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आज की संविधान चुनौती: 25 प्रश्न, पारखी ज्ञान!

आज की संविधान चुनौती: 25 प्रश्न, पारखी ज्ञान!

भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था की गहरी समझ, आपके प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी का आधार है। आइए, आज के इस विशेष अभ्यास के माध्यम से अपनी संवैधानिक अवधारणाओं की स्पष्टता को परखें और अपनी ज्ञान की सीमा को और विस्तृत करें। तैयार हो जाइए, यह सिर्फ एक प्रश्नोत्तरी नहीं, बल्कि आपके आत्मविश्वास का परीक्षण है!

भारतीय राजव्यवस्था और संविधान अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवाद’ शब्द किस संशोधन द्वारा जोड़ा गया?

  1. 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
  2. 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
  3. 52वां संशोधन अधिनियम, 1985
  4. 73वां संशोधन अधिनियम, 1992

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘समाजवाद’, ‘पंथनिरपेक्ष’ (Secular) और ‘अखंडता’ (Integrity) शब्दों को 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा भारतीय संविधान की प्रस्तावना में जोड़ा गया था।
  • संदर्भ और विस्तार: यह संशोधन, जिसे ‘लघु संविधान’ भी कहा जाता है, ने प्रस्तावना में महत्वपूर्ण परिवर्तन किए, जिसका उद्देश्य भारत को एक समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में स्थापित करना था। यद्यपि ये शब्द प्रस्तावना में जोड़े गए, सर्वोच्च न्यायालय ने विभिन्न निर्णयों में माना है कि ये संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा हैं।
  • गलत विकल्प: 44वां संशोधन (1978) ने संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाकर कानूनी अधिकार बनाया। 52वां संशोधन (1985) दल-बदल विरोधी प्रावधानों (10वीं अनुसूची) से संबंधित है। 73वां संशोधन (1992) पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा देता है।

प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा अनुच्छेद राष्ट्रपति को सर्वोच्च न्यायालय से किसी भी मामले पर सलाह लेने की शक्ति प्रदान करता है?

  1. अनुच्छेद 143
  2. अनुच्छेद 142
  3. अनुच्छेद 141
  4. अनुच्छेद 144

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 143 राष्ट्रपति को दो प्रकार की सलाह लेने की शक्ति देता है: (i) सार्वजनिक महत्व के किसी भी प्रश्न पर; और (ii) किसी भी संधि, वाचा, अभिसमय, सनद या ऐसे ही अन्य दस्तावेज के बारे में जो वह पूर्व-संवैधानिक या उसके बाद के किसी भी प्रश्न पर विचार करता है, जो उसके या उसके राज्य क्षेत्र से संबंधित हो।
  • संदर्भ और विस्तार: हालांकि, अनुच्छेद 143 के तहत सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दी गई सलाह राष्ट्रपति पर बाध्यकारी नहीं होती है। केशवानंद भारती मामले (1973) के बाद, सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि राष्ट्रपति को सार्वजनिक महत्व के मामलों में सलाह मांगने की शक्ति संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन नहीं करती है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 142 ‘सर्वोच्च न्यायालय की सभी अधिकारिता का प्रवर्तन’ से संबंधित है। अनुच्छेद 141 ‘सर्वोच्च न्यायालय द्वारा घोषित विधि का सभी न्यायालयों पर बाध्यकारी होना’ से संबंधित है। अनुच्छेद 144 ‘सिविल और न्यायिक प्राधिकारियों द्वारा सर्वोच्च न्यायालय की सहायता में कार्य करना’ से संबंधित है।

प्रश्न 3: भारतीय संविधान के अनुसार, किसी राज्य का विधानमंडल बनाने के लिए कौन शामिल होते हैं?

  1. राज्यपाल, विधान परिषद (यदि विद्यमान हो), और विधान सभा
  2. राज्यपाल, विधान सभा, और विधान परिषद (यदि आवश्यक हो)
  3. राज्यपाल, विधान सभा
  4. विधान सभा और विधान परिषद (यदि विद्यमान हो)

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 168 के अनुसार, प्रत्येक राज्य के लिए एक विधानमंडल होगा जिसमें राज्यपाल, विधान परिषद (यदि विद्यमान हो) और विधान सभा (या, जहां विधान परिषद नहीं है, केवल विधानमंडल) शामिल होंगे।
  • संदर्भ और विस्तार: भारत में, छह राज्यों (आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, बिहार, महाराष्ट्र, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश) में द्विसदनीय विधानमंडल हैं, जबकि अन्य राज्यों में एकसदनीय विधानमंडल है। राज्यपाल राज्य विधानमंडल का अभिन्न अंग है, जो सत्र आहूत करने, सत्रावसान करने और विधानसभा को भंग करने की शक्ति रखता है।
  • गलत विकल्प: विकल्प (b) में ‘यदि आवश्यक हो’ जोड़ा गया है जो गलत है; यदि विधान परिषद मौजूद है, तो यह हमेशा विधानमंडल का हिस्सा होगी। विकल्प (c) और (d) द्विसदनीय विधानमंडलों को बाहर कर देते हैं।

प्रश्न 4: भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) की नियुक्ति कौन करता है?

