आज ही आजमाएं: भारतीय संविधान की गहन समझ के लिए 25 प्रश्न
नमस्कार, भविष्य के लोक सेवकों! भारतीय लोकतंत्र की नींव को समझना और उस पर अपनी पकड़ मजबूत करना अत्यंत आवश्यक है। आज हम आपके लिए भारतीय राजव्यवस्था और संविधान पर आधारित 25 सारगर्भित प्रश्नों का एक अनूठा सेट लेकर आए हैं। यह केवल एक प्रश्नोत्तरी नहीं, बल्कि आपकी वैचारिक स्पष्टता को परखने और गहन ज्ञान प्राप्त करने का एक अवसर है। तो, कमर कस लीजिए और देखते हैं आप इस चुनौती में कितना सफल हो पाते हैं!
भारतीय राजव्यवस्था और संविधान अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और दिए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: भारत के संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द किस संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा जोड़े गए?
- 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
- 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
- 52वां संशोधन अधिनियम, 1985
- 61वां संशोधन अधिनियम, 1989
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘समाजवादी’ (Socialist) और ‘धर्मनिरपेक्ष’ (Secular) शब्द भारत के संविधान की प्रस्तावना में 42वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा जोड़े गए थे। यह संशोधन इंदिरा गांधी सरकार के दौरान हुआ था और इसे ‘लघु संविधान’ भी कहा जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: इन शब्दों को जोड़ने का उद्देश्य भारतीय राज्य के समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष चरित्र को स्पष्ट करना था, हालांकि ये अवधारणाएँ संविधान में पहले से ही निहित थीं। प्रस्तावना संविधान का एक अभिन्न अंग है, जैसा कि केशवानंद भारती मामले (1973) में सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय दिया था।
- गलत विकल्प: 44वां संशोधन, 1978 ने संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाकर कानूनी अधिकार बनाया। 52वां संशोधन, 1985 ने दलबदल विरोधी कानून (10वीं अनुसूची) को जोड़ा। 61वां संशोधन, 1989 ने मतदान की आयु 21 से घटाकर 18 वर्ष की।
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सी याचिका उच्च न्यायालय द्वारा किसी सरकारी अधिकारी को उसका सार्वजनिक कर्तव्य निभाने का आदेश देने के लिए जारी की जाती है?
- बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus)
- परमादेश (Mandamus)
- उत्प्रेषण (Certiorari)
- प्रतिषेध (Prohibition)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘परमादेश’ (Mandamus) का शाब्दिक अर्थ है ‘हम आदेश देते हैं’। यह याचिका उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय द्वारा किसी निम्न न्यायालय, न्यायाधिकरण या सार्वजनिक प्राधिकरण को किसी ऐसे सार्वजनिक कर्तव्य को करने का आदेश देने के लिए जारी की जाती है जो करने के लिए वह कानूनी रूप से बाध्य है। यह अधिकार संविधान के अनुच्छेद 32 (सर्वोच्च न्यायालय) और अनुच्छेद 226 (उच्च न्यायालय) के तहत प्राप्त है।
- संदर्भ और विस्तार: परमादेश का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी लोक सेवक अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने से बचे नहीं। यह याचिका किसी निजी व्यक्ति या निकाय के विरुद्ध जारी नहीं की जा सकती, केवल सार्वजनिक अधिकारियों के विरुद्ध।
- गलत विकल्प: ‘बंदी प्रत्यक्षीकरण’ किसी व्यक्ति को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करने की याचिका है। ‘उत्प्रेषण’ किसी निम्न न्यायालय के निर्णय को रद्द करने के लिए जारी किया जाता है, और ‘प्रतिषेध’ किसी निम्न न्यायालय को उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर कार्य करने से रोकने के लिए जारी किया जाता है।
प्रश्न 3: भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद अवशिष्ट विधायी शक्तियों (Residuary Legislative Powers) से संबंधित है?
