अपनी समाजशास्त्र समझ को परखें
समाजशास्त्र के अथाह सागर में आज की डुबकी लगाने के लिए तैयार हो जाइए! आपकी अवधारणाओं को पैना करने और विश्लेषणात्मक कौशल को तेज करने का यह एक और बेहतरीन मौका है। अपनी तैयारी को परखें और जानें कि आप कहाँ खड़े हैं!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और दिए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: ‘पैराडाइम’ (Paradigm) की अवधारणा को समाजशास्त्र में किसने प्रस्तुत किया, जो वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए एक मूल विश्वास प्रणाली या मॉडल को दर्शाता है?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- थॉमस कुह्न
- एमिल दुर्खीम
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: थॉमस कुह्न ने अपनी प्रभावशाली पुस्तक “द स्ट्रक्चर ऑफ साइंटिफिक रिवोल्यूशन्स” (1962) में ‘पैराडाइम’ की अवधारणा को लोकप्रिय बनाया। यह वैज्ञानिक समुदाय द्वारा साझा किए जाने वाले मान्यताओं, मूल्यों और तकनीकों का एक समूह है, जो उन्हें एक विशेष अनुशासन के भीतर अपने काम को व्यवस्थित करने में मदद करता है।
- संदर्भ और विस्तार: कुह्न के अनुसार, विज्ञान ‘सामान्य विज्ञान’ के चरणों से गुजरता है, जहाँ एक पैराडाइम हावी होता है, फिर ‘पहेली-सुलझाने’ (puzzle-solving) की अवधि, जिसके बाद ‘क्रांति’ (revolution) होती है और एक नया पैराडाइम उभरता है। यह समाजशास्त्रीय सिद्धांतों और अनुसंधान के विकास को समझने के लिए भी प्रासंगिक है।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स वर्ग संघर्ष और ऐतिहासिक भौतिकवाद के लिए जाने जाते हैं। मैक्स वेबर ने ‘वर्टेहेन’ (Verstehen) और नौकरशाही की अवधारणाएं दीं। एमिल दुर्खीम ने सामाजिक तथ्य, सामूहिकता और एनोमी (anomie) पर काम किया।
प्रश्न 2: एमएन श्रीनिवास द्वारा दी गई ‘संस्कृतिकरण’ (Sanskritization) की अवधारणा क्या दर्शाती है?
- पश्चिमी संस्कृति का प्रभाव
- निम्न जातियों द्वारा उच्च जातियों के रीति-रिवाजों को अपनाना
- जाति व्यवस्था का पूर्ण उन्मूलन
- शहरीकरण की प्रक्रिया
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: एमएन श्रीनिवास ने ‘संस्कृतिकरण’ शब्द को गढ़ा, जो दर्शाता है कि कैसे निम्न या मध्य जातियों के समूह अक्सर उच्च, प्रभावशाली जातियों के रीति-रिवाजों, परंपराओं, अनुष्ठानों और जीवन शैली को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति को ऊपर उठाने का प्रयास करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा श्रीनिवास की “Religion and Society Among the Coorgs of South India” (1952) पुस्तक में प्रमुखता से आई। संस्कृतिकरण सांस्कृतिक गतिशीलता का एक रूप है, जो जाति पदानुक्रम के भीतर सामाजिक गतिशीलता को लक्षित करता है, हालांकि यह संरचनात्मक परिवर्तनों को हमेशा आवश्यक नहीं मानता।
- गलत विकल्प: (a) पश्चिमीकरण पश्चिमी देशों की जीवन शैली अपनाने से संबंधित है। (c) जाति व्यवस्था का उन्मूलन एक अलग सामाजिक परिवर्तन का लक्ष्य है। (d) शहरीकरण ग्रामीण से शहरी क्षेत्रों में जनसंख्या का प्रवास है।
प्रश्न 3: समाजशास्त्र में ‘डेफिनिशन ऑफ द सिचुएशन’ (Definition of the Situation) का महत्वपूर्ण विचार किसने प्रतिपादित किया?
