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अवधारणाओं को परखें: आज का समाजशास्त्र अभ्यास

अवधारणाओं को परखें: आज का समाजशास्त्र अभ्यास

तैयारी के मैदान में एक और दिन, और आपकी समाजशास्त्रीय समझ को परखने का एक नया अवसर! क्या आप अपनी अवधारणाओं पर पकड़ और विश्लेषणात्मक कौशल को और मजबूत करने के लिए तैयार हैं? आइए, आज के 25 विशेष प्रश्नों के साथ अपनी यात्रा जारी रखें और समाजशास्त्र के विशाल परिदृश्य में गहराई से उतरें।

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।


प्रश्न 1: “सामाजिक तथ्य” (social facts) की अवधारणा किसने विकसित की, जिसे उन्होंने समाजशास्त्र के अध्ययन की वस्तु माना?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. मैक्स वेबर
  3. एमिल दुर्खीम
  4. हरबर्ट स्पेंसर

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: एमिल दुर्खीम ने “सामाजिक तथ्य” की अवधारणा को समाजशास्त्र की केंद्रीय इकाई के रूप में प्रतिपादित किया। उनके अनुसार, सामाजिक तथ्य वे तरीके हैं जिनसे समाज में सामूहिक चेतना व्यक्त होती है, जो व्यक्ति पर बाहरी दबाव डालती है और समाज के लिए सामान्य होती है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक “समाजशास्त्रीय पद्धति के नियम” (The Rules of Sociological Method) में विस्तार से बताया कि सामाजिक तथ्यों को वस्तुओं की तरह अध्ययन किया जाना चाहिए। वे बाहरी, सार्वभौमिक और अनुशासित होते हैं।
  • अशुद्ध विकल्प: कार्ल मार्क्स ने वर्ग संघर्ष और ऐतिहासिक भौतिकवाद पर बल दिया। मैक्स वेबर ने सामाजिक क्रिया और ‘वेरस्टेहेन’ (Verstehen) या व्याख्यात्मक समझ पर ध्यान केंद्रित किया। हरबर्ट स्पेंसर ने सामाजिक विकास के लिए विकासवाद के सिद्धांत का उपयोग किया।

प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा शब्द एम.एन. श्रीनिवास द्वारा गढ़ा गया था, जो किसी निम्न जाति या जनजाति द्वारा उच्च जाति के रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों और विश्वासों को अपनाने की प्रक्रिया को संदर्भित करता है ताकि जाति पदानुक्रम में उच्च स्थिति प्राप्त की जा सके?

  1. पश्चिमीकरण (Westernization)
  2. आधुनिकीकरण (Modernization)
  3. पवित्रिकरण (Sanskritization)
  4. नगरीकरण (Urbanization)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: पवित्रिकरण (Sanskritization) वह प्रक्रिया है जिसका वर्णन एम.एन. श्रीनिवास ने किया है। यह सांस्कृतिक गतिशीलता का एक रूप है जहाँ निम्न सामाजिक समूह, उच्च सामाजिक समूहों के सांस्कृतिक नमूनों को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति को सुधारने का प्रयास करते हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: श्रीनिवास ने यह अवधारणा अपनी पुस्तक “Religion and Society Among the Coorgs of South India” में प्रस्तुत की थी। यह विशेष रूप से भारतीय संदर्भ में जाति व्यवस्था के भीतर गतिशीलता को समझने के लिए महत्वपूर्ण है।
  • अशुद्ध विकल्प: पश्चिमीकरण से तात्पर्य पश्चिमी संस्कृति के तत्वों को अपनाना है। आधुनिकीकरण एक व्यापक प्रक्रिया है जो औद्योगीकरण, धर्मनिरपेक्षीकरण और तर्कसंगतता से जुड़ी है। नगरीकरण ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों में जनसंख्या के स्थानांतरण को संदर्भित करता है।

प्रश्न 3: मैक्स वेबर ने किस अवधारणा का उपयोग यह समझाने के लिए किया कि लोग अपनी क्रियाओं के प्रति जो व्यक्तिगत अर्थ और उद्देश्य जोड़ते हैं, उसे समझना समाजशास्त्र के लिए आवश्यक है?

  1. सामाजिक संरचना (Social Structure)
  2. सामूहिक चेतना (Collective Consciousness)
  3. वेरस्टेहेन (Verstehen)
  4. मानकीकरण (Rationalization)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: ‘वेरस्टेहेन’ (Verstehen) जर्मन शब्द है जिसका अर्थ है ‘समझना’। मैक्स वेबर ने इस अवधारणा का प्रयोग यह बताने के लिए किया कि समाजशास्त्रियों को न केवल सामाजिक घटनाओं का अवलोकन करना चाहिए, बल्कि उन सामाजिक क्रियाओं के पीछे के व्यक्तिपरक अर्थों और इरादों को भी समझना चाहिए।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह अवधारणा वेबर के व्याख्यात्मक समाजशास्त्र (interpretive sociology) का आधार है और उनकी पुस्तक “Economy and Society” में प्रमुखता से मिलती है। यह व्यक्ति के दृष्टिकोण से सामाजिक दुनिया को समझने पर जोर देती है।
  • अशुद्ध विकल्प: सामाजिक संरचना समाज के विभिन्न भागों की व्यवस्था को दर्शाती है। सामूहिक चेतना दुर्खीम का एक महत्वपूर्ण विचार है, जो समाज के सदस्यों के बीच साझा विश्वासों और मूल्यों को दर्शाता है। मानकीकरण (Rationalization) समाज में तर्कसंगतता की बढ़ती प्रधानता को दर्शाता है, जो वेबर की अन्य महत्वपूर्ण अवधारणा है।

