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अवधारणा मंथन: दैनिक समाजशास्त्र अभ्यास के साथ अपनी तैयारी को धार दें!

अवधारणा मंथन: दैनिक समाजशास्त्र अभ्यास के साथ अपनी तैयारी को धार दें!

नमस्ते, समाजशास्त्र के जिज्ञासुओं! हर दिन की तरह, आज भी हम आपकी वैचारिक स्पष्टता और विश्लेषणात्मक कौशल को परखने के लिए यहाँ हैं। इन 25 नए और चुनौतीपूर्ण प्रश्नों के साथ, अपनी समाजशास्त्रीय यात्रा को एक नया आयाम दें और अपनी तैयारी को तेज़ करें!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।


प्रश्न 1: ‘प्रतीक’ (Symbol) के समाजशास्त्रीय अध्ययन में ‘सांकेतिक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) का केंद्रीय महत्व क्या है?

  1. सामाजिक संरचनाओं के निर्माण में प्रतीकों की भूमिका।
  2. व्यक्तियों के बीच अर्थ-निर्माण की प्रक्रिया में प्रतीकों का महत्व।
  3. प्रतीकों के माध्यम से शक्ति संबंधों का विश्लेषण।
  4. संस्थागत व्यवहार में प्रतीकों का प्रतीकात्मक अर्थ।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद, हर्बर्ट ब्लूमर द्वारा प्रतिपादित, इस बात पर बल देता है कि व्यक्ति प्रतीकों (जैसे भाषा, हावभाव) के माध्यम से एक-दूसरे के साथ अंतःक्रिया करते हैं और इन अंतःक्रियाओं के माध्यम से वे अपने आसपास की दुनिया के लिए अर्थ का निर्माण करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह दृष्टिकोण व्यक्ति की आत्म-चेतना और सामाजिक दुनिया की समझ में प्रतीकों की केंद्रीय भूमिका पर प्रकाश डालता है। यह मानता है कि व्यक्ति अपने व्यवहार को उन अर्थों के आधार पर निर्देशित करते हैं जो वे वस्तुओं, लोगों और घटनाओं को प्रदान करते हैं, और ये अर्थ सामाजिक अंतःक्रिया के माध्यम से उत्पन्न होते हैं।
  • गलत विकल्प: (a) प्रतीकों का महत्व है, लेकिन मुख्य बल संरचना निर्माण के बजाय अर्थ-निर्माण पर है। (c) शक्ति संबंध महत्वपूर्ण हो सकते हैं, लेकिन यह प्राथमिक केंद्रीयता नहीं है। (d) यह भी सत्य है, लेकिन (b) अधिक व्यापक रूप से मूल सिद्धांत को बताता है।

प्रश्न 2: कार्ल मार्क्स के अनुसार, पूँजीवाद में ‘अलगाव’ (Alienation) का मूल कारण क्या है?

  1. मजदूरों का अपने उत्पादन के साधनों से अलगाव।
  2. पूँजीपतियों का मजदूरों के प्रति अलगाव।
  3. राज्य का नागरिकों से अलगाव।
  4. समाज का व्यक्तियों से अलगाव।

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: कार्ल मार्क्स के अनुसार, पूँजीवादी उत्पादन प्रणाली में, श्रमिक अपने श्रम के उत्पाद, श्रम की प्रक्रिया, अपनी ‘प्रजाति-सार’ (species-essence) और अन्य मनुष्यों से अलग-थलग महसूस करते हैं। इसका मूल कारण यह है कि वे उत्पादन के साधनों (जैसे कारखाने, मशीनें) के मालिक नहीं होते, बल्कि उन्हें केवल श्रम शक्ति बेचने के लिए मजबूर किया जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: मार्क्स ने इसे ‘Economic and Philosophic Manuscripts of 1844’ में विस्तार से समझाया है। श्रमिकों का अपने श्रम के उत्पाद से अलगाव इसलिए होता है क्योंकि उत्पाद उनका नहीं होता, बल्कि पूँजीपति का होता है। श्रम की प्रक्रिया से अलगाव इसलिए होता है क्योंकि यह उनकी अपनी रचनात्मकता को व्यक्त करने के बजाय केवल बाहरी मजबूरी होती है।
  • गलत विकल्प: (b), (c), और (d) अलगाव के विभिन्न रूप हो सकते हैं, लेकिन मार्क्स के केंद्रीय तर्क के अनुसार, श्रमिकों का उत्पादन के साधनों से अलगाव वह मूल कारण है जिससे अन्य प्रकार के अलगाव उत्पन्न होते हैं।

प्रश्न 3: एमिल दुर्खीम के अनुसार, ‘अनोमी’ (Anomie) की स्थिति से क्या तात्पर्य है?

