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अवधारणाओं का महासंग्राम: आज का समाजशास्त्र क्विज

अवधारणाओं का महासंग्राम: आज का समाजशास्त्र क्विज

तैयारी के मैदान में उतरने वाले मेरे साथी, क्या आप अपनी समाजशास्त्रीय अवधारणाओं की धार को तेज करने के लिए तैयार हैं? आज हम लाएं हैं 25 ऐसे चुनिंदा प्रश्न जो आपकी समझ की गहराई को नापेंगे और आपको आगामी परीक्षाओं के लिए और भी सुदृढ़ बनाएंगे। आइए, इस बौद्धिक युद्ध में अपनी श्रेष्ठता साबित करें!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और दिए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।


प्रश्न 1: ‘सामाजिक संरचना’ (Social Structure) की अवधारणा को किस समाजशास्त्री ने ‘सामाजिक क्रियाओं के अंतर्संबंधों की व्यवस्था’ के रूप में परिभाषित किया है?

  1. इमाइल दुर्खीम
  2. कार्ल मार्क्स
  3. मैक्स वेबर
  4. टैल्कॉट पार्सन्स

उत्तर: (d)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: टैल्कॉट पार्सन्स को सामाजिक संरचना के विचार को व्यवस्थित रूप से विकसित करने का श्रेय दिया जाता है। उन्होंने इसे सामाजिक क्रियाओं (social actions) के अंतर्संबंधों की व्यवस्था के रूप में देखा, जो समाज के विभिन्न हिस्सों के बीच स्थिरता और व्यवस्था बनाए रखता है।
  • संदर्भ और विस्तार: पार्सन्स ने अपनी कृति ‘द सोशल सिस्टम’ (The Social System) में इस अवधारणा का विस्तार से वर्णन किया है। वे सामाजिक संरचना को एक मॉडल के रूप में देखते थे जो समाज की स्थिरता और निरंतरता को समझने में मदद करता है।
  • अ incorrect विकल्प: दुर्खीम ने सामाजिक व्यवस्था को ‘सामाजिक एकजुटता’ (social solidarity) के माध्यम से समझाया, मार्क्स ने ‘वर्ग संघर्ष’ पर जोर दिया, और वेबर ने ‘सामाजिक क्रिया’ और उसके ‘अर्थ’ पर ध्यान केंद्रित किया।

प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा कथन ‘सुनामी’ (Tsunami) की अवधारणा का सबसे उपयुक्त वर्णन करता है, जैसा कि रॉबर्ट किंग मर्टन ने अपने विचलन (Deviance) के सिद्धांत में प्रयोग किया है?

  1. यह वह स्थिति है जब व्यक्ति सामाजिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए स्वीकृत साधनों का उपयोग नहीं करता है।
  2. यह तब होता है जब समाज में स्वीकृत लक्ष्य और स्वीकृत साधन दोनों का अभाव हो।
  3. यह स्वीकृत सामाजिक लक्ष्यों को प्राप्त करने में किसी भी व्यक्ति की प्रारंभिक विफलता है।
  4. यह सामाजिक साधनों की उपलब्धता के बावजूद व्यक्तिगत लक्ष्यों को प्राप्त करने में विफलता है।

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: रॉबर्ट किंग मर्टन ने ‘सुनामी’ (Anomie) शब्द का प्रयोग उस स्थिति का वर्णन करने के लिए किया है जहां समाज के स्वीकृत सांस्कृतिक लक्ष्य (cultural goals) और उन्हें प्राप्त करने के लिए स्वीकृत संस्थागत साधन (institutionalized means) के बीच एक असंतुलन या अलगाव पैदा हो जाता है। यह सामाजिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए उपलब्ध साधनों की कमी से उत्पन्न होती है।
  • संदर्भ और विस्तार: मर्टन ने अपने 1938 के लेख “सोशल स्ट्रक्चर एंड एनोमी” (Social Structure and Anomie) में विचलन (deviance) के अपने ताने-बाने (strain theory) का प्रस्ताव रखा, जिसमें ‘सुनामी’ एक केंद्रीय अवधारणा है। उन्होंने बताया कि जब समाज व्यक्तियों पर ऐसे लक्ष्य प्राप्त करने का दबाव डालता है जिनके लिए पर्याप्त साधन नहीं हैं, तो यह ‘सुनामी’ की स्थिति पैदा करता है।
  • अ incorrect विकल्प: (a) यह ‘संघर्ष’ (Conflict) या ‘अनुष्ठानवाद’ (Ritualism) का वर्णन करता है, (c) और (d) मर्टन के अनुरूप नहीं हैं, जो लक्ष्यों और साधनों के बीच संबंध पर ध्यान केंद्रित करते हैं।

प्रश्न 3: किस समाजशास्त्री ने ‘सामूहिक चेतना’ (Collective Consciousness) की अवधारणा विकसित की, जो समाज के सदस्यों में साझा विश्वासों, मनोवृत्तियों और मूल्यों की कुल राशि को दर्शाती है?

