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अमेरिकी टैरिफ की धमकी: भारत-अमेरिका व्यापार डील का क्या होगा? 25% की दर और अंतिम समय की हलचल

अमेरिकी टैरिफ की धमकी: भारत-अमेरिका व्यापार डील का क्या होगा? 25% की दर और अंतिम समय की हलचल

चर्चा में क्यों? (Why in News?):**
पिछले कुछ समय से भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच एक बहुप्रतीक्षित व्यापार डील को लेकर अटकलें तेज थीं। यह डील द्विपक्षीय व्यापार संबंधों को नई दिशा देने वाली थी, लेकिन समय सीमा नजदीक आते ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के एक बयान ने सब कुछ अनिश्चितता की ओर धकेल दिया। 29 जून, 2019 की डेडलाइन से ठीक दो दिन पहले, राष्ट्रपति ट्रम्प ने संकेत दिया कि यह समझौता अभी अंतिम रूप से तय नहीं हुआ है और उन्होंने भारत से आयातित कुछ वस्तुओं पर 20-25% की संभावित टैरिफ दर का उल्लेख किया। इस बयान ने न केवल बाजार में हलचल मचाई, बल्कि दोनों देशों के बीच व्यापार वार्ता की जटिलताओं को भी उजागर किया। यह घटनाक्रम भारत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उसके निर्यात, आर्थिक नीतियों और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में उसकी स्थिति को प्रभावित कर सकता है। UPSC सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के लिए, इस मुद्दे का भू-राजनीतिक, आर्थिक और सामरिक महत्व को समझना अनिवार्य है।

पृष्ठभूमि: एक लंबे समय से चली आ रही व्यापारिक यात्रा (Background: A Long-Standing Trade Journey)

भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं हैं और उनके बीच व्यापारिक संबंध लगातार विकसित हो रहे हैं। ऐतिहासिक रूप से, ये संबंध कभी सहयोगपूर्ण रहे हैं तो कभी तनावपूर्ण। पिछले कुछ वर्षों में, द्विपक्षीय व्यापार में वृद्धि हुई है, लेकिन कुछ प्रमुख मुद्दे अनसुलझे रहे हैं, जैसे:

* **भारतीय बाजार तक पहुंच (Market Access for Indian Goods):** भारत पर आरोप लगते रहे हैं कि वह अमेरिकी उत्पादों के लिए अपने बाजार को पर्याप्त रूप से नहीं खोलता है।
* **टेलीकम्युनिकेशन और ऑटोमोटिव क्षेत्र (Telecommunication and Automotive Sectors):** इन क्षेत्रों में अमेरिकी कंपनियों को भारतीय बाजार में प्रवेश को लेकर शिकायतें रही हैं।
* **” */* Preferential Trade Agreements” (PTAs) या ” */* Generalized System of Preferences” (GSP) को लेकर मुद्दे:** अमेरिका ने भारत को GSP के तहत मिलने वाली विशेष रियायतों को समाप्त करने की धमकी दी थी, जो भारत के निर्यातकों के लिए एक बड़ा झटका हो सकता था।
* **डिजिटल टैक्स (Digital Tax):** भारत द्वारा डिजिटल सेवाओं पर लगाए जाने वाले करों को लेकर भी अमेरिका ने आपत्ति जताई थी।
* **डेटा स्थानीयकरण (Data Localization):** भारत की डेटा स्थानीयकरण की मांग ने अमेरिकी प्रौद्योगिकी कंपनियों को चिंता में डाल दिया था।

इन जटिलताओं के बीच, दोनों देश एक व्यापक व्यापार समझौते पर पहुंचने का प्रयास कर रहे थे जो इन मुद्दों को हल कर सके और व्यापार को और सुगम बना सके। यह एक ” */* छोटा सौदा” ( */* mini-deal) या ” */* बड़ा सौदा” ( */* big deal) हो सकता था, जिसका उद्देश्य कुछ चुनिंदा क्षेत्रों में टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाओं को कम करना था।

