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अमेरिका, रूस, भारत: ट्रम्प के बयान ने क्यों मचाया हड़कंप? भू-राजनीति और व्यापार का जटिल खेल

अमेरिका, रूस, भारत: ट्रम्प के बयान ने क्यों मचाया हड़कंप? भू-राजनीति और व्यापार का जटिल खेल

चर्चा में क्यों? (Why in News?):**
हाल ही में, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक बयान दिया जिसने अंतरराष्ट्रीय कूटनीति और भू-राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी। भारत द्वारा रूस से रक्षा उपकरण, विशेष रूप से S-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली की खरीद पर अमेरिका की चिंताएं और संभावित प्रतिबंधों के संदर्भ में, ट्रम्प ने एक अप्रत्याशित रुख अपनाया। उन्होंने भारत को उपदेश देने से पहले अमेरिका को अपने ही रूस के साथ व्यापारिक संबंधों पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी। ट्रम्प के इस बयान ने न केवल भारत-अमेरिका संबंधों की जटिलताओं को उजागर किया, बल्कि अमेरिका की अपनी विदेश नीति की असंगतियों पर भी सवाल खड़े किए। इस घटना पर विशेषज्ञों ने तुरंत प्रतिक्रिया दी, और कई लोगों ने ट्रम्प के बयान को “आईना” दिखाते हुए उसकी आलोचना की। यह ब्लॉग पोस्ट इस घटना की तह तक जाएगा, इसके पीछे के भू-राजनीतिक, आर्थिक और सामरिक आयामों का विश्लेषण करेगा, और UPSC परीक्षा के उम्मीदवारों के लिए इसके महत्व को स्पष्ट करेगा।

पृष्ठभूमि: भारत-रूस-अमेरिका त्रिकोण (Background: The India-Russia-America Triangle)

यह समझना महत्वपूर्ण है कि यह बयान एकाएक नहीं आया। दशकों से, भारत और रूस के बीच एक मजबूत रक्षा और रणनीतिक साझेदारी रही है। शीत युद्ध के दौरान, सोवियत संघ भारत का सबसे बड़ा रक्षा भागीदार था, और यह संबंध सोवियत संघ के विघटन के बाद भी जारी रहा। भारत ने अपनी सैन्य आवश्यकताओं के लिए हमेशा रूस (और पूर्व में सोवियत संघ) पर भरोसा किया है।

दूसरी ओर, पिछले कुछ दशकों में, भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच रणनीतिक संबंध में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। चीन के बढ़ते प्रभाव और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका की रणनीतिक चिंताओं को देखते हुए, भारत को अमेरिका के लिए एक महत्वपूर्ण ‘काउंटर-बैलेंस’ के रूप में देखा जाने लगा है। इस नए रणनीतिक गठबंधन ने दोनों देशों के बीच आर्थिक, तकनीकी और रक्षा सहयोग को बढ़ावा दिया है।

हालांकि, इस घनिष्ठता के बीच, रूस के साथ भारत के पारंपरिक संबंध एक नाजुक संतुलन का कार्य बन गए हैं। रूस के साथ भारत के रक्षा सौदे, विशेष रूप से S-400 की खरीद, अमेरिका के लिए एक बड़ी चिंता का विषय रहा है। अमेरिका ने ईरान, उत्तर कोरिया और रूस के साथ महत्वपूर्ण व्यापार करने वाले देशों पर ‘काउंटरिंग अमेरिकाज एडवरसेरीज थ्रू सैंक्शन्स एक्ट’ (CAATSA) के तहत प्रतिबंध लगाने का अधिकार सुरक्षित रखा है। भारत ने S-400 के लिए रूस के साथ एक बड़ा सौदा किया है, और अमेरिका द्वारा भारत पर CAATSA के तहत प्रतिबंध लगाने का खतरा हमेशा बना रहता है।

