अपनी समाजशास्त्रीय पकड़ पैनी करें: दैनिक मॉक टेस्ट
क्या आप अपनी समाजशास्त्रीय अवधारणाओं को और भी पैना करने के लिए तैयार हैं? यह दैनिक अभ्यास सत्र आपको समाजशास्त्र के विशाल क्षेत्र में गहराई से उतरने और आपकी परीक्षा की तैयारी को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का मौका देगा। आइए, अपनी विश्लेषणात्मक क्षमताओं को परखें और ज्ञान के नए क्षितिज खोलें!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: “समाजशास्त्र का उद्देश्य सामाजिक क्रियाओं को समझना और उनकी व्याख्या करना है।” – यह कथन किस समाजशास्त्री के दृष्टिकोण को सबसे अच्छी तरह दर्शाता है?
- कार्ल मार्क्स
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- हरबर्ट स्पेंसर
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: मैक्स वेबर ने ‘समझ’ (Verstehen) की अवधारणा पर जोर दिया, जिसका अर्थ है कि समाजशास्त्रियों को सामाजिक क्रियाओं के पीछे व्यक्तिपरक अर्थों को समझना चाहिए। उनका मानना था कि सामाजिक घटनाओं की व्याख्या उनके अर्थों को समझने से ही की जा सकती है।
- संदर्भ एवं विस्तार: वेबर की यह व्याख्या उनकी ‘व्याख्यात्मक समाजशास्त्र’ (Interpretive Sociology) का केंद्रीय तत्व है, जिसे उन्होंने अपनी प्रमुख कृति ‘समाज और अर्थव्यवस्था’ (Economy and Society) में विस्तार से बताया है। यह दुर्खीम के प्रत्यक्षवादी दृष्टिकोण से भिन्न है।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स का मुख्य जोर वर्ग संघर्ष और आर्थिक निर्धारणवाद पर था। एमिल दुर्खीम ने सामाजिक तथ्यों और सामूहिक चेतना का अध्ययन किया, जबकि हरबर्ट स्पेंसर ने सामाजिक विकास के लिए जैविक विकासवाद के सिद्धांतों को लागू किया।
प्रश्न 2: एम.एन. श्रीनिवास द्वारा प्रस्तुत ‘संस्कृतिकरण’ (Sanskritization) की अवधारणा का क्या अर्थ है?
- पश्चिमी संस्कृति का अनुकरण
- निम्न जातियों द्वारा उच्च जातियों की प्रथाओं, कर्मकांडों और विश्वासों को अपनाना
- औद्योगीकरण के कारण सामाजिक संरचना में परिवर्तन
- शहरी जीवन शैली का ग्रामीण क्षेत्रों में प्रसार
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: ‘संस्कृतिकरण’, एम.एन. श्रीनिवास द्वारा गढ़ा गया शब्द है, जो एक निम्न जाति या जनजाति द्वारा उच्च जाति की रीति-रिवाजों, कर्मकांडों और विश्वासों को अपनाकर जाति पदानुक्रम में उच्च स्थान प्राप्त करने की प्रक्रिया का वर्णन करता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: श्रीनिवास ने यह अवधारणा अपनी पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में प्रस्तुत की थी। यह संरचनात्मक गतिशीलता के बजाय सांस्कृतिक गतिशीलता का एक रूप है।
- गलत विकल्प: ‘पश्चिमीकरण’ पश्चिमी सांस्कृतिक लक्षणों को अपनाने को संदर्भित करता है। ‘आधुनिकीकरण’ तकनीकी और संस्थागत परिवर्तनों से संबंधित एक व्यापक अवधारणा है। शहरी जीवन शैली का प्रसार ‘शहरीकरण’ का हिस्सा है।
प्रश्न 3: निम्नलिखित में से कौन सी अवधारणा रॉबर्ट मर्टन द्वारा ‘प्रकट कार्य’ (Manifest Function) के विपरीत ‘अव्यक्त कार्य’ (Latent Function) के रूप में पहचानी गई है?
