आज का समाजशास्त्र: अपनी अवधारणाओं को परखें!
समाजशास्त्र के प्रतिस्पर्धी परीक्षार्थियों, आपके दैनिक ज्ञानवर्धन का समय आ गया है! आज हम लाएं हैं विशेष रूप से आपके लिए तैयार किए गए 25 प्रश्न, जो समाजशास्त्र के आपके ज्ञान को गहराई से परखेंगे। अपनी अवधारणाओं को स्पष्ट करें, महत्वपूर्ण विचारकों के योगदान को याद करें और भारतीय समाज की जटिलताओं को समझें। पेन और कागज तैयार रखें, यह आपकी मानसिक क्षमता का एक शानदार सत्र होने वाला है!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और दिए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: ‘वर्स्टेहेन’ (Verstehen) की अवधारणा, जो सामाजिक क्रियाओं के व्यक्तिपरक अर्थों को समझने पर जोर देती है, किस समाजशास्त्री द्वारा प्रस्तुत की गई थी?
- कार्ल मार्क्स
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- हरबर्ट स्पेंसर
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: मैक्स वेबर ने ‘वर्स्टेहेन’ की अवधारणा प्रस्तुत की, जिसका अर्थ है ‘समझना’। यह समाजशास्त्र को केवल बाहरी व्यवहारों का अध्ययन करने के बजाय, सामाजिक क्रियाओं के पीछे छिपे व्यक्तिपरक अर्थों, प्रेरणाओं और इरादों को समझने का एक विधिपरक दृष्टिकोण मानता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा वेबर के व्याख्यात्मक समाजशास्त्र (Interpretive Sociology) का केंद्रीय आधार है और उनकी कृति ‘इकॉनमी एंड सोसाइटी’ (Economy and Society) में विस्तार से वर्णित है। यह दुर्खीम के प्रत्यक्षवाद (Positivism) के विपरीत है, जो सामाजिक तथ्यों को वस्तुओं की तरह अध्ययन करने पर बल देता है।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स वर्ग संघर्ष और भौतिकवाद पर केंद्रित थे, एमिल दुर्खीम ने ‘सामाजिक तथ्यों’ और ‘एनोमी’ (Anomie) जैसे विचारों पर काम किया, और हरबर्ट स्पेंसर ने सामाजिक विकास और विकासवाद पर जोर दिया।
प्रश्न 2: एम.एन. श्रीनिवास द्वारा प्रस्तुत ‘संस्कृतीकरण’ (Sanskritization) की प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य क्या है?
- पश्चिमी संस्कृति का अनुकरण करना
- उच्च जातियों की रीति-रिवाजों और व्यवहारों को अपनाकर सामाजिक प्रतिष्ठा प्राप्त करना
- आधुनिक तकनीकों को अपनाना
- ग्रामीण जीवन शैली से दूर जाना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: संस्कृतीकरण, जैसा कि एम.एन. श्रीनिवास ने परिभाषित किया है, एक निम्न जाति या जनजाति द्वारा उच्च जाति की जीवन शैली, रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों और विश्वासों को अपनाने की प्रक्रिया है, जिसका उद्देश्य जाति पदानुक्रम में उच्च स्थान प्राप्त करना है।
- संदर्भ और विस्तार: श्रीनिवास ने यह अवधारणा अपनी पुस्तक ‘रीलिजन एंड सोसाइटी अमंग द कूग्स ऑफ साउथ इंडिया’ (Religion and Society Among the Coorgs of South India) में प्रस्तुत की थी। यह सांस्कृतिक गतिशीलता का एक रूप है।
- गलत विकल्प: पश्चिमीकरण पश्चिमी संस्कृति को अपनाने से संबंधित है, आधुनिकीकरण तकनीकी और संस्थागत परिवर्तनों से, और ग्रामीण जीवन शैली से दूर जाना एक व्यापक परिवर्तन है, जबकि संस्कृतीकरण विशेष रूप से जाति व्यवस्था के भीतर ऊर्ध्वगामी गतिशीलता से जुड़ा है।
प्रश्न 3: एमिल दुर्खीम के अनुसार, ‘एनोमी’ (Anomie) की स्थिति तब उत्पन्न होती है जब:
- समाज में अत्यधिक सामाजिक नियंत्रण होता है
- व्यक्ति सामाजिक मानदंडों और मूल्यों से अलग-थलग महसूस करता है
- व्यक्ति समाज के साथ पूरी तरह से एकीकृत होता है
- पारंपरिक सामाजिक संस्थाएं मजबूत होती हैं
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: दुर्खीम के अनुसार, एनोमी एक ऐसी सामाजिक स्थिति है जहाँ समाज में प्रचलित नियमों और मूल्यों की कोई स्पष्टता या अनुपस्थिति होती है, जिससे व्यक्ति दिशाहीन और अनिश्चित महसूस करता है। यह सामाजिक नियंत्रण की कमी या मौजूदा नियमों के कमजोर पड़ने से उत्पन्न होती है।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘द डिविजन ऑफ लेबर इन सोसाइटी’ (The Division of Labour in Society) और ‘सुसाइड’ (Suicide) में इस अवधारणा का उपयोग किया। यह विशेष रूप से तीव्र सामाजिक परिवर्तन या आर्थिक संकट के दौरान प्रकट होती है।
- गलत विकल्प: अत्यधिक नियंत्रण ‘सामाजिक विनियमन’ (Regulation) से संबंधित है, पूर्ण एकीकरण ‘सामूहिकता की चेतना’ (Collective Consciousness) को दर्शाता है, और पारंपरिक संस्थाओं की मजबूती एनोमी के विपरीत एक स्थिर समाज का संकेत देती है।
प्रश्न 4: कार्ल मार्क्स ने पूंजीवादी समाज में श्रमिक के अलगाव (Alienation) के कितने प्रकार बताए?