  1. भारत के राष्ट्रपति
  2. भारत के प्रधानमंत्री
  3. लोकसभा के अध्यक्ष
  4. राज्यसभा के सभापति

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 148 के अनुसार, भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। CAG भारत के लोक वित्त का संरक्षक होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: CAG का कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक (जो भी पहले हो) होता है। CAG केंद्र और राज्यों के खातों का लेखा-परीक्षण करता है और अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति और राज्यपाल को प्रस्तुत करता है, जो उन्हें संसद और राज्य विधानमंडल के पटल पर रखते हैं।
  • गलत विकल्प: प्रधानमंत्री सरकार का कार्यकारी प्रमुख होता है, लेकिन CAG की नियुक्ति का अधिकार राष्ट्रपति के पास है। लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा सभापति विधायी निकायों के प्रमुख हैं, न कि नियुक्ति प्राधिकारी।

प्रश्न 5: निम्नलिखित में से कौन सा अधिकार ‘बंदी प्रत्यक्षीकरण’ (Habeas Corpus) रिट के अंतर्गत आता है?

  1. अवैध निरोध से मुक्ति का अधिकार
  2. न्यायालय के अधिकार क्षेत्र से बाहर काम करने वाले अधिकारी को रोकना
  3. किसी सरकारी अधिकारी को उसके सार्वजनिक कर्तव्य का पालन करने का आदेश देना
  4. किसी निचली अदालत को किसी विशेष मामले को उच्च न्यायालय में भेजने का आदेश देना

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘बंदी प्रत्यक्षीकरण’ (Habeas Corpus) का शाब्दिक अर्थ है ‘शरीर प्रस्तुत करो’। यह रिट किसी भी व्यक्ति को जिसे अवैध रूप से हिरासत में लिया गया है, अदालत में पेश करने का आदेश देती है। यह अनुच्छेद 32 (सर्वोच्च न्यायालय) और अनुच्छेद 226 (उच्च न्यायालय) के तहत एक मौलिक अधिकार की सुरक्षा के रूप में जारी की जा सकती है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह व्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए सबसे शक्तिशाली रिटों में से एक है। यह सुनिश्चित करता है कि किसी भी व्यक्ति को मनमाने ढंग से गिरफ्तार या हिरासत में न रखा जाए।
  • गलत विकल्प: ‘प्रतिषेध’ (Prohibition) किसी निचली अदालत को कार्रवाई से रोकता है। ‘परमादेश’ (Mandamus) किसी सरकारी अधिकारी को उसका कर्तव्य निभाने का आदेश देता है। ‘उत्प्रेषण’ (Certiorari) किसी निचली अदालत के आदेश को रद्द करता है। ‘अधिकार पृच्छा’ (Quo Warranto) किसी व्यक्ति को अवैध रूप से पद धारण करने से रोकता है।

प्रश्न 6: भारत में ‘लोकपाल’ की नियुक्ति का प्रावधान किस कानून के तहत किया गया है?

  1. लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013
  2. लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 1969
  3. भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988
  4. सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत में लोकपाल की नियुक्ति का प्रावधान ‘लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013’ के तहत किया गया है, जिसे 2014 में अधिनियमित किया गया था।
  • संदर्भ और विस्तार: लोकपाल एक भ्रष्टाचार विरोधी लोकपाल है जो केंद्र सरकार के मंत्रियों और अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करता है। यह अधिनियम भारत में लोकपाल संस्था की स्थापना के लिए मार्ग प्रशस्त करता है।
  • गलत विकल्प: 1969 का विधेयक पेश तो हुआ था, पर पारित नहीं हुआ। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 भ्रष्टाचार से संबंधित अपराधों के लिए दंड का प्रावधान करता है। सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 सरकारी सूचना तक पहुंच का अधिकार प्रदान करता है।

प्रश्न 7: भारत के संविधान की प्रस्तावना में ‘गणराज्य’ (Republic) शब्द का क्या अर्थ है?

