अवलोकन
( Observation )
प्राकृतिक विज्ञानों की भांति , सामाजिक विज्ञानों में भी अवलोकन के महत्व को कम नहीं आंका जा सकता । निरीक्षण पद्धति का प्रयोग समाज – वैज्ञानिक द्वारा वर्ग , समुदाय , स्त्री – पुरुष , संस्थाओं के अध्ययन के लिए किया जा रहा है । जैसे – जैसे प्राधुनिक यन्त्रों का सामाजिक अनुसंधान में प्रयोग होता जा रहा है , अवलोकन पद्धति को उतना ही महत्वपूर्ण स्थान प्रदान किया जा रहा है । ऐसी अनेक पद्धतियों की खोज हुई है जिनके द्वारा निरीक्षण अधिक विश्वसनीय होता जा रहा है । अवलोकन ग्रेजी शब्द ‘ Observation ‘ का पर्यायवाची है , जिसका अर्थ निरीक्षण करना है । अग्रेजी शब्दकोष के अनुसार , ” कार्य – कारण अथवा पारस्परिक सम्बन्ध को जानने के लिए घटनामों को ठीक अपने उसी रूप में देखना और उनका पालम मारना , अवलोकन कहलाता है । अवलोकन सामाजिक यथार्थ ( Social Reality ) से सम्बन्धित तथ्यों के संकलन की एक ऐसी विधि है जिसमें कानों और ध्वनि की अपेक्षा नेत्रों का प्रयोग निहित होता है । इसके अन्तर्गत घटनाएँ जिस रूप में होती हैं , उसे उसी रूप में देखना , निरीक्षण , परीक्षण व आलेखन करना होता है । जैसे — बाल श्रमिकों के जीवन का अवलोकन , विधवाओं के साथ किया जानेवाला व्यवहारों का अवलोकन एवं मजदूर – मालिक के सम्बन्ध का अवलोकन आदि – आदि । कुछ महत्त्वपूर्ण परिभाषाएँ निम्न हैं
” सी . ए . मोजर के शब्दों में , ” ठोस अर्थ में अवलोकन का अर्थ कानों तथा वाणी की अपेक्षा आँखों का अधिक प्रयोग है । “
पी . वी . यंग के अनुसार , ” अवलोकन आँखों द्वारा विचारपूर्वक अध्ययन की प्रणाली के रूप में काम में लाया जाता है जिससे कि सामूहिक व्यवहार और जटिल सामाजिक संस्थानों के साथ – ही – साथ सम्पूर्णता की रचना करने वाली पृथक इकाइयों का अध्ययन किया जा सके । “
विलियम जे . गडे एवं पॉल के हद्र william J . Goode and Paul K . Hatt ) ने लिखा है , ” विज्ञान का शुभारंभ अवलोकन से होता है और इसे अपनी लिम प्रामाणिकता को जाच हेतु अन्ततः अवलोकन पर ही लौटना पड़ता है । “सभी विज्ञानों में अवलोकन एक मूलभूत विधि मानी जाती है । कोई भी वैज्ञानिक किसी घटना या अवस्था को उस समय तक स्वीकार नहीं करता , जब तक कि वह स्वयं । उसका अपनी दृष्टि से अनुभव न कर ले ।
पी०वी० यंग ( P . V . Young ) के शब्दों में , ” अवलोकन आँखों के द्वारा स्वाभाविक घटनाओं का उनके घटित होते समय एक व्यवस्थित एवं सुविचारित अध्ययन है । ” इस परिभाषा से स्पष्ट होता है – ( 1 ) अवलोकन एक व्यवस्थित एवं सुविचारित विधि है । ( 2 ) इसमें आखों का प्रयोग मुख्य है । ( 3 ) इसमें सामाजिक घटनाओं का उनके स्वाभाविक रूप में अवलोकन किया जाता है । इसी रूप में यह एक वैज्ञानिक विधि माना जाता है ।
सी०ए० मोजर ( C . A . Moser ) के अनुसार , ” ठोस अर्थ में , अवलोकन में कानों व वाणी की अपेक्षा आँखों का उपयोग होता है । ” इस कथन से पता चलता है कि इस विधि में शोधकर्ता कही – सुनी बातों पर विश्वास न कर घटनाओं को स्वयं देखकर समझने का प्रयत्न करता है ।
ऑक्सफोर्ड कन्साइज शब्दकोश ( Oxford Concise Dictionary ) में लिखा है , ‘ ‘ घटनाएं , कार्य – कारण अथवा पारस्परिक सम्बन्धों के विषय में जिस रूप में उपस्थित होती हैं , का यथार्थ निरीक्षण एवं वर्णन ही अवलोकन है । “
इससे स्पष्ट होता है ( 1 ) अवलोकन में यथार्थ निरीक्षण एवं वर्णन रथ जाता है । ( 2 ) इसमें व्यवहार का अध्ययन स्वाभाविक स्थितियों में होता है । ( 3 ) इसमें कार्य कारण सम्बन्धों को जाने का प्रयास किया जाता है ।
जे० गाल्लुंग ( J . Galtung ) के अनुसार , ” अवलोकन सभी प्रकार की इंद्रियग्राह्य विषय – वस्तु का आलेखन है । ” इससे स्पष्ट होता है कि अवलोकन की प्रक्रिया में शोधकर्ता की सारी ज्ञानेद्रियों सक्रिय होती है । इसके अन्तर्गत शोधकर्ता घटना को स्वयं प्रत्यक्ष रूप में से अवलोकित कर आलेखन करता है ।
