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अवधारणाओं का महासंग्राम: समाजशास्त्र की दैनिक कसौटी

अवधारणाओं का महासंग्राम: समाजशास्त्र की दैनिक कसौटी

समाजशास्त्र के जिज्ञासु साधकों! अपनी अवधारणात्मक स्पष्टता और विश्लेषणात्मक कौशल को परखने के लिए तैयार हो जाइए। हर दिन की तरह, हम आपके लिए लाए हैं समाजशास्त्र के विभिन्न आयामों को छूते हुए 25 चुनिंदा प्रश्न। इन प्रश्नों के माध्यम से अपने ज्ञान को धार दें और परीक्षा की राह को और सुगम बनाएं। आइए, आज के महासंग्राम में अपनी छाप छोड़ें!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान की गई विस्तृत व्याख्याओं के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।


प्रश्न 1: ‘सामाजिक तथ्य’ (Social Facts) की अवधारणा किसने प्रतिपादित की, जिसे उन्होंने समाजशास्त्र के अध्ययन का मुख्य विषय माना?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. मैक्स वेबर
  3. एमिल दुर्खीम
  4. हरबर्ट स्पेंसर

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: एमिल दुर्खीम ने ‘सामाजिक तथ्य’ की अवधारणा प्रस्तुत की। उनका मानना था कि समाजशास्त्र को सामाजिक तथ्यों का अध्ययन करना चाहिए, जो व्यक्ति के बाहरी होते हैं, बाध्यकारी प्रकृति के होते हैं और संपूर्ण समाज में व्यापक प्रसार रखते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक “समाजशास्त्रीय पद्धति के नियम” (The Rules of Sociological Method) में इस अवधारणा को विस्तार से समझाया है। उनके अनुसार, सामाजिक तथ्य, वस्तुओं की तरह माने जाने चाहिए। वे व्यक्ति की चेतना से स्वतंत्र होते हैं और व्यक्ति को बाध्य करते हैं।
  • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ने वर्ग संघर्ष और ऐतिहासिक भौतिकवाद पर बल दिया, जबकि मैक्स वेबर ने सामाजिक क्रिया और ‘वेरस्टेहेन’ (Verstehen) पर ध्यान केंद्रित किया। हरबर्ट स्पेंसर ने सामाजिक डार्विनवाद और विकासवाद का सिद्धांत दिया।

प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा कथन ‘वेरस्टेहेन’ (Verstehen) के अर्थ को सबसे अच्छी तरह दर्शाता है?

  1. सामाजिक घटनाओं का संख्यात्मक विश्लेषण
  2. सामाजिक क्रियाओं के पीछे व्यक्तिपरक अर्थों को समझना
  3. समाज की संरचनात्मक कार्यात्मकता का अध्ययन
  4. सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने वाले नैतिक नियमों का अध्ययन

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: ‘वेरस्टेहेन’ (Verstehen) मैक्स वेबर द्वारा विकसित एक प्रमुख अवधारणा है, जिसका अर्थ है किसी व्यक्ति की क्रियाओं के पीछे के व्यक्तिपरक अर्थों (subjective meanings) और इरादों को समझना। यह समाजशास्त्रीय व्याख्या का आधार है।
  • संदर्भ और विस्तार: वेबर का मानना था कि समाजशास्त्री को केवल बाहरी व्यवहार का अवलोकन ही नहीं करना चाहिए, बल्कि उन आंतरिक अर्थों को भी समझना चाहिए जिन्हें व्यक्ति अपनी क्रियाओं को करते समय अनुभव करता है। यह समझ के माध्यम से सामाजिक क्रिया को स्पष्ट करने का एक तरीका है।
  • गलत विकल्प: (a) संख्यात्मक विश्लेषण मात्रात्मक शोध से संबंधित है। (c) संरचनात्मक कार्यात्मकता टैलकोट पार्सन्स जैसे विचारकों से जुड़ी है। (d) नैतिक नियमों का अध्ययन समाजशास्त्र का एक पहलू हो सकता है, लेकिन यह ‘वेरस्टेहेन’ का सीधा अर्थ नहीं है।

प्रश्न 3: एमिल दुर्खीम के अनुसार, सामाजिक एकजुटता (Social Solidarity) का कौन सा प्रकार आधुनिक, जटिल समाजों की विशेषता है, जहाँ श्रम विभाजन अधिक होता है?