  1. राज्य का प्रमुख निर्वाचित होता है, वंशानुगत नहीं
  2. सरकार की शक्तियों का पृथक्करण
  3. सभी नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय
  4. धर्मनिरपेक्ष राज्य

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: प्रस्तावना में ‘गणराज्य’ शब्द का अर्थ है कि राज्य का प्रमुख (राष्ट्रपति) प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित होता है, न कि वंशानुगत।
  • संदर्भ और विस्तार: भारत में राष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है, जो एक निश्चित अवधि (5 वर्ष) के लिए पद धारण करता है। यह ब्रिटेन जैसे एकात्मक गणराज्यों (जैसे राजा/रानी) या अमेरिका जैसे संघी गणतंत्रों से भिन्न है।
  • गलत विकल्प: शक्तियों का पृथक्करण व्यवस्थापिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच होता है। सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय प्रस्तावना का एक अन्य महत्वपूर्ण उद्देश्य है। धर्मनिरपेक्षता प्रस्तावना का एक और पहलू है, लेकिन ‘गणराज्य’ सीधे तौर पर निर्वाचित प्रमुख से संबंधित है।

प्रश्न 8: किस अनुच्छेद के तहत सर्वोच्च न्यायालय को ‘समीक्षा की शक्ति’ (Power of Judicial Review) प्राप्त है?

  1. अनुच्छेद 13
  2. अनुच्छेद 32
  3. अनुच्छेद 226
  4. अनुच्छेद 14

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 13 यह प्रावधान करता है कि संविधान के प्रारंभ से पहले भारत में प्रवृत्त कोई भी विधि, जो मूल अधिकारों से असंगत है, उस विस्तार तक शून्य होगी। यह अनुच्छेद सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों को न्यायिक समीक्षा की शक्ति प्रदान करता है, जिससे वे संसद द्वारा पारित विधियों को असंवैधानिक घोषित कर सकते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: न्यायिक समीक्षा भारतीय संविधान की एक महत्वपूर्ण विशेषता है, जो मौलिक अधिकारों की रक्षा करती है और विधायी तथा कार्यकारी शक्तियों को संविधान के अनुसार सीमित रखती है। minerva mills vs union of india (1980) मामले में, सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि न्यायिक समीक्षा संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 32 मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिए रिट जारी करने की सर्वोच्च न्यायालय की शक्ति है, जो न्यायिक समीक्षा का एक उपकरण है। अनुच्छेद 226 उच्च न्यायालयों के लिए समान शक्ति देता है। अनुच्छेद 14 समानता का अधिकार देता है।

प्रश्न 9: निम्नलिखित में से कौन सा एक मौलिक कर्तव्य नहीं है?

  1. सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा करना
  2. सद्भाव और भाईचारे की भावना को बढ़ावा देना
  3. अस्पृश्यता का उन्मूलन करना
  4. संविधान का पालन करना और उसके आदर्शों का सम्मान करना

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अस्पृश्यता का उन्मूलन (अनुच्छेद 17) एक मौलिक अधिकार है, मौलिक कर्तव्य नहीं। मौलिक कर्तव्य संविधान के भाग IV-A (अनुच्छेद 51A) में सूचीबद्ध हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: मौलिक कर्तव्यों को 42वें संशोधन, 1976 द्वारा जोड़ा गया था। इनमें राष्ट्रगान का सम्मान करना, स्वतंत्रता संग्राम के आदर्शों का पालन करना, भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करना, धर्म, नस्ल, जाति या भाषा या उनमें से किसी के आधार पर भेदभाव न करना (अनुच्छेद 15) आदि शामिल हैं।
  • गलत विकल्प: सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा करना (51A(h)), सद्भाव और भाईचारे की भावना को बढ़ावा देना (51A(e)), और संविधान का पालन करना (51A(c)) सभी मौलिक कर्तव्य हैं।

प्रश्न 10: केंद्र-राज्य संबंधों के संदर्भ में, ‘अवशिष्ट शक्तियां’ (Residuary Powers) किसे सौंपी गई हैं?

  1. संघ (केंद्र सरकार)
  2. राज्य
  3. समवर्ती सूची
  4. समान अधिकार

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 248 के अनुसार, अवशिष्ट शक्तियों (जो संघ सूची, राज्य सूची या समवर्ती सूची में शामिल नहीं हैं) के संबंध में कानून बनाने का अधिकार केवल संघ (केंद्र सरकार) के पास है।
  • संदर्भ और विस्तार: भारत में शक्तियों का वितरण सातवीं अनुसूची में तीन सूचियों (संघ सूची, राज्य सूची, समवर्ती सूची) में किया गया है। अवशिष्ट शक्तियां वे हैं जो इन सूचियों में स्पष्ट रूप से शामिल नहीं हैं, और ये शक्तियां संघ को दी गई हैं, जो संघवाद के झुकाव को दर्शाती है।
  • गलत विकल्प: राज्य सूची में राज्य सूची के विषय शामिल हैं। समवर्ती सूची में ऐसे विषय हैं जिन पर केंद्र और राज्य दोनों कानून बना सकते हैं। समान अधिकार का कोई संवैधानिक आधार नहीं है।

प्रश्न 11: अनुच्छेद 368 के तहत, निम्नलिखित में से कौन सा मौलिक अधिकार संविधान संशोधन से प्रभावित नहीं किया जा सकता?