  1. मैक्स वेबर
  2. एमिल दुर्खीम
  3. कार्ल मार्क्स
  4. अगस्ट कॉम्टे

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: एमिल दुर्खीम ने ‘सामूहिक चेतना’ की अवधारणा को प्रस्तुत किया। उनके अनुसार, यह समाज के सदस्यों के सामूहिक मन (collective mind) का प्रतिनिधित्व करती है, जिसमें वे सामान्य विश्वास, नैतिकताएं और सामाजिक भावनाएं शामिल होती हैं जो समाज को एक साथ बांधे रखती हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘द डिविजन ऑफ लेबर इन सोसाइटी’ (The Division of Labour in Society) में इस अवधारणा का उपयोग विभिन्न प्रकार के समाजों, जैसे यांत्रिक एकजुटता (mechanical solidarity) और साम्यिक एकजुटता (organic solidarity) में सामाजिक एकता के आधार को समझाने के लिए किया।
  • अ incorrect विकल्प: वेबर ने ‘वर्स्टेहेन’ (Verstehen) पर जोर दिया, मार्क्स ने ‘वर्ग चेतना’ (class consciousness) की बात की, और कॉम्टे को समाजशास्त्र का जनक माना जाता है, लेकिन यह विशिष्ट अवधारणा दुर्खीम से संबंधित है।

प्रश्न 4: ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) का मुख्य आधार क्या है?

  1. सामाजिक संरचनाओं का मैक्रो-स्तरीय विश्लेषण
  2. व्यक्तियों के बीच अर्थों (meanings) और प्रतीकों (symbols) के माध्यम से होने वाली अंतःक्रिया
  3. समाज में शक्ति और असमानता की भूमिका
  4. समाज के विभिन्न भागों के बीच संतुलन और व्यवस्था

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद एक सूक्ष्म-स्तरीय (micro-level) सैद्धांतिक दृष्टिकोण है जो इस बात पर केंद्रित है कि व्यक्ति कैसे प्रतीकों (जैसे भाषा, हावभाव) और अर्थों के आदान-प्रदान के माध्यम से एक-दूसरे के साथ बातचीत करते हैं और समाज का निर्माण करते हैं। जॉर्ज हर्बर्ट मीड और हर्बर्ट ब्लूमर इसके प्रमुख प्रवर्तक थे।
  • संदर्भ और विस्तार: इस दृष्टिकोण के अनुसार, समाज व्यक्तियों की अंतःक्रियाओं का परिणाम है, जहां वे अपनी क्रियाओं को परिभाषित और व्याख्या करते हैं। अर्थ स्थिर नहीं होते, बल्कि सामाजिक अंतःक्रियाओं के माध्यम से लगातार बनते और बदलते रहते हैं।
  • अ incorrect विकल्प: (a) और (d) संरचनात्मक कार्यात्मकता (structural functionalism) से संबंधित हैं, जबकि (c) संघर्ष सिद्धांत (conflict theory) का हिस्सा है।

प्रश्न 5: एम.एन. श्रीनिवास द्वारा प्रस्तुत ‘संस्कृतीकरण’ (Sanskritization) की प्रक्रिया में मुख्य रूप से क्या शामिल होता है?

  1. पश्चिमी संस्कृति के तत्वों को अपनाना
  2. उच्च जातियों की प्रथाओं, अनुष्ठानों और जीवन शैली को निम्न जातियों द्वारा अपनाना
  3. विज्ञान और प्रौद्योगिकी का प्रसार
  4. शहरी जीवन शैली का ग्रामीण क्षेत्रों में प्रसार

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘संस्कृतीकरण’ शब्द का प्रयोग उस प्रक्रिया के लिए किया है जिसमें कोई निम्न या मध्य जाति, या कभी-कभी कोई जनजाति, किसी उच्च (अक्सर द्विजा) जाति की प्रथाओं, अनुष्ठानों, विचारधाराओं और जीवन शैली को अपनाती है ताकि वह अपने सामाजिक स्थिति को बेहतर बना सके और जाति पदानुक्रम में ऊपर उठ सके।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा श्रीनिवास की पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में प्रमुखता से आई। संस्कृतीकरण सामाजिक गतिशीलता (social mobility) का एक रूप है, हालांकि यह अक्सर सांस्कृतिक नकल पर आधारित होता है।
  • अ incorrect विकल्प: (a) ‘पश्चिमीकरण’ (Westernization) है, (c) ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) से संबंधित है, और (d) ‘शहरीकरण’ (Urbanization) का प्रभाव है, न कि संस्कृतीकरण।

  • प्रश्न 6: भारतीय समाज में ‘सगोत्र विवाह’ (Endogamy) से आप क्या समझते हैं?

    1. व्यक्ति को अपनी गोत्र (lineage) के बाहर विवाह करना अनिवार्य है।
    2. व्यक्ति को अपनी जाति (caste) के भीतर ही विवाह करना अनिवार्य है।
    3. व्यक्ति को अपनी मातृपक्षीय गोत्र के बाहर विवाह करना अनिवार्य है।
    4. व्यक्ति को अपनी पितृपक्षीय गोत्र के बाहर विवाह करना अनिवार्य है।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सटीकता: ‘सगोत्र विवाह’ (Endogamy) का अर्थ है किसी व्यक्ति का अपनी जाति, उप-जाति, धार्मिक समूह या अन्य सामाजिक श्रेणी के भीतर ही विवाह करना। भारतीय संदर्भ में, जाति-आधारित सगोत्र विवाह अत्यंत सामान्य है।
    • संदर्भ और विस्तार: सगोत्र विवाह जाति व्यवस्था की एक प्रमुख विशेषता है जो उसे सुदृढ़ बनाए रखती है और जातियों के बीच अलगाव को बढ़ावा देती है। यह समूह की पहचान और शुद्धता बनाए रखने का एक तरीका माना जाता है।
    • अ incorrect विकल्प: (a), (c), और (d) ‘बहिर्विवाह’ (Exogamy) की अवधारणाओं के कुछ रूपों का वर्णन करते हैं, जहाँ व्यक्ति को अपनी मूल इकाई (जैसे गोत्र) के बाहर विवाह करना होता है।

    प्रश्न 7: ‘नियंत्रित प्रयोग’ (Controlled Experiment) समाजशास्त्र में किन प्रकार के अध्ययनों के लिए अधिक उपयुक्त होता है?