ट्रम्प का बयान: 20-25% टैरिफ का संभावित संकेत (Trump’s Statement: The Hint of 20-25% Tariffs)

राष्ट्रपति ट्रम्प का यह कहना कि सौदा ” */* अंतिम रूप से तय नहीं हुआ है” और 20-25% टैरिफ का उल्लेख, कई मायनों में चिंताजनक था। यह बयान उस समय आया जब दोनों देशों के व्यापार मंत्रियों के बीच उच्च-स्तरीय वार्ता चल रही थी और एक समझौते की उम्मीदें परवान चढ़ रही थीं।

* ** */* 20-25% टैरिफ का अर्थ:** यह एक महत्वपूर्ण प्रतिशत है। यदि भारत से आयातित वस्तुओं पर ऐसे टैरिफ लागू होते हैं, तो यह भारतीय निर्यातकों के लिए लागत बढ़ा देगा, जिससे अमेरिकी बाजार में उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता कम हो जाएगी। इससे भारतीय कंपनियों के मुनाफे पर सीधा असर पड़ेगा और अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए सामान महंगा हो सकता है।
* ** */* ” */* Finalised Not” का निहितार्थ:** इसका सीधा मतलब था कि अभी भी कई बिंदुओं पर असहमति है। राष्ट्रपति ट्रम्प की बातचीत की शैली अक्सर अप्रत्याशित होती है, और वे सौदेबाजी के लिए दबाव बनाने हेतु ऐसी टिप्पणियों का उपयोग करते रहे हैं।
* ** */* समय सीमा का महत्व:** एक निश्चित समय सीमा ( */* deadline) से ठीक पहले ऐसे बयान देना, एक ” */* सौदेबाजी की चाल” ( */* bargaining tactic) हो सकता है, या यह संकेत दे सकता है कि वार्ता वास्तव में गंभीर गतिरोध का सामना कर रही है।

## इस व्यापार सौदे का महत्व: क्यों है यह इतना अहम? (Significance of this Trade Deal: Why is it so Crucial?)

यह व्यापार सौदा सिर्फ दो देशों के बीच का मामला नहीं है, बल्कि इसके दूरगामी परिणाम हैं:

### भारत के लिए (For India):

1. **निर्यात पर प्रभाव (Impact on Exports):**
* यदि उच्च टैरिफ लागू होते हैं, तो भारत के प्रमुख निर्यात जैसे कि ऑटोमोबाइल पार्ट्स, कृषि उत्पाद, रसायन और कपड़ा अमेरिकी बाजार में महंगे हो जाएंगे।
* इससे भारतीय कंपनियों के निर्यात ऑर्डर कम हो सकते हैं, जिससे उत्पादन और रोजगार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
* जैसे, यदि अमेरिका भारत से आयातित स्टील या एल्युमीनियम पर टैरिफ बढ़ाता है, तो भारत की उन कंपनियों को भारी नुकसान होगा जो इन धातुओं का निर्यात करती हैं।

2. **” */* Make in India” पहल पर असर (Effect on “Make in India” Initiative):**
* यह पहल भारत में विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए है। यदि निर्यात बाजार में बाधाएं आती हैं, तो ‘ */* Make in India’ की गति धीमी पड़ सकती है।
* जो कंपनियां भारत में उत्पादन करके अमेरिका को निर्यात करती हैं, उन्हें लागत बढ़ने के कारण अपनी उत्पादन रणनीतियों पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है।

3. **आर्थिक विकास (Economic Growth):**
* निर्यात एक अर्थव्यवस्था के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देता है। व्यापार में बाधाएं देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर को धीमा कर सकती हैं।
* विशेष रूप से, जब अर्थव्यवस्था पहले से ही कुछ मंदी के संकेतों का सामना कर रही हो, तो व्यापार में अनिश्चितता एक अतिरिक्त बोझ बन सकती है।

