आज ही परखें अपना ज्ञान: राजव्यवस्था का महा-अभ्यास
लोकतंत्र की नींव को समझना और उसके संवैधानिक ढांचे पर अपनी पकड़ मजबूत करना, हर गंभीर परीक्षार्थी का परम लक्ष्य होना चाहिए। प्रस्तुत है भारतीय राजव्यवस्था पर आधारित 25 प्रश्नों का एक विशेष अभ्यास सेट, जो आपकी वैचारिक स्पष्टता को परखेगा और आगामी परीक्षाओं के लिए आपको और भी सुदृढ़ बनाएगा। अपनी तैयारी का स्तर जानने के लिए आज ही इन चुनौतियों का सामना करें!
भारतीय राजव्यवस्था और संविधान अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और दिए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘न्याय’ का आदर्श किस रूप में शामिल किया गया है?
- सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक
- केवल सामाजिक और राजनीतिक
- केवल आर्थिक और राजनीतिक
- सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और धार्मिक
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की प्रस्तावना स्पष्ट रूप से न्याय के तीन रूपों को सूचीबद्ध करती है: सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक। यह सुनिश्चित करता है कि सभी नागरिकों को समान अवसर मिलें और किसी भी प्रकार का भेदभाव न हो।
- संदर्भ और विस्तार: यह आदर्श फ्रांसीसी क्रांति से प्रेरित है और एक कल्याणकारी राज्य की स्थापना के उद्देश्य को दर्शाता है। सामाजिक न्याय का अर्थ है जाति, धर्म, लिंग आदि के आधार पर भेदभाव का अभाव। आर्थिक न्याय का अर्थ है धन, संपत्ति और अवसरों का उचित वितरण। राजनीतिक न्याय का अर्थ है सभी नागरिकों को समान राजनीतिक अधिकार प्राप्त हों।
- गलत विकल्प: विकल्प (b), (c) और (d) गलत हैं क्योंकि प्रस्तावना में तीनों (सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक) न्याय का उल्लेख है, न कि इनमें से किसी एक या दो का, या अतिरिक्त धार्मिक न्याय का।
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा युग्म भारतीय संविधान के अनुच्छेद और उसकी विषय-वस्तु के संबंध में सही सुमेलित नहीं है?
- अनुच्छेद 14: विधि के समक्ष समानता
- अनुच्छेद 17: अस्पृश्यता का अंत
- अनुच्छेद 21A: शिक्षा का अधिकार
- अनुच्छेद 32: राष्ट्रीय आपातकाल का प्रावधान
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: विकल्प (a), (b), और (c) सही सुमेलित हैं। अनुच्छेद 14 विधि के समक्ष समानता और विधियों के समान संरक्षण की गारंटी देता है। अनुच्छेद 17 अस्पृश्यता का उन्मूलन करता है और इसके अभ्यास को दंडनीय बनाता है। अनुच्छेद 21A (44वें संशोधन द्वारा जोड़ा गया) 6 से 14 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार प्रदान करता है।
- संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रीय आपातकाल का प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 352 में है, न कि अनुच्छेद 32 में। अनुच्छेद 32 संवैधानिक उपचारों का अधिकार प्रदान करता है, जिसके तहत व्यक्ति अपने मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिए सर्वोच्च न्यायालय जा सकता है।
- गलत विकल्प: विकल्प (d) गलत है क्योंकि अनुच्छेद 32 संवैधानिक उपचारों से संबंधित है, जबकि राष्ट्रीय आपातकाल अनुच्छेद 352 से संबंधित है।
प्रश्न 3: राज्य के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) का मुख्य उद्देश्य क्या है?
- नागरिकों के मौलिक अधिकारों को प्रतिबंधित करना
- सरकार को लोक कल्याणकारी राज्य की स्थापना के लिए मार्गदर्शन देना
- संसद को विधायी शक्तियाँ प्रदान करना
- न्यायिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राज्य के नीति निदेशक तत्व (DPSP), जो संविधान के भाग IV में अनुच्छेद 36 से 51 तक वर्णित हैं, सरकार के लिए एक ‘निर्देश’ के रूप में कार्य करते हैं। उनका मुख्य उद्देश्य एक लोक कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना और सामाजिक-आर्थिक न्याय को बढ़ावा देना है।
- संदर्भ और विस्तार: यद्यपि ये तत्व न्यायोचित नहीं हैं (अर्थात, इन्हें न्यायालयों द्वारा लागू नहीं किया जा सकता), वे देश के शासन के लिए मौलिक हैं और कानून बनाने में राज्य द्वारा इनका प्रयोग किया जाना चाहिए। ये तत्व गांधीवादी, उदार-बौद्धिक और समाजवादी विचारधाराओं से प्रेरित हैं।
- गलत विकल्प: विकल्प (a) गलत है क्योंकि DPSP मौलिक अधिकारों के पूरक हैं, न कि प्रतिबंधक। विकल्प (c) और (d) क्रमशः संसद की विधायी शक्तियों और न्यायिक स्वतंत्रता से संबंधित हैं, जो DPSP के प्राथमिक उद्देश्य नहीं हैं।
प्रश्न 4: भारत के राष्ट्रपति को पद से हटाने की प्रक्रिया ‘महाभियोग’ का वर्णन संविधान के किस अनुच्छेद में किया गया है?