प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन सी अवधारणा रॉबर्ट मर्टन द्वारा “विचलित व्यवहार” (deviant behavior) को समाज में एक आवश्यक कार्य के रूप में देखी जाती है, जो सामाजिक मानदंडों की स्पष्टता को बढ़ा सकता है?

  1. अभिजात वर्ग का सिद्धांत (Theory of the Elite)
  2. संरचनात्मक प्रकार्यवाद (Structural Functionalism)
  3. अतिरिक्त मूल्य (Surplus Value)
  4. असंतुलन (Dysfunction)

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: रॉबर्ट मर्टन ने “असंतुलन” (Dysfunction) की अवधारणा का प्रयोग उन परिणामों का वर्णन करने के लिए किया जो किसी सामाजिक प्रणाली के लिए हानिकारक या अस्थिर करने वाले होते हैं। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि कुछ प्रकार के विचलन, जैसे अपराध, वास्तव में समाज के लिए कार्यात्मक हो सकते हैं क्योंकि वे सामाजिक नियमों के महत्व को रेखांकित करते हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: मर्टन के कार्य “Social Theory and Social Structure” में, उन्होंने सामाजिक संरचना और विचलन के बीच संबंध को समझाया। उन्होंने यह भी बताया कि विचलन समाज की संरचना का एक ‘अनपेक्षित परिणाम’ हो सकता है।
  • अशुद्ध विकल्प: अभिजात वर्ग का सिद्धांत, जैसे कि मॉस्का और पैरेटो द्वारा विकसित, समाज में शक्ति के वितरण से संबंधित है। संरचनात्मक प्रकार्यवाद समग्र रूप से समाज की संरचना और उसके कार्यों का अध्ययन करता है। अतिरिक्त मूल्य कार्ल मार्क्स की एक प्रमुख अवधारणा है।

प्रश्न 5: भारतीय समाज में, “जाति” (Caste) की एक प्रमुख विशेषता क्या है, जो इसे अन्य सामाजिक स्तरीकरण प्रणालियों से अलग करती है?

  1. गतिशीलता की उच्च डिग्री
  2. जन्म पर आधारित सदस्यता और अंतर्विवाह
  3. खुला पेशा चुनाव
  4. सभी के लिए समान अवसर

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: भारतीय जाति व्यवस्था की सबसे विशिष्ट विशेषताओं में से एक यह है कि सदस्यता जन्म से तय होती है और आमतौर पर ‘अंतर्विवाह’ (endogamy) की प्रथा का पालन किया जाता है, जिसका अर्थ है कि व्यक्ति उसी जाति के भीतर विवाह करते हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह जन्म-आधारित सदस्यता व्यक्ति की सामाजिक स्थिति, व्यवसाय और सामाजिक संबंधों को निर्धारित करती है, जिससे इसमें गतिशीलता बहुत सीमित हो जाती है। यह कठोर नियम व्यवस्था को बनाए रखता है।
  • अशुद्ध विकल्प: जाति व्यवस्था में गतिशीलता की डिग्री बहुत कम होती है। पेशा चुनाव अक्सर जाति से बंधा होता है, और सभी के लिए समान अवसर का सिद्धांत जाति व्यवस्था के विपरीत है।

प्रश्न 6: जॉर्ज हर्बर्ट मीड (George Herbert Mead) के अनुसार, “स्व” (Self) का विकास किस प्रक्रिया के माध्यम से होता है?

  1. केवल जैविक परिपक्वता से
  2. सामाजिक अंतःक्रिया और अनुकरण से
  3. जन्मजात प्रवृत्ति से
  4. मानसिक आघात के बाद

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: जॉर्ज हर्बर्ट मीड, जिसे प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism) के जनक के रूप में जाना जाता है, का मानना ​​था कि “स्व” (Self) का विकास सामाजिक अंतःक्रियाओं की एक प्रक्रिया है। इसमें व्यक्ति दूसरों की भूमिकाएँ निभाना और समाज के दृष्टिकोण को अपने भीतर समाहित करना सीखता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: मीड ने “Me” (सामान्याकृत अन्य का दृष्टिकोण) और “I” (तत्काल प्रतिक्रिया) के बीच अंतर बताया। “स्व” का विकास इन दोनों के बीच निरंतर बातचीत से होता है, जो समाजीकरण के माध्यम से होता है। उनकी पुस्तक “Mind, Self and Society” इस पर विस्तृत है।
  • अशुद्ध विकल्प: स्व का विकास केवल जैविक या जन्मजात नहीं होता, बल्कि सक्रिय सामाजिक अनुभव से होता है। मानसिक आघात किसी व्यक्ति के आत्म-अवधारणा को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है, लेकिन यह विकास की सामान्य प्रक्रिया नहीं है।

प्रश्न 7: निम्नलिखित में से कौन सा समाजशास्त्री “अलगाव” (Alienation) की अवधारणा से सबसे अधिक जुड़ा हुआ है, खासकर पूंजीवादी उत्पादन व्यवस्था के संदर्भ में?