- सामाजिक संरचना
- अनुकूली विचलन
- सामाजिक परिवर्तन
- अनपेक्षित या गैर-मान्यता प्राप्त परिणाम
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: रॉबर्ट मर्टन ने ‘अव्यक्त कार्य’ को किसी सामाजिक संस्था या व्यवहार के अनपेक्षित या गैर-मान्यता प्राप्त परिणामों के रूप में परिभाषित किया है, जो ‘प्रकट कार्य’ (जो जानबूझकर और पहचाने गए परिणाम होते हैं) के विपरीत है।
- संदर्भ एवं विस्तार: मर्टन ने अपनी पुस्तक ‘Social Theory and Social Structure’ में यह भेद प्रस्तुत किया। उदाहरण के लिए, एक विश्वविद्यालय का प्रकट कार्य शिक्षा प्रदान करना है, जबकि अव्यक्त कार्य साथियों का एक नेटवर्क बनाना या सामाजिक गतिशीलता के अवसर प्रदान करना हो सकता है।
- गलत विकल्प: ‘सामाजिक संरचना’ समाज के व्यवस्थित पैटर्न का वर्णन करती है। ‘अनुकूली विचलन’ (adaptive deviation) विचलन का एक प्रकार है, न कि मर्टन का कार्य-कारण वर्गीकरण। ‘सामाजिक परिवर्तन’ एक व्यापक प्रक्रिया है।
प्रश्न 4: जॉर्ज हर्बर्ट मीड द्वारा विकसित ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) का मुख्य केंद्र बिंदु क्या है?
- बड़े पैमाने पर सामाजिक संस्थाएं
- सामाजिक वर्ग और शक्ति संबंध
- व्यक्तियों के बीच आमने-सामने की अंतःक्रिया और प्रतीकों का अर्थ
- सामाजिक व्यवस्था और एकीकरण
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: जॉर्ज हर्बर्ट मीड, प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के प्रमुख विचारकों में से एक, का मानना था कि व्यक्ति समाज को प्रतीकों (जैसे भाषा, हावभाव) के माध्यम से बातचीत करके बनाते और समझते हैं। आत्म (self) का निर्माण भी सामाजिक अंतःक्रिया के माध्यम से होता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: मीड का कार्य, विशेष रूप से उनकी मरणोपरांत प्रकाशित पुस्तक ‘Mind, Self, and Society’, इस सिद्धांत की नींव रखता है। यह व्यक्ति और समाज के बीच सूक्ष्म-स्तरीय (micro-level) संबंधों पर केंद्रित है।
- गलत विकल्प: ‘बड़े पैमाने पर सामाजिक संस्थाएं’ संरचनात्मक प्रकार्यवाद (जैसे पार्सन्स) का विषय हैं। ‘सामाजिक वर्ग और शक्ति संबंध’ मार्क्सवादी सिद्धांत से जुड़े हैं। ‘सामाजिक व्यवस्था और एकीकरण’ दुर्खीम और पार्सन्स के मुख्य विषय हैं।
प्रश्न 5: समाजशास्त्र में ‘अलगाव’ (Alienation) की अवधारणा को किस समाजशास्त्री ने पूँजीवादी उत्पादन प्रणाली के संदर्भ में प्रमुखता से विकसित किया?
- मैक्स वेबर
- एमिल दुर्खीम
- कार्ल मार्क्स
- सिग्मंड फ्रायड
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 6: भारत में जाति व्यवस्था का अध्ययन करने वाले समाजशास्त्रियों में, किसने ‘जाति के व्यवसायिकरण’ (Professionalization of Caste) और ‘जाति की राजनीतिकरण’ (Politicization of Caste) जैसे शब्दों का प्रयोग किया?