- एमिल दुर्खीम
- चार्ल्स हॉर्टन कूली
- जॉर्ज हर्बर्ट मीड
- हरबर्ट ब्लूमर
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: जॉर्ज हर्बर्ट मीड, प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism) के एक प्रमुख प्रस्तावक, ने ‘डेफिनिशन ऑफ द सिचुएशन’ के विचार पर जोर दिया। उनका तर्क था कि व्यक्ति अपने आसपास की दुनिया को प्रतीकों के माध्यम से अर्थ देते हैं, और यह अर्थ ही उनके व्यवहार को निर्देशित करता है।
- संदर्भ और विस्तार: मीड के अनुसार, हम किसी स्थिति को कैसे परिभाषित करते हैं, यह हमारे व्यवहार को निर्धारित करता है। यह अवधारणा विलियम आई. थॉमस के “यदि लोग स्थितियों को वास्तविक के रूप में परिभाषित करते हैं, तो वे वास्तविकता में वास्तविक होते हैं” (If men define situations as real, they are real in their consequences) इस विचार से भी जुड़ी है।
- गलत विकल्प: दुर्खीम ने सामाजिक तथ्यों पर ध्यान केंद्रित किया। कूली ने ‘लुकिंग-ग्लास सेल्फ’ (looking-glass self) की अवधारणा दी। ब्लूमर ने प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद को व्यवस्थित रूप दिया और ‘डेफिनिशन ऑफ द सिचुएशन’ का उपयोग किया, लेकिन मीड इसके मूल प्रस्तावक थे।
प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन सी अवधारणा दुर्खीम के ‘सामाजिक तथ्य’ (Social Fact) से सबसे निकटता से संबंधित है?
- व्यक्तिगत चेतना
- बाहरी और जबरदस्ती करने वाली वास्तविकता
- व्यक्तिगत मनोविज्ञान
- आत्म-सुधार
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: एमिल दुर्खीम के अनुसार, सामाजिक तथ्य वे “तरीके हैं सोचने, महसूस करने और कार्य करने के, जो व्यक्ति से स्वतंत्र होते हैं और उनमें जबरदस्त शक्ति होती है, जिसके द्वारा वे अपने ऊपर हावी हो जाते हैं।” यह विकल्प (b) उन्हें सबसे सटीक रूप से दर्शाता है।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक “समाजशास्त्रीय पद्धति के नियम” (The Rules of Sociological Method) में इस अवधारणा को स्पष्ट किया। उनका मानना था कि समाजशास्त्र को इन सामाजिक तथ्यों का अध्ययन करना चाहिए, जिन्हें बाहरी और बाध्यकारी माना जाता है, न कि व्यक्तिगत मनोविज्ञान का।
- गलत विकल्प: (a) और (c) व्यक्तिगत स्तर की इकाइयाँ हैं, न कि सामाजिक तथ्य। (d) आत्म-सुधार एक व्यक्तिगत प्रक्रिया है।
प्रश्न 5: ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) के किस सिद्धांत के अनुसार, समाज में विभिन्न भूमिकाओं के लिए प्रतिभा और प्रयास के अनुसार पुरस्कारों का असमान वितरण आवश्यक है?
- संघर्ष सिद्धांत
- प्रकार्यवादी सिद्धांत (Functionalist Theory)
- प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद
- समूह-विज्ञान (Ethnomethodology)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 6: कार्ल मार्क्स ने पूँजीवादी समाज में श्रमिकों के अलगाव (Alienation) के चार मुख्य प्रकारों की पहचान की। इनमें से कौन सा प्रकार इसमें शामिल नहीं है?
- उत्पाद से अलगाव
- उत्पादन की प्रक्रिया से अलगाव
- अन्य मनुष्यों से अलगाव
- व्यक्तिगत पहचान से अलगाव
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: कार्ल मार्क्स ने “दास कैपिटल” और अन्य कृतियों में अलगाव की चार मुख्य अवस्थाओं का वर्णन किया: अपने श्रम के उत्पाद से अलगाव, अपने श्रम की क्रिया (प्रक्रिया) से अलगाव, अपने ‘प्रजाति-सार’ (species-essence) या मानवता से अलगाव, और अन्य मनुष्यों से अलगाव। ‘व्यक्तिगत पहचान से अलगाव’ सीधे तौर पर मार्क्स द्वारा सूचीबद्ध चार प्रकारों में से एक नहीं है, हालांकि यह अन्य प्रकारों का परिणाम हो सकता है।
- संदर्भ और विस्तार: मार्क्स के अनुसार, पूँजीवादी उत्पादन व्यवस्था में, श्रमिक अपनी मेहनत के फल (उत्पाद) का मालिक नहीं होता, वह उस क्रिया को नियंत्रित नहीं करता जो वह करता है, वह अपनी रचनात्मक क्षमता को महसूस नहीं कर पाता, और अक्सर प्रतियोगिता के कारण अन्य श्रमिकों से भी अलग-थलग हो जाता है।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (c) सीधे तौर पर मार्क्स द्वारा पहचानी गई अलगाव की अवस्थाएं हैं।
प्रश्न 7: ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) के संदर्भ में ‘सेल्फ’ (Self) की अवधारणा किसने विकसित की?