- दो
- तीन
- चार
- पांच
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: कार्ल मार्क्स ने पूंजीवादी उत्पादन प्रणाली के तहत श्रमिक के अलगाव के चार मुख्य प्रकारों का वर्णन किया: उत्पाद से अलगाव, उत्पादन की प्रक्रिया से अलगाव, स्वयं की प्रजाति-प्रकृति (Species-Being) से अलगाव, और अन्य मनुष्यों से अलगाव।
- संदर्भ और विस्तार: यह विचार उनके प्रारंभिक लेखन, विशेष रूप से ‘इकोनॉमिक एंड फिलॉसॉफिकल मैन्युस्क्रिप्ट्स ऑफ 1844’ (Economic and Philosophical Manuscripts of 1844) में प्रमुखता से पाया जाता है। अलगाव का अर्थ है अपनी मानवता और क्षमताओं से वियोग।
- गलत विकल्प: मार्क्स ने विशेष रूप से इन चार प्रकारों की पहचान की थी।
प्रश्न 5: समकालीन औद्योगिक समाजों में पाई जाने वाली, ‘परमाणु परिवार’ (Nuclear Family) की मुख्य विशेषता क्या है?
- अनेक पीढ़ियों का एक साथ रहना
- माता-पिता और उनके अविवाहित बच्चे
- विस्तृत नातेदारी संबंध
- एक ही छत के नीचे रहने वाले सभी रिश्तेदार
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: परमाणु परिवार, जिसे एकल परिवार भी कहा जाता है, में आम तौर पर माता-पिता (पति-पत्नी) और उनके अविवाहित बच्चे शामिल होते हैं, और यह नाभिक के रूप में कार्य करता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह विस्तारित या संयुक्त परिवार के विपरीत है, जिसमें कई पीढ़ियां एक साथ रहती हैं। आधुनिकरण और शहरीकरण के कारण परमाणु परिवार का प्रचलन बढ़ा है।
- गलत विकल्प: अन्य विकल्प विस्तारित परिवार या नातेदारी समूहों की विशेषताएँ हैं, न कि परमाणु परिवार की।
प्रश्न 6: समाजशास्त्रीय अनुसंधान में, ‘गुणात्मक अनुसंधान’ (Qualitative Research) का मुख्य उद्देश्य क्या है?
- सांख्यिकीय डेटा एकत्र करना और उनका विश्लेषण करना
- घटनाओं के पीछे के अर्थों, अनुभवों और सामाजिक प्रक्रियाओं को गहराई से समझना
- व्यापक जनसंख्या के व्यवहार का सामान्यीकरण करना
- कारण-कार्य संबंधों को मापना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: गुणात्मक अनुसंधान का बल व्यक्तियों के अनुभवों, दृष्टिकोणों, सामाजिक अंतःक्रियाओं और सामाजिक घटनाओं के पीछे छिपे अर्थों को विस्तार से समझने पर होता है। इसमें साक्षात्कार, अवलोकन, फोकस समूह जैसी विधियाँ शामिल हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह ‘मात्रात्मक अनुसंधान’ (Quantitative Research) से भिन्न है, जो संख्याओं, आंकड़ों और सांख्यिकीय विश्लेषण पर अधिक निर्भर करता है। गुणात्मक अनुसंधान ‘क्यों’ और ‘कैसे’ जैसे प्रश्नों का उत्तर खोजने का प्रयास करता है।
- गलत विकल्प: सांख्यिकीय डेटा एकत्र करना और सामान्यीकरण करना मात्रात्मक अनुसंधान के उद्देश्य हैं, जबकि कारण-कार्य संबंध मापना भी मात्रात्मक विधियों का एक प्रमुख लक्ष्य है।
प्रश्न 7: भारतीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था में पारंपरिक रूप से प्रचलित ‘जजमानी व्यवस्था’ (Jajmani System) क्या है?
