आज का ऐतिहासिक रण: अपनी तैयारी का करें निर्णायक मूल्यांकन!
आइए, इतिहास के विशाल सागर में एक बार फिर गोता लगाएँ! यह समय है अपनी ज्ञान की नौका को परखने का और उन महत्वपूर्ण घटनाओं, व्यक्तित्वों व अवधियों को याद करने का, जिन्होंने हमारी दुनिया को आकार दिया है। प्रस्तुत हैं इतिहास के 25 प्रश्न, जो आपकी तैयारी का निर्णायक मूल्यांकन करेंगे। कमर कस लें, यह ज्ञान का रण है!
History Practice Questions
Instructions: Attempt the following 25 questions and analyze your understanding with the detailed explanations provided.
Question 1: सिंधु घाटी सभ्यता के किस स्थल से स्टेडियम का एकमात्र साक्ष्य प्राप्त हुआ है?
- हड़प्पा
- मोहनजोदड़ो
- धोलावीरा
- कालीबंगा
Answer: (c)
Detailed Explanation:
- Correctness: धोलावीरा, गुजरात में स्थित सिंधु घाटी सभ्यता का एक प्रमुख स्थल है, जहाँ से एक बड़े स्टेडियम जैसी संरचना के अवशेष मिले हैं, जिसका उपयोग संभवतः सार्वजनिक सभाओं या खेलों के लिए किया जाता था।
- Context & Elaboration: धोलावीरा अपनी अनूठी जल प्रबंधन प्रणाली और सुनियोजित शहरी नियोजन के लिए भी जाना जाता है। यहाँ की वास्तुकला अन्य हड़प्पा स्थलों से भिन्न थी, जिसमें पत्थर का अधिक प्रयोग देखा गया।
- Incorrect Options: हड़प्पा और मोहनजोदड़ो महत्वपूर्ण स्थल हैं जहाँ से विशाल अन्नागार, स्नानागार और मुहरें मिली हैं, लेकिन स्टेडियम के साक्ष्य के लिए धोलावीरा ही प्रमुख है। कालीबंगा से जुते हुए खेत के साक्ष्य मिले हैं।
Question 2: ऋग्वेद में ‘गायत्री मंत्र’ किस देवता को समर्पित है?
- इंद्र
- वरुण
- सूर्य (सावित्री)
- अग्नि
Answer: (c)
Detailed Explanation:
- Correctness: ऋग्वेद के तीसरे मंडल में स्थित प्रसिद्ध गायत्री मंत्र, सूर्य देव के एक रूप ‘सावित्री’ को समर्पित है। यह मंत्र आत्मा को ज्ञान और प्रकाश की ओर प्रेरित करने की प्रार्थना करता है।
- Context & Elaboration: गायत्री मंत्र को वेदों का सार माना जाता है और यह प्राचीन भारतीय दर्शन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह ऊँ (ओम्) से शुरू होता है और इसका जाप अत्यंत पवित्र माना जाता है।
- Incorrect Options: इंद्र ऋग्वेद के प्रमुख देवता हैं, जिन्हें युद्ध और वर्षा का देवता माना जाता है। वरुण जल और नैतिकता के देवता हैं, जबकि अग्नि यज्ञ और संदेशवाहक देवता हैं।
Question 3: सम्राट अशोक के किस शिलालेख में अशोक के कलिंग युद्ध के पश्चात् हृदय परिवर्तन और बौद्ध धर्म अपनाने की सूचना मिलती है?
- पहला शिलालेख
- चौदहवां शिलालेख
- तेरहवां शिलालेख
- दूसरा शिलालेख
Answer: (c)
Detailed Explanation:
- Correctness: अशोक का तेरहवां शिलालेख सबसे महत्वपूर्ण शिलालेखों में से एक है। इसमें कलिंग युद्ध (लगभग 261 ईसा पूर्व) के विनाशकारी परिणामों का वर्णन है, जिसके बाद अशोक ने अहिंसा और धम्म (धर्म) का मार्ग अपनाया और बौद्ध धर्म की ओर झुकाव दिखाया।
- Context & Elaboration: इस शिलालेख में अशोक ने अपने पड़ोसी राज्यों को भी धम्म का प्रचार करने का आदेश दिया। यह युद्ध मौर्य साम्राज्य के इतिहास में एक निर्णायक मोड़ था, जिसने सम्राट अशोक की नीतियों को गहराई से प्रभावित किया।
- Incorrect Options: पहले शिलालेख में पशु बलि की निंदा है, दूसरे में दक्षिण भारतीय राज्यों और चोल, पांड्य आदि का उल्लेख है, जबकि चौदहवें में अशोक सभी प्रजाओं को अपनी संतान बताता है।
Question 4: ‘मेहरौली लौह स्तंभ लेख’ किस गुप्त शासक के बारे में जानकारी देता है?
