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अपनी समाजशास्त्रीय समझ को निखारें: दैनिक अभ्यास

अपनी समाजशास्त्रीय समझ को निखारें: दैनिक अभ्यास

समाजशास्त्र के धुरंधरों, स्वागत है! आज के इस ज्ञानवर्धक सत्र में हम आपके लिए लाए हैं 25 चुनिंदा प्रश्न, जो आपकी अवधारणात्मक स्पष्टता और विश्लेषणात्मक क्षमता को नई ऊँचाइयों पर ले जाएंगे। तो कमर कस लीजिए, क्योंकि यह अभ्यास सत्र आपकी परीक्षा की तैयारी में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान की गई विस्तृत व्याख्याओं के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: “सांस्कृतिक विलंब” (Cultural Lag) की अवधारणा किसने प्रतिपादित की?

  1. एमिल दुर्खीम
  2. विलियम ग्राहम समनर
  3. एल्बिन टी. अफॉल्ड
  4. काहिल कोहेन

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: एल्बिन टी. अफॉल्ड (William F. Ogburn) ने अपनी प्रसिद्ध कृति “Social Change with Respect to Culture and Original Nature” (1922) में “सांस्कृतिक विलंब” की अवधारणा पेश की। यह अवधारणा बताती है कि समाज के भौतिक (Material) और अभौतिक (Non-material) पहलुओं में परिवर्तन की गति भिन्न होती है। भौतिक संस्कृति (जैसे प्रौद्योगिकी) अक्सर अभौतिक संस्कृति (जैसे सामाजिक मूल्य, मानदंड, संस्थाएँ) से तेज़ी से बदलती है, जिससे एक अंतर या विलंब पैदा होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: अफॉल्ड के अनुसार, जब अभौतिक संस्कृति भौतिक संस्कृति में हुए परिवर्तनों के साथ तालमेल नहीं बिठा पाती, तो सामाजिक समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। यह अवधारणा सामाजिक परिवर्तन के अध्ययन में महत्वपूर्ण है।
  • गलत विकल्प: एमिल दुर्खीम ने “सामाजिक एकता” (Social Solidarity) और “एनोमी” (Anomie) जैसी अवधारणाएँ दीं। विलियम ग्राहम समनर ने “लोकप्रियता” (Folkways) और “रूढ़ियाँ” (Mores) के बीच अंतर स्पष्ट किया। काहिल कोहेन एक प्रमुख सामाजिक वैज्ञानिक थे लेकिन सांस्कृतिक विलंब की अवधारणा से सीधे तौर पर नहीं जुड़े हैं।

प्रश्न 2: कार्ल मार्क्स के अनुसार, “अलगाव” (Alienation) का सबसे मुख्य कारण क्या है?

  1. पूँजीवादी उत्पादन प्रणाली
  2. श्रम का विभाजन
  3. व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अभाव
  4. सामाजिक असमानता

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: कार्ल मार्क्स के लिए, पूँजीवादी उत्पादन प्रणाली (Capitalist Mode of Production) ही वह मूल कारण थी जो श्रमिकों को उनके श्रम, उत्पाद, स्वयं से और अन्य मनुष्यों से अलगाती है। पूँजीवाद में, श्रमिक अपनी मेहनत से जो वस्तुएँ बनाता है, वह उसकी अपनी नहीं होती, बल्कि पूँजीपति की होती है, जिससे वह अपने श्रम के उत्पाद से अलग महसूस करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: मार्क्स ने “Economic and Philosophic Manuscripts of 1844” में अलगाव के चार प्रमुख रूपों का वर्णन किया: श्रम के उत्पाद से अलगाव, श्रम की प्रक्रिया से अलगाव, स्वयं की प्रजाति-सार (species-being) से अलगाव, और अन्य मनुष्यों से अलगाव।
  • गलत विकल्प: जबकि श्रम का विभाजन, व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अभाव और सामाजिक असमानता अलगाव के परिणाम या सहायक कारक हो सकते हैं, मार्क्स के अनुसार पूँजीवादी उत्पादन प्रणाली वह मूल संरचना है जो इन सभी को जन्म देती है।

प्रश्न 3: भारतीय समाज में, “प्रजाति” (Race) की अवधारणा को किस हद तक महत्वपूर्ण माना जाता है, विशेष रूप से जाति व्यवस्था के संदर्भ में?

  1. जाति व्यवस्था पूरी तरह से प्रजाति पर आधारित है।
  2. प्रजाति जाति व्यवस्था का एक प्रमुख निर्धारक कारक रही है, लेकिन एकमात्र नहीं।
  3. भारतीय जाति व्यवस्था मुख्य रूप से वंशानुक्रम, कर्मकांडीय शुद्धता और सामाजिक स्तर पर आधारित है, न कि प्रजाति पर।
  4. प्रजाति और जाति की अवधारणाएँ भारतीय समाज में पूर्णतः भिन्न हैं और उनका कोई संबंध नहीं है।