4. **निवेश का माहौल (Investment Climate):**
* व्यापार नीति में अनिश्चितता विदेशी निवेशकों को हतोत्साहित कर सकती है। यदि भारत-अमेरिका जैसे प्रमुख व्यापारिक साझेदारों के बीच संबंध तनावपूर्ण हैं, तो निवेशक भारत में निवेश करने से पहले दो बार सोच सकते हैं।

5. **” */* Strategic Autonomy” (सामरिक स्वायत्तता):**
* भारत अपनी ” */* Strategic Autonomy” ( */* सामरिक स्वायत्तता) की नीति पर जोर देता रहा है, जिसका अर्थ है कि वह अपने हितों के अनुसार निर्णय लेता है। ऐसी व्यापारिक वार्ताओं में अपनी शर्तों पर एक समझौता कर पाना, इस स्वायत्तता का एक महत्वपूर्ण पहलू है।

### संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए (For the United States):

1. **निर्वाचन क्षेत्र को संदेश (Message to the Electorate):**
* राष्ट्रपति ट्रम्प का ” */* America First” ( */* अमेरिका फर्स्ट) एजेंडा उनके चुनावी वादों का एक केंद्रीय हिस्सा रहा है। व्यापार घाटे को कम करना और अमेरिकी नौकरियों की रक्षा करना उनके एजेंडे के मुख्य बिंदु हैं।
* ऐसे सौदे पर जोर देकर, वे अपने समर्थकों को यह संदेश देते हैं कि वे अमेरिकी हितों के लिए लड़ रहे हैं।

2. **व्यापार घाटा (Trade Deficit):**
* अमेरिका भारत के साथ अपने व्यापार घाटे को लेकर हमेशा चिंतित रहा है। वे चाहते हैं कि भारत अमेरिकी उत्पादों के लिए अपना बाजार खोले और भारतीय उत्पादों पर लगे टैरिफ को कम करे।
* ट्रम्प प्रशासन ने कई देशों के साथ व्यापार असंतुलन को ठीक करने का प्रयास किया है, और भारत भी इस सूची में है।

3. **रणनीतिक गठबंधन (Strategic Alliance):**
* भारत अमेरिका का एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार है, खासकर इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में। व्यापारिक तनावों को नियंत्रित रखना इस बड़े रणनीतिक समीकरण के लिए भी महत्वपूर्ण है।

4. **रोजगार सृजन (Job Creation):**
* अमेरिकी प्रशासन का मानना है कि अनुचित व्यापार प्रथाएं अमेरिकी नौकरियों को नुकसान पहुंचाती हैं। वे उन भारतीय नीतियों को चुनौती देते हैं जो उनके अनुसार अमेरिकी कंपनियों के लिए बाधाएं खड़ी करती हैं।

## सौदे के मुख्य बिंदु और असहमति के क्षेत्र (Key Points of the Deal and Areas of Disagreement)

यह स्पष्ट है कि ट्रम्प के बयान के पीछे कुछ प्रमुख असहमति के बिंदु थे। जब एक ” */* छोटा सौदा” ( */* mini-deal) की बात हो रही थी, तो कुछ विशिष्ट मुद्दों पर सहमति बनने की उम्मीद थी। संभवतः इनमें शामिल थे:

* ** */* GSP (Generalized System of Preferences):** अमेरिका भारत को GSP के तहत मिलने वाली विशेष छूटों को वापस लेने की धमकी दे रहा था। भारत इसके बदले कुछ अमेरिकी कृषि उत्पादों पर टैरिफ कम करने की पेशकश कर सकता था।
* ** */* कृषि उत्पाद (Agricultural Products):** अमेरिका भारत में अपने कृषि उत्पादों, विशेष रूप से डेयरी, पोल्ट्री और चेरी जैसे उत्पादों के लिए बाजार खोलना चाहता था।
* ** */* मोटर वाहन और दूरसंचार (Automotive and Telecommunication):** इन क्षेत्रों में बाजार पहुंच और नियामक बाधाओं को लेकर भी बातचीत चल रही थी।
* ** */* डिजिटल सेवाएं और डेटा (Digital Services and Data):** डेटा स्थानीयकरण और डिजिटल सेवाओं पर करों को लेकर भी अमेरिका की आपत्तियां थीं।

