वरूप, राष्ट्रीय सुरक्षा की चुनौतियाँ, डिजिटल युग में सुरक्षा।
विश्लेषण: क्यों और कैसे?
1. क्यों हुआ यह खुलासा?
इस कबूलनामे के पीछे कई संभावित कारण हो सकते हैं:
- व्यक्तिगत प्रतिशोध: कमांडर को जैश-ए-मोहम्मद नेतृत्व द्वारा किसी प्रकार का नुकसान या धोखा महसूस हुआ हो।
- नेतृत्व की लड़ाई में लाभ: वह मसूद अजहर के परिवार में चल रही उत्तराधिकार की लड़ाई में किसी गुट का समर्थन कर रहा हो या विरोधी गुट को बदनाम करने की कोशिश कर रहा हो।
- खुफिया एजेंसियों का प्रभाव: यह संभव है कि वह पहले से ही किसी खुफिया एजेंसी के संपर्क में हो और सुरक्षा बलों के हाथों पकड़े जाने के डर से या किसी समझौते के तहत यह जानकारी लीक कर रहा हो।
- हताशा: जैश-ए-मोहम्मद की वर्तमान कमजोर स्थिति और लगातार हो रही कार्रवाइयों से हताश होकर उसने यह कदम उठाया हो।
2. कैसे जैश-ए-मोहम्मद को नियंत्रित किया जा सकता है?
जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों को नियंत्रित करने के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है:
- खुफिया तंत्र को मजबूत करना: प्रभावी खुफिया जानकारी एकत्र करना और उसका विश्लेषण करना किसी भी आतंकवादी संगठन की कमर तोड़ने के लिए महत्वपूर्ण है।
- आतंकवाद का वित्तपोषण रोकना: मनी लॉन्ड्रिंग, हवाला और अन्य अवैध माध्यमों से आतंकवादियों को मिलने वाले धन पर रोक लगाना।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: पाकिस्तान जैसे देशों पर ऐसे संगठनों पर कार्रवाई करने का दबाव बनाना और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सूचनाओं का आदान-प्रदान करना।
- डिजिटल निगरानी: ऑनलाइन प्रचार, भर्ती और संचार को ट्रैक करने के लिए साइबर स्पेस की प्रभावी निगरानी।
- कट्टरपंथ का मुकाबला: युवाओं को कट्टरपंथी विचारधारा से बचाने के लिए शिक्षा, सामाजिक सुधार और वैकल्पिक विचारों को बढ़ावा देना।
- कठोर कानूनी कार्रवाई: पकड़े गए आतंकवादियों और उनके समर्थकों के खिलाफ त्वरित और कठोर कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित करना।
“आतंकवाद एक जटिल पहेली है, जिसके हर टुकड़े को सुलझाने के लिए धैर्य, रणनीति और दृढ़ संकल्प की आवश्यकता होती है।”
आगे की राह (The Way Forward)
इस घटना को केवल एक वायरल वीडियो के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि इसे भारत की सुरक्षा रणनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में देखा जाना चाहिए।
- रणनीतिक प्रतिक्रिया: भारत को इस खुलासे पर सावधानीपूर्वक और रणनीतिक प्रतिक्रिया देनी चाहिए, जिससे पाकिस्तान पर दबाव बढ़े और आतंकवाद के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का समर्थन मजबूत हो।
- आंतरिक सुरक्षा पर ध्यान: यह घटना एक बार फिर हमारी आंतरिक सुरक्षा की कमजोरियों को उजागर करती है। हमें अपने खुफिया तंत्र, सुरक्षा बलों और साइबर सुरक्षा क्षमताओं को लगातार उन्नत करने की आवश्यकता है।
- कूटनीतिक प्रयास: आतंकवाद के मुद्दे पर अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत को अपनी कूटनीतिक सक्रियता जारी रखनी चाहिए।
- जन जागरूकता: नागरिकों को आतंकवाद के खतरों और उनसे निपटने में अपनी भूमिका के बारे में जागरूक करना भी महत्वपूर्ण है।
मसूद अजहर के परिवार में कथित दरारें और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर कमांडर का कबूलनामा, आतंकवाद की निरंतर और विकसित हो रही प्रकृति का एक कड़वा सच है। UPSC उम्मीदवारों के लिए, यह घटना हमें सिखाती है कि सुरक्षा केवल सीमाओं की रक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें आतंकवाद के मूल कारणों, उनके आंतरिक तंत्रों और डिजिटल युग की चुनौतियों को समझना भी शामिल है। इस तरह के विश्लेषण हमें एक अधिक सूचित और सक्षम नागरिक बनाने में मदद करते हैं, जो भारत के भविष्य के लिए आवश्यक है।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
1. ‘जैश-ए-मोहम्मद’ (JeM) की स्थापना किस वर्ष हुई थी?