  1. व्यक्तिगत अपराध की दर में वृद्धि।
  2. समाज में नैतिक मानदंडों और मूल्यों का ढह जाना।
  3. उच्च बेरोजगारी दर।
  4. धार्मिक आस्थाओं का पतन।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: एमिल दुर्खीम ने ‘अनोमी’ को एक ऐसी सामाजिक स्थिति के रूप में परिभाषित किया है जहाँ समाज में सामान्य सामाजिक नियमों और अपेक्षाओं का अभाव होता है, या जहाँ व्यक्ति सामाजिक नियंत्रण से मुक्त महसूस करते हैं। यह तब उत्पन्न होता है जब सामाजिक नियम कमजोर हो जाते हैं या टूट जाते हैं, जिससे व्यक्ति के व्यवहार को मार्गदर्शन देने वाले दिशानिर्देशों का अभाव हो जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: उन्होंने अपनी पुस्तक ‘The Division of Labour in Society’ और ‘Suicide’ में अनोमी की अवधारणा का विश्लेषण किया है। वे मानते थे कि तीव्र सामाजिक परिवर्तन, आर्थिक उथल-पुथल या सामाजिक व्यवस्था में अचानक बदलाव के कारण अनोमी उत्पन्न हो सकती है।
  • गलत विकल्प: (a), (c), और (d) अनोमी के परिणाम या लक्षण हो सकते हैं, लेकिन अनोमी स्वयं समाज में नियामक (normative) ढांचे के टूटने की स्थिति है।

प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन सी मैक्स वेबर द्वारा ‘आदर्श प्रारूप’ (Ideal Type) के निर्माण की विशेषता नहीं है?

  1. यह वास्तविकता का एक अतिरंजित और सुसंगत चित्र है।
  2. यह अनुभवजन्य साक्ष्य पर आधारित होता है।
  3. इसका उद्देश्य समाजशास्त्रीय विश्लेषण के लिए एक वैचारिक उपकरण के रूप में कार्य करना है।
  4. यह एक विशुद्ध रूप से आदर्शवादी या काल्पनिक निर्माण है।

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: मैक्स वेबर के अनुसार, आदर्श प्रारूप वास्तविकता से लिया गया एक वैचारिक उपकरण है, जो अध्ययन के अधीन घटना के कुछ विशिष्ट पहलुओं को अतिरंजित करके बनाया जाता है। यह एक विशुद्ध रूप से काल्पनिक निर्माण नहीं है, बल्कि अनुभवजन्य दुनिया से प्राप्त होता है, भले ही यह वास्तविकता का एक असत्य (unreal) रूप हो। इसका उद्देश्य तुलना और विश्लेषण के लिए एक मापदंड प्रदान करना है।
  • संदर्भ और विस्तार: वेबर ने ‘Essays in Sociology’ में आदर्श प्रारूप पर चर्चा की है। उदाहरण के लिए, नौकरशाही का आदर्श प्रारूप। यह वास्तविकता में कभी भी पूरी तरह से मौजूद नहीं हो सकता, लेकिन यह वास्तविक नौकरशाही का विश्लेषण करने का एक आधार प्रदान करता है।
  • गलत विकल्प: (a), (b), और (c) सभी आदर्श प्रारूप की सही विशेषताएँ हैं। यह वास्तविकता का एक अतिरंजित (hypothetical) चित्र है, अनुभवजन्य साक्ष्य पर आधारित है (अर्थात, यह अवलोकनों से लिया जाता है), और विश्लेषण के लिए एक उपकरण है।

प्रश्न 5: भारतीय समाज में ‘सगोत्र विवाह’ (Endogamy) का क्या अर्थ है?

  1. एक ही गोत्र के भीतर विवाह करना।
  2. एक ही जाति या उप-जाति के भीतर विवाह करना।
  3. विभिन्न जातियों के बीच विवाह करना।
  4. एक ही गाँव के भीतर विवाह करना।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: भारतीय जाति व्यवस्था के संदर्भ में, ‘सगोत्र विवाह’ (Endogamy) का अर्थ है कि व्यक्ति को अपनी जाति या उप-जाति (अंतर्विवाह समूह) के भीतर ही विवाह करना चाहिए। यह जाति व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण नियम है।
  • संदर्भ और विस्तार: ‘Exogamy’ (बहिर्विवाह) इसके विपरीत है, जिसका अर्थ है कि व्यक्ति को अपने गोत्र (lineage) या अपने कुल (clan) के बाहर विवाह करना चाहिए। हालाँकि, ‘Endogamy’ विशेष रूप से जाति के संदर्भ में लागू होता है, जहाँ जाति एक अंतर्विवाही समूह है।
  • गलत विकल्प: (a) ‘सपिंड विवाह’ (Sapinda marriage) निषेध गोत्र के बाहर विवाह की आवश्यकता पर बल देता है, लेकिन ‘सगोत्र विवाह’ जाति के भीतर विवाह का अर्थ है। (c) यह ‘अंतरजातीय विवाह’ (Inter-caste marriage) है, जो पारंपरिक रूप से निषिद्ध है। (d) यह ‘ग्राम बहिर्विवाह’ (Village Exogamy) का एक रूप है, जो गोत्र बहिर्विवाह से अलग है।

प्रश्न 6: टी. पार्सन्स के ‘कार्यात्मकता’ (Functionalism) सिद्धांत के अनुसार, समाज की स्थिरता के लिए निम्नलिखित में से कौन सी प्रणालीगत आवश्यकता (Systemic Requirement) सबसे महत्वपूर्ण है?