- जी.एस. घुरिये
- एम.एन. श्रीनिवास
- इरावती कर्वे
- आंद्रे बेतेई
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: एम.एन. श्रीनिवास ने भारत में जाति व्यवस्था के बदलते स्वरूप का विश्लेषण करते हुए ‘जाति का राजनीतिकरण’ और ‘राजनीति का जातिगत’ (politicization of caste and casteization of politics) जैसी महत्वपूर्ण टिप्पणियाँ कीं, जिसमें जाति के आधुनिक राजनीतिक प्रक्रियाओं में बढ़ते प्रभाव को दर्शाया गया।
- संदर्भ एवं विस्तार: श्रीनिवास के अध्ययनों ने दिखाया कि कैसे जातिगत पहचान राजनीतिक दलों के लिए वोट बैंक बन गई और कैसे राजनीतिक सत्ता जातिगत आधार पर संगठित होने लगी।
- गलत विकल्प: जी.एस. घुरिये ने जाति की अलगाववादी प्रवृत्ति पर जोर दिया। इरावती कर्वे ने भारत के विभिन्न क्षेत्रों में जाति और नातेदारी के विस्तार का अध्ययन किया। आंद्रे बेतेई ने ‘जाति व्यवस्था: एक समाजशास्त्रीय और मानवशास्त्रीय विश्लेषण’ लिखी, लेकिन श्रीनिवास के उपरोक्त शब्द उनके विश्लेषण से अधिक जुड़े हैं।
प्रश्न 7: किसी समाज के सदस्य द्वारा अपनाई जाने वाली जीवन शैली, विश्वासों, मूल्यों और व्यवहारों के समूह को क्या कहा जाता है?
- सामाजिक संरचना
- सबकल्चर (उपसंस्कृति)
- संस्कृति (Culture)
- सामाजिक वर्ग
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: संस्कृति (Culture) किसी समाज के सदस्यों द्वारा साझा किए गए ज्ञान, विश्वास, कला, नैतिकता, कानून, रीति-रिवाज और अन्य क्षमताओं और आदतों का एक समग्र समूह है। यह जीवन जीने का एक तरीका है।
- संदर्भ एवं विस्तार: संस्कृति को सीखा जाता है, साझा किया जाता है, और पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तांतरित किया जाता है। यह किसी भी समाज की पहचान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होती है।
- गलत विकल्प: ‘सामाजिक संरचना’ समाज के विभिन्न भागों के बीच संबंधों और व्यवस्थाओं को संदर्भित करती है। ‘सबकल्चर’ किसी बड़े समाज के भीतर एक छोटे समूह की विशिष्ट सांस्कृतिक प्रथाएं हैं। ‘सामाजिक वर्ग’ आर्थिक स्थिति के आधार पर समाज का विभाजन है।
प्रश्न 8: पैटर्न्स ऑफ़ सोशल बिहेवियर (Patterns of Social Behavior) पुस्तक के लेखक कौन हैं, जिसमें उन्होंने सामाजिक व्यवहार के पैटर्न का गहन विश्लेषण किया है?
- टैल्कॉट पार्सन्स
- ई. ए. शिल्स
- रॉबर्ट मर्टन
- जी. एच. मीड
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: टैल्कॉट पार्सन्स, संरचनात्मक प्रकार्यवाद के प्रमुख प्रस्तावक, ने सामाजिक व्यवहार के व्यवस्थित विश्लेषण पर जोर दिया। उनकी कई रचनाओं में सामाजिक व्यवस्था, क्रिया सिद्धांत और सामाजिक संरचना पर व्यापक चर्चा है। ‘Patterns of Social Behavior’ उनकी एक महत्वपूर्ण लेकिन कम चर्चित पुस्तक है जो उनके समग्र ढांचे को दर्शाती है। (हालांकि, यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि पार्सन्स ने ‘The Structure of Social Action’ और ‘Essays in Sociological Theory’ जैसी अधिक प्रभावशाली पुस्तकें लिखी हैं, लेकिन प्रश्न में निर्दिष्ट पुस्तक उनके काम का हिस्सा है)।
- संदर्भ एवं विस्तार: पार्सन्स ने सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने वाले पैटर्न और एकीकरण की व्याख्या करने के लिए ‘संरचनात्मक प्रकार्यवाद’ का विकास किया। उन्होंने सामाजिक क्रिया को उद्देश्यों, मूल्यों और सामाजिक संदर्भों से बंधा हुआ माना।
- गलत विकल्प: ई. ए. शिल्स (Edward Shils) भी पार्सन्स के सहयोगी थे और उन्होंने भी सामाजिक संरचना पर काम किया। रॉबर्ट मर्टन ने प्रकार्यवाद को परिष्कृत किया और अव्यक्त/प्रकट कार्यों की अवधारणा दी। जी.एच. मीड प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के जनक हैं।
प्रश्न 9: किसी समाज में जब प्रचलित सामाजिक मानदंड (norms) कमजोर या अनुपस्थित हो जाते हैं, तो इस स्थिति को क्या कहा जाता है, जैसा कि एमिल दुर्खीम ने बताया?