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: अधिकांश समाजशास्त्रियों का मानना है कि भारतीय जाति व्यवस्था मुख्य रूप से वंशानुक्रम (heredity), कर्मकांडीय शुद्धता (ritual purity) और व्यावसायिक विशिष्टता (occupational specialization) पर आधारित है, न कि प्रजाति (race) के जीववैज्ञानिक अर्थ पर। हालाँकि औपनिवेशिक काल में कुछ विद्वानों ने जाति और प्रजाति के बीच संबंध स्थापित करने का प्रयास किया, लेकिन आधुनिक समाजशास्त्रीय विश्लेषण इसे अस्वीकार करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: जी.एस. घुरिये जैसे विद्वानों ने जाति को एक “विभाजित समाज” (Segmented Society) के रूप में देखा, जिसके मुख्य आधार सदस्यता, पदानुक्रम, व्यवसायों पर प्रतिबंध, खान-पान पर प्रतिबंध और विवाह पर प्रतिबंध थे। प्रजाति एक जैविक अवधारणा है, जबकि जाति एक सामाजिक-सांस्कृतिक और पदानुक्रमित संरचना है।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a) गलत है क्योंकि जाति केवल प्रजाति पर आधारित नहीं है। विकल्प (b) आंशिक रूप से सही हो सकता है यदि प्रजाति को व्यापक अर्थों में लें, लेकिन यह मुख्य निर्धारक नहीं है। विकल्प (d) भी अति सरलीकरण है क्योंकि कुछ ऐतिहासिक व्याख्याओं ने इन दोनों के बीच संबंध बनाने की कोशिश की है।

प्रश्न 4: मैक्स वेबर द्वारा ‘सत्ता’ (Authority) के तीन आदर्श प्रकारों में कौन सा शामिल नहीं है?

  1. तर्कसंगत-विधिक सत्ता (Rational-Legal Authority)
  2. परंपरागत सत्ता (Traditional Authority)
  3. करिश्माई सत्ता (Charismatic Authority)
  4. सहानुभूतिपूर्ण सत्ता (Sympathetic Authority)

उत्तर: (d)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: मैक्स वेबर ने सत्ता के तीन आदर्श प्रकार बताए थे: तर्कसंगत-विधिक सत्ता (जैसे आधुनिक नौकरशाही, कानून पर आधारित), परंपरागत सत्ता (जैसे राजशाही, जहाँ अधिकार पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलता है), और करिश्माई सत्ता (जैसे किसी असाधारण व्यक्तिगत गुण वाले नेता में निहित)। सहानुभूतिपूर्ण सत्ता (Sympathetic Authority) वेबर द्वारा वर्णित सत्ता का प्रकार नहीं है।
  • संदर्भ और विस्तार: वेबर ने इन आदर्श प्रकारों का उपयोग वास्तविक दुनिया की सत्तात्मक संरचनाओं को समझने और उनका विश्लेषण करने के लिए एक विश्लेषणात्मक उपकरण के रूप में किया। उन्होंने तर्कसंगत-विधिक सत्ता को आधुनिक समाज की प्रमुख सत्ता का रूप माना।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a), (b), और (c) वेबर द्वारा वर्णित तीन प्रमुख सत्ता के प्रकार हैं।

प्रश्न 5: एमिल दुर्खीम के अनुसार, “एनोमी” (Anomie) की स्थिति कब उत्पन्न होती है?

  1. जब समाज में अत्यधिक नियम और प्रतिबंध हों।
  2. जब सामाजिक मानदंडों का अभाव हो या वे कमजोर पड़ जाएँ।
  3. जब व्यक्तिगत स्वतंत्रता बहुत अधिक हो।
  4. जब सामाजिक एकता मजबूत हो।

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: एमिल दुर्खीम ने “एनोमी” को एक ऐसी सामाजिक स्थिति के रूप में परिभाषित किया है जहाँ समाज के सदस्यों के बीच सामाजिक नियमों और मानदंडों का अभाव होता है, या वे कमजोर और अनिश्चित हो जाते हैं। यह तब होता है जब समाज में तीव्र सामाजिक परिवर्तन या संकट आता है, जिससे स्थापित मूल्य और नियम अप्रचलित हो जाते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तकों “The Division of Labour in Society” और “Suicide” में एनोमी की अवधारणा का विस्तार से वर्णन किया है। उन्होंने विशेष रूप से बताया कि एनोमी आत्महत्या का एक कारण बन सकती है।
  • गलत विकल्प: अत्यधिक नियम (a) “नैतिकतावाद” (Moralism) की ओर ले जा सकता है, न कि एनोमी की ओर। अत्यधिक व्यक्तिगत स्वतंत्रता (c) एनोमी का कारण हो सकती है यदि यह सामाजिक मानदंडों के अभाव के साथ हो, लेकिन केवल स्वतंत्रता एनोमी नहीं है। मजबूत सामाजिक एकता (d) एनोमी के विपरीत स्थिति है।

प्रश्न 6: सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification) के संबंध में, “ओपन क्लास सिस्टम” (Open Class System) की मुख्य विशेषता क्या है?

  1. गतिशीलता पूरी तरह से प्रतिबंधित होती है।
  2. व्यक्ति की स्थिति जन्म से निर्धारित होती है और बदली नहीं जा सकती।
  3. सामाजिक गतिशीलता (Social Mobility) संभव है, और व्यक्ति अपनी योग्यता से अपनी स्थिति बदल सकता है।
  4. यह पूरी तरह से कर्मकांडीय शुद्धता पर आधारित होता है।

