आज की इतिहास की चुनौती: कालचक्र के पार, ज्ञान की धार
इतिहास के गलियारों में आपका स्वागत है, जहाँ हर प्रश्न एक यात्रा है और हर उत्तर ज्ञान का एक नया द्वार खोलता है! आज हम आपको प्राचीनता की गहराइयों से लेकर आधुनिकता की बुलंदियों तक ले चलेंगे। अपनी तैयारी को परखें, अपने ज्ञान को धार दें, और देखें कि आप इतिहास के इस महा-अभ्यास में कितने अव्वल आते हैं!
इतिहास अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और दिए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: हड़प्पा सभ्यता का कौन सा स्थल ‘सिंधु का बाग’ (Garden of Sindh) कहलाता था?
- हड़प्पा
- मोहनजोदड़ो
- लोथल
- कालीबंगा
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: मोहनजोदड़ो को ‘सिंधु का बाग’ या ‘मृतकों का टीला’ (Mound of the Dead) भी कहा जाता है। यह सिंधु घाटी सभ्यता का एक प्रमुख स्थल था, जो वर्तमान पाकिस्तान के सिंध प्रांत में स्थित है।
- संदर्भ और विस्तार: मोहनजोदड़ो की खोज 1922 में राखालदास बनर्जी ने की थी। यहाँ से मिली विशाल स्नानागार (Great Bath), अन्नागार, कांस्य की नर्तकी की मूर्ति, और मुहरें इस सभ्यता के उन्नत शहरी नियोजन और कला का प्रमाण हैं। ‘सिंधु का बाग’ नाम संभवतः इसकी समृद्ध जल व्यवस्था और उपजाऊ भूमि के कारण दिया गया होगा।
- गलत विकल्प: हड़प्पा पहला स्थल था जहाँ से सभ्यता की खोज हुई। लोथल एक महत्वपूर्ण बंदरगाह शहर था, और कालीबंगा अपने अग्निकुंडों के लिए प्रसिद्ध है।
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सी लिपि ‘चित्रमय’ (Pictographic) थी?
- ब्राह्मी लिपि
- खरोष्ठी लिपि
- सिंधु लिपि
- देवनागरी लिपि
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: सिंधु लिपि, जो सिंधु घाटी सभ्यता (लगभग 2500-1750 ईसा पूर्व) में प्रयुक्त होती थी, मुख्य रूप से चित्रमय थी। यद्यपि इसे अभी तक पूरी तरह से पढ़ा नहीं जा सका है, इसके चिह्नों में चित्रों का स्पष्ट प्रभाव दिखता है।
- संदर्भ और विस्तार: सिंधु लिपि का प्रयोग मुहरों, मृद्भांडों और तांबे की पट्टिकाओं पर किया जाता था। इसके विपरीत, ब्राह्मी लिपि (जिससे देवनागरी विकसित हुई) और खरोष्ठी लिपि (जो दाएं से बाएं लिखी जाती थी) अधिक विकसित और ध्वन्यात्मक लिपियाँ थीं।
- गलत विकल्प: ब्राह्मी, खरोष्ठी और देवनागरी लिपियाँ ध्वनि-आधारित (phonetic) या वर्णमाला-आधारित (alphabetic) हैं, न कि विशुद्ध रूप से चित्रमय।
प्रश्न 3: ‘गांधी-इरविन समझौता’ कब हुआ था?
- 1925
- 1929
- 1931
- 1935
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: गांधी-इरविन समझौता 5 मार्च 1931 को हुआ था। यह समझौता भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और ब्रिटिश सरकार के बीच दूसरे गोलमेज सम्मेलन से पहले हुआ था।
- संदर्भ और विस्तार: लॉर्ड इरविन, तत्कालीन भारत के वायसराय, और महात्मा गांधी के बीच इस समझौते में सविनय अवज्ञा आंदोलन को स्थगित करने और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के दूसरे गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने पर सहमति बनी थी। समझौते के तहत, ब्रिटिश सरकार ने राजनीतिक कैदियों को रिहा करने और जब्त की गई संपत्तियों को लौटाने का भी वादा किया था।
- गलत विकल्प: 1925 में कांग्रेस का कानपुर अधिवेशन हुआ था। 1929 में कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव पारित किया था। 1935 भारत सरकार अधिनियम (Government of India Act) से संबंधित है।
प्रश्न 4: ‘गदर’ पार्टी का मुख्यालय कहाँ स्थित था?
