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आज का समाजशास्त्र चैलेंज: अवधारणाओं का महासंग्राम

आज का समाजशास्त्र चैलेंज: अवधारणाओं का महासंग्राम

अपने समाजशास्त्रीय ज्ञान की गहराई और स्पष्टता को परखने के लिए तैयार हो जाइए! यह रोज़ाना का अभ्यास सत्र आपको मुख्य समाजशास्त्रीय अवधारणाओं, विचारकों और सिद्धांतों में आपकी महारत को मजबूत करने में मदद करेगा। आइए, आज के 25 बहुविकल्पीय प्रश्नों के साथ अपनी तैयारी को नई दिशा दें और अपनी विश्लेषणात्मक क्षमता को धार दें!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान की गई विस्तृत व्याख्याओं के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: ‘सामाजिक तथ्य’ (Social Facts) की अवधारणा किसने प्रतिपादित की, जिसे उन्होंने समाज के बाहर मौजूद और व्यक्ति पर बाध्यकारी बाहरी संरचनाओं के रूप में परिभाषित किया?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. मैक्स वेबर
  3. एमिल दुर्खीम
  4. हरबर्ट स्पेंसर

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: एमिल दुर्खीम ने ‘सामाजिक तथ्य’ की अवधारणा प्रस्तुत की। उन्होंने इसे इस प्रकार परिभाषित किया: “हर वो तरीका, चाहे वह कुछ भी हो, जो व्यक्ति पर बाध्यकारी शक्ति का प्रयोग करता है, चाहे वह बाध्यता स्पष्ट हो या अप्रत्यक्ष…”। ये तथ्य समाज में पाए जाते हैं, व्यक्ति से स्वतंत्र होते हैं और उन्हें बाध्य करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम की यह अवधारणा उनके समाजशास्त्र को एक विज्ञान के रूप में स्थापित करने के प्रयास का मूल थी, जैसा कि उनकी पुस्तक ‘समाजशास्त्रीय पद्धति के नियम’ (The Rules of Sociological Method) में वर्णित है। उन्होंने इसे मनोविज्ञान और दर्शनशास्त्र से अलग करने के लिए सामाजिक तथ्यों का अध्ययन ‘वस्तुओं की तरह’ करने पर जोर दिया।
  • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स वर्ग संघर्ष और आर्थिक निर्धारणवाद पर केंद्रित थे। मैक्स वेबर ने ‘वर्टेहेन’ (Verstehen) और सामाजिक क्रिया के अर्थ को समझने पर जोर दिया। हरबर्ट स्पेंसर ने सामाजिक विकास के लिए जैविक विकासवाद के सिद्धांतों को लागू किया।

प्रश्न 2: मार्क्स के अनुसार, पूँजीवादी समाज में श्रमिक अपने उत्पादन के साधनों से, अपनी श्रम प्रक्रिया से और अपने श्रम के उत्पाद से जो अलगाव (Alienation) महसूस करता है, उसके मुख्य कारण क्या हैं?

  1. व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति न होना
  2. समाजवादी विचारधारा का अभाव
  3. उत्पादन के साधनों पर निजी स्वामित्व और श्रम का विभाजन
  4. धार्मिक विश्वासों का दमन

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: कार्ल मार्क्स के ‘अलगाव’ (Alienation) के सिद्धांत के अनुसार, पूँजीवादी उत्पादन प्रणाली में श्रमिक अपने श्रम से, उत्पादन के साधनों से, स्वयं से और अन्य मनुष्यों से अलग-थलग महसूस करता है। इसका मूल कारण उत्पादन के साधनों पर पूँजीपतियों का निजी स्वामित्व और श्रम का अत्यधिक विशेषीकरण (Specialization) या विभाजन है, जिससे श्रमिक अपने काम में सार्थकता नहीं ढूंढ पाता।
  • संदर्भ और विस्तार: मार्क्स ने अपनी ‘आर्थिक और दार्शनिक पांडुलिपियां 1844’ (Economic and Philosophic Manuscripts of 1844) में इस अवधारणा का विस्तार से वर्णन किया है। यह पूँजीवाद की आलोचना का एक केंद्रीय बिंदु है।
  • गलत विकल्प: व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाएं व्यक्तिगत मनोवैज्ञानिक मुद्दे हैं, मार्क्स के अनुसार अलगाव का मूल कारण संरचनात्मक है। समाजवादी विचारधारा का अभाव अलगाव का कारण नहीं, बल्कि उससे निकलने का संभावित मार्ग हो सकता है। धार्मिक विश्वासों का दमन भी मार्क्स द्वारा ‘जनता की अफीम’ कहे जाने वाले धर्म के बारे में उनके विचारों से मेल नहीं खाता, जो अलगाव को बनाए रखने में भूमिका निभा सकता है।

प्रश्न 3: मैक्स वेबर ने सत्ता (Authority) के तीन आदर्श प्रकारों का वर्णन किया है। निम्नलिखित में से कौन सा एक उनके द्वारा वर्णित प्रकार नहीं है?