ए वुल्फ ( A . Wolf ) का कहना है , ” वस्तुओं तथा घटनाओं . उनकी विशेषताओं एवं उनके मूर्त सम्बन्धों को समझने और उनके सम्बन्ध में हमारे मानसिक अनुभवों की प्रत्यक्ष चेतना को जानने की क्रिया को अवलोकन कहते हैं । ” इस परिभाषा से स्पष्ट होता है कि अवलोकन के द्वारा मात्र घटनाओं को देखा ही नहीं जाता है , बल्कि उसकी विशेषताओं और अन्तर्सम्बम्धों को जानने का प्रयास भी किया जाता है । उपरोक्त वर्णन के आधार पर यह कहा जा सकता है कि अवलोकन एक ऐसी विधि है जिसमें नेत्रों के द्वारा प्राथमिक तथ्यों का विचारपूर्वक संकलन किया जाता है ।
सैलिज , जहोदा , डेयुटस्च तथा कुक के अनुसार सामान्य देखना एक वैज्ञानिक पद्धति के रूप में अवलोकन का रूप धारण कर लेता है जब उसमें निम्न विशेषताएँ जुड़ जाती हैं
( 1 ) जब अवलोकन का एक विशिष्ट उद्देश्य हो ।
( 2 ) जब अवलोकन नियोजित तथा सुव्यवस्थित रूप में किया गया हो ।
( 3 ) जब अवलोकन की प्रामाणिकता तथा विश्वसनीयता पर अावश्यक नियन्त्रण एवं प्रतिबन्ध लगाया गया हो ।
( 4 ) जब अवलोकन के निष्कर्षों को क्रमबद्ध रूप में लिखा गया हो तथा सामान्य उपकल्पना के साथ उसका सह – सम्बन्ध स्थापित किया गया हो ।
पी . वी . यंग ने वैज्ञानिक अवलोकन की निम्न विशेषताओं का उल्लेख किया है
( 1 ) निश्चित उद्देश्य ,
( 2 ) योजना तथा प्रलेखन की व्यवस्था ,
( 3 ) वैज्ञानिक परीक्षण तथा नियन्त्रण हेतु उपयोगी ।
अवलोकन की विशेषताएँ
( Characteristics of observation )
अवलोकन में किसी घटना का घटित होते हुए अपनी आँखों से सुव्यवस्थित एवं सुविचारित रूप में देखना ही विशेष रूप से आवश्यक है । इसमें निम्नांकित प्रमुख विशेषताएं पाई जाती हैं
- निष्पक्षता ( Impartiality ) : अवलोकनकर्ता स्वयं अपनी आँखों से घटना का निरीक्षण करता है न उसकी भली – भांति जाँच करता है । उसका निर्णय दूसरों के निर्णय या कहने – सुनने पर आधारित नहीं होता । स्वयं का सूक्ष्म व गहन अध्ययन उसे अभिमति से बचाता है ।
2.स्वाभाविकता ( Spontaneity ) : अवलोकन की एक प्रमुख विशेषता यह है कि इसमें घटनाओं का अध्ययन । उस समय किया जाता है , जिस समय वह घटित होती रहती है । इस प्रकार स्वाभाविक घटनाओं का अवलोकन हाना । सम्भव हो पाता है ।
3,इन्द्रियों का उपयोग ( Use of Senses ) : अवलोकन विधि में मानव इन्द्रियों का उपयोग होता है । इसमें आँखों , कानों व वाणी सभी का उपयोग किया जा सकता है । लेकिन विशेषकर आंखों के उपयोग पर अधिक बल दिया जाता है । 4. व्यवस्थित एवं सुविचारित अध्ययन ( Systematic and Deliberate Study ) : अवलोकन एक व्यवस्थित एवं सुविचारित अध्ययन की विधि है । इसमें अवलोकनकर्ता स्वयं घटनाओं का व्यवस्थित व विचारपूर्वक अवलोकन कर तथ्यों का संकलन करता है । वह दूसरों की कही हुई या सुनी हुई बातों पर आश्रित नहीं रहता ।
- प्राथमिक सामग्री का संकलन ( Collection of Primary Data ) : अवलोकन विधि के माध्यम से प्राथमिक तथ्य सामग्री को प्राप्त करना होता है । अध्ययनकर्ता स्वयं क्षेत्र में जाकर प्रत्यक्ष अध्ययन करता है ।
6..सूक्ष्मता ( Minuteness ) : अवलोकन विधि में मात्र देखना ही नहीं आता है , बल्कि घटना का गहरा एवं सूक्ष्म अध्ययन भी करना है । सूक्ष्म अध्ययन से वह उद्देश्य की प्राप्ति में सफल होता है , अन्यथा इधर – उधर भटकता रहता है ।
7.कारण – परिणाम सम्बन्ध का पता लगाना ( To find out the Cause – Effect Relationship ) : अवलोकन की एक प्रमुख विशेषता कारण – परिणाम का पता लगाना है । अवलोकनकर्ता स्वयं घटना को देखकर आवश्यक कारणों व परिणामों के मध्य सम्बन्ध स्थापित करता है ।
7.अनुभवाश्रित अध्ययन ( Empirical Study ) : अवलोकन अनुभव पर आधारित विधि है . कल्पना पर आधारित नहीं । अनुभवाश्रित अध्ययन चाहे किसी संस्था का हो या समुदाय का , सामाजिक अनुसंधान में बड़ा उपयोगी है ।