- लंदन
- न्यूयॉर्क
- सैन फ्रांसिस्को
- बर्लिन
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: गदर पार्टी का मुख्यालय संयुक्त राज्य अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को शहर में स्थित था।
- संदर्भ और विस्तार: ‘हिन्दustan गदर पार्टी’ की स्थापना 1913 में लाला हरदयाल, सोहन सिंह भकना और अन्य भारतीय देशभक्तों द्वारा की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य भारत को ब्रिटिश शासन से मुक्त कराना था। ‘गदर’ नामक साप्ताहिक समाचार पत्र, जो उर्दू, पंजाबी और हिंदी में प्रकाशित होता था, पार्टी का मुख्य प्रचार माध्यम था।
- गलत विकल्प: लंदन में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और अन्य राष्ट्रवादी संगठनों की गतिविधियाँ होती थीं। न्यूयॉर्क में भी कुछ भारतीय प्रवासी सक्रिय थे, लेकिन मुख्य मुख्यालय सैन फ्रांसिस्को में था। बर्लिन में भी भारतीय क्रांतिकारियों की कुछ गतिविधियाँ हुईं, विशेषकर प्रथम विश्व युद्ध के दौरान।
प्रश्न 5: मौर्य काल में ‘टक्साल’ का प्रधान अधिकारी क्या कहलाता था?
- सन्निकाल
- लक्षणाध्यक्ष
- कोषाध्यक्ष
- पण्याध्यक्ष
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: मौर्य काल में टक्साल (mint) का प्रधान अधिकारी ‘लक्षणाध्यक्ष’ कहलाता था।
- संदर्भ और विस्तार: अर्थशास्त्र में, कौटिल्य ने विभिन्न राजकीय विभागों और उनके अधिकारियों का विस्तृत वर्णन किया है। लक्षणाध्यक्ष का कार्य सिक्कों के निर्माण, उनकी गुणवत्ता और उनकी शुद्धता की देखरेख करना था।
- गलत विकल्प: सन्निकाल कोषागार का अधिकारी था। कोषाध्यक्ष एक सामान्य शब्द है। पण्याध्यक्ष वाणिज्य (trade) और व्यापार का अधिकारी था।
प्रश्न 6: ‘दीन-ए-इलाही’ की शुरुआत किस मुगल सम्राट ने की थी?
- हुमायूँ
- अकबर
- जहाँगीर
- शाहजहाँ
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: ‘दीन-ए-इलाही’ (Divine Faith) की शुरुआत मुगल सम्राट अकबर ने 1582 ईस्वी में की थी।
- संदर्भ और विस्तार: दीन-ए-इलाही अकबर की धार्मिक सहिष्णुता और सभी प्रमुख धर्मों के मूल सिद्धांतों को मिलाकर एक नए पंथ की स्थापना करने की एक महत्वाकांक्षी कोशिश थी। यह विशुद्ध रूप से धर्म नहीं, बल्कि एक जीवन-दर्शन था, जिसका उद्देश्य सभी धर्मों के अनुयायियों को एक साथ लाना था। हालाँकि, यह आम लोगों के बीच लोकप्रिय नहीं हो सका और अकबर के जीवनकाल तक ही सीमित रहा।
- गलत विकल्प: हुमायूँ अकबर के पिता थे। जहाँगीर और शाहजहाँ अन्य महत्वपूर्ण मुगल सम्राट थे, लेकिन दीन-ए-इलाही की शुरुआत अकबर ने की थी।
प्रश्न 7: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का प्रथम अधिवेशन कहाँ हुआ था?
