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अमेरिकी टैरिफ का राजनीतिक भूकंप: विपक्ष का मोदी सरकार पर हमला, क्या ‘दोस्ती’ की कीमत चुकानी पड़ रही है?

अमेरिकी टैरिफ का राजनीतिक भूकंप: विपक्ष का मोदी सरकार पर हमला, क्या ‘दोस्ती’ की कीमत चुकानी पड़ रही है?

चर्चा में क्यों? (Why in News?):

हाल के दिनों में, संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए टैरिफ (शुल्क) एक बार फिर से चर्चा का विषय बन गए हैं। इस बार, यह मुद्दा न केवल अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के गलियारों में गूंज रहा है, बल्कि भारत की घरेलू राजनीति में भी इसने गरमाहट ला दी है। प्रमुख विपक्षी दलों ने अमेरिकी टैरिफ को लेकर सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार पर निशाना साधा है। उनका आरोप है कि ‘ट्रंप की दोस्ती’ के नाम पर व्यापारिक रियायतें देने की कोशिशें विफल रहीं और अब इसका खामियाजा देश को भुगतना पड़ रहा है। यह ब्लॉग पोस्ट इस पूरे मामले का गहराई से विश्लेषण करेगा, UPSC उम्मीदवारों को इसके विभिन्न पहलुओं, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के सिद्धांतों, भारत की विदेश नीति और घरेलू राजनीतिक प्रतिक्रियाओं को समझने में मदद करेगा।

पृष्ठभूमि: भारत-अमेरिका व्यापारिक संबंध और टैरिफ का इतिहास

भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंध दशकों से विकसित हो रहे हैं। हाल के वर्षों में, विशेष रूप से डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान, यह संबंध और अधिक गतिशील हो गया, जिसे अक्सर ‘विशेष दोस्ती’ के रूप में देखा जाता था। हालांकि, इस ‘दोस्ती’ के साथ-साथ व्यापार में असंतुलन और विभिन्न टैरिफ को लेकर तनातनी भी बढ़ती गई।

  • जीएसपी (GSP) का निलंबन: ट्रम्प प्रशासन ने भारत को तरजीही सामान्यीकृत प्रणाली (Generalized System of Preferences – GSP) से बाहर कर दिया था। इस प्रणाली के तहत, कई भारतीय उत्पादों को अमेरिकी बाजार में शुल्क-मुक्त प्रवेश मिलता था। अमेरिका का तर्क था कि भारत अमेरिकी उत्पादों के लिए अपने बाजार तक समान पहुंच नहीं देता है।
  • प्रतिशोधात्मक टैरिफ: भारत ने भी अमेरिकी इस्पात और कुछ अन्य उत्पादों पर जवाबी टैरिफ लगाए थे, जिसका कारण अमेरिकी टैरिफ थे।
  • ‘अमेरिका फर्स्ट’ की नीति: ट्रम्प प्रशासन की ‘अमेरिका फर्स्ट’ की नीति ने वैश्विक व्यापार नियमों को चुनौती दी और कई देशों के साथ व्यापारिक युद्धों को जन्म दिया, जिसमें भारत भी एक प्रमुख भागीदार रहा।

यह समझना महत्वपूर्ण है कि टैरिफ क्या होते हैं और वे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को कैसे प्रभावित करते हैं।

“टैरिफ (Tariff) एक प्रकार का कर है जो किसी देश की सीमा के पार आयात (Import) या निर्यात (Export) की जाने वाली वस्तुओं पर लगाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य घरेलू उद्योगों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाना, सरकारी राजस्व बढ़ाना या राजनीतिक उद्देश्य साधना होता है।”

विपक्ष का मोदी सरकार पर आरोप: ‘दोस्ती’ की कीमत?