- एमिल दुर्खीम
- कार्ल मार्क्स
- जी.एच. मीड
- इर्विंग गॉफमैन
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: जॉर्ज हर्बर्ट मीड (G.H. Mead) प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के अग्रदूत थे, और उन्होंने ‘सेल्फ’ (आत्म) की अवधारणा को विकसित किया। उनके अनुसार, ‘सेल्फ’ सामाजिक अंतःक्रिया के माध्यम से उभरता है, विशेष रूप से ‘मैं’ (I) और ‘मी’ (Me) के बीच निरंतर द्वंद्व के माध्यम से।
- संदर्भ और विस्तार: मीड के विचारों को उनके मरणोपरांत प्रकाशित कार्य “माइंड, सेल्फ एंड सोसाइटी” (Mind, Self, and Society) में संकलित किया गया। ‘मी’ (Me) समाज द्वारा आंतरिककृत दृष्टिकोणों का प्रतिनिधित्व करता है (जैसे सामान्य अन्य), जबकि ‘मैं’ (I) व्यक्ति की प्रतिक्रियाओं का प्रतिनिधित्व करता है।
- गलत विकल्प: दुर्खीम ने सामाजिक तथ्यों का अध्ययन किया। मार्क्स ने वर्ग संघर्ष पर जोर दिया। गॉफमैन ने ‘ड्रामाटर्जी’ (Dramaturgy) की अवधारणा विकसित की।
प्रश्न 8: निम्नलिखित में से कौन सा एक ‘सामाजिक संस्थान’ (Social Institution) का उदाहरण नहीं है?
- परिवार
- शिक्षा
- धर्म
- सार्वजनिक परिवहन
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: सामाजिक संस्थान समाज की मूलभूत संरचनाओं को संदर्भित करते हैं जो सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए आवश्यक हैं, जैसे परिवार, शिक्षा, धर्म, सरकार और अर्थव्यवस्था। सार्वजनिक परिवहन एक सेवा या सेवा का क्षेत्र है, न कि एक मूल सामाजिक संस्थान।
- संदर्भ और विस्तार: सामाजिक संस्थान वे स्थापित पैटर्न और प्रणालियाँ हैं जो समाज की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए विकसित होती हैं। वे स्थायी, व्यापक और समाज के लिए मौलिक होते हैं।
- गलत विकल्प: परिवार, शिक्षा और धर्म समाज के मुख्य सामाजिक संस्थान हैं जो विभिन्न प्रकार के कार्यों को पूरा करते हैं, जैसे समाजीकरण, मूल्यों का प्रसारण और सामाजिक नियंत्रण।
प्रश्न 9: एमिल दुर्खीम ने समाज के विकास को किस प्रकार समझाया?