- अनुच्छेद 246
- अनुच्छेद 248
- अनुच्छेद 249
- अनुच्छेद 250
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 248 भारतीय संविधान में अवशिष्ट विधायी शक्तियों से संबंधित है। इसके अनुसार, संसद के पास उन सभी विषयों पर विधि बनाने की शक्ति है जो संघ सूची, राज्य सूची या समवर्ती सूची में शामिल नहीं हैं।
- संदर्भ और विस्तार: भारतीय संघीय व्यवस्था में, शक्तियों का वितरण संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची (सातवीं अनुसूची) के माध्यम से किया गया है। यदि कोई विषय इन सूचियों में से किसी में भी शामिल नहीं है, तो वह अवशिष्ट विषय कहलाता है, और उस पर कानून बनाने की शक्ति संसद को प्राप्त है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 246 विधायी शक्तियों के वितरण से संबंधित है (जैसे, संसद के लिए संघ सूची, राज्यों के लिए राज्य सूची)। अनुच्छेद 249 राष्ट्रीय हित में राज्य सूची के विषयों पर कानून बनाने की शक्ति देता है। अनुच्छेद 250 आपातकाल के दौरान राज्य सूची के विषयों पर कानून बनाने की शक्ति देता है।
प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन सा कथन भारतीय राष्ट्रपति की क्षमादान शक्ति (Pardon Power) के संबंध में सही नहीं है?
- राष्ट्रपति मृत्युदंड को क्षमा कर सकते हैं।
- राष्ट्रपति सैन्य न्यायालयों द्वारा दिए गए दंड को भी क्षमा कर सकते हैं।
- राष्ट्रपति किसी राज्य के राज्यपाल द्वारा दिए गए दंड को भी क्षमा कर सकते हैं।
- राष्ट्रपति क्षमादान करते समय किसी न्यायिक निर्णय पर विचार करने के लिए बाध्य नहीं हैं।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रपति की क्षमादान शक्ति अनुच्छेद 72 के तहत वर्णित है। इसके तहत राष्ट्रपति मृत्युदंड को क्षमा कर सकते हैं, सेना न्यायालयों द्वारा दिए गए दंड को क्षमा कर सकते हैं, और सभी प्रकार के अपराधों में दी गई सजा को कम कर सकते हैं, निलंबित कर सकते हैं, या पूर्णतः क्षमा कर सकते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रपति की क्षमादान शक्ति राज्यपाल की क्षमादान शक्ति से अधिक व्यापक है। राज्यपाल केवल राज्य सूची के विषयों से संबंधित अपराधों में, या राज्य के विधायी विधानों के तहत दिए गए दंड को क्षमा, लघुकरण, या परिहार कर सकते हैं (अनुच्छेद 161)। राष्ट्रपति किसी राज्य के राज्यपाल द्वारा दिए गए दंड को क्षमा नहीं कर सकते; यह राज्यपाल का विशेषाधिकार है।
- गलत विकल्प: विकल्प (c) गलत है क्योंकि राष्ट्रपति की क्षमादान शक्ति राज्यपाल द्वारा दिए गए दंड पर लागू नहीं होती। राष्ट्रपति अपने क्षमादान अधिकार का प्रयोग करते समय न्यायिक निर्णयों, पूर्व उदाहरणों और अन्य प्रासंगिक तथ्यों पर विचार करने के लिए बाध्य होते हैं, यद्यपि यह उनका विवेक है (जैसा कि शमशेर सिंह बनाम पंजाब राज्य मामले में संकेतित है)।
प्रश्न 5: भारत के संविधान का कौन सा भाग पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक मान्यता प्रदान करता है?