राष्ट्रपति ट्रम्प का 20-25% टैरिफ का उल्लेख संभवतः इन किसी विशेष क्षेत्र या उत्पादों के समूह पर हो सकता था, जिसे वे भारत के ” */* संरक्षणवादी” ( */* protectionist) उपायों का जवाब मानते थे।

## 20-25% टैरिफ का संभावित प्रभाव: एक विश्लेषण (Potential Impact of 20-25% Tariffs: An Analysis)

यदि भारत पर 20-25% का टैरिफ लगाया जाता है, तो इसके कई गंभीर परिणाम हो सकते हैं:

* ** */* निर्यात में भारी गिरावट (Sharp Decline in Exports):**
* कल्पना कीजिए कि भारत से अमेरिका को निर्यात होने वाले ऑटो पार्ट्स पर 25% अतिरिक्त शुल्क लग जाए। इससे अमेरिकी कार निर्माताओं के लिए ये पार्ट्स बहुत महंगे हो जाएंगे। वे या तो वैकल्पिक स्रोत खोजेंगे या उत्पादन लागत बढ़ाएंगे।
* इसी तरह, यदि भारतीय टेक्सटाइल पर टैरिफ बढ़ता है, तो अमेरिकी रिटेलर्स भारतीय कपड़ों को कम खरीदेंगे, जिससे भारतीय कपड़ा उद्योग प्रभावित होगा।

* ** */* प्रतिस्पर्धी देशों को लाभ (Advantage to Competitor Nations):**
* अगर भारत के उत्पाद महंगे हो जाते हैं, तो अमेरिका मेक्सिको, वियतनाम या बांग्लादेश जैसे देशों से समान उत्पादों का आयात बढ़ा सकता है, जहां टैरिफ कम हों या कोई टैरिफ न हो। यह भारत के लिए एक बड़ा नुकसान होगा।

* ** */* घरेलू मूल्य श्रृंखला पर प्रभाव (Impact on Domestic Value Chains):**
* कई भारतीय कंपनियां जो अमेरिका को निर्यात करती हैं, वे घरेलू स्तर पर कच्चे माल और घटकों का भी उपयोग करती हैं। यदि निर्यात घटता है, तो इसका असर इन घरेलू आपूर्तिकर्ताओं पर भी पड़ेगा।

* ** */* जवाबी कार्रवाई की संभावना (Possibility of Retaliation):**
* अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में, अक्सर एक देश द्वारा लगाए गए टैरिफ के जवाब में दूसरा देश भी जवाबी टैरिफ लगा सकता है। यदि भारत भी अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाता है, तो यह एक ” */* व्यापार युद्ध” ( */* trade war) का रूप ले सकता है, जिससे दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं को नुकसान होगा।

## आगे की राह: एक नाजुक संतुलन (The Way Forward: A Delicate Balance)

इस स्थिति में, भारत को एक नाजुक संतुलन बनाए रखना होगा:

1. ** */* कूटनीतिक बातचीत (Diplomatic Engagement):**
* भारत को अमेरिकी प्रशासन के साथ निरंतर और गहन कूटनीतिक बातचीत जारी रखनी होगी। गलतफहमियों को दूर करना और साझा हितों पर जोर देना महत्वपूर्ण है।
* प्रमुख व्यापारिक मुद्दों पर लचीलापन दिखाना, जबकि राष्ट्रीय हितों की रक्षा करना, एक जटिल कार्य है।