    1. बड़े पैमाने पर सामाजिक प्रवृत्तियों का अध्ययन
    2. ऐतिहासिक सामाजिक घटनाओं का विश्लेषण
    3. सामाजिक अंतःक्रियाओं और छोटे समूहों के व्यवहार का अध्ययन
    4. समाजशास्त्रीय सिद्धांतों का विकास

    उत्तर: (c)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सटीकता: समाजशास्त्र में नियंत्रित प्रयोग, जहाँ एक या एक से अधिक स्वतंत्र चरों (independent variables) को नियंत्रित किया जाता है और एक आश्रित चर (dependent variable) पर उनके प्रभाव का अवलोकन किया जाता है, आमतौर पर छोटी, नियंत्रित सेटिंग्स में छोटे समूहों के व्यवहार या विशिष्ट सामाजिक अंतःक्रियाओं के अध्ययन के लिए सबसे उपयुक्त होते हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: प्राकृतिक विज्ञानों की तुलना में समाजशास्त्र में नियंत्रित प्रयोगों को लागू करना अधिक कठिन होता है, क्योंकि मानव व्यवहार जटिल और बहुआयामी होता है, और वास्तविक दुनिया की सामाजिक परिस्थितियों को नियंत्रित करना असंभव है। फिर भी, प्रयोगशाला प्रयोग (lab experiments) या क्षेत्रीय प्रयोग (field experiments) का उपयोग विशिष्ट सिद्धांतों के परीक्षण के लिए किया जा सकता है।
    • अ incorrect विकल्प: (a) और (b) के लिए सर्वेक्षण, केस स्टडी, या ऐतिहासिक विश्लेषण जैसी विधियाँ अधिक उपयुक्त हैं। (d) सिद्धांतों का विकास अक्सर सैद्धांतिक चिंतन और मौजूदा शोध के विश्लेषण से होता है।

    प्रश्न 8: ‘उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण’ (LPG) के भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव के संदर्भ में, किस समाजशास्त्रीय अवधारणा का विशेष महत्व है?

    1. संस्कृतीकरण
    2. असमानता में वृद्धि
    3. समाज का व्यवसायीकरण
    4. क्षेत्रीय असंतुलन

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सटीकता: एलपीजी सुधारों ने भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण बदलाव लाए हैं, लेकिन इसके साथ ही आय और धन की असमानता में वृद्धि एक प्रमुख समाजशास्त्रीय चिंता का विषय बनी है। कुछ वर्गों को इन सुधारों से अत्यधिक लाभ हुआ, जबकि अन्य, विशेष रूप से ग्रामीण और असंगठित क्षेत्रों के लोग, पीछे छूट गए।
    • संदर्भ और विस्तार: कई समाजशास्त्रियों ने एलपीजी के कारण बढ़ी हुई आय असमानता, सामाजिक न्याय के मुद्दों, और विभिन्न सामाजिक समूहों पर इसके भिन्न प्रभावों का विश्लेषण किया है। यह आर्थिक उदारीकरण के सामाजिक परिणामों का एक महत्वपूर्ण पहलू है।
    • अ incorrect विकल्प: संस्कृतीकरण एक अलग प्रक्रिया है। समाज का व्यवसायीकरण (commodification) हो सकता है, लेकिन असमानता में वृद्धि सबसे व्यापक और तत्काल सामाजिक परिणाम है। क्षेत्रीय असंतुलन भी है, लेकिन असमानता एक अधिक प्रत्यक्ष और व्यक्तिगत प्रभाव है।

    प्रश्न 9: ‘वर्ग संघर्ष’ (Class Struggle) की अवधारणा को मुख्य रूप से किस समाजशास्त्रीय सिद्धांत से जोड़ा जाता है?

    1. प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद
    2. संरचनात्मक कार्यात्मकता
    3. संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory)
    4. सामाजिक विनिमय सिद्धांत (Social Exchange Theory)

    उत्तर: (c)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सटीकता: ‘वर्ग संघर्ष’ की अवधारणा कार्ल मार्क्स और उनके अनुयायियों द्वारा विकसित संघर्ष सिद्धांत का केंद्रीय स्तंभ है। मार्क्स का मानना था कि इतिहास उत्पादन के साधनों पर स्वामित्व के कारण विभिन्न वर्गों के बीच संघर्ष का इतिहास रहा है।
    • संदर्भ और विस्तार: मार्क्स के अनुसार, पूंजीवादी समाज में बुर्जुआ (पूंजीपति वर्ग) और सर्वहारा (श्रमिक वर्ग) के बीच का संघर्ष ही सामाजिक परिवर्तन का मुख्य इंजन है। यह सिद्धांत समाज को शक्ति, प्रभुत्व और असमानता के लेंस से देखता है।
    • अ incorrect विकल्प: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद सूक्ष्म-स्तरीय अंतःक्रियाओं पर केंद्रित है। संरचनात्मक कार्यात्मकता सामाजिक व्यवस्था और स्थिरता पर जोर देती है। सामाजिक विनिमय सिद्धांत व्यक्तिगत अंतःक्रियाओं में लागत-लाभ विश्लेषण पर केंद्रित है।

    प्रश्न 10: ‘आधुनिकीकरण सिद्धांत’ (Modernization Theory) के अनुसार, विकासशील समाजों को किस प्रकार के परिवर्तन से गुजरना पड़ता है?