- वर्ग संघर्ष के माध्यम से
- प्रतीकात्मक अंतःक्रिया के माध्यम से
- यांत्रिक एकजुटता से कार्बनिक एकजुटता की ओर संक्रमण
- संसाधनों के लिए प्रतिस्पर्धा के माध्यम से
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: एमिल दुर्खीम ने अपनी पुस्तक “द डिविजन ऑफ लेबर इन सोसाइटी” (The Division of Labour in Society) में समाज के विकास को ‘यांत्रिक एकजुटता’ (Mechanical Solidarity) से ‘कार्बनिक एकजुटता’ (Organic Solidarity) की ओर संक्रमण के रूप में वर्णित किया।
- संदर्भ और विस्तार: ‘यांत्रिक एकजुटता’ पारंपरिक समाजों में पाई जाती है जहाँ लोग समान विश्वासों, मूल्यों और जीवन शैलियों के कारण एक साथ बंधे होते हैं (सामूहिकता की प्रबल चेतना)। ‘कार्बनिक एकजुटता’ आधुनिक, औद्योगिक समाजों में विकसित होती है जहाँ लोग एक-दूसरे पर अपनी विशेष भूमिकाओं और कार्यों (श्रम के विभाजन) के कारण निर्भर होते हैं।
- गलत विकल्प: (a) वर्ग संघर्ष कार्ल मार्क्स का मुख्य सिद्धांत है। (b) प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद प्रतीकों और अर्थों पर केंद्रित है। (d) संसाधनों के लिए प्रतिस्पर्धा विकास का एक पहलू हो सकता है, लेकिन दुर्खीम का मुख्य ढाँचा नहीं।
प्रश्न 10: ‘नौकरशाही’ (Bureaucracy) की आदर्श-प्रारूप (Ideal Type) की अवधारणा किसने प्रस्तुत की?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- एमिल दुर्खीम
- रॉबर्ट मर्टन
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: मैक्स वेबर ने अपनी कृतियों, विशेष रूप से “अर्थव्यवस्था और समाज” (Economy and Society) में, एक ‘आदर्श-प्रारूप’ (Ideal Type) के रूप में नौकरशाही की विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत की। यह एक विश्लेषणात्मक उपकरण है जो वास्तविक दुनिया की घटनाओं की विशेषता वाले तार्किक रूप से सुसंगत, विशुद्ध रूप से सैद्धांतिक मॉडल बनाने के लिए यथार्थवाद के कुछ पहलुओं को अतिरंजित करता है।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर ने नौकरशाही को तर्कसंगत-कानूनी अधिकार (rational-legal authority) के सबसे कुशल और तार्किक रूप के रूप में देखा, जिसमें पदानुक्रम, विशेषज्ञता, लिखित नियम और अ-व्यक्तिगतता (impersonality) जैसी विशेषताएं होती हैं।
- गलत विकल्प: मार्क्स ने पूंजीवाद और वर्ग संघर्ष का विश्लेषण किया। दुर्खीम ने सामाजिक एकजुटता पर काम किया। मर्टन ने नौकरशाही के ‘अवांछित परिणाम’ (dysfunctions) पर विस्तार से लिखा।
प्रश्न 11: भारतीय समाज में ‘प्रजाति’ (Jajmani) प्रणाली क्या है?
- एक राजनीतिक व्यवस्था
- एक धार्मिक अनुष्ठान
- एक पारंपरिक प्रणाली जहाँ विभिन्न जातियाँ एक-दूसरे को सेवाएं और वस्तुएं प्रदान करती हैं
- ग्रामीण प्रशासन का तरीका
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: प्रजाति प्रणाली भारतीय ग्रामीण समाज में एक पारंपरिक अंतःक्रियात्मक संबंध था जहाँ उच्च जातियों के ‘जजमान’ (Jajman) निम्न जातियों के ‘कामकाज’ (Kamkāz) या कारीगरों (जैसे नाई, कुम्हार, लोहार, धोबी) से वंशानुगत आधार पर सेवाएँ प्राप्त करते थे और बदले में उन्हें अनाज या अन्य वस्तुओं के रूप में पारिश्रमिक (अक्सर मौसमी) मिलता था।
- संदर्भ और विस्तार: यह प्रणाली मुख्य रूप से वस्तु विनिमय (barter) पर आधारित थी और ग्राम अर्थव्यवस्था को आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती थी। यह एक जटिल सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था थी जो ग्रामीण जाति पदानुक्रम से जुड़ी हुई थी।
- गलत विकल्प: प्रजाति प्रणाली न तो विशुद्ध रूप से राजनीतिक है, न धार्मिक अनुष्ठान, और न ही ग्रामीण प्रशासन का मुख्य तरीका, बल्कि एक व्यापक सामाजिक-आर्थिक और पारस्परिक संबंध है।
प्रश्न 12: ‘कुलिनिज्म’ (Kulinism) प्रथा मुख्य रूप से किस भारतीय समाज से जुड़ी थी?
- पंजाब
- महाराष्ट्र
- बंगाल
- तमिलनाडु
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: कुलिनिज्म बंगाल के ब्राह्मणों और कायस्थों के बीच प्रचलित एक जटिल जाति-आधारित प्रथा थी, जो विवाह के संबंध में कुलीनता (Kulin) की अवधारणा पर आधारित थी। इसमें बहुविवाह और विवाह की उम्र में बहुत अंतर जैसी विकृतियाँ शामिल थीं।
- संदर्भ और विस्तार: यह प्रथा १८वीं और १९वीं शताब्दी में काफी प्रचलित थी और इसे कई समाज सुधारकों द्वारा चुनौती दी गई थी। कुलिनिज्म ने विवाह को एक गंभीर सामाजिक समस्या बना दिया था, जिसमें कई महिलाओं का विवाह होने के बावजूद वे अपने मायके में रह जाती थीं।
- गलत विकल्प: कुलिनिज्म बंगाल की एक विशिष्ट प्रथा थी और अन्य क्षेत्रों में इसकी प्रमुखता नहीं थी।
प्रश्न 13: निम्नलिखित में से कौन सा ‘समाज’ (Society) की एक अनिवार्य विशेषता नहीं है?