- चंद्रगुप्त प्रथम
- समुद्रगुप्त
- चंद्रगुप्त द्वितीय
- कुमारगुप्त प्रथम
Answer: (c)
Detailed Explanation:
- Correctness: मेहरौली लौह स्तंभ लेख, जो दिल्ली में स्थित है, संभवतः गुप्त शासक चंद्रगुप्त द्वितीय (विक्रमादित्य) के बारे में जानकारी प्रदान करता है। यह लेख संभवतः चंद्रगुप्त द्वितीय की पश्चिम भारत पर विजय और गंगा नदी के पार उनके शासन के विस्तार का संकेत देता है।
- Context & Elaboration: यह स्तंभ अपनी रासायनिक संरचना के कारण सदियों से जंग लगने से अछूता रहा है, जो प्राचीन भारतीय धातु कर्म की उन्नत तकनीक को दर्शाता है। लेख में ‘चंद्र’ नामक एक शासक का उल्लेख है, जिसे अधिकतर इतिहासकार चंद्रगुप्त द्वितीय मानते हैं।
- Incorrect Options: चंद्रगुप्त प्रथम ने गुप्त संवत चलाया, समुद्रगुप्त को भारत का नेपोलियन कहा जाता है, और कुमारगुप्त प्रथम ने नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना की, लेकिन मेहरौली स्तंभ मुख्य रूप से चंद्रगुप्त द्वितीय से जुड़ा है।
Question 5: चालुक्य शासक पुलकेशिन द्वितीय को किस दक्षिण भारतीय राजा ने हराया था?
- राजराज चोल प्रथम
- महेंद्रवर्मन प्रथम
- नरसिंहवर्मन प्रथम
- कृष्ण देवराय
Answer: (c)
Detailed Explanation:
- Correctness: पल्लव राजा नरसिंहवर्मन प्रथम ने चालुक्य राजा पुलकेशिन द्वितीय को 642 ईस्वी में युद्ध में पराजित किया और संभवतः मार डाला। इस विजय के उपलक्ष्य में नरसिंहवर्मन प्रथम ने ‘वातापीकोंड’ (वातापी का विजेता) की उपाधि धारण की।
- Context & Elaboration: यह युद्ध चालुक्य और पल्लव साम्राज्यों के बीच शक्ति संघर्ष का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था। पुलकेशिन द्वितीय एक शक्तिशाली शासक था जिसने उत्तर भारत के राजा हर्षवर्धन को भी हराया था, लेकिन दक्षिण में उसे पल्लवों से हार का सामना करना पड़ा।
- Incorrect Options: राजराज चोल प्रथम चोल वंश के एक महान शासक थे जिन्होंने 10वीं-11वीं शताब्दी में शासन किया। महेंद्रवर्मन प्रथम नरसिंहवर्मन प्रथम के पिता थे। कृष्ण देवराय विजयनगर साम्राज्य के शासक थे जो 16वीं शताब्दी में हुए।
Question 6: दिल्ली सल्तनत के किस सुल्तान ने ‘दीवान-ए-मुस्तखराज’ नामक एक नया राजस्व विभाग स्थापित किया था?
- इल्तुतमिश
- बलबन
- अलाउद्दीन खिलजी
- गयासुद्दीन तुगलक
Answer: (c)
Detailed Explanation:
- Correctness: अलाउद्दीन खिलजी (शासनकाल 1296-1316 ई.) ने ‘दीवान-ए-मुस्तखराज’ नामक एक विभाग की स्थापना की थी। इसका मुख्य कार्य बकाया राजस्व की वसूली सुनिश्चित करना था, विशेष रूप से उन क्षेत्रों से जहाँ लगान वसूली में कठिनाइयाँ आती थीं।
- Context & Elaboration: अलाउद्दीन खिलजी ने अपने साम्राज्य में राजस्व और आर्थिक सुधारों पर विशेष ध्यान दिया ताकि वह एक स्थायी और शक्तिशाली सेना बनाए रख सके। उसने बाजार नियंत्रण और मूल्य नियंत्रण जैसी नीतियां भी लागू कीं।
- Incorrect Options: इल्तुतमिश ने ‘दीवान-ए-आरिज’ (सैन्य विभाग) की स्थापना की थी। बलबन ने ‘दीवान-ए-अर्ज’ का गठन किया जो सैन्य विभाग था। गयासुद्दीन तुगलक ने तुगलक वंश की नींव रखी।
Question 7: बहमनी राज्य के संस्थापक कौन थे?