  1. जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 21)
  2. समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14)
  3. स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19)
  4. धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25-28)

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: गोलकनाथ मामले (1967) में सर्वोच्च न्यायालय ने माना था कि संसद मौलिक अधिकारों में संशोधन नहीं कर सकती। हालांकि, केशवानंद भारती मामले (1973) में, न्यायालय ने इस निर्णय को पलट दिया और कहा कि संसद मौलिक अधिकारों में संशोधन कर सकती है, लेकिन संविधान के ‘मूल ढांचे’ (Basic Structure) को नहीं बदल सकती। अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) को अक्सर मूल ढांचे का हिस्सा माना जाता है, और इसे संशोधित नहीं किया जा सकता।
  • संदर्भ और विस्तार: मूल ढांचे का सिद्धांत यह सुनिश्चित करता है कि संसद मनमाने ढंग से मौलिक अधिकारों को समाप्त या सीमित न कर सके। अन्य अधिकार भी मूल ढांचे का हिस्सा हो सकते हैं, लेकिन अनुच्छेद 21 को विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 14, 19 और 25-28 में संशोधन किया जा सकता है, जब तक कि वे मूल ढांचे को प्रभावित न करें।

प्रश्न 12: भारत के उपराष्ट्रपति को हटाने के लिए संकल्प की सूचना कितने दिन पूर्व देनी होती है?

  1. 14 दिन
  2. 30 दिन
  3. 60 दिन
  4. 90 दिन

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 67 (ख) के अनुसार, उपराष्ट्रपति को उनके पद से हटाने के लिए संकल्प लाने से पूर्व कम से कम 14 दिन की पूर्व सूचना देना आवश्यक है। यह संकल्प केवल राज्यसभा में ही प्रस्तावित किया जा सकता है, और यदि राज्यसभा में उपस्थित सदस्यों के पूर्ण बहुमत से इसे पारित कर दिया जाता है, तो यह लोकसभा में भी पारित होना आवश्यक है (साधारण बहुमत से)।
  • संदर्भ और विस्तार: उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन सभापति होता है। उन्हें हटाने की प्रक्रिया राष्ट्रपति को महाभियोग द्वारा हटाने की प्रक्रिया से भिन्न होती है, जो अधिक कठोर होती है।
  • गलत विकल्प: 30, 60, और 90 दिन की अवधि उपराष्ट्रपति को हटाने की प्रक्रिया के लिए निर्धारित नहीं है।

प्रश्न 13: पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा किस संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा प्रदान किया गया?

  1. 73वां संशोधन अधिनियम, 1992
  2. 74वां संशोधन अधिनियम, 1992
  3. 64वां संशोधन अधिनियम, 1989
  4. 42वां संशोधन अधिनियम, 1976

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 73वें संशोधन अधिनियम, 1992 ने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया और संविधान में भाग IX (अनुच्छेद 243 से 243-O) जोड़ा, जिसमें पंचायतों के गठन, शक्तियाँ, कार्य और उत्तरदायित्वों का प्रावधान है।
  • संदर्भ और विस्तार: इस अधिनियम ने पंचायती राज को देश की त्रि-स्तरीय (जिला, मध्यवर्ती और ग्राम स्तर) स्व-शासन प्रणाली के रूप में मजबूत किया। इसने ग्राम सभा को भी संवैधानिक मान्यता दी।
  • गलत विकल्प: 74वां संशोधन अधिनियम शहरी स्थानीय निकायों (नगर पालिकाओं) से संबंधित है। 64वां संशोधन अधिनियम 1989 में एक विधेयक था जिसे पारित नहीं किया जा सका। 42वां संशोधन अधिनियम 1976 में प्रस्तावना में परिवर्तन और अन्य महत्वपूर्ण बदलावों से संबंधित है।

प्रश्न 14: भारत के महान्यायवादी (Attorney General) की नियुक्ति किस अनुच्छेद के तहत की जाती है?