  1. संघर्ष और क्रांति।
  2. अनुकूलन (Adaptation)।
  3. लक्ष्य प्राप्ति (Goal Attainment)।
  4. एकीकरण (Integration) और प्रतिमान अनुरक्षण (Pattern Maintenance)।

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: टैलकॉट पार्सन्स ने समाज को एक प्रणाली के रूप में देखा जो चार आवश्यक कार्यात्मक आवश्यकताएँ (AGIL मॉडल) पूरी करती है: अनुकूलन (Adaptation), लक्ष्य प्राप्ति (Goal Attainment), एकीकरण (Integration), और प्रतिमान अनुरक्षण (Pattern Maintenance)। हालांकि सभी महत्वपूर्ण हैं, (d) विकल्प में सूचीबद्ध एकीकरण और प्रतिमान अनुरक्षण समाज की आंतरिक स्थिरता और सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए सबसे सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: एकीकरण यह सुनिश्चित करता है कि समाज के विभिन्न अंग एक साथ मिलकर काम करें, जबकि प्रतिमान अनुरक्षण सामाजिक मूल्यों और मानदंडों को बनाए रखता है। पार्सन्स के लिए, सामाजिक व्यवस्था (social order) ही केंद्रीय मुद्दा था।
  • गलत विकल्प: (a) संघर्ष और क्रांति को वे समाज के लिए विघटनकारी मानते थे। (b) अनुकूलन आवश्यक है, लेकिन यह बाहरी दुनिया से निपटने के बारे में है। (c) लक्ष्य प्राप्ति भी महत्वपूर्ण है, लेकिन एकीकरण और प्रतिमान अनुरक्षण समाज को एक स्थिर इकाई बनाए रखते हैं।

प्रश्न 7: आर. के. मर्टन के ‘प्रकट कार्य’ (Manifest Function) और ‘प्रच्छन्न कार्य’ (Latent Function) के बीच मुख्य अंतर क्या है?

  1. प्रकट कार्य अनियोजित होते हैं, जबकि प्रच्छन्न कार्य नियोजित होते हैं।
  2. प्रकट कार्य सामाजिक व्यवस्था के लिए सकारात्मक होते हैं, जबकि प्रच्छन्न कार्य नकारात्मक।
  3. प्रकट कार्य संस्थाओं के स्पष्ट, इच्छित परिणाम होते हैं, जबकि प्रच्छन्न कार्य अनपेक्षित या अनजाने परिणाम होते हैं।
  4. प्रकट कार्य व्यक्तिगत होते हैं, जबकि प्रच्छन्न कार्य सामूहिक।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: आर. के. मर्टन ने ‘Manifest Functions’ को किसी भी सामाजिक घटना के स्पष्ट, पहचाने जाने योग्य परिणाम और ‘Latent Functions’ को अनपेक्षित या अनजाने परिणाम के रूप में परिभाषित किया।
  • संदर्भ और विस्तार: उन्होंने इसे ‘Social Theory and Social Structure’ में समझाया। उदाहरण के लिए, एक विश्वविद्यालय का प्रकट कार्य शिक्षित नागरिक तैयार करना है, लेकिन एक प्रच्छन्न कार्य युवाओं के लिए साथी खोजने का स्थान प्रदान करना हो सकता है। मर्टन ने ‘disfunctions’ (कु-कार्य) की भी बात की, जो अनपेक्षित नकारात्मक परिणाम होते हैं।
  • गलत विकल्प: (a) दोनों नियोजित हो सकते हैं या नहीं भी, मुख्य अंतर उनकी ‘स्पष्टता’ और ‘इच्छा’ में है। (b) दोनों सकारात्मक या नकारात्मक हो सकते हैं, हालाँकि मर्टन ने ‘disfunctions’ को अलग से वर्गीकृत किया। (d) यह भेद हमेशा सत्य नहीं होता।

प्रश्न 8: भारतीय समाज में ‘आधुनिकता’ (Modernity) के संदर्भ में, ‘पश्चिमीकरण’ (Westernization) की अवधारणा का प्रयोग किसने किया?

  1. एम.एन. श्रीनिवास।
  2. ई.वी. रामासामी।
  3. गांधीजी।
  4. अम्बेडकर।

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: एम.एन. श्रीनिवास ने भारतीय समाज के परिवर्तन के विश्लेषण में ‘पश्चिमीकरण’ की अवधारणा का प्रयोग किया, विशेषकर स्वतंत्रता के बाद ब्रिटिश शासन के प्रभाव के कारण सांस्कृतिक, सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तन के सन्दर्भ में।
  • संदर्भ और विस्तार: श्रीनिवास ने अपनी पुस्तक ‘Social Change in Modern India’ में इस पर विस्तार से लिखा है। पश्चिमीकरण का तात्पर्य पश्चिमी जीवन शैली, विचारों, मूल्यों, प्रौद्योगिकी और संस्थानों को अपनाना है। यह ‘सniejsक्रितिकरण’ (Sanskritization) से भिन्न है, जो भारतीय उच्च जातियों के अनुकरण से संबंधित है।
  • गलत विकल्प: ई.वी. रामासामी (पेरियार) ने ब्राह्मणवाद और जाति व्यवस्था के विरुद्ध आंदोलन किया, गांधीजी ने ग्राम स्वराज और स्वदेशी पर बल दिया, और अम्बेडकर ने दलितों के उत्थान के लिए कार्य किया, लेकिन ‘पश्चिमीकरण’ को एक व्यापक सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया के रूप में विशेष रूप से एम.एन. श्रीनिवास ने विश्लेषित किया।

प्रश्न 9: मैकि आवर (Maciver) के अनुसार, ‘सामुदायिकता’ (Community) का सबसे महत्वपूर्ण तत्व क्या है?