- अनुच्छेद 61
- अनुच्छेद 56
- अनुच्छेद 76
- अनुच्छेद 52
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 61 राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाने की प्रक्रिया का वर्णन करता है। यह प्रक्रिया संविधान के उल्लंघन के आधार पर राष्ट्रपति को पद से हटाने के लिए होती है।
- संदर्भ और विस्तार: महाभियोग का आरोप संसद के किसी भी सदन (लोकसभा या राज्यसभा) द्वारा लगाया जा सकता है। आरोप का प्रस्ताव सदन के कुल सदस्यों के कम से कम एक-चौथाई सदस्यों द्वारा हस्ताक्षरित होना चाहिए और सदन के कम से कम दो-तिहाई बहुमत से पारित होना चाहिए। राष्ट्रपति को 14 दिन पहले लिखित सूचना देनी होती है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 56 राष्ट्रपति के कार्यकाल से संबंधित है, अनुच्छेद 76 महान्यायवादी (Attorney General) के पद से संबंधित है, और अनुच्छेद 52 भारत के राष्ट्रपति के पद का प्रावधान करता है।
प्रश्न 5: संसद के दो सत्रों के बीच अधिकतम कितना अंतराल हो सकता है?
- छह महीने
- तीन महीने
- एक वर्ष
- चार महीने
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 85(1) यह प्रावधान करता है कि राष्ट्रपति समय-समय पर संसद के प्रत्येक सदन को ऐसे समय और स्थान पर अधिवेशित होने के लिए आहूत करेगा जैसा वह ठीक समझे, परन्तु उसके (सत्र के) सत्रावसान या विगठन के लिए किसी भी पक्ष के संबंध में उसके अंतिम बैठक की तारीख से छह माह की अवधि के भीतर ऐसा नहीं करेगा।
- संदर्भ और विस्तार: इसका अर्थ है कि संसद के दो सत्रों के बीच छह महीने से अधिक का अंतराल नहीं हो सकता। इससे यह सुनिश्चित होता है कि संसद नियमित रूप से मिलती रहे और देश के महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हो सके।
- गलत विकल्प: तीन महीने, एक वर्ष, और चार महीने का अंतराल संविधान द्वारा निर्धारित नहीं किया गया है। छह महीने की सीमा संसद की नियमितता सुनिश्चित करती है।
प्रश्न 6: न्यायिक समीक्षा (Judicial Review) की शक्ति सर्वोच्च न्यायालय को संविधान के किस अनुच्छेद के तहत प्राप्त है?
- अनुच्छेद 13
- अनुच्छेद 32
- अनुच्छेद 226
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: न्यायिक समीक्षा वह शक्ति है जिसके द्वारा न्यायपालिका, विशेष रूप से सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय, संसद या राज्य विधानमंडलों द्वारा पारित कानूनों और कार्यकारी आदेशों की संवैधानिकता की जाँच करती है। अनुच्छेद 13 इस शक्ति का आधार प्रदान करता है, यह घोषणा करते हुए कि मौलिक अधिकारों के असंगत कानून शून्य होंगे। अनुच्छेद 32 (सर्वोच्च न्यायालय) और अनुच्छेद 226 (उच्च न्यायालय) संवैधानिक उपचारों का अधिकार प्रदान करते हैं, जिसके तहत वे इन कानूनों को रद्द कर सकते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: केशवानंद भारती मामले (1973) में सर्वोच्च न्यायालय ने अपने न्यायिक समीक्षा के अधिकार को पुन: पुष्टि की और कहा कि यह संविधान के ‘मूल ढांचे’ (Basic Structure) का हिस्सा है।
- गलत विकल्प: विकल्प (d) सही है क्योंकि ये सभी अनुच्छेद न्यायिक समीक्षा के विभिन्न पहलुओं से जुड़े हुए हैं। अनुच्छेद 13 यह सुनिश्चित करता है कि कानून मौलिक अधिकारों के विपरीत न हों, जबकि अनुच्छेद 32 और 226 उन कानूनों को रद्द करने का अधिकार देते हैं।
प्रश्न 7: भारत में ‘संघीय व्यवस्था’ के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?
- यह शक्तियों के विभाजन पर आधारित है।
- इसमें एक मजबूत केंद्र सरकार होती है।
- यह एकल नागरिकता प्रदान करता है।
- यह एकात्मक प्रणाली की तुलना में अधिक लचीला होता है।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान एक ‘संघ’ की स्थापना करता है (अनुच्छेद 1), लेकिन यह ‘एकात्मक’ झुकाव वाली एक संघीय प्रणाली है। संघीय व्यवस्था की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता शक्तियों का केंद्र और राज्यों के बीच विभाजन है, जैसा कि सातवीं अनुसूची में उल्लिखित संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची में स्पष्ट है।
- संदर्भ और विस्तार: हालांकि भारत में एक मजबूत केंद्र सरकार (विकल्प b) है और एकल नागरिकता (विकल्प c) है, जो एकात्मक विशेषताएं हैं, इसकी मूल संरचना शक्ति विभाजन पर आधारित है। यह कथन (a) संघीय प्रणाली का सबसे सटीक वर्णन करता है। इसकी लचीलेपन (विकल्प d) पर बहस हो सकती है, लेकिन प्राथमिक विशेषता शक्ति विभाजन है।
- गलत विकल्प: विकल्प (b) और (c) भारत की संघीय प्रणाली की एकात्मक विशेषताएं हैं। विकल्प (d) बहस का विषय है और प्रत्यक्ष रूप से संघीय व्यवस्था का मूल सिद्धांत नहीं है, जो कि शक्ति विभाजन है।
प्रश्न 8: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) को संसद की किस समिति का ‘मित्र, दार्शनिक और मार्गदर्शक’ कहा जाता है?
- लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee – PAC)
- प्राक्कलन समिति (Estimates Committee)
- सरकारी उपक्रम समिति (Committee on Public Undertakings – COPU)
- विशेषाधिकार समिति (Committee of Privileges)
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG), जिसका उल्लेख अनुच्छेद 148 में है, लोक लेखा समिति (PAC) के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। CAG अपनी ऑडिट रिपोर्ट (विनियोग लेखाओं पर ऑडिट रिपोर्ट, वित्त लेखाओं पर ऑडिट रिपोर्ट, और सरकारी उपक्रमों पर ऑडिट रिपोर्ट) संसद में प्रस्तुत करता है, जिनकी जाँच PAC करती है।
- संदर्भ और विस्तार: CAG की रिपोर्टों के आधार पर PAC सरकारी व्यय में अनियमितताओं, भ्रष्टाचार और अक्षमता को उजागर करती है। इस सहयोग के कारण CAG को PAC का ‘मित्र, दार्शनिक और मार्गदर्शक’ कहा जाता है।
- गलत विकल्प: प्राक्कलन समिति व्यय की मितव्ययिता और दक्षता पर ध्यान केंद्रित करती है, सरकारी उपक्रम समिति सरकारी उपक्रमों के प्रदर्शन की जाँच करती है, और विशेषाधिकार समिति सदन के विशेषाधिकारों से संबंधित है। ये समितियाँ CAG की रिपोर्टों से उतनी गहराई से नहीं जुड़ी हैं जितनी PAC।
प्रश्न 9: निम्नलिखित में से कौन सा एक ‘संवैधानिक निकाय’ (Constitutional Body) नहीं है?
- चुनाव आयोग (Election Commission of India)
- संघ लोक सेवा आयोग (Union Public Service Commission)
- राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (National Human Rights Commission)
- वित्त आयोग (Finance Commission)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: एक संवैधानिक निकाय वह होता है जिसका उल्लेख सीधे भारतीय संविधान में किया गया है। चुनाव आयोग (अनुच्छेद 324), संघ लोक सेवा आयोग (अनुच्छेद 315), और वित्त आयोग (अनुच्छेद 280) सभी संवैधानिक निकाय हैं।
- संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (NHRC) की स्थापना 1993 में मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के तहत की गई थी। यह एक ‘सांविधिक निकाय’ (Statutory Body) है, जिसका अर्थ है कि इसकी स्थापना संसद के एक अधिनियम द्वारा की गई है, न कि सीधे संविधान में इसके उल्लेख द्वारा।
- गलत विकल्प: NHRC एक सांविधिक निकाय है, संवैधानिक नहीं। अन्य तीनों विकल्प संवैधानिक निकाय हैं।
प्रश्न 10: 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा भारतीय संविधान में कौन सी अनुसूची जोड़ी गई?
- नौवीं अनुसूची
- दसवीं अनुसूची
- ग्यारहवीं अनुसूची
- बारहवीं अनुसूची
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 ने भारतीय संविधान में ग्यारहवीं अनुसूची (Eleventh Schedule) जोड़ी। इस अनुसूची में पंचायतों के 29 कार्यात्मक मदों का उल्लेख है।
- संदर्भ और विस्तार: यह संशोधन पंचायती राज संस्थानों (PRIs) को संवैधानिक दर्जा प्रदान करता है, जिससे वे स्थानीय स्वशासन की संस्थाओं के रूप में अधिक प्रभावी ढंग से कार्य कर सकें।
- गलत विकल्प: नौवीं अनुसूची पहले संशोधन (1951) द्वारा, दसवीं अनुसूची दल-बदल विरोधी कानून के लिए 52वें संशोधन (1985) द्वारा, और बारहवीं अनुसूची शहरी स्थानीय निकायों के लिए 74वें संशोधन (1992) द्वारा जोड़ी गई थी।
प्रश्न 11: राष्ट्रपति द्वारा जारी अध्यादेश, संसद के सत्र शुरू होने के कितने समय के भीतर संसद के दोनों सदनों द्वारा अनुमोदित होना चाहिए, अन्यथा वह अप्रभावी हो जाएगा?
- 4 सप्ताह
- 6 सप्ताह
- 8 सप्ताह
- 12 सप्ताह
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 123 राष्ट्रपति को अध्यादेश जारी करने की शक्ति देता है जब संसद का कोई भी सदन या दोनों सदन सत्र में न हों। राष्ट्रपति द्वारा जारी किया गया कोई भी अध्यादेश संसद के पुन: सत्र में आने के छह सप्ताह (42 दिन) के भीतर दोनों सदनों द्वारा अनुमोदित होना चाहिए।
- संदर्भ और विस्तार: यदि संसद इन छह हफ्तों के भीतर अध्यादेश को अनुमोदित नहीं करती है, तो अध्यादेश अप्रभावी हो जाता है। यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि अध्यादेशों का उपयोग केवल आपातकालीन स्थितियों में किया जाए और विधायिका की संप्रभुता बनी रहे।
- गलत विकल्प: 6 सप्ताह, 8 सप्ताह, और 12 सप्ताह गलत हैं। सही अवधि 6 सप्ताह (42 दिन) है, जो मोटे तौर पर 4 सप्ताह के भीतर अनुमोदन की आवश्यकता से अधिक है, लेकिन प्रश्न की बारीकी को देखते हुए, 4 सप्ताह एक सामान्य परीक्षा प्रश्न के रूप में स्वीकार किया जा सकता है, हालांकि संवैधानिक रूप से 6 सप्ताह (42 दिन) सही है। **[सुधार: मूल प्रश्न में 42 दिन का विकल्प नहीं है, इसलिए 6 सप्ताह के सबसे करीब 4 सप्ताह या 8 सप्ताह हो सकता है। संवैधानिक रूप से 6 सप्ताह है। प्रश्न के विकल्पों में 42 दिन नहीं है, इसलिए 6 सप्ताह के तर्क से 4 सप्ताह गलत है। 8 सप्ताह गलत है। सही उत्तर 6 सप्ताह है, जो विकल्पों में नहीं है। यदि एक विकल्प चुनना हो, तो 42 दिनों के भीतर का अर्थ है कि 42 दिनों के बाद वह समाप्त हो जाएगा। आम तौर पर 6 सप्ताह के अंदर का मतलब 42 दिन के भीतर है। यदि प्रश्न 42 दिन कहता, तो वह सही होता। यहाँ विकल्पों में 4 सप्ताह (28 दिन), 6 सप्ताह (42 दिन), 8 सप्ताह (56 दिन), 12 सप्ताह (84 दिन) होने चाहिए थे। दिए गए विकल्पों में, 6 सप्ताह (42 दिन) सबसे सटीक उत्तर है, जो विकल्प b में है। प्रश्न को 6 सप्ताह के अनुसार ठीक किया जाना चाहिए। इस प्रकार, प्रश्न के विकल्पों के अनुसार, (b) 6 सप्ताह सही उत्तर होगा। यदि प्रश्न की मूल भावना 42 दिन की है, तो कोई भी विकल्प सही नहीं है। यहाँ प्रश्न और विकल्प में विसंगति है। मान लेते हैं प्रश्न 6 सप्ताह (42 दिन) के बारे में है। तो उत्तर (b) होगा।]**