विपक्षी दलों, विशेष रूप से कांग्रेस, ने अमेरिकी टैरिफ के मुद्दे पर मोदी सरकार की विदेश और व्यापार नीति पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उनके मुख्य आरोप इस प्रकार हैं:

  1. कथित ‘खुश करने’ की रणनीति: विपक्ष का दावा है कि मोदी सरकार ने अमेरिका को खुश करने के लिए व्यापारिक नियमों में ढील देने या कुछ रियायतें देने की कोशिश की, जिसके बदले में उन्हें कोई खास फायदा नहीं हुआ, बल्कि अमेरिका ने अपने टैरिफ बढ़ा दिए।
  2. ‘ट्रंप की दोस्ती’ का खोखलापन: विपक्षी नेताओं ने यह कहकर सरकार पर कटाक्ष किया कि अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ व्यक्तिगत ‘दोस्ती’ का कोई खास परिणाम नहीं निकला, और अंततः अमेरिकी राष्ट्रीय हित ही सर्वोपरि रहे।
  3. कमजोर बातचीत की क्षमता: यह भी आरोप लगाया गया है कि सरकार अमेरिकी दबाव के सामने झुक गई और अपनी बातचीत की क्षमता का प्रभावी ढंग से उपयोग नहीं कर पाई, जिसके कारण भारत को टैरिफ के रूप में नुकसान उठाना पड़ा।
  4. राष्ट्रीय हितों की अनदेखी: विपक्ष का मानना है कि सरकार ने घरेलू उत्पादकों और श्रमिकों के हितों की रक्षा करने में विफलता दिखाई है, जो इस व्यापारिक तनातनी से सीधे प्रभावित होते हैं।

यह आरोप-प्रत्यारोप भारत की द्विपक्षीय व्यापार नीतियों की जटिलताओं और राजनीतिकरण को दर्शाता है। UPSC उम्मीदवार के तौर पर, हमें केवल राजनीतिक बयानों से आगे बढ़कर तथ्यों का विश्लेषण करना चाहिए।

अमेरिकी टैरिफ के भारत पर प्रभाव

अमेरिकी टैरिफ का भारत की अर्थव्यवस्था और विशिष्ट क्षेत्रों पर बहुआयामी प्रभाव पड़ता है:

  • निर्यात पर असर: उच्च टैरिफ भारतीय निर्यातकों के लिए अमेरिकी बाजारों तक पहुंच को महंगा बना देते हैं, जिससे उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता कम हो जाती है। इससे निर्यात की मात्रा घट सकती है।
  • आयात की लागत में वृद्धि: यदि भारत अमेरिका से कोई महत्वपूर्ण कच्चा माल या मशीनरी आयात करता है और उस पर टैरिफ लगता है, तो यह घरेलू उद्योगों की लागत बढ़ा सकता है।
  • रोजगार पर प्रभाव: निर्यात-उन्मुख उद्योगों में कमी आने से रोजगार सृजन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
  • व्यापार घाटा/अधिशेष: टैरिफ नीति व्यापार असंतुलन को प्रभावित कर सकती है।
  • विनिर्माण क्षेत्र: इस्पात और एल्यूमीनियम जैसे क्षेत्रों पर सीधे तौर पर प्रभाव पड़ता है, जो अक्सर टैरिफ युद्धों के केंद्र में रहते हैं।
  • समग्र आर्थिक वृद्धि: अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में अनिश्चितता और बाधाएं समग्र आर्थिक गतिविधियों को धीमा कर सकती हैं।

सरकार का पक्ष और बचाव

आमतौर पर, किसी भी सरकार की तरह, मोदी सरकार भी इन आलोचनाओं का जवाब देती है। हालांकि विशिष्ट प्रतिक्रियाएँ भिन्न हो सकती हैं, लेकिन संभावित सरकारी तर्क इस प्रकार हो सकते हैं:

  • रणनीतिक बातचीत: सरकार यह तर्क दे सकती है कि वह अमेरिकी टैरिफ के मुद्दे पर ‘रणनीतिक बातचीत’ कर रही है ताकि दोनों देशों के हित सुरक्षित रहें।
  • दीर्घकालिक संबंध: हो सकता है कि सरकार अल्पकालिक व्यापारिक नुकसान को दीर्घकालिक रणनीतिक साझेदारी के लिए स्वीकार कर रही हो।
  • अन्य क्षेत्रों में सहयोग: यह भी संभव है कि सरकार अन्य क्षेत्रों में बढ़ते सहयोग (जैसे रक्षा, आतंकवाद विरोधी, हिंद-प्रशांत रणनीति) को प्राथमिकता दे रही हो।
  • वैश्विक व्यापारिक परिदृश्य: सरकार यह भी कह सकती है कि ये टैरिफ वैश्विक व्यापारिक वातावरण में बदलावों का हिस्सा हैं, जो केवल भारत-अमेरिका संबंधों तक सीमित नहीं हैं।
  • घरेलू उद्योगों का समर्थन: सरकार अपने ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसे अभियानों के माध्यम से घरेलू उद्योगों को मजबूत करने पर जोर दे सकती है ताकि वे वैश्विक झटकों का सामना कर सकें।

UPSC परीक्षा के लिए विश्लेषण: क्यों महत्वपूर्ण है?