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: एक ओपन क्लास सिस्टम (जैसे आधुनिक समाज में पाया जाने वाला) वह है जहाँ सामाजिक गतिशीलता संभव होती है। व्यक्ति अपनी योग्यता, प्रयास, शिक्षा और अन्य सामाजिक-आर्थिक कारकों के आधार पर अपनी सामाजिक स्थिति को ऊपर या नीचे ले जा सकता है। जन्म से प्राप्त स्थिति उतनी निर्णायक नहीं होती जितनी कि क्लोज्ड सिस्टम (जैसे जाति व्यवस्था) में होती है।
  • संदर्भ और विस्तार: विभिन्न सामाजिक स्तरीकरण प्रणालियों (जैसे दासता, जाति, वर्ग) की तुलना करते हुए, समाजशास्त्रीय विश्लेषण में ओपन और क्लोज्ड सिस्टम के बीच अंतर महत्वपूर्ण है। ओपन सिस्टम में सामाजिक गतिशीलता की अधिक गुंजाइश होती है।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a) और (b) क्लोज्ड सिस्टम (जैसे जाति) की विशेषताएँ हैं। विकल्प (d) भी जाति व्यवस्था से संबंधित है, न कि ओपन क्लास सिस्टम से।

प्रश्न 7: “नारीवाद” (Feminism) के किस दृष्टिकोण के अनुसार, महिलाओं का उत्पीड़न पितृसत्ता (Patriarchy) और पूंजीवाद (Capitalism) दोनों का परिणाम है?

  1. उदारवादी नारीवाद (Liberal Feminism)
  2. मार्क्सवादी/समाजवादी नारीवाद (Marxist/Socialist Feminism)
  3. उत्तर-संरचनावादी नारीवाद (Post-structuralist Feminism)
  4. पारिस्थितिक नारीवाद (Ecofeminism)

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: मार्क्सवादी और समाजवादी नारीवाद (Marxist and Socialist Feminism) यह तर्क देते हैं कि महिलाओं का उत्पीड़न केवल पितृसत्तात्मक संरचनाओं के कारण नहीं है, बल्कि यह पूँजीवादी आर्थिक व्यवस्था और उत्पादन के साधनों पर निजी स्वामित्व से भी गहरा जुड़ा हुआ है। वे इन दोनों प्रणालियों के अंतर्संबंध को महिलाओं की अधीनता का मूल कारण मानते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह दृष्टिकोण मार्क्स के वर्ग संघर्ष के सिद्धांत को अपनाता है और लिंग आधारित उत्पीड़न को आर्थिक शोषण के साथ जोड़ता है। वे महिलाओं के घरेलू श्रम को अक्सर अनुपयोगी (unwaged) और पूंजीवादी व्यवस्था के लिए लाभदायक मानते हैं।
  • गलत विकल्प: उदारवादी नारीवाद लैंगिक समानता और भेदभाव को समाप्त करने पर ध्यान केंद्रित करता है, लेकिन जरूरी नहीं कि यह पूंजीवाद को दुश्मन माने। उत्तर-संरचनावादी नारीवाद भाषा, शक्ति और प्रवचन (discourse) के माध्यम से लिंग के निर्माण पर जोर देता है। पारिस्थितिक नारीवाद प्रकृति के शोषण और महिलाओं के शोषण के बीच संबंध देखता है।

प्रश्न 8: परिवार के निम्नलिखित कार्यों में से कौन सा समाजशास्त्रियों द्वारा “आधुनिक समाजों” में धीरे-धीरे कम महत्वपूर्ण माना जाता है?

  1. प्रजनन
  2. बालकों का समाजीकरण
  3. आर्थिक उत्पादन
  4. भावनात्मक सहारा

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: पारंपरिक समाजों में, परिवार अक्सर एक उत्पादन इकाई (unit of production) होता था, जहाँ सदस्य कृषि, शिल्प आदि में मिलकर काम करते थे। आधुनिक समाजों में, आर्थिक उत्पादन का कार्य परिवार से बाहर निकलकर कारखानों, कार्यालयों और व्यवसायों जैसी संस्थाओं में चला गया है, जिससे परिवार की आर्थिक उत्पादन इकाई के रूप में भूमिका कम हो गई है।
  • संदर्भ और विस्तार: परिवार के अन्य कार्य जैसे प्रजनन, समाजीकरण और भावनात्मक सहारा अभी भी महत्वपूर्ण हैं, हालाँकि उनके स्वरूप में परिवर्तन आया है। आर्थिक उत्पादन का कार्य उद्योगीकरण और विशेषीकरण (specialization) के कारण परिवार से अलग हो गया है।
  • गलत विकल्प: प्रजनन (a), समाजीकरण (b), और भावनात्मक सहारा (d) अभी भी परिवार के महत्वपूर्ण कार्य माने जाते हैं, यद्यपि उनके तरीकों में बदलाव आया है।

प्रश्न 9: “प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद” (Symbolic Interactionism) का प्रमुख प्रवर्तक कौन माना जाता है?

  1. ए. एल. क्रोबर
  2. हरबर्ट मीड
  3. रॉबर्ट रेडफील्ड
  4. ए. आर. रेडक्लिफ-ब्राउन

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: हरबर्ट मीड (George Herbert Mead) को प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद का प्रमुख प्रवर्तक माना जाता है। उन्होंने “स्व” (Self) के विकास, “समाज” (Society) के निर्माण में प्रतीकों और भाषा की भूमिका तथा लोगों के बीच अंतःक्रिया (Interaction) के महत्व पर जोर दिया।
  • संदर्भ और विस्तार: मीड ने अपनी मरणोपरांत प्रकाशित पुस्तक “Mind, Self, and Society” में इन विचारों को प्रस्तुत किया। उनके अनुसार, व्यक्ति समाज में दूसरों के साथ अंतःक्रिया करके और प्रतीकों (जैसे भाषा) का उपयोग करके अपने “स्व” का विकास करता है।
  • गलत विकल्प: ए. एल. क्रोबर एक मानवविज्ञानी थे जिन्होंने संस्कृति का अध्ययन किया। रॉबर्ट रेडफील्ड ग्राम और शहर (Folk and Urban) के समाजशास्त्री थे। ए. आर. रेडक्लिफ-ब्राउन एक संरचनात्मक-प्रकार्यात्मकतावादी (Structural-Functionalist) मानवविज्ञानी थे।

प्रश्न 10: भारतीय जाति व्यवस्था में, “पसंदीदा विवाह” (Preferred Marriage) की प्रथा का क्या अर्थ है?

