Get free Notes

सफलता सिर्फ कड़ी मेहनत से नहीं, सही मार्गदर्शन से मिलती है। हमारे सभी विषयों के कम्पलीट नोट्स, G.K. बेसिक कोर्स, और करियर गाइडेंस बुक के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

Click Here

अर्थव्यवस्था की डेड-एंड: राहुल गांधी के ‘डेड इकोनॉमी’ बयान पर थरूर का अमेरिकी कूटनीति पर सवाल

अर्थव्यवस्था की डेड-एंड: राहुल गांधी के ‘डेड इकोनॉमी’ बयान पर थरूर का अमेरिकी कूटनीति पर सवाल

चर्चा में क्यों? (Why in News?):

हाल ही में, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी द्वारा ‘डेड इकोनॉमी’ (Dead Economy) शब्द का प्रयोग कर देश की आर्थिक स्थिति पर की गई टिप्पणी ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। गांधी के इस बयान के संदर्भ में, पार्टी के एक अन्य प्रमुख नेता डॉ. शशि थरूर ने न केवल राहुल गांधी के विचारों का समर्थन किया, बल्कि उन्होंने भारत-अमेरिका संबंधों को सुधारने की वर्तमान सरकार की कूटनीति पर भी सवाल उठाए। यह पूरा घटनाक्रम ऐसे समय में आया है जब भारत अपनी आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहा है और वैश्विक पटल पर अपनी स्थिति मजबूत करने का प्रयास कर रहा है। इस ब्लॉग पोस्ट में, हम ‘डेड इकोनॉमी’ के अर्थ, राहुल गांधी के बयान के निहितार्थ, थरूर की चिंताओं और UPSC परीक्षा के दृष्टिकोण से इस मुद्दे के विभिन्न पहलुओं का विस्तृत विश्लेषण करेंगे।

‘डेड इकोनॉमी’ क्या है? (What is a ‘Dead Economy’?)

‘डेड इकोनॉमी’ कोई औपचारिक आर्थिक शब्दावली नहीं है, बल्कि यह एक लाक्षणिक अभिव्यक्ति है जिसका उपयोग किसी अर्थव्यवस्था की उस स्थिति का वर्णन करने के लिए किया जाता है जहाँ विकास रुक गया हो, नवाचार (innovation) ठंडा पड़ गया हो, और आर्थिक गतिविधियाँ शिथिल या मृतप्राय हो गई हों। यह एक ऐसी स्थिति है जहाँ अर्थव्यवस्था में जीवन का संचार नहीं रह जाता, उपभोक्ता मांग कम हो जाती है, निवेश हतोत्साहित होता है, और रोजगार सृजन लगभग बंद हो जाता है।

इस अवधारणा को समझने के लिए, हम कुछ प्रमुख आर्थिक संकेतकों पर विचार कर सकते हैं जो ‘डेड इकोनॉमी’ का संकेत देते हैं:

  • न्यून या नकारात्मक जीडीपी वृद्धि (Low or Negative GDP Growth): अर्थव्यवस्था का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) या तो बहुत धीरे-धीरे बढ़ रहा है या घट रहा है।
  • उच्च बेरोजगारी दर (High Unemployment Rate): नौकरी के अवसरों की कमी और बढ़ती बेरोजगारी, खासकर युवाओं के बीच।
  • घटती निवेश दर (Declining Investment Rate): चाहे वह प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) हो या घरेलू निवेश, इसमें गिरावट देखी जाती है।
  • कमजोर उपभोक्ता मांग (Weak Consumer Demand): लोग खर्च करने में हिचकिचाते हैं, जिससे उत्पादन प्रभावित होता है।
  • व्यापार और उद्यमिता में सुस्ती (Sluggishness in Trade and Entrepreneurship): नए व्यवसाय शुरू करने या मौजूदा व्यवसायों का विस्तार करने में अनिश्चितता।
  • मुद्रास्फीति या अपस्फीति का दबाव (Inflationary or Deflationary Pressures): अत्यधिक या अत्यधिक कम कीमतें भी आर्थिक स्वास्थ्य का संकेत हो सकती हैं।