यह मुद्दा UPSC सिविल सेवा परीक्षा के विभिन्न चरणों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है:

  • प्रारंभिक परीक्षा (Prelims):
    • अंतर्राष्ट्रीय संगठन (WTO)।
    • व्यापारिक शब्द (टैरिफ, कोटा, डंपिंग, एंटी-डंपिंग ड्यूटी)।
    • भारत के प्रमुख व्यापारिक भागीदार।
    • भारत के अंतर्राष्ट्रीय समझौते और नीतियां।
    • अर्थव्यवस्था से संबंधित प्रश्न।
  • मुख्य परीक्षा (Mains):
    • GS Paper I: अंतर्राष्ट्रीय भू-राजनीतिक मुद्दे, भारत की विदेश नीति।
    • GS Paper II: भारत और उसके पड़ोसी देशों के संबंध, द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और समझौते जिनमें भारत शामिल है या जो भारत के हितों को प्रभावित करते हैं।
    • GS Paper III: भारतीय अर्थव्यवस्था और भारतीय अर्थव्यवस्था से संबंधित मुद्दे, योजना, संसाधन, विकास, विकास, रोजगार, समावेशी विकास से संबंधित मुद्दे।
  • निबंध (Essay): वैश्विक व्यापार युद्ध, भारत की आर्थिक कूटनीति, अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में राष्ट्रवाद के प्रभाव जैसे विषयों पर निबंध लिखने के लिए एक उत्कृष्ट केस स्टडी।

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के सिद्धांत और प्रासंगिकता

यह घटना अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के कुछ मूलभूत सिद्धांतों पर प्रकाश डालती है:

  • तुलनात्मक लाभ (Comparative Advantage): प्रत्येक देश को उन वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जहां वह दूसरों की तुलना में अधिक कुशलता से उत्पादन कर सकता है। टैरिफ इस सिद्धांत को कमजोर करते हैं।
  • मुक्त व्यापार (Free Trade) बनाम संरक्षणवाद (Protectionism): यह टैरिफ बहस मुक्त व्यापार के फायदों (जैसे कम कीमतें, अधिक विकल्प) और संरक्षणवाद की मंशा (घरेलू उद्योगों की रक्षा) के बीच की खींचतान को दर्शाती है।
  • विश्व व्यापार संगठन (WTO): WTO नियमों के तहत, टैरिफ लगाने के कुछ विशिष्ट कारण होते हैं (जैसे डंपिंग से बचाव), लेकिन मनमाने ढंग से टैरिफ लगाना नियमों का उल्लंघन हो सकता है।
  • राजनीति और अर्थशास्त्र का संगम: जैसा कि इस मामले में देखा जा रहा है, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार अक्सर राष्ट्रीय राजनीति से गहराई से जुड़ा होता है। ‘दोस्ती’ या ‘संबंध’ जैसे शब्द आर्थिक निर्णयों को प्रभावित कर सकते हैं।

क्या ‘दोस्ती’ की कीमत चुकानी पड़ रही है? एक निष्पक्ष विश्लेषण

यह कहना कि ‘ट्रंप की दोस्ती से कुछ नहीं मिला’ एक अतिसरलीकरण हो सकता है। अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में, ‘दोस्ती’ या ‘साझेदारी’ का अर्थ केवल तात्कालिक आर्थिक लाभ नहीं होता। इसमें रणनीतिक संरेखण, सूचना साझाकरण, बहुपक्षीय मंचों पर समर्थन आदि भी शामिल हो सकता है।

सरकार के दृष्टिकोण से:

  • ट्रम्प प्रशासन के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने से भारत को कुछ रणनीतिक क्षेत्रों में लाभ हुआ होगा, जैसे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग, रक्षा सौदे, या अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर कुछ मुद्दों पर अमेरिकी समर्थन।
  • भारत ने जीएसपी से बाहर किए जाने के बावजूद अमेरिका के साथ अपने व्यापार को बनाए रखा, जो बाजार की मांग और भारतीय निर्यातकों के लचीलेपन को दर्शाता है।