  1. तर्कसंगत-वैधानिक सत्ता (Rational-Legal Authority)
  2. परंपरागत सत्ता (Traditional Authority)
  3. करिश्माई सत्ता (Charismatic Authority)
  4. नौकरशाही सत्ता (Bureaucratic Authority)

उत्तर: (d)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: मैक्स वेबर ने सत्ता के तीन आदर्श प्रकारों का वर्णन किया है: 1. तर्कसंगत-वैधानिक सत्ता (जैसे आधुनिक राज्यों में कानून और नियमों पर आधारित), 2. परंपरागत सत्ता (जैसे राजशाही या पैतृक प्रमुखता), और 3. करिश्माई सत्ता (जैसे असाधारण व्यक्तिगत गुणों वाले नेता)। नौकरशाही, वेबर के अनुसार, तर्कसंगत-वैधानिक सत्ता का ही एक विशिष्ट रूप है, न कि सत्ता का एक स्वतंत्र प्रकार।
  • संदर्भ और विस्तार: वेबर ने अपनी महत्वपूर्ण कृति ‘अर्थव्यवस्था और समाज’ (Economy and Society) में इन अवधारणाओं को समझाया है। उन्होंने दिखाया कि कैसे इन विभिन्न प्रकार की सत्ताएँ सामाजिक व्यवस्था और परिवर्तन को प्रभावित करती हैं।
  • गलत विकल्प: तर्कसंगत-वैधानिक, परंपरागत और करिश्माई सत्ता वेबर द्वारा स्पष्ट रूप से वर्गीकृत सत्ता के प्रकार हैं। नौकरशाही स्वयं इन तीनों में से, विशेष रूप से तर्कसंगत-वैधानिक सत्ता, के तहत कार्य करती है।

प्रश्न 4: एमएन श्रीनिवास द्वारा प्रस्तुत ‘संस्कृतिकरण’ (Sanskritization) की अवधारणा का सबसे उपयुक्त अर्थ क्या है?

  1. पश्चिमी संस्कृति को अपनाना
  2. किसी निम्न जाति का उच्च जाति की रीति-रिवाजों, कर्मकांडों और विचारधाराओं को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति में सुधार लाने का प्रयास
  3. आधुनिकीकरण की प्रक्रिया
  4. शहरी जीवन शैली को अपनाना

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: एमएन श्रीनिवास ने ‘संस्कृतिकरण’ शब्द को गढ़ा, जिसका अर्थ है कि निम्न जाति या जनजाति की प्रक्रिया, जो किसी उच्च (अक्सर द्विजा) जाति के रीति-रिवाजों, कर्मकांडों, विचारधाराओं और जीवन शैली को अपनाती है, ताकि वे उसी जाति की पदानुक्रम में उच्च स्थिति प्राप्त कर सकें।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा श्रीनिवास की पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में पहली बार प्रस्तुत की गई थी। यह भारत में सामाजिक गतिशीलता का एक महत्वपूर्ण रूप है, जो सांस्कृतिक परिवर्तन पर केंद्रित है।
  • गलत विकल्प: पश्चिमीकरण पश्चिमी संस्कृति को अपनाने से संबंधित है। आधुनिकीकरण एक व्यापक प्रक्रिया है जिसमें प्रौद्योगिकी, संस्थागत परिवर्तन और धर्मनिरपेक्षीकरण शामिल हैं। शहरीकरण शहरी जीवन शैली को अपनाने से संबंधित है।

प्रश्न 5: दुर्खीम के अनुसार, वह स्थिति जब सामाजिक मानदंड (Social Norms) कमजोर या अनुपस्थित हो जाते हैं, जिससे व्यक्ति को दिशाहीनता का अनुभव होता है, क्या कहलाती है?

  1. अलगाव (Alienation)
  2. विसंगति (Anomie)
  3. पदानुक्रम (Hierarchy)
  4. सामूहिकता (Collectivism)

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: एमिल दुर्खीम ने ‘विसंगति’ (Anomie) की अवधारणा का प्रयोग सामाजिक व्यवस्था के उस विघटनकारी अवस्था का वर्णन करने के लिए किया, जहाँ व्यक्ति सामाजिक मानदंडों और मूल्यों से कटा हुआ महसूस करता है, जिससे व्यक्ति में उद्देश्यहीनता और दिशाहीनता की भावना उत्पन्न होती है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा दुर्खीम की ‘आत्महत्या’ (Suicide) और ‘समाज में श्रम का विभाजन’ (The Division of Labour in Society) जैसी कृतियों में महत्वपूर्ण है। दुर्खीम के लिए, विसंगति सामाजिक एकजुटता (Social Solidarity) के क्षरण का सूचक है।
  • गलत विकल्प: अलगाव (Alienation) मुख्य रूप से मार्क्स से जुड़ा है और उत्पादन प्रक्रिया से विच्छेद को दर्शाता है। पदानुक्रम सामाजिक स्तरीकरण की एक संरचना है। सामूहिकता किसी समूह या समाज को व्यक्तिगत ऊपर रखने की प्रवृत्ति है।

प्रश्न 6: सी. राइट मिल्स ने ‘सामाजिक यथार्थ’ (Social Reality) को समझने के लिए किस महत्वपूर्ण उपागम (Approach) का आह्वान किया, जो व्यक्तिगत समस्याओं को सामाजिक और ऐतिहासिक संदर्भों से जोड़ता है?