सरल शब्दों में, एक ‘डेड इकोनॉमी’ एक निष्क्रिय या धीमी गति से चलने वाली मशीन की तरह है, जहाँ इंजन चालू तो है, लेकिन पहिये मुश्किल से घूम रहे हैं।

राहुल गांधी का ‘डेड इकोनॉमी’ बयान: संदर्भ और निहितार्थ (Rahul Gandhi’s ‘Dead Economy’ Statement: Context and Implications)

राहुल गांधी का ‘डेड इकोनॉमी’ बयान भारत की मौजूदा आर्थिक स्थिति पर एक आलोचनात्मक टिप्पणी थी। उनके इस बयान के पीछे निम्नलिखित कारण हो सकते हैं:

1. आर्थिक मंदी के संकेत (Indicators of Economic Slowdown):

भारत हाल के वर्षों में विभिन्न आर्थिक चुनौतियों से गुजरा है, जिनमें शामिल हैं:

  • जीडीपी वृद्धि में गिरावट: महामारी से पहले भी जीडीपी वृद्धि दर धीमी हो रही थी, और महामारी ने इसे और प्रभावित किया।
  • उच्च बेरोजगारी: विशेष रूप से युवा बेरोजगारी एक गंभीर चिंता का विषय रही है।
  • एमएसएमई क्षेत्र पर दबाव: सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSMEs) जो अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, उन्हें वित्तीय और परिचालन संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ा है।
  • कृषि संकट: किसानों की आय में वृद्धि न होना और कृषि क्षेत्र से जुड़े मुद्दे।

2. सरकार की नीतियों पर सवाल (Questions on Government Policies):

गांधी जैसे आलोचक अक्सर सरकार की आर्थिक नीतियों, जैसे कि नोटबंदी, जीएसटी कार्यान्वयन, और कुछ क्षेत्रों में निजीकरण के निर्णयों को आर्थिक सुस्ती के लिए जिम्मेदार ठहराते हैं। उनका मानना ​​है कि ये नीतियाँ न केवल विकास को धीमा करती हैं, बल्कि छोटे व्यवसायों और असंगठित क्षेत्र पर नकारात्मक प्रभाव डालती हैं।

3. ‘डेड इकोनॉमी’ का राजनीतिक उपयोग (Political Usage of ‘Dead Economy’):

राजनीतिक दल अक्सर ऐसे शब्दों का प्रयोग सरकार की विफलताओं को उजागर करने और जनता का ध्यान आकर्षित करने के लिए करते हैं। ‘डेड इकोनॉमी’ एक ऐसा शक्तिशाली वाक्यांश है जो तुरंत लोगों के मन में गंभीर आर्थिक समस्याओं की छवि बनाता है।

4. गांधी की अपनी आर्थिक समझ (Gandhi’s Own Economic Understanding):

यह समझना महत्वपूर्ण है कि राहुल गांधी स्वयं को एक ऐसे नेता के रूप में प्रस्तुत करते हैं जो आम लोगों और उनके आर्थिक संघर्षों को समझते हैं। ‘डेड इकोनॉमी’ का उनका बयान इसी समझ को दर्शाता है, जो अक्सर आर्थिक डेटा के साथ-साथ जमीनी हकीकत पर आधारित होता है।

शशि थरूर की चिंता: अमेरिका से रिश्ते सुधारने की कूटनीति पर सवाल (Shashi Tharoor’s Concern: Questioning the Diplomacy of Improving US Relations)

राहुल गांधी के बयान का समर्थन करते हुए, डॉ. शशि थरूर ने एक नया आयाम जोड़ा। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के ऐसा कहने के अपने कारण थे, लेकिन थरूर की मुख्य चिंता भारत के अमेरिका के साथ बिगड़ते संबंधों को सुधारने की सरकार की कूटनीतिक कोशिशों से जुड़ी थी।