“अंतरराष्ट्रीय संबंधों में, राष्ट्र हित सर्वोपरि होता है। भारत अपनी सुरक्षा और सामरिक स्वायत्तता बनाए रखने के लिए निर्णय लेता है, जो अमेरिका-प्रायोजित विश्व व्यवस्था के साथ हमेशा संरेखित नहीं हो सकते।”

ट्रम्प का बयान: ‘भारत को उपदेश से पहले…’ (Trump’s Statement: ‘Before Lecturing India…’)

डोनाल्ड ट्रम्प, जो अपनी सीधी-सपाट और अक्सर विवादास्पद टिप्पणियों के लिए जाने जाते हैं, ने इस मामले पर अमेरिका की वर्तमान नीति की एक अलग व्याख्या पेश की। उनका तर्क था कि यदि अमेरिका भारत को रूस के साथ व्यापार करने के लिए फटकार लगा रहा है, तो उसे पहले यह देखना चाहिए कि उसके अपने व्यापारिक संबंध रूस के साथ कैसे हैं।

ट्रम्प के बयान के मुख्य निहितार्थ:**

  • अमेरिका की दोहरी नीति पर कटाक्ष:** ट्रम्प ने अप्रत्यक्ष रूप से यह सुझाव दिया कि अमेरिका रूस पर प्रतिबंध लगाता है लेकिन स्वयं उसके साथ व्यापार करता रहता है, जो एक विरोधाभास है।
  • ‘अमेरिका फर्स्ट’ का प्रतिबिंब:** यह बयान उनके ‘अमेरिका फर्स्ट’ एजेंडे का भी हिस्सा हो सकता है, जिसमें वे अमेरिकी आर्थिक हितों को प्राथमिकता देते हैं और अन्य देशों की नीतियों पर टिप्पणी करने से पहले अमेरिका के अपने हितों पर जोर देते हैं।
  • भारत को बचाव:** उन्होंने अनजाने में ही सही, भारत के रक्षा खरीद निर्णयों के पीछे की ‘रणनीतिक स्वायत्तता’ की आवश्यकता को एक तरह से स्वीकार किया, यह कहते हुए कि भारत को उपदेश देने से पहले अमेरिका को अपने घर को व्यवस्थित करना चाहिए।
  • रणनीतिक मोड़ों का संकेत:** ट्रम्प की विदेश नीति अक्सर पारंपरिक कूटनीति से हटकर होती है, और यह बयान इस ओर इशारा करता है कि उनके प्रशासन के तहत विदेश नीति अधिक ‘व्यवहारवादी’ (transactional) और ‘समझौतावादी’ (deal-oriented) हो सकती थी।

विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया: ‘ट्रम्प को आईना’ (Experts’ Reaction: ‘Showing Trump a Mirror’)

जैसे ही ट्रम्प का बयान सामने आया, कूटनीतिक विश्लेषकों, विदेश नीति विशेषज्ञों और पत्रकारों ने इस पर अपनी प्रतिक्रियाएं व्यक्त कीं। अधिकांश प्रतिक्रियाएं ट्रम्प के इस तर्क पर केंद्रित थीं कि अमेरिका की अपनी रूस के साथ व्यापारिक नीतियां भी सवालों के घेरे में हैं।