- साझा संस्कृति
- स्थायी मानव समूह
- संपूर्ण आत्मनिर्भरता
- एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: एक समाज की आवश्यक विशेषताओं में शामिल हैं: व्यक्तियों का एक समूह, एक साझा संस्कृति, एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र, और यह एक स्थायी इकाई है जो अपनी पीढ़ी को बनाए रखती है। हालांकि, समाज को ‘संपूर्ण आत्मनिर्भरता’ (complete self-sufficiency) की आवश्यकता नहीं होती; आधुनिक समाज अक्सर अन्य समाजों पर निर्भर होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: समाज को केवल व्यक्तियों का समूह कहना अपर्याप्त है। इसमें एक साझा जीवन शैली, सामूहिक चेतना और अंतःक्रियाशीलता भी शामिल है। आत्मनिर्भरता एक आदर्श स्थिति हो सकती है, लेकिन वास्तविक दुनिया के समाजों के लिए यह आवश्यक नहीं है।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (d) समाज की परिभाषित विशेषताएँ हैं।
प्रश्न 14: ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा किसने विकसित की?
- एमिल दुर्खीम
- विलियम एफ. ओगबर्न
- टी. पार्सन्स
- रॉबर्ट ई. पार्क
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: विलियम एफ. ओगबर्न (William F. Ogburn) ने 1922 में अपनी पुस्तक “सोशल चेंज विथ रिफरेंस टू पर्स्पेक्टिव एंड इम्पैक्ट ऑफ साइंस” में ‘सांस्कृतिक विलंब’ की अवधारणा प्रस्तुत की। यह तब होता है जब समाज के भौतिक या तकनीकी पहलुओं (भौतिक संस्कृति) में परिवर्तन, गैर-भौतिक या अनुकूलनशील संस्कृति (जैसे मूल्य, विश्वास, कानून) में परिवर्तन की तुलना में अधिक तेज़ी से होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: इस विलंब के कारण सामाजिक समस्याएँ और तनाव उत्पन्न हो सकते हैं क्योंकि समाज को नई प्रौद्योगिकियों या भौतिक परिवर्तनों के अनुकूल होने के लिए अपनी गैर-भौतिक संस्कृति को समायोजित करने में समय लगता है।
- गलत विकल्प: दुर्खीम ने सामाजिक एकजुटता, ओगबर्न ने सांस्कृतिक विलंब, पार्सन्स ने संरचनात्मक प्रकार्यवाद, और पार्क शहरी समाजशास्त्र के क्षेत्र में प्रमुख थे।
प्रश्न 15: निम्नलिखित में से कौन सी ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) का सबसे अच्छा वर्णन करती है?
- लोगों का एक ही सामाजिक वर्ग में रहना
- लोगों का एक सामाजिक समूह से दूसरे में जाना
- लोगों का अपने समाज के मूल्यों को स्वीकार करना
- समाज में सांस्कृतिक भिन्नता
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: सामाजिक गतिशीलता किसी व्यक्ति या समूह की सामाजिक स्थिति में परिवर्तन को संदर्भित करती है, चाहे वह ऊर्ध्वाधर (ऊपर या नीचे) हो या क्षैतिज (एक ही स्तर पर एक स्थिति से दूसरी स्थिति में)। विकल्प (b) इस प्रक्रिया का सबसे सटीक वर्णन करता है।
- संदर्भ और विस्तार: सामाजिक गतिशीलता समाज में संरचनात्मक और व्यक्तिगत स्तर पर परिवर्तन की अनुमति देती है। यह दर्शाती है कि कोई समाज कितना खुला या बंद है, अर्थात, लोगों को अपनी स्थिति बदलने के कितने अवसर मिलते हैं।
- गलत विकल्प: (a) स्थिर स्थिति को दर्शाता है। (c) समाजीकरण का एक हिस्सा है। (d) सामाजिक स्तरीकरण से संबंधित हो सकता है, लेकिन सीधे गतिशीलता का वर्णन नहीं करता।
प्रश्न 16: ‘आदिम समाज’ (Primitive Society) के अध्ययन के लिए एंथ्रोपोलॉजी और समाजशास्त्र में किस दृष्टिकोण का उपयोग किया गया है?