2. ** */* बहुपक्षीय मंचों का उपयोग (Leveraging Multilateral Forums):**
* यदि द्विपक्षीय वार्ता विफल होती है, तो भारत विश्व व्यापार संगठन ( */* WTO) जैसे बहुपक्षीय मंचों का सहारा ले सकता है, खासकर यदि अमेरिकी कार्रवाई WTO के नियमों का उल्लंघन करती पाई जाती है।

3. ** */* बाजार विविधीकरण (Market Diversification):**
* भारत को अपनी निर्यात निर्भरता को कम करने के लिए अन्य देशों के साथ व्यापार संबंधों को मजबूत करने पर ध्यान देना चाहिए। यह किसी एक बाजार पर अत्यधिक निर्भरता के जोखिम को कम करेगा।
* */* आसियान ( */* ASEAN), */* यूरोपीय संघ ( */* EU), और */* अफ्रीका ( */* Africa) के साथ व्यापार समझौतों को मजबूत करना एक महत्वपूर्ण रणनीति हो सकती है।

4. ** */* घरेलू सुधार (Domestic Reforms):**
* भारत को अपने व्यापारिक वातावरण को और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए आंतरिक सुधार जारी रखने चाहिए। इसमें नियामक प्रक्रियाओं को सरल बनाना, लॉजिस्टिक्स में सुधार करना और नवाचार को बढ़ावा देना शामिल है।
* */* Ease of Doing Business ( */* व्यवसाय करने में आसानी) को बेहतर बनाने के प्रयास, भारत को वैश्विक व्यापार में अधिक आकर्षक बनाएंगे।

5. ** */* ” */* Strategic Restraint” (रणनीतिक संयम):**
* */* GSP या अन्य रियायतों के हटने की स्थिति में, भारत को तुरंत जवाबी कार्रवाई करने के बजाय, स्थिति का आकलन करना चाहिए और एक सोचा-समझा जवाब देना चाहिए।

## UPSC के लिए मुख्य बिंदु (Key Takeaways for UPSC):

यह पूरा घटनाक्रम UPSC के विभिन्न पेपरों के लिए प्रासंगिक है:

* ** */* GS Paper II (International Relations):**
* भारत-अमेरिका संबंध, भू-राजनीतिक समीकरण।
* */* GSP, टैरिफ, व्यापार समझौते, संरक्षणवाद।
* */* WTO के नियम और व्यापार विवाद।
* */* इंडो-पैसिफिक रणनीति में भारत की भूमिका।

* ** */* GS Paper III (Economy):**
* */* भारत की अर्थव्यवस्था पर अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का प्रभाव।
* */* निर्यात, आयात, व्यापार संतुलन।
* */* ” */* Make in India”, ” */* Digital India” जैसी पहलों पर असर।
* */* विदेशी निवेश ( */* FDI) और व्यापार नीतियों का संबंध।
* */* मुद्रास्फीति और उपभोक्ता मूल्य पर टैरिफ का प्रभाव।

* ** */* GS Paper IV (Ethics and Governance):**
* */* राष्ट्रीय हित बनाम अंतर्राष्ट्रीय सहयोग।
* */* व्यापार वार्ताओं में निष्पक्षता और पारदर्शिता।
* */* वैश्विक शासन में राष्ट्रों की भूमिका।

## निष्कर्ष (Conclusion):

भारत-अमेरिका व्यापार सौदा, विशेष रूप से राष्ट्रपति ट्रम्प के हालिया बयान के संदर्भ में, वैश्विक व्यापार की जटिल और गतिशील प्रकृति का एक स्पष्ट उदाहरण है। यह दिखाता है कि कैसे एक देश के भीतर की राजनीतिक और आर्थिक मजबूरियां अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को प्रभावित कर सकती हैं। भारत के लिए, यह न केवल एक आर्थिक चुनौती है, बल्कि अपनी कूटनीतिक कौशल और रणनीतिक लचीलेपन का प्रदर्शन करने का भी अवसर है। एक मजबूत और संतुलित व्यापार नीति, बाजार विविधीकरण और निरंतर कूटनीतिक प्रयासों के माध्यम से, भारत इस परिदृश्य को अपने पक्ष में मोड़ने का प्रयास कर सकता है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि उसके राष्ट्रीय हित सुरक्षित रहें और उसकी आर्थिक प्रगति की गति बनी रहे।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