  1. यांत्रिक एकजुटता (Mechanical Solidarity)
  2. जैविक एकजुटता (Organic Solidarity)
  3. अभिजात एकजुटता (Elite Solidarity)
  4. समूह एकजुटता (Group Solidarity)

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: दुर्खीम ने आधुनिक, औद्योगिक समाजों में ‘जैविक एकजुटता’ (Organic Solidarity) देखी। यह एकजुटता लोगों की परस्पर निर्भरता से उत्पन्न होती है, जो श्रम के विशेष विभाजन के कारण होती है।
  • संदर्भ और विस्तार: उनकी पुस्तक “समाज में श्रम का विभाजन” (The Division of Labour in Society) में, दुर्खीम ने यांत्रिक एकजुटता (जो पारंपरिक, सरल समाजों में समान विश्वासों और मूल्यों के कारण पाई जाती है) और जैविक एकजुटता के बीच अंतर किया।
  • गलत विकल्प: (a) यांत्रिक एकजुटता पारंपरिक समाजों में पाई जाती है। (c) और (d) प्रासंगिक अवधारणाएँ नहीं हैं जो दुर्खीम द्वारा इस संदर्भ में प्रस्तुत की गई थीं।

प्रश्न 4: कार्ल मार्क्स के अनुसार, पूंजीवादी समाज में श्रमिक वर्ग (Proletariat) द्वारा अपनी स्थिति के प्रति अनुभव की जाने वाली अलगाव (Alienation) का प्रमुख कारण क्या है?

  1. राज्य का अत्यधिक हस्तक्षेप
  2. उत्पादन के साधनों से अलगाव
  3. पूंजीपतियों द्वारा सामाजिक सुरक्षा का अभाव
  4. श्रमिकों के बीच कम मजदूरी

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: कार्ल मार्क्स के ‘अलगाव’ (Alienation) के सिद्धांत के अनुसार, पूंजीवादी उत्पादन प्रणाली में श्रमिक उत्पादन के साधनों (जैसे कारखाने, मशीनें) से, उत्पादित वस्तु से, अपने श्रम के कार्य से, और अंततः अपने साथी मनुष्यों और स्वयं से भी अलग-थलग महसूस करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: मार्क्स ने ‘पेरिस पांडुलिपियों’ (Economic and Philosophic Manuscripts of 1844) में चार प्रकार के अलगाव का उल्लेख किया: उत्पाद से अलगाव, उत्पादन प्रक्रिया से अलगाव, स्वयं की प्रजाति-प्रकृति से अलगाव, और अन्य मनुष्यों से अलगाव।
  • गलत विकल्प: (a) राज्य का हस्तक्षेप अप्रत्यक्ष भूमिका निभाता है। (c) सामाजिक सुरक्षा का अभाव अलगाव का एक परिणाम हो सकता है, लेकिन मूल कारण नहीं। (d) कम मजदूरी भी अलगाव का कारण बन सकती है, लेकिन उत्पादन के साधनों से अलगाव अधिक मौलिक है।

प्रश्न 5: भारतीय समाज में, ‘संस. कृतीकरण’ (Sanskritization) की अवधारणा किसने दी और इसका क्या अर्थ है?

  1. एम.एन. श्रीनिवास; निम्न जातियों द्वारा उच्च जातियों के रीति-रिवाजों को अपनाना
  2. इरावती कर्वे; पश्चिमी संस्कृति का अनुकरण
  3. आंद्रे बेते; धर्मनिरपेक्षता का प्रसार
  4. जी.एस. घुरिये; शहरीकरण की प्रक्रिया

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘संस. कृतीकरण’ (Sanskritization) शब्द गढ़ा, जिसका अर्थ है कि निम्न या मध्यम हिंदू जातियां या आदिवासी या अन्य समूह, उच्च जातियों (विशेषकर द्विजातियों) के अनुष्ठानों, जीवन शैली, रीति-रिवाजों और विचारों को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति में सुधार करने का प्रयास करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा श्रीनिवास द्वारा दक्षिण भारत के कूर्ग लोगों के अध्ययन पर आधारित पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में प्रस्तुत की गई थी। यह सांस्कृतिक गतिशीलता का एक रूप है।
  • गलत विकल्प: (b) पश्चिमी संस्कृति का अनुकरण ‘पश्चिमीकरण’ (Westernization) कहलाता है। (c) धर्मनिरपेक्षता का प्रसार एक अलग प्रक्रिया है। (d) शहरीकरण शहरों की ओर जनसंख्या का प्रवास है।

प्रश्न 6: पैटन (Patten) की ‘एजिल’ (AGIL) व्यवस्था के अनुसार, सामाजिक व्यवस्था के लिए आवश्यक चार प्रमुख क्रियात्मक आवश्यकताएँ कौन सी हैं?

  1. अनुकूलन, लक्ष्य प्राप्ति, एकीकरण, प्रकटीकरण
  2. अनुकूलन, लक्ष्य प्राप्ति, एकीकरण, स्थायित्व
  3. समन्वय, लक्ष्य प्राप्ति, संगठन, नियम
  4. अनुकूलन, उद्देश्य, संरचना, प्रबंधन