- अलाउद्दीन बहमन शाह
- हुमायूँ शाह
- ताजुद्दीन फिरोज शाह
- शिहाबुद्दीन अहमद
Answer: (a)
Detailed Explanation:
- Correctness: बहमनी सल्तनत की स्थापना 1347 ईस्वी में हसन गंगू, जिन्हे अलाउद्दीन बहमन शाह के नाम से भी जाना जाता है, ने की थी। उन्होंने मुहम्मद बिन तुगलक के शासन काल के दौरान उसकी कमजोरी का फायदा उठाकर स्वतंत्र राज्य की घोषणा की।
- Context & Elaboration: बहमनी सल्तनत दक्कन क्षेत्र में एक प्रमुख मुस्लिम राज्य था जिसने लगभग 150 वर्षों तक शासन किया। हसन गंगू ने दिल्ली सल्तनत के ख़िलाफ़ विद्रोह कर गुलबर्गा को अपनी राजधानी बनाया।
- Incorrect Options: हुमायूँ शाह, ताजुद्दीन फिरोज शाह और शिहाबुद्दीन अहमद बहमनी वंश के बाद के शासक थे, जिन्होंने सल्तनत के विकास में योगदान दिया।
Question 8: विजयनगर साम्राज्य के सबसे प्रसिद्ध शासक कृष्ण देवराय, किस वंश से संबंधित थे?
- संगम वंश
- सलुव वंश
- तुलुव वंश
- अराविदु वंश
Answer: (c)
Detailed Explanation:
- Correctness: विजयनगर साम्राज्य के महानतम शासकों में से एक, कृष्ण देवराय, तुलुव वंश के शासक थे। उन्होंने 1509 से 1529 ईस्वी तक शासन किया और उनके शासनकाल को विजयनगर साम्राज्य का स्वर्ण युग माना जाता है।
- Context & Elaboration: कृष्ण देवराय स्वयं एक विद्वान थे और उन्होंने तेलुगु में ‘आमुक्तमाल्यदा’ नामक महाकाव्य की रचना की। उनके दरबार में तेलुगु के आठ महान विद्वान ‘अष्टदिग्गज’ सुशोभित थे। उन्होंने साहित्य, कला और वास्तुकला को अत्यधिक संरक्षण दिया।
- Incorrect Options: संगम वंश विजयनगर साम्राज्य का प्रारंभिक वंश था, जिसकी स्थापना हरिहर और बुक्का ने की थी। सलुव वंश नरसिंह सलुव ने स्थापित किया था, और अराविदु वंश साम्राज्य का अंतिम वंश था।
Question 9: ‘तारीख-ए-फिरोजशाही’ का लेखक कौन था, जिसने मुहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल का भी वर्णन किया है?
- जियाउद्दीन बरनी
- अमीर खुसरो
- मिन्हाज-उस-सिराज
- इब्न बतूता
Answer: (a)
Detailed Explanation:
- Correctness: जियाउद्दीन बरनी एक प्रमुख इतिहासकार थे जिन्होंने ‘तारीख-ए-फिरोजशाही’ की रचना की। इस ग्रंथ में उन्होंने बलबन से लेकर फिरोजशाह तुगलक तक के तुगलक वंश के शासकों के शासनकाल का विस्तृत वर्णन किया है, जिसमें मुहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल पर विशेष ध्यान दिया गया है।
- Context & Elaboration: बरनी की लेखन शैली आलोचनात्मक और विश्लेषणात्मक थी, जो उन्हें अन्य समकालीन इतिहासकारों से अलग करती है। उन्होंने सुल्तानों की नीतियों के सामाजिक और आर्थिक प्रभावों पर भी प्रकाश डाला।
- Incorrect Options: अमीर खुसरो ने ‘तुगलकनामा’ लिखी थी। मिन्हाज-उस-सिराज ने ‘तबकात-ए-नासिरी’ लिखी थी। इब्न बतूता एक मोरक्को यात्री था जो भारत आया था और उसने ‘रेहला’ नामक यात्रा वृत्तांत लिखा।
Question 10: गुरु नानक देव ने अपनी शिक्षाओं को किस भाषा में उपदेशित किया?