  1. अनुच्छेद 76
  2. अनुच्छेद 148
  3. अनुच्छेद 165
  4. अनुच्छेद 75

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 76 के अनुसार, भारत के महान्यायवादी (Attorney General of India) की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। महान्यायवादी भारत सरकार का मुख्य कानूनी सलाहकार होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: महान्यायवादी को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने के योग्य होना चाहिए। वे भारत सरकार के लिए सभी कानूनी मामलों में पेश होते हैं और राष्ट्रपति द्वारा सौंपे गए अन्य कानूनी कार्यों को करते हैं। वे लाभ के पद पर नहीं माने जाते हैं, लेकिन उन्हें अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए भारत के सभी न्यायालयों में सुनवाई का अधिकार है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 148 CAG की नियुक्ति से संबंधित है। अनुच्छेद 165 राज्य के महाधिवक्ता (Advocate General) की नियुक्ति से संबंधित है। अनुच्छेद 75 मंत्रियों की नियुक्ति से संबंधित है।

प्रश्न 15: निम्नलिखित में से कौन सा भारत के राष्ट्रपति की क्षमादान शक्ति (Pardoning Power) का एक प्रकार नहीं है?

  1. लघुकरण (Commutation)
  2. विराम (Reprieve)
  3. निलंबन (Suspension)
  4. संविधान संशोधन (Constitutional Amendment)

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 72 राष्ट्रपति को कुछ मामलों में, दंड या दंडादेश के लघुकरण (Commutation), क्षमा (Pardon), विराम (Reprieve), परिहार (Remission) या प्रतिलंबन (Commutation) की शक्ति प्रदान करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: ये सभी क्षमादान की शक्ति के विभिन्न रूप हैं। लघुकरण दंड के प्रकार को बदलना है (जैसे मृत्युदंड को आजीवन कारावास)। विराम दंड के निष्पादन पर अस्थायी रोक है। निलंबन, जिसे परिहार भी कहा जाता है, दंड की अवधि को कम करना है। प्रतिलंबन, जिसे लघुकरण का दूसरा रूप माना जा सकता है, दंड के स्वरूप और अवधि दोनों को बदलता है। संविधान संशोधन एक विधायी प्रक्रिया है, क्षमादान शक्ति नहीं।
  • गलत विकल्प: लघुकरण, विराम और निलंबन (परिहार) सभी राष्ट्रपति की क्षमादान शक्तियों के अंग हैं। संविधान संशोधन राष्ट्रपति की विधायी शक्ति से संबंधित है, क्षमादान से नहीं।

प्रश्न 16: यदि किसी राज्य विधानमंडल को भंग कर दिया जाता है, तो वहाँ लागू होने वाली राष्ट्रपति शासन की अवधि कितनी हो सकती है?

  1. अधिकतम 3 वर्ष
  2. अधिकतम 1 वर्ष
  3. अधिकतम 6 महीने
  4. कोई अधिकतम अवधि नहीं

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 356 (राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता) के तहत राष्ट्रपति शासन की अवधि को शुरुआत में 6 महीने के लिए घोषित किया जाता है। यदि इसे 1 वर्ष से अधिक बढ़ाया जाना है, तो इसके लिए संसद के दोनों सदनों द्वारा विशेष बहुमत से प्रस्ताव पारित होना आवश्यक है, और यह तभी संभव है जब चुनाव आयोग प्रमाणित करे कि राज्य में चुनाव कराना संभव नहीं है। अधिकतम अवधि 3 वर्ष है।
  • संदर्भ और विस्तार: 3 वर्ष की अवधि के बाद, राष्ट्रपति शासन को जारी रखने के लिए अनुच्छेद 356 के तहत पुनः अनुमोदन की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन प्रत्येक 6 महीने के लिए संसद के दोनों सदनों द्वारा साधारण बहुमत से पारित एक प्रस्ताव की आवश्यकता होती है। 3 साल की सीमा को 44वें संशोधन, 1978 द्वारा जोड़ा गया था।
  • गलत विकल्प: 1 वर्ष, 6 महीने या कोई अधिकतम अवधि नहीं, ये गलत हैं क्योंकि अधिकतम 3 वर्ष की सीमा अनुच्छेद 356(4) में निर्धारित है।

प्रश्न 17: भारत में ‘समवर्ती सूची’ (Concurrent List) की अवधारणा किस देश के संविधान से ली गई है?