1. हाल ही में भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता के संदर्भ में, संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा भारत को दी जाने वाली किस विशेष व्यापार रियायत को समाप्त करने की धमकी दी गई थी?
a) */* Most Favored Nation (MFN) Status
b) */* Generalized System of Preferences (GSP)
c) */* Free Trade Agreement (FTA) benefits
d) */* Special Economic Zone (SEZ) privileges
**उत्तर:** b) */* Generalized System of Preferences (GSP)
**व्याख्या:** अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत को GSP के तहत प्राप्त होने वाली तरजीही बाजार पहुंच को समाप्त करने की धमकी दी थी, जो भारत के लिए एक महत्वपूर्ण निर्यात चिंता का विषय था।

2. राष्ट्रपति ट्रम्प द्वारा भारत से आयातित कुछ वस्तुओं पर संभावित 20-25% टैरिफ का उल्लेख, किस प्रमुख आर्थिक उद्देश्य को दर्शाता है?
a) */* भारत में विदेशी निवेश को बढ़ावा देना
b) */* भारतीय उत्पादों की अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाना
c) */* द्विपक्षीय व्यापार घाटे को कम करना और घरेलू उद्योगों की रक्षा करना
d) */* भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते को बढ़ावा देना
**उत्तर:** c) */* द्विपक्षीय व्यापार घाटे को कम करना और घरेलू उद्योगों की रक्षा करना
**व्याख्या:** राष्ट्रपति ट्रम्प का ” */* America First” एजेंडा अक्सर व्यापार घाटे को कम करने और अमेरिकी नौकरियों तथा उद्योगों की रक्षा करने पर केंद्रित रहा है। आयात पर टैरिफ बढ़ाना इसी का एक तरीका है।

3. ” */* Make in India” पहल के संदर्भ में, भारत पर संभावित उच्च अमेरिकी टैरिफ का क्या प्रभाव पड़ सकता है?
a) */* यह पहल को मजबूत करेगा और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देगा।
b) */* यह भारतीय निर्यातकों के लिए लागत बढ़ाएगा, जिससे अमेरिकी बाजार में उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता कम होगी।
c) */* यह अमेरिकी कंपनियों को भारत में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करेगा।
d) */* इसका ” */* Make in India” पर कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं पड़ेगा।
**उत्तर:** b) */* यह भारतीय निर्यातकों के लिए लागत बढ़ाएगा, जिससे अमेरिकी बाजार में उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता कम होगी।
**व्याख्या:** उच्च टैरिफ भारतीय उत्पादों को अमेरिकी बाजार में महंगा बना देंगे, जिससे निर्यातकों को नुकसान होगा और ‘ */* Make in India’ के वैश्विक विस्तार के लक्ष्य को झटका लग सकता है।

4. निम्नलिखित में से कौन सा मुद्दा भारत-अमेरिका व्यापार वार्ताओं में प्रमुख असहमति का बिंदु रहा है?
a) */* अंतरिक्ष अन्वेषण सहयोग
b) */* कृषि उत्पादों के लिए बाजार पहुंच और टैरिफ
c) */* संयुक्त सैन्य अभ्यास
d) */* आतंकवादी समूहों के खिलाफ कार्रवाई
**उत्तर:** b) */* कृषि उत्पादों के लिए बाजार पहुंच और टैरिफ
**व्याख्या:** अमेरिका द्वारा भारत में अपने कृषि उत्पादों, जैसे डेयरी और पोल्ट्री के लिए अधिक बाजार पहुंच की मांग, और भारत द्वारा उन पर लगाए गए टैरिफ, वार्ताओं में एक प्रमुख बिंदु रहे हैं।

5. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में ” */* संरक्षणवाद” ( */* Protectionism) से आप क्या समझते हैं?
a) */* सभी देशों के बीच मुक्त व्यापार को बढ़ावा देना।
b) */* घरेलू उद्योगों की रक्षा के लिए आयात पर टैरिफ, कोटा और अन्य बाधाएं लगाना।
c) */* अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी देना।
d) */* व्यापार वार्ताओं में पारदर्शिता सुनिश्चित करना।
**उत्तर:** b) */* घरेलू उद्योगों की रक्षा के लिए आयात पर टैरिफ, कोटा और अन्य बाधाएं लगाना।
**व्याख्या:** संरक्षणवाद वह नीति है जिसके तहत सरकारें घरेलू उद्योगों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाने के लिए विभिन्न उपायों का सहारा लेती हैं।

6. यदि भारत पर उच्च टैरिफ लगाए जाते हैं, तो किस अन्य देश को संभावित रूप से लाभ हो सकता है?
a) */* चीन
b) */* ब्राजील
c) */* मेक्सिको
d) */* उपरोक्त सभी
**उत्तर:** d) */* उपरोक्त सभी
**व्याख्या:** यदि भारत के उत्पाद महंगे होते हैं, तो अमेरिका समान या स्थानापन्न उत्पादों के लिए अन्य देशों, जैसे मेक्सिको ( */* NAFTA/USMCA का हिस्सा), ब्राजील ( */* कृषि उत्पाद) या चीन ( */* विभिन्न विनिर्मित वस्तुएं) का रुख कर सकता है।

7. विश्व व्यापार संगठन ( */* WTO) का प्राथमिक उद्देश्य क्या है?
a) */* सदस्य देशों के बीच मुक्त व्यापार को बढ़ावा देना और व्यापार बाधाओं को कम करना।
b) */* सदस्य देशों के बीच व्यापार असंतुलन को स्वचालित रूप से ठीक करना।
c) */* वैश्विक व्यापार में एक विशेष देश के हितों की वकालत करना।
d) */* राष्ट्रीय सरकारों को अपनी व्यापार नीतियां स्वयं निर्धारित करने के लिए प्रोत्साहित करना।
**उत्तर:** a) */* सदस्य देशों के बीच मुक्त व्यापार को बढ़ावा देना और व्यापार बाधाओं को कम करना।
**व्याख्या:** WTO एक ऐसा मंच है जो देशों के बीच व्यापार को सुचारू, अनुमानित और मुक्त बनाने के लिए नियम निर्धारित करता है।

8. ” */* Trade Deficit” ( */* व्यापार घाटा) का क्या अर्थ है?
a) */* जब किसी देश का निर्यात उसके आयात से अधिक हो।
b) */* जब किसी देश का आयात उसके निर्यात से अधिक हो।
c) */* जब किसी देश का निर्यात और आयात बराबर हो।
d) */* जब किसी देश के निर्यात पर उच्च टैरिफ लगाया जाता है।
**उत्तर:** b) */* जब किसी देश का आयात उसके निर्यात से अधिक हो।
**व्याख्या:** व्यापार घाटा तब होता है जब एक देश दूसरे देश से जितना सामान खरीदता है (आयात) उससे कम सामान बेचता है (निर्यात)।