    1. पारंपरिक, कृषि प्रधान समाजों से आधुनिक, औद्योगिक और शहरी समाजों में संक्रमण
    2. सामंतवाद से पूंजीवाद की ओर संक्रमण
    3. ज्ञान-आधारित अर्थव्यवस्था में परिवर्तन
    4. सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष

    उत्तर: (a)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सटीकता: आधुनिकीकरण सिद्धांत मानता है कि विकासशील समाज पारंपरिक (traditional) और अक्सर कृषि प्रधान समाजों से आधुनिक, औद्योगिक, शहरी और धर्मनिरपेक्ष (secular) समाजों की ओर एक रैखिक (linear) मार्ग का अनुसरण करते हैं। यह सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक विकास की एक प्रक्रिया है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत 20वीं सदी के मध्य में लोकप्रिय हुआ और इसका उद्देश्य यह समझाना था कि पश्चिमी देश कैसे विकसित हुए और विकासशील देश उसी रास्ते का अनुसरण कैसे कर सकते हैं। इसमें तकनीकी उन्नति, शिक्षा का प्रसार, और पश्चिमी मूल्यों का अनुकूलन शामिल है।
    • अ incorrect विकल्प: (b) पूंजीवाद की ओर संक्रमण आधुनिकीकरण का एक हिस्सा हो सकता है, लेकिन यह पूरी परिभाषा नहीं है। (c) ज्ञान-आधारित अर्थव्यवस्था आधुनिकता का परिणाम है, न कि प्रारंभिक अवस्था। (d) सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष आधुनिकीकरण का एक संभावित परिणाम या साथ चलने वाली प्रक्रिया हो सकती है, लेकिन यह सिद्धांत का मुख्य तर्क नहीं है।

    प्रश्न 11: ‘संरचनात्मक हिंसा’ (Structural Violence) की अवधारणा को किस समाजशास्त्री ने लोकप्रिय बनाया?

    1. हर्बर्ट स्पेंसर
    2. जॉन गैल्टंग
    3. जाहिर हुसैन
    4. जोहान गैल्टंग

    उत्तर: (d)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सटीकता: नॉर्वेजियन समाजशास्त्री जोहान गैल्टंग (Johan Galtung) ने ‘संरचनात्मक हिंसा’ की अवधारणा को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह हिंसा तब होती है जब किसी व्यक्ति या समूह को समाज की संरचनाओं, सामाजिक व्यवस्थाओं या संस्थानों के कारण शारीरिक या मनोवैज्ञानिक नुकसान पहुँचाया जाता है, भले ही कोई प्रत्यक्ष कर्ता (actor) न हो।
    • संदर्भ और विस्तार: गैल्टंग ने प्रत्यक्ष हिंसा (direct violence) के विपरीत संरचनात्मक हिंसा को परिभाषित किया। यह गरीबी, अन्यायपूर्ण कानूनों, भेदभावपूर्ण सामाजिक व्यवस्थाओं, या संसाधनों के असमान वितरण जैसे कारकों से उत्पन्न होती है।
    • अ incorrect विकल्प: हर्बर्ट स्पेंसर सामाजिक विकास पर थे। जॉन गैल्टंग एक अमेरिकी लेखक हैं। जाहिर हुसैन एक भारतीय राजनेता हैं।

    प्रश्न 12: भारतीय संदर्भ में, ‘हरिजन’ (Harijan) शब्द किसने गढ़ा, जिसका अर्थ ‘ईश्वर के लोग’ है?

    1. बी.आर. अंबेडकर
    2. महात्मा गांधी
    3. एम.एन. श्रीनिवास
    4. ई.वी. रामासामी पेरियार

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सटीकता: महात्मा गांधी ने ‘अस्पृश्य’ (Untouchables) समुदायों को संबोधित करने के लिए ‘हरिजन’ शब्द का प्रयोग किया था। उनका मानना था कि ये लोग ईश्वर के उतने ही प्रिय हैं जितने अन्य, और इस प्रकार उन्हें ‘हरिजन’ (ईश्वर के लोग) कहना उन्हें सम्मान और गरिमा प्रदान करता है।
    • संदर्भ और विस्तार: हालांकि गांधी का इरादा नेक था, बाद में कई दलित नेताओं और कार्यकर्ताओं ने इस शब्द को बाहरी थोपा हुआ (imposed) माना और इसके बजाय ‘दलित’ (Dalat – दबे हुए) शब्द को अपनाया, जो उनकी आत्म-पहचान और संघर्ष का प्रतीक बन गया।
    • अ incorrect विकल्प: अंबेडकर एक प्रमुख दलित नेता थे जिन्होंने ‘दलित’ शब्द को बढ़ावा दिया। श्रीनिवास ने संस्कृतीकरण की अवधारणा दी। पेरियार ने आत्म-सम्मान आंदोलन का नेतृत्व किया।

    प्रश्न 13: ‘सभ्यता’ (Civilization) और ‘संस्कृति’ (Culture) के बीच अंतर करने वाले समाजशास्त्री कौन थे, जिन्होंने सभ्यता को समाज के अधिक भौतिक और बाहरी पहलुओं से जोड़ा?