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: टैलकोट पार्सन्स (Talcott Parsons) ने अपने सामाजिक व्यवस्था सिद्धांत में ‘एजिल’ (AGIL) या ‘लैटिन क्रॉस’ मॉडल प्रस्तुत किया, जिसमें सामाजिक व्यवस्था के अस्तित्व के लिए चार आवश्यक क्रियात्मक आवश्यकताएँ (Functional Imperatives) बताई गई हैं: अनुकूलन (Adaptation), लक्ष्य प्राप्ति (Goal Attainment), एकीकरण (Integration), और प्रकटीकरण (Latency/Pattern Maintenance)।
  • संदर्भ और विस्तार: पार्सन्स का मानना था कि कोई भी सामाजिक प्रणाली, चाहे वह परिवार हो, शिक्षा हो या अर्थव्यवस्था, इन चार आवश्यकताओं को पूरा करके ही अपना अस्तित्व बनाए रख सकती है।
  • गलत विकल्प: अन्य विकल्प या तो आवश्यकताओं को गलत बताते हैं या उनमें से कुछ को छोड़ देते हैं या गलत शब्द प्रयोग करते हैं। (b) में ‘स्थायित्व’ (Latency) का अर्थ ‘प्रकटीकरण’ के समान है, लेकिन ‘प्रकटीकरण’ अधिक सटीक शब्द है। (c) और (d) में उपयोग किए गए शब्द सीधे तौर पर पार्सन्स के मॉडल से मेल नहीं खाते।

प्रश्न 7: “सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification) समाज के भीतर असमानता की व्यवस्थित व्यवस्था है, जो विभिन्न समूहों को विशेषाधिकारों और वंचनाओं (privileges and deprivations) के अनुसार क्रमबद्ध करती है।” यह किस प्रकार की अवधारणा है?

  1. व्यक्तिगत भिन्नता
  2. सामाजिक संरचना का एक गुण
  3. अस्थायी सामाजिक घटना
  4. आर्थिक असंतुलन

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: सामाजिक स्तरीकरण समाज की एक व्यवस्थित और संस्थागत विशेषता है, न कि केवल व्यक्तिगत भिन्नता या अस्थायी घटना। यह समाज की संरचना का एक अंतर्निहित हिस्सा है जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तांतरित होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: सामाजिक स्तरीकरण विभिन्न सामाजिक समूहों जैसे वर्ग, जाति, लिंग, आयु आदि के आधार पर लोगों को पदानुक्रमित तरीके से व्यवस्थित करता है, जिससे संसाधनों और अवसरों तक उनकी पहुँच में असमानता पैदा होती है।
  • गलत विकल्प: (a) यह व्यक्तियों के बीच अंतर से अधिक है। (c) यह एक स्थायी व्यवस्था है, अस्थायी नहीं। (d) आर्थिक असंतुलन स्तरीकरण का एक परिणाम हो सकता है, लेकिन यह स्वयं अवधारणा की परिभाषा नहीं है।

प्रश्न 8: माइक्रोलॉजिकल (Micrological) दृष्टिकोण से समाज का अध्ययन करने वाले किस समाजशास्त्री ने ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) के महत्व पर बल दिया?

  1. इमाइल दुर्खीम
  2. मैक्स वेबर
  3. जॉर्ज हर्बर्ट मीड
  4. रॉबर्ट ई. पार्क

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: जॉर्ज हर्बर्ट मीड को प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के प्रमुख संस्थापकों में से एक माना जाता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि व्यक्ति अपनी स्वयं की पहचान और समाज को दूसरों के साथ अंतःक्रिया के माध्यम से, प्रतीकों (जैसे भाषा, हावभाव) के उपयोग द्वारा बनाते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: मीड की पुस्तक ‘दि माइंड, द सेल्फ एंड सोसाइटी’ (The Mind, Self, and Society) में उन्होंने बताया कि ‘सेल्फ’ (Self) सामाजिक उत्पाद है, जो सामाजिक अंतःक्रिया के माध्यम से विकसित होता है, विशेषकर ‘मी’ (Me) और ‘आई’ (I) के बीच अंतःक्रिया से।
  • गलत विकल्प: दुर्खीम और वेबर स्थूल-स्तरीय (macro-level) समाजशास्त्री माने जाते हैं। रॉबर्ट ई. पार्क शिकागो स्कूल से जुड़े थे, जिन्होंने प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के विकास में योगदान दिया, लेकिन मीड को इसका मुख्य प्रणेता माना जाता है।

  • प्रश्न 9: निम्नलिखित में से कौन सी भारतीय ग्रामीण समाज की विशेषता नहीं है?

    1. जाति व्यवस्था का प्रभाव
    2. संयुक्त परिवार प्रणाली
    3. सामुदायिक भावना
    4. उच्च स्तर का औद्योगिकीकरण

    उत्तर: (d)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सटीकता: उच्च स्तर का औद्योगिकीकरण भारतीय ग्रामीण समाज की विशेषता नहीं है; यह शहरी समाजों की विशेषता है। भारतीय ग्रामीण समाज अभी भी मुख्य रूप से कृषि आधारित है और इसमें औद्योगिकीकरण का स्तर अपेक्षाकृत कम है।
    • संदर्भ और विस्तार: भारतीय ग्रामीण समाज में अभी भी जाति व्यवस्था, संयुक्त परिवार प्रणाली और सामुदायिक भावना (हालांकि इसमें बदलाव आ रहा है) जैसी विशेषताएं प्रमुख रूप से पाई जाती हैं।
    • गलत विकल्प: (a), (b), और (c) भारतीय ग्रामीण समाज की प्रमुख विशेषताएं हैं।

    प्रश्न 10: रॉबर्ट मर्टन (Robert Merton) द्वारा दी गई ‘प्रकट क्रिया’ (Manifest Function) और ‘अप्रकट क्रिया’ (Latent Function) के बीच अंतर का आधार क्या है?