  1. ए. वी. डिकिन्स (A. V. Dickens)
  2. इरावती कर्वे (Iravati Karve)
  3. कार्ल मार्क्स (Karl Marx)
  4. एम. के. गांधी (M.K. Gandhi)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: कार्ल मार्क्स ने “अलगाव” (Alienation) की अवधारणा को पूंजीवादी उत्पादन के तहत श्रमिकों के अनुभव के वर्णन के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में इस्तेमाल किया। उनके अनुसार, श्रमिक अपने श्रम, उत्पाद, सहकर्मियों और अपनी मानवीय सार से अलग महसूस करते हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: मार्क्स ने “Economic and Philosophic Manuscripts of 1844” में अलगाव के चार प्रमुख रूपों की पहचान की: उत्पाद से अलगाव, उत्पादन प्रक्रिया से अलगाव, स्वयं से अलगाव, और दूसरों से अलगाव।
  • अशुद्ध विकल्प: ए. वी. डिकिन्स एक अर्थशास्त्री हैं। इरावती कर्वे एक मानवविज्ञानी थीं, जिन्होंने भारतीय समाज, विशेष रूप से नातेदारी पर काम किया। एम. के. गांधी एक राजनीतिक और आध्यात्मिक नेता थे।

प्रश्न 8: “सामाजिक संस्था” (Social Institution) का सबसे उपयुक्त अर्थ क्या है?

  1. व्यक्तियों का एक समूह जो एक साथ रहते हैं।
  2. मानदंडों, मूल्यों और भूमिकाओं का एक स्थापित और स्थायी पैटर्न जो समाज की कुछ प्रमुख आवश्यकताओं को पूरा करता है।
  3. किसी भी सामाजिक समूह की अनौपचारिक बैठकें।
  4. समाज में व्यक्तियों की स्थिति।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: सामाजिक संस्थाएं समाज की बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए स्थापित, स्थायी और व्यवस्थित सामाजिक पैटर्न हैं। इनमें नियम, मूल्य, भूमिकाएं और प्रक्रियाएं शामिल होती हैं जो समाज को कार्य करने में मदद करती हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: परिवार, शिक्षा, धर्म, सरकार और अर्थव्यवस्था समाज की प्रमुख संस्थाएं हैं। ये संस्थाएं सामाजिक व्यवस्था, स्थिरता और निरंतरता सुनिश्चित करती हैं।
  • अशुद्ध विकल्प: (a) व्यक्तियों का समूह एक समाज या एक संगठन हो सकता है, लेकिन यह हमेशा एक संस्था नहीं होता। (c) अनौपचारिक बैठकें संस्थाएं नहीं होतीं। (d) समाज में व्यक्तियों की स्थिति भूमिकाओं से संबंधित हो सकती है, लेकिन यह स्वयं संस्था नहीं है।

प्रश्न 9: भारत में “धर्म” (Religion) सामाजिक स्तरीकरण में किस प्रकार महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है?

  1. यह केवल व्यक्तिगत विश्वास का मामला है।
  2. यह जाति व्यवस्था के पदानुक्रम को मजबूत करता है और सामाजिक भूमिकाओं को परिभाषित करता है।
  3. यह सामाजिक गतिशीलता को बढ़ावा देता है।
  4. इसका सामाजिक स्तरीकरण पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: भारतीय संदर्भ में, धर्म, विशेष रूप से हिंदू धर्म, जाति व्यवस्था से गहराई से जुड़ा हुआ है। धार्मिक ग्रंथ और अनुष्ठान जाति के पदानुक्रम को वैधानिकता प्रदान करते हैं, और प्रत्येक जाति को विशिष्ट धार्मिक कर्तव्य और भूमिकाएं सौंपी जाती हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: कर्म और पुनर्जन्म के सिद्धांत अक्सर जाति की स्थिति को समझाने के लिए उपयोग किए जाते हैं। धर्म पवित्रता और प्रदूषण की अवधारणाओं के माध्यम से जातियों के बीच अलगाव को बनाए रखने में भी मदद करता है।
  • अशुद्ध विकल्प: धर्म व्यक्तिगत विश्वास से कहीं अधिक है, यह एक सामाजिक संस्था है। यद्यपि कुछ धार्मिक सुधारों ने सामाजिक गतिशीलता को बढ़ावा दिया है, धर्म का मुख्य प्रभाव अक्सर पदानुक्रम को बनाए रखना रहा है।

प्रश्न 10: निम्नलिखित में से कौन सी “सामाजिक परिवर्तन” (Social Change) के चक्रीय सिद्धांत (Cyclical Theory) का एक प्रमुख प्रस्तावक था?