  1. प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism)
  2. संरचनात्मक प्रकार्यवाद (Structural Functionalism)
  3. समाजशास्त्रीय कल्पना (Sociological Imagination)
  4. संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory)

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: सी. राइट मिल्स ने ‘समाजशास्त्रीय कल्पना’ (Sociological Imagination) की अवधारणा प्रस्तुत की। यह व्यक्तिगत अनुभवों (निजी दुविधाओं) को व्यापक सामाजिक संरचनाओं, ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और सार्वजनिक मुद्दों (सार्वजनिक समस्याओं) से जोड़ने की क्षमता है।
  • संदर्भ और विस्तार: मिल्स की 1959 की पुस्तक ‘द सोशियोलॉजिकल इमेजिनेशन’ में, उन्होंने समाजशास्त्रियों से आग्रह किया कि वे व्यक्तिगत जीवन को सामाजिक इतिहास और सामाजिक संरचनाओं के व्यापक संदर्भ में देखें।
  • गलत विकल्प: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद सामाजिक अंतःक्रियाओं और प्रतीकों के अर्थ निर्माण पर केंद्रित है। संरचनात्मक प्रकार्यवाद समाज को परस्पर संबंधित भागों के एक तंत्र के रूप में देखता है। संघर्ष सिद्धांत समाज में शक्ति और असमानता पर जोर देता है।

प्रश्न 7: भारतीय समाज में ‘जाति’ (Caste) प्रणाली की एक प्रमुख विशेषता क्या है, जिसे ‘अंतर्विवाह’ (Endogamy) के रूप में जाना जाता है?

  1. किसी भी जाति के सदस्य आपस में विवाह कर सकते हैं।
  2. विवाह केवल अपनी जाति के भीतर ही सीमित होता है।
  3. विवाह केवल उच्च जाति के पुरुष और निम्न जाति की स्त्री के बीच हो सकता है।
  4. विवाह केवल अपनी उप-जाति (Sub-caste) के भीतर ही सीमित होता है।

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: जाति प्रणाली की एक मुख्य विशेषता अंतर्विवाह (Endogamy) है, जिसका अर्थ है कि व्यक्ति को विवाह केवल अपनी जाति के भीतर ही करना होता है। यह जाति की सीमाओं को बनाए रखने और रक्त-शुद्धता (Purity of Blood) की धारणा को संरक्षित करने में मदद करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: भारतीय समाज में जातिगत पहचान विवाह, खान-पान और सामाजिक संपर्क जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं को नियंत्रित करती है। अंतर्विवाह जाति के निरंतरता का एक मुख्य तंत्र है।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a) बहिर्विवाह (Exogamy) की ओर इशारा करता है, जो जाति प्रणाली में कम पाया जाता है। विकल्प (c) अंतर-जातीय विवाह (Inter-caste marriage) के कुछ विशिष्ट नियमों को दर्शा सकता है, लेकिन यह सामान्य नियम नहीं है। विकल्प (d) उप-जाति के भीतर विवाह (Endogamy within sub-caste) का उल्लेख करता है, जो कुछ संदर्भों में सही हो सकता है, लेकिन ‘जाति’ का मूल नियम स्वयं जाति के भीतर ही विवाह है।

प्रश्न 8: जॉर्ज हर्बर्ट मीड (George Herbert Mead) के अनुसार, ‘स्व’ (Self) का विकास किस प्रक्रिया के माध्यम से होता है?

  1. जैविक परिपक्वता
  2. सामाजिक अंतःक्रिया और अनुकरण (Imitation)
  3. जन्मजात मानसिक क्षमताएँ
  4. ईश्वर द्वारा प्रदान की गई चेतना

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: जॉर्ज हर्बर्ट मीड, प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के प्रमुख विचारक, का मानना था कि ‘स्व’ (Self) का विकास जैविक रूप से पूर्वनिर्धारित नहीं होता, बल्कि यह सामाजिक अंतःक्रियाओं के माध्यम से, विशेष रूप से दूसरों की भूमिकाओं को निभाने (Taking the role of the other) और ‘सामान्यीकृत अन्य’ (Generalized Other) के दृष्टिकोण को अपनाने के माध्यम से विकसित होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: मीड की पुस्तक ‘दि माइंड, द सेल्फ एंड सोसाइटी’ (The Mind, Self, and Society) में इस अवधारणा का विस्तार से वर्णन किया गया है। ‘स्व’ एक सामाजिक उत्पाद है।
  • गलत विकल्प: जैविक परिपक्वता ‘स्व’ के विकास में सहायक हो सकती है, लेकिन यह मुख्य कारण नहीं है। जन्मजात क्षमताएं केवल आधार प्रदान करती हैं। ईश्वर प्रदत्त चेतना का कोई समाजशास्त्रीय आधार नहीं है।

प्रश्न 9: सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification) के ‘प्रजातिवादी’ (Racial) दृष्टिकोण के अनुसार, सामाजिक असमानता का मुख्य आधार क्या है?