- भाग IX
- भाग IX-A
- भाग IX-B
- भाग X
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग IX, अनुच्छेद 243 से 243-O तक, पंचायती राज संस्थाओं (ग्राम सभा, मध्यवर्ती स्तर और जिला स्तर पर पंचायतें) को संवैधानिक मान्यता प्रदान करता है। यह भाग 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा जोड़ा गया था।
- संदर्भ और विस्तार: इस भाग में पंचायतों की संरचना, सीटों का आरक्षण, कार्यकाल, शक्तियां, और वित्तीय प्राधिकार जैसे प्रावधान शामिल हैं। इसका उद्देश्य पंचायती राज संस्थाओं को अधिक प्रभावी और स्वायत्त बनाना था।
- गलत विकल्प: भाग IX-A नगरपालिकाओं से संबंधित है (74वां संशोधन)। भाग IX-B सहकारी समितियों से संबंधित है (97वां संशोधन)। भाग X अनुसूचित और जनजातीय क्षेत्रों से संबंधित है।
प्रश्न 6: सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा ________ की सलाह पर की जाती है।
- भारत के मुख्य न्यायाधीश
- सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों से परामर्श करके
- भारत के महान्यायवादी (Attorney General)
- कानून मंत्री
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा संविधान के अनुच्छेद 124(2) के तहत, सर्वोच्च न्यायालय और राज्यों के उच्च न्यायालयों के ऐसे न्यायाधीशों से परामर्श के बाद की जाती है, जिन्हें राष्ट्रपति इस उद्देश्य के लिए आवश्यक समझे। हालाँकि, वर्तमान कोलेजियम प्रणाली में, मुख्य न्यायाधीश और चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों की समिति की सिफारिश को प्रधानता दी जाती है।
- संदर्भ और विस्तार: न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया (कोलेजियम प्रणाली) कई महत्वपूर्ण न्यायिक निर्णयों (जैसे, प्रथम न्यायाधीश मामला 1981, द्वितीय न्यायाधीश मामला 1993, तृतीय न्यायाधीश मामला 1998) द्वारा विकसित हुई है। राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) अधिनियम, 2014 को सर्वोच्च न्यायालय ने 2015 में असंवैधानिक करार दिया था।
- गलत विकल्प: केवल मुख्य न्यायाधीश की सलाह या महान्यायवादी/कानून मंत्री की सलाह पर नियुक्ति नहीं होती। परामर्श की प्रक्रिया अधिक व्यापक है।
प्रश्न 7: राष्ट्रीय विकास परिषद (National Development Council) की अध्यक्षता कौन करता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के उपराष्ट्रपति
- भारत के प्रधानमंत्री
- नीति आयोग के उपाध्यक्ष
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रीय विकास परिषद (NDC) एक कार्यकारी निकाय है, जिसका गठन 6 अगस्त 1952 को हुआ था। इसका कोई विशेष संवैधानिक अनुच्छेद नहीं है। इसकी अध्यक्षता भारत के प्रधानमंत्री करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: NDC भारत की पंचवर्षीय योजनाओं के लिए अंतिम अनुमोदन प्राधिकारी है। यह राष्ट्रीय विकास के लिए महत्वपूर्ण नीतियों पर निर्णय लेती है। इसके सदस्य प्रधानमंत्री, केंद्रीय कैबिनेट मंत्री, राज्यों के मुख्यमंत्री और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासक या प्रतिनिधि होते हैं।
- गलत विकल्प: भारत के राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति NDC की अध्यक्षता नहीं करते। नीति आयोग के उपाध्यक्ष एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, लेकिन अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते हैं।
प्रश्न 8: ‘लोकसभा’ नाम का पहली बार प्रयोग किस वर्ष में किया गया था?
- 1952
- 1954
- 1956
- 1960
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के संविधान के अनुच्छेद 79 के अनुसार, संसद में राष्ट्रपति, लोकसभा और राज्यसभा शामिल हैं। ‘हाउस ऑफ द पीपल’ (House of the People) को 1954 में ‘लोकसभा’ (People’s House) नाम दिया गया।
- संदर्भ और विस्तार: ‘हाउस ऑफ द पीपल’ संविधान सभा द्वारा चुना गया मूल नाम था। 1954 में, संसद ने यह तय किया कि ‘हाउस ऑफ द पीपल’ को ‘लोकसभा’ और ‘काउंसिल ऑफ स्टेट्स’ को ‘राज्यसभा’ कहा जाएगा। यह नाम परिवर्तन भारतीय संसदीय प्रणाली में एक महत्वपूर्ण कदम था।
- गलत विकल्प: 1952 में पहली लोकसभा का गठन हुआ था, लेकिन नाम परिवर्तन 1954 में हुआ।
प्रश्न 9: भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद में ‘राज्य’ की परिभाषा दी गई है, जिसका प्रयोग मौलिक अधिकारों के संदर्भ में होता है?