- संस्कृत
- पंजाबी
- फारसी
- ब्रज
Answer: (b)
Detailed Explanation:
- Correctness: गुरु नानक देव, सिख धर्म के संस्थापक, ने अपनी शिक्षाओं और उपदेशों के लिए मुख्य रूप से पंजाबी भाषा का प्रयोग किया। उनकी रचनाएँ ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ में संकलित हैं, जिसमें पंजाबी के साथ-साथ अन्य प्रादेशिक भाषाओं का भी मिश्रण है।
- Context & Elaboration: गुरु नानक देव ने तत्कालीन सामाजिक और धार्मिक रूढ़ियों का खंडन किया और एकेश्वरवाद, समानता और सेवा पर जोर दिया। उन्होंने अपने जीवनकाल में अनेक ‘उदासी’ (धार्मिक यात्राएं) कीं और लोगों को अपनी भाषा में ही उपदेश दिए।
- Incorrect Options: संस्कृत विद्वानों की भाषा थी, फारसी मुगल दरबार की भाषा थी, और ब्रज भाषा भी उत्तर भारत में प्रचलित थी, लेकिन गुरु नानक देव की प्रत्यक्ष उपदेश की भाषा पंजाबी ही थी।
Question 11: किस पुर्तगाली गवर्नर ने भारत में ‘ब्लू वाटर पॉलिसी’ (नील जल नीति) लागू की थी?
- वास्को डी गामा
- फ्रांसिस्को डी अल्मेडा
- अल्फांसो डी अल्बुकर्क
- नीनो डी कुन्हा
Answer: (b)
Detailed Explanation:
- Correctness: फ्रांसिस्को डी अल्मेडा, जो भारत में पुर्तगाली साम्राज्य के पहले गवर्नर थे (1505-1509), ने ‘ब्लू वाटर पॉलिसी’ या ‘नील जल नीति’ लागू की थी। इसका उद्देश्य हिंद महासागर में पुर्तगाली वर्चस्व स्थापित करना और अन्य देशों के जहाजों को नियंत्रित करना था।
- Context & Elaboration: इस नीति के तहत, पुर्तगालियों ने बिना अनुमति के भारतीय व्यापारियों को समुद्र में व्यापार करने से रोकने की कोशिश की और जहाजों पर ‘कार्टेज’ (परमिट) की व्यवस्था लागू की। यह नीति पुर्तगाली नौसैनिक शक्ति पर आधारित थी।
- Incorrect Options: वास्को डी गामा भारत आने वाले पहले पुर्तगाली थे। अल्फांसो डी अल्बुकर्क ने गोवा पर कब्ज़ा किया और पुर्तगाली शक्ति का विस्तार किया। नीनो डी कुन्हा ने अल्मेडा के बाद गवर्नर का पद संभाला।
Question 12: 1857 के विद्रोह के समय मुगल बादशाह कौन था?
- अकबर द्वितीय
- बहादुर शाह प्रथम
- बहादुर शाह द्वितीय (जफर)
- अकबर प्रथम
Answer: (c)
Detailed Explanation:
- Correctness: 1857 के भारतीय विद्रोह के दौरान, मुगल बादशाह बहादुर शाह द्वितीय थे, जिन्हें बहादुर शाह जफर के नाम से भी जाना जाता है। हालाँकि, उस समय उनकी सत्ता नाममात्र की थी और दिल्ली पर अंग्रेजों का वास्तविक नियंत्रण था। विद्रोहियों ने उन्हें अपना नेता घोषित कर दिया था।
- Context & Elaboration: विद्रोह के बाद, अंग्रेजों ने बहादुर शाह द्वितीय को रंगून (वर्तमान म्यांमार) निर्वासित कर दिया, जहाँ 1862 में उनकी मृत्यु हो गई। उनके निधन के साथ ही भारत में मुगल साम्राज्य का अंत हो गया।
- Incorrect Options: अकबर द्वितीय 1837 तक राजा थे। बहादुर शाह प्रथम (मुअज्जम) 1707-1712 तक शासक थे। अकबर प्रथम (महान) 1605 में मर चुके थे।
Question 13: 1793 में लॉर्ड कॉर्नवालिस द्वारा लागू ‘स्थायी बंदोबस्त’ (Permanent Settlement) के तहत बंगाल के कितने प्रतिशत भूमि पर यह व्यवस्था लागू की गई थी?