  1. वर्ग (Class)
  2. जाति (Caste)
  3. प्रजाति (Race)
  4. लिंग (Gender)

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: प्रजातिवादी दृष्टिकोण सामाजिक स्तरीकरण का वह सिद्धांत है जो समाज में असमानता, शक्ति, विशेषाधिकार और संसाधनों के वितरण को व्यक्तियों या समूहों की कथित प्रजातीय विशेषताओं के आधार पर समझाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह दृष्टिकोण अक्सर रंगभेद (Apartheid) या नस्लीय भेदभाव (Racial Discrimination) जैसी सामाजिक व्यवस्थाओं में देखा जाता है, जहाँ ‘प्रजाति’ एक प्राथमिक स्तरीकरण कारक बन जाती है।
  • गलत विकल्प: वर्ग, जाति और लिंग भी सामाजिक स्तरीकरण के महत्वपूर्ण आधार हैं, लेकिन प्रजातिवादी दृष्टिकोण विशेष रूप से प्रजाति को केंद्रीय आधार मानता है।

प्रश्न 10: भारतीय संविधान में किस अनुच्छेद के तहत अस्पृश्यता (Untouchability) को समाप्त कर दिया गया है और इसका किसी भी रूप में आचरण निषिद्ध किया गया है?

  1. अनुच्छेद 14
  2. अनुच्छेद 15
  3. अनुच्छेद 17
  4. अनुच्छेद 21

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 17 (Article 17) अस्पृश्यता के उन्मूलन का प्रावधान करता है। यह घोषित करता है कि ‘अस्पृश्यता’ को समाप्त कर दिया गया है और किसी भी रूप में इसका अभ्यास दंडनीय अपराध है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अनुच्छेद भारतीय समाज में ऐतिहासिक रूप से व्याप्त जातिगत भेदभाव और उत्पीड़न को समाप्त करने के संवैधानिक प्रयास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 14 विधि के समक्ष समानता प्रदान करता है। अनुच्छेद 15 धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध करता है। अनुच्छेद 21 जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा प्रदान करता है। जबकि ये सभी समानता और गैर-भेदभाव से संबंधित हैं, अनुच्छेद 17 विशेष रूप से अस्पृश्यता से संबंधित है।

प्रश्न 11: रॉबर्ट मर्टन (Robert Merton) ने ‘अनुकूलित व्यवहार’ (Deviant Behavior) के लिए पाँच प्रतिमान (Modes of Adaptation) प्रस्तुत किए। निम्न में से कौन सा एक उनका प्रतिमान नहीं है?

  1. अभिज्ञान (Conformity)
  2. नवाचार (Innovation)
  3. अनुष्ठानवाद (Ritualism)
  4. विलयन (Assimilation)

उत्तर: (d)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: रॉबर्ट मर्टन ने ‘सांस्कृतिक लक्ष्यों’ (Cultural Goals) और ‘संस्थागत साधनों’ (Institutional Means) के बीच बेमेल से उत्पन्न होने वाले अनुकूलित व्यवहार के पाँच प्रकार बताए: 1. अभिज्ञान (Conformity – लक्ष्यों और साधनों दोनों को स्वीकार करना), 2. नवाचार (Innovation – लक्ष्यों को स्वीकार करना, साधनों को अस्वीकार करना, जैसे चोर), 3. अनुष्ठानवाद (Ritualism – लक्ष्यों को अस्वीकार करना, साधनों का पालन करना, जैसे ब्यूरोक्रेट), 4. पलायनवाद (Retreatism – लक्ष्यों और साधनों दोनों को अस्वीकार करना, जैसे शराबी या नशाखोर), और 5. विद्रोह (Rebellion – लक्ष्यों और साधनों दोनों को बदलना या अस्वीकार करना)।
  • संदर्भ और विस्तार: यह मर्टन के ‘तनाव सिद्धांत’ (Strain Theory) का एक हिस्सा है, जो बताता है कि जब समाज सांस्कृतिक रूप से निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए उचित साधनों तक पहुँच को समान रूप से वितरित नहीं करता है, तो विचलन उत्पन्न हो सकता है।
  • गलत विकल्प: अभिज्ञान, नवाचार, अनुष्ठानवाद और पलायनवाद (यहाँ विकल्प में नहीं है, पर मूल सूची में है) मर्टन के प्रतिमान हैं। विलयन (Assimilation) सामाजिक समावेशन की एक प्रक्रिया है, न कि विचलन का प्रतिमान।

प्रश्न 12: ‘पवित्र’ (Sacred) और ‘अपवित्र’ (Profane) के बीच भेद करने की क्षमता किस समाजशास्त्री के अनुसार धर्म का मूल तत्व है?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. एमिल दुर्खीम
  3. मैक्स वेबर
  4. सिग्मंड फ्रायड

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: एमिल दुर्खीम ने अपनी कृति ‘समाज में धर्म के प्रारंभिक रूप’ (The Elementary Forms of Religious Life) में तर्क दिया कि धर्म किसी भी समाज का वह एकीकृत तत्व है जो ‘पवित्र’ (Sacred) को ‘अपवित्र’ (Profane) से अलग करता है। पवित्र वस्तुएं वे होती हैं जिन्हें समाज द्वारा विशेष सुरक्षा और सम्मान दिया जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम के लिए, धर्म सामाजिक एकजुटता (Social Solidarity) को बढ़ावा देता है, क्योंकि यह लोगों को सामूहिक अनुष्ठानों और प्रतीकों के माध्यम से एक साथ लाता है।
  • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स धर्म को ‘जनता की अफीम’ मानते थे, जो सामाजिक नियंत्रण का एक उपकरण है। मैक्स वेबर ने प्रोटेस्टेंट नैतिकता और पूंजीवाद के उदय के बीच संबंध का अध्ययन किया। सिग्मंड फ्रायड ने धर्म को एक भ्रम (Illusion) के रूप में देखा।

प्रश्न 13: ग्राम नोएल (Graham Noel) के अनुसार, जाति एक ‘विवाह समूह’ (Marriage Group) है। इसका क्या अर्थ है?