1. थरूर की चिंता का मूल (The Core of Tharoor’s Concern):

थरूर का यह बयान संभवतः भारत की विदेश नीति के एक विशेष पहलू पर केंद्रित था। यह समझना आवश्यक है कि किस संदर्भ में उन्होंने यह टिप्पणी की।

  • अमेरिका-भारत संबंध: ऐतिहासिक रूप से, भारत के अमेरिका के साथ संबंध जटिल रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में, दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी बढ़ी है, विशेषकर चीन के बढ़ते प्रभाव के मद्देनजर।
  • कूटनीति का लक्ष्य (Goal of Diplomacy): किसी भी देश की कूटनीति का मुख्य लक्ष्य अपने राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखना होता है। इसमें आर्थिक, राजनीतिक और सुरक्षा हित शामिल होते हैं।
  • ‘रिश्ते सुधारने’ की व्याख्या (Interpretation of ‘Improving Relations’): थरूर ने संभवतः यह सवाल उठाया कि क्या भारत अमेरिका के साथ अपने रिश्तों को ‘सुधारने’ के प्रयास में, अपने उन स्वतंत्र आर्थिक या विदेश नीतिगत फैसलों को प्रभावित होने दे रहा है जो उसके अपने हित में हों।

2. आर्थिक हितों की प्राथमिकता (Priority of Economic Interests):

यह संभव है कि थरूर का मानना ​​हो कि भारत सरकार अमेरिका के साथ घनिष्ठ संबंध बनाने के चक्कर में, कुछ ऐसी आर्थिक या कूटनीतिक रियायतें दे रही है जो दीर्घकालिक रूप से भारत के लिए हानिकारक हो सकती हैं। उदाहरण के लिए, व्यापार समझौते, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, या वैश्विक मंचों पर किसी विशेष मुद्दे पर अमेरिका का समर्थन करने के बदले में भारत को अपनी संप्रभुता या आर्थिक लाभ से समझौता करना पड़ सकता है।

3. ‘डेडलॉक’ की आर्थिक व्याख्या (Economic Interpretation of ‘Deadlock’):

अगर हम राहुल गांधी के ‘डेड इकोनॉमी’ बयान को व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखें, तो थरूर की चिंता इसे एक ‘डेड एंड’ (Dead End) की ओर ले जाने वाली कूटनीति के रूप में जोड़ सकती है। यानी, यदि विदेश नीति के निर्णय आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के बजाय, उसे बाधित करते हैं या नए अवसरों को रोकते हैं, तो यह एक प्रकार की ‘डेड एंड’ कूटनीति होगी।

“मेरी चिंता अमेरिका से रिश्ते सुधारने को लेकर है। क्या हम वाकई अपने हित साध रहे हैं, या हम सिर्फ उनके साथ तालमेल बिठाने की कोशिश में कहीं पीछे छूट रहे हैं?” – यह थरूर की चिंता का सार हो सकता है।

UPSC परीक्षा के लिए प्रासंगिकता (Relevance for UPSC Exam)

यह घटनाक्रम UPSC सिविल सेवा परीक्षा के लिए अत्यधिक प्रासंगिक है, खासकर निम्नलिखित विषयों में:

1. भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy):

  • आर्थिक विकास और मंदी: भारत की जीडीपी वृद्धि दर, इसके कारक और प्रभाव।
  • रोजगार और बेरोजगारी: विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार सृजन की स्थिति, विशेष रूप से युवा बेरोजगारी।
  • सरकारी नीतियां: आर्थिक सुधार, वित्तीय नीतियां, और उनका अर्थव्यवस्था पर प्रभाव।
  • सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSMEs): एमएसएमई क्षेत्र का महत्व और उसके सामने चुनौतियाँ।
  • कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था: कृषकों की आय, कृषि संकट के कारण और समाधान।

2. विदेश नीति (Foreign Policy):