    1. ई.बी. टाइलर
    2. सिगमंड फ्रायड
    3. अल्फ्रेड क्रॉस्बी
    4. ए.एल. क्रोएबर

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सटीकता: सिगमंड फ्रायड ने अपनी कृति ‘सिविलाइजेशन एंड इट्स डिसकंटेंट्स’ (Civilization and Its Discontents) में सभ्यता को उन नियमों, संस्थाओं और सामूहिक व्यवहारों के रूप में देखा जो मानव की मूल जैविक प्रवृत्तियों (विशेष रूप से कामुकता और आक्रामकता) को दबाते या नियंत्रित करते हैं। उन्होंने इसे बाहरी और संरचनात्मक माना, जो व्यक्तिगत स्वतंत्रता को सीमित करता है।
    • संदर्भ और विस्तार: फ्रायड ने सभ्यता को अनिवार्य रूप से एक संघर्ष के रूप में देखा – व्यक्ति की स्वतंत्रता और समाज की आवश्यक संस्थाओं के बीच का संघर्ष। संस्कृति को उन्होंने अधिक व्यक्तिगत और आंतरिक मानी।
    • अ incorrect विकल्प: ई.बी. टाइलर ने संस्कृति को व्यापक अर्थों में परिभाषित किया। क्रॉस्बी ने बीमारियों के प्रसार पर लिखा। क्रोएबर ने भी संस्कृति पर काम किया, लेकिन फ्रायड का सभ्यता पर यह विशेष दृष्टिकोण महत्वपूर्ण है।

    प्रश्न 14: ‘जाति व्यवस्था’ (Caste System) की उत्पत्ति के संबंध में ‘प्रजाति सिद्धांत’ (Racial Theory) का सबसे प्रमुख समर्थक कौन था?

    1. जी. एस. घुरिये
    2. एम.एन. श्रीनिवास
    3. रिचर्ड ई. लैक (Richard E. Lack)
    4. एच.एच. रिस्ले

    उत्तर: (d)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सटीकता: सर हर्बर्ट होप रिस्ले (H.H. Risley) ब्रिटिश औपनिवेशिक काल के दौरान एक मानवशास्त्री थे जिन्होंने जाति व्यवस्था की उत्पत्ति को आर्यों के भारत में आगमन और स्थानीय आबादी के साथ उनके मिश्रण के सिद्धांत से जोड़ा। उनका मानना था कि जाति मुख्य रूप से प्रजातीय विभेदन का परिणाम है।
    • संदर्भ और विस्तार: रिस्ले ने अपनी पुस्तक ‘The Peoples of India’ में इस विचार को बढ़ावा दिया, हालांकि यह सिद्धांत आज विवादास्पद है और इसे व्यापक रूप से स्वीकार नहीं किया जाता है।
    • अ incorrect विकल्प: घुरिये और श्रीनिवास ने जाति की धार्मिक, आर्थिक और क्षेत्रीय उत्पत्ति पर अधिक ध्यान केंद्रित किया। लैक ने भी जाति पर काम किया लेकिन रिस्ले को प्रजाति सिद्धांत से सीधे जोड़ा जाता है।

    प्रश्न 15: ‘अलगाव’ (Alienation) की अवधारणा, जैसा कि मार्क्स ने पूंजीवाद के तहत श्रम के संदर्भ में वर्णित किया है, के चार मुख्य आयाम क्या हैं?

    1. उत्पाद से अलगाव, उत्पादन प्रक्रिया से अलगाव, स्वयं से अलगाव, और अन्य मनुष्यों से अलगाव।
    2. समाज से अलगाव, धर्म से अलगाव, राजनीति से अलगाव, और परिवार से अलगाव।
    3. नौकरी से अलगाव, धन से अलगाव, सामाजिक स्थिति से अलगाव, और व्यक्तिगत इच्छाओं से अलगाव।
    4. प्रकृति से अलगाव, इतिहास से अलगाव, संस्कृति से अलगाव, और चेतना से अलगाव।

    उत्तर: (a)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सटीकता: कार्ल मार्क्स ने पूंजीवाद के तहत श्रमिक के अनुभव का विश्लेषण करते हुए अलगाव के चार मुख्य रूपों का वर्णन किया: (1) उत्पाद से अलगाव (श्रमिक जो उत्पाद बनाता है, उसका मालिक नहीं होता), (2) उत्पादन प्रक्रिया से अलगाव (कार्य दोहराव वाला और नियंत्रित होता है), (3) स्वयं से अलगाव (कार्य व्यक्तिगत संतुष्टि या आत्म-अभिव्यक्ति का स्रोत नहीं होता), और (4) अन्य मनुष्यों से अलगाव (सहकर्मियों के साथ प्रतिस्पर्धा और पूंजीपतियों के साथ शत्रुता)।
    • संदर्भ और विस्तार: ये विचार मार्क्स के ‘Economic and Philosophic Manuscripts of 1844’ में प्रमुखता से पाए जाते हैं। मार्क्स के लिए, अलगाव मानव सार (human essence) के विरुद्ध एक दमनकारी स्थिति थी।
    • अ incorrect विकल्प: अन्य विकल्प अलगाव के भिन्न या सीमित दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हैं जो मार्क्स की मूल चार-आयामी परिभाषा से मेल नहीं खाते।

    प्रश्न 16: ‘पारिवारिक संरचना’ (Family Structure) के संबंध में, ‘विस्तारित परिवार’ (Extended Family) की विशेषता क्या है?