  1. ऑस्ट्रेलिया
  2. कनाडा
  3. संयुक्त राज्य अमेरिका
  4. यूनाइटेड किंगडम

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: समवर्ती सूची की अवधारणा, जिसमें ऐसे विषय शामिल हैं जिन पर संघ और राज्य दोनों कानून बना सकते हैं, ऑस्ट्रेलिया के संविधान से प्रेरित है। भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची की सूची III समवर्ती सूची है।
  • संदर्भ और विस्तार: जब समवर्ती सूची के किसी विषय पर केंद्र और राज्य द्वारा बनाए गए कानूनों में विरोधाभास होता है, तो केंद्र सरकार द्वारा बनाया गया कानून मान्य होता है, बशर्ते कि उस कानून को राज्य विधानमंडल द्वारा संशोधित न किया गया हो (अनुच्छेद 254)।
  • गलत विकल्प: कनाडा से संघीय व्यवस्था और अवशिष्ट शक्तियों का संघ को दिया जाना लिया गया है। संयुक्त राज्य अमेरिका से मौलिक अधिकार, न्यायिक पुनरीक्षण और उपराष्ट्रपति का पद लिया गया है। यूनाइटेड किंगडम से संसदीय प्रणाली, विधि का शासन और एकल नागरिकता ली गई है।

प्रश्न 18: निम्नलिखित में से कौन सा कथन ‘संसद की सर्वोच्चता’ (Supremacy of Parliament) के सिद्धांत को सबसे अच्छी तरह दर्शाता है?

  1. संसद द्वारा बनाए गए कानून किसी भी न्यायालय में चुनौती के अधीन नहीं हैं।
  2. संसद संविधान के मूल ढांचे को छोड़कर किसी भी भाग में संशोधन कर सकती है।
  3. सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय संसद के लिए बाध्यकारी होते हैं।
  4. राष्ट्रपति के पास संसद द्वारा पारित विधियों को वीटो करने की पूर्ण शक्ति है।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान में, संसद की सर्वोच्चता पूर्ण नहीं है, बल्कि ‘संवैधानिक सर्वोच्चता’ (Constitutional Supremacy) है। इसका अर्थ है कि संसद संविधान के मूल ढांचे को छोड़कर किसी भी भाग में संशोधन कर सकती है (जैसा कि केशवानंद भारती मामले में तय हुआ)।
  • संदर्भ और विस्तार: संसद विधायी शक्ति का प्रमुख स्रोत है। हालांकि, न्यायिक समीक्षा (अनुच्छेद 13) के कारण, संसद के कानून संवैधानिक सीमाओं के अधीन होते हैं। भारत में ‘संसद की पूर्ण सर्वोच्चता’ (जैसे ब्रिटेन में) नहीं है।
  • गलत विकल्प: (a) गलत है क्योंकि संसद के कानून न्यायिक समीक्षा के अधीन हो सकते हैं। (c) गलत है क्योंकि संसद के अधिनियमों की व्याख्या करने की शक्ति सर्वोच्च न्यायालय के पास है, और न्यायालय के निर्णय संसद पर बाध्यकारी होते हैं (अनुच्छेद 141), जो वास्तव में संसद की सर्वोच्चता को सीमित करता है। (d) गलत है क्योंकि राष्ट्रपति के पास पूर्ण वीटो शक्ति नहीं होती, केवल निलंबित वीटो (जो पुनर्विचार के लिए वापस भेज सकता है) या पॉकेट वीटो (जिस पर कोई कार्रवाई नहीं करता) होती है।

प्रश्न 19: भारत में ‘अल्पसंख्यक’ (Minority) को कैसे परिभाषित किया गया है?

  1. धार्मिक या भाषाई आधार पर
  2. जनसंख्या के आधार पर
  3. जाति के आधार पर
  4. आर्थिक स्थिति के आधार पर

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान में ‘अल्पसंख्यक’ शब्द को स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं किया गया है। हालांकि, अनुच्छेद 29 और 30 (मौलिक अधिकार) भाषाई और धार्मिक अल्पसंख्यकों को शिक्षा और संस्कृति के संबंध में विशेष अधिकार प्रदान करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: सर्वोच्च न्यायालय ने विभिन्न निर्णयों में यह स्पष्ट किया है कि अल्पसंख्यक की पहचान धार्मिक या भाषाई आधार पर होती है, न कि केवल संख्या के आधार पर। एक समुदाय को किसी विशेष राज्य के संदर्भ में अल्पसंख्यक माना जा सकता है, भले ही वह पूरे देश में बहुसंख्यक हो।
  • गलत विकल्प: जनसंख्या, जाति या आर्थिक स्थिति के आधार पर अल्पसंख्यक की परिभाषा नहीं दी गई है।

प्रश्न 20: ‘स्थानीय स्वशासन’ (Local Self-Government) के जनक के रूप में किसे जाना जाता है?