* [पुनर्विचार: प्रश्न की मूल संरचना और दिए गए विकल्पों के आधार पर, यह महत्वपूर्ण है कि हम प्रश्न को यथासंभव सटीक रखें। “संसद के सत्र शुरू होने के कितने समय के भीतर” का अर्थ है कि सत्र शुरू होने के बाद 6 सप्ताह के भीतर अनुमोदन आवश्यक है। यदि यह अनुमोदन नहीं मिलता है, तो वह अप्रभावी हो जाता है। सामान्य समझ में, 6 सप्ताह का मतलब 42 दिन है। अगर विकल्प 42 दिन नहीं है, तो हमें सबसे निकटतम चुनना होगा। हालांकि, परीक्षाओं में अक्सर 6 सप्ताह को ही सीधे पूछा जाता है। इस प्रश्न के विकल्पों में, 6 सप्ताह (b) ही सही उत्तर है। मैं अपने स्पष्टीकरण में इसी पर ध्यान केंद्रित करूंगा।]**
* [अंतिम निर्णय: प्रश्न के विकल्प ‘b’ के अनुरूप, उत्तर (b) 6 सप्ताह होगा, जो 42 दिनों के बराबर है।]
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 123 राष्ट्रपति को अध्यादेश जारी करने की शक्ति देता है। इस अनुच्छेद के अनुसार, राष्ट्रपति द्वारा जारी किया गया अध्यादेश संसद के पुन: सत्र में आने के छह सप्ताह (42 दिन) के भीतर दोनों सदनों द्वारा अनुमोदित होना चाहिए।
- संदर्भ और विस्तार: यदि संसद के दोनों सदन इस अवधि के भीतर अध्यादेश को अनुमोदित नहीं करते हैं, तो अध्यादेश स्वतः ही अप्रभावी हो जाता है। यह प्रावधान यह सुनिश्चित करता है कि अध्यादेशों का दुरुपयोग न हो और विधायी प्रक्रिया का सम्मान हो।
- गलत विकल्प: 4 सप्ताह, 8 सप्ताह, और 12 सप्ताह संवैधानिक रूप से निर्धारित समय-सीमाएँ नहीं हैं। छह सप्ताह (42 दिन) वह अवधि है जब अध्यादेश संसद के अनुमोदन के बिना लागू रहता है।
प्रश्न 12: निम्नलिखित में से कौन सी परिस्थिति में राष्ट्रपति राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा कर सकते हैं?
- राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा
- राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता
- गंभीर वित्तीय संकट
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 352 राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा से संबंधित है। राष्ट्रपति इस अनुच्छेद के तहत तीन आधारों पर राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा कर सकते हैं: (a) युद्ध, (b) बाह्य आक्रमण, या (c) सशस्त्र विद्रोह। राष्ट्रपति (1975 में) ‘आंतरिक अशांति’ के आधार पर आपातकाल की घोषणा की थी, जिसे बाद में 44वें संशोधन द्वारा ‘सशस्त्र विद्रोह’ से बदल दिया गया।
- संदर्भ और विस्तार: विकल्प (a) ‘राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा’ युद्ध या बाह्य आक्रमण की स्थिति को समाहित करता है। विकल्प (b) ‘राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता’ अनुच्छेद 356 (राष्ट्रपति शासन) से संबंधित है, लेकिन अनुच्छेद 352 के तहत भी यह राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है। विकल्प (c) ‘गंभीर वित्तीय संकट’ अनुच्छेद 360 के तहत वित्तीय आपातकाल से संबंधित है। हालांकि, अनुच्छेद 352 का प्रयोग युद्ध, बाह्य आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह के आधार पर किया जाता है।
* **[सुधार: प्रश्न में ‘राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा’ का उल्लेख है, जो अनुच्छेद 352 के अंतर्गत आता है। ‘राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता’ अनुच्छेद 356 है, और ‘गंभीर वित्तीय संकट’ अनुच्छेद 360 है। अनुच्छेद 352 केवल तीन विशिष्ट कारणों से लागू होता है। इसलिए, ‘उपरोक्त सभी’ इस संदर्भ में गलत हो सकता है, यदि हम अनुच्छेद 352 को कड़ाई से देखें।]**
* **[पुनर्विचार: परीक्षा के दृष्टिकोण से, अनुच्छेद 352 का आधार ‘युद्ध’, ‘बाह्य आक्रमण’ या ‘सशस्त्र विद्रोह’ है। ‘राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा’ इन आधारों में निहित हो सकता है। ‘राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता’ सीधे अनुच्छेद 356 है, और ‘गंभीर वित्तीय संकट’ सीधे अनुच्छेद 360 है। इसलिए, अनुच्छेद 352 के तहत केवल (a) सही है। यदि प्रश्न पूछता है कि राष्ट्रपति किस *प्रकार* की आपातकालीन घोषणा कर सकते हैं, तो सभी लागू हो सकते हैं। लेकिन प्रश्न ‘राष्ट्रीय आपातकाल’ (अनुच्छेद 352) के बारे में पूछ रहा है। इसलिए, ‘उपरोक्त सभी’ गलत है।]**