- भूमि का पुनर्वितरण
- जाति-आधारित श्रम विभाजन और सेवाओं का आदान-प्रदान
- सहकारी कृषि की प्रणाली
- सरकार द्वारा सब्सिडी का वितरण
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: जजमानी व्यवस्था एक पारंपरिक सामाजिक-आर्थिक प्रणाली है जिसमें विभिन्न जातियों के लोग एक-दूसरे को वंशानुगत आधार पर सेवाएं प्रदान करते हैं और बदले में वस्तु या सेवा के रूप में भुगतान प्राप्त करते हैं। यह जाति-आधारित श्रम विभाजन और अंतर्निर्भरता पर आधारित है।
- संदर्भ और विस्तार: इसमें ‘जजमान’ (सेवा प्राप्त करने वाला) और ‘कमाई’ (सेवा प्रदाता) होते हैं। यह व्यवस्था भारतीय ग्रामीण समुदायों की सामाजिक और आर्थिक संरचना की एक महत्वपूर्ण कड़ी रही है।
- गलत विकल्प: भूमि पुनर्वितरण या सहकारी कृषि जैसी व्यवस्थाएं इससे भिन्न हैं, और सब्सिडी वितरण एक सरकारी नीति है, न कि एक पारंपरिक सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था।
प्रश्न 8: टैल्कॉट पार्सन्स के सामाजिक व्यवस्था सिद्धांत में, ‘एजीआईएल’ (AGIL) स्कीमा किन चार आवश्यक सामाजिक कार्यों का प्रतिनिधित्व करता है?
- अनुकूलन, लक्ष्य प्राप्ति, एकीकरण, व्यवस्था अनुरक्षण
- कार्य, गतिशीलता, प्रेरणा, व्यवस्था
- सामंजस्य, विकास, आत्मसात, नियंत्रण
- संरचना, क्रिया, व्यवस्था, संगठन
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: पार्सन्स ने समाज को एक प्रणाली के रूप में देखा जो अपने अस्तित्व को बनाए रखने के लिए चार आवश्यक कार्यों को पूरा करती है: अनुकूलन (Adaptation), लक्ष्य प्राप्ति (Goal Attainment), एकीकरण (Integration), और व्यवस्था अनुरक्षण/अव्यक्त पैटर्न अनुरक्षण (Latency/Pattern Maintenance)।
- संदर्भ और विस्तार: यह स्कीमा, जिसे ‘सबसिस्टम’ (Subsystem) के रूप में भी जाना जाता है, समाजशास्त्र में एक प्रभावशाली ढांचा है जो समाज के विभिन्न उप-प्रणालियों (जैसे अर्थव्यवस्था, राजनीति, समुदाय, परिवार) को इन कार्यों को पूरा करने के तरीके के रूप में देखता है।
- गलत विकल्प: अन्य विकल्प पार्सन्स के AGIL स्कीमा से संबंधित नहीं हैं।
प्रश्न 9: किंग्सले डेविस और विल्बर्ट मूर के अनुसार, सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification) का मुख्य कार्य क्या है?
- समाज में समानता को बढ़ावा देना
- महत्वपूर्ण पदों को भरना और उन भूमिकाओं को सबसे योग्य व्यक्तियों द्वारा निभाया जाना सुनिश्चित करना
- वर्ग संघर्ष को कम करना
- गरीबी को समाप्त करना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: डेविस और मूर का तर्क है कि सामाजिक स्तरीकरण इसलिए आवश्यक है क्योंकि यह यह सुनिश्चित करता है कि समाज के सबसे महत्वपूर्ण पद (जिन्हें भरने के लिए अधिक प्रतिभा और प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है) सबसे योग्य व्यक्तियों द्वारा भरे जाएं, और उन्हें ऐसा करने के लिए पर्याप्त प्रोत्साहन (जैसे उच्च पुरस्कार) मिले।
- संदर्भ और विस्तार: यह एक प्रकार का कार्यात्मक दृष्टिकोण (Functionalist approach) है जो स्तरीकरण को समाज के अस्तित्व के लिए आवश्यक मानता है।
- गलत विकल्प: समानता को बढ़ावा देना, वर्ग संघर्ष को कम करना, या गरीबी को समाप्त करना इस सिद्धांत के अनुसार स्तरीकरण के प्रत्यक्ष कार्य नहीं हैं।
प्रश्न 10: जॉर्ज हर्बर्ट मीड के ‘सामान्यीकृत अन्य’ (Generalized Other) की अवधारणा निम्नलिखित में से किस प्रक्रिया का हिस्सा है?