  1. जाति के सदस्य केवल अपने समुदाय के भीतर विवाह करते हैं।
  2. जाति के सदस्य केवल उच्च जातियों के सदस्यों से विवाह कर सकते हैं।
  3. जाति के सदस्य किसी भी जाति के सदस्य से विवाह कर सकते हैं।
  4. जाति के सदस्य केवल एक विशिष्ट बाहरी समूह से विवाह करते हैं।

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: ग्राम नोएल, अन्य कई समाजशास्त्रियों की तरह, जाति को एक अंतर्विवाही समूह (Endogamous group) के रूप में परिभाषित करते हैं। इसका अर्थ है कि जाति के सदस्य सामान्यतः अपनी ही जाति या उप-जाति के भीतर विवाह करते हैं, जिससे जाति की सीमाएं बनी रहती हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह परिभाषा जाति के सामाजिक और आनुवंशिक निरंतरता को बनाए रखने में अंतर्विवाह (Endogamy) की केंद्रीय भूमिका पर प्रकाश डालती है।
  • गलत विकल्प: विकल्प (b) और (d) जाति के सामान्य नियमों का खंडन करते हैं। विकल्प (c) बहिर्विवाह (Exogamy) का संकेत देता है, जो जाति की सीमा को तोड़ेगा।

प्रश्न 14: पैरी एंडरसन (Perry Anderson) ने भारतीय समाज के बारे में लिखते हुए किस प्रकार की ‘राज्य’ (State) की अवधारणा का प्रयोग किया?

  1. अधिनायकवादी राज्य (Authoritarian State)
  2. वितरित राज्य (Dispersed State)
  3. अति-राज्य (Over-State)
  4. सामंतवादी राज्य (Feudal State)

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: पैरी एंडरसन ने अपनी पुस्तक ‘लाइनेंजेज ऑफ द एब्सोल्युटिस्ट स्टेट’ (Lineages of the Absolutist State) में, प्रत्यक्ष रूप से भारतीय समाज पर ध्यान केंद्रित नहीं करते हुए भी, अपने ‘अति-राज्य’ (Over-State) की अवधारणा के माध्यम से एक ऐसे राज्य का वर्णन किया जो समाज पर पूरी तरह से हावी होता है, खासकर जहाँ वर्ग संबंध कमजोर या अविकसित होते हैं। यह विचार भारतीय संदर्भ में कुछ विद्वानों द्वारा प्रयोग किया गया है।
  • संदर्भ और विस्तार: एंडरसन का मॉडल पश्चिमी यूरोप के निरंकुश राज्यों से लिया गया था, लेकिन इसे अक्सर एशियाई समाजों के संदर्भ में भी चर्चा की जाती है, जहाँ राज्य का एक मजबूत केंद्रीय और सत्तावादी चरित्र होता है।
  • गलत विकल्प: अन्य विकल्प राज्य के प्रकारों का वर्णन करते हैं, लेकिन एंडरसन की विशिष्ट अवधारणा ‘अति-राज्य’ है, जो सत्ता के अत्यधिक केंद्रीकरण और समाज पर प्रभुत्व को दर्शाती है।

प्रश्न 15: निम्नलिखित में से कौन सी सामाजिक अनुसंधान विधि (Social Research Method) मात्रात्मक (Quantitative) डेटा संग्रह पर अधिक जोर देती है?

  1. केस स्टडी (Case Study)
  2. साक्षात्कार (Interview)
  3. सर्वेक्षण (Survey)
  4. प्रतिभागी अवलोकन (Participant Observation)

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: सर्वेक्षण (Survey) विधि में आमतौर पर बड़े नमूना आकार (Sample Size) का उपयोग किया जाता है और यह संरचित प्रश्नावली (Structured Questionnaires) या अनुसूचियों के माध्यम से संख्यात्मक डेटा (Numerical Data) एकत्र करने पर ध्यान केंद्रित करती है। इस डेटा का सांख्यिकीय विश्लेषण किया जा सकता है।
  • संदर्भ और विस्तार: सर्वेक्षण विधि किसी जनसंख्या के बारे में सामान्यीकरण (Generalization) करने और चर (Variables) के बीच संबंधों को मापने के लिए उपयोगी है।
  • गलत विकल्प: केस स्टडी, साक्षात्कार और प्रतिभागी अवलोकन मुख्य रूप से गुणात्मक (Qualitative) डेटा एकत्र करने के तरीके हैं, जो गहराई से समझ और व्याख्या पर जोर देते हैं।

प्रश्न 16: ‘संस्था’ (Institution) को समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से किस रूप में परिभाषित किया जा सकता है?