  • भारत-अमेरिका संबंध: द्विपक्षीय संबंध, रणनीतिक साझेदारी, सहयोग के क्षेत्र।
  • कूटनीति और राष्ट्रीय हित: किसी भी देश की विदेश नीति में राष्ट्रीय हितों की प्रधानता।
  • वैश्विक आर्थिक व्यवस्था: भारत की वैश्विक आर्थिक व्यवस्था में भूमिका और उसके सामने चुनौतियाँ।
  • भू-राजनीतिक कारक: क्षेत्रीय और वैश्विक भू-राजनीतिक परिदृश्य का भारत की अर्थव्यवस्था और विदेश नीति पर प्रभाव।

3. समसामयिक मामले (Current Affairs):

यह मुद्दा सीधे तौर पर समसामयिक घटनाओं से जुड़ा है और राजनीतिक व आर्थिक चर्चाओं का केंद्र बिंदु है।

आर्थिक ‘डेड एंड’ से बाहर निकलने के रास्ते (Paths to Exit the Economic ‘Dead End’)

यदि हम भारत को एक ‘डेड इकोनॉमी’ की ओर बढ़ता हुआ मानते हैं, तो इससे बाहर निकलने के लिए कई उपायों पर ध्यान देना होगा:

1. सुधारों को गति देना (Accelerating Reforms):

  • व्यवसाय करने में आसानी (Ease of Doing Business): नियामक बाधाओं को कम करना, अनुमतियों की प्रक्रिया को सरल बनाना।
  • श्रम कानून सुधार: लचीले श्रम कानून जो रोजगार सृजन को प्रोत्साहित करें।
  • न्यायिक सुधार: अनुबंध प्रवर्तन (contract enforcement) में तेजी और विवाद समाधान को सुगम बनाना।

2. निवेश को प्रोत्साहन (Boosting Investment):

  • बुनियादी ढाँचा विकास: सड़कों, रेलवे, बिजली और लॉजिस्टिक्स जैसे क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर निवेश।
  • विनिर्माण को बढ़ावा: ‘मेक इन इंडिया’ जैसी पहलों को मजबूत करना, उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजनाओं का विस्तार।
  • स्टार्ट-अप इकोसिस्टम: नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए अनुकूल माहौल बनाना।

3. मांग-पक्ष के उपाय (Demand-Side Measures):

  • राजकोषीय प्रोत्साहन: उपभोक्ता खर्च को बढ़ाने के लिए सरकारी खर्च में वृद्धि या करों में कमी।
  • ग्रामीण आय में वृद्धि: कृषि आय को स्थिर और बढ़ाने के उपाय, ग्रामीण रोजगार को मजबूत करना।
  • रोजगार सृजन: विशेषकर युवाओं के लिए गुणवत्तापूर्ण रोजगार के अवसर पैदा करना।

4. तकनीकी नवाचार और डिजिटलीकरण (Technological Innovation and Digitization):

डिजिटल अर्थव्यवस्था को मजबूत करना, नई तकनीकों को अपनाना और डिजिटल साक्षरता बढ़ाना विकास के नए रास्ते खोल सकता है।

5. विदेश नीति और आर्थिक हित का संतुलन (Balancing Foreign Policy and Economic Interests):

विदेश नीति बनाते समय, आर्थिक हितों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। बहुपक्षीय और द्विपक्षीय समझौतों में भारत के लिए अधिकतम लाभ सुनिश्चित किया जाना चाहिए, बजाय इसके कि केवल ‘रिश्ते सुधारने’ के नाम पर रियायतें दी जाएं।

निष्कर्ष (Conclusion)