- सामाजिक अलगाव
- आत्म-चेतना का विकास
- कठोर सामाजिक नियंत्रण
- प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: जॉर्ज हर्बर्ट मीड के अनुसार, ‘सामान्यीकृत अन्य’ वह व्यक्ति है जो किसी विशेष सामाजिक समूह या समाज के समग्र दृष्टिकोण, अपेक्षाओं और नियमों का प्रतिनिधित्व करता है। बच्चा धीरे-धीरे इन सामान्यीकृत अपेक्षाओं को आत्मसात करके अपनी स्वयं की आत्म-चेतना (Self-consciousness) विकसित करता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism) के सिद्धांत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो बताती है कि कैसे व्यक्ति समाज में दूसरों के साथ अंतःक्रिया करके अपनी पहचान और समझ बनाते हैं।
- गलत विकल्प: ‘सामाजिक अलगाव’ मार्क्स से संबंधित है, ‘कठोर सामाजिक नियंत्रण’ एक अलग अवधारणा है, और हालांकि सामान्यीकृत अन्य प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद का हिस्सा है, यहाँ मुख्य प्रक्रिया आत्म-चेतना का विकास है।
प्रश्न 11: एमिल दुर्खीम ने धर्म के अध्ययन में, पवित्र (Sacred) और अपवित्र (Profane) के बीच भेद को किस रूप में वर्णित किया?
- धर्म व्यक्तिगत विश्वासों का समूह है
- धर्म सामाजिक एकता और सामूहिक चेतना को बढ़ावा देता है
- धर्म सामाजिक संघर्ष का स्रोत है
- धर्म केवल अंधविश्वास है
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: दुर्खीम के अनुसार, धर्म का सार पवित्र (Sacred) वस्तुओं (जो वर्जित और पूजनीय हैं) और अपवित्र (Profane) वस्तुओं (जो सामान्य और रोजमर्रा की हैं) के बीच भेद करने में निहित है। यह भेद सामाजिक समूह के भीतर एकता और सामूहिक चेतना (Collective Consciousness) को मजबूत करता है, क्योंकि लोग साझा विश्वासों और अनुष्ठानों में भाग लेते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह विचार उनकी पुस्तक ‘द एलिमेंट्री फॉर्म्स ऑफ द रिलीजियस लाइफ’ (The Elementary Forms of the Religious Life) में प्रस्तुत किया गया है। वे धर्म को समाज का एक एकीकृत बल मानते थे।
- गलत विकल्प: अन्य विकल्प दुर्खीम के धर्म के बारे में मुख्य दृष्टिकोण को सटीक रूप से प्रतिबिंबित नहीं करते हैं, विशेष रूप से पवित्र/अपवित्र भेद के संबंध में।
प्रश्न 12: महात्मा गांधी द्वारा प्रस्तावित ‘ट्रस्टीशिप’ (Trusteeship) का सिद्धांत, किस सामाजिक-आर्थिक मुद्दे को संबोधित करने का प्रयास करता है?
- भूमि का राष्ट्रीयकरण
- संपत्ति के मालिक संपत्ति को न्यासियों (trustees) के रूप में मानें और समाज के कल्याण के लिए उसका उपयोग करें
- श्रमिकों के लिए न्यूनतम मजदूरी
- पूंजीवाद का पूर्ण उन्मूलन
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: गांधीजी की ट्रस्टीशिप की अवधारणा यह मानती है कि धनवान व्यक्ति संपत्ति के वास्तविक मालिक नहीं, बल्कि समाज के ट्रस्टी या संरक्षक हैं। उन्हें अपनी संपत्ति का उपयोग केवल व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं, बल्कि समाज के हित और कल्याण के लिए करना चाहिए, जिससे धन का पुनर्वितरण हो सके।
- संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत वर्ग संघर्ष के बिना सामाजिक न्याय और आर्थिक समानता प्राप्त करने का एक अहिंसक मार्ग प्रस्तुत करता है।
- गलत विकल्प: राष्ट्रीयकरण, न्यूनतम मजदूरी या पूंजीवाद का पूर्ण उन्मूलन अलग-अलग आर्थिक या राजनीतिक सिद्धांत हैं; ट्रस्टीशिप का जोर स्वामित्व के नैतिक और सामाजिक दायित्व पर है।
प्रश्न 13: चार्ल्स कूली द्वारा परिभाषित ‘प्राथमिक समूह’ (Primary Group) की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता क्या है?