  1. लॉर्ड रिपन
  2. लॉर्ड कर्जन
  3. लॉर्ड विलियम बेंटिंक
  4. वारेन हेस्टिंग्स

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: लॉर्ड रिपन को भारत में ‘स्थानीय स्वशासन का जनक’ कहा जाता है। उन्होंने 1882 में एक प्रस्ताव पारित किया जिसने स्थानीय स्वशासन को प्रोत्साहन दिया।
  • संदर्भ और विस्तार: लॉर्ड रिपन के प्रस्ताव ने नगर पालिकाओं और जिला बोर्डों को अधिक शक्ति और स्वायत्तता प्रदान की। इसका उद्देश्य स्थानीय मामलों में जनता की भागीदारी बढ़ाना था। यह भारत में लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।
  • गलत विकल्प: लॉर्ड कर्जन ने बंगाल का विभाजन किया। लॉर्ड विलियम बेंटिंक ने सती प्रथा को समाप्त किया। वारेन हेस्टिंग्स ने ब्रिटिश भारत की प्रशासनिक व्यवस्था की नींव रखी।

प्रश्न 21: निम्नलिखित में से कौन सा राज्य सूचना आयोग (State Information Commission) का सदस्य नहीं हो सकता?

  1. राज्य मुख्य सूचना आयुक्त
  2. राज्य सूचना आयुक्त
  3. विधान परिषद का मनोनीत सदस्य
  4. विधान परिषद का निर्वाचित सदस्य

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के तहत, राज्य सूचना आयोग में एक राज्य मुख्य सूचना आयुक्त और राज्य सूचना आयुक्त होते हैं। राज्य सूचना आयुक्तों की नियुक्ति राज्य सरकार द्वारा एक समिति की सिफारिश पर की जाती है जिसमें मुख्यमंत्री, विधानमंडल में विपक्ष का नेता और एक कैबिनेट मंत्री शामिल होते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: राज्य सूचना आयुक्तों के लिए योग्यताएँ निर्धारित की गई हैं, जिनमें सार्वजनिक जीवन में व्यापक अनुभव, विधिशास्त्र, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पत्रकारिता, मीडिया या मास कम्युनिकेशन, प्रबंधन, प्रशासन आदि में विशेषज्ञता शामिल है। किसी विधान परिषद के मनोनीत या निर्वाचित सदस्य को सीधे तौर पर राज्य सूचना आयुक्त के रूप में नियुक्त नहीं किया जा सकता, जब तक कि वे अन्य योग्यताएँ पूरी न करें और समिति द्वारा अनुशंसित न हों। हालांकि, आमतौर पर, इस तरह की नियुक्तियों में राजनीतिक पूर्वाग्रह से बचने के लिए विधायकों को बाहर रखा जाता है। (नोट: विधान परिषद का निर्वाचित सदस्य अन्य योग्यताएं पूरी करने पर नियुक्त हो सकता है, लेकिन आयोग का ‘सदस्य’ होने के नाते, वे सीधे आयोग के लिए नहीं चुने जाते, बल्कि नियुक्ति के बाद सदस्य बनते हैं। प्रश्न की बारीकी को देखते हुए, एक मनोनीत सदस्य का आयोग का ‘सदस्य’ बनना कम संभावित है, जबकि एक निर्वाचित सदस्य अपने आप में इस भूमिका में आ सकता है यदि वह योग्य हो।) यहाँ सबसे उपयुक्त उत्तर वह है जो स्पष्ट रूप से आयोग का हिस्सा नहीं है। विधान परिषद का मनोनीत सदस्य, जो सीधे आयोग के लिए नहीं चुना गया है, सबसे तार्किक रूप से बाहर रखा जाएगा।
  • गलत विकल्प: राज्य मुख्य सूचना आयुक्त और राज्य सूचना आयुक्त आयोग के पदेन सदस्य होते हैं। विधान परिषद का निर्वाचित सदस्य, यदि योग्य हो, तो नियुक्त किया जा सकता है, लेकिन मनोनीत सदस्य का होना सामान्यतः आयोग का हिस्सा नहीं होता।

प्रश्न 22: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘न्याय’ (Justice) का उल्लेख किन रूपों में किया गया है?

  1. सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक
  2. मौलिक, अतिरिक्त और पूरक
  3. न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका
  4. समान, विशेष और सामान्य

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की प्रस्तावना नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय प्रदान करने का संकल्प करती है। यह सुनिश्चित करता है कि सभी नागरिकों को समान अवसर मिलें और सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक स्तर पर कोई भेदभाव न हो।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा रूसी क्रांति से प्रभावित है। सामाजिक न्याय का अर्थ है कि सभी नागरिकों को बिना किसी भेदभाव के समान व्यवहार मिले, जाति, लिंग, धर्म आदि पर आधारित असमानता का उन्मूलन। आर्थिक न्याय का अर्थ है धन और आय का समान वितरण। राजनीतिक न्याय का अर्थ है सभी नागरिकों को समान राजनीतिक अधिकार, चुनाव लड़ने का अधिकार और सार्वजनिक पदों को धारण करने का अधिकार।
  • गलत विकल्प: अन्य विकल्प संविधान या प्रस्तावना में न्याय के रूप में वर्णित नहीं हैं।

प्रश्न 23: किसी विधेयक को ‘धन विधेयक’ (Money Bill) घोषित करने का अंतिम निर्णय किसका होता है?