    1. क्रिया का उद्देश्य जानबूझकर किया गया है या नहीं
    2. क्रिया का परिणाम सामाजिक व्यवस्था के लिए फायदेमंद है या नहीं
    3. क्रिया का प्रभाव सकारात्मक है या नकारात्मक
    4. क्रिया का स्वरूप व्यक्तिगत है या सामूहिक

    उत्तर: (a)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सटीकता: मर्टन ने ‘प्रकट क्रिया’ (Manifest Function) को किसी सामाजिक पैटर्न के वे प्रत्यक्ष, उद्देश्यपूर्ण और मान्यता प्राप्त परिणाम बताए, जिन्हें वह पूरा करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। ‘अप्रकट क्रिया’ (Latent Function) वे प्रत्यक्ष, अनपेक्षित और अक्सर अमान्य परिणाम होते हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: मर्टन ने अपनी पुस्तक “Social Theory and Social Structure” में इन अवधारणाओं को प्रस्तुत किया। उदाहरण के लिए, एक विश्वविद्यालय की प्रकट क्रिया ज्ञान प्रदान करना है, जबकि उसकी अप्रकट क्रिया लोगों के लिए वैवाहिक संबंध स्थापित करने का मंच बनना हो सकती है।
    • गलत विकल्प: (b) और (c) परिणामों के प्रभाव पर केंद्रित हैं, जबकि मर्टन का अंतर उद्देश्य (intention) पर आधारित है। (d) क्रिया के स्वरूप पर आधारित है, जो मुख्य अंतर नहीं है।

    प्रश्न 11: निम्नलिखित में से कौन सा समूह ‘प्राथमिक समूह’ (Primary Group) की श्रेणी में आता है?

    1. पुलिस विभाग
    2. पड़ोसी
    3. औद्योगिक कारखाना
    4. राजनीतिक दल

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सटीकता: चार्ल्स कूले (Charles Cooley) द्वारा परिभाषित ‘प्राथमिक समूह’ वे होते हैं जो आमने-सामने, घनिष्ठ और स्थायी संबंधों द्वारा चिह्नित होते हैं। पड़ोसियों का समूह, परिवार और बाल सखा (childhood companions) इसके उदाहरण हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: प्राथमिक समूह व्यक्ति के सामाजिक विकास और व्यक्तित्व के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इनमें “हम” की भावना प्रमुख होती है।
    • गलत विकल्प: (a), (c), और (d) ‘द्वितीयक समूह’ (Secondary Group) के उदाहरण हैं, जो बड़े, अवैयक्तिक, उद्देश्य-उन्मुख और अस्थायी होते हैं।

    प्रश्न 12: ‘नौकरशाही’ (Bureaucracy) की आदर्श-प्रारूप (Ideal-Type) अवधारणा किसने विकसित की, जिसमें तर्कसंगतता, पदानुक्रम और नियमों पर जोर दिया गया?

    1. कार्ल मार्क्स
    2. एमिल दुर्खीम
    3. मैक्स वेबर
    4. सोरोकिन

    उत्तर: (c)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सटीकता: मैक्स वेबर ने ‘नौकरशाही’ को आधुनिक समाज में शक्ति और संगठन के सबसे तर्कसंगत रूप के रूप में परिभाषित किया। उन्होंने नौकरशाही के आदर्श-प्रारूप में उच्च स्तरीय विशेषज्ञता, स्पष्ट पदानुक्रम, लिखित नियम और अवैयक्तिकता जैसे लक्षणों को शामिल किया।
    • संदर्भ और विस्तार: वेबर का मानना था कि नौकरशाही अपने तर्कसंगत और अनुमानित संचालन के कारण अत्यंत कुशल होती है, लेकिन यह ‘लौह पिंजरे’ (Iron Cage) की ओर भी ले जा सकती है।
    • गलत विकल्प: मार्क्स वर्ग संघर्ष पर केंद्रित थे। दुर्खीम ने सामाजिक व्यवस्था और एकजुटता पर काम किया। सोरोकिन एक अन्य समाजशास्त्री थे जिन्होंने सामाजिक स्तरीकरण और सांस्कृतिक गतिशीलता पर काम किया।

    प्रश्न 13: सामाजिक नियंत्रण (Social Control) का कौन सा तरीका व्यक्ति को आंतरिक रूप से नियमों और मूल्यों को अपनाने के लिए प्रेरित करता है?