- औपचारिकता और अमूर्त संबंध
- सीमित और अनाम अंतःक्रिया
- आमने-सामने, घनिष्ठ और दीर्घकालिक संबंध
- वर्ग या स्थिति पर आधारित सदस्यता
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: चार्ल्स कूली के अनुसार, प्राथमिक समूह वे समूह होते हैं जहाँ सदस्य आमने-सामने, घनिष्ठ, लंबे समय तक चलने वाले और भावनात्मक रूप से जुड़े हुए संबंध साझा करते हैं। परिवार, खेल के साथी और पड़ोस इसके प्रमुख उदाहरण हैं।
- संदर्भ और विस्तार: कूली ने अपनी पुस्तक ‘सोशल ऑर्गनाइजेशन’ (Social Organization) में इस अवधारणा को प्रस्तुत किया। ये समूह व्यक्ति के व्यक्तित्व और सामाजिकरण के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- गलत विकल्प: औपचारिकता, अनाम अंतःक्रिया और स्थिति-आधारित सदस्यता क्रमशः द्वितीयक समूहों (Secondary Groups) या अन्य प्रकार के संगठनों की विशेषताएँ हैं।
प्रश्न 14: जॉर्ज सिमेल के अनुसार, बड़े शहर (Metropolis) की विशेषता क्या है, जो व्यक्ति के मनोवैज्ञानिक जीवन को प्रभावित करती है?
- गहन व्यक्तिगत संबंध
- सांस्कृतिक एकरूपता
- भावनात्मक तटस्थता और उत्तेजना की अधिकता (Blasé Attitude)
- स्थिर सामाजिक संरचना
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: सिमेल ने अपने निबंध ‘द फिलॉसफी ऑफ मनी’ (The Philosophy of Money) में बड़े शहरों के व्यक्ति पर पड़ने वाले प्रभाव का विश्लेषण किया। उन्होंने तर्क दिया कि बड़े शहरों की उत्तेजना की अधिकता, अनाम भीड़ और बार-बार होने वाली अंतःक्रियाएं व्यक्ति में एक ‘ब्लेज़ एटीट्यूड’ (Blasé Attitude) या भावनात्मक तटस्थता विकसित करती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह व्यक्ति को अत्यधिक उत्तेजना से बचाता है लेकिन साथ ही गहरे, अर्थपूर्ण संबंधों को कठिन बना देता है।
- गलत विकल्प: बड़े शहर आमतौर पर गहन व्यक्तिगत संबंधों, सांस्कृतिक एकरूपता या स्थिर सामाजिक संरचना के बजाय भिन्नता, अनिश्चितता और भावनात्मक दूरी लाते हैं।
प्रश्न 15: समाजशास्त्रीय अनुसंधान में, ‘वैधता’ (Validity) से क्या तात्पर्य है?
- अनुसंधान की पुनरावृत्ति की क्षमता
- माप की सटीकता; यह मापना कि शोधकर्ता क्या मापने का इरादा रखता है
- उत्तरदाताओं की प्रतिक्रियाओं में निरंतरता
- निष्कर्षों की व्यापक प्रयोज्यता
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: वैधता का अर्थ है कि अनुसंधान उपकरण (जैसे प्रश्नावली या पैमाना) वही सही ढंग से मापते हैं जो उन्हें मापने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह सुनिश्चित करता है कि निष्कर्ष वास्तविक और सटीक हों।
- संदर्भ और विस्तार: वैधता के कई प्रकार हैं, जैसे सामग्री वैधता (Content Validity), निर्माण वैधता (Construct Validity), और मानदंड वैधता (Criterion Validity)। यह विश्वसनीयता (Reliability) से भिन्न है, जो माप की स्थिरता से संबंधित है।
- गलत विकल्प: पुनरावृत्ति की क्षमता ‘विश्वसनीयता’ (Reliability) है, निरंतरता भी विश्वसनीयता का संकेत है, और व्यापक प्रयोज्यता ‘सामान्यीकरण’ (Generalizability) से संबंधित है।
प्रश्न 16: भारत में ‘धर्मनिरपेक्षता’ (Secularism) की अवधारणा को लेकर समकालीन बहसें मुख्य रूप से किन दो दृष्टिकोणों के बीच टकराव को दर्शाती हैं?