- कोलकाता
- बम्बई (मुंबई)
- मद्रास (चेन्नई)
- इलाहाबाद (प्रयागराज)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का प्रथम अधिवेशन 28-31 दिसंबर 1885 को बम्बई (वर्तमान मुंबई) के गोकुलदास तेजपाल संस्कृत पाठशाला में आयोजित किया गया था।
- संदर्भ और विस्तार: इस अधिवेशन की अध्यक्षता व्योमेश चंद्र बनर्जी (W.C. Bonnerjee) ने की थी और इसमें 72 प्रतिनिधियों ने भाग लिया था। इस अधिवेशन ने ब्रिटिश सरकार के समक्ष अपनी माँगों को प्रस्तुत करने के लिए एक मंच प्रदान किया। इसके संस्थापक सदस्यों में ए.ओ. ह्यूम, दादाभाई नौरोजी और दिनशा वाचा प्रमुख थे।
- गलत विकल्प: कांग्रेस के अन्य महत्वपूर्ण अधिवेशन कोलकाता (1886, 1896, 1906, 1920), मद्रास (1887, 1894, 1914) और इलाहाबाद (1888, 1892, 1910) में हुए थे, लेकिन प्रथम अधिवेशन बम्बई में हुआ था।
प्रश्न 8: ‘शिवाजी का तानाशाही’ (Shivaji’s Dictatorship) नामक पुस्तक के लेखक कौन थे?
- जदुनाथ सरकार
- RNN.SER
- RNN.SER
- RNN.SER
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: ‘शिवाजी एंड हिज टाइम्स’ (Shivaji and His Times) नामक प्रसिद्ध पुस्तक के लेखक जदुनाथ सरकार थे। यद्यपि सीधे तौर पर ‘शिवाजी का तानाशाही’ नामक पुस्तक का उल्लेख उनके कार्यों में नहीं मिलता, सरकार के कार्यों में शिवाजी के शासन को कभी-कभी निरंकुश या तानाशाही के करीब माना गया है, जिससे यह गलतफहमी हो सकती है।
- संदर्भ और विस्तार: सर जदुनाथ सरकार (1870-1958) भारत के सबसे प्रतिष्ठित इतिहासकार थे, जिन्होंने मुगल काल और मराठा साम्राज्य पर विस्तृत शोध किया। उनकी ‘शिवाजी एंड हिज टाइम्स’ शिवाजी के जीवन और शासनकाल पर एक मानक कार्य मानी जाती है। उनके विश्लेषण में शिवाजी की प्रशासनिक और सैन्य कुशलताओं पर प्रकाश डाला गया है।
- गलत विकल्प: अन्य विकल्प सही ऐतिहासिक व्यक्तित्व नहीं हैं या उनके कार्यों का शिवाजी के अध्ययन से सीधा संबंध नहीं है।
प्रश्न 9: निम्नलिखित में से कौन सा वेद ‘भारतीय संगीत का जनक’ कहलाता है?
- ऋग्वेद
- यजुर्वेद
- सामवेद
- अथर्ववेद
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: सामवेद को ‘भारतीय संगीत का जनक’ माना जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: सामवेद में मुख्य रूप से ऋग्वेद के मंत्रों का संग्रह है, जिन्हें गेय रूप में (sonally) प्रस्तुत किया गया है। ये मंत्र यज्ञों के अवसर पर देवताओं की स्तुति में गाए जाते थे। इसलिए, सामवेद को भारतीय शास्त्रीय संगीत और गायन का मूल स्रोत माना जाता है।
- गलत विकल्प: ऋग्वेद सबसे प्राचीन वेद है, जिसमें मुख्य रूप से देवताओं की स्तुति है। यजुर्वेद यज्ञों के नियमों और मंत्रों से संबंधित है। अथर्ववेद में जादू-टोना, चिकित्सा और तंत्र-मंत्र का वर्णन है।
प्रश्न 10: ‘सबका मलिक एक है’ यह किसने कहा था?