* **[अंतिम निर्णय: अनुच्छेद 352 के तहत राष्ट्रीय आपातकाल के लिए विशिष्ट आधार ‘युद्ध’, ‘बाह्य आक्रमण’ या ‘सशस्त्र विद्रोह’ हैं। ‘राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा’ इन आधारों से संबंधित है। राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता (अनुच्छेद 356) और वित्तीय संकट (अनुच्छेद 360) राष्ट्रीय आपातकाल के आधार नहीं हैं। इसलिए, सबसे सटीक उत्तर (a) होगा। प्रश्न को ठीक किया जाना चाहिए।]**
* **[पुनः विचार: अक्सर प्रश्न इस प्रकार बनाए जाते हैं कि वे विभिन्न आपातकालों के बीच संबंध दर्शाएँ। हालाँकि, यदि प्रश्न *विशेष रूप से* राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352) के बारे में है, तो केवल (a) ही इसके आधारों के सबसे करीब है। फिर भी, कई प्रश्न “संभावित आधार” के रूप में व्यापक श्रेणियों को शामिल करते हैं। यदि हम मान लें कि ‘राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा’ सीधे तौर पर युद्ध या बाह्य आक्रमण को दर्शाता है, और यह मुख्य आधार है, तो (a) को सही माना जा सकता है। विकल्पों को देखते हुए, ऐसा लगता है कि प्रश्न विभिन्न प्रकार के आपातकालों को शामिल करने की कोशिश कर रहा है। एक बार फिर, प्रश्न को कड़ाई से अनुच्छेद 352 पर केंद्रित होना चाहिए। मान लेते हैं कि प्रश्न अनुच्छेद 352 के तहत *संभावित* आधारों को पूछ रहा है, जिसमें व्यापक व्याख्या शामिल हो सकती है। यदि ‘राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा’ को व्यापक रूप से लिया जाए, तो यह युद्ध/बाह्य आक्रमण को कवर करता है। राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता (356) और वित्तीय संकट (360) सीधे 352 के आधार नहीं हैं। लेकिन, परीक्षा के संदर्भ में, कभी-कभी एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाया जाता है। सबसे सटीक उत्तर (a) होगा यदि हम अनुच्छेद 352 के शब्दों को देखें। यदि हम व्यापक अर्थ लें, और यह प्रश्न सभी आपातकालों को एक साथ पूछ रहा हो, तो (d) हो सकता है, लेकिन प्रश्न ‘राष्ट्रीय आपातकाल’ को विशिष्ट करता है। मैं (a) को सबसे सटीक उत्तर मानता हूँ।]**
* **[अंतिम, अंतिम निर्णय: परीक्षा परिप्रेक्ष्य में, यदि राष्ट्रीय आपातकाल का प्रश्न पूछा जाता है और उपरोक्त सभी का विकल्प होता है, तो प्रायः यह एक जाल हो सकता है। अनुच्छेद 352 के आधार अत्यंत विशिष्ट हैं। इसलिए, ‘राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा’ (युद्ध, बाह्य आक्रमण) सबसे सटीक है। राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता (356) और वित्तीय संकट (360) स्पष्ट रूप से अलग-अलग हैं। इसलिए, ‘उपरोक्त सभी’ गलत है। मैं (a) को चुनता हूँ, और प्रश्न को इसी आधार पर स्पष्ट करता हूँ।]**
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 352 राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा से संबंधित है। राष्ट्रपति केवल तीन विशिष्ट आधारों पर राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा कर सकते हैं: (i) भारत के विरुद्ध युद्ध, (ii) बाह्य आक्रमण, या (iii) सशस्त्र विद्रोह। ‘राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा’ इन आधारों (विशेषकर युद्ध और बाह्य आक्रमण) से संबंधित है।
- संदर्भ और विस्तार: विकल्प (b) ‘राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता’ अनुच्छेद 356 (राष्ट्रपति शासन) के तहत आता है। विकल्प (c) ‘गंभीर वित्तीय संकट’ अनुच्छेद 360 के तहत वित्तीय आपातकाल से संबंधित है। इसलिए, राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352) के लिए केवल (a) सबसे सटीक आधार है।
- गलत विकल्प: विकल्प (b) और (c) अलग-अलग प्रकार के आपातकालों से संबंधित हैं, न कि राष्ट्रीय आपातकाल से। इसलिए, ‘उपरोक्त सभी’ गलत है।
प्रश्न 13: किस संविधान संशोधन द्वारा ‘संपत्ति के अधिकार’ को मौलिक अधिकार की सूची से हटाकर एक विधिक अधिकार (Legal Right) बना दिया गया?
- 42वें संशोधन, 1976
- 44वें संशोधन, 1978
- 52वें संशोधन, 1985
- 61वें संशोधन, 1989
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 44वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1978 ने संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 31) की सूची से हटा दिया। इसे संविधान के भाग XII में एक नए अनुच्छेद 300A के तहत एक विधिक अधिकार (या संवैधानिक अधिकार) के रूप में स्थापित किया गया।
- संदर्भ और विस्तार: इससे पहले, संपत्ति का अधिकार अनुच्छेद 19(1)(f) के तहत एक मौलिक अधिकार भी था। इस संशोधन का उद्देश्य सरकार को सामाजिक-आर्थिक सुधारों को लागू करने में संपत्ति संबंधी मामलों में आने वाली बाधाओं को दूर करना था।
- गलत विकल्प: 42वां संशोधन, 1976, ‘मिनी संविधान’ के रूप में जाना जाता है और इसने प्रस्तावना में ‘समाजवादी’, ‘पंथनिरपेक्ष’ और ‘अखंडता’ जैसे शब्द जोड़े। 52वां संशोधन दल-बदल विरोधी कानून से संबंधित है, और 61वां संशोधन मतदान की आयु 21 से घटाकर 18 वर्ष करने से संबंधित है।
प्रश्न 14: भारत के संविधान का संरक्षक (Guardian) किसे माना जाता है?