  1. लोगों का एक बड़ा समूह जो एक सामान्य उद्देश्य के लिए एकजुट हो।
  2. समाज के सदस्यों द्वारा स्वीकार किए गए, व्यवहार के स्थायी और व्यवस्थित पैटर्न, जो किसी विशेष सामाजिक आवश्यकता को पूरा करते हैं।
  3. अस्थायी सामाजिक सभाएँ, जैसे प्रदर्शन या उत्सव।
  4. व्यक्तिगत विश्वास और मूल्य।

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: समाजशास्त्र में, एक संस्था (Institution) को समाज द्वारा अनुमोदित, स्थिर और व्यवस्थित व्यवहार के पैटर्न के रूप में परिभाषित किया जाता है जो समाज की बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करते हैं। उदाहरणों में परिवार, शिक्षा, धर्म, सरकार और अर्थव्यवस्था शामिल हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: संस्थाएं सामाजिक संरचनाओं का निर्माण करती हैं और समाज के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने में मदद करती हैं। वे नियमों, मानदंडों और मूल्यों का एक सेट प्रदान करती हैं।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a) एक समुदाय या संगठन का वर्णन कर सकता है। विकल्प (c) एक घटना का वर्णन करता है, न कि एक स्थायी संरचना का। विकल्प (d) व्यक्तिगत मनोविज्ञान से संबंधित है।

प्रश्न 17: पारसन्स (Talcott Parsons) के ‘सामाजिक व्यवस्था’ (Social System) के सिद्धांत में, ‘AGIL’ प्रतिमान (Schema) का क्या अर्थ है?

  1. Agency, Goals, Innovation, Legitimacy
  2. Adaptation, Goal Attainment, Integration, Latency
  3. Action, Guidance, Influence, Logic
  4. Authority, Governance, Independence, Law

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: टॉल्कोट पारसन्स ने सामाजिक व्यवस्थाओं के कामकाज को समझाने के लिए ‘AGIL’ प्रतिमान विकसित किया। यह चार कार्यात्मक (Functional) आवश्यकताओं का प्रतिनिधित्व करता है जिन्हें प्रत्येक सामाजिक प्रणाली को जीवित रहने और कार्य करने के लिए पूरा करना चाहिए: 1. अनुकूलन (Adaptation – पर्यावरण से संसाधनों को प्राप्त करना), 2. लक्ष्य प्राप्ति (Goal Attainment – समाज के लक्ष्यों को परिभाषित करना और प्राप्त करना), 3. एकीकरण (Integration – प्रणाली के विभिन्न भागों को एक साथ जोड़ना), और 4. अव्यवस्था/सुषुप्ति (Latency – प्रेरणाओं को बनाए रखना और पैटर्न को स्थिर रखना)।
  • संदर्भ और विस्तार: पारसन्स का मानना था कि ये चार कार्य किसी भी सामाजिक प्रणाली (जैसे परिवार, अर्थव्यवस्था, राजनीति) और यहाँ तक कि व्यक्तित्व प्रणाली और सांस्कृतिक प्रणाली के लिए भी मौलिक हैं।
  • गलत विकल्प: अन्य विकल्प AGIL अक्षरों के लिए गलत विस्तार प्रदान करते हैं।

प्रश्न 18: भारतीय ग्रामीण समाज में, भूमि स्वामित्व के आधार पर सामाजिक स्तरीकरण को समझने के लिए किस अवधारणा का प्रयोग किया जा सकता है?

  1. वर्ण व्यवस्था
  2. वर्ग (Class)
  3. जाति (Caste)
  4. पेशा (Occupation)

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: जबकि जाति और पेशा भारतीय ग्रामीण समाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, भूमि स्वामित्व के आधार पर स्तरीकरण को मुख्य रूप से ‘वर्ग’ (Class) की अवधारणा के माध्यम से समझा जाता है। यह उन लोगों के बीच अंतर करता है जिनके पास भूमि है (जमींदार, किसान) और जिनके पास नहीं है (भूमिहीन श्रमिक)।
  • संदर्भ और विस्तार: वर्ग विश्लेषण आर्थिक संबंधों, उत्पादन के साधनों पर स्वामित्व और सामाजिक संबंधों के आधार पर समाज को विभिन्न समूहों में विभाजित करता है। यह जाति की तुलना में अधिक गतिशील हो सकता है।
  • गलत विकल्प: वर्ण व्यवस्था एक प्राचीन धार्मिक-आधारित स्तरीकरण है। जाति एक जन्म-आधारित और अंतर्विवाही समूह है। पेशा एक व्यक्ति के काम का प्रकार है, हालांकि यह अक्सर वर्ग और जाति से जुड़ा होता है।

प्रश्न 19: ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) की प्रक्रिया के बारे में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य है?

  1. यह केवल पश्चिमी देशों की एक प्रक्रिया है।
  2. यह तकनीकी उन्नति और संस्थागत परिवर्तन से संबंधित एक बहुआयामी प्रक्रिया है, जिसमें अक्सर धर्मनिरपेक्षीकरण और शहरीकरण शामिल होता है।
  3. यह पारंपरिक मूल्यों का अंधानुकरण है।
  4. यह एक प्रतिगामी (Regressive) प्रक्रिया है।