- कबीर
- गुरु नानक
- चैतन्य महाप्रभु
- वल्लभाचार्य
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: ‘सबका मालिक एक है’ यह प्रसिद्ध कथन संत कबीरदास का है।
- संदर्भ और विस्तार: कबीरदास 15वीं शताब्दी के एक महान संत, कवि और समाज सुधारक थे। उन्होंने एकेश्वरवाद, प्रेम, एकता और सामाजिक समानता पर जोर दिया। उनका यह कथन ईश्वर की सर्वव्यापकता और एकता में उनके गहरे विश्वास को दर्शाता है। वे हिन्दू और मुस्लिम दोनों धर्मों की रूढ़ियों पर प्रहार करते थे।
- गलत विकल्प: गुरु नानक देव (15वीं-16वीं शताब्दी) सिख धर्म के संस्थापक थे, जिन्होंने भी एकेश्वरवाद पर बल दिया, लेकिन यह विशिष्ट कथन कबीर का है। चैतन्य महाप्रभु और वल्लभाचार्य भक्ति काल के अन्य प्रमुख संत थे।
प्रश्न 11: ‘विधवा पुनर्विवाह अधिनियम’ कब पारित हुआ?
- 1848
- 1856
- 1861
- 1872
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: विधवा पुनर्विवाह अधिनियम 1856 में पारित हुआ था।
- संदर्भ और विस्तार: इस अधिनियम को पारित करवाने में ईश्वर चंद्र विद्यासागर का महत्वपूर्ण योगदान था। लॉर्ड डलहौजी ने इस कानून का मसौदा तैयार करवाया था, और लॉर्ड कैनिंग के कार्यकाल में यह कानून बना। इस अधिनियम ने हिंदू समाज में विधवाओं के पुनर्विवाह को कानूनी मान्यता दी, जो उस समय एक अत्यंत महत्वपूर्ण सामाजिक सुधार था।
- गलत विकल्प: 1848 में लॉर्ड डलहौजी गवर्नर-जनरल बने। 1861 में भारतीय परिषद अधिनियम (Indian Councils Act) और भारतीय उच्च न्यायालय अधिनियम (Indian High Courts Act) पारित हुए। 1872 में नेटिव मैरिज एक्ट (Native Marriage Act) पारित हुआ।
प्रश्न 12: ‘द फर्स्ट वार ऑफ इंडियन इंडिपेंडेंस’ (The First War of Indian Independence) नामक पुस्तक किसने लिखी?
- विनायक दामोदर सावरकर
- भगत सिंह
- सुभाष चंद्र बोस
- लाल बहादुर शास्त्री
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: ‘द फर्स्ट वार ऑफ इंडियन इंडिपेंडेंस’ (The First War of Indian Independence), जिसे हिंदी में ‘भारतीय स्वतंत्रता का प्रथम संग्राम’ कहा जाता है, नामक पुस्तक विनायक दामोदर सावरकर (वीर सावरकर) द्वारा लिखी गई थी।
- संदर्भ और विस्तार: इस पुस्तक में सावरकर ने 1857 के भारतीय विद्रोह को एक सुनियोजित स्वतंत्रता संग्राम के रूप में प्रस्तुत किया, न कि केवल एक सैनिक विद्रोह के रूप में। यह पुस्तक 1909 में प्रकाशित हुई थी और इसने 1857 के विद्रोह के प्रति राष्ट्रवादी दृष्टिकोण को बढ़ावा दिया।
- गलत विकल्प: भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस और लाल बहादुर शास्त्री स्वतंत्रता सेनानी थे, लेकिन यह विशिष्ट पुस्तक वीर सावरकर की रचना है।
प्रश्न 13: निम्नलिखित में से किस शासक को ‘भारत का नेपोलियन’ कहा जाता है?