- राष्ट्रपति
- सर्वोच्च न्यायालय
- संसद
- उपराष्ट्रपति
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: सर्वोच्च न्यायालय को भारतीय संविधान का संरक्षक माना जाता है। अनुच्छेद 32 के तहत संवैधानिक उपचारों का अधिकार सर्वोच्च न्यायालय को संविधान के मौलिक सिद्धांतों और संरचना की रक्षा करने की शक्ति प्रदान करता है।
- संदर्भ और विस्तार: सर्वोच्च न्यायालय के पास न्यायिक समीक्षा की शक्ति है, जिसके द्वारा वह किसी भी कानून या कार्यकारी कार्रवाई को असंवैधानिक घोषित कर सकता है यदि वह संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन करती है। यह संविधान की व्याख्या और प्रवर्तन में अंतिम प्राधिकारी है।
- गलत विकल्प: राष्ट्रपति कार्यपालिका के प्रमुख हैं, संसद कानून बनाती है, और उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं। ये पद संविधान के संरक्षक के रूप में सर्वोच्च न्यायालय की भूमिका के समान नहीं हैं।
प्रश्न 15: ‘समवर्ती सूची’ (Concurrent List) में शामिल विषयों पर कानून बनाने का अधिकार किन दोनों को प्राप्त है?
- केवल केंद्र सरकार
- केवल राज्य सरकार
- केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों
- स्थानीय सरकारें
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची में तीन सूचियाँ हैं: संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची। समवर्ती सूची (सूची III) में शामिल विषयों पर कानून बनाने का अधिकार केंद्र सरकार (संसद) और राज्य सरकार (विधानमंडल) दोनों को प्राप्त है।
- संदर्भ और विस्तार: यदि किसी विषय पर केंद्र और राज्य दोनों द्वारा बनाए गए कानूनों के बीच टकराव होता है, तो केंद्र सरकार द्वारा बनाया गया कानून प्रभावी होगा, जब तक कि राज्य सरकार द्वारा उसी विषय पर पहले बनाया गया कानून राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित न रखा गया हो और उसे उनकी सहमति प्राप्त हो गई हो।
- गलत विकल्प: संघ सूची के विषयों पर केवल केंद्र कानून बना सकता है, और राज्य सूची के विषयों पर केवल राज्य कानून बना सकते हैं। स्थानीय सरकारों के पास सीधे कानून बनाने की शक्ति नहीं होती।
प्रश्न 16: भारत के महान्यायवादी (Attorney General of India) की नियुक्ति कौन करता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के मुख्य न्यायाधीश
- प्रधानमंत्री
- संसदीय समिति
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 76 भारत के महान्यायवादी के पद का प्रावधान करता है। राष्ट्रपति, भारत सरकार की सलाह पर, महान्यायवादी की नियुक्ति करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: महान्यायवादी भारत सरकार का मुख्य कानूनी सलाहकार होता है और सर्वोच्च न्यायालय में सरकार का प्रतिनिधित्व करता है। वे संसद के किसी भी सदन में बोल सकते हैं लेकिन मतदान नहीं कर सकते। उन्हें वही योग्यताएँ धारण करनी चाहिए जो सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के लिए आवश्यक हैं।
- गलत विकल्प: भारत के मुख्य न्यायाधीश, प्रधानमंत्री, या किसी संसदीय समिति को महान्यायवादी की नियुक्ति का अधिकार नहीं है।
प्रश्न 17: किस अनुच्छेद के तहत, किसी भी व्यक्ति को, जो भारत का नागरिक है, उसे विधि के सामने या विधियों के समान संरक्षण से वंचित नहीं किया जा सकता?
- अनुच्छेद 15
- अनुच्छेद 14
- अनुच्छेद 16
- अनुच्छेद 17
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 14 “विधि के समक्ष समानता” (Equality before the law) और “विधियों का समान संरक्षण” (Equal protection of the laws) की गारंटी देता है। यह सभी व्यक्तियों (नागरिकों और गैर-नागरिकों दोनों) के लिए लागू होता है।
- संदर्भ और विस्तार: ‘विधि के समक्ष समानता’ ब्रिटिश अवधारणा है जो बताती है कि कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है। ‘विधियों का समान संरक्षण’ अमेरिकी अवधारणा है जो समान परिस्थितियों में सभी व्यक्तियों के साथ समान व्यवहार की गारंटी देती है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 15 धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध करता है। अनुच्छेद 16 लोक नियोजन के मामलों में अवसर की समानता प्रदान करता है। अनुच्छेद 17 अस्पृश्यता का अंत करता है।
प्रश्न 18: भारत में निम्नलिखित में से कौन सी व्यवस्था, ‘लोकसभा’ के अध्यक्ष के चुनाव से संबंधित है?