- संरचनात्मक प्रकार्यवाद
- संघर्ष सिद्धांत
- प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद
- विकासवाद
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: ऐतिहासिक रूप से, विशेष रूप से 19वीं सदी में, समाजशास्त्र और नृविज्ञान में सामाजिक विकास को समझने के लिए ‘विकासवाद’ (Evolutionism) का दृष्टिकोण प्रमुख था। प्रारंभिक समाजशास्त्रियों ने समाजों को एक रैखिक क्रम में, जैसे ‘जंगलीपन’ (savagery) से ‘बर्बरता’ (barbarism) और फिर ‘सभ्यता’ (civilization) तक विकसित होते देखा।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम, मॉर्गन, टायलर जैसे विचारक इस दृष्टिकोण से प्रभावित थे। हालांकि बाद में इस पर आलोचनाएं हुईं, इसने समाज के विकास को समझने की प्रारंभिक नींव रखी।
- गलत विकल्प: (a) प्रकार्यवाद समाज के विभिन्न भागों के कार्यों पर केंद्रित है। (b) संघर्ष सिद्धांत शक्ति और असमानता पर केंद्रित है। (c) प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद रोजमर्रा की बातचीत पर केंद्रित है।
प्रश्न 17: हर्बर्ट स्पेंसर ने समाज के विकास की तुलना किससे की?
- शरीर रचना विज्ञान (Anatomy)
- जीव विज्ञान (Biology)
- भौतिकी (Physics)
- रसायन विज्ञान (Chemistry)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: हर्बर्ट स्पेंसर, एक सामाजिक डार्विनवादी, ने समाज को एक ‘जीवित जीव’ (living organism) के रूप में देखा और समाज के विकास को जैविक विकास (biological evolution) के अनुरूप समझाया। उन्होंने ‘योग्यतम की उत्तरजीविता’ (survival of the fittest) के सिद्धांत को समाज पर लागू किया।
- संदर्भ और विस्तार: स्पेंसर ने तर्क दिया कि जैसे-जैसे समाज अधिक जटिल होते जाते हैं, वे अधिक विशिष्ट संरचनाओं और कार्यों (श्रम के विभाजन के माध्यम से) को विकसित करते हैं, ठीक वैसे ही जैसे एक जीव अपने अंगों को विकसित करता है।
- गलत विकल्प: जबकि भौतिकी या रसायन विज्ञान के सिद्धांत प्रासंगिक हो सकते हैं, स्पेंसर का मुख्य उपमा जीव विज्ञान था।
प्रश्न 18: ‘एथनोमेथोडोलॉजी’ (Ethnomethodology) का मुख्य सरोकार क्या है?
- समूहों के बीच सत्ता संघर्ष
- लोगों द्वारा अपने रोजमर्रा के जीवन में अर्थ कैसे उत्पन्न और बनाए रखा जाता है
- आधुनिक समाजों में संस्थाओं का कार्य
- ऐतिहासिक सामाजिक परिवर्तन के पैटर्न
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: एथनोमेथोडोलॉजी, जिसकी स्थापना हेरोल्ड गार्फिंकेल (Harold Garfinkel) ने की थी, रोजमर्रा की जिंदगी में सामान्य ज्ञान और प्रथाओं के माध्यम से लोग स्वयं समाज के “सामान्य ज्ञान” (commonsense) को कैसे बनाते, समझते और बातचीत करते हैं, इसका अध्ययन करती है।
- संदर्भ और विस्तार: यह दृष्टिकोण समाजशास्त्र की पारंपरिक सिद्धांतों को चुनौती देता है और इस बात पर जोर देता है कि सामाजिक व्यवस्था मुख्य रूप से लोगों के बीच साझा समझ और बातचीत के माध्यम से बनाए रखी जाती है।
- गलत विकल्प: (a) संघर्ष सिद्धांत से संबंधित है। (c) प्रकार्यवाद से संबंधित है। (d) ऐतिहासिक विश्लेषण का हिस्सा है।
प्रश्न 19: निम्नलिखित में से कौन सी ‘सामाजिक नियंत्रण’ (Social Control) की एक अनौपचारिक विधि है?