- लगभग 10%
- लगभग 19%
- लगभग 33%
- लगभग 57%
Answer: (b)
Detailed Explanation:
- Correctness: लॉर्ड कॉर्नवालिस द्वारा 1793 में लागू किए गए स्थायी बंदोबस्त के तहत बंगाल, बिहार और ओडिशा के लगभग 19% भूमि क्षेत्र को शामिल किया गया था। इस व्यवस्था में जमींदारों को भूमि का मालिक बनाया गया था और उनसे कर वसूलने का अधिकार छीन लिया गया था।
- Context & Elaboration: इस व्यवस्था का उद्देश्य एक स्थिर और अनुमानित राजस्व प्राप्त करना था, साथ ही जमींदारों को ब्रिटिश शासन का समर्थक बनाना था। हालाँकि, इसके कारण किसानों का शोषण बढ़ा और कई जमींदार अपनी भूमि से हाथ धो बैठे।
- Incorrect Options: शेष प्रतिशत भूमि अन्य क्षेत्रों में लागू विभिन्न राजस्व प्रणालियों (जैसे रैयतवाड़ी या महलवाड़ी) के अंतर्गत आती थी।
Question 14: राजा राम मोहन राय ने ‘ब्रह्म समाज’ की स्थापना किस वर्ष की थी?
- 1815
- 1820
- 1828
- 1833
Answer: (c)
Detailed Explanation:
- Correctness: राजा राम मोहन राय, जिन्हें ‘भारतीय पुनर्जागरण का अग्रदूत’ भी कहा जाता है, ने 1828 ईस्वी में ‘ब्रह्म समाज’ की स्थापना की। यह एक एकेश्वरवादी समाज था जिसने एकेश्वरवाद, सामाजिक सुधार और अंधविश्वासों के उन्मूलन पर जोर दिया।
- Context & Elaboration: ब्रह्म समाज ने सती प्रथा के उन्मूलन, जाति प्रथा के विरोध और महिलाओं के अधिकारों के समर्थन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। राजा राम मोहन राय आधुनिक भारत के एक महान समाज सुधारक और विचारक थे।
- Incorrect Options: 1815 में राजा राम मोहन राय ने ‘आत्मीय सभा’ की स्थापना की थी, जो ब्रह्म समाज का पूर्ववर्ती रूप थी। 1820 में उन्होंने ईसाई धर्म का अध्ययन किया और 1833 में ब्रिस्टल (इंग्लैंड) में उनकी मृत्यु हो गई।
Question 15: ज्योतिबा फुले द्वारा स्थापित ‘सत्यशोधक समाज’ का मुख्य उद्देश्य क्या था?
- धार्मिक सुधार
- कृषि सुधार
- दलितों और स्त्रियों का उत्थान
- ब्राह्मणों के प्रभुत्व को समाप्त करना
Answer: (c)
Detailed Explanation:
- Correctness: ज्योतिबा फुले ने 1873 ईस्वी में ‘सत्यशोधक समाज’ की स्थापना की। इस समाज का मुख्य उद्देश्य निम्न जातियों, विशेषकर दलितों और स्त्रियों को शिक्षा और सामाजिक समानता प्रदान करना था, ताकि वे ब्राह्मणवादी वर्चस्व से मुक्त हो सकें।
- Context & Elaboration: ज्योतिबा फुले ने महाराष्ट्र में दलितों और स्त्रियों के अधिकारों के लिए अथक संघर्ष किया। उन्होंने 1848 में पुणे में पहला बालिका विद्यालय भी खोला। सत्यशोधक समाज ने समाज में व्याप्त आडंबरों, अंधविश्वासों और जातिगत भेदभाव को दूर करने का प्रयास किया।
- Incorrect Options: जबकि सभी सुधार एक-दूसरे से जुड़े थे, सत्यशोधक समाज का प्राथमिक ध्यान दलितों और स्त्रियों के सामाजिक और शैक्षिक उत्थान पर था, जो जाति-आधारित भेदभाव को चुनौती देता था।
Question 16: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रथम अधिवेशन की अध्यक्षता किसने की थी?