- अध्यक्ष का चुनाव सदस्यों में से होता है, लेकिन यह सीधे तौर पर संविधान में वर्णित नहीं है।
- अध्यक्ष का चुनाव प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा होता है।
- अध्यक्ष का चुनाव राज्यसभा द्वारा भी किया जाता है।
- अध्यक्ष का चुनाव राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: लोकसभा के अध्यक्ष का चुनाव संविधान में सीधे तौर पर नहीं बताया गया है, बल्कि यह लोकसभा की प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियमों (Rules of Procedure and Conduct of Business) द्वारा शासित होता है। लोकसभा के सदस्य अपने में से ही एक अध्यक्ष और एक उपाध्यक्ष का चुनाव करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: अध्यक्ष का चुनाव सामान्यतः लोकसभा की पहली बैठक के बाद जल्द से जल्द किया जाता है। जब भी अध्यक्ष का पद रिक्त होता है, तो लोकसभा अपने किसी अन्य सदस्य को अध्यक्ष चुनती है। यह चुनाव प्रत्यक्ष निर्वाचन (जैसे प्रधानमंत्री का) नहीं है, और न ही राज्यसभा इसमें शामिल होती है, न ही राष्ट्रपति इसका चुनाव करते हैं।
- गलत विकल्प: विकल्प (b), (c), और (d) गलत हैं क्योंकि अध्यक्ष का चुनाव प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा नहीं होता, राज्यसभा इसमें शामिल नहीं होती, और राष्ट्रपति इसका चुनाव नहीं करते।
प्रश्न 19: निम्नलिखित में से कौन सा कथन ‘दल-बदल विरोधी कानून’ (Anti-Defection Law) के संबंध में सही है?
- यह कानून दसवीं अनुसूची में वर्णित है।
- यह कानून विधायक को पार्टी बदलने की स्वतंत्रता देता है।
- यह किसी भी परिस्थिति में पार्टी बदलने की अनुमति नहीं देता।
- यह कानून केवल लोकसभा के सदस्यों पर लागू होता है।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: दल-बदल विरोधी कानून भारतीय संविधान की दसवीं अनुसूची (Tenth Schedule) में वर्णित है। इसे 52वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1985 द्वारा जोड़ा गया था।
- संदर्भ और विस्तार: इस कानून का मुख्य उद्देश्य विधायकों द्वारा दलबदल को रोकना है, जिससे राजनीतिक अस्थिरता को कम किया जा सके। यह कानून एक विधायक को दल बदलने पर अयोग्य घोषित करता है। हालाँकि, कुछ अपवाद हैं, जैसे कि यदि कोई सदस्य स्वेच्छा से अपनी पार्टी की सदस्यता छोड़ देता है, या किसी व्हिप के निर्देशों के विरुद्ध मतदान करता है (जब तक कि ऐसे मतदान में 1/3 सदस्य भाग न लें)। यह कानून संसद (लोकसभा और राज्यसभा) और राज्य विधानमंडलों के सदस्यों पर लागू होता है।
- गलत विकल्प: विकल्प (b) गलत है क्योंकि यह कानून पार्टी बदलने की स्वतंत्रता नहीं देता, बल्कि इसे प्रतिबंधित करता है। विकल्प (c) गलत है क्योंकि कुछ अपवाद मौजूद हैं। विकल्प (d) गलत है क्योंकि यह राज्य विधानमंडल के सदस्यों पर भी लागू होता है।
प्रश्न 20: पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा किस संशोधन अधिनियम द्वारा प्रदान किया गया?
- 71वें संशोधन अधिनियम, 1991
- 72वें संशोधन अधिनियम, 1992
- 73वें संशोधन अधिनियम, 1992
- 74वें संशोधन अधिनियम, 1992
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 (जो 1993 में लागू हुआ) ने पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) को भारतीय संविधान में भाग IX (अनुच्छेद 243 से 243-O) और ग्यारहवीं अनुसूची के माध्यम से संवैधानिक दर्जा प्रदान किया।
- संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन ने भारत में त्रि-स्तरीय पंचायती राज प्रणाली की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया और उन्हें स्व-शासन की संस्थाओं के रूप में कार्य करने के लिए शक्ति और स्वायत्तता प्रदान की।
- गलत विकल्प: 71वें संशोधन ने कोंकणी, मणिपुरी और नेपाली भाषाओं को आठवीं अनुसूची में जोड़ा। 72वां संशोधन त्रिपुरा में आदिवासियों के लिए स्वायत्तता से संबंधित है। 74वां संशोधन शहरी स्थानीय निकायों (नगरपालिकाएं) को संवैधानिक दर्जा प्रदान करता है।
प्रश्न 21: भारत के संविधान का कौन सा भाग ‘स्थानीय स्वशासन’ (Local Self-Government) से संबंधित है?
- भाग IV
- भाग IVA
- भाग IX
- भाग X
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग IX (अनुच्छेद 243 से 243-O) पंचायती राज संस्थाओं (ग्रामीण स्थानीय स्वशासन) से संबंधित है। भाग IXA (अनुच्छेद 243P से 243ZG) शहरी स्थानीय निकायों (नगर पालिकाओं) से संबंधित है।
- संदर्भ और विस्तार: ये भाग पंचायतों और नगर पालिकाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान करते हैं, उनके गठन, संरचना, शक्तियों, अधिकारों और जिम्मेदारियों को परिभाषित करते हैं।
- गलत विकल्प: भाग IV राज्य के नीति निदेशक तत्वों से संबंधित है। भाग IVA मौलिक कर्तव्यों से संबंधित है। भाग X अनुसूचित और जनजातीय क्षेत्रों से संबंधित है।
प्रश्न 22: निम्नलिखित में से कौन भारत का ‘पदेन’ (Ex-officio) उप-राष्ट्रपति होता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- लोकसभा का अध्यक्ष
- राज्यसभा का सभापति
- प्रधानमंत्री
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 64 स्पष्ट रूप से कहता है कि भारत का उपराष्ट्रपति, राज्यसभा का पदेन सभापति होगा। ‘पदेन’ का अर्थ है कि यह पद उपराष्ट्रपति के पद के साथ स्वतः ही जुड़ जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: इसका मतलब है कि उपराष्ट्रपति के रूप में चुनाव लड़ने और निर्वाचित होने के लिए, व्यक्ति को सीधे तौर पर राज्यसभा के सभापति के पद के लिए चुनाव लड़ने की आवश्यकता नहीं है। उनका उपराष्ट्रपति के रूप में कार्यकाल ही उन्हें राज्यसभा के सभापति बनाता है। हालाँकि, जब वे उपराष्ट्रपति के पद की शक्तियों और कार्यों का प्रयोग करते हैं, तो वे ऐसा करते हैं। जब वे राष्ट्रपति के रूप में कार्य करते हैं, तो राज्यसभा के सभापति के कर्तव्यों का निर्वहन उस समय राज्यसभा द्वारा नियुक्त एक डिप्टी चेयरमैन करता है।
- गलत विकल्प: राष्ट्रपति कार्यपालिका के प्रमुख होते हैं। लोकसभा का अध्यक्ष लोकसभा का पीठासीन अधिकारी होता है। प्रधानमंत्री सरकार का प्रमुख होता है। इन तीनों पदों का राज्यसभा के सभापति के पद से कोई सीधा संबंध नहीं है।
प्रश्न 23: भारत में ‘राष्ट्रपति की क्षमादान शक्ति’ (Pardoning Power of the President) संविधान के किस अनुच्छेद के तहत आती है?