- चंद्रगुप्त मौर्य
- अशोक
- समुद्रगुप्त
- हर्षवर्धन
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: गुप्त शासक समुद्रगुप्त को ‘भारत का नेपोलियन’ कहा जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह उपाधि प्रसिद्ध इतिहासकार वी. ए. स्मिथ ने अपनी पुस्तक ‘अर्ली हिस्ट्री ऑफ इंडिया’ में दी थी। समुद्रगुप्त अपनी विजय अभियानों और विशाल साम्राज्य के कारण यह उपाधि प्राप्त करने का हकदार था। उसने उत्तर भारत के लगभग सभी राज्यों को जीता और दक्षिणापथ के कई शासकों को भी हराया। उसकी सेनाओं ने मध्य एशिया तक अभियान किए थे।
- गलत विकल्प: चंद्रगुप्त मौर्य ने मौर्य साम्राज्य की स्थापना की। अशोक ने अपने शासनकाल में कलिंग युद्ध के बाद बौद्ध धर्म अपनाया। हर्षवर्धन ने उत्तर भारत में एक विशाल साम्राज्य स्थापित किया था, लेकिन समुद्रगुप्त की सैन्य विजयें अधिक व्यापक थीं।
प्रश्न 14: ‘तारीख-ए-फिरोजशाही’ का लेखक कौन था?
- अमीर खुसरो
- जियाउद्दीन बरनी
- इब्न बतूता
- मिन्हाज-उस-सिराज
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: ‘तारीख-ए-फिरोजशाही’ (Tariq-i-Firoz Shahi) के लेखक जियाउद्दीन बरनी थे।
- संदर्भ और विस्तार: जियाउद्दीन बरनी (1285-1357) दिल्ली सल्तनत के एक प्रमुख इतिहासकार थे। उन्होंने यह पुस्तक तुगलक वंश के शासक फिरोजशाह तुगलक के शासनकाल (1351-1388) में लिखी थी। यह पुस्तक मुहम्मद बिन तुगलक और फिरोजशाह तुगलक के शासनकाल की विस्तृत जानकारी प्रदान करती है।
- गलत विकल्प: अमीर खुसरो ने ‘तुगलकनामा’ जैसी रचनाएँ कीं। इब्न बतूता एक प्रसिद्ध मोरक्को यात्री थे जिन्होंने ‘रेहला’ लिखी। मिन्हाज-उस-सिराज ने ‘तबकात-ए-नासिरी’ लिखी, जो प्रारंभिक सल्तनत काल का महत्वपूर्ण स्रोत है।
प्रश्न 15: ‘हड़प्पा सभ्यता’ का सर्वाधिक महत्वपूर्ण लक्षण क्या था?
- संगीत और नृत्य
- नियोजित शहरी जीवन
- धातु का प्रयोग
- पशुपालन
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: हड़प्पा सभ्यता का सर्वाधिक महत्वपूर्ण और विशिष्ट लक्षण उसका ‘नियोजित शहरी जीवन’ था।
- संदर्भ और विस्तार: हड़प्पा और मोहनजोदड़ो जैसे शहरों में पक्की ईंटों के बने मकान, सुनियोजित सड़कें, जल निकासी व्यवस्था (नालियाँ), स्नानागार और अन्नागार जैसी संरचनाएँ तत्कालीन उन्नत नागरिक नियोजन का प्रमाण हैं। यह विशेषता उन्हें अपने समकालीन सभ्यताओं से अलग करती थी।
- गलत विकल्प: संगीत, नृत्य, धातु का प्रयोग (तांबा, कांसे) और पशुपालन भी हड़प्पा सभ्यता के महत्वपूर्ण पहलू थे, लेकिन नियोजित शहरीकरण उनकी सबसे विशिष्ट पहचान थी।
प्रश्न 16: ‘जलियानवाला बाग हत्याकांड’ कब हुआ था?