राहुल गांधी का ‘डेड इकोनॉमी’ बयान और शशि थरूर की चिंता, दोनों ही भारतीय अर्थव्यवस्था और विदेश नीति के महत्वपूर्ण पहलुओं को उजागर करते हैं। जहां गांधी का बयान देश की आर्थिक चुनौतियों की ओर ध्यान आकर्षित करता है, वहीं थरूर की टिप्पणी विदेश नीति के फैसलों में राष्ट्रीय हितों की प्रधानता बनाए रखने की आवश्यकता पर बल देती है। UPSC उम्मीदवारों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे इन दोनों पहलुओं को समझें और आर्थिक विकास, रोजगार सृजन, सरकारी नीतियों तथा विदेश नीति के अंतर्संबंधों का विश्लेषण कर सकें। एक विशेषज्ञ शिक्षक के तौर पर, मेरा सुझाव है कि आप इन मुद्दों पर विभिन्न स्रोतों से जानकारी प्राप्त करें और अपने विश्लेषण को तथ्यात्मक आधार पर मजबूत करें। आर्थिक स्वास्थ्य और मजबूत कूटनीति, दोनों ही एक राष्ट्र के विकास के लिए अनिवार्य हैं, और इनका संतुलन ही सफलता की कुंजी है।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

  1. प्रश्न 1: ‘डेड इकोनॉमी’ शब्द का प्रयोग आमतौर पर किस आर्थिक स्थिति का वर्णन करने के लिए किया जाता है?

    (a) अत्यधिक उच्च मुद्रास्फीति

    (b) स्थिर आर्थिक वृद्धि

    (c) ठहराव या धीमी गति वाली आर्थिक गतिविधि

    (d) अप्रत्याशित निर्यात वृद्धि

    उत्तर: (c)

    व्याख्या: ‘डेड इकोनॉमी’ उस आर्थिक स्थिति को दर्शाता है जहाँ विकास रुक गया हो, नवाचार ठंडा पड़ गया हो, और आर्थिक गतिविधियाँ शिथिल या मृतप्राय हो गई हों।
  2. प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा कारक ‘डेड इकोनॉमी’ का संकेत दे सकता है?

    (a) घटती बेरोजगारी दर

    (b) बढ़ती निवेश दर

    (c) कमजोर उपभोक्ता मांग

    (d) नवाचार में वृद्धि

    उत्तर: (c)

    व्याख्या: कमजोर उपभोक्ता मांग, उच्च बेरोजगारी, और घटती निवेश दर जैसी स्थितियाँ ‘डेड इकोनॉमी’ का संकेत देती हैं।
  3. प्रश्न 3: हालिया चर्चाओं के अनुसार, राहुल गांधी ने किस शब्द का प्रयोग करके भारत की आर्थिक स्थिति पर टिप्पणी की?

    (a) स्टैगफ्लेशन (Stagflation)

    (b) डिफ्लेशन (Deflation)

    (c) डेड इकोनॉमी (Dead Economy)

    (d) रेसेशन (Recession)

    उत्तर: (c)

    व्याख्या: राहुल गांधी ने भारत की आर्थिक स्थिति का वर्णन करने के लिए ‘डेड इकोनॉमी’ शब्द का प्रयोग किया।
  4. प्रश्न 4: डॉ. शशि थरूर ने किस देश के साथ भारत के रिश्तों को सुधारने की सरकार की कूटनीति पर चिंता व्यक्त की?

    (a) चीन

    (b) संयुक्त राज्य अमेरिका

    (c) रूस

    (d) यूरोपीय संघ

    उत्तर: (b)

    व्याख्या: थरूर ने संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ रिश्तों को सुधारने की भारत की कूटनीति पर चिंता जताई।
  5. प्रश्न 5: निम्नलिखित में से कौन सी योजना भारत सरकार द्वारा विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई थी?

    (a) जन धन योजना

    (b) मेक इन इंडिया

    (c) स्किल इंडिया

    (d) डिजिटल इंडिया

    उत्तर: (b)

    व्याख्या: ‘मेक इन इंडिया’ पहल भारत में विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई थी।
  6. प्रश्न 6: निम्नलिखित में से किसे भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है?

    (a) बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ

    (b) सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSMEs)

    (c) केवल सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (PSUs)

    (d) कृषि क्षेत्र

    उत्तर: (b)

    व्याख्या: सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSMEs) भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास और रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  7. प्रश्न 7: ‘उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन’ (PLI) योजना का मुख्य उद्देश्य क्या है?