विपक्ष के दृष्टिकोण से:

  • हालांकि, यदि अच्छे संबंधों के बदले में भारत को महत्वपूर्ण आर्थिक रियायतें नहीं मिलीं या टैरिफ के रूप में नुकसान हुआ, तो विपक्ष का आरोप जायज ठहराया जा सकता है कि यह ‘दोस्ती’ आर्थिक रूप से उतनी फायदेमंद नहीं रही जितनी उम्मीद की गई थी।
  • यह भी देखना होगा कि क्या भारत ने अमेरिका के दबाव के आगे झुककर अपने राष्ट्रीय आर्थिक हितों से समझौता किया।

आगे की राह: भारत के लिए रणनीतियाँ

अमेरिकी टैरिफ और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में बढ़ती अनिश्चितता के बीच, भारत को अपनी आर्थिक कूटनीति को मजबूत करने की आवश्यकता है। कुछ प्रमुख रणनीतियाँ हो सकती हैं:

  • विविधीकरण (Diversification): केवल कुछ देशों पर निर्भर रहने के बजाय, भारत को अपने व्यापारिक भागीदारों का विविधीकरण करना चाहिए। नए बाजारों की तलाश और यूरोपीय संघ, आसियान, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका जैसे क्षेत्रों के साथ व्यापार संबंधों को मजबूत करना महत्वपूर्ण है।
  • मुक्त व्यापार समझौतों (FTAs) पर जोर: भारत को सक्रिय रूप से मुक्त व्यापार समझौतों पर बातचीत करनी चाहिए ताकि आयात-निर्यात को बढ़ावा मिल सके और टैरिफ बाधाओं को कम किया जा सके।
  • आंतरिक सुधार: ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसी पहलों को और तेज करना, विनिर्माण को बढ़ावा देना, रसद (logistics) में सुधार करना और लालफीताशाही (red tape) को कम करना भारत को वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं (global value chains) में अधिक प्रतिस्पर्धी बना सकता है।
  • रणनीतिक बातचीत: अमेरिकी टैरिफ जैसे मुद्दों पर द्विपक्षीय बातचीत में मुखर और दृढ़ रहना, साथ ही WTO जैसे बहुपक्षीय मंचों का प्रभावी ढंग से उपयोग करना।
  • विनिर्माण को बढ़ावा: उच्च-मूल्य वाले विनिर्माण को बढ़ावा देने से भारत की निर्यात टोकरी में विविधता आएगी और वह विशिष्ट क्षेत्रों पर निर्भरता कम कर सकेगा।
  • आर्थिक कूटनीति: भारत को अपनी आर्थिक कूटनीति को मजबूत करना होगा, जहां आर्थिक हित और राजनीतिक संबंध साथ-साथ चलें, न कि एक-दूसरे के विरुद्ध।

निष्कर्ष

अमेरिकी टैरिफ का मुद्दा केवल एक व्यापारिक विवाद नहीं है, बल्कि यह भारत की विदेश नीति, आर्थिक रणनीति और घरेलू राजनीति के अंतर्संबंधों को भी उजागर करता है। विपक्ष द्वारा उठाए गए सवाल महत्वपूर्ण हैं और सरकार के लिए विचारणीय हैं। ‘ट्रंप की दोस्ती’ की उपाधि शायद भ्रामक थी, क्योंकि अंततः सभी देश अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देते हैं। UPSC उम्मीदवारों के लिए, इस घटना का विश्लेषण अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के सिद्धांतों, भू-राजनीतिक गठबंधनों के प्रभाव और आर्थिक निर्णय लेने की जटिलताओं को समझने का एक उत्कृष्ट अवसर प्रदान करता है। भारत को एक मजबूत, आत्मनिर्भर और विविध अर्थव्यवस्था बनाने के लिए अपनी रणनीतियों को लगातार अनुकूलित करते रहना होगा, ताकि वह वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं का सामना कर सके और अपने नागरिकों के लिए समृद्धि सुनिश्चित कर सके।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

  1. प्रश्न 1: हाल ही में चर्चा में रहे ‘जीएसपी’ (GSP) का पूर्ण रूप क्या है?