  1. अगस्ट कॉम्ते (Auguste Comte)
  2. कार्ल मार्क्स (Karl Marx)
  3. विल्फ्रेडो पैरेटो (Vilfredo Pareto)
  4. इमाइल दुर्खीम (Emile Durkheim)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: विल्फ्रेडो पैरेटो ने सामाजिक परिवर्तन को कुलीन वर्गों के घूर्णन (circulation of elites) के रूप में देखा। उनका मानना ​​था कि समाज समय के साथ विभिन्न प्रकार के कुलीन वर्गों (शासक और गैर-शासक) के बीच घूमता रहता है, जो एक चक्रीय पैटर्न का निर्माण करता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: पैरेटो की पुस्तक “The Mind and Society” (जिसे “Trattato di sociologia generale” भी कहा जाता है) में उनके विचारों का विवरण है। उन्होंने तर्क दिया कि समाज एक स्थिर अवस्था में नहीं रहता, बल्कि कुलीन वर्गों के उत्थान और पतन के माध्यम से बदलता रहता है।
  • अशुद्ध विकल्प: अगस्ट कॉम्ते सामाजिक परिवर्तन के विकासवादी सिद्धांत (evolutionary theory) के प्रमुख प्रस्तावक थे। कार्ल मार्क्स ने सामाजिक परिवर्तन को वर्ग संघर्ष के माध्यम से होने वाले एक रैखिक (linear) और क्रांतिकारी (revolutionary) प्रक्रिया के रूप में देखा। इमाइल दुर्खीम ने यांत्रिक एकजुटता से सा.वयव एकीकॄतता तक परिवर्तन की बात कही, जो विकासवादी प्रकृति की थी।

प्रश्न 11: “अभिजात्य वर्ग” (Elite) की अवधारणा, जो समाज के संचालन में अल्पसंख्यक शक्तिशाली लोगों की भूमिका पर केंद्रित है, किस समाजशास्त्री के काम का एक केंद्रीय विषय थी?

  1. रॉबर्ट मर्टन (Robert Merton)
  2. सी. राइट मिल्स (C. Wright Mills)
  3. अर्नाल्ड टोयनबी (Arnold Toynbee)
  4. सिगमंड फ्रायड (Sigmund Freud)

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: सी. राइट मिल्स ने अपनी प्रभावशाली पुस्तक “The Power Elite” (1956) में अमेरिकी समाज में शक्ति के वितरण का विश्लेषण किया। उन्होंने तर्क दिया कि एक छोटा, परस्पर जुड़ा हुआ अभिजात्य वर्ग (जिसमें प्रमुख कॉर्पोरेट, सैन्य और राजनीतिक नेता शामिल हैं) अमेरिका में निर्णय लेने वाली शक्ति रखता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: मिल्स ने इस अभिजात्य वर्ग के प्रभुत्व और आम नागरिकों की शक्तिहीनता पर प्रकाश डाला, जो एक “शून्य-वर्ग” (powerless mass) बन गए हैं।
  • अशुद्ध विकल्प: रॉबर्ट मर्टन ने संरचनात्मक प्रकार्यवाद और विचलन पर काम किया। अर्नाल्ड टोयनबी इतिहासकार थे जिन्होंने सभ्यताओं के उत्थान और पतन का अध्ययन किया। सिगमंड फ्रायड मनोविश्लेषण के संस्थापक थे।

प्रश्न 12: “असंतुलन” (Anomie) की अवधारणा, जिसे दुर्खीम ने सामाजिक मानदंडों के कमजोर पड़ने और व्यक्ति के दिशाहीन होने की स्थिति का वर्णन करने के लिए इस्तेमाल किया, किस प्रकार की समाजों में अधिक पाई जाती है?

  1. पारंपरिक, सरल समाज
  2. आधुनिक, औद्योगिक समाज
  3. जनजातीय समाज
  4. सभी समाजों में समान रूप से

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: एमिल दुर्खीम के अनुसार, असंतुलन (Anomie) आधुनिक, औद्योगिक समाजों में अधिक आम है। इन समाजों में, तीव्र परिवर्तन, सामाजिक नियंत्रण के कमजोर पड़ने और व्यक्तिवाद के बढ़ने के कारण पारंपरिक मानदंड और मूल्य अपनी पकड़ खो देते हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक “Suicide” में दिखाया कि कैसे सामाजिक एकता में कमी (जैसे कि असंतुलित समाजों में) आत्महत्या की दर को बढ़ा सकती है। उन्होंने इसे “असंतुलित आत्महत्या” (anomic suicide) का नाम दिया।
  • अशुद्ध विकल्प: पारंपरिक, सरल समाजों में मजबूत सामूहिक चेतना और घनिष्ठ सामाजिक संबंध होते हैं, जो असंतुलन को कम करते हैं। जनजातीय समाज भी इसी श्रेणी में आते हैं।

प्रश्न 13: भारत में, “दलित” (Dalit) शब्द का प्रयोग ऐतिहासिक रूप से किस सामाजिक समूह के लिए किया जाता है?