    1. कानून और दंड
    2. पुलिस और न्यायपालिका
    3. प्रतीकों का प्रयोग
    4. समाज द्वारा स्वीकृत मानक और मूल्य

    उत्तर: (d)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सटीकता: जब व्यक्ति समाज द्वारा स्वीकृत मानकों और मूल्यों को आंतरिक रूप से अपना लेता है, तो यह ‘आंतरिक सामाजिक नियंत्रण’ (Internal Social Control) कहलाता है। इसमें विवेक, चेतना और सामाजिक दबाव शामिल होते हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: सामाजिक नियंत्रण के बाहरी रूप (जैसे कानून, पुलिस) के विपरीत, आंतरिक नियंत्रण व्यक्ति को स्वतः स्फूर्त रूप से सामाजिक नियमों का पालन करने के लिए प्रेरित करता है, क्योंकि वे उसके अपने मूल्य बन जाते हैं।
    • गलत विकल्प: (a), (b) बाहरी सामाजिक नियंत्रण के उदाहरण हैं। (c) प्रतीकों का प्रयोग संदर्भ पर निर्भर करता है; यह आंतरिक या बाहरी दोनों हो सकता है, लेकिन (d) सीधे आंतरिक नियंत्रण को दर्शाता है।

    प्रश्न 14: भारतीय समाज में ‘प्रभु जाति’ (Dominant Caste) की अवधारणा किसने विकसित की, जो उस गांव में भूमि स्वामित्व, संख्यात्मक बहुमत और राजनीतिक प्रभाव जैसी विशेषताओं के आधार पर सत्ता रखती है?

    1. इरावती कर्वे
    2. एम.एन. श्रीनिवास
    3. जी.एस. घुरिये
    4. ए.आर. देसाई

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सटीकता: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘प्रभु जाति’ (Dominant Caste) की अवधारणा को परिभाषित किया। यह एक ऐसी जाति होती है जो गांव में संख्या, भूमि स्वामित्व और स्थानीय शक्ति संरचना में महत्वपूर्ण प्रभाव रखती है, भले ही वह पदानुक्रम में शीर्ष पर न हो।
    • संदर्भ और विस्तार: श्रीनिवास ने अपनी विभिन्न रचनाओं में, विशेषकर मैसूर क्षेत्र के अपने अध्ययनों में, इस अवधारणा को विस्तार से समझाया। यह भारतीय ग्राम संरचना में शक्ति के वितरण को समझने के लिए महत्वपूर्ण है।
    • गलत विकल्प: (a), (c), और (d) भारतीय समाजशास्त्री हैं जिन्होंने अन्य महत्वपूर्ण योगदान दिए, लेकिन ‘प्रभु जाति’ की अवधारणा श्रीनिवास से जुड़ी है।

    प्रश्न 15: ‘समुदाय’ (Community) और ‘समाज’ (Society) या ‘सहचर्य’ (Association) के बीच मुख्य अंतर चार्ल्स कूले के अनुसार क्या है?

    1. समुदाय में घनिष्ठ संबंध होते हैं, जबकि सहचर्य में अवैयक्तिक संबंध होते हैं।
    2. समुदाय का आधार ‘हम’ की भावना है, जबकि सहचर्य विशिष्ट उद्देश्यों के लिए होता है।
    3. समुदाय स्वाभाविक रूप से विकसित होता है, जबकि सहचर्य कृत्रिम होता है।
    4. उपरोक्त सभी

    उत्तर: (d)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सटीकता: चार्ल्स कूले ने ‘समुदाय’ (Community) को ऐसे समूह के रूप में परिभाषित किया जहाँ घनिष्ठ, आमने-सामने के संबंध, ‘हम’ की भावना और स्वाभाविक विकास हो। इसके विपरीत, ‘सहचर्य’ (Association) या ‘सोसाइटी’ (Society) में अक्सर विशिष्ट, अवैयक्तिक उद्देश्य होते हैं और वे अधिक कृत्रिम या संगठित हो सकते हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: कूले ने अपनी पुस्तक ‘Social Organization’ में इन अंतरों को समझाया। उन्होंने ‘Gemeinschaft’ (समुदाय) और ‘Gesellschaft’ (सहचर्य) की फेर्डिनेंड टोनीज़ की अवधारणाओं को भी अपने विचारों में शामिल किया।
    • गलत विकल्प: सभी दिए गए विकल्प समुदाय और सहचर्य के बीच कूले द्वारा बताए गए महत्वपूर्ण अंतरों को सही ढंग से दर्शाते हैं।

    प्रश्न 16: रॉबर्ट पार्क (Robert Park) के अनुसार, किस प्रक्रिया के माध्यम से विभिन्न संस्कृतियों के लोग एक साथ आकर एक मिश्रित संस्कृति विकसित करते हैं?