- अनुच्छेद 12
- अनुच्छेद 13
- अनुच्छेद 14
- अनुच्छेद 15
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 12 भारतीय संविधान में ‘राज्य’ (State) की परिभाषा प्रदान करता है, विशेष रूप से मौलिक अधिकारों के अध्याय (भाग III) के प्रयोजनों के लिए। इस परिभाषा में भारत की सरकार और संसद, प्रत्येक राज्य की सरकार और विधानमंडल, और सभी स्थानीय या अन्य प्राधिकारी शामिल हैं।
- संदर्भ और विस्तार: ‘अन्य प्राधिकारी’ (other authorities) की व्यापक व्याख्या सर्वोच्च न्यायालय ने विभिन्न मामलों में की है, जिसमें सरकारी कंपनियां, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम, और सार्वजनिक कार्यों को करने वाले निजी निकाय भी शामिल हो सकते हैं, यदि वे राज्य के एजेंट के रूप में कार्य करते हैं।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 13 विधियों की असंगति से संबंधित है, अनुच्छेद 14 विधि के समक्ष समानता, और अनुच्छेद 15 धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध करता है।
प्रश्न 10: निम्नलिखित में से कौन भारतीय संविधान के ‘संवैधानिक संशोधन’ (Constitutional Amendment) से संबंधित अनुच्छेद है?
- अनुच्छेद 368
- अनुच्छेद 370
- अनुच्छेद 371
- अनुच्छेद 372
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 368 भारतीय संविधान के भाग XX में निहित है और यह संसद को संविधान में संशोधन करने की शक्ति प्रदान करता है। इसमें संशोधन की प्रक्रिया भी बताई गई है।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 368 के तहत, संसद साधारण बहुमत, विशेष बहुमत, या विशेष बहुमत के साथ आधे से अधिक राज्यों के अनुसमर्थन से संविधान के विभिन्न प्रावधानों में संशोधन कर सकती है। मूल संरचना सिद्धांत (Basic Structure Doctrine) के अनुसार, संसद संविधान की मूल संरचना को संशोधित नहीं कर सकती।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देता था (अब निरस्त)। अनुच्छेद 371 कुछ राज्यों को विशेष प्रावधान प्रदान करता है। अनुच्छेद 372 मौजूदा कानूनों की निरंतरता से संबंधित है।
प्रश्न 11: भारत के महान्यायवादी (Attorney General of India) की नियुक्ति कौन करता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के प्रधानमंत्री
- भारत के मुख्य न्यायाधीश
- केंद्रीय विधि मंत्री
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के महान्यायवादी की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा संविधान के अनुच्छेद 76(1) के तहत की जाती है। वे सरकार के मुख्य कानूनी सलाहकार होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: महान्यायवादी वे व्यक्ति होने चाहिए जो किसी उच्च न्यायालय के न्यायाधीश नियुक्त होने के योग्य हों। वे भारत सरकार का प्रतिनिधित्व सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों में करते हैं। वे राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यंत पद धारण करते हैं।
- गलत विकल्प: प्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश या विधि मंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है, लेकिन महान्यायवादी की नियुक्ति स्वयं राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
प्रश्न 12: निम्नलिखित में से कौन सा अधिकार केवल भारत के नागरिकों को प्राप्त है?
- कानून के समक्ष समानता (अनुच्छेद 14)
- जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा (अनुच्छेद 21)
- धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध (अनुच्छेद 15)
- भारत में कहीं भी आने-जाने की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 19 के तहत प्राप्त भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, शांतिपूर्वक और हथियार रहित जमा होने की स्वतंत्रता, संघ बनाने की स्वतंत्रता, भारत में कहीं भी आने-जाने की स्वतंत्रता, भारत के किसी भी भाग में निवास करने और बसने की स्वतंत्रता, और किसी भी व्यवसाय, आजीविका, व्यापार या कारोबार की स्वतंत्रता केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त हैं।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 14, 15, 20, 21, 21A, 22, 23, 24, 25, 26, 27, 28 केवल भारतीय नागरिकों के साथ-साथ विदेशियों (दुश्मन नागरिकों को छोड़कर) को भी उपलब्ध हैं।
- गलत विकल्प: विकल्प (a), (b), और (c) में वर्णित अधिकार न केवल भारतीय नागरिकों बल्कि सभी व्यक्तियों (विदेशी नागरिकों को भी, कुछ अपवादों के साथ) को प्राप्त हैं।
प्रश्न 13: निम्नलिखित में से कौन सा कथन ‘संसदीय संप्रभुता’ (Parliamentary Sovereignty) के सिद्धांत के संदर्भ में सही है?