  1. लोकसभा के अध्यक्ष
  2. राज्यसभा के सभापति
  3. भारत के राष्ट्रपति
  4. वित्त मंत्री

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 110 (3) के अनुसार, किसी विधेयक को धन विधेयक है या नहीं, इसका अंतिम निर्णय लोक सभा का अध्यक्ष करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: धन विधेयक केवल लोक सभा में ही पेश किया जा सकता है। लोक सभा से पारित होने के बाद, यह राज्यसभा में भेजा जाता है, जहाँ इसे 14 दिनों के भीतर स्वीकार या अस्वीकार किया जा सकता है, या उसमें संशोधन का सुझाव दिया जा सकता है। यदि राज्यसभा 14 दिनों के भीतर विधेयक वापस नहीं करती है, तो उसे दोनों सदनों द्वारा पारित माना जाता है। राज्यसभा द्वारा सुझाए गए संशोधनों को लोक सभा स्वीकार या अस्वीकार कर सकती है।
  • गलत विकल्प: राज्यसभा के सभापति, राष्ट्रपति या वित्त मंत्री के पास इस मामले में अंतिम निर्णय लेने का अधिकार नहीं है।

प्रश्न 24: भारतीय संविधान में ‘नीति निदेशक तत्व’ (Directive Principles of State Policy) किस भाग में वर्णित हैं?

  1. भाग IV
  2. भाग III
  3. भाग IV-A
  4. भाग V

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान में नीति निदेशक तत्व (DPSP) भाग IV में अनुच्छेद 36 से 51 तक में वर्णित हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: ये निदेशक तत्व राज्य को निर्देश देते हैं कि वे कानून बनाते समय और शासन चलाते समय इनका पालन करें। ये कल्याणकारी राज्य की स्थापना के लिए सामाजिक और आर्थिक आधार प्रदान करते हैं। यद्यपि ये न्यायोचित नहीं हैं (अर्थात, इनके उल्लंघन पर न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती), ये देश के शासन में मूलभूत माने जाते हैं (अनुच्छेद 37)। यह अवधारणा आयरिश संविधान से ली गई है।
  • गलत विकल्प: भाग III में मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 12-35) हैं। भाग IV-A में मौलिक कर्तव्य (अनुच्छेद 51A) हैं। भाग V संघ की कार्यपालिका और विधायिका (अनुच्छेद 52-151) से संबंधित है।

प्रश्न 25: अनुच्छेद 370, जिसे हाल ही में निरस्त किया गया था, जम्मू और कश्मीर राज्य को किस प्रकार की विशेष स्थिति प्रदान करता था?

  1. पूर्ण स्वायत्तता
  2. राज्यों के लिए एक विशेष संविधान
  3. केंद्र शासित प्रदेशों के समान स्थिति
  4. एकमात्र वित्तीय स्वायत्तता

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 370 ने जम्मू और कश्मीर राज्य को एक विशेष स्थिति प्रदान की थी, जिसके तहत उसे अपना स्वयं का संविधान बनाने और लागू करने, राज्य की आंतरिक व्यवस्था के संबंध में कानून बनाने की शक्ति, और रक्षा, विदेशी मामले और संचार को छोड़कर, अन्य सभी मामलों में भारतीय संविधान के प्रावधानों के अनुप्रयोग के लिए राष्ट्रपति के आदेश की आवश्यकता होती थी।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अनुच्छेद जम्मू और कश्मीर को भारतीय संघ के भीतर एक स्वायत्त स्थिति देता था। 5 अगस्त 2019 को, राष्ट्रपति के आदेश द्वारा अनुच्छेद 370 के अधिकांश प्रावधानों को लागू करना बंद कर दिया गया, और 6 अगस्त 2019 को, संसद ने जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 पारित किया, जिसने राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों – जम्मू और कश्मीर, और लद्दाख में पुनर्गठित किया।
  • गलत विकल्प: ‘पूर्ण स्वायत्तता’ सटीक नहीं है क्योंकि यह अभी भी भारत का हिस्सा था। ‘केंद्र शासित प्रदेशों के समान स्थिति’ वर्तमान स्थिति है, न कि अनुच्छेद 370 द्वारा प्रदान की गई स्थिति। ‘एकमात्र वित्तीय स्वायत्तता’ भी गलत है क्योंकि यह विशेषाधिकार केवल वित्तीय नहीं था।

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