    1. संघर्ष (Conflict)
    2. समायोजन (Accommodation)
    3. आत्मसात्करण (Assimilation)
    4. परिवर्तन (Acculturation)

    उत्तर: (c)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सटीकता: रॉबर्ट पार्क ने ‘आत्मसात्करण’ (Assimilation) को एक ऐसी प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया जहाँ विभिन्न सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के व्यक्ति या समूह एक-दूसरे में घुलमिल जाते हैं और एक सामान्य संस्कृति को अपना लेते हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: पार्क, शिकागो स्कूल के एक प्रमुख सदस्य थे, जिन्होंने शहरीकरण और जातीय संबंधों पर महत्वपूर्ण कार्य किया। उन्होंने आत्मसात्करण को सामाजिक सामंजस्य के लिए एक आवश्यक कदम माना, हालांकि इसकी आलोचना भी हुई है।
    • गलत विकल्प: (a) संघर्ष समूहों के बीच टकराव है। (b) समायोजन संघर्ष को कम करने का एक तरीका है, लेकिन यह पूर्ण विलय नहीं है। (d) परिवर्तन (Acculturation) दो संस्कृतियों के संपर्क से आता है, लेकिन आत्मसात्करण में एक संस्कृति का पूर्ण अवशोषण या विलय शामिल होता है।

    प्रश्न 17: निम्नलिखित में से कौन सी समाजशास्त्रीय अनुसंधान पद्धति, व्यक्तिपरक अर्थों और सामाजिक अंतःक्रियाओं की गहराई से समझ प्राप्त करने पर केंद्रित है?

    1. मात्रात्मक (Quantitative)
    2. गुणात्मक (Qualitative)
    3. प्रायोगिक (Experimental)
    4. सर्वेक्षण (Survey)

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सटीकता: गुणात्मक (Qualitative) अनुसंधान पद्धतियाँ, जैसे कि गहन साक्षात्कार, नृवंशविज्ञान (ethnography) और केस स्टडी, व्यक्तिपरक अर्थों, अनुभवों और सामाजिक अंतःक्रियाओं की समृद्ध और विस्तृत समझ प्राप्त करने पर ज़ोर देती हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: यह उन प्रक्रियाओं और अर्थों को समझने का प्रयास करती है जो केवल संख्याओं से नहीं पकड़े जा सकते। यह ‘क्यों’ और ‘कैसे’ के सवालों का जवाब देने में अधिक प्रभावी है।
    • गलत विकल्प: (a) मात्रात्मक अनुसंधान संख्यात्मक डेटा पर आधारित है। (c) प्रायोगिक अनुसंधान में चर (variables) का हेरफेर शामिल होता है। (d) सर्वेक्षण एक मात्रात्मक विधि हो सकती है, हालांकि यह गुणात्मक डेटा भी एकत्र कर सकती है।

    प्रश्न 18: किस समाजशास्त्री ने ‘सामाजिक संरचना’ (Social Structure) को ‘सांस्कृतिक व्यवस्था’ (Cultural System) और ‘व्यक्तित्व व्यवस्था’ (Personality System) से अलग एक स्वायत्त विश्लेषणात्मक स्तर के रूप में माना?

    1. एमिल दुर्खीम
    2. मैक्स वेबर
    3. ए.आर. रेडक्लिफ-ब्राउन
    4. किंग्सले डेविस

    उत्तर: (c)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सटीकता: ए.आर. रेडक्लिफ-ब्राउन, एक संरचनात्मक-प्रकार्यात्मकतावादी (Structural-Functionalist) थे, जिन्होंने सामाजिक संरचना को व्यक्तियों के बीच स्थायी संबंधों के एक जाले के रूप में देखा। उनका ध्यान समाज को एक प्रणाली के रूप में बनाए रखने वाली संरचनाओं और कार्यों पर था।
    • संदर्भ और विस्तार: रेडक्लिफ-ब्राउन के अनुसार, सामाजिक संरचना समाज के सदस्यों के बीच संबंधों का एक अमूर्त ढांचा है। उन्होंने सामाजिक संरचना के माध्यम से सामाजिक व्यवस्था और स्थायित्व की व्याख्या की।
    • गलत विकल्प: दुर्खीम ने सामाजिक तथ्यों को माना, वेबर ने सामाजिक क्रिया को, और डेविस ने स्तरीकरण पर काम किया। रेडक्लिफ-ब्राउन ने विशेष रूप से सामाजिक संरचना पर संरचनात्मक-प्रकार्यात्मक दृष्टिकोण से जोर दिया।

    प्रश्न 19: निम्नलिखित में से कौन सा ‘सामाजिक परिवर्तन’ (Social Change) का एक प्रमुख कारक नहीं माना जाता है?