- संसद कोई भी कानून बना सकती है, जिसे न्यायालय चुनौती नहीं दे सकते।
- संसद की कानून बनाने की शक्ति असीमित है।
- संसद द्वारा बनाए गए कानून संविधान की मूल संरचना का उल्लंघन नहीं कर सकते।
- संसद की शक्ति पर केवल राष्ट्रपति वीटो लगा सकते हैं।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973) मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने ‘संविधान की मूल संरचना’ का सिद्धांत दिया। इसके अनुसार, संसद अनुच्छेद 368 के तहत किसी भी प्रावधान में संशोधन कर सकती है, लेकिन संविधान की मूल संरचना को नहीं बदल सकती।
- संदर्भ और विस्तार: ब्रिटेन में संसदीय संप्रभुता का अर्थ है कि संसद सर्वोच्च है और कोई भी कानून बना सकती है, लेकिन भारत में संसदीय संप्रभुता सीमित है। संसद की शक्ति कानून बनाने तक सीमित है, और न्यायिक समीक्षा (Judicial Review) द्वारा इसे चुनौती दी जा सकती है यदि यह मूल संरचना का उल्लंघन करती है।
- गलत विकल्प: विकल्प (a) और (b) गलत हैं क्योंकि संसद की शक्ति न्यायिक समीक्षा के अधीन है और मूल संरचना सिद्धांत द्वारा सीमित है। राष्ट्रपति के पास वीटो शक्ति है, लेकिन यह संसदीय संप्रभुता का एकमात्र सीमा नहीं है।
प्रश्न 14: भारत में पहली बार राष्ट्रपति शासन (President’s Rule) किस राज्य में लगाया गया था?
- उत्तर प्रदेश
- पंजाब
- केरल
- पश्चिम बंगाल
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत में पहली बार राष्ट्रपति शासन अनुच्छेद 356 के तहत केरल राज्य में 1959 में लगाया गया था, जब केंद्र सरकार ने वहाँ की कम्युनिस्ट सरकार को भंग कर दिया था।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 356 किसी राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता के आधार पर राष्ट्रपति शासन लगाने का प्रावधान करता है। इसका उद्देश्य राज्य में संवैधानिक व्यवस्था बनाए रखना है, लेकिन इसका दुरुपयोग भी हुआ है।
- गलत विकल्प: राष्ट्रपति शासन अन्य राज्यों में भी लगा है, लेकिन पहली बार केरल में लगा था।
प्रश्न 15: केंद्र-राज्य संबंधों में ‘विषम संघीय प्रणाली’ (Cooperative Federalism) का क्या अर्थ है?
- केंद्र और राज्य के बीच शक्ति का पूर्ण विभाजन।
- राज्यों को केंद्र की तुलना में अधिक स्वायत्तता।
- एक-दूसरे के सहयोग और समन्वय पर आधारित संघवाद।
- राज्यों के बीच सहयोग का अभाव।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘सहकारी संघवाद’ (Cooperative Federalism) का तात्पर्य एक ऐसी प्रणाली से है जिसमें केंद्र सरकार और राज्य सरकारें आपसी सहयोग, समन्वय और साझा जिम्मेदारी के आधार पर कार्य करती हैं। भारतीय संविधान ने संघवाद के इस मॉडल को अपनाया है, जिसमें शक्तियों का विभाजन है लेकिन सहयोग पर भी जोर दिया गया है।
- संदर्भ और विस्तार: यह मॉडल ‘प्रतिस्पर्धी संघवाद’ (Competitive Federalism) से भिन्न है, जहाँ राज्य एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा करते हैं। सहकारी संघवाद में, दोनों स्तर की सरकारें राष्ट्रीय विकास और जन कल्याण के सामान्य लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए मिलकर काम करती हैं।
- गलत विकल्प: (a) और (b) पूर्ण संघीय प्रणाली या राज्यों की अधिक स्वायत्तता का संकेत देते हैं, जो भारत के संघवाद का सटीक वर्णन नहीं करते। (d) सहकारी संघवाद के विपरीत है।
प्रश्न 16: भारतीय संविधान के निम्नलिखित किस भाग में मौलिक कर्तव्यों (Fundamental Duties) का उल्लेख है?