- अनुच्छेद 72
- अनुच्छेद 74
- अनुच्छेद 76
- अनुच्छेद 78
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 72 राष्ट्रपति को कुछ मामलों में क्षमादान, लघुकरण, परिहार, या सजा के निलंबन या प्रविलंबन की शक्ति प्रदान करता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह शक्ति विभिन्न प्रकार के अपराधों पर लागू होती है, जिनमें वे अपराध शामिल हैं जो सभी कानूनों के अधीन हैं, सैन्य न्यायालयों द्वारा दंडनीय अपराध, और मृत्युदंड शामिल हैं। हालांकि, राष्ट्रपति इस शक्ति का प्रयोग मंत्रिपरिषद की सलाह पर करते हैं। यह शक्ति न्यायिक निर्णयों की समीक्षा नहीं है, बल्कि एक संवैधानिक विशेषाधिकार है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 74 राष्ट्रपति को सलाह और सहायता देने के लिए मंत्रिपरिषद के गठन से संबंधित है। अनुच्छेद 76 महान्यायवादी से संबंधित है। अनुच्छेद 78 राष्ट्रपति को जानकारी देने के संबंध में प्रधानमंत्री के कर्तव्यों से संबंधित है।
प्रश्न 24: ‘राष्ट्रीय विकास परिषद’ (National Development Council – NDC) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही नहीं है?
- यह एक संवैधानिक निकाय है।
- इसका अध्यक्ष प्रधानमंत्री होता है।
- इसमें केंद्रीय मंत्री और राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल होते हैं।
- यह पंचवर्षीय योजनाओं को अंतिम रूप देती है।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रीय विकास परिषद (NDC) एक गैर-संवैधानिक (अर्थात, यह एक कार्यकारी निकाय है) और गैर-सांविधिक निकाय है, जिसे 1952 में योजना आयोग की स्थापना के बाद स्थापित किया गया था। इसका गठन भारत सरकार के एक प्रस्ताव के माध्यम से किया गया था।
- संदर्भ और विस्तार: NDC पंचवर्षीय योजनाओं को अंतिम मंजूरी देती है। इसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री होते हैं, और इसमें केंद्रीय कैबिनेट मंत्री और सभी राज्यों के मुख्यमंत्री, साथ ही केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं। इसका उद्देश्य केंद्र और राज्यों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना और राष्ट्रीय विकास के लिए आवश्यक नीतियों पर आम सहमति बनाना है।
- गलत विकल्प: विकल्प (a) गलत है क्योंकि NDC एक संवैधानिक निकाय नहीं है, बल्कि एक कार्यकारी निकाय है। अन्य सभी कथन (b, c, d) NDC के संबंध में सही हैं।
प्रश्न 25: संविधान के किस अनुच्छेद के तहत, भारत का उच्चतम न्यायालय केंद्र और राज्यों के बीच, या राज्यों के बीच विवादों का निपटारा करने के लिए मूल अधिकार क्षेत्र (Original Jurisdiction) रखता है?
- अनुच्छेद 131
- अनुच्छेद 132
- अनुच्छेद 136
- अनुच्छेद 137
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 131 भारत के उच्चतम न्यायालय के मूल अधिकार क्षेत्र (Original Jurisdiction) को परिभाषित करता है। इसके तहत, उच्चतम न्यायालय केंद्र और राज्यों के बीच, या राज्यों के बीच के विवादों की सुनवाई करने का पहला और एकमात्र अधिकार रखता है।
- संदर्भ और विस्तार: इसमें वे विवाद शामिल हैं जो भारत सरकार और एक या एक से अधिक राज्यों के बीच हों, या दो या दो से अधिक राज्यों के बीच हों। हालांकि, कुछ प्रकार के विवाद, जैसे कि अंतर-राज्यीय जल विवाद (अनुच्छेद 262), इस मूल अधिकार क्षेत्र से बाहर रखे गए हैं और उनके लिए अलग तंत्र हैं।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 132 अपीलीय अधिकार क्षेत्र (Appellate Jurisdiction) से संबंधित है। अनुच्छेद 136 विशेष अनुमति द्वारा अपील (Special Leave Appeal) से संबंधित है। अनुच्छेद 137 न्यायिक पुनरीक्षण (Review of Judgments) की शक्ति से संबंधित है।
सफलता सिर्फ कड़ी मेहनत से नहीं, सही मार्गदर्शन से मिलती है। हमारे सभी विषयों के कम्पलीट नोट्स, G.K. बेसिक कोर्स, और करियर गाइडेंस बुक के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।
[कोर्स और फ्री नोट्स के लिए यहाँ क्लिक करें]