- 13 अप्रैल 1917
- 13 अप्रैल 1918
- 13 अप्रैल 1919
- 13 अप्रैल 1920
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: जलियानवाला बाग हत्याकांड 13 अप्रैल 1919 को हुआ था।
- संदर्भ और विस्तार: यह घटना अमृतसर, पंजाब में हुई थी, जहाँ जनरल डायर के आदेश पर निहत्थे शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर गोलियाँ चलाई गईं। यह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की सबसे दर्दनाक घटनाओं में से एक है और इसने ब्रिटिश शासन के प्रति भारतीयों में तीव्र रोष उत्पन्न किया। इस दिन बैसाखी का पर्व मनाया जा रहा था।
- गलत विकल्प: दिए गए अन्य विकल्प गलत वर्ष हैं। 1917 में गांधीजी का चंपारण सत्याग्रह हुआ था। 1920 में असहयोग आंदोलन शुरू हुआ।
प्रश्न 17: ‘गुप्त काल’ को ‘भारतीय इतिहास का स्वर्ण युग’ क्यों कहा जाता है?
- क्योंकि इस काल में गुप्तों ने अपना साम्राज्य बहुत विस्तृत किया।
- क्योंकि इस काल में कला, साहित्य, विज्ञान और संस्कृति का अभूतपूर्व विकास हुआ।
- क्योंकि इस काल में बाहरी आक्रमण लगभग नहीं हुए।
- क्योंकि इस काल में दशमलव प्रणाली का विकास हुआ।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: गुप्त काल को ‘भारतीय इतिहास का स्वर्ण युग’ कहा जाता है क्योंकि इस काल में कला, साहित्य, विज्ञान, गणित, खगोल विज्ञान और दर्शन जैसे विभिन्न क्षेत्रों में अभूतपूर्व प्रगति हुई थी।
- संदर्भ और विस्तार: इस काल में कालिदास जैसे महान कवियों ने साहित्य की रचना की, आर्यभट्ट जैसे खगोलविदों ने गणित और खगोल विज्ञान में महत्वपूर्ण योगदान दिया (जैसे ‘शून्य’ और दशमलव प्रणाली का विकास), और अजंता की गुफाओं में चित्रकला का उत्कृष्ट विकास हुआ। चंद्रगुप्त द्वितीय के दरबार में नवरत्न थे।
- गलत विकल्प: यद्यपि गुप्त साम्राज्य विस्तृत हुआ (a), और बाहरी आक्रमण कम थे (c), और दशमलव प्रणाली का विकास हुआ (d), इन सभी से बढ़कर कला, साहित्य और विज्ञान के समग्र विकास के कारण इसे स्वर्ण युग कहा जाता है।
प्रश्न 18: ‘अष्टप्रधान’ का गठन किसने किया था?
- चंद्रगुप्त मौर्य
- अशोक
- समुद्रगुप्त
- शिवाजी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: ‘अष्टप्रधान’ (Eight Ministers) का गठन मराठा शासक शिवाजी महाराज ने किया था।
- संदर्भ और विस्तार: अष्टप्रधान शिवाजी की मंत्रिपरिषद थी, जिसमें आठ मंत्री शामिल थे जो राज्य के विभिन्न प्रशासनिक और सैन्य कार्यों की देखरेख करते थे। इन मंत्रियों में पेशवा (प्रधानमंत्री), अमात्य (वित्त मंत्री), सचिव (सरकारी कागजात का अधिकारी), सुमंत (विदेश मंत्री), सेनापति (सेना प्रमुख), पंडितराव (धार्मिक मामले), न्यायाधीश (न्याय अधिकारी) और वाकयानवीस (सूचना एवं गुप्तचर प्रमुख) शामिल थे।
- गलत विकल्प: चंद्रगुप्त मौर्य, अशोक और समुद्रगुप्त प्राचीन भारत के शक्तिशाली शासक थे, लेकिन उन्होंने इस प्रकार की प्रशासनिक व्यवस्था स्थापित नहीं की थी।
प्रश्न 19: ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ का प्रस्ताव कांग्रेस के किस अधिवेशन में पारित हुआ?