- राज्य और धर्म का पूर्ण पृथक्करण बनाम राज्य का सभी धर्मों के प्रति तटस्थ या समान व्यवहार
- धार्मिक स्वतंत्रता बनाम धार्मिक अल्पसंख्यकों का संरक्षण
- धार्मिक सहिष्णुता बनाम धार्मिक कट्टरवाद
- पश्चिमी धर्मनिरपेक्षता बनाम भारतीय धर्मनिरपेक्षता
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: भारतीय धर्मनिरपेक्षता पश्चिमी मॉडल (राज्य और चर्च का पूर्ण अलगाव) से भिन्न है। यह अक्सर ‘सभी धर्मों के प्रति समान व्यवहार’ (Sarva Dharma Sama Bhava) या ‘धार्मिक तटस्थता’ (State Neutrality) के रूप में व्याख्यायित की जाती है, जहाँ राज्य सभी धर्मों को समान सम्मान देता है और कभी-कभी अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के लिए हस्तक्षेप भी करता है, जबकि पश्चिमी मॉडल में राज्य का धर्म से स्पष्ट अलगाव होता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह बहस राज्य की भूमिका, धार्मिक समुदायों के साथ उसके संबंध और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की सुरक्षा के इर्द-गिर्द घूमती है।
- गलत विकल्प: हालांकि अन्य विकल्प संबंधित हैं, मुख्य बहस राज्य की धार्मिक भूमिका की प्रकृति के बारे में है।
प्रश्न 17: सामाजिक गतिशीलता (Social Mobility) से तात्पर्य है:
- समाज में मौजूदा शक्ति संरचना का बने रहना
- एक पीढ़ी या एक ही पीढ़ी के भीतर व्यक्तियों या समूहों की सामाजिक स्थिति में परिवर्तन
- सामाजिक मानदंडों का पालन करना
- समूह के भीतर एकता को मजबूत करना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: सामाजिक गतिशीलता एक व्यक्ति या समूह की समाज में एक स्थिति से दूसरी स्थिति में जाने की प्रक्रिया है। यह ऊर्ध्वाधर (ऊपर या नीचे) या क्षैतिज (समान स्तर पर) हो सकती है, और अंतर-पीढ़ी (Intergenerational) या अंतर-पीढ़ी (Intragenerational) हो सकती है।
- संदर्भ और विस्तार: यह समाज में अवसरों की उपलब्धता और सामाजिक संरचना की लचीलेपन का एक संकेतक है।
- गलत विकल्प: अन्य विकल्प सामाजिक गतिशीलता की परिभाषा से मेल नहीं खाते हैं।
प्रश्न 18: हरबर्ट स्पेंसर के ‘सामाजिक डार्विनवाद’ (Social Darwinism) के सिद्धांत का मूल विचार क्या था?
- समाज उत्तरोत्तर अधिक सहकारी और एकजुट होता जाएगा
- सामाजिक विकास प्रकृति के ‘योग्यतम की उत्तरजीविता’ (Survival of the Fittest) के नियम का पालन करता है
- समाजशास्त्रियों को सामाजिक सुधारों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए
- सभी सामाजिक संस्थाएं समान रूप से महत्वपूर्ण हैं
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: स्पेंसर ने चार्ल्स डार्विन के विकासवाद के सिद्धांतों को मानव समाज पर लागू किया। उन्होंने तर्क दिया कि समाज एक जैविक जीव की तरह विकसित होता है, और जो समाज या व्यक्ति सबसे अनुकूलनीय और “योग्यतम” होते हैं, वही जीवित रहते हैं और पनपते हैं, जबकि अन्य विलुप्त हो जाते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: इस सिद्धांत का उपयोग अक्सर गरीबों और कमजोरों के प्रति उदासीनता को सही ठहराने के लिए किया गया था, क्योंकि यह मानता था कि उनकी स्थिति उनकी अयोग्यता का परिणाम है।
- गलत विकल्प: स्पेंसर का जोर संघर्ष और प्रतियोगिता पर था, सहयोग पर नहीं; उन्होंने सामाजिक सुधारों के बजाय प्राकृतिक चयन की प्रक्रिया पर भरोसा किया; और उन्होंने संस्थाओं की समानता के बजाय भिन्नता और विशेषज्ञता पर जोर दिया।
प्रश्न 19: रॉबर्ट के. मर्टन के अनुसार, शिक्षा प्रणाली के ‘प्रकट कार्य’ (Manifest Function) और ‘अव्यक्त कार्य’ (Latent Function) के बीच क्या अंतर है?
- प्रकट कार्य संस्था के प्रत्यक्ष उद्देश्य हैं, जबकि अव्यक्त कार्य अनपेक्षित परिणाम हैं।
- प्रकट कार्य हमेशा सकारात्मक होते हैं, जबकि अव्यक्त कार्य हमेशा नकारात्मक होते हैं।
- प्रकट कार्य व्यक्तिगत लाभ से संबंधित हैं, जबकि अव्यक्त कार्य सामाजिक लाभ से।
- प्रकट कार्य छोटे समूहों के लिए हैं, जबकि अव्यक्त कार्य बड़े समाजों के लिए।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: मर्टन ने ‘प्रकट कार्य’ को किसी संस्था के उद्देश्यपूर्ण, मान्यता प्राप्त और इच्छित परिणाम के रूप में परिभाषित किया (जैसे शिक्षा का उद्देश्य ज्ञान प्रदान करना)। ‘अव्यक्त कार्य’ वे अनपेक्षित, अनजाने या अप्रत्यक्ष परिणाम होते हैं जो संस्था से उत्पन्न होते हैं (जैसे शिक्षा सामाजिक नेटवर्क बनाने या नौकरी पाने का मार्ग बन सकती है)।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा मर्टन के संरचनात्मक-कार्यात्मकता (Structural-functionalism) ढांचे में महत्वपूर्ण है, जो समाजशास्त्रीय विश्लेषण के लिए एक अधिक सूक्ष्म दृष्टिकोण प्रदान करती है।
- गलत विकल्प: अव्यक्त कार्य सकारात्मक, नकारात्मक या तटस्थ हो सकते हैं, और वे व्यक्तिगत या सामाजिक दोनों हो सकते हैं; यह भेद उनके इरादे पर आधारित है।
प्रश्न 20: स्वतंत्र भारत में भूमि सुधारों (Land Reforms) का प्राथमिक लक्ष्य क्या रहा है?