    1. यह एक एकल-नाभिकीय परिवार (nuclear family) है जिसमें माता-पिता और उनके अविवाहित बच्चे होते हैं।
    2. इसमें एक ही छत के नीचे कई पीढ़ियों के सदस्य, जैसे दादा-दादी, चाचा-चाची, चचेरे भाई-बहन, आदि एक साथ रहते हैं।
    3. यह विवाह से संबंधित व्यक्तियों का एक समूह है जो विभिन्न घरों में रहते हैं।
    4. यह उन व्यक्तियों का एक समूह है जो जैविक रूप से संबंधित नहीं हैं लेकिन एक साथ रहते हैं।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सटीकता: विस्तारित परिवार (Extended Family) की विशेषता यह है कि इसमें एक एकल छत के नीचे कई पीढ़ियों के सदस्य (जैसे दादा-दादी, माता-पिता, बच्चे, भाई-बहन, चाचा-चाची) एक साथ रहते हैं और अक्सर आर्थिक और सामाजिक रूप से परस्पर निर्भर होते हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: पारंपरिक समाजों और भारत जैसे कई देशों में विस्तारित परिवार एक आम संरचना रही है, जो सामाजिक सुरक्षा, देखभाल और परंपराओं के हस्तांतरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
    • अ incorrect विकल्प: (a) एकल-नाभिकीय परिवार को परिभाषित करता है। (c) नातेदारी समूह (kinship group) का एक व्यापक विचार हो सकता है लेकिन जरूरी नहीं कि एक ही घर में रहें। (d) एक ‘घरेलू समूह’ (household group) या ‘सहवासी समूह’ (co-residential group) को वर्णित कर सकता है, लेकिन विशेष रूप से जैविक संबंध और कई पीढ़ियों को नहीं।

    प्रश्न 17: ‘समूह’ (Group) को परिभाषित करने वाली मुख्य विशेषता क्या है, जो केवल व्यक्तियों के संग्रह (aggregate) से भिन्न है?

    1. सभी सदस्यों का एक ही भौगोलिक क्षेत्र में होना
    2. सदस्यों के बीच प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष अंतःक्रिया और जागरूकता
    3. सदस्यों की समान वेशभूषा
    4. सदस्यों का एक नेता द्वारा निर्देशित होना

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सटीकता: समाजशास्त्र में, ‘समूह’ की परिभाषा में सदस्यों के बीच प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष अंतःक्रिया (interaction) और एक-दूसरे के प्रति जागरूकता (awareness) शामिल है। यह उन्हें केवल लोगों के एक संग्रह (जैसे बस स्टॉप पर खड़े लोग) से अलग करता है।
    • संदर्भ और विस्तार: समूह की संरचना, संगठन और उद्देश्य भिन्न हो सकते हैं, लेकिन परस्पर क्रिया और साझा चेतना इसकी पहचान के लिए आवश्यक हैं।
    • अ incorrect विकल्प: (a) केवल जनसमूह (aggregate) की विशेषता हो सकती है। (c) प्राथमिक समूहों (primary groups) में आम है लेकिन हमेशा नहीं। (d) केवल कुछ प्रकार के समूहों, जैसे औपचारिक समूहों, की विशेषता हो सकती है।

    प्रश्न 18: ‘राजनीतिक आधुनिकीकरण’ (Political Modernization) का सबसे महत्वपूर्ण पहलू क्या है?

    1. लोकतांत्रिक संस्थानों का विकास और सुदृढ़ीकरण
    2. सेना का सरकार पर नियंत्रण
    3. वंशानुगत शासन का विस्तार
    4. धार्मिक नेताओं का राजनीतिक प्रभुत्व

    उत्तर: (a)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सटीकता: राजनीतिक आधुनिकीकरण आम तौर पर विभिन्न प्रकार की राजनीतिक प्रणालियों में लोकतांत्रिक संस्थानों के विकास, विस्तार और सुदृढ़ीकरण को दर्शाता है। इसमें सरकार की जवाबदेही, नागरिक स्वतंत्रताएँ, और कानून का शासन शामिल हो सकता है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा राजनीतिक व्यवस्थाओं को पारंपरिक से आधुनिक की ओर बढ़ते हुए देखती है, जहाँ शक्ति का वितरण अधिक न्यायसंगत और भागीदारीपूर्ण होता है।
    • अ incorrect विकल्प: (b) और (d) अक्सर पारंपरिक या अधिनायकवादी (authoritarian) व्यवस्थाओं की विशेषताएं होती हैं। (c) राजनीतिक आधुनिकीकरण के विपरीत है।

    प्रश्न 19: ‘संस्था’ (Institution) को समाजशास्त्रीय अर्थों में कैसे परिभाषित किया जाता है?