9. भारत की ” */* Strategic Autonomy” ( */* सामरिक स्वायत्तता) नीति का क्या अर्थ है?
a) */* अन्य देशों पर पूर्ण आर्थिक निर्भरता।
b) */* अपने राष्ट्रीय हितों के अनुसार स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने की क्षमता, बिना किसी बाहरी दबाव के।
c) */* केवल प्रमुख शक्तियों के साथ गठबंधन करना।
d) */* वैश्विक मामलों से पूरी तरह अलग रहना।
**उत्तर:** b) */* अपने राष्ट्रीय हितों के अनुसार स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने की क्षमता, बिना किसी बाहरी दबाव के।
**व्याख्या:** सामरिक स्वायत्तता का अर्थ है कि भारत अपनी विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा के निर्णय लेते समय किसी एक गुट या देश पर निर्भर नहीं रहेगा, बल्कि अपने हितों को सर्वोपरि रखेगा।

10. यदि भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता विफल हो जाती है और अमेरिका टैरिफ लगाता है, तो भारत को अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संगठनों के नियमों के तहत क्या कदम उठाने का अधिकार हो सकता है?
a) */* तुरंत अमेरिकी उत्पादों पर जवाबी टैरिफ लगाना।
b) */* विश्व व्यापार संगठन ( */* WTO) में शिकायत दर्ज करना, यदि कार्रवाई नियमों का उल्लंघन करती है।
c) */* सभी द्विपक्षीय व्यापारिक संबंध तोड़ देना।
d) */* अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ( */* IMF) से तत्काल वित्तीय सहायता मांगना।
**उत्तर:** b) */* विश्व व्यापार संगठन ( */* WTO) में शिकायत दर्ज करना, यदि कार्रवाई नियमों का उल्लंघन करती है।
**व्याख्या:** WTO के विवाद समाधान तंत्र के तहत, यदि कोई देश मानता है कि दूसरा देश नियमों का उल्लंघन कर रहा है, तो वह शिकायत दर्ज करा सकता है।

मुख्य परीक्षा (Mains)

1. **भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों के संदर्भ में, अमेरिकी टैरिफ की धमकी और संभावित 20-25% टैरिफ दर के भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले संभावित प्रभावों का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें। अपने उत्तर में, ‘ */* Make in India’ पहल और भारत के निर्यात क्षेत्र पर पड़ने वाले असर पर विशेष ध्यान दें।**
*(यह प्रश्न GS Paper III – Economy और GS Paper II – International Relations से संबंधित है। इसमें आर्थिक प्रभाव, नीतिगत चुनौतियों और भारत की प्रतिक्रिया का विश्लेषण पूछा गया है।)*

2. **वैश्विक व्यापार में ” */* संरक्षणवाद” ( */* Protectionism) के बढ़ते चलन के बीच, भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता के मुद्दे को रखें। भारत को अपनी ” */* Strategic Autonomy” ( */* सामरिक स्वायत्तता) बनाए रखते हुए इन चुनौतियों से निपटने के लिए क्या रणनीतिक विकल्प अपनाने चाहिए? अपने उत्तर में बाजार विविधीकरण और बहुपक्षीय मंचों के उपयोग जैसे पहलुओं पर चर्चा करें।**
*(यह प्रश्न GS Paper II – International Relations और GS Paper IV – Ethics (राष्ट्रीय हित बनाम अंतर्राष्ट्रीय सहयोग) से संबंधित है। यह भू-राजनीतिक रणनीति और कूटनीतिक चुनौतियों का विश्लेषण मांगता है।)*

3. **हालिया भारत-अमेरिका व्यापार तनाव के प्रकाश में, द्विपक्षीय व्यापार समझौतों की प्रकृति और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में असहमति को सुलझाने के लिए WTO जैसे बहुपक्षीय संस्थानों की भूमिका का विश्लेषण करें। क्या विकसित देश अक्सर अपने आर्थिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए इन संस्थानों का उपयोग करते हैं, या उनकी भूमिका निष्पक्ष मध्यस्थ की है?**
*(यह प्रश्न GS Paper II – International Relations और GS Paper III – Economy से संबंधित है। यह अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों की प्रभावशीलता और सदस्य देशों के व्यवहार का विश्लेषण करता है।)*

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