  1. साझा हित।
  2. भौगोलिक निकटता।
  3. ‘हम’ की भावना (We-feeling)।
  4. साझा नियम और कानून।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: आर. एम. मैकिever और सी. एच. पेज ने अपनी पुस्तक ‘Society: An Introductory Analysis’ में समुदाय को लोगों का एक समूह बताया है जो किसी क्षेत्र में रहते हैं, साझा हित रखते हैं, और सबसे महत्वपूर्ण बात, ‘हम की भावना’ या सामुदायिक भावना से बंधे होते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: ‘हम की भावना’ वह मनोवैज्ञानिक बंधन है जो सदस्यों को एक-दूसरे से जोड़ता है और उन्हें समूह के प्रति वफादार बनाता है। भौगोलिक निकटता और साझा हित समुदाय के लिए सहायक हो सकते हैं, लेकिन ‘हम की भावना’ इसे परिभाषित करती है।
  • गलत विकल्प: (a) और (b) समुदाय के आवश्यक घटक हो सकते हैं, लेकिन ‘हम की भावना’ समुदाय को अन्य सामाजिक समूहों से अलग करती है। (d) नियम और कानून एक प्रकार के संघ (Association) में भी हो सकते हैं।

प्रश्न 10: चार्ल्स कूली (Charles Cooley) ने ‘प्राथमिक समूह’ (Primary Group) की अवधारणा को कैसे परिभाषित किया?

  1. ऐसे समूह जो औपचारिक, बड़े और उद्देश्य-उन्मुख होते हैं।
  2. ऐसे समूह जो आमने-सामने के घनिष्ठ, सहयोगपूर्ण और दीर्घकालिक संबंधों द्वारा चिह्नित होते हैं।
  3. ऐसे समूह जो समान हितों वाले व्यक्तियों से बने होते हैं लेकिन भौगोलिक रूप से बिखरे होते हैं।
  4. ऐसे समूह जो सरकार या राज्य द्वारा बनाए जाते हैं।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: चार्ल्स कूली ने अपनी पुस्तक ‘Social Organization’ में ‘प्राथमिक समूह’ को छोटे, घनिष्ठ समूहों के रूप में वर्णित किया जहाँ सदस्य आमने-सामने के सीधे संपर्क में रहते हैं, सहयोग करते हैं, और लंबे समय तक एक-दूसरे के साथ जुड़े रहते हैं। परिवार, खेल समूह और मित्र मंडली इसके उदाहरण हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: कूली के अनुसार, ये समूह व्यक्ति के सामाजिक स्वभाव और आदर्शों के निर्माण में मौलिक भूमिका निभाते हैं। इनमें ‘हम की भावना’ प्रबल होती है।
  • गलत विकल्प: (a) यह ‘द्वितीयक समूह’ (Secondary Group) का वर्णन है। (c) यह ‘साधारण हित समूह’ (Common Interest Group) या ‘अनौपचारिक समूह’ (Informal Group) का वर्णन हो सकता है। (d) यह ‘औपचारिक संगठन’ (Formal Organization) या ‘संस्था’ (Institution) का वर्णन हो सकता है।

प्रश्न 11: हरबर्ट स्पेंसर (Herbert Spencer) ने समाज के विकास को समझाने के लिए किस जैविक मॉडल का उपयोग किया?

  1. विकासवाद (Evolutionism)।
  2. सांख्यिकी (Statistics)।
  3. अस्तित्ववाद (Existentialism)।
  4. प्रक्रियावाद (Processualism)।

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: हरबर्ट स्पेंसर, एक प्रभावशाली उन्नीसवीं सदी के समाजशास्त्री, ने समाज के विकास को समझाने के लिए डार्विन के जैविक विकासवाद से प्रेरित ‘सामाजिक विकासवाद’ (Social Evolutionism) के सिद्धांत का उपयोग किया। उन्होंने समाज की तुलना एक जीवित जीव से की, जो सरल से जटिल रूपों में विकसित होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: स्पेंसर ने ‘organic analogy’ का प्रयोग करते हुए समाज को विभिन्न अंगों वाले एक जीव के रूप में देखा, जो एक-दूसरे पर निर्भर रहकर कार्य करते हैं। उन्होंने ‘सर्वइवल ऑफ द फिटेस्ट’ (Survival of the Fittest) जैसे विचारों को सामाजिक क्षेत्र में भी लागू किया, जिसे ‘सामाजिक डार्विनवाद’ (Social Darwinism) भी कहा जाता है।
  • गलत विकल्प: (b), (c), और (d) समाजशास्त्रीय सिद्धांत में अन्य महत्वपूर्ण अवधारणाएँ हैं, लेकिन स्पेंसर के केंद्रीय मॉडल के लिए प्रासंगिक नहीं हैं।

प्रश्न 12: भारत में ‘जाति व्यवस्था’ (Caste System) के संबंध में, ‘धर्मांतरण’ (Religious Conversion) का जाति पर क्या प्रभाव पड़ता है, जैसा कि कुछ समाजशास्त्रियों ने तर्क दिया है?