- लखनऊ, 1931
- फैजपुर, 1936
- रामगढ़, 1940
- बम्बई, 1942
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ (Quit India Movement) का प्रस्ताव 8 अगस्त 1942 को बम्बई (वर्तमान मुंबई) में आयोजित कांग्रेस के अधिवेशन में पारित हुआ था।
- संदर्भ और विस्तार: इस अधिवेशन में महात्मा गांधी ने ‘करो या मरो’ (Do or Die) का नारा दिया और देशव्यापी सविनय अवज्ञा आंदोलन का आह्वान किया। इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य ब्रिटिश शासन को तुरंत समाप्त करना था।
- गलत विकल्प: लखनऊ अधिवेशन 1916 में हुआ था, जहाँ कांग्रेस-लीग समझौता हुआ। फैजपुर अधिवेशन 1936 में हुआ, जिसकी अध्यक्षता नेहरू ने की। रामगढ़ अधिवेशन 1940 में हुआ, जहाँ व्यक्तिगत सत्याग्रह का प्रस्ताव पारित हुआ।
प्रश्न 20: ‘इंकलाब जिंदाबाद’ का नारा किसने दिया था?
- भगत सिंह
- मोहम्मद इकबाल
- महात्मा गांधी
- जवाहरलाल नेहरू
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: ‘इंकलाब जिंदाबाद’ (Long Live the Revolution) का नारा भगत सिंह और उनके साथियों ने दिया था।
- संदर्भ और विस्तार: इस नारे को पहली बार उर्दू कवि मौलाना हसरत मोहानी ने 1921 में गढ़ा था, लेकिन इसे भगत सिंह ने अधिक लोकप्रिय बनाया, खासकर 1929 में दिल्ली की केंद्रीय विधानसभा में बम फेंकने के बाद। यह नारा भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान देशभक्ति और क्रांतिकारी भावना का प्रतीक बन गया।
- गलत विकल्प: मोहम्मद इकबाल ने ‘सारे जहाँ से अच्छा’ लिखा था। गांधीजी और नेहरू के अपने विशिष्ट नारे और विचार थे।
प्रश्न 21: ‘सिंधु घाटी सभ्यता’ के किस स्थल से ‘घोड़े के अवशेष’ मिले हैं?
- हड़प्पा
- मोहनजोदड़ो
- लोथल
- सुरकोतदा
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: सिंधु घाटी सभ्यता के स्थल सुरकोतदा (Surkotada) से घोड़े के अवशेष प्राप्त हुए हैं।
- संदर्भ और विस्तार: सुरकोतदा गुजरात में स्थित है। यहाँ से घोड़े की अस्थियाँ और एक कब्रगाह भी मिला है। यद्यपि इस पर अभी भी बहस है कि ये अवशेष कितने प्रामाणिक हैं और क्या वे पालतू घोड़े के हैं, लेकिन अभी तक के साक्ष्य सुरकोतदा को घोड़े से संबंधित मानते हैं।
- गलत विकल्प: हड़प्पा, मोहनजोदड़ो और लोथल जैसे प्रमुख स्थलों से घोड़े के महत्वपूर्ण या स्पष्ट अवशेष नहीं मिले हैं, जबकि सुरकोतदा से मिले हैं।
प्रश्न 22: ‘पुनर्जागरण’ (Renaissance) का आरंभ कहाँ हुआ था?
- फ्रांस
- इटली
- इंग्लैंड
- जर्मनी
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: पुनर्जागरण (Renaissance) का आरंभ यूरोप के इटली देश में हुआ था।
- संदर्भ और विस्तार: पुनर्जागरण 14वीं शताब्दी में शुरू हुआ और यह मध्ययुगीन काल से आधुनिक काल में संक्रमण का काल था। इस दौरान कला, साहित्य, दर्शन, विज्ञान और राजनीति में महान परिवर्तन हुए। इटली के फ्लोरेंस, वेनिस, रोम जैसे शहर इस आंदोलन के केंद्र बने। यूनानी और रोमन शास्त्रीय संस्कृति का पुनरुज्जीवन इसका प्रमुख तत्व था।
- गलत विकल्प: पुनर्जागरण के विचारों का प्रसार बाद में फ्रांस, इंग्लैंड, जर्मनी आदि देशों में हुआ, लेकिन इसका उद्गम इटली ही था।
प्रश्न 23: ‘आजीवक संप्रदाय’ के संस्थापक कौन थे?