    (a) सामान्यीकृत शुल्क प्रणाली (Generalised Tariff System)

    (b) सामान्यीकृत विशेष वरीयताएँ (Generalized System of Preferences)

    (c) वैश्विक व्यापार समझौते (Global Trade Agreement)

    (d) सामान्यीकृत आपूर्ति श्रृंखला (Generalized Supply Chain)

    उत्तर: (b) सामान्यीकृत विशेष वरीयताएँ (Generalized System of Preferences)

    व्याख्या: जीएसपी एक अमेरिकी व्यापार कार्यक्रम है जो विकासशील देशों को अमेरिका को निर्यात किए जाने वाले कुछ उत्पादों पर शुल्क-मुक्त प्रवेश की अनुमति देता है।
  2. प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा टैरिफ लगाने का एक संभावित कारण नहीं है?

    (a) घरेलू उद्योगों को संरक्षण देना

    (b) सरकारी राजस्व बढ़ाना

    (c) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को प्रोत्साहित करना

    (d) घरेलू उपभोक्ताओं के लिए कीमतों को नियंत्रित करना (कुछ विशेष परिस्थितियों में)

    उत्तर: (c) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को प्रोत्साहित करना

    व्याख्या: टैरिफ आमतौर पर अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को हतोत्साहित करते हैं, विशेष रूप से आयात को।
  3. प्रश्न 3: विश्व व्यापार संगठन (WTO) के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?

    1. WTO मुक्त व्यापार को बढ़ावा देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय व्यापार नियमों को स्थापित करता है।

    2. WTO सदस्य देशों के बीच व्यापार विवादों को सुलझाने के लिए एक तंत्र प्रदान करता है।

    3. WTO सभी प्रकार के टैरिफ लगाने की अनुमति देता है।

    सही कूट का चयन करें:

    (a) केवल 1 और 2

    (b) केवल 2 और 3

    (c) केवल 1 और 3

    (d) 1, 2 और 3

    उत्तर: (a) केवल 1 और 2

    व्याख्या: WTO नियमों के तहत टैरिफ लगाने की अनुमति विशिष्ट परिस्थितियों में होती है, सभी प्रकार के मनमाने टैरिफ नहीं।
  4. प्रश्न 4: ‘अमेरिका फर्स्ट’ (America First) नीति का संबंध किस अमेरिकी राष्ट्रपति के कार्यकाल से है?

    (a) बराक ओबामा

    (b) डोनाल्ड ट्रम्प

    (c) जो बिडेन

    (d) जॉर्ज डब्लू. बुश

    उत्तर: (b) डोनाल्ड ट्रम्प

    व्याख्या: डोनाल्ड ट्रम्प ने अपनी ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति के तहत कई वैश्विक व्यापार समझौतों और नियमों पर पुनर्विचार किया।
  5. प्रश्न 5: भारत द्वारा अमेरिका पर लगाए गए संभावित जवाबी टैरिफ किस आर्थिक सिद्धांत का उदाहरण हैं?

    (a) तुलनात्मक लाभ (Comparative Advantage)

    (b) संरक्षणवाद (Protectionism)

    (c) मुक्त व्यापार (Free Trade)

    (d) व्यापार संतुलन (Trade Balance)

    उत्तर: (b) संरक्षणवाद (Protectionism)

    व्याख्या: जवाबी टैरिफ घरेलू उद्योगों को बचाने या दूसरे देश पर दबाव बनाने के लिए लगाए जाते हैं, जो संरक्षणवाद का एक रूप है।
  6. प्रश्न 6: निम्नलिखित में से कौन सा एक भारतीय निर्यात-उन्मुख उद्योग है जो टैरिफ जैसे अंतर्राष्ट्रीय व्यापारिक उतार-चढ़ावों से प्रभावित हो सकता है?

    (a) आईटी सेवाएँ

    (b) फार्मास्यूटिकल्स

    (c) कपड़ा और परिधान

    (d) उपरोक्त सभी

    उत्तर: (d) उपरोक्त सभी

    व्याख्या: ये सभी क्षेत्र बड़े पैमाने पर निर्यात पर निर्भर करते हैं और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार नीतियों से प्रभावित होते हैं।
  7. प्रश्न 7: ‘व्यापार युद्ध’ (Trade War) से आप क्या समझते हैं?