- ए. ओ. ह्यूम
- सुरेन्द्रनाथ बनर्जी
- व्योमेश चंद्र बनर्जी
- दादाभाई नौरोजी
Answer: (c)
Detailed Explanation:
- Correctness: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का पहला अधिवेशन 1885 में बंबई (अब मुंबई) में हुआ था, जिसकी अध्यक्षता व्योमेश चंद्र बनर्जी (W.C. Banerjee) ने की थी।
- Context & Elaboration: इस अधिवेशन में 72 प्रतिनिधियों ने भाग लिया था। यह अधिवेशन भारत में संगठित राष्ट्रीय आंदोलन के आरंभ का प्रतीक था। ए. ओ. ह्यूम ने कांग्रेस की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, लेकिन वे इसके पहले भारतीय अध्यक्ष नहीं थे।
- Incorrect Options: ए. ओ. ह्यूम कांग्रेस के संस्थापक थे। सुरेन्द्रनाथ बनर्जी कांग्रेस के प्रमुख नेताओं में से थे लेकिन पहले अधिवेशन के अध्यक्ष नहीं थे। दादाभाई नौरोजी ने बाद में कांग्रेस की अध्यक्षता की थी।
Question 17: कांग्रेस के किस अधिवेशन में ‘गरम दल’ और ‘नरम दल’ के बीच मतभेद चरम पर पहुँच गए और अधिवेशन कांग्रेसी सदस्यों के बीच ही हिंसक झड़प के कारण संपन्न नहीं हो सका?
- बनारस अधिवेशन (1905)
- कलकत्ता अधिवेशन (1906)
- सूरत अधिवेशन (1907)
- लाहौर अधिवेशन (1909)
Answer: (c)
Detailed Explanation:
- Correctness: 1907 में सूरत में आयोजित कांग्रेस अधिवेशन में गरम दल (अतिवादी) और नरम दल (उदारवादी) के नेताओं के बीच राजनीतिक मतभेद इस हद तक बढ़ गए कि अधिवेशन बीच में ही स्थगित करना पड़ा। इस घटना को ‘सूरत फूट’ के नाम से जाना जाता है।
- Context & Elaboration: गरम दल बाल गंगाधर तिलक के नेतृत्व में स्वदेशी आंदोलन को बंगाल से बाहर अन्य क्षेत्रों में भी फैलाने और पूर्ण स्वराज की मांग करने पर जोर दे रहा था, जबकि नरम दल ब्रिटिश सरकार के साथ संवैधानिक तरीकों पर विश्वास रखता था।
- Incorrect Options: बनारस अधिवेशन (1905) में स्वदेशी आंदोलन का समर्थन किया गया था। कलकत्ता अधिवेशन (1906) में ‘स्वराज’ शब्द का प्रयोग पहली बार कांग्रेस के मंच से हुआ था। लाहौर अधिवेशन 1909 में नहीं, बल्कि 1929 में पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव पारित हुआ था।
Question 18: महात्मा गांधी ने दांडी मार्च (नमक सत्याग्रह) की शुरुआत कब की थी?
- 12 मार्च 1930
- 6 अप्रैल 1930
- 30 जून 1930
- 14 जुलाई 1930
Answer: (a)
Detailed Explanation:
- Correctness: महात्मा गांधी ने 12 मार्च 1930 को साबरमती आश्रम से दांडी (गुजरात) तक 241 मील की प्रसिद्ध दांडी यात्रा (नमक सत्याग्रह) का शुभारंभ किया था। इस यात्रा का उद्देश्य ब्रिटिश सरकार द्वारा लगाए गए नमक कानून का अहिंसक विरोध करना था।
- Context & Elaboration: 6 अप्रैल 1930 को, गांधीजी ने दांडी पहुँचकर समुद्र के पानी से नमक बनाकर सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत की। इस आंदोलन ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक नया चरण जोड़ा और लाखों भारतीयों को इसमें भाग लेने के लिए प्रेरित किया।
- Incorrect Options: 6 अप्रैल 1930 को नमक कानून तोड़ा गया था, जो यात्रा का समापन था। अन्य तिथियां इस आंदोलन से सीधे तौर पर संबंधित नहीं हैं।
Question 19: ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ के दौरान गांधीजी द्वारा दिया गया प्रसिद्ध नारा क्या था?