    1. लोगों का एक बड़ा समूह जो समान रुचियों को साझा करता है।
    2. किसी विशेष कार्य या उद्देश्यों की पूर्ति के लिए स्थापित और स्वीकृत सामाजिक पैटर्न और नियमों का एक स्थायी समूह।
    3. एक अनौपचारिक संगठन जो सामाजिक सहायता प्रदान करता है।
    4. एक व्यक्ति जो समाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सटीकता: समाजशास्त्र में, एक ‘संस्था’ (Institution) सामाजिक जीवन के स्थायी और व्यवस्थित पैटर्न हैं जो समाज के मूलभूत कार्यों (जैसे परिवार, शिक्षा, धर्म, सरकार) को पूरा करने के लिए स्थापित और स्वीकृत होते हैं। इनमें नियम, भूमिकाएँ, और व्यवहार के स्थापित तरीके शामिल होते हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: ये सामाजिक संरचनाओं के महत्वपूर्ण घटक हैं जो समाज की निरंतरता और स्थिरता सुनिश्चित करते हैं। उदाहरणों में विवाह संस्था, शैक्षिक संस्था, धार्मिक संस्था आदि शामिल हैं।
    • अ incorrect विकल्प: (a) एक समुदाय या संघ (association) का वर्णन कर सकता है। (c) एक अनौपचारिक संगठन का वर्णन करता है। (d) एक भूमिका या व्यक्ति का वर्णन करता है, न कि एक संस्था का।

    प्रश्न 20: ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) की अवधारणा का मुख्य सरोकार किससे है?

    1. सामाजिक समूहों के बीच व्यक्तिगत अंतःक्रियाएं।
    2. समाज में धन, शक्ति और प्रतिष्ठा का पदानुक्रमित वितरण।
    3. सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया।
    4. सामाजिक नियंत्रण के तंत्र।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सटीकता: सामाजिक स्तरीकरण समाज में व्यक्तियों और समूहों को धन, शक्ति, प्रतिष्ठा और अन्य संसाधनों के आधार पर विभिन्न स्तरों या परतों में व्यवस्थित करने की प्रक्रिया है। यह समाज में एक पदानुक्रमित (hierarchical) व्यवस्था बनाता है।
    • संदर्भ और विस्तार: स्तरीकरण के विभिन्न रूप हैं जैसे वर्ग (class), जाति (caste), लिंग (gender), आयु (age) आदि। यह समाज के भीतर असमानताओं को समझने का एक प्रमुख ढाँचा है।
    • अ incorrect विकल्प: (a) सूक्ष्म-समाजशास्त्र (microsociology) से संबंधित है। (c) सामाजिक परिवर्तन एक व्यापक अवधारणा है। (d) सामाजिक नियंत्रण एक संबंधित अवधारणा है, लेकिन स्तरीकरण सीधे संसाधनों के वितरण से संबंधित है।

    प्रश्न 21: ‘धर्मनिरपेक्षीकरण’ (Secularization) की प्रक्रिया का समाजशास्त्रीय अर्थ क्या है?

    1. धर्म का समाज पर बढ़ता हुआ प्रभाव।
    2. धर्म का महत्व कम होना और सार्वजनिक जीवन से उसका अलगाव।
    3. धर्म के नाम पर राजनीतिक शक्ति का उदय।
    4. विभिन्न धर्मों के बीच सहिष्णुता में वृद्धि।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सटीकता: धर्मनिरपेक्षीकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा धर्म का सामाजिक, राजनीतिक और व्यक्तिगत जीवन पर महत्व और प्रभाव कम हो जाता है, और धार्मिक संस्थाएं और अनुष्ठान सार्वजनिक जीवन से अलग हो जाते हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: आधुनिकता, तर्कवाद और वैज्ञानिक सोच के प्रसार के साथ धर्मनिरपेक्षीकरण को अक्सर जोड़ा जाता है। हालांकि, इस पर बहस जारी है कि क्या यह वास्तव में धर्म का अंत है या केवल उसके स्वरूप में परिवर्तन है।
    • अ incorrect विकल्प: (a) और (c) धर्मनिरपेक्षीकरण के विपरीत हैं। (d) सहिष्णुता महत्वपूर्ण है, लेकिन यह धर्मनिरपेक्षीकरण की प्राथमिक समाजशास्त्रीय परिभाषा नहीं है।

    प्रश्न 22: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) का तात्पर्य है:

    1. समाज में व्यक्तियों की स्थिति में परिवर्तन।
    2. किसी समाज का विकास या पतन।
    3. सामाजिक समूहों के बीच संघर्ष।
    4. सामाजिक संस्थानों का निर्माण।

    उत्तर: (a)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सटीकता: सामाजिक गतिशीलता (Social Mobility) का अर्थ है एक व्यक्ति या समूह का समाज में एक सामाजिक स्थिति (जैसे आय, व्यवसाय, शिक्षा, या प्रतिष्ठा) से दूसरी स्थिति में ऊपर या नीचे की ओर बढ़ना।
    • संदर्भ और विस्तार: इसमें ऊर्ध्वाधर गतिशीलता (vertical mobility – ऊपर या नीचे की ओर) और क्षैतिज गतिशीलता (horizontal mobility – समान स्तर पर एक स्थिति से दूसरी स्थिति में) शामिल हो सकती है।
    • अ incorrect विकल्प: (b) सामाजिक परिवर्तन का एक व्यापक पहलू है। (c) संघर्ष सामाजिक परिवर्तन का एक कारण हो सकता है। (d) संस्थानों का निर्माण सामाजिक संरचना का हिस्सा है।

    प्रश्न 23: ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा किसने विकसित की, जो समाज में प्रौद्योगिकी और गैर-भौतिक संस्कृति (जैसे कानून, मूल्य, संस्थाएं) के बीच समय के अंतर को संदर्भित करती है?