- कृषि उत्पादन को अधिकतम करना
- खेती योग्य भूमि के स्वामित्व के संकेंद्रण को कम करना और किसानों के बीच पुनर्वितरण
- ग्रामीण क्षेत्रों में औद्योगीकरण को बढ़ावा देना
- ग्रामीण-शहरी प्रवासन को प्रोत्साहित करना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: भारत में भूमि सुधारों का मुख्य उद्देश्य सदियों से चली आ रही सामंती भू-स्वामित्व व्यवस्था को समाप्त करना, बिचौलियों (जैसे जमींदारों) को हटाना, भूमि का पुनर्वितरण करना और किसानों को भूमि का स्वामित्व देना था ताकि सामाजिक न्याय और आर्थिक समानता को बढ़ावा मिले।
- संदर्भ और विस्तार: इसमें चकबंदी, काश्तकारी सुधार, भूमि सीमा कानून और काश्तकारी को पट्टे का अधिकार देना जैसे उपाय शामिल थे।
- गलत विकल्प: कृषि उत्पादन बढ़ाना एक परिणाम हो सकता है, लेकिन प्राथमिक लक्ष्य नहीं; औद्योगीकरण और प्रवासन इसके प्रत्यक्ष उद्देश्य नहीं हैं।
प्रश्न 21: मैक्स वेबर के अनुसार, ‘नौकरशाही’ (Bureaucracy) की प्रमुख विशेषता क्या है, जो इसे एक कुशल संगठन बनाती है?
- व्यक्तिगत निर्णय और अनौपचारिकता
- पद सोपान (Hierarchy), विशेषज्ञता, लिखित नियम और निष्पक्षता
- समूह की भावना और व्यक्तिगत संबंध
- परिवर्तन के प्रति प्रतिरोध
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: वेबर ने नौकरशाही को तर्कसंगत-कानूनी (Rational-Legal) अधिकार के आधार पर एक आदर्श प्रकार (Ideal Type) के रूप में वर्णित किया। इसकी मुख्य विशेषताओं में स्पष्ट पद सोपान, श्रम का विभाजन (विशेषज्ञता), लिखित नियमों और प्रक्रियाओं का एक सेट, और अधिकारियों द्वारा निष्पक्ष (व्यक्तिगत भावनाओं या पूर्वाग्रहों से मुक्त) आचरण शामिल है।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर का मानना था कि यह संगठन का सबसे कुशल रूप है, हालांकि उन्होंने इसके ‘लोहे के पिंजरे’ (Iron Cage) के रूप में विकसित होने के खतरे को भी पहचाना।
- गलत विकल्प: अन्य विकल्प नौकरशाही की आदर्श विशेषताओं के विपरीत हैं।
प्रश्न 22: एंथोनी गिडेंस की ‘संरचनाकरण’ (Structuration) का सिद्धांत किस सामाजिक सिद्धांत के साथ जुड़ा हुआ है?
- संरचनावाद
- द्वंद्वात्मक भौतिकवाद
- संरचनात्मक-कार्यात्मकता
- मार्क्सवाद
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: गिडेंस की संरचनाकरण सिद्धांत सामाजिक संरचना (Structure) और मानव क्रिया (Agency) के बीच द्वैतवाद को संबोधित करता है। उनका तर्क है कि सामाजिक संरचनाएं मानव क्रियाओं द्वारा ही निर्मित, पुनरुत्पादित और परिवर्तित होती हैं, और बदले में, ये संरचनाएं मानव क्रियाओं को संभव बनाती हैं और उन्हें आकार देती हैं। यह सिद्धांत, यद्यपि संरचनावाद से जुड़ा है, यह ‘संरचना’ और ‘क्रिया’ को अविभाज्य मानता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत संरचनावाद और क्रियावाद के बीच लंबे समय से चली आ रही बहस को सुलझाने का प्रयास करता है।
- गलत विकल्प: द्वंद्वात्मक भौतिकवाद, संरचनात्मक-कार्यात्मकता और मार्क्सवाद अलग-अलग सिद्धांत हैं, हालांकि गिडेंस ने इन पर प्रतिक्रिया की है।
प्रश्न 23: रॉबर्ट रेडफील्ड के ‘लोक-शहरी सातत्य’ (Folk-Urban Continuum) की अवधारणा क्या समझाती है?