विश्लेषण के मुख्य बिंदु:**

  • अमेरिका का रूस के साथ व्यापार:** यह सच है कि रूस पर प्रतिबंधों के बावजूद, अमेरिका और रूस के बीच तेल, गैस, कृषि उत्पाद और अन्य वस्तुओं का व्यापार जारी रहा है। ऊर्जा क्षेत्र, विशेष रूप से, एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ दोनों देशों के हित परस्पर जुड़े हुए हैं।
  • रणनीतिक प्रतिद्वंद्विता बनाम आर्थिक हित:** अमेरिका रूस को एक भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी मानता है, लेकिन साथ ही, उसके आर्थिक हित भी हैं जो उसे कुछ क्षेत्रों में सहयोग के लिए प्रेरित करते हैं। यह द्वंद्व उसकी नीतियों को जटिल बनाता है।
  • CAATSA का दुरुपयोग?:** कुछ विशेषज्ञों ने तर्क दिया कि CAATSA को उन देशों पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक उपकरण के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है जो अमेरिका के साथ संरेखित होने का प्रयास कर रहे हैं (जैसे भारत), जबकि अमेरिका स्वयं रूस के साथ व्यापार में लगा हुआ है। यह नीति की विश्वसनीयता पर सवाल उठाता है।
  • ट्रम्प की मंशा:** कुछ का मानना था कि ट्रम्प का बयान केवल भारत के प्रति अमेरिकी सरकार की नीति की आलोचना करने का एक तरीका था, न कि वास्तव में अमेरिका के रूस के साथ व्यापार का बचाव करना। वह वर्तमान बाइडेन प्रशासन की नीतियों को अस्थिर करने की कोशिश कर रहे थे।
  • ‘कूटनीतिक शिष्टाचार’ का अभाव:** ट्रम्प के बयान को अक्सर अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर अपेक्षित कूटनीतिक शिष्टाचार की कमी के रूप में देखा गया। वे अक्सर अपने विरोधियों के तर्कों को सीधे और आक्रामक तरीके से खारिज करते हैं।

“डोनाल्ड ट्रम्प का बयान अमेरिका की विदेश नीति में आंतरिक विरोधाभासों की ओर इशारा करता है। जब हम दूसरों से कुछ करने की अपेक्षा करते हैं, तो हमें स्वयं अपने आचरण को भी देखना चाहिए।”

UPSC परीक्षा के लिए प्रासंगिकता (Relevance for UPSC Exam)

यह घटना UPSC सिविल सेवा परीक्षा के विभिन्न चरणों के लिए अत्यधिक प्रासंगिक है, विशेष रूप से अंतर्राष्ट्रीय संबंध (IR), विदेश नीति, रक्षा, और समसामयिक मामले जैसे विषयों के लिए।

1. अंतर्राष्ट्रीय संबंध (International Relations):**

  • बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था:** यह घटना बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था के उद्भव और अमेरिका के प्रभुत्व को चुनौती देने वाले देशों के उदय को दर्शाती है।
  • भारत की ‘रणनीतिक स्वायत्तता’:** भारत की अपनी विदेश नीति को स्वतंत्र रूप से संचालित करने की नीति, जिसमें वह अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देता है, पर यह एक महत्वपूर्ण केस स्टडी है।
  • अमेरिका-भारत-रूस संबंध:** यह तीनों देशों के बीच जटिल, बहुआयामी संबंधों की गतिशीलता को समझने में मदद करता है।
  • भू-राजनीतिक गठबंधन:** यह दर्शाता है कि कैसे भू-राजनीतिक गठबंधन, राष्ट्रीय हित और रक्षा आवश्यकताएं अक्सर देशों के निर्णयों को प्रभावित करती हैं।

2. विदेश नीति (Foreign Policy):**

  • अमेरिका की विदेश नीति:** ट्रम्प के ‘अमेरिका फर्स्ट’ एजेंडे और उनकी विदेश नीति के दृष्टिकोण को समझने के लिए यह घटना महत्वपूर्ण है।
  • प्रतिबंधों का प्रयोग:** CAATSA जैसे प्रतिबंधात्मक उपायों का प्रयोग और उनके प्रभाव का विश्लेषण।
  • कूटनीति की शैली:** विभिन्न देशों के नेताओं की कूटनीतिक संवाद शैलियों का तुलनात्मक अध्ययन।