    1. प्रौद्योगिकी में नवाचार
    2. जनसंख्या वृद्धि
    3. सांस्कृतिक पुनरुत्पादन
    4. सामाजिक आंदोलन

    उत्तर: (c)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सटीकता: ‘सांस्कृतिक पुनरुत्पादन’ (Cultural Reproduction) समाज में मौजूदा सांस्कृतिक पैटर्न और मूल्यों को बनाए रखने की प्रक्रिया है, जो सामाजिक परिवर्तन के बजाय सामाजिक स्थिरता को बढ़ावा देती है।
    • संदर्भ और विस्तार: इसके विपरीत, (a) प्रौद्योगिकी, (b) जनसंख्या वृद्धि और (d) सामाजिक आंदोलन तीनों ही सामाजिक परिवर्तन के महत्वपूर्ण चालक हैं। प्रौद्योगिकी नए अवसर और चुनौतियाँ पैदा करती है, जनसंख्या परिवर्तन सामाजिक संरचनाओं को प्रभावित करता है, और सामाजिक आंदोलन मौजूदा व्यवस्था को चुनौती देकर परिवर्तन लाते हैं।
    • गलत विकल्प: (a), (b), और (d) सभी सामाजिक परिवर्तन के महत्वपूर्ण कारक हैं।

    प्रश्न 20: ‘संदर्भ समूह’ (Reference Group) की अवधारणा का क्या अर्थ है?

    1. वह समूह जिससे व्यक्ति संबंधित होता है।
    2. वह समूह जिससे व्यक्ति स्वयं की तुलना करता है।
    3. वह समूह जो किसी व्यक्ति पर निर्णय थोपता है।
    4. वह समूह जो सामाजिक व्यवस्था को नियंत्रित करता है।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सटीकता: ‘संदर्भ समूह’ (Reference Group) वह समूह है जिसके मानकों, मूल्यों और व्यवहारों का उपयोग व्यक्ति अपने स्वयं के व्यवहार का मूल्यांकन करने या निर्देशित करने के लिए करता है, भले ही वह उस समूह का सदस्य हो या न हो।
    • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा हर्बर्ट हाइमन (Herbert Hyman) और बाद में रॉबर्ट मर्टन जैसे समाजशास्त्रियों द्वारा विकसित की गई। यह व्यक्ति की आकांक्षाओं और पहचान निर्माण को समझने में महत्वपूर्ण है।
    • गलत विकल्प: (a) यह ‘सदस्यता समूह’ (Membership Group) की परिभाषा है। (c) और (d) संदर्भ समूह के कार्य हो सकते हैं, लेकिन यह उसकी मुख्य परिभाषा नहीं है।

    प्रश्न 21: निम्नलिखित में से कौन सा ‘आदर्श-प्रारूप’ (Ideal-Type) की सही परिभाषा है?

    1. किसी विशेष सामाजिक घटना का वास्तविक, पूर्ण चित्रण।
    2. एक तार्किक रूप से सुसंगत, अमूर्त और अतिरंजित (exaggerated) मॉडल जो वास्तविक दुनिया की घटनाओं के विश्लेषण के लिए एक उपकरण के रूप में कार्य करता है।
    3. समाज द्वारा अनुमोदित व्यवहार का मानक।
    4. व्यक्तिगत पूर्वाग्रहों से मुक्त एक निष्पक्ष अवलोकन।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सटीकता: मैक्स वेबर के अनुसार, ‘आदर्श-प्रारूप’ (Ideal-Type) वास्तविक दुनिया की घटनाओं का एक विश्लेषणात्मक उपकरण है, जो कुछ प्रमुख विशेषताओं को अतिरंजित करके बनाया गया एक तार्किक रूप से सुसंगत, अमूर्त मॉडल है। यह स्वयं में एक लक्ष्य नहीं है, बल्कि विश्लेषण का साधन है।
    • संदर्भ और विस्तार: वेबर ने नौकरशाही, पूंजीवाद और धर्म जैसे सामाजिक तथ्यों के विश्लेषण के लिए आदर्श-प्रारूपों का उपयोग किया। यह हमें यह मापने में मदद करता है कि वास्तविक दुनिया की घटनाएँ इस आदर्श से कितनी भिन्न हैं।
    • गलत विकल्प: (a) यह वास्तविक का पूर्ण चित्रण नहीं है, बल्कि एक विश्लेषणात्मक निर्माण है। (c) यह व्यवहार का मानक नहीं है। (d) जबकि इसका उद्देश्य विश्लेषण में मदद करना है, यह स्वतः ही पूर्णतः निष्पक्ष नहीं हो जाता; यह एक वैचारिक उपकरण है।

    प्रश्न 22: भारतीय समाज में, ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) की प्रक्रिया में निम्नलिखित में से किसका प्रभाव कम महत्वपूर्ण रहा है?