  1. धर्मांतरण से व्यक्ति पूर्णतः जाति से मुक्त हो जाता है।
  2. धर्मांतरण के बावजूद, व्यक्ति अक्सर अपनी पूर्व जाति की पहचान और संरचनाओं से बंधा रहता है।
  3. धर्मांतरण जाति व्यवस्था को पूरी तरह समाप्त कर देता है।
  4. धर्मांतरण केवल उप-जातियों के बीच होता है।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: कई समाजशास्त्रियों, जैसे कि एम.एन. श्रीनिवास और ग. ड. गोरे, ने तर्क दिया है कि भारत में धर्मांतरण (जैसे ईसाई या इस्लाम धर्म में) के बावजूद, परिवर्तित व्यक्ति अक्सर अपनी पूर्व जाति की पहचान, अंतर्विवाही प्रथाओं और कभी-कभी सामाजिक स्थिति से पूरी तरह से मुक्त नहीं हो पाते। वे नई धार्मिक पहचान के भीतर भी जातिगत पदानुक्रमों को बनाए रख सकते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह दर्शाता है कि जाति व्यवस्था केवल धार्मिक विश्वासों पर आधारित नहीं है, बल्कि सामाजिक संरचना, रिश्तेदारी, और आर्थिक संबंधों में गहराई से निहित है।
  • गलत विकल्प: (a) और (c) अत्यंत सरलीकरण हैं; वास्तविकता अधिक जटिल है। (d) यह एक विशिष्ट परिस्थिति हो सकती है, लेकिन सामान्य नियम नहीं।

प्रश्न 13: सामाजिक अनुसंधान में, ‘निगमन विधि’ (Deductive Method) में क्या प्रक्रिया शामिल होती है?

  1. सामान्य अवलोकनों से विशिष्ट सिद्धांतों का निर्माण।
  2. विशिष्ट परिकल्पनाओं से शुरू करके उन्हें अनुभवजन्य डेटा से सत्यापित करना।
  3. केवल गुणात्मक डेटा एकत्र करना।
  4. नए सिद्धांतों की खोज के लिए मुक्त अन्वेषण।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: निगमन विधि (Deductive Method) सामान्य सिद्धांत या परिकल्पना से शुरू होती है और फिर इस सिद्धांत की जाँच के लिए विशिष्ट अवलोकनों या प्रयोगों के माध्यम से अनुभवजन्य साक्ष्य एकत्र करती है। यदि साक्ष्य परिकल्पना का समर्थन करता है, तो सिद्धांत को मान्य माना जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह ‘आगमनात्मक विधि’ (Inductive Method) के विपरीत है, जो विशिष्ट अवलोकनों से सामान्य सिद्धांतों का निर्माण करती है। निगमन विधि अक्सर मात्रात्मक अनुसंधान (quantitative research) में उपयोग की जाती है।
  • गलत विकल्प: (a) यह आगमनात्मक विधि का वर्णन है। (c) निगमन विधि गुणात्मक या मात्रात्मक दोनों हो सकती है। (d) यह आगमनात्मक विधि का एक पहलू है।

प्रश्न 14: ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) का अर्थ क्या है?

  1. समाज में लोगों के बीच समानता।
  2. समाज में व्यक्तियों और समूहों को विभिन्न स्तरों या परतों में व्यवस्थित करने की प्रक्रिया।
  3. लोगों का सामाजिक समूहों में विभाजन।
  4. सामाजिक नियंत्रण की प्रक्रिया।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: सामाजिक स्तरीकरण एक सर्वव्यापी सामाजिक प्रक्रिया है जिसके तहत समाज अपने सदस्यों को उनकी धन, शक्ति, प्रतिष्ठा, शिक्षा, व्यवसाय आदि के आधार पर पदानुक्रमित स्तरों (strata) में वर्गीकृत करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह समाज के सदस्यों के बीच अवसरों, विशेषाधिकारों और संसाधनों के असमान वितरण की ओर ले जाता है। जाति, वर्ग, लिंग और आयु स्तरीकरण के प्रमुख आधार हैं।
  • गलत विकल्प: (a) स्तरीकरण समानता के विपरीत है। (c) विभाजन एक हिस्सा है, लेकिन ‘स्तरों में व्यवस्था’ अधिक सटीक है। (d) सामाजिक नियंत्रण एक अलग प्रक्रिया है।

प्रश्न 15: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) से आप क्या समझते हैं?