  1. उच्च जाति के सदस्य
  2. भूमिहीन किसान
  3. जिन्हें कभी “अछूत” कहा जाता था
  4. सरकारी अधिकारी

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: “दलित” शब्द का अर्थ है “दबाया हुआ” या “कुचला हुआ”। यह शब्द उन समूहों के लिए उपयोग किया जाता है जिन्हें ऐतिहासिक रूप से जाति व्यवस्था के भीतर बहिष्कृत किया गया था और जिन्हें ब्रिटिश काल में “अछूत” (Untouchables) कहा जाता था।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह शब्द आत्म-पहचान और सक्षमता का प्रतीक है, जो उन समुदायों द्वारा अपनाया गया है जो जाति-आधारित भेदभाव और उत्पीड़न के खिलाफ अपनी आवाज़ उठाते हैं।
  • अशुद्ध विकल्प: उच्च जाति के सदस्य, भूमिहीन किसान (जो विभिन्न जातियों से हो सकते हैं), और सरकारी अधिकारी इस शब्द के अंतर्गत नहीं आते।

प्रश्न 14: निम्नलिखित में से कौन सी “सामाजिक अनुसंधान विधि” (Social Research Method) विशेष रूप से गहरी अंतर्दृष्टि प्राप्त करने के लिए डिज़ाइन की गई है कि लोग अपने सामाजिक व्यवहार को कैसे समझते हैं?

  1. सांख्यिकीय विश्लेषण (Statistical Analysis)
  2. प्रश्नावली सर्वेक्षण (Questionnaire Survey)
  3. नृवंशविज्ञान (Ethnography)
  4. प्रयोग (Experiment)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: नृवंशविज्ञान (Ethnography) एक गुणात्मक (qualitative) अनुसंधान विधि है जिसमें शोधकर्ता किसी समुदाय या समूह के भीतर लंबे समय तक रहता है, भाग लेता है और अवलोकन करता है। इसका मुख्य उद्देश्य उस समूह के सदस्यों के दृष्टिकोण, विश्वासों और व्यवहारों को गहराई से समझना है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: नृवंशविज्ञान अक्सर “प्रतिभागी अवलोकन” (participant observation) का उपयोग करता है और इसका लक्ष्य किसी संस्कृति या सामाजिक समूह का ‘आंतरिक’ दृष्टिकोण (emic perspective) प्रस्तुत करना होता है।
  • अशुद्ध विकल्प: सांख्यिकीय विश्लेषण और प्रश्नावली सर्वेक्षण आमतौर पर मात्रात्मक (quantitative) डेटा एकत्र करते हैं, जो व्यापक प्रवृत्तियों को समझने के लिए उपयोगी होते हैं लेकिन व्यक्तिगत अर्थों की गहराई में नहीं जाते। प्रयोगों का उपयोग अक्सर कारण-प्रभाव संबंधों का परीक्षण करने के लिए किया जाता है, लेकिन ये सामाजिक व्यवहार की जटिलताओं को समझने के लिए हमेशा उपयुक्त नहीं होते।

प्रश्न 15: “समूह” (Group) के समाजशास्त्रीय अर्थ के अनुसार, निम्नलिखित में से कौन सा आवश्यक है?

  1. सदस्यों के बीच समान विचार।
  2. न्यूनतम दो व्यक्ति जो एक-दूसरे के प्रति जागरूक हों और परस्पर क्रिया करते हों।
  3. सभी सदस्यों का एक ही स्थान पर होना।
  4. एक सामान्य नेता।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: समाजशास्त्र में, एक समूह को कम से कम दो व्यक्तियों के संग्रह के रूप में परिभाषित किया जाता है जो एक-दूसरे के प्रति जागरूक होते हैं, एक-दूसरे पर प्रभाव डालते हैं, और कुछ हद तक एक-दूसरे के साथ अंतःक्रिया करते हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: इसमें प्राथमिक समूह (जैसे परिवार, मित्र) और द्वितीयक समूह (जैसे कार्यस्थल, क्लब) शामिल हैं। मुख्य बात सदस्यों के बीच परस्पर क्रिया और जागरूकता है।
  • अशुद्ध विकल्प: सदस्यों के बीच हमेशा समान विचार नहीं होते; असहमति भी समूह का हिस्सा हो सकती है। समूह के सदस्यों को एक ही स्थान पर होना आवश्यक नहीं है (जैसे ऑनलाइन समूह)। एक सामान्य नेता हमेशा आवश्यक नहीं होता, खासकर अनौपचारिक समूहों में।

प्रश्न 16: “सांस्कृतिक विलंब” (Cultural Lag) की अवधारणा, जिसका अर्थ है कि समाज के कुछ हिस्से (जैसे प्रौद्योगिकी) दूसरे हिस्सों (जैसे सामाजिक मूल्य) की तुलना में अधिक तेज़ी से बदलते हैं, किसने विकसित की?