- स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है
- आराम हराम है
- करो या मरो
- इंकलाब जिंदाबाद
Answer: (c)
Detailed Explanation:
- Correctness: ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ (1942) के दौरान, महात्मा गांधी ने भारतीयों को ब्रिटिश शासन के विरुद्ध निर्णायक कार्रवाई करने के लिए प्रेरित करते हुए “करो या मरो” (Do or Die) का नारा दिया था।
- Context & Elaboration: यह नारा स्वतंत्रता संग्राम के अंतिम चरण में एक महत्वपूर्ण प्रेरणा बना। गांधीजी के इस आह्वान ने लोगों को अपनी पूरी शक्ति और संकल्प के साथ आंदोलन में भाग लेने के लिए प्रेरित किया, जिसका उद्देश्य भारत को तुरंत आजाद कराना था।
- Incorrect Options: ‘स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है’ बाल गंगाधर तिलक का नारा था। ‘आराम हराम है’ जवाहरलाल नेहरू का प्रसिद्ध वाक्य है। ‘इंकलाब जिंदाबाद’ भगत सिंह और उनके साथियों का क्रांतिकारी नारा था।
Question 20: भारतीय स्वतंत्रता के समय ब्रिटिश प्रधानमंत्री कौन थे?
- विंस्टन चर्चिल
- क्लेमेंट एटली
- मार्गरेट थैचर
- रैमसे मैकडोनल्ड
Answer: (b)
Detailed Explanation:
- Correctness: भारतीय स्वतंत्रता (1947) के समय ब्रिटेन के प्रधानमंत्री क्लेमेंट एटली थे। वे लेबर पार्टी के नेता थे और उन्होंने ही भारत को स्वतंत्रता देने का निर्णय लिया था।
- Context & Elaboration: एटली सरकार ने भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 पारित किया, जिसने 15 अगस्त 1947 को भारत को स्वतंत्रता प्रदान की। क्लेमेंट एटली ने लार्ड माउंटबेटन को भारत का अंतिम वायसराय नियुक्त किया था, ताकि वे सत्ता हस्तांतरण की प्रक्रिया को पूरा कर सकें।
- Incorrect Options: विंस्टन चर्चिल द्वितीय विश्व युद्ध के समय प्रधानमंत्री थे और उन्होंने स्वतंत्रता देने का विरोध किया था। मार्गरेट थैचर 1980 के दशक में प्रधानमंत्री थीं। रैमसे मैकडोनल्ड गोलमेज सम्मेलनों के समय प्रधानमंत्री थे।
Question 21: द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यूरोप में साम्यवाद के प्रसार को रोकने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन द्वारा शुरू की गई आर्थिक सहायता योजना का नाम क्या था?
- मार्शल प्लान
- ट्रूमैन सिद्धांत
- नाटो (NATO)
- डॉक्ट्रिन ऑफ लैप्स
Answer: (a)
Detailed Explanation:
- Correctness: द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, संयुक्त राज्य अमेरिका ने यूरोप के पुनर्निर्माण और साम्यवाद के प्रसार को रोकने के लिए ‘मार्शल प्लान’ (European Recovery Program) नामक एक महत्वाकांक्षी आर्थिक सहायता योजना शुरू की। इसे अमेरिका के तत्कालीन विदेश मंत्री जॉर्ज सी. मार्शल के नाम पर नामित किया गया था।
- Context & Elaboration: इस योजना के तहत, 1948 से 1952 तक यूरोपीय देशों को भारी मात्रा में आर्थिक और तकनीकी सहायता प्रदान की गई। इसका उद्देश्य यूरोप को आर्थिक स्थिरता प्रदान करना और सोवियत प्रभाव को कम करना था।
- Incorrect Options: ट्रूमैन सिद्धांत (Truman Doctrine) भी इसी समय लागू की गई एक नीति थी, जो मुख्य रूप से सैन्य और आर्थिक सहायता देने पर केंद्रित थी, खासकर तुर्की और ग्रीस जैसे देशों को। नाटो (NATO) 1949 में स्थापित एक सैन्य गठबंधन था। डॉक्ट्रिन ऑफ लैप्स ब्रिटिश राज की एक विस्तारवादी नीति थी।
Question 22: फ्रांसीसी क्रांति (1789) का प्रमुख नारा क्या था?
- ‘संप्रभुता जनता में निहित है’
- ‘समानता, स्वतंत्रता, बंधुत्व’
- ‘राष्ट्र की एकता और अखंडता’
- ‘साम्राज्यवाद का अंत’
Answer: (b)
Detailed Explanation:
- Correctness: फ्रांसीसी क्रांति के सबसे प्रसिद्ध और प्रभावशाली नारे थे – ‘Liberté, égalité, fraternité’ जिसे हिंदी में ‘स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व’ कहा जाता है। यह फ्रांसीसी गणराज्य के आदर्शों का प्रतीक बन गया।
- Context & Elaboration: ये नारे क्रांति के उन मूलभूत सिद्धांतों को दर्शाते हैं जिन्होंने फ्रांस और दुनिया भर में राजनीतिक और सामाजिक विचारों को गहराई से प्रभावित किया। इन्होंने लोगों को निरंकुश राजशाही के खिलाफ एकजुट किया।
- Incorrect Options: अन्य विकल्प विभिन्न राजनीतिक विचारधाराओं या अवधियों से संबंधित हैं, लेकिन फ्रांसीसी क्रांति का केंद्रीय नारा ‘समानता, स्वतंत्रता, बंधुत्व’ ही था।
Question 23: प्रथम औद्योगिक क्रांति का प्रमुख केंद्र कौन सा देश था?