  1. समाज में लोगों की गति या आवाजाही।
  2. एक व्यक्ति या समूह की एक सामाजिक स्थिति से दूसरी सामाजिक स्थिति में परिवर्तन।
  3. समाज में संरचनात्मक परिवर्तन।
  4. लोगों का सामाजिक वर्गों में विभाजन।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: सामाजिक गतिशीलता किसी व्यक्ति या समूह की अपनी सामाजिक स्थिति (जैसे वर्ग, आय, प्रतिष्ठा) को समय के साथ बदलने की प्रक्रिया को संदर्भित करती है। यह ऊर्ध्वाधर (ऊपर या नीचे) या क्षैतिज (समान स्तर पर) हो सकती है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह ‘अंतर-पीढ़ीगत गतिशीलता’ (intergenerational mobility), जहाँ बच्चे अपने माता-पिता से भिन्न स्थिति में होते हैं, या ‘अंतः-पीढ़ीगत गतिशीलता’ (intragenerational mobility), जहाँ एक व्यक्ति अपने जीवनकाल में अपनी स्थिति बदलता है, के रूप में प्रकट हो सकती है।
  • गलत विकल्प: (a) यह बहुत सामान्य है और इसमें ‘सामाजिक’ पहलू गायब है। (c) यह ‘सामाजिक परिवर्तन’ (Social Change) का परिणाम हो सकता है, लेकिन गतिशीलता स्वयं स्थिति का परिवर्तन है। (d) यह स्तरीकरण का परिणाम है, गतिशीलता का नहीं।

प्रश्न 16: सिगमंड फ्रायड (Sigmund Freud) के अनुसार, ‘अहं’ (Ego) का प्राथमिक कार्य क्या है?

  1. तत्काल संतुष्टि की तलाश करना।
  2. नैतिकता और सामाजिक आदर्शों का प्रतिनिधित्व करना।
  3. वास्तविकता के सिद्धांतों के आधार पर ‘इदम’ (Id) की माँगों को नियंत्रित और संतुष्ट करना।
  4. अचेतन इच्छाओं का दमन करना।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: सिगमंड फ्रायड के मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत में, ‘अहं’ (Ego) व्यक्तित्व का वह हिस्सा है जो वास्तविकता से जुड़ा होता है। इसका कार्य ‘इदम’ (Id) की सहज, तत्काल संतुष्टि की माँगों को ‘अहं’ (Superego) के नैतिक प्रतिबंधों और बाहरी दुनिया की वास्तविकताओं के बीच संतुलन स्थापित करके प्रबंधित करना है।
  • संदर्भ और विस्तार: ‘इदम’ आनंद सिद्धांत (pleasure principle) पर कार्य करता है, ‘अहं’ वास्तविकता सिद्धांत (reality principle) पर, और ‘अहं’ (Superego) नैतिकता सिद्धांत (morality principle) पर।
  • गलत विकल्प: (a) ‘इदम’ (Id) का कार्य है। (b) ‘अहं’ (Superego) का कार्य है। (d) दमन ‘अहं’ का एक बचाव तंत्र (defense mechanism) हो सकता है, लेकिन उसका प्राथमिक कार्य नियंत्रण और संतुलन है।

प्रश्न 17: जॉर्ज हर्बर्ट मीड (George Herbert Mead) के अनुसार, ‘स्व’ (Self) का विकास कैसे होता है?

  1. जन्म से ही जन्मजात होता है।
  2. अन्य लोगों के साथ सामाजिक अंतःक्रिया और अनुकरण के माध्यम से।
  3. किसी भी सामाजिक अंतःक्रिया के बिना।
  4. केवल भाषा सीखने से।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: जी. एच. मीड, प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के प्रमुख विचारक, के अनुसार, ‘स्व’ (Self) एक सामाजिक उत्पाद है जो व्यक्ति के जीवन भर चलने वाली सामाजिक अंतःक्रियाओं, विशेष रूप से ‘खेल’ (Play) और ‘खेलक’ (Game) चरणों में ‘अन्य’ (Others) की भूमिकाओं को ग्रहण करने और समाज के ‘सामान्यीकृत अन्य’ (Generalized Other) के दृष्टिकोण को आत्मसात करने से विकसित होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: मीड ने इस प्रक्रिया को ‘टेकिंग द रोल ऑफ द अदर’ (Taking the role of the other) कहा। ‘स्व’ का अर्थ है आत्म-जागरूकता, अपनी क्रियाओं को प्रतिबिंबित करने और दूसरों के दृष्टिकोण से खुद को देखने की क्षमता।
  • गलत विकल्प: (a) मीड इसे जन्मजात नहीं मानते थे। (c) यह असंभव है। (d) भाषा महत्वपूर्ण है, लेकिन यह स्व के विकास का एक हिस्सा है, न कि एकमात्र कारण।

प्रश्न 18: भारतीय समाज में ‘संयुक्त परिवार’ (Joint Family) की प्रमुख विशेषता क्या है?