- भाग III-A
- भाग IV-A
- भाग V-A
- भाग VI-A
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: मौलिक कर्तव्यों को भारतीय संविधान के भाग IV-A में अनुच्छेद 51A के तहत जोड़ा गया है। यह भाग 42वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिशों पर जोड़ा गया था।
- संदर्भ और विस्तार: ये कर्तव्य नागरिकों को राष्ट्र के प्रति उनके उत्तरदायित्वों की याद दिलाते हैं, जैसे राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान करना, स्वतंत्रता संग्राम के आदर्शों का पालन करना, देश की संप्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करना आदि। ये न्यायोचित नहीं हैं, अर्थात इनका उल्लंघन करने पर इन्हें न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती।
- गलत विकल्प: भाग III मौलिक अधिकार, भाग IV राज्य के नीति निदेशक तत्व, और अन्य दिए गए विकल्प असंगत हैं।
प्रश्न 17: किस संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा मतदान की आयु 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष कर दी गई?
- 60वां संशोधन अधिनियम, 1988
- 61वां संशोधन अधिनियम, 1989
- 62वां संशोधन अधिनियम, 1989
- 63वां संशोधन अधिनियम, 1989
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 61वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1989 ने संविधान के अनुच्छेद 326 में संशोधन करके भारत में लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं के चुनावों के लिए मतदान की आयु 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष कर दी।
- संदर्भ और विस्तार: यह संशोधन राजीव गांधी सरकार के कार्यकाल के दौरान हुआ था और इसका उद्देश्य युवा पीढ़ी को लोकतांत्रिक प्रक्रिया में अधिक सक्रिय रूप से भाग लेने का अवसर देना था।
- गलत विकल्प: अन्य संशोधन अधिनियमों के वर्ष या विषय अलग थे।
प्रश्न 18: निम्नलिखित में से कौन सी निकाय संवैधानिक निकाय नहीं है?
- भारत का निर्वाचन आयोग (Election Commission of India)
- संघ लोक सेवा आयोग (Union Public Service Commission)
- नीति आयोग (NITI Aayog)
- राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (National Commission for Scheduled Castes)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत का निर्वाचन आयोग (अनुच्छेद 324), संघ लोक सेवा आयोग (अनुच्छेद 315), और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (अनुच्छेद 338) भारतीय संविधान के तहत स्थापित संवैधानिक निकाय हैं, अर्थात इनके लिए संविधान में प्रावधान हैं।
- संदर्भ और विस्तार: नीति आयोग (National Institution for Transforming India) एक कार्यकारी आदेश (1 जनवरी 2015) द्वारा योजना आयोग के स्थान पर स्थापित एक गैर-संवैधानिक निकाय (Non-Constitutional Body) है। यह एक थिंक टैंक के रूप में कार्य करता है।
- गलत विकल्प: आयोग (a), (b), और (d) संवैधानिक हैं, जबकि नीति आयोग (c) संवैधानिक नहीं है।
प्रश्न 19: भारतीय संविधान में ‘न्यायिक पुनर्विलोकन’ (Judicial Review) की शक्ति किस देश के संविधान से प्रेरित है?
- यूनाइटेड किंगडम
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- कनाडा
- ऑस्ट्रेलिया
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत में न्यायिक पुनर्विलोकन की शक्ति, अर्थात यह शक्ति कि सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय संसद या राज्य विधानमंडलों द्वारा पारित कानूनों को असंवैधानिक घोषित कर सकते हैं, संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान से प्रेरित है। अनुच्छेद 13, 32, 226, और 246(1) इस शक्ति का आधार प्रदान करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: न्यायिक पुनर्विलोकन का उद्देश्य संविधान की सर्वोच्चता को बनाए रखना और नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करना है। केशवानंद भारती मामले (1973) ने न्यायिक पुनर्विलोकन की शक्ति को भारतीय संविधान की मूल संरचना का हिस्सा घोषित किया।
- गलत विकल्प: यूके में संसदीय सर्वोच्चता है। कनाडा और ऑस्ट्रेलिया से कुछ अन्य प्रावधान लिए गए हैं, लेकिन न्यायिक पुनर्विलोकन के लिए अमेरिका प्रमुख स्रोत है।
प्रश्न 20: निम्नलिखित में से कौन सी आपातकालीन स्थिति के दौरान मौलिक अधिकार स्वतः निलंबित नहीं होते?
- राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352) के दौरान अनुच्छेद 20 और 21
- राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352) के दौरान अनुच्छेद 14, 19, 20, 21, 22
- राष्ट्रपति शासन (अनुच्छेद 356) के दौरान सभी मौलिक अधिकार
- वित्तीय आपातकाल (अनुच्छेद 360) के दौरान सभी मौलिक अधिकार
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 352 के तहत राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा होने पर, अनुच्छेद 19 के तहत प्राप्त अधिकार युद्ध या बाहरी आक्रमण के आधार पर आपातकाल में स्वतः निलंबित हो जाते हैं, और आंतरिक अशांति के आधार पर आपातकाल में राष्ट्रपति के आदेश से निलंबित किए जा सकते हैं। अनुच्छेद 20 और 21 कभी भी निलंबित नहीं किए जा सकते।
- संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रपति शासन (अनुच्छेद 356) के तहत मौलिक अधिकार स्वतः निलंबित नहीं होते, बल्कि राष्ट्रपति के आदेश से निलंबित किए जा सकते हैं। वित्तीय आपातकाल (अनुच्छेद 360) के तहत भी, अनुच्छेद 20 और 21 को छोड़कर अन्य मौलिक अधिकारों को राष्ट्रपति के आदेश से निलंबित किया जा सकता है।
- गलत विकल्प: विकल्प (a) सही है कि अनुच्छेद 20 और 21 निलंबित नहीं होते। विकल्प (b) गलत है क्योंकि अनुच्छेद 20 और 21 राष्ट्रीय आपातकाल में निलंबित नहीं होते। विकल्प (c) गलत है क्योंकि राष्ट्रपति शासन में अधिकार स्वतः निलंबित नहीं होते। विकल्प (d) सही है कि वित्तीय आपातकाल में अधिकार निलंबित हो सकते हैं (20 और 21 को छोड़कर)। प्रश्न पूछ रहा है कि कौन से स्वतः निलंबित नहीं होते, और अनुच्छेद 356 के तहत कोई भी अधिकार स्वतः निलंबित नहीं होता।
प्रश्न 21: किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि ‘आधारभूत संरचना’ (Basic Structure) सिद्धांत को संसद द्वारा संविधान संशोधन के माध्यम से नहीं बदला जा सकता?
- शंकरी प्रसाद देव बनाम भारत संघ
- सज्जन सिंह बनाम राजस्थान राज्य
- केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य
- गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973) मामले में, सर्वोच्च न्यायालय की एक विशेष पीठ ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया कि संसद संविधान के किसी भी भाग को संशोधित कर सकती है, लेकिन ‘संविधान की आधारभूत संरचना’ (Basic Structure) को नहीं बदल सकती।
- संदर्भ और विस्तार: इस सिद्धांत ने संविधान की सर्वोच्चता और लचीलेपन के बीच संतुलन स्थापित किया। आधारभूत संरचना में प्रस्तावना के तत्व, मौलिक अधिकारों का महत्व, संघवाद, धर्मनिरपेक्षता, स्वतंत्र न्यायपालिका आदि शामिल हैं।
- गलत विकल्प: शंकरी प्रसाद (1951) और सज्जन सिंह (1965) मामलों में न्यायालय ने माना था कि संसद मौलिक अधिकारों सहित संविधान के किसी भी भाग को संशोधित कर सकती है। गोलकनाथ (1967) मामले में न्यायालय ने कहा था कि संसद मौलिक अधिकारों में संशोधन नहीं कर सकती, जिसे केशवानंद भारती मामले में ओवरrule किया गया।
प्रश्न 22: भारतीय संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को कौन आहूत (convene) करता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के प्रधानमंत्री
- लोकसभा अध्यक्ष
- राज्यसभा के सभापति
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 108 के अनुसार, किसी साधारण विधेयक पर गतिरोध की स्थिति में, राष्ट्रपति दोनों सदनों की संयुक्त बैठक बुला सकते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: संयुक्त बैठक की अध्यक्षता लोकसभा अध्यक्ष करते हैं, लेकिन इसे आहूत (समान्यतः बुलाना) राष्ट्रपति करते हैं। संयुक्त बैठक में किसी विधेयक को पारित करने के लिए उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों का सामान्य बहुमत आवश्यक होता है।
- गलत विकल्प: प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, या राज्यसभा सभापति संयुक्त बैठक आहूत नहीं करते।
प्रश्न 23: निम्नलिखित में से कौन सा कथन ‘समान नागरिक संहिता’ (Uniform Civil Code) के संबंध में सही है?