- कानून
- पुलिस
- जनमत और सामाजिक बहिष्कार
- न्यायालय
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: सामाजिक नियंत्रण वे साधन हैं जिनका उपयोग समाज अपने सदस्यों के व्यवहार को विनियमित करने के लिए करता है। अनौपचारिक तरीकों में वे शामिल हैं जो संस्थागतकृत नहीं हैं, जैसे कि जनमत, सामाजिक बहिष्कार, निंदा, या परिवार और दोस्तों का दबाव। जनमत और सामाजिक बहिष्कार (c) इसके अच्छे उदाहरण हैं।
- संदर्भ और विस्तार: औपचारिक सामाजिक नियंत्रण में कानून, पुलिस, अदालतें आदि शामिल हैं। अनौपचारिक नियंत्रण अक्सर अधिक सूक्ष्म होते हैं लेकिन बहुत शक्तिशाली भी हो सकते हैं।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (d) सभी सामाजिक नियंत्रण के औपचारिक साधन हैं, जो राज्य या अन्य औपचारिक संस्थाओं द्वारा लागू किए जाते हैं।
प्रश्न 20: ‘पैटर्न मेनन’ (Pattern Maintenance) प्रकार्य (Function) को दुर्खीम ने किस सामाजिक संस्था से जोड़ा?
- अर्थव्यवस्था
- शिक्षा
- राजनीति
- धर्म
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक “द एलिमेन्ट्री फॉर्म्स ऑफ द रिलीजियस लाइफ” (The Elementary Forms of Religious Life) में धर्म को समाज की ‘पैटर्न मेनन’ (Pattern Maintenance) या ‘एकजुटता’ (Solidarity) बनाए रखने वाली संस्था के रूप में देखा। धर्म साझा विश्वासों, प्रतीकों और अनुष्ठानों के माध्यम से सामाजिक सामंजस्य और मूल्यों को मजबूत करता है।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम के अनुसार, धर्म समाज को एकीकृत करने, पवित्र और अपवित्र के बीच अंतर करने और सदस्यों को साझा नैतिक व्यवस्था से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह समाजीकरण की प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
- गलत विकल्प: जबकि अन्य संस्थाएं भी भूमिका निभाती हैं, दुर्खीम ने विशेष रूप से धर्म को साझा मूल्यों और विश्वासों को बनाए रखने में केंद्रीय माना।
प्रश्न 21: भारत में ‘हरिजन’ (Harijan) शब्द किसने गढ़ा?
- बी.आर. अम्बेडकर
- महात्मा गांधी
- एम.एन. श्रीनिवास
- ई.वी. रामासामी पेरियार
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: महात्मा गांधी ने दलितों (जिन्हें अक्सर ‘अछूत’ कहा जाता था) के लिए ‘हरिजन’ शब्द का इस्तेमाल किया, जिसका अर्थ है ‘ईश्वर के लोग’। उन्होंने इस शब्द का उपयोग उन्हें सम्मान देने और समाज में उनकी स्थिति को सुधारने के प्रयास के रूप में किया।
- संदर्भ और विस्तार: गांधीजी ने दलितों के अधिकारों और सामाजिक समानता के लिए जोरदार वकालत की और उन्हें ‘हरिजन सेवक संघ’ की स्थापना के माध्यम से सामाजिक सेवा प्रदान की।
- गलत विकल्प: अम्बेडकर ने दलितों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया और ‘दलित’ शब्द को बढ़ावा दिया। श्रीनिवास ने संस्कृतिकरण पर काम किया। पेरियार ने द्रविड़ आंदोलन का नेतृत्व किया।
प्रश्न 22: ‘समूह कोहेन’ (Group Cohesion) को बढ़ाने में निम्नलिखित में से कौन सा कारक सबसे अधिक प्रभावी होता है?