  1. किसी भी जाति के व्यक्ति से विवाह करना।
  2. अपने से उच्च जाति के व्यक्ति से विवाह करना।
  3. मामा की बेटी या पिता के भाई की बेटी से विवाह करना।
  4. किसी भी गोत्र (Gotra) में विवाह करना।

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: भारतीय जाति व्यवस्था में, विशेष रूप से दक्षिण भारत में, “पसंदीदा विवाह” की प्रथा के तहत एक व्यक्ति से अपेक्षा की जाती है कि वह अपनी माँ के भाई (मामा) की बेटी या अपने पिता के भाई (ताऊ/चाचा) की बेटी से विवाह करे। यह अंतर्विवाही (Endogamous) जाति नियमों के भीतर एक विशेष प्रकार का विवाह है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह प्रथा नातेदारी (Kinship) और विवाह (Marriage) के अध्ययन में महत्वपूर्ण है। यह दर्शाता है कि कैसे कुछ नातेदारी संबंध विवाह के लिए अधिक स्वीकार्य माने जाते हैं, भले ही कुछ सामाजिक रूढ़ियों के विपरीत हों (जैसे कि सगे-संबधियों के बीच विवाह)।
  • गलत विकल्प: (a) और (b) जाति के मुख्य नियमों (जाति के भीतर विवाह) का उल्लंघन करते हैं। (d) गलत है क्योंकि गोत्र (Gotra) बहिर्विवाही (Exogamous) होता है, यानी समान गोत्र में विवाह वर्जित होता है।

प्रश्न 11: जिस सामाजिक प्रक्रिया में एक बड़े समूह की संस्कृति को एक छोटे, अल्पसंख्यक समूह द्वारा अपनाया जाता है, उसे क्या कहा जाता है?

  1. समावेशन (Acculturation)
  2. आत्मसातीकरण (Assimilation)
  3. सांस्कृतिक प्रसारण (Cultural Diffusion)
  4. विविधीकरण (Diversification)

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: आत्मसातीकरण (Assimilation) वह प्रक्रिया है जिसमें एक अल्पसंख्यक समूह धीरे-धीरे अपनी विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान को छोड़कर बहुसंख्यक या प्रमुख संस्कृति को अपना लेता है। यह एकतरफा प्रक्रिया हो सकती है जहाँ अल्पसंख्यक पूरी तरह से बदल जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह शब्द अक्सर आप्रवासन (Immigration) और जातीय समाजों के अध्ययन में प्रयोग किया जाता है। यह सांस्कृतिक परिवर्तन का एक रूप है जहाँ सांस्कृतिक अंतर कम हो जाते हैं।
  • गलत विकल्प: समावेशन (Acculturation) में दो संस्कृतियों के संपर्क से परिवर्तन होता है, लेकिन अल्पसंख्यक समूह अपनी मूल पहचान बनाए रख सकता है। सांस्कृतिक प्रसारण (Cultural Diffusion) विभिन्न समाजों के बीच सांस्कृतिक तत्वों का आदान-प्रदान है। विविधीकरण (Diversification) का अर्थ विभिन्नताओं का बढ़ना है।

प्रश्न 12: दुर्खीम के अनुसार, “यांत्रिक एकता” (Mechanical Solidarity) किस प्रकार के समाजों में पाई जाती है?

  1. औद्योगिक समाज
  2. समाज जो श्रम के जटिल विभाजन पर आधारित हैं।
  3. सरल, पूर्व-औद्योगिक या जनजातीय समाज जिनमें समान विश्वास और अनुभव होते हैं।
  4. बहु-सांस्कृतिक समाज।

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: एमिल दुर्खीम ने “यांत्रिक एकता” को उन समाजों की विशेषता बताया है जहाँ लोगों के बीच समानता, साझा विश्वास, मूल्य और जीवन शैली होती है। ऐसे समाज सरल होते हैं, श्रम का विभाजन कम होता है, और लोग अक्सर एक जैसे काम करते हैं। उनकी एकता समानता पर आधारित होती है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा उनकी पुस्तक “The Division of Labour in Society” में प्रस्तुत की गई थी। इसके विपरीत, वे “जैविक एकता” (Organic Solidarity) को आधुनिक, औद्योगिक समाजों में श्रम के विभाजन के कारण उत्पन्न सामाजिक एकता से जोड़ते हैं।
  • गलत विकल्प: औद्योगिक समाज (a) और श्रम के जटिल विभाजन वाले समाज (b) जैविक एकता के उदाहरण हैं। बहु-सांस्कृतिक समाज (d) में विविधता होती है, जो यांत्रिक एकता के विपरीत है।

प्रश्न 13: भारतीय संदर्भ में, “धर्मनिरपेक्षता” (Secularism) का क्या अर्थ है?