  1. अल्बर्ट आइंस्टीन (Albert Einstein)
  2. विलियम एफ. ओगबर्न (William F. Ogburn)
  3. मैक्स वेबर (Max Weber)
  4. जॉन लॉक (John Locke)

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: विलियम एफ. ओगबर्न ने “सांस्कृतिक विलंब” (Cultural Lag) की अवधारणा को 1922 में अपनी पुस्तक “Social Change with Respect to Culture and Original Nature” में प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि कैसे भौतिक संस्कृति (जैसे प्रौद्योगिकी) अभौतिक संस्कृति (जैसे रीति-रिवाज, कानून, मूल्य) की तुलना में अधिक तेज़ी से बदलती है, जिससे सामाजिक समायोजन में कठिनाई होती है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: ओगबर्न के अनुसार, समाज में असंतुलन तब उत्पन्न होता है जब ये दो सांस्कृतिक तत्व एक साथ तालमेल नहीं बिठा पाते।
  • अशुद्ध विकल्प: अल्बर्ट आइंस्टीन एक भौतिक विज्ञानी थे। मैक्स वेबर एक समाजशास्त्री थे जिन्होंने मानकीकरण (rationalization) पर काम किया। जॉन लॉक एक दार्शनिक थे।

प्रश्न 17: भारतीय समाज में, “विवाह” (Marriage) एक महत्वपूर्ण सामाजिक संस्था है। निम्नलिखित में से कौन सी विवाह की एक सामान्य विशेषता रही है?

  1. हमेशा एक-पत्नीत्व (Monogamy)
  2. हमेशा बहुपत्नीत्व (Polygyny)
  3. विभिन्न जातियों के बीच सामान्य विवाह
  4. अंतर्विवाह (Endogamy)

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: भारतीय समाज में, विवाह की एक प्रमुख विशेषता “अंतर्विवाह” (Endogamy) रही है, जहाँ व्यक्ति अपनी ही जाति या उप-जाति के भीतर विवाह करने के लिए बाध्य होते हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: हालाँकि एक-पत्नीत्व (monogamy) सामान्य रहा है, लेकिन ऐतिहासिक रूप से कुछ मामलों में बहुपत्नीत्व (polygyny) भी मौजूद रहा है। अंतर-जातीय विवाह (Inter-caste marriage) को भी सामाजिक स्वीकृति नहीं मिली है, जिससे अंतर्विवाह का प्रचलन बना रहा।
  • अशुद्ध विकल्प: एक-पत्नीत्व सामान्य है, लेकिन हमेशा नहीं। बहुपत्नीत्व दुर्लभ रहा है। अंतर-जातीय विवाह भारतीय समाज में ऐतिहासिक रूप से स्वीकृत नहीं रहा है।

प्रश्न 18: “संरचनात्मक प्रकार्यवाद” (Structural Functionalism) के अनुसार, समाज को किस रूप में देखा जाता है?

  1. संघर्ष और परिवर्तन की निरंतर प्रक्रिया।
  2. एक जटिल प्रणाली जिसके विभिन्न अंग (संरचनाएं) एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं और समाज के अस्तित्व और स्थिरता में योगदान करते हैं।
  3. बाजार की शक्तियों द्वारा संचालित एक प्रणाली।
  4. व्यक्तियों के बीच यादृच्छिक अंतःक्रियाओं का संग्रह।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: संरचनात्मक प्रकार्यवाद समाज को एक स्थिर और एकीकृत प्रणाली के रूप में देखता है, जहाँ समाज के विभिन्न संस्थान (परिवार, शिक्षा, धर्म, सरकार) एक-दूसरे से जुड़े होते हैं और समाज के समग्र अस्तित्व और संतुलन (equilibrium) को बनाए रखने में योगदान करते हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: इस दृष्टिकोण के प्रमुख प्रस्तावक दुर्खीम, पार्सन्स और मर्टन हैं। वे समाज के ‘कार्यों’ (functions) पर ध्यान केंद्रित करते हैं, यानी वे तरीके जिनसे विभिन्न सामाजिक संरचनाएं समाज की आवश्यकताओं को पूरा करती हैं।
  • अशुद्ध विकल्प: (a) संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory) समाज को संघर्ष की प्रक्रिया के रूप में देखता है। (c) यह पूंजीवाद या आर्थिक सिद्धांत से संबंधित है। (d) यह प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के विपरीत है।

प्रश्न 19: “सामाजिक नियंत्रण” (Social Control) का क्या अर्थ है?

  1. समाज में शक्ति का वितरण।
  2. उन तंत्रों का समग्र जो समाज में सदस्यों के व्यवहार को नियंत्रित करते हैं और सामाजिक व्यवस्था बनाए रखते हैं।
  3. सरकार द्वारा लगाए गए नियम।
  4. व्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: सामाजिक नियंत्रण में वे सभी तरीके और तंत्र शामिल होते हैं जिनके द्वारा समाज अपने सदस्यों के व्यवहार को नियंत्रित करता है, उन्हें स्वीकृत मानदंडों और मूल्यों का पालन करने के लिए प्रेरित करता है, और सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: इसमें औपचारिक नियंत्रण (जैसे कानून, पुलिस) और अनौपचारिक नियंत्रण (जैसे सामाजिक दबाव, परिवार की शिक्षा, नैतिकता) दोनों शामिल हैं।
  • अशुद्ध विकल्प: (a) शक्ति का वितरण एक अलग अवधारणा है। (c) सरकार द्वारा नियम सामाजिक नियंत्रण का एक रूप हैं, लेकिन यह पूरी परिभाषा नहीं है। (d) स्वतंत्रता पर प्रतिबंध सामाजिक नियंत्रण का एक परिणाम हो सकता है, लेकिन यह पूरी अवधारणा नहीं है।

  • प्रश्न 20: निम्नलिखित में से कौन सा “भारतीय समाज” में “वर्ग” (Class) की अवधारणा के संबंध में सत्य है?