- समूह के सदस्यों के बीच असहमति
- स्पष्ट और साझा लक्ष्य
- आंतरिक प्रतिस्पर्धा
- समूह की छोटी सदस्यता
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: समूह कोहेन (Group Cohesion) या समूह की एकजुटता, वह बल है जो समूह के सदस्यों को एक साथ बांधता है। स्पष्ट और साझा लक्ष्य (b) सदस्यों को एक सामान्य उद्देश्य की ओर काम करने के लिए प्रेरित करते हैं, जिससे एकता बढ़ती है।
- संदर्भ और विस्तार: अन्य कारक जैसे समूह की पहचान, अंतःक्रिया की आवृत्ति, समूह का आकार, और बाहरी खतरों का सामना करना भी कोहेन को प्रभावित कर सकते हैं।
- गलत विकल्प: (a) और (c) आमतौर पर समूह को कमजोर करते हैं, जबकि (d) एक कारक हो सकता है लेकिन साझा लक्ष्य की तरह प्रभावी नहीं।
प्रश्न 23: ‘जाति’ (Caste) के संदर्भ में ‘अंतर्विवाह’ (Endogamy) का क्या अर्थ है?
- जाति के भीतर विवाह
- जाति के बाहर विवाह
- विभिन्न जातियों के बीच विवाह
- एक से अधिक जातियों में विवाह
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: अंतर्विवाह (Endogamy) एक सामाजिक नियम है जो व्यक्तियों को अपने स्वयं के सामाजिक समूह, वर्ग, या जाति के भीतर ही विवाह करने के लिए निर्देशित करता है। भारतीय जाति व्यवस्था में, यह जाति की एक परिभाषित विशेषता रही है।
- संदर्भ और विस्तार: जाति व्यवस्था में, अंतर्विवाह ने प्रत्येक जाति की विशिष्टता और पहचान को बनाए रखने में मदद की है, जिससे जातिगत अलगाव को बढ़ावा मिला है।
- गलत विकल्प: (b) और (c) बहिर्विवाह (Exogamy) या अंतरजातीय विवाह (Inter-caste marriage) से संबंधित हैं। (d) बहुविवाह (Polygamy) का एक रूप है, न कि सीधे अंतर्विवाह का।
प्रश्न 24: ‘आधुनिकता’ (Modernity) की अवधारणा के साथ आमतौर पर कौन सा प्रमुख समाजशास्त्री जुड़ा हुआ है?
- कार्ल मार्क्स
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- सिगमंड फ्रायड
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: मैक्स वेबर को आधुनिकता, विशेष रूप से ‘तर्कसंगतीकरण’ (Rationalization), नौकरशाही और ‘जादुई ताकतों के हटने’ (Disenchantment of the World) जैसी प्रक्रियाओं के विश्लेषण के लिए एक प्रमुख समाजशास्त्री माना जाता है, जो आधुनिकता की परिभाषित विशेषताएं हैं।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर ने यह जांच की कि कैसे पश्चिमी समाजों में तर्कसंगत और नौकरशाही संरचनाओं के उदय ने पारंपरिक समाज से अलग एक नई सामाजिक व्यवस्था को जन्म दिया।
- गलत विकल्प: मार्क्स ने पूंजीवाद और वर्ग संघर्ष पर ध्यान केंद्रित किया, जो आधुनिकता से जुड़े हैं लेकिन वेबर के तर्कसंगतीकरण के केंद्रीय विचार की तरह आधुनिकता के सार नहीं हैं। फ्रायड एक मनोविश्लेषक थे।
प्रश्न 25: ‘आत्मसात्करण’ (Assimilation) की प्रक्रिया का क्या अर्थ है?
- किसी संस्कृति को पूरी तरह से अस्वीकार करना
- एक संस्कृति का दूसरी संस्कृति में घुलना-मिलना
- संस्कृति को बनाए रखते हुए संवाद करना
- नई संस्कृति के साथ संघर्ष करना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: आत्मसात्करण वह प्रक्रिया है जहाँ एक अल्पसंख्यक समूह या व्यक्ति बहुसंख्यक संस्कृति की भाषा, मूल्य, व्यवहार और पहचान को अपना लेता है, जिससे वे बहुसंख्यक समाज में घुल-मिल जाते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह प्रवासन और सांस्कृतिक संपर्क के अध्ययन में एक महत्वपूर्ण अवधारणा है। यह पूर्ण आत्मसात्करण (जहां अल्पसंख्यक अपनी पहचान खो देता है) या आंशिक आत्मसात्करण (जहां कुछ सांस्कृतिक तत्वों को बनाए रखा जाता है) हो सकता है।
- गलत विकल्प: (a) अस्वीकृति से संबंधित है। (c) सह-अस्तित्व या एकीकरण (integration) से संबंधित हो सकता है। (d) संघर्ष का वर्णन करता है।