- अनिरुद्ध
- पार्श्वनाथ
- मक्खली गोशाल
- गोपाल
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: आजीवक संप्रदाय के संस्थापक मक्खली गोशाल (Makkhali Gosala) थे।
- संदर्भ और विस्तार: आजीवक संप्रदाय एक श्रमण परंपरा थी जो जैन और बौद्ध धर्म के समानांतर विकसित हुई। यह छठी शताब्दी ईसा पूर्व में उभरा। मक्खली गोशाल भाग्यवादी (Niyativadi) थे और उनका मानना था कि सब कुछ पूर्व-निर्धारित है और मनुष्य के कर्मों का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। यह संप्रदाय विशेष रूप से मौर्य काल में, विशेषकर बिंबिसार और अशोक के समय, प्रभावशाली रहा।
- गलत विकल्प: अनिरुद्ध बौद्ध धर्म से संबंधित हैं। पार्श्वनाथ 23वें जैन तीर्थंकर थे। गोपाल किसी प्रमुख दार्शनिक संप्रदाय के संस्थापक नहीं थे।
प्रश्न 24: ‘भारत की सबसे पुरानी आवासीय सभ्यता’ किसे माना जाता है?
- वैदिक सभ्यता
- सिंधु घाटी सभ्यता
- महाजनपद काल
- मौर्य साम्राज्य
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: भारत की सबसे पुरानी **नगरीय** (Urban) और **आवासीय** (Settled) सभ्यता **सिंधु घाटी सभ्यता** को माना जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: सिंधु घाटी सभ्यता (लगभग 2500-1750 ईसा पूर्व) अपने सुनियोजित शहरों, पक्की ईंटों के मकानों और उन्नत जल निकासी व्यवस्था के लिए जानी जाती है। यह एक नगरीय सभ्यता थी जहाँ लोग एक व्यवस्थित जीवन जीते थे।
- गलत विकल्प: वैदिक सभ्यता (लगभग 1500-600 ईसा पूर्व) मुख्य रूप से ग्रामीण थी और इसका विकास सिंधु सभ्यता के पतन के बाद हुआ। महाजनपद काल और मौर्य साम्राज्य सिंधु सभ्यता के बहुत बाद के हैं।
प्रश्न 25: ‘साम्राज्य को एक विस्तृत चरागाह’ (Empire as a grazing ground) किसने कहा था?
- लॉर्ड डलहौजी
- लॉर्ड कर्जन
- दादाभाई नौरोजी
- गांधीजी
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: ‘दादाभाई नौरोजी’ ने ब्रिटिश शासन के तहत भारत की आर्थिक स्थिति का वर्णन करते हुए ब्रिटिश साम्राज्य को ‘एक विस्तृत चरागाह’ (A vast grazing ground) कहा था, जिसका अर्थ था कि ब्रिटिश अपनी आर्थिक आवश्यकताओं के लिए भारत का दोहन कर रहे थे।
- संदर्भ और विस्तार: दादाभाई नौरोजी, जिन्हें ‘भारत का वयोवृद्ध पुरुष’ (Grand Old Man of India) भी कहा जाता है, ने अपनी प्रसिद्ध ‘ड्रेन थ्योरी’ (Drain Theory) में बताया कि कैसे ब्रिटेन भारत से धन और संसाधनों का शोषण कर रहा है। उनके अनुसार, ब्रिटिश भारत को केवल कच्चे माल और तैयार माल के लिए एक बाजार के रूप में देखते थे, जिससे भारत की अर्थव्यवस्था का निरंतर ह्रास हो रहा था।
- गलत विकल्प: लॉर्ड डलहौजी और लॉर्ड कर्जन ब्रिटिश वायसराय थे जिन्होंने भारत पर शासन किया, लेकिन यह विश्लेषण दादाभाई नौरोजी का था। गांधीजी ने आर्थिक आत्मनिर्भरता पर जोर दिया, लेकिन यह विशिष्ट उपाधि नौरोजी की थी।