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: आधुनिकीकरण एक जटिल और बहुआयामी प्रक्रिया है जो तकनीकी उन्नति, आर्थिक विकास, संस्थागत परिवर्तन (जैसे शिक्षा, सरकार, कानून), धर्मनिरपेक्षीकरण, शहरीकरण और व्यक्तिवाद में वृद्धि जैसी विशेषताओं से पहचानी जाती है। यह केवल पश्चिमी देशों तक सीमित नहीं है, बल्कि दुनिया के कई समाजों में देखी जा सकती है।
  • संदर्भ और विस्तार: समाजशास्त्री आधुनिकीकरण को अक्सर पारंपरिक समाजों के आधुनिक समाजों में परिवर्तन के रूप में अध्ययन करते हैं।
  • गलत विकल्प: यह केवल पश्चिमी देशों की प्रक्रिया नहीं है। यह पारंपरिक मूल्यों का अंधानुकरण नहीं, बल्कि अक्सर उनका परिवर्तन या पतन है। यह एक प्रगतिशील (Progressive) या परिवर्तनकारी (Transformative) प्रक्रिया है, न कि प्रतिगामी।

प्रश्न 20: शहरी समाजशास्त्र (Urban Sociology) के संदर्भ में, लुईस विर्थ (Louis Wirth) ने ‘बड़े शहर’ (Metropolis) की तीन मुख्य विशेषताओं का वर्णन किया है। निम्नलिखित में से कौन सी एक उनकी विशेषता नहीं है?

  1. आकार (Size)
  2. घनत्व (Density)
  3. विषमता (Heterogeneity)
  4. एकरूपता (Homogeneity)

उत्तर: (d)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: लुईस विर्थ ने अपने प्रभावशाली निबंध ‘शहरीता एक जीवन शैली के रूप में’ (Urbanism as a Way of Life) में, बड़े शहरों की तीन मुख्य विशेषताओं के रूप में आकार (Size), घनत्व (Density) और विषमता (Heterogeneity) का वर्णन किया। उन्होंने तर्क दिया कि ये विशेषताएं शहरी जीवन शैली को प्रभावित करती हैं, जिससे अक्सर सतही संबंध, व्यक्तिवाद और अलगाव बढ़ता है।
  • संदर्भ और विस्तार: विर्थ का काम शहरी समाजशास्त्र के विकास में महत्वपूर्ण रहा है, हालांकि बाद के विद्वानों ने इसकी सीमाओं पर भी प्रकाश डाला है।
  • गलत विकल्प: आकार, घनत्व और विषमता विर्थ द्वारा बताई गई प्रमुख विशेषताएं हैं। एकरूपता (Homogeneity) शहरी जीवन की विशेषता नहीं है, बल्कि विपरीत (विषमता) है।

प्रश्न 21: समाजशास्त्रीय अनुसंधान में, ‘संयोजन-आधारित नमूनाकरण’ (Purposive Sampling) का क्या उद्देश्य है?

  1. पूरी आबादी का प्रतिनिधि नमूना चुनना।
  2. उन व्यक्तियों को चुनना जो शोधकर्ता के व्यक्तिगत संपर्कों पर आधारित हैं।
  3. उन व्यक्तियों या समूहों को जानबूझकर चुनना जो शोध के उद्देश्य के लिए प्रासंगिक या जानकारीपूर्ण माने जाते हैं।
  4. यादृच्छिक रूप से नमूना चुनना ताकि पूर्वाग्रह से बचा जा सके।

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: संयोजन-आधारित नमूनाकरण (Purposive Sampling), जिसे निर्णायक नमूनाकरण (Judgemental Sampling) भी कहा जाता है, में शोधकर्ता अपनी विशेषज्ञता और निर्णय का उपयोग करके नमूना इकाइयों का चयन करता है। चयन उन विशेषताओं पर आधारित होता है जो शोध के उद्देश्यों के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह विधि तब उपयोगी होती है जब शोधकर्ता किसी विशेष समूह या घटना के बारे में गहराई से जानकारी प्राप्त करना चाहता है, न कि पूरी आबादी का सामान्यीकरण करना।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a) और (d) संभाव्यता नमूनाकरण (Probability Sampling) विधियों (जैसे यादृच्छिक नमूनाकरण) का वर्णन करते हैं। विकल्प (b) स्नोबॉल नमूनाकरण (Snowball Sampling) जैसी विधि का सुझाव देता है।

प्रश्न 22: भारतीय संदर्भ में, ‘पिछड़ा वर्ग’ (Backward Classes) की अवधारणा का विकास मुख्य रूप से किस सामाजिक मुद्दे से जुड़ा है?

  1. आर्थिक असमानता
  2. जातिगत असमानता और ऐतिहासिक वंचितता
  3. धार्मिक अल्पसंख्यक
  4. लैंगिक असमानता

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: भारत में ‘पिछड़ा वर्ग’ (Backward Classes) की अवधारणा मुख्य रूप से ऐतिहासिक जातिगत भेदभाव, सामाजिक बहिष्कार और शैक्षिक तथा आर्थिक अवसरों की कमी से पीड़ित समुदायों की पहचान से जुड़ी है। यह वंचित जातियों (Scheduled Castes) और जनजातियों (Scheduled Tribes) के अलावा अन्य पिछड़ी जातियों (Other Backward Classes – OBC) को संदर्भित करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: आरक्षण नीतियों और सकारात्मक कार्रवाई (Affirmative Action) के माध्यम से इन समुदायों के उत्थान का प्रयास किया गया है।
  • गलत विकल्प: जबकि आर्थिक और लैंगिक असमानताएं मौजूद हैं, ‘पिछड़ा वर्ग’ की ऐतिहासिक और समाजशास्त्रीय परिभाषा मुख्य रूप से जातिगत पदानुक्रम और उससे जुड़ी वंचितता पर आधारित है। धार्मिक अल्पसंख्यक एक अलग श्रेणी है।

प्रश्न 23: अल्फ्रेड शुट्ज़ (Alfred Schutz) के ‘फेनोमेनोलॉजी’ (Phenomenology) से प्रभावित समाजशास्त्रीय उपागम को क्या कहा जाता है, जो दैनिक जीवन के ‘सामान्य ज्ञान’ (Common Sense) की दुनिया को समझने पर केंद्रित है?