3. रक्षा और सुरक्षा (Defence and Security):**

  • रक्षा खरीद:** भारत की रक्षा खरीद नीतियां, रूस पर निर्भरता, और पश्चिमी देशों (विशेष रूप से अमेरिका) से प्रतिस्पर्धा।
  • S-400 मिसाइल प्रणाली:** इसकी सामरिक महत्ता और इसके आयात से जुड़े भू-राजनीतिक निहितार्थ।
  • रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता:** भारत के रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदमों और इसमें आने वाली चुनौतियां।

4. अर्थव्यवस्था (Economy):**

  • अंतर्राष्ट्रीय व्यापार:** प्रतिबंधों के बावजूद देशों के बीच व्यापार के जारी रहने के कारण।
  • रणनीतिक हित बनाम आर्थिक हित:** राष्ट्रों द्वारा अपने रणनीतिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए आर्थिक लेन-देन को कैसे प्रबंधित किया जाता है।

घटना का विश्लेषण: क्यों हुआ ‘हड़कंप’? (Analysis of the Event: Why the ‘Stir’?)

ट्रम्प के बयान ने कई कारणों से ‘हड़कंप’ मचाया:

  1. समय:** यह बयान तब आया जब भारत-अमेरिका संबंध एक महत्वपूर्ण मोड़ पर थे, और अमेरिका भारत पर रूस के साथ अपने रक्षा संबंधों को कम करने के लिए दबाव बना रहा था।
  2. स्रोत:** पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जैसे प्रमुख व्यक्ति का ऐसा बयान, विशेष रूप से जब वह एक संभावित राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार हों, अंतरराष्ट्रीय ध्यान आकर्षित करता है।
  3. अंतर्निहित विरोधाभास:** यह बयान अमेरिका की अपनी रूस नीति की खामियों को उजागर करता है, जिससे अमेरिका की वैश्विक नेतृत्व की भूमिका पर सवाल उठते हैं।
  4. भारत का पक्ष:** यह अप्रत्यक्ष रूप से भारत की स्थिति को मजबूत करता है, क्योंकि यह दिखाता है कि भारत के निर्णय केवल एकतरफा दबाव के कारण नहीं होते, बल्कि गहन भू-राजनीतिक और सामरिक गणनाओं का परिणाम होते हैं।

पक्ष और विपक्ष: एक संतुलित दृष्टिकोण (Pros and Cons: A Balanced Perspective)

ट्रम्प के बयान के पक्ष (Pros of Trump’s Statement):**

  • अमेरिका की कूटनीति का आत्म-विश्लेषण:** इसने अमेरिकी नीति निर्माताओं को अपनी रूस नीति में असंगतियों पर विचार करने के लिए मजबूर किया।
  • भारत की स्थिति को बल:** इसने भारत को यह बताने का अवसर दिया कि उसके रक्षा निर्णय राष्ट्रीय हित पर आधारित हैं, और यह केवल भारत नहीं है जो रूस के साथ जुड़ा हुआ है।
  • ‘अमेरिका फर्स्ट’ एजेंडे का प्रतिबिंब:** यह उनके समर्थकों के लिए उनके “पहले अमेरिका” के नारे का एक मजबूत उदाहरण था।

ट्रम्प के बयान के विपक्ष (Cons of Trump’s Statement):**

  • कूटनीतिक अव्यवस्था:** इसने अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर कूटनीतिक संबंधों को और अधिक जटिल बना दिया।
  • सहयोगी देशों के लिए गलत संकेत:** यह भारत जैसे सहयोगियों के लिए एक गलत संकेत हो सकता है कि अमेरिका अपनी ही नीतियों का पालन नहीं करता।
  • विभाजनकारी प्रभाव:** यह बयान अमेरिका के भीतर भी राजनीतिक विभाजन को बढ़ा सकता है, जहाँ रूस नीति पर मतभेद हैं।
  • अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों का उल्लंघन:** एक पूर्व राष्ट्रपति द्वारा वर्तमान प्रशासन की विदेश नीति की इस तरह की सार्वजनिक आलोचना को अक्सर अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों के खिलाफ देखा जाता है।