- फ्रांस
- जर्मनी
- ग्रेट ब्रिटेन
- संयुक्त राज्य अमेरिका
Answer: (c)
Detailed Explanation:
- Correctness: पहली औद्योगिक क्रांति, जो 18वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में शुरू हुई, का मुख्य केंद्र ग्रेट ब्रिटेन (इंग्लैंड) था। यहाँ कपास, लोहा और कोयला उद्योगों में महत्वपूर्ण तकनीकी नवाचार हुए।
- Context & Elaboration: ब्रिटेन में कोयला और लोहे जैसे प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता, अनुकूल राजनीतिक और आर्थिक परिस्थितियाँ, एक स्थिर सरकार, और औपनिवेशिक साम्राज्य ने इसे औद्योगिक क्रांति के लिए आदर्श स्थान बनाया। यहाँ स्टीम इंजन, कताई जेनी और पावर लूम जैसी मशीनें विकसित हुईं, जिसने उत्पादन को अभूतपूर्व रूप से बढ़ाया।
- Incorrect Options: फ्रांस, जर्मनी और अमेरिका बाद में औद्योगिक विकास में आगे बढ़े, लेकिन क्रांति की शुरुआत ब्रिटेन से ही हुई।
Question 24: प्रथम विश्व युद्ध के बाद जर्मनी पर थोपी गई अपमानजनक संधि को क्या कहा जाता है?
- वर्साय की संधि
- ट्रियानोन की संधि
- सेवर्स की संधि
- ज्यूरिख की संधि
Answer: (a)
Detailed Explanation:
- Correctness: प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) की समाप्ति के बाद, 28 जून 1919 को जर्मनी और मित्र राष्ट्रों के बीच ‘वर्साय की संधि’ (Treaty of Versailles) पर हस्ताक्षर किए गए। इस संधि को अक्सर जर्मनी पर थोपी गई एक कठोर और अपमानजनक संधि माना जाता है।
- Context & Elaboration: इस संधि के तहत जर्मनी को युद्ध के लिए जिम्मेदार ठहराया गया, उसे भारी हर्जाना चुकाने, अपने कुछ क्षेत्र मित्र राष्ट्रों को सौंपने और अपनी सेना की संख्या सीमित करने जैसे कठोर प्रावधानों का पालन करना पड़ा। कई इतिहासकार इस संधि को द्वितीय विश्व युद्ध के कारणों में से एक मानते हैं।
- Incorrect Options: ट्रियानोन की संधि हंगरी से संबंधित थी, सेवर्स की संधि ओटोमन साम्राज्य से संबंधित थी, और ज्यूरिख की संधि इटली के एकीकरण से संबंधित थी।
Question 25: उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (NATO) की स्थापना कब हुई थी?
- 1945
- 1947
- 1949
- 1955
Answer: (c)
Detailed Explanation:
- Correctness: उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (NATO) की स्थापना 4 अप्रैल 1949 को हुई थी। यह एक अंतर-सरकारी सैन्य गठबंधन है जो सदस्य देशों की सामूहिक सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।
- Context & Elaboration: नाटो की स्थापना शीत युद्ध के दौरान सोवियत संघ के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के उद्देश्य से की गई थी। इसके संस्थापक सदस्यों में उत्तरी अमेरिका और यूरोप के 12 देश शामिल थे। इसका मुख्य सिद्धांत ‘सामूहिक सुरक्षा’ है, जिसके अनुसार एक सदस्य पर हमला सभी पर हमला माना जाता है।
- Incorrect Options: 1945 में संयुक्त राष्ट्र की स्थापना हुई थी। 1947 में भारत स्वतंत्र हुआ था। 1955 में वारसॉ पैक्ट (Warsaw Pact) की स्थापना हुई थी, जो नाटो का जवाबी गठबंधन था।