  1. संरचनात्मक प्रकार्यवाद (Structural Functionalism)
  2. प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism)
  3. अवतरणात्मक समाजशास्त्र (Phenomenological Sociology)
  4. तुलनात्मक विधि (Comparative Method)

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: अल्फ्रेड शुट्ज़ ने फेनोमेनोलॉजी के सिद्धांतों को समाजशास्त्र पर लागू किया, जिससे ‘अवतरणात्मक समाजशास्त्र’ (Phenomenological Sociology) का विकास हुआ। यह उपागम व्यक्ति द्वारा अपने सामाजिक यथार्थ की व्यक्तिपरक (Subjective) व्याख्याओं और ‘सामान्य ज्ञान’ की दुनिया को समझने पर जोर देता है, जिसमें हम रोजमर्रा के जीवन में संलग्न होते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: शुट्ज़ ने ‘जीवन-जगत’ (Life-world) की अवधारणा को प्रस्तुत किया, जो रोजमर्रा के अनुभव की दुनिया है, और यह समझाने का प्रयास किया कि हम उसमें कैसे अर्थ निर्माण करते हैं।
  • गलत विकल्प: संरचनात्मक प्रकार्यवाद समाज को एक समग्र प्रणाली के रूप में देखता है। प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद प्रतीकों और अंतःक्रियाओं पर केंद्रित है। तुलनात्मक विधि विभिन्न समाजों या संस्कृतियों की तुलना करती है।

प्रश्न 24: निम्नलिखित में से कौन सा एक ‘सामाजिक आंदोलन’ (Social Movement) का लक्षण नहीं है?

  1. संगठित प्रयास
  2. साझा उद्देश्य या हित
  3. लंबे समय तक चलने वाली संघर्ष की प्रक्रिया
  4. व्यक्तिगत मनोवैज्ञानिक असंतोष

उत्तर: (d)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: सामाजिक आंदोलन आम तौर पर लोगों के संगठित, सामूहिक प्रयासों को संदर्भित करते हैं जो एक साझा उद्देश्य या हित को बढ़ावा देते हैं या उसका विरोध करते हैं, और अक्सर एक लंबे समय तक चलने वाले संघर्ष की प्रक्रिया शामिल होती है। व्यक्तिगत मनोवैज्ञानिक असंतोष किसी आंदोलन का कारण बन सकता है, लेकिन यह स्वयं आंदोलन का एक परिभाषित लक्षण नहीं है; यह सामूहिक और संगठित प्रकृति पर जोर देता है।
  • संदर्भ और विस्तार: सामाजिक आंदोलनों का अध्ययन समाजशास्त्रीय परिवर्तन, शक्ति संरचनाओं और सामूहिक व्यवहार को समझने के लिए महत्वपूर्ण है।
  • गलत विकल्प: संगठित प्रयास, साझा उद्देश्य और संघर्ष की प्रक्रिया सामाजिक आंदोलनों की मुख्य विशेषताएं हैं। व्यक्तिगत असंतोष को आंदोलन का लक्षण नहीं माना जा सकता।

प्रश्न 25: निम्नलिखित में से किस समाजशास्त्री ने ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा प्रस्तुत की, जो समाज के भौतिक और अभौतिक (गैर-भौतिक) पहलुओं के बीच तालमेल में कमी को दर्शाती है?

  1. विलियम फीडर (William F. Ogburn)
  2. रॉबर्ट पार्क (Robert Park)
  3. चार्ल्स हॉर्टन कूली (Charles Horton Cooley)
  4. इरावती कर्वे (Irawati Karve)

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: विलियम फीडर (William F. Ogburn) ने ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा को गढ़ा। उनका तर्क था कि समाज के भौतिक पहलू (जैसे प्रौद्योगिकी, गैजेट्स) अक्सर गैर-भौतिक पहलुओं (जैसे रीति-रिवाज, कानून, नैतिकता, सामाजिक संस्थाएं) की तुलना में तेजी से बदलते हैं। यह असंतुलन सामाजिक समस्याएं पैदा कर सकता है।
  • संदर्भ और विस्तार: ओगबर्न ने इस अवधारणा को अपनी पुस्तक ‘सोशल चेंज विथ रिस्पेक्ट टू कल्चर एंड ओरिजिनल नेचर ऑफ मैन’ (Social Change with Respect to Culture and Original Nature of Man) में प्रस्तुत किया।
  • गलत विकल्प: रॉबर्ट पार्क शहरी समाजशास्त्र और जातीय संबंधों से जुड़े थे। चार्ल्स हॉर्टन कूली ‘प्राथमिक समूह’ (Primary Group) की अवधारणा के लिए जाने जाते हैं। इरावती कर्वे भारतीय समाज, विशेष रूप से नातेदारी और वंश पर अपने काम के लिए जानी जाती हैं।

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