चुनौतियाँ और आगे की राह (Challenges and Way Forward)

यह घटना कई महत्वपूर्ण चुनौतियों को उजागर करती है:

  • सामरिक स्वायत्तता बनाम गठबंधन:** भारत को अपनी रक्षा आवश्यकताओं और पश्चिमी गठबंधनों के साथ अपने संबंधों के बीच संतुलन बनाना जारी रखना होगा।
  • अमेरिकी प्रतिबंधों का प्रभाव:** CAATSA के तहत भविष्य में प्रतिबंधों का खतरा भारत के रक्षा आधुनिकीकरण और आर्थिक विकास को प्रभावित कर सकता है।
  • रूस के साथ संबंध:** रूस के साथ भारत के दीर्घकालिक रक्षा सहयोग की प्रकृति और सीमा की पुनः समीक्षा।
  • द्विपक्षीय वार्ता:** भारत को अमेरिका के साथ निरंतर संवाद बनाए रखना होगा ताकि उसकी चिंताओं को समझा जा सके और भारत के राष्ट्रीय हितों की रक्षा की जा सके।

आगे की राह:**

  • विविधीकरण:** भारत को अपने रक्षा स्रोतों का विविधीकरण करना जारी रखना चाहिए ताकि वह किसी एक देश पर अत्यधिक निर्भर न रहे।
  • रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करना:** अमेरिका के साथ अपनी रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करना, विशेष रूप से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में साझा हितों के आधार पर।
  • कूटनीतिक पहल:** रूस और अमेरिका दोनों के साथ प्रभावी कूटनीति के माध्यम से संवेदनशीलता से निपटना।
  • घरेलू क्षमता निर्माण:** रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना और स्वदेशी प्रौद्योगिकियों का विकास करना।

निष्कर्ष (Conclusion)

डोनाल्ड ट्रम्प का भारत को रूस के साथ व्यापार पर उपदेश देने से पहले अमेरिका के अपने व्यापार पर ध्यान केंद्रित करने का बयान, अंतरराष्ट्रीय कूटनीति का एक जटिल जाल प्रस्तुत करता है। यह केवल एक बयान नहीं था; इसने अमेरिका की विदेश नीति की आंतरिक विसंगतियों, राष्ट्रीय हितों के टकराव, और विभिन्न देशों के बीच शक्ति संतुलन की गतिशीलता को उजागर किया। विशेषज्ञों द्वारा ट्रम्प के इस कथन को ‘आईना’ दिखाने का मतलब यह था कि अमेरिका को दूसरों पर उंगली उठाने से पहले अपने स्वयं के व्यवहार और हितों पर भी विचार करना चाहिए।

UPSC उम्मीदवारों के लिए, इस घटना का अध्ययन यह समझने का एक उत्कृष्ट अवसर प्रदान करता है कि कैसे भू-राजनीतिक दांव, रक्षा आवश्यकताएं, आर्थिक हित और राजनीतिक बयानबाजी वैश्विक मंच पर देशों के निर्णयों और संबंधों को आकार देते हैं। भारत के लिए, यह अपनी ‘रणनीतिक स्वायत्तता’ को बनाए रखते हुए प्रमुख शक्तियों के साथ अपने संबंधों को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने की निरंतर चुनौती का प्रतीक है।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

1. ‘काउंटरिंग अमेरिकाज एडवरसेरीज थ्रू सैंक्शन्स एक्ट’ (CAATSA) किस देश द्वारा लागू किया गया है?
(a) रूस
(b) चीन
(c) संयुक्त राज्य अमेरिका
(d) भारत
उत्तर: (c)**
व्याख्या: CAATSA संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा लागू किया गया एक संघीय कानून है जिसका उद्देश्य ईरान, उत्तर कोरिया और रूस जैसे देशों के साथ अमेरिका के विरोधियों के व्यवहार का मुकाबला करना है।

2. डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत को किस संदर्भ में रूस के साथ व्यापार पर उपदेश देने के बजाय अमेरिका के अपने रूस व्यापार पर ध्यान देने की सलाह दी?
(a) भारत द्वारा रूस से तेल खरीद
(b) भारत द्वारा रूस से S-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली की खरीद
(c) भारत द्वारा रूस से हथियारों का निर्यात
(d) रूस द्वारा भारत को सैन्य प्रशिक्षण
उत्तर: (b)**
व्याख्या: पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने यह टिप्पणी भारत द्वारा रूस से S-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली की खरीद के संबंध में अमेरिका की चिंताएं और संभावित प्रतिबंधों के संदर्भ में की थी।

3. निम्नलिखित में से कौन सा देश ऐतिहासिक रूप से भारत का एक प्रमुख रक्षा भागीदार रहा है?
(a) संयुक्त राज्य अमेरिका
(b) रूस (पूर्व में सोवियत संघ)
(c) फ्रांस
(d) इज़राइल
उत्तर: (b)**
व्याख्या: सोवियत संघ और उसके बाद रूस दशकों से भारत के सबसे बड़े और सबसे विश्वसनीय रक्षा भागीदारों में से एक रहे हैं।

4. UPSC के संदर्भ में, ‘रणनीतिक स्वायत्तता’ (Strategic Autonomy) का तात्पर्य क्या है?
(a) अन्य देशों पर आर्थिक रूप से निर्भर होना
(b) अपनी विदेश और रक्षा नीतियों को स्वतंत्र रूप से निर्धारित करने की क्षमता
(c) किसी एक भू-राजनीतिक गुट का पूर्ण समर्थन करना
(d) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से पूरी तरह अलग हो जाना
उत्तर: (b)**
व्याख्या: रणनीतिक स्वायत्तता का अर्थ है कि कोई देश अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति से संबंधित निर्णय बाहरी दबावों या प्रभाव से मुक्त होकर, अपने राष्ट्रीय हितों के आधार पर लेने में सक्षम हो।

5. CAATSA का प्राथमिक उद्देश्य क्या है?
(a) अमेरिका के सहयोगियों के साथ व्यापार को बढ़ावा देना
(b) अमेरिका के विरोधियों के साथ महत्वपूर्ण लेन-देन करने वाले देशों पर प्रतिबंध लगाना
(c) अंतर्राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन समझौतों को लागू करना
(d) साइबर सुरक्षा सहयोग को मजबूत करना
उत्तर: (b)**
व्याख्या: CAATSA का मुख्य उद्देश्य उन देशों को दंडित करना है जो अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा, विदेश नीति या आर्थिक हितों के लिए खतरा पैदा करने वाले रूसी संघ, ईरान, उत्तर कोरिया और सीरिया के साथ महत्वपूर्ण लेन-देन करते हैं।

6. ट्रम्प के बयान के अनुसार, भारत को रूस के साथ व्यापार पर उपदेश देने से पहले अमेरिका को किस पर ध्यान देना चाहिए?
(a) चीन के साथ अमेरिकी व्यापार
(b) रूस के साथ अमेरिकी व्यापार
(c) यूरोपीय संघ के साथ अमेरिकी व्यापार
(d) भारत के साथ अमेरिकी व्यापार
उत्तर: (b)**
व्याख्या: ट्रम्प ने सीधे तौर पर कहा था कि अमेरिका को भारत को उपदेश देने से पहले अपने स्वयं के रूस के साथ व्यापारिक संबंधों पर ध्यान देना चाहिए।