  1. सभी धर्मों का उन्मूलन।
  2. राज्य द्वारा सभी धर्मों के प्रति तटस्थता और समान व्यवहार।
  3. केवल राज्य द्वारा हिंदू धर्म को बढ़ावा देना।
  4. राज्य का किसी भी धर्म को न मानना और उसे बढ़ावा न देना।

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: भारतीय संविधान और समाजशास्त्रीय व्याख्या के अनुसार, धर्मनिरपेक्षता का अर्थ है कि राज्य किसी विशेष धर्म का पक्ष नहीं लेगा, बल्कि सभी धर्मों के प्रति समान व्यवहार करेगा और उनकी रक्षा करेगा। यह सभी धर्मों के स्वतंत्र अभ्यास की अनुमति देता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह पश्चिमी धर्मनिरपेक्षता से थोड़ा भिन्न है जहाँ राज्य पूरी तरह से धर्म से अलग रहता है (strict separation)। भारतीय धर्मनिरपेक्षता (Sarva Dharma Sama Bhava) सभी धर्मों के प्रति सम्मान और समान व्यवहार पर आधारित है।
  • गलत विकल्प: (a) धर्मों का उन्मूलन करना धर्मनिरपेक्षता नहीं है। (c) केवल एक धर्म को बढ़ावा देना धर्मनिरपेक्षता नहीं है, बल्कि सांप्रदायिकता है। (d) राज्य का किसी भी धर्म को न मानना (non-belief) एक दृष्टिकोण हो सकता है, लेकिन भारतीय धर्मनिरपेक्षता की मुख्य भावना समान व्यवहार है, न कि पूर्ण अलगाव।

प्रश्न 14: “सामाजिक संरचना” (Social Structure) की अवधारणा को सबसे अच्छी तरह से किसने परिभाषित किया है, जो समाज के अपेक्षाकृत स्थायी और अंतर्संबंधित भागों के रूप में है?

  1. इरिंग गॉफमैन
  2. टैल्कॉट पार्सन्स
  3. एमिल दुर्खीम
  4. जॉर्ज सिमेल

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: टैल्कॉट पार्सन्स (Talcott Parsons) को सामाजिक संरचना और प्रकार्यात्मकता (Functionalism) के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए पहचाना जाता है। उन्होंने सामाजिक संरचना को समाज के उन व्यवस्थित पैटर्न के रूप में देखा जो सामाजिक व्यवस्था बनाए रखते हैं, और ये पैटर्न विभिन्न संस्थाओं, भूमिकाओं और मूल्यों से मिलकर बनते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: पार्सन्स ने “The Social System” (1951) जैसी अपनी कृतियों में सामाजिक संरचना को व्यापक रूप से विश्लेषित किया। उन्होंने सामाजिक व्यवस्था के बनाए रखने के लिए कार्यों (Functions) पर जोर दिया।
  • गलत विकल्प: इरिंग गॉफमैन ने “नाटकीयता” (Dramaturgy) और सामाजिक अंतःक्रिया के सूक्ष्म विश्लेषण पर ध्यान केंद्रित किया। एमिल दुर्खीम ने सामाजिक एकता और सामाजिक तथ्यों पर जोर दिया। जॉर्ज सिमेल ने सामाजिक रूपों और अंतःक्रिया की सूक्ष्मता पर काम किया।

प्रश्न 15: “क्विट-जॉब” (Quit-Job) या “महान इस्तीफा” (Great Resignation) जैसी समकालीन घटनाएँ समाजशास्त्र में किस प्रकार के सामाजिक परिवर्तन से संबंधित हैं?

  1. आर्थिक मंदी
  2. श्रमिकों के बदलते दृष्टिकोण और कार्य-जीवन संतुलन की बढ़ती प्राथमिकता
  3. तकनीकी नवाचारों का अभाव
  4. सरकारी नीतियों में असफलता

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: “क्विट-जॉब” या “महान इस्तीफा” जैसी घटनाएँ मुख्य रूप से श्रमिकों के बदलती प्राथमिकताओं, विशेष रूप से महामारी के बाद कार्य-जीवन संतुलन (Work-Life Balance), मानसिक स्वास्थ्य, लचीले काम के घंटे और नौकरी से संतुष्टि के प्रति बढ़ते महत्व से जुड़ी हैं। यह बदलते सामाजिक मूल्यों और श्रमिक वर्ग के बढ़ते सशक्तिकरण का प्रतीक है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह सामाजिक परिवर्तन श्रम बाजार, कार्यबल की प्रेरणाओं और आधुनिक जीवन की गुणवत्ता की धारणाओं को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है। यह कार्य की प्रकृति में एक बड़े बदलाव का संकेत दे सकता है।
  • गलत विकल्प: जबकि आर्थिक मंदी (a) या सरकारी नीतियों (d) का प्रभाव हो सकता है, ये प्राथमिक कारण नहीं हैं। तकनीकी नवाचारों का अभाव (c) भी इस घटना का प्रत्यक्ष कारण नहीं है, बल्कि नवाचारों ने लचीलेपन को संभव बनाया है।

प्रश्न 16: समाजशास्त्र में, “सामाजिक अनुसंधान” (Social Research) की प्रथम अवस्था क्या है?