- शहरी जीवन हमेशा ग्रामीण जीवन से बेहतर होता है
- समाज सरलता से या तो ‘लोक’ (Folk) या ‘शहरी’ (Urban) के रूप में वर्गीकृत किए जा सकते हैं
- समाज एक ‘लोक’ (Folk) से ‘शहरी’ (Urban) मॉडल की ओर धीरे-धीरे बदलते हैं, जिसमें बीच की अवस्थाएँ होती हैं
- सभी समाज अंततः शहरीकृत हो जाएंगे
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: रेडफील्ड ने यह विचार प्रस्तुत किया कि समाज पूरी तरह से ‘लोक’ (सरल, पारंपरिक, सजातीय) और ‘शहरी’ (जटिल, आधुनिक, विषम) श्रेणियों में विभाजित नहीं होते, बल्कि एक सातत्य (Continuum) पर स्थित होते हैं। समाज लोक से शहरी की ओर बढ़ते हुए इन अवस्थाओं से गुजरते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा समुदाय के अध्ययन और सामाजिक परिवर्तन को समझने के लिए उपयोगी है।
- गलत विकल्प: यह एक रैखिक विकास का मॉडल है, न कि एक निश्चित वर्गीकरण या पूर्ण शहरीकरण का दावा।
प्रश्न 24: वैश्वीकरण (Globalization) का भारतीय समाज पर पड़ने वाले प्रभावों में से एक प्रमुख सांस्कृतिक प्रभाव क्या है?
- स्थानीय भाषाओं का अधिक प्रसार
- भारतीय संस्कृति का विश्वव्यापी प्रसार और पश्चिमी संस्कृति का स्थानीयकरण
- धार्मिक कट्टरवाद में वृद्धि
- पारंपरिक संस्थाओं का सुदृढ़ीकरण
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: वैश्वीकरण ने न केवल पश्चिमी संस्कृति के तत्वों (जैसे फास्ट फूड, फैशन, मीडिया) को भारतीय समाज में लाया है, बल्कि इसने भारतीय संस्कृति, संगीत, सिनेमा (जैसे बॉलीवुड) को भी वैश्विक मंच पर पहुँचाया है। यह एक द्विदिशीय प्रक्रिया है जहाँ स्थानीय और वैश्विक संस्कृतियाँ एक-दूसरे को प्रभावित और रूपांतरित करती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: इसे अक्सर ‘ग्लोकलाइजेशन’ (Glocalization) या ‘हाइब्रिडाइजेशन’ (Hybridization) जैसे शब्दों से भी समझा जाता है।
- गलत विकल्प: जबकि स्थानीय भाषाओं का प्रभाव मिश्रित हो सकता है, और धार्मिक कट्टरवाद या संस्थाओं पर प्रभाव जटिल हैं, पश्चिमी संस्कृति का प्रभाव और भारतीय संस्कृति का वैश्विक प्रसार वैश्वीकरण का एक प्रमुख सांस्कृतिक पहलू है।
प्रश्न 25: भारत में जनजातीय समुदायों (Tribal Communities) के संबंध में ‘एकीकरण’ (Integration) और ‘अलगाव’ (Isolation) के दृष्टिकोणों का क्या अर्थ है?
- एकीकरण का अर्थ है जनजातियों को मुख्यधारा के समाज में शामिल करना, जबकि अलगाव का अर्थ है उनकी पारंपरिक जीवन शैली और स्वायत्तता को बनाए रखना।
- एकीकरण का अर्थ है जनजातियों का पूर्ण पश्चिमीकरण, जबकि अलगाव का अर्थ है उनका पूर्ण बहिष्कार।
- एकीकरण का अर्थ है उनकी संस्कृति का संरक्षण, जबकि अलगाव का अर्थ है उन्हें विकास से दूर रखना।
- एकीकरण का अर्थ है जबरन विस्थापन, जबकि अलगाव का अर्थ है आरक्षण।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: जनजातीय समुदायों के संबंध में ‘एकीकरण’ का दृष्टिकोण उन्हें राष्ट्रीय समाज की मुख्यधारा में शामिल करने, उनकी संस्कृति को बनाए रखते हुए उन्हें विकास के अवसरों, शिक्षा और राजनीतिक प्रतिनिधित्व से जोड़ने का प्रयास करता है। ‘अलगाव’ का दृष्टिकोण, इसके विपरीत, उनकी विशिष्ट पहचान, संस्कृति और उनके पारंपरिक निवास क्षेत्रों को संरक्षित करने पर जोर देता है, अक्सर उन्हें बाहरी दुनिया के हस्तक्षेप से बचाने के विचार के साथ।
- संदर्भ और विस्तार: भारत में इन दोनों दृष्टिकोणों के बीच एक निरंतर बहस रही है, और नीतियों को अक्सर इन्हें संतुलित करने का प्रयास करना पड़ता है।
- गलत विकल्प: अन्य विकल्प इन अवधारणाओं की सटीक या व्यापक व्याख्या नहीं करते हैं।