(a) 1995
(b) 2000
(c) 2005
(d) 2010
उत्तर: (b) 2000
व्याख्या: जैश-ए-मोहम्मद की स्थापना मौलाना मसूद अजहर ने 2000 में की थी।
2. निम्नलिखित में से किस संगठन ने 2001 में भारतीय संसद पर हमले की जिम्मेदारी ली थी?
(a) लश्कर-ए-तैयबा (LeT)
(b) हिजबुल मुजाहिदीन
(c) जैश-ए-मोहम्मद (JeM)
(d) अल-कायदा
उत्तर: (c) जैश-ए-मोहम्मद (JeM)
व्याख्या: 2001 के भारतीय संसद पर हमले को जैश-ए-मोहम्मद ने अंजाम दिया था।
3. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने जैश-ए-मोहम्मद (JeM) को एक अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी संगठन के रूप में किस धारा के तहत सूचीबद्ध किया है?
(a) धारा 1267
(b) धारा 1373
(c) धारा 1450
(d) धारा 1541
उत्तर: (a) धारा 1267
व्याख्या: UNSC की संकल्प 1267 (और उसके बाद के संशोधनों) के तहत कई आतंकवादी संगठनों को सूचीबद्ध किया गया है, जिसमें जैश-ए-मोहम्मद भी शामिल है।
4. ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का संबंध किस प्रकार की गतिविधि से होने की सर्वाधिक संभावना है, जैसा कि हालिया घटनाक्रम से पता चलता है?
(a) भारतीय नौसेना का एक अभ्यास
(b) सीमा पार आतंकवाद से जुड़ा एक अभियान
(c) आतंकवाद विरोधी वित्तीय कार्रवाई
(d) भारत-पाकिस्तान के बीच सीमा विवाद का समाधान
उत्तर: (b) सीमा पार आतंकवाद से जुड़ा एक अभियान
व्याख्या: जैश-ए-मोहम्मद कमांडर द्वारा ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर की गई टिप्पणी के संदर्भ में, इसका संबंध सीमा पार आतंकवाद से जुड़े किसी ऑपरेशन से होने की सबसे अधिक संभावना है।
5. आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने के लिए निम्नलिखित में से कौन सी अंतर्राष्ट्रीय संस्था महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है?
(a) अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF)
(b) विश्व व्यापार संगठन (WTO)
(c) वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF)
(d) अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO)
उत्तर: (c) वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF)
व्याख्या: FATF आतंकवाद के वित्तपोषण और मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मानक निर्धारित करता है।
6. मसूद अजहर वर्तमान में किस देश में स्थित है, जहाँ से वह अपने संगठन की गतिविधियाँ संचालित करता है?
(a) अफगानिस्तान
(b) ईरान
(c) पाकिस्तान
(d) सीरिया
उत्तर: (c) पाकिस्तान
व्याख्या: मसूद अजहर और जैश-ए-मोहम्मद का मुख्य आधार पाकिस्तान है, हालांकि वे अफगानिस्तान में भी सक्रिय रहे हैं।
7. निम्नलिखित में से कौन सा कथन ‘डिजिटल युग में आतंकवाद’ के संदर्भ में सत्य है?