    (a) केवल आयात को बढ़ावा देना

    (b) घरेलू विनिर्माण और निर्यात को प्रोत्साहित करना

    (c) सेवा क्षेत्र को करों से छूट देना

    (d) स्वदेशी उद्योगों को हतोत्साहित करना

    उत्तर: (b)

    व्याख्या: PLI योजनाओं का उद्देश्य घरेलू विनिर्माण को बढ़ाना, निवेश आकर्षित करना और निर्यात को बढ़ावा देना है।
  8. प्रश्न 8: भारत-अमेरिका संबंधों में हाल के वर्षों में किस प्रकार की साझेदारी बढ़ी है?

    (a) केवल सांस्कृतिक आदान-प्रदान

    (b) केवल शैक्षिक सहयोग

    (c) रणनीतिक साझेदारी

    (d) केवल पर्यटन सहयोग

    उत्तर: (c)

    व्याख्या: हाल के वर्षों में, भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक साझेदारी में वृद्धि देखी गई है।
  9. प्रश्न 9: थरूर की चिंता भारत की विदेश नीति के किस पहलू से जुड़ी थी?

    (a) रूस के साथ संबंध

    (b) चीन के साथ सीमा विवाद

    (c) राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता दिए बिना रिश्ते सुधारना

    (d) अंतर्राष्ट्रीय संगठनों का बहिष्कार

    उत्तर: (c)

    व्याख्या: थरूर ने इस बात पर चिंता जताई कि क्या भारत अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता दिए बिना अमेरिका से रिश्ते सुधारने की कोशिश कर रहा है।
  10. प्रश्न 10: ‘व्यवसाय करने में आसानी’ (Ease of Doing Business) में सुधार का क्या परिणाम हो सकता है?

    (a) निवेश में गिरावट

    (b) नियामक बाधाओं में वृद्धि

    (c) आर्थिक गतिविधियों में तेजी और रोजगार सृजन

    (d) भ्रष्टाचार में वृद्धि

    उत्तर: (c)

    व्याख्या: व्यवसाय करने में आसानी से निवेश आकर्षित होता है, आर्थिक गतिविधियाँ तेज होती हैं और रोजगार के अवसर बढ़ते हैं।

मुख्य परीक्षा (Mains)

  1. प्रश्न 1: ‘डेड इकोनॉमी’ की अवधारणा की व्याख्या करें और भारत के संदर्भ में उन कारकों का विश्लेषण करें जो इस स्थिति में योगदान कर सकते हैं। इस आर्थिक ठहराव से उबरने के लिए सरकार द्वारा उठाए जा सकने वाले संभावित कदमों का सुझाव दें। (लगभग 250 शब्द)
  2. प्रश्न 2: भारत की विदेश नीति में राष्ट्रीय हितों की प्रधानता क्यों महत्वपूर्ण है? डॉ. शशि थरूर की हालिया टिप्पणियों के आलोक में, विश्लेषण करें कि कैसे विदेश नीति के निर्णय आर्थिक विकास को प्रभावित कर सकते हैं और भारत-अमेरिका संबंधों के संदर्भ में इस संतुलन को कैसे बनाए रखा जा सकता है। (लगभग 250 शब्द)
  3. प्रश्न 3: हालिया आर्थिक बहस में ‘डेड इकोनॉमी’ शब्द के प्रयोग की प्रासंगिकता का मूल्यांकन करें। भारत को एक गतिशील और बढ़ती अर्थव्यवस्था बनाए रखने के लिए संरचनात्मक सुधारों और मांग-पक्ष के उपायों के बीच क्या तालमेल होना चाहिए? (लगभग 150 शब्द)
  4. प्रश्न 4: भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करें। इस साझेदारी के आर्थिक निहितार्थों पर चर्चा करें और थरूर की चिंता को ध्यान में रखते हुए, इन संबंधों को कैसे प्रबंधित किया जाना चाहिए ताकि दोनों देशों के हित सधें? (लगभग 150 शब्द)

Leave a Comment