    1. वर्ग विशुद्ध रूप से जन्म पर आधारित है।
    2. वर्ग आर्थिक स्थिति और धन पर आधारित है, लेकिन यह जाति जितना कठोर नहीं है।
    3. भारतीय समाज में वर्ग की कोई प्रासंगिकता नहीं है।
    4. वर्ग केवल व्यक्तिगत पसंद का परिणाम है।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: भारतीय समाज में, वर्ग (Class) मुख्य रूप से आर्थिक स्थिति, आय और संपत्ति के आधार पर परिभाषित होता है। हालाँकि, यह पूरी तरह से जाति व्यवस्था से अप्रभावित नहीं है, और यह जाति जितनी कठोर रूप से परिभाषित या जन्म-आधारित नहीं है। वर्ग में कुछ हद तक गतिशीलता संभव है।
    • संदर्भ एवं विस्तार: आर्थिक असमानता और आय का स्तर समाज में स्तरीकरण का एक महत्वपूर्ण आधार प्रदान करते हैं, जो जाति के साथ-साथ सामाजिक स्थिति और अवसरों को प्रभावित करता है।
    • अशुद्ध विकल्प: वर्ग विशुद्ध रूप से जन्म पर आधारित नहीं है (यह जाति की विशेषता है)। वर्ग भारतीय समाज में बहुत प्रासंगिक है। वर्ग केवल व्यक्तिगत पसंद का परिणाम नहीं है, बल्कि इसमें संरचनात्मक कारक भी शामिल हैं।

    प्रश्न 21: “प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद” (Symbolic Interactionism) का मुख्य ध्यान किस पर होता है?

    1. बड़े पैमाने पर सामाजिक संरचनाओं और संस्थानों का अध्ययन।
    2. व्यक्तियों के बीच छोटे पैमाने की अंतःक्रियाओं और उन अंतःक्रियाओं में प्रयुक्त प्रतीकों (जैसे भाषा) के अर्थों का अध्ययन।
    3. सामाजिक नियंत्रण के औपचारिक साधनों का अध्ययन।
    4. आर्थिक प्रणालियों का विश्लेषण।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद समाजशास्त्र का एक सूक्ष्म-स्तरीय (micro-level) परिप्रेक्ष्य है जो व्यक्तियों के बीच होने वाली छोटी-छोटी अंतःक्रियाओं पर ध्यान केंद्रित करता है। यह इस बात पर जोर देता है कि लोग प्रतीकों (जैसे शब्द, इशारे) का उपयोग करके अर्थ कैसे बनाते और साझा करते हैं, और यह अर्थ उनके व्यवहार को कैसे प्रभावित करते हैं।
    • संदर्भ एवं विस्तार: जॉर्ज हर्बर्ट मीड, हरबर्ट ब्लूमर और इरविंग गॉफमैन इस दृष्टिकोण के प्रमुख विचारक हैं। वे मानते हैं कि “स्व” (Self) और समाज का निर्माण इन अंतःक्रियात्मक प्रक्रियाओं के माध्यम से होता है।
    • अशुद्ध विकल्प: (a) यह मैक्रो-स्तरीय दृष्टिकोणों (जैसे प्रकार्यवाद, मार्क्सवाद) की विशेषता है। (c) यह सामाजिक नियंत्रण के औपचारिक पहलुओं पर केंद्रित है। (d) यह अर्थशास्त्र या कुछ प्रकार के मार्क्सवादी विश्लेषण से संबंधित है।

    प्रश्न 22: “आधुनिकीकरण” (Modernization) की प्रक्रिया में आमतौर पर निम्नलिखित में से कौन से बदलाव शामिल होते हैं?

    1. कृषि पर आधारित अर्थव्यवस्था से औद्योगिक अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ना।
    2. पारंपरिक, धार्मिक मूल्यों से तर्कसंगत, धर्मनिरपेक्ष मूल्यों की ओर बदलाव।
    3. शहरीकरण और शिक्षा का प्रसार।
    4. उपरोक्त सभी।

    उत्तर: (d)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: आधुनिकीकरण एक बहुआयामी प्रक्रिया है जिसमें अर्थव्यवस्था, राजनीति, संस्कृति और सामाजिक संरचना में व्यापक परिवर्तन शामिल होते हैं। इसमें औद्योगीकरण, शहरीकरण, शिक्षा का प्रसार, धर्मनिरपेक्षीकरण और तर्कसंगतता का बढ़ना जैसी प्रक्रियाएँ शामिल हैं।
    • संदर्भ एवं विस्तार: यह पारंपरिक समाजों से उन समाजों की ओर परिवर्तन का प्रतिनिधित्व करता है जो औद्योगिक, शहरी और लोकतांत्रिक हैं।
    • अशुद्ध विकल्प: दिए गए सभी विकल्प आधुनिकीकरण की प्रक्रिया के प्रमुख घटक हैं।

    प्रश्न 23: “समूह की ध्रुवीकरण” (Group Polarization) की घटना का क्या अर्थ है?