  1. डेटा विश्लेषण
  2. निष्कर्ष निकालना
  3. समस्या का निर्धारण (Problem identification)
  4. रिपोर्ट लिखना

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: किसी भी सामाजिक अनुसंधान की पहली और सबसे महत्वपूर्ण अवस्था एक स्पष्ट और सुस्पष्ट समस्या या प्रश्न का निर्धारण करना है जिसका उत्तर खोजा जाना है। यह अनुसंधान के उद्देश्य और दिशा को परिभाषित करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: अनुसंधान प्रक्रिया आम तौर पर समस्या निर्धारण, साहित्य समीक्षा, परिकल्पना निर्माण, अनुसंधान डिजाइन, डेटा संग्रह, डेटा विश्लेषण, निष्कर्ष और रिपोर्टिंग जैसे चरणों से होकर गुजरती है।
  • गलत विकल्प: डेटा विश्लेषण (a), निष्कर्ष निकालना (b), और रिपोर्ट लिखना (d) अनुसंधान प्रक्रिया के बाद के चरण हैं, जो समस्या निर्धारण पर निर्भर करते हैं।

प्रश्न 17: “सामाजिक पूंजी” (Social Capital) की अवधारणा किसने विकसित की, जो सामाजिक नेटवर्क, संबंधों और पारस्परिक विश्वास के महत्व पर जोर देती है?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. मैक्स वेबर
  3. पियरे बॉर्डियू
  4. एन्थनी गिडेंस

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: पियरे बॉर्डियू (Pierre Bourdieu) ने सामाजिक पूंजी की अवधारणा को विस्तृत रूप से विकसित किया। उनके अनुसार, सामाजिक पूंजी उन संसाधनों का कुल योग है जो किसी व्यक्ति या समूह को उसके सामाजिक नेटवर्क और संबंधों के माध्यम से प्राप्त होते हैं। इसमें विश्वास, पारस्परिक दायित्व और जुड़ाव शामिल हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: बॉर्डियू ने इसे “सांस्कृतिक पूंजी” (Cultural Capital) और “आर्थिक पूंजी” (Economic Capital) के साथ समाज में शक्ति और स्थिति को बनाए रखने के लिए एक महत्वपूर्ण कारक के रूप में देखा।
  • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स और मैक्स वेबर ने शक्ति और समाज की संरचना पर काम किया, लेकिन उन्होंने विशेष रूप से “सामाजिक पूंजी” शब्द का प्रयोग उस रूप में नहीं किया जैसा बॉर्डियू ने किया। एन्थनी गिडेंस आधुनिकता और संरचना की अवधारणाओं के लिए जाने जाते हैं।

प्रश्न 18: भारत में “सांप्रदायिकता” (Communalism) के उदय का प्रमुख कारण क्या माना जाता है?

  1. धर्मों का सह-अस्तित्व
  2. विभिन्न धार्मिक समूहों के बीच बढ़ती राजनीतिक प्रतिस्पर्धा और पहचान की राजनीति।
  3. धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन
  4. सभी धर्मों के प्रति समान सम्मान।

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: भारतीय संदर्भ में सांप्रदायिकता का अर्थ केवल धार्मिक भिन्नता नहीं है, बल्कि यह विभिन्न धार्मिक समूहों के बीच राजनीतिक प्रतिस्पर्धा, विशेषकर संसाधनों और सत्ता के लिए, और पहचान की राजनीति (Identity Politics) के कारण उत्पन्न होती है। इसमें अक्सर एक धर्म के अनुयायियों को दूसरे धर्म के अनुयायियों के प्रति शत्रुतापूर्ण दृष्टिकोण से देखा जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह एक जटिल सामाजिक-राजनीतिक घटना है जो सामाजिक विभाजन, पूर्वाग्रहों और अक्सर हिंसा को जन्म देती है। इतिहास, राजनीति और आर्थिक कारक सभी इसमें योगदान करते हैं।
  • गलत विकल्प: धर्मों का सह-अस्तित्व (a) या सभी धर्मों के प्रति सम्मान (d) सांप्रदायिकता के विपरीत हैं। धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन (c) स्वयं सांप्रदायिकता नहीं है, हालाँकि उसका गलत अर्थ निकाला जा सकता है।

प्रश्न 19: “प्रजातीय विभेदन” (Racial Discrimination) के संदर्भ में, “आंतरिककृत नस्लवाद” (Internalized Racism) का क्या अर्थ है?

  1. जब एक प्रजाति समूह दूसरे पर हावी हो।
  2. जब अल्पसंख्यक समूह के सदस्य बहुसंख्यक समूह के नस्लवादी विचारों और रूढ़ियों को स्वीकार कर लेते हैं और स्वयं पर लागू करते हैं।
  3. जब सरकारें नस्लीय समानता को बढ़ावा देती हैं।
  4. जब लोग खुलेआम नस्लवादी टिप्पणियाँ करते हैं।

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: आंतरिककृत नस्लवाद वह स्थिति है जब किसी अल्पसंख्यक या उत्पीड़ित प्रजाति या जातीय समूह का सदस्य, समाज में व्याप्त नस्लवादी विचारों, रूढ़ियों और पूर्वाग्रहों को आंतरिक कर लेता है और उन्हें अपने समूह के बारे में सत्य मानने लगता है। इससे आत्म-सम्मान में कमी और अपने समूह के प्रति नकारात्मक दृष्टिकोण हो सकता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अक्सर लंबे समय तक उत्पीड़न और सामाजिक पूर्वाग्रह का परिणाम होता है। समाजशास्त्रीय विश्लेषण में, यह उत्पीड़न के गहरे मनोवैज्ञानिक प्रभावों को समझने में मदद करता है।
  • गलत विकल्प: (a) बाहरी नस्लीय प्रभुत्व है। (c) सरकारी समानता का प्रयास है, न कि आंतरिककृत नस्लवाद। (d) प्रत्यक्ष नस्लवाद या खुलेआम नस्लवादी व्यवहार है।

प्रश्न 20: “भूमिका दूरी” (Role Distance) की अवधारणा को किसने विकसित किया, जिसका अर्थ है कि व्यक्ति अपनी सामाजिक भूमिका को निभाने के दौरान उससे कुछ अलगाव बनाए रखता है?