I. आतंकवादी संगठन दुष्प्रचार के लिए सोशल मीडिया का उपयोग करते हैं।
II. वे भर्ती और संचार के लिए एन्क्रिप्टेड ऐप्स का उपयोग करते हैं।
III. वे ऑनलाइन वित्तीय लेनदेन के माध्यम से धन जुटाते हैं।
(a) केवल I
(b) I और II
(c) II और III
(d) I, II और III
उत्तर: (d) I, II और III
व्याख्या: आधुनिक आतंकवादी संगठन सभी सूचीबद्ध माध्यमों का उपयोग करते हैं।
8. भारत के लिए, सीमा पार आतंकवाद से निपटने में सबसे बड़ी चुनौती क्या है?
(a) घरेलू आतंकवाद विरोधी कानूनों की कमी
(b) पड़ोसी देशों से प्राप्त होने वाली खुफिया जानकारी का अभाव
(c) प्रभावी सीमा प्रबंधन और घुसपैठ विरोधी तंत्र
(d) राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी
उत्तर: (c) प्रभावी सीमा प्रबंधन और घुसपैठ विरोधी तंत्र
व्याख्या: सीमा पार से होने वाली घुसपैठ को रोकना और उनका पता लगाना एक निरंतर चुनौती रही है, विशेषकर जटिल भौगोलिक क्षेत्रों में।
9. ‘कट्टरपंथ’ (Radicalization) के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन से कारक जिम्मेदार हो सकते हैं?
I. सामाजिक-आर्थिक असमानता
II. विचारधारात्मक प्रचार
III. व्यक्तिगत पहचान का संकट
(a) केवल I
(b) I और II
(c) II और III
(d) I, II और III
उत्तर: (d) I, II और III
व्याख्या: कट्टरपंथ एक बहुआयामी प्रक्रिया है जिसमें ये सभी कारक भूमिका निभा सकते हैं।
10. हालिया घटनाक्रम में, जैश-ए-मोहम्मद कमांडर के खुलासे का एक संभावित परिणाम क्या हो सकता है?
(a) आतंकवादियों का आत्मसमर्पण
(b) संगठन के भीतर आंतरिक कलह में वृद्धि
(c) अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा जैश-ए-मोहम्मद के खिलाफ कार्रवाई में वृद्धि
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर: (d) उपरोक्त सभी
व्याख्या: ऐसे खुलासे से इन सभी परिणामों की संभावना बढ़ जाती है।
मुख्य परीक्षा (Mains)
1. ‘जैश-ए-मोहम्मद’ (JeM) जैसे आतंकवादी संगठनों की कार्यप्रणाली, विचारधारा और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए उनके खतरों का आलोचनात्मक विश्लेषण करें। भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा पर सीमा पार आतंकवाद के प्रभाव का वर्णन करें।
(250 शब्द, 15 अंक)
2. डिजिटल युग में आतंकवाद का स्वरूप कैसे बदल रहा है? आतंकवाद के वित्तपोषण, भर्ती और दुष्प्रचार को रोकने के लिए भारत द्वारा उठाए जाने वाले कदमों की चर्चा करें।
(250 शब्द, 15 अंक)
3. हालिया वीडियो में मसूद अजहर के परिवार में कथित दरारों और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर जैश कमांडर के खुलासे के महत्व का मूल्यांकन करें। यह भारत की सुरक्षा रणनीति को कैसे प्रभावित कर सकता है?
(150 शब्द, 10 अंक)
4. भारत में कट्टरपंथ की समस्या एक गंभीर चुनौती है। इसके मूल कारणों की पहचान करें और युवाओं को कट्टरपंथी विचारधारा से बचाने के लिए सरकार और समाज द्वारा उठाए जा सकने वाले उपायों का सुझाव दें।
(150 शब्द, 10 अंक)
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