- यह भाग IV (राज्य के नीति निदेशक तत्व) में उल्लिखित है।
- इसे अनुच्छेद 44 के तहत निर्देशित किया गया है।
- यह मौलिक अधिकार है।
- इसे लागू करना अनिवार्य है।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: समान नागरिक संहिता का उल्लेख भारतीय संविधान के भाग IV में, अनुच्छेद 44 के तहत, राज्य के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) में किया गया है।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 44 कहता है कि राज्य भारत के पूरे क्षेत्र में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता प्राप्त करने का प्रयास करेगा। यह एक निर्देशक सिद्धांत है, मौलिक अधिकार नहीं, और न्यायालय इसे सीधे लागू करने का आदेश नहीं दे सकते। यह सभी के लिए विवाह, तलाक, गोद लेना, और विरासत जैसे व्यक्तिगत कानूनों को एक समान बनाने का प्रयास करता है।
- गलत विकल्प: यह एक डी.पी.एस.पी. है (a सही है)। यह अनुच्छेद 44 में निर्देशित है (b सही है)। यह मौलिक अधिकार नहीं है (c गलत है)। इसे लागू करना अनिवार्य नहीं है, बल्कि राज्य का एक प्रयास होना चाहिए (d गलत है)। प्रश्न ‘सही कथन’ पूछ रहा है, और (a) और (b) दोनों सही हैं। आमतौर पर ऐसे प्रश्न में एक ही विकल्प सही होता है। यहाँ, (a) समग्र भाग को इंगित करता है जबकि (b) विशिष्ट अनुच्छेद को। संदर्भ के अनुसार, (a) अधिक व्यापक उत्तर है क्योंकि यह मूल स्थान बताता है। लेकिन, यदि प्रश्न केवल एक अनुच्छेद के बारे में होता तो (b) चुना जाता। यहाँ, (a) को प्राथमिकता दी जा रही है क्योंकि यह ‘उल्लेखित है’ पूछ रहा है, जो उस भाग को इंगित करता है जहाँ यह पाया जाता है।
प्रश्न 24: भारत में ‘नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक’ (Comptroller and Auditor General of India – CAG) के पद का प्रावधान संविधान के किस अनुच्छेद में है?
- अनुच्छेद 148
- अनुच्छेद 149
- अनुच्छेद 150
- अनुच्छेद 151
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 148 भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) के पद की व्यवस्था करता है। CAG भारत के लोक वित्त का संरक्षक होता है।
- संदर्भ और विस्तार: CAG की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है और वे 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक (जो भी पहले हो) पद पर रहते हैं। वे भारत सरकार और राज्य सरकारों के खातों का लेखा-परीक्षण करते हैं और अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति या राज्यपाल को प्रस्तुत करते हैं, जो संसद या राज्य विधानमंडल के समक्ष रखी जाती है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 149 CAG के कर्तव्यों और शक्तियों से संबंधित है, अनुच्छेद 150 खातों के प्रारूप से, और अनुच्छेद 151 लेखा-परीक्षण रिपोर्ट से।
प्रश्न 25: निम्नलिखित में से कौन सा ‘अविशिष्ट’ (Non-recurring) व्यय का एक उदाहरण है?
- सरकारी कर्मचारियों का वेतन
- सरकारी ऋण पर ब्याज का भुगतान
- नवनिर्मित संसद भवन के निर्माण पर एकमुश्त व्यय
- सरकार द्वारा की जाने वाली नियमित खरीद
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: यह प्रश्न सीधे तौर पर किसी अनुच्छेद से जुड़ा नहीं है, बल्कि सार्वजनिक वित्त (Public Finance) की समझ से संबंधित है। अविशिष्ट व्यय (Non-recurring Expenditure) वह व्यय होता है जो एक बार या अनियमित रूप से किया जाता है, जबकि विशिष्ट व्यय (Recurring Expenditure) नियमित और बार-बार होने वाला व्यय होता है।
- संदर्भ और विस्तार: नवनिर्मित संसद भवन के निर्माण पर एकमुश्त व्यय अविशिष्ट व्यय का एक उदाहरण है क्योंकि यह एक निश्चित परियोजना के लिए एक बार किया जाता है। सरकारी कर्मचारियों का वेतन, ऋण पर ब्याज का भुगतान, और नियमित खरीद जैसे व्यय बार-बार होते हैं, इसलिए वे विशिष्ट व्यय हैं।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (d) नियमित प्रकृति के व्यय हैं, जो उन्हें विशिष्ट बनाते हैं, अविशिष्ट नहीं।