  1. एमिल दुर्खीम
  2. मैक्स वेबर
  3. अर्लिंग गॉफमैन
  4. डेविड एफ. लॉच्य

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: इरविंग गॉफमैन (Erving Goffman) ने अपनी पुस्तक “Interaction Ritual: Essays on Face to Face Behavior” में “भूमिका दूरी” की अवधारणा पेश की। इसका मतलब है कि व्यक्ति किसी भूमिका को निभाते हुए भी, उस भूमिका के साथ पूरी तरह से एकात्मता (Identification) महसूस नहीं करता, बल्कि एक निश्चित अलगाव बनाए रखता है, जिससे वह अपनी स्वायत्तता का बोध कराता है।
  • संदर्भ और विस्तार: गॉफमैन का “नाटकीयता” (Dramaturgy) का दृष्टिकोण इस बात पर आधारित है कि कैसे लोग सामाजिक जीवन को एक रंगमंच की तरह देखते हैं, जहाँ वे विभिन्न भूमिकाएँ निभाते हैं, अक्सर अपने वास्तविक स्वरूप और भूमिका के बीच दूरी बनाए रखते हुए।
  • गलत विकल्प: दुर्खीम और वेबर ने सामाजिक संरचना और व्यवस्था पर काम किया, लेकिन भूमिका दूरी उनकी मुख्य अवधारणा नहीं थी। डेविड एफ. लॉच्य (David F. Lochy) इस अवधारणा से जुड़े नहीं हैं।

प्रश्न 21: निम्नलिखित में से कौन सी संस्था समाज के सदस्यों को शिक्षा और समाजीकरण प्रदान करने के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार है?

  1. परिवार
  2. राज्य
  3. धर्म
  4. शिक्षा

उत्तर: (d)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: शिक्षा (Education) एक सामाजिक संस्था है जिसका प्राथमिक कार्य समाज के सदस्यों को ज्ञान, कौशल, मूल्य और मानदंडों को सिखाना है, जिससे उनका समाजीकरण होता है और वे समाज में प्रभावी ढंग से भाग ले सकें।
  • संदर्भ और विस्तार: परिवार (a) भी समाजीकरण का एक महत्वपूर्ण माध्यम है, लेकिन औपचारिक शिक्षा संस्थागत समाजीकरण और विशिष्ट ज्ञान प्रदान करती है। राज्य (b) अप्रत्यक्ष रूप से शिक्षा को प्रभावित करता है, और धर्म (c) भी नैतिक और मूल्य-आधारित शिक्षा देता है, लेकिन औपचारिक शिक्षा संस्था ही वह प्राथमिक स्थल है जहाँ व्यवस्थित रूप से ज्ञान और कौशल हस्तांतरित होते हैं।
  • गलत विकल्प: परिवार, राज्य और धर्म समाजीकरण में भूमिका निभाते हैं, लेकिन शिक्षा संस्था का मुख्य और प्रत्यक्ष कार्य ही ज्ञान हस्तांतरण और समाजीकरण है।

प्रश्न 22: “डेवलपमेंट ऑफ डेविएन्स” (Development of Deviance) के संदर्भ में, “लेबलिंग थ्योरी” (Labeling Theory) का मुख्य विचार क्या है?

  1. विचलन (Deviance) एक व्यक्ति के व्यवहार का आंतरिक गुण है।
  2. विचलन व्यवहार से अधिक, उस व्यवहार पर समाज द्वारा लगाई गई प्रतिक्रिया और लेबल (पहचान) का परिणाम है।
  3. सभी समाज विचलित व्यवहार को समान रूप से देखते हैं।
  4. विचलन केवल सामाजिक व्यवस्था की कमी के कारण होता है।

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: लेबलिंग थ्योरी (हावर्ड बेकर, एडविन लेमर्ट जैसे समाजशास्त्रियों द्वारा विकसित) के अनुसार, कोई भी कार्य स्वयं में विचलित नहीं होता; बल्कि, समाज द्वारा उस व्यवहार को “विचलित” के रूप में लेबल (चिह्नित) किए जाने पर वह विचलित हो जाता है। जब किसी व्यक्ति को “विचलित” का लेबल दिया जाता है, तो यह उसके आत्म-बोध और भविष्य के व्यवहार को प्रभावित कर सकता है, जिससे वह वास्तव में उस लेबल के अनुरूप व्यवहार करना शुरू कर सकता है (द्वितीयक विचलन)।
  • संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत विचलन को एक सामाजिक निर्माण (Social Construction) के रूप में देखता है।
  • गलत विकल्प: (a) लेबलिंग थ्योरी के विपरीत है। (c) यह विचार कि सभी समाज विचलित व्यवहार को समान रूप से देखते हैं, गलत है क्योंकि यह समाज पर निर्भर करता है कि वह क्या विचलित मानता है। (d) यह विचलन का एक कारण हो सकता है, लेकिन लेबलिंग थ्योरी का मुख्य तर्क नहीं है।

प्रश्न 23: भारतीय समाज में “आधुनिकीकरण” (Modernization) की प्रक्रिया के बारे में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सबसे सटीक है?