  1. एकल परमाणु परिवार।
  2. एक ही छत के नीचे कई पीढ़ियों का साथ रहना और संपत्ति साझा करना।
  3. परिवार के सदस्यों के बीच न्यूनतम संपर्क।
  4. प्रत्येक सदस्य की पूर्ण व्यक्तिगत स्वतंत्रता।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: संयुक्त परिवार की मुख्य विशेषता एक ही घर में रहने वाले, सामान्य रसोई साझा करने वाले और संपत्ति के संयुक्त स्वामित्व वाले कई पीढ़ियों के सदस्यों का एक साथ रहना है। इसमें बुजुर्गों का सम्मान और बच्चों की सामूहिक जिम्मेदारी जैसे मूल्य भी जुड़े होते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: इरावती कर्वे ने भारतीय परिवार पर विस्तार से काम किया है और संयुक्त परिवार को भारतीय समाज की एक महत्वपूर्ण संस्था माना है।
  • गलत विकल्प: (a) यह एकल परिवार (Nuclear Family) है। (c) और (d) संयुक्त परिवार की विशेषताओं के विपरीत हैं।

प्रश्न 19: ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) की अवधारणा किससे जुड़ी है?

  1. व्यक्तिगत धन और संपत्ति।
  2. नेटवर्क, विश्वास और पारस्परिक संबंध जो व्यक्तियों को लाभ पहुँचाते हैं।
  3. तकनीकी ज्ञान और कौशल।
  4. सरकारी नीतियाँ और कानून।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: सामाजिक पूंजी उन संसाधनों को संदर्भित करती है जो सामाजिक नेटवर्क, संबंधों, विश्वास और आपसी सहयोग से उत्पन्न होते हैं। यह व्यक्तियों या समूहों को अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद कर सकती है। पियरे बॉर्दियू (Pierre Bourdieu) और जेम्स कोलमैन (James Coleman) जैसे समाजशास्त्रियों ने इस अवधारणा पर महत्वपूर्ण कार्य किया है।
  • संदर्भ और विस्तार: बॉर्दियू ने इसे उस “समूह की सदस्यता से उत्पन्न लाभ” के रूप में देखा जो “लगातार संबंधों के एक जाल” से बना होता है। यह ज्ञान, सूचना, समर्थन और अवसरों तक पहुँच प्रदान कर सकती है।
  • गलत विकल्प: (a) यह ‘आर्थिक पूंजी’ (Economic Capital) है। (c) यह ‘मानव पूंजी’ (Human Capital) है। (d) ये सहायक कारक हो सकते हैं, लेकिन सामाजिक पूंजी स्वयं लोगों के बीच के संबंधों में निहित है।

प्रश्न 20: ‘संस्कृति’ (Culture) के समाजशास्त्रीय अध्ययन में, ‘भौतिक संस्कृति’ (Material Culture) में क्या शामिल है?

  1. विश्वास, मूल्य और भाषा।
  2. लोगों के भौतिक आविष्कार, उपकरण और कलाकृतियाँ।
  3. सामाजिक संस्थाएँ और रीति-रिवाज।
  4. विचार, ज्ञान और भावनाएँ।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: समाजशास्त्र में, संस्कृति को दो मुख्य भागों में बाँटा जाता है: भौतिक संस्कृति (Material Culture) और अभौतिक संस्कृति (Non-material Culture)। भौतिक संस्कृति में वे सभी मूर्त वस्तुएँ शामिल होती हैं जिन्हें मनुष्य ने बनाया है, जैसे उपकरण, मशीनें, भवन, कला, वस्त्र, प्रौद्योगिकी आदि।
  • संदर्भ और विस्तार: अभौतिक संस्कृति में विचार, विश्वास, मूल्य, भाषा, रीति-रिवाज, ज्ञान और प्रतीक शामिल होते हैं।
  • गलत विकल्प: (a), (c), और (d) अभौतिक संस्कृति के उदाहरण हैं।

प्रश्न 21: भारत में ‘ग्राम पंचायत’ (Gram Panchayat) किस प्रकार की संस्था है?

  1. एक व्यक्तिगत राजनीतिक इकाई।
  2. एक प्रमुख सामाजिक सुधार संगठन।
  3. स्थानीय स्वशासन (Local Self-Governance) की एक संस्था।
  4. एक धार्मिक अनुष्ठानिक निकाय।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: ग्राम पंचायत भारतीय ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय स्वशासन की एक निर्वाचित संस्था है। यह पंचायती राज व्यवस्था का सबसे निचला स्तर है और ग्राम स्तर पर बुनियादी शासन और विकास कार्यों की जिम्मेदारी निभाती है।
  • संदर्भ और विस्तार: 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 ने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा दिया, जिससे स्थानीय स्वशासन को बढ़ावा मिला।
  • गलत विकल्प: (a) यह एक सामूहिक और प्रशासनिक इकाई है। (b) और (d) इसके प्राथमिक कार्य नहीं हैं।

प्रश्न 22: ‘सामाजिकरण’ (Socialization) की प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य क्या है?