    1. पश्चिमी शिक्षा का प्रसार
    2. औद्योगिकरण और शहरीकरण
    3. प्रौद्योगिकी का अंगीकरण
    4. सनातनी परंपराओं का दृढ़ीकरण

    उत्तर: (d)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सटीकता: ‘आधुनिकीकरण’ की प्रक्रिया आम तौर पर धर्मनिरपेक्षता, तर्कसंगतता और पश्चिमीकरण से जुड़ी होती है, जिसमें पारंपरिक सनातनी परंपराओं का प्रभाव कम होने लगता है, न कि उनके दृढ़ीकरण का।
    • संदर्भ और विस्तार: आधुनिकीकरण पश्चिमी समाजों से उत्पन्न होने वाली एक जटिल प्रक्रिया है, जिसमें आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक परिवर्तन शामिल हैं। (a), (b), और (c) आधुनिकीकरण के महत्वपूर्ण घटक हैं।
    • गलत विकल्प: (a), (b), और (c) स्पष्ट रूप से आधुनिकीकरण से जुड़े हैं। (d) सनातनी परंपराओं का दृढ़ीकरण आधुनिकीकरण की दिशा के विपरीत है।

    प्रश्न 23: ‘अमीबीय समाज’ (Amoeboid Society) की अवधारणा किसने प्रस्तुत की, जिसका तात्पर्य है कि समाज के सदस्य एक-दूसरे से अलग-थलग और अनिश्चित तरीके से जुड़ते हैं?

    1. जॉर्ज सिमेल
    2. इरविन गोफमैन
    3. टैलकोट पार्सन्स
    4. पीटर एल. बर्जर

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सटीकता: इरविन गोफमैन (Erving Goffman) ने अपनी ‘नाटकीयता’ (Dramaturgy) के सिद्धांत में ‘अमीबीय समाज’ (Amoeboid Society) का उल्लेख किया, जो आधुनिक समाज में व्यक्तियों के बीच निर्मित होने वाले क्षणिक, अनाम और सतही संबंधों का वर्णन करता है, जहाँ लोग विभिन्न ‘भूमिकाओं’ (roles) को निभाते हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: गोफमैन ने ‘The Presentation of Self in Everyday Life’ में बताया कि कैसे व्यक्ति सामाजिक अंतःक्रियाओं में स्वयं को प्रस्तुत करते हैं, जैसे कि वे एक मंच पर अभिनय कर रहे हों। अमीबीय समाज इस संदर्भ में सामाजिक संबंधों की अनिश्चितता और परिवर्तनशीलता को दर्शाता है।
    • गलत विकल्प: (a) सिमेल ने सामाजिक अंतःक्रिया के रूपों पर काम किया। (c) पार्सन्स ने संरचनात्मक-प्रकार्यात्मकता पर। (d) बर्जर ने ‘The Social Construction of Reality’ पर काम किया।

    प्रश्न 24: समाजशास्त्रीय शोध में ‘विषय-वस्तु की वैधता’ (Validity) का क्या अर्थ है?

    1. शोध में प्रयोग की जाने वाली मापनी (scale) कितनी विश्वसनीय है।
    2. शोध के निष्कर्ष कितने सामान्यीकरण योग्य (generalizable) हैं।
    3. शोध कितनी बार एक ही परिणाम दोहरा सकता है।
    4. शोध वास्तव में वही माप रहा है जिसे मापने का दावा करता है।

    उत्तर: (d)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सटीकता: वैधता (Validity) का अर्थ है कि शोध उपकरण या मापनी वास्तव में उसी अवधारणा को सटीक रूप से माप रही है जिसे मापने के लिए इसे डिज़ाइन किया गया है।
    • संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, यदि आप बेरोजगारी को मापने के लिए एक सर्वेक्षण कर रहे हैं, तो वैधता का मतलब है कि आपके प्रश्न वास्तव में उस व्यक्ति की बेरोजगारी की स्थिति को सटीक रूप से दर्शाते हैं, न कि किसी अन्य कारक को।
    • गलत विकल्प: (a) विश्वसनीयता (Reliability) का अर्थ है कि मापनी कितनी सुसंगत (consistent) है। (b) सामान्यीकरण (Generalizability) का संबंध प्रतिदर्श (sample) से है। (c) यह विश्वसनीयता का वर्णन करता है।

    प्रश्न 25: भारत में ‘मंडल आयोग’ (Mandal Commission) की नियुक्ति का मुख्य उद्देश्य क्या था?

    1. ग्रामीण विकास की योजना बनाना
    2. अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ेपन का आकलन करना
    3. अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षण बढ़ाना
    4. महिला सशक्तिकरण की दिशा में सुझाव देना

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सटीकता: मंडल आयोग, जिसे १९७९ में स्थापित किया गया था, का मुख्य उद्देश्य भारत में सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों (Socially and Educationally Backward Classes – SEBCs) की पहचान करना और उनके लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण जैसे सुधारों की सिफारिश करना था।
    • संदर्भ और विस्तार: आयोग की रिपोर्ट के आधार पर, भारत सरकार ने १९९० में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए सरकारी नौकरियों में २७% आरक्षण लागू किया, जिसने भारतीय राजनीति और समाज में महत्वपूर्ण बहस को जन्म दिया।
    • गलत विकल्प: (a) ग्रामीण विकास के लिए अन्य समितियाँ थीं। (c) अनुसूचित जातियों (SC) के लिए आरक्षण की व्यवस्था पहले से थी। (d) महिला सशक्तिकरण एक अलग एजेंडा था, हालांकि सामाजिक न्याय का व्यापक उद्देश्य इसमें शामिल हो सकता है।

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