  1. यह केवल पश्चिमीकरण का पर्याय है।
  2. यह केवल औद्योगिकीकरण और शहरीकरण तक सीमित है।
  3. यह धर्मनिरपेक्षता, तर्कवाद, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और संस्थागत परिवर्तन जैसी कई सामाजिक-सांस्कृतिक और आर्थिक प्रक्रियाओं का एक जटिल मिश्रण है।
  4. यह भारतीय समाज की पारंपरिक संस्थाओं को पूरी तरह से नष्ट कर देता है।

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: आधुनिकीकरण एक बहुआयामी प्रक्रिया है जिसमें केवल पश्चिमीकरण (Westernization) या औद्योगिकीकरण/शहरीकरण (Industrialization/Urbanization) शामिल नहीं है, बल्कि इसमें धर्मनिरपेक्षता (Secularization), तर्कवाद (Rationalism), वैज्ञानिक दृष्टिकोण (Scientific Temper) का प्रसार, शिक्षा का विस्तार, प्रजातंत्रिकरण (Democratization) और विभिन्न सामाजिक संस्थाओं (जैसे परिवार, राजनीति, अर्थव्यवस्था) में परिवर्तन शामिल हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यद्यपि पश्चिमी प्रभाव आधुनिकीकरण का एक हिस्सा रहा है, भारतीय आधुनिकीकरण की अपनी विशिष्टताएँ हैं और यह भारतीय सांस्कृतिक संदर्भों के साथ अंतःक्रिया करता है।
  • गलत विकल्प: (a) और (b) आधुनिकीकरण के एकपक्षीय विचार प्रस्तुत करते हैं। (d) अतिशयोक्ति है; आधुनिकीकरण अक्सर पारंपरिक संस्थाओं के साथ अनुकूलन या पुनर्गठन करता है, न कि पूर्ण विनाश।

प्रश्न 24: “संरचनात्मक प्रकार्यात्मकता” (Structural Functionalism) के परिप्रेक्ष्य में, समाज को कैसे देखा जाता है?

  1. एक संघर्षरत व्यवस्था जहाँ विभिन्न समूह शक्ति के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं।
  2. एक स्थिर प्रणाली जिसमें परस्पर संबंधित भाग होते हैं जो सामूहिक भलाई में योगदान करते हैं।
  3. यह व्याख्या करना कि समाज कैसे बदलता है।
  4. व्यक्तिगत भावनाओं और अनुभवों पर ध्यान केंद्रित करना।

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: संरचनात्मक प्रकार्यात्मकता (Functionalism) समाज को एक जटिल प्रणाली के रूप में देखती है, जिसके विभिन्न भाग (जैसे संस्थाएँ, भूमिकाएँ, मूल्य) होते हैं, और ये सभी भाग एक साथ मिलकर काम करते हैं ताकि समाज की स्थिरता और सामंजस्य (Cohesion) बना रहे। वे समाज के प्रत्येक भाग के ‘कार्य’ (Function) पर ध्यान केंद्रित करते हैं कि वह पूरी व्यवस्था को कैसे बनाए रखने में मदद करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: टैल्कॉट पार्सन्स और रॉबर्ट मर्टन इस दृष्टिकोण के प्रमुख प्रतिपादक हैं। वे समाज में व्यवस्था (Order) और संतुलन (Equilibrium) पर जोर देते हैं।
  • गलत विकल्प: (a) संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory) का वर्णन करता है। (c) सामाजिक परिवर्तन का अध्ययन परिवर्तन के सिद्धांतों से जुड़ा है। (d) प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद जैसे सूक्ष्म-स्तरीय (Micro-level) परिप्रेक्ष्य से संबंधित है।

प्रश्न 25: निम्नलिखित में से कौन सी एक “सक्रिय प्रजनन” (Active Reproduction) की अवधारणा से संबंधित है, जहाँ व्यक्ति स्वयं को सामाजिक संरचना के ढांचे के भीतर सक्रिय रूप से ढालते हैं?

  1. एमिल दुर्खीम
  2. कार्ल मार्क्स
  3. पियरे बॉर्डियू
  4. मैक्स वेबर

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: पियरे बॉर्डियू ने “प्रजनन” (Reproduction) की अवधारणा को सामाजिक संरचनाओं के निरंतरता के रूप में देखा, जिसमें व्यक्ति अपने “अभ्यास” (Habitus) के माध्यम से सक्रिय रूप से भाग लेते हैं। अभ्यास एक स्थायी, हस्तांतरणीय संरचना है जो व्यक्ति की धारणाओं, विचारों और कार्यों को आकार देती है, और यह सामाजिक संरचनाओं के प्रजनन में मदद करती है। व्यक्ति अपनी आदतों, व्यवहारों और समझ के माध्यम से सामाजिक संरचनाओं को “पुनः उत्पन्न” (reproduce) करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा सामाजिक संरचनाओं को केवल बाहरी शक्तियों के रूप में नहीं देखती, बल्कि व्यक्तियों की एजेंसी (Agency) को भी शामिल करती है जो अनजाने में संरचनाओं को बनाए रखने या बदलने में भूमिका निभाते हैं।
  • गलत विकल्प: दुर्खीम ने सामाजिक तथ्यों पर, मार्क्स ने आर्थिक संरचना और वर्ग संघर्ष पर, और वेबर ने सत्ता और नौकरशाही पर अधिक ध्यान केंद्रित किया, जबकि बॉर्डियू ने अभ्यास और प्रजनन के माध्यम से संरचनात्मक एजेंसी की अपनी अनूठी समझ विकसित की।

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