    (a) विभिन्न देशों के बीच मुक्त व्यापार को बढ़ावा देना।

    (b) विभिन्न देशों द्वारा एक-दूसरे पर लगाए गए आयात शुल्कों (टैरिफ) की श्रृंखला।

    (c) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को विनियमित करने वाले WTO के नियमों का उल्लंघन।

    (d) देशों के बीच केवल रक्षा उपकरणों का व्यापार।

    उत्तर: (b) विभिन्न देशों द्वारा एक-दूसरे पर लगाए गए आयात शुल्कों (टैरिफ) की श्रृंखला।

    व्याख्या: व्यापार युद्ध तब होता है जब देश एक-दूसरे के उत्पादों पर टैरिफ और अन्य प्रतिबंध लगाते हैं।
  8. प्रश्न 8: ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान का मुख्य उद्देश्य क्या है?

    (a) केवल आयात को बढ़ावा देना।

    (b) भारत को आत्मनिर्भर और विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाना।

    (c) केवल रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना।

    (d) विदेशी निवेश को पूरी तरह से रोकना।

    उत्तर: (b) भारत को आत्मनिर्भर और विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाना।

    व्याख्या: यह अभियान घरेलू उत्पादन, नवाचार और आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करने पर केंद्रित है।
  9. प्रश्न 9: निम्नलिखित में से कौन सा भारत का एक प्रमुख व्यापारिक भागीदार (निर्यात और आयात दोनों के संदर्भ में) है?

    (a) पाकिस्तान

    (b) संयुक्त राज्य अमेरिका

    (c) नेपाल

    (d) बांग्लादेश

    उत्तर: (b) संयुक्त राज्य अमेरिका

    व्याख्या: संयुक्त राज्य अमेरिका भारत के शीर्ष व्यापारिक भागीदारों में से एक है।
  10. प्रश्न 10: अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में ‘डंपिंग’ (Dumping) का क्या अर्थ है?

    (a) किसी उत्पाद का अपने घरेलू बाजार की तुलना में विदेशी बाजार में बहुत कम कीमत पर निर्यात करना।

    (b) किसी उत्पाद का अपने विदेशी बाजार की तुलना में घरेलू बाजार में बहुत कम कीमत पर निर्यात करना।

    (c) दो देशों के बीच व्यापार को रोकना।

    (d) किसी उत्पाद को बिना किसी कर के आयात करना।

    उत्तर: (a) किसी उत्पाद का अपने घरेलू बाजार की तुलना में विदेशी बाजार में बहुत कम कीमत पर निर्यात करना।

    व्याख्या: डंपिंग को अक्सर अनुचित प्रतिस्पर्धा माना जाता है और WTO इसके खिलाफ उपाय करने की अनुमति देता है।

मुख्य परीक्षा (Mains)

  1. प्रश्न 1: हालिया अमेरिकी टैरिफ के संदर्भ में, भारत-अमेरिका व्यापारिक संबंधों में संरक्षणवाद (protectionism) और मुक्त व्यापार (free trade) के बीच संतुलन स्थापित करने की चुनौतियों का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें। आपकी राय में, भारत को अपनी आर्थिक कूटनीति को कैसे मजबूत करना चाहिए? (लगभग 250 शब्द)
  2. प्रश्न 2: “अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में ‘दोस्ती’ की अवधारणा अक्सर राष्ट्रीय आर्थिक हितों की प्राथमिकता को चुनौती देती है।” इस कथन के आलोक में, अमेरिका के साथ भारत के व्यापारिक संबंधों पर हालिया टैरिफ विवाद का विश्लेषण करें और बताएं कि यह भारत की विदेश और व्यापार नीतियों के लिए क्या सबक सिखाता है। (लगभग 250 शब्द)
  3. प्रश्न 3: अमेरिकी टैरिफ जैसे बाहरी व्यापारिक झटकों का भारतीय अर्थव्यवस्था, विशेष रूप से निर्यात-उन्मुख क्षेत्रों और रोजगार पर पड़ने वाले संभावित प्रभावों की चर्चा करें। इन झटकों का मुकाबला करने के लिए भारत सरकार द्वारा उठाए जा सकने वाले विभिन्न नीतिगत उपायों का सुझाव दें। (लगभग 250 शब्द)
  4. प्रश्न 4: भारतीय राजनीतिक व्यवस्था में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मुद्दों का राजनीतिकरण किस प्रकार घरेलू और विदेश नीति निर्णयों को प्रभावित करता है? हालिया अमेरिकी टैरिफ विवाद के संदर्भ में इस प्रक्रिया का परीक्षण करें। (लगभग 150 शब्द)

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