    1. अल्बर्ट श्नाइडर
    2. विलियम एफ. ओगबर्न
    3. डेविड रिस्मन
    4. अल्फ्रेड शूत्ज़

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सटीकता: विलियम एफ. ओगबर्न (William F. Ogburn) ने 1922 में अपनी पुस्तक ‘Social Change with Respect to Culture and Original Nature’ में ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा प्रस्तुत की। यह तब उत्पन्न होती है जब भौतिक संस्कृति (जैसे प्रौद्योगिकी) में परिवर्तन होता है, लेकिन गैर-भौतिक संस्कृति (जैसे सामाजिक मानदंड, कानून, संस्थाएं) इन परिवर्तनों के साथ तालमेल बिठाने में पिछड़ जाती है।
    • संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, इंटरनेट और सोशल मीडिया जैसी नई तकनीकों के आगमन के बाद, डेटा गोपनीयता, साइबरबुलिंग या डिजिटल नैतिकता से संबंधित कानूनों और सामाजिक मानदंडों को विकसित होने में समय लगा।
    • अ incorrect विकल्प: अन्य समाजशास्त्रियों ने विभिन्न अवधारणाओं पर काम किया है, लेकिन सांस्कृतिक विलंब ओगबर्न से विशेष रूप से जुड़ा हुआ है।

    प्रश्न 24: भारतीय समाज में ‘संयुक्त परिवार’ (Joint Family) की प्रमुख भूमिकाओं में से एक क्या है?

    1. व्यक्तिगत स्वतंत्रता को सर्वोच्च प्राथमिकता देना।
    2. परिवार के सदस्यों के बीच भावनात्मक दूरी बनाए रखना।
    3. आर्थिक संसाधनों का साझा करना और सदस्यों की देखभाल करना।
    4. बच्चों का पालन-पोषण केवल माता-पिता द्वारा करना।

    उत्तर: (c)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सटीकता: संयुक्त परिवार प्रणाली की एक प्रमुख विशेषता आर्थिक सहयोग है, जहाँ परिवार के सदस्य साझा रूप से संसाधनों (जैसे भूमि, आय) का प्रबंधन करते हैं और एक-दूसरे की आर्थिक और भावनात्मक ज़रूरतों का ध्यान रखते हैं। यह वृद्धावस्था, बीमारी या बेरोज़गारी जैसी कठिनाइयों के समय सुरक्षा जाल का काम करता है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह प्रणाली सामाजिक सुरक्षा, संपत्ति का हस्तांतरण और सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने में महत्वपूर्ण रही है, खासकर पारंपरिक भारतीय समाज में।
    • अ incorrect विकल्प: (a) और (d) एकल-नाभिकीय परिवारों की विशेषताएं हैं। (b) संयुक्त परिवार अक्सर घनिष्ठता और भावनात्मक जुड़ाव को बढ़ावा देते हैं।

    प्रश्न 25: ‘जातिगत अंतर्विवाह’ (Caste Endogamy) की प्रथा जाति व्यवस्था को बनाए रखने में कैसे योगदान करती है?

    1. यह विभिन्न जातियों के बीच सामाजिक संपर्क को बढ़ावा देती है।
    2. यह जातियों के बीच रक्त संबंध (blood ties) को मजबूत करके उन्हें अलग रखती है।
    3. यह जातियों को अपनी प्रथाओं को आधुनिक बनाने के लिए प्रोत्साहित करती है।
    4. यह जाति के भीतर विभिन्न व्यवसायों को बढ़ावा देती है।

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सटीकता: जातिगत अंतर्विवाह (Caste Endogamy) का अर्थ है कि एक व्यक्ति को अपनी ही जाति के भीतर विवाह करना होता है। यह प्रथा जातियों को एक-दूसरे से रक्त संबंध के माध्यम से अलग रखती है, समूह की पहचान को सुदृढ़ करती है, और जातियों के बीच मिश्रण को रोककर जाति व्यवस्था की पदानुक्रमित और खंडित (segmented) प्रकृति को बनाए रखती है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह जाति व्यवस्था की सबसे महत्वपूर्ण विशेषताओं में से एक है जो इसे अन्य सामाजिक स्तरीकरण प्रणालियों से अलग करती है और इसे पीढ़ी दर पीढ़ी बनाए रखने में मदद करती है।
    • अ incorrect विकल्प: (a) अंतर्विवाह सामाजिक अलगाव को बढ़ावा देता है, संपर्क को नहीं। (c) यह आधुनिकीकरण को प्रोत्साहित नहीं करता, बल्कि पारंपरिक प्रथाओं को बनाए रखता है। (d) व्यवसाय का संबंध है, लेकिन अंतर्विवाह सीधे व्यवसायों को बढ़ावा देने के बजाय रक्त संबंधों को बनाए रखने पर केंद्रित है।

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