  1. समाज में व्यक्ति को स्थापित करना और उसे समाज के मानदंडों, मूल्यों और भूमिकाओं को सिखाना।
  2. व्यक्ति को केवल आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाना।
  3. लोगों को एक-दूसरे से अलग करना।
  4. समाज में केवल सत्ताधारी वर्ग को बनाए रखना।

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: सामाजिकरण वह आजीवन प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति समाज के सदस्य के रूप में कार्य करना सीखता है। यह उन्हें सामाजिक मानदंडों, मूल्यों, विश्वासों, कौशल और भूमिकाओं को आत्मसात करने में मदद करता है, जिससे वे समाज में सफलतापूर्वक एकीकृत हो सकें।
  • संदर्भ और विस्तार: यह परिवार, स्कूल, सहकर्मी समूह और मीडिया जैसे विभिन्न अभिकर्ताओं (agents) के माध्यम से होता है।
  • गलत विकल्प: (b), (c), और (d) सामाजिकरण के उद्देश्य नहीं हैं, बल्कि इसके कुछ संभावित परिणाम (सकारात्मक या नकारात्मक) हो सकते हैं, या पूरी तरह से गलत हैं।

प्रश्न 23: ‘सामाजिक नियंत्रण’ (Social Control) का क्या तात्पर्य है?

  1. समाज में व्यक्तियों को स्वतंत्र रूप से कार्य करने देना।
  2. समाज में व्यवस्था, स्थिरता और पूर्वानुमेयता बनाए रखने के लिए उपयोग किए जाने वाले तंत्र और प्रक्रियाएँ।
  3. केवल सरकारी हस्तक्षेप।
  4. लोगों के विचारों पर पूर्ण नियंत्रण।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: सामाजिक नियंत्रण उन सभी तरीकों को संदर्भित करता है जिनसे समाज अपने सदस्यों के व्यवहार को निर्देशित, विनियमित और नियंत्रित करता है ताकि वे सामाजिक मानदंडों और मूल्यों के अनुरूप रहें। इसमें औपचारिक (जैसे कानून, पुलिस) और अनौपचारिक (जैसे सामाजिक दबाव, निंदा) दोनों तरह के तंत्र शामिल हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: इसका उद्देश्य सामाजिक अव्यवस्था को रोकना और समाज के कामकाज को सुनिश्चित करना है।
  • गलत विकल्प: (a) स्वतंत्र कार्य अनियंत्रित हो सकता है। (c) यह सामाजिक नियंत्रण का केवल एक रूप है। (d) यह अधिनायकवाद (totalitarianism) का संकेत दे सकता है, लेकिन सामाजिक नियंत्रण का सामान्य अर्थ नहीं।

प्रश्न 24: भारतीय समाज में ‘संरक्षण’ (Affirmative Action) या ‘आरक्षण’ (Reservation) का मुख्य उद्देश्य क्या रहा है?

  1. केवल ऐतिहासिक अन्याय को दूर करना।
  2. समाज के ऐतिहासिक रूप से वंचित और शोषित समूहों को अवसर प्रदान करके सामाजिक न्याय और समानता सुनिश्चित करना।
  3. जाति व्यवस्था को मजबूत करना।
  4. धार्मिक स्वतंत्रता को प्रतिबंधित करना।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: भारत में आरक्षण नीति मुख्य रूप से सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों (जैसे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग) को शिक्षा, रोजगार और राजनीतिक प्रतिनिधित्व में अवसर प्रदान करके ऐतिहासिक अन्याय को दूर करने और सामाजिक न्याय तथा समानता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लागू की गई है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह नीति सामाजिक समावेश (social inclusion) और इक्विटी (equity) के लक्ष्यों को प्राप्त करने का एक साधन है।
  • गलत विकल्प: (a) यह एक कारण है, लेकिन पूरा उद्देश्य नहीं। (c) और (d) आरक्षण के उद्देश्यों के बिल्कुल विपरीत हैं।

प्रश्न 25: ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा का प्रयोग किसने किया और इसका क्या अर्थ है?

  1. विलियम ग्राहम समनर; समाज के नियमों का जानबूझकर उल्लंघन।
  2. एल्विन टॉफलर; भौतिक संस्कृति के तकनीकी विकास की तुलना में अभौतिक संस्कृति (जैसे मूल्य, मानदंड) का धीमा अनुकूलन।
  3. कार्ल मार्क्स; पूँजीवाद में परिवर्तन की धीमी गति।
  4. हरबर्ट स्पेंसर; सामाजिक विकास का प्राकृतिक क्रम।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा प्रसिद्ध भविष्यवादी और समाजशास्त्री एल्विन टॉफलर (Alvin Toffler) द्वारा उनकी पुस्तक ‘Future Shock’ में लोकप्रिय बनाई गई थी। इसका अर्थ है कि समाज में भौतिक संस्कृति (जैसे प्रौद्योगिकी, नवाचार) का विकास अक्सर अभौतिक संस्कृति (जैसे सामाजिक मूल्य, रीति-रिवाज, कानून, नैतिकता) के अनुकूलन की गति से तेज होता है, जिससे सामाजिक समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, इंटरनेट का तेजी से प्रसार हुआ, लेकिन गोपनीयता और डेटा सुरक्षा से संबंधित हमारे कानून और सामाजिक मानदंड इसके पीछे रह गए।
  • गलत विकल्प: (a) यह ‘व्यभिचार’ (Deviance) या ‘अनोमी’ से संबंधित हो सकता है। (c) और (d) समाजशास्त्रीय सिद्धांत के अन्य महत्वपूर्ण पहलू हैं, लेकिन इस अवधारणा से संबंधित नहीं हैं।

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