7. निम्नलिखित में से कौन सी मिसाइल प्रणाली भारत द्वारा रूस से खरीदी जा रही है, जिसके कारण अमेरिका की चिंताएं बढ़ी हैं?
(a) अग्नि-IV
(b) पृथ्वी-II
(c) S-400
(d) ब्रह्मोस
उत्तर: (c)**
व्याख्या: भारत रूस से S-400 ‘ट्राइम्फ’ वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली खरीद रहा है, जिसके कारण अमेरिका द्वारा CAATSA के तहत प्रतिबंधों की आशंकाएं बनी हुई हैं।

8. अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में ‘अमेरिका फर्स्ट’ (America First) नीति का मुख्य प्रस्तावक कौन था?
(a) बराक ओबामा
(b) जॉर्ज डब्ल्यू. बुश
(c) डोनाल्ड ट्रम्प
(d) जो बाइडेन
उत्तर: (c)**
व्याख्या: ‘अमेरिका फर्स्ट’ डोनाल्ड ट्रम्प की विदेश नीति का एक प्रमुख सिद्धांत था, जिसका उद्देश्य अमेरिकी राष्ट्रीय हितों और अमेरिकी श्रमिकों को प्राथमिकता देना था।

9. विशेषज्ञों द्वारा ट्रम्प के बयान को ‘आईना’ दिखाने का क्या अर्थ हो सकता है?
(a) ट्रम्प के बयान का समर्थन करना
(b) अमेरिका की अपनी विदेश नीति की विसंगतियों को उजागर करना
(c) भारत की विदेश नीति की आलोचना करना
(d) रूस की नीतियों को सही ठहराना
उत्तर: (b)**
व्याख्या: ‘आईना दिखाना’ एक मुहावरा है जिसका अर्थ है किसी को उसकी अपनी गलतियों या विरोधाभासों से अवगत कराना। यहाँ, विशेषज्ञों ने अमेरिका की अपनी रूस नीति की दोहरी मापदंडों को उजागर किया।

10. अमेरिका-भारत-रूस के त्रिकोण में, भारत की विदेश नीति का मुख्य सिद्धांत क्या रहा है?
(a) किसी एक देश का पूर्ण निष्ठावान सहयोगी बनना
(b) अपने राष्ट्रीय हितों के आधार पर बहु-आयामी संबंध बनाए रखना
(c) केवल पश्चिमी देशों के साथ गठबंधन करना
(d) रूस से पूरी तरह दूरी बनाना
उत्तर: (b)**
व्याख्या: भारत ने ऐतिहासिक रूप से ‘रणनीतिक स्वायत्तता’ का पालन किया है, जिसके तहत वह अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देते हुए विभिन्न देशों के साथ संबंध बनाए रखता है, चाहे वे अमेरिका हों, रूस हों या कोई अन्य शक्ति।

मुख्य परीक्षा (Mains)

1. डोनाल्ड ट्रम्प के बयान ने भारत-अमेरिका-रूस के संबंधों की जटिलताओं को कैसे उजागर किया? अमेरिका की रूस के साथ व्यापार नीति में अंतर्निहित विरोधाभासों का आलोचनात्मक विश्लेषण करें और CAATSA के संभावित प्रभावों पर चर्चा करें।
2. ‘रणनीतिक स्वायत्तता’ के सिद्धांत के संदर्भ में भारत की रक्षा खरीद नीतियों का मूल्यांकन करें। रूस से S-400 मिसाइल प्रणाली की खरीद से उत्पन्न भू-राजनीतिक चुनौतियों और अवसरों पर प्रकाश डालें।
3. पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति के बयानों के अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति और द्विपक्षीय संबंधों पर पड़ने वाले प्रभाव का विश्लेषण करें, विशेष रूप से अमेरिका के अपने विदेश नीति दृष्टिकोण के प्रकाश में।
4. वर्तमान बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था में, भारत के लिए अपने राष्ट्रीय हितों को साधने हेतु अमेरिका और रूस जैसे प्रमुख शक्तियों के साथ संतुलन बनाना कितना महत्वपूर्ण है? उदाहरण सहित समझाएं।

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