    1. समूह के सदस्य अधिक कट्टरपंथी या चरमपंथी निर्णय लेते हैं।
    2. समूह के सदस्यों के बीच मतभेद बढ़ जाते हैं।
    3. समूह के सदस्य एक-दूसरे के विचारों से सहमत हो जाते हैं।
    4. समूह के सदस्य अपने विचारों पर पुनर्विचार करते हैं।

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: समूह ध्रुवीकरण एक ऐसी घटना है जहाँ एक समूह में चर्चा के बाद, समूह के सदस्यों के मूल विचार या झुकाव अधिक चरम हो जाते हैं। यदि समूह के सदस्य आम तौर पर किसी विचार के प्रति सहमत होते हैं, तो वे चर्चा के बाद और अधिक सहमत हो जाते हैं; यदि वे असहमत होते हैं, तो वे और अधिक असहमत हो जाते हैं।
    • संदर्भ एवं विस्तार: यह सामाजिक मनोवैज्ञानिकों द्वारा अध्ययन किया गया एक प्रभाव है, लेकिन इसके समाजशास्त्रीय निहितार्थ भी हैं, जैसे कि राजनीतिक समूहों या सामाजिक आंदोलनों में।
    • अशुद्ध विकल्प: (b) ध्रुवीकरण का अर्थ चरम होना है, न कि केवल मतभेद बढ़ना। (c) यह ध्रुवीकरण का विपरीत है। (d) यह ध्रुवीकरण से भी भिन्न है।

    प्रश्न 24: दुर्खीम के अनुसार, “सामाजिक एकजुटता” (Social Solidarity) की वह कौन सी अवस्था है जो विशेष रूप से आधुनिक, औद्योगिक समाजों में पाई जाती है, जहाँ व्यक्ति विशेषज्ञता और श्रम के विभाजन के कारण एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं?

    1. यांत्रिक एकजुटता (Mechanical Solidarity)
    2. सा.वयव एकीकॄतता (Organic Solidarity)
    3. असंतुलन (Anomie)
    4. सामूहिक चेतना (Collective Consciousness)

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: सा.वयव एकीकॄतता (Organic Solidarity) वह प्रकार की सामाजिक एकजुटता है जो आधुनिक, औद्योगिक समाजों में पाई जाती है। यह व्यक्तियों के बीच श्रम के उच्च विभाजन और विशेषज्ञता पर आधारित होती है, जहाँ प्रत्येक व्यक्ति समाज के “अंग” की तरह कार्य करता है।
    • संदर्भ एवं विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक “The Division of Labour in Society” में इन दो प्रकार की एकजुटता की चर्चा की है। यांत्रिक एकजुटता पारंपरिक समाजों में पाई जाती है, जहाँ समानता और साझा विश्वास (सामूहिक चेतना) एकता प्रदान करते हैं।
    • अशुद्ध विकल्प: यांत्रिक एकजुटता पारंपरिक समाजों से जुड़ी है। असंतुलन एकजुटता की कमी की स्थिति है। सामूहिक चेतना यांत्रिक एकजुटता का एक महत्वपूर्ण कारक है, लेकिन यह स्वयं एकजुटता का प्रकार नहीं है।

    प्रश्न 25: भारत में “नगरीकरण” (Urbanization) के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा एक महत्वपूर्ण सामाजिक परिणाम है?

    1. पारिवारिक संरचनाओं का अधिक नाभिकीय (nuclear) होना।
    2. पड़ोस के संबंधों का अधिक घनिष्ठ होना।
    3. पारंपरिक जातिगत पहचान का मजबूत होना।
    4. ग्रामीण जीवन शैली का प्रसार।

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सटीकता: भारत में नगरीकरण ने अक्सर संयुक्त परिवार प्रणाली के विघटन और नाभिकीय परिवार (nuclear family) संरचना के प्रसार को बढ़ावा दिया है। शहरी जीवन की बदलती आर्थिक और सामाजिक परिस्थितियाँ, जैसे छोटे आवास और व्यक्तिगत रोजगार के अवसर, नाभिकीय परिवारों के लिए अधिक अनुकूल होती हैं।
    • संदर्भ एवं विस्तार: शहरी जीवन अक्सर अधिक गुमनामी, कम सामाजिक नियंत्रण और व्यक्तिवाद को बढ़ावा देता है, जो पारंपरिक पारिवारिक और सामुदायिक बंधनों को कमजोर कर सकता है।
    • अशुद्ध विकल्प: शहरीकरण अक्सर पड़ोस के संबंधों को कम घनिष्ठ बनाता है, बजाय इसके कि वे और मजबूत हों। यह पारंपरिक जातिगत पहचान को भी कमजोर कर सकता है, न कि मजबूत। ग्रामीण जीवन शैली का प्रसार नगरीकरण का परिणाम नहीं है, बल्कि इसका विपरीत है।

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