- संस्कृति
- अलगाव
- एनोमी (Anomie)
- सामाजिक समावेशन
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: एमिल दुर्खीम ने ‘एनोमी’ (Anomie) शब्द का प्रयोग उस स्थिति का वर्णन करने के लिए किया है जब समाज में सामाजिक मानदंडों की कमी या स्पष्टता का अभाव होता है, जिससे व्यक्तियों में दिशाहीनता और अनिश्चितता की भावना पैदा होती है।
- संदर्भ एवं विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘Suicide’ में विशेष रूप से एनोमी के कारण आत्महत्या की दरों में वृद्धि पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यह तब होता है जब समाज में तीव्र परिवर्तन (जैसे आर्थिक संकट या अचानक समृद्धि) आते हैं।
- गलत विकल्प: ‘संस्कृति’ जीवन शैली का समूह है। ‘अलगाव’ (Alienation) मार्क्स की अवधारणा है जो उत्पादन प्रक्रिया से व्यक्ति की दूरी को दर्शाती है। ‘सामाजिक समावेशन’ (Social Inclusion) सकारात्मक प्रक्रिया है।
प्रश्न 10: भारत में, ‘आदिवासी’ (Tribal) शब्द का प्रयोग अक्सर उन समुदायों के लिए किया जाता है जो मुख्य रूप से __ से जुड़े होते हैं।
- शहरी औद्योगिक केंद्र
- दूरस्थ पहाड़ी और वन क्षेत्र
- उच्च शहरी घनत्व वाले क्षेत्र
- विकासशील महानगरीय शहर
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: पारंपरिक रूप से, भारत में ‘आदिवासी’ समुदायों को उन समूहों के रूप में परिभाषित किया जाता रहा है जो मुख्य रूप से मुख्यधारा के समाज से अलग, दूरस्थ पहाड़ी और वन क्षेत्रों में निवास करते हैं और उनकी अपनी विशिष्ट संस्कृति और सामाजिक संरचना होती है।
- संदर्भ एवं विस्तार: हालांकि, यह परिभाषा बदल रही है और कई आदिवासी समुदाय अब शहरीकरण और वैश्वीकरण से प्रभावित हैं। भारतीय संविधान इन्हें ‘अनुसूचित जनजाति’ (Scheduled Tribes) के रूप में मान्यता देता है।
- गलत विकल्प: शहरी औद्योगिक केंद्र, उच्च शहरी घनत्व वाले क्षेत्र, और विकासशील महानगरीय शहर आमतौर पर आदिवासी समुदायों के पारंपरिक निवास स्थान नहीं माने जाते हैं।
प्रश्न 11: निम्नलिखित में से कौन सा समाजशास्त्री ‘वर्ग, दर्जा और शक्ति’ (Class, Status, and Party) के विश्लेषण के लिए जाना जाता है, जो सामाजिक स्तरीकरण को बहुआयामी मानता है?
- कार्ल मार्क्स
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- थॉर्नस्टीन वेबलन
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: मैक्स वेबर ने सामाजिक स्तरीकरण को केवल आर्थिक वर्ग (जैसा कि मार्क्स ने बताया) तक सीमित नहीं माना। उन्होंने ‘दर्जा’ (Status – सम्मान और जीवन शैली से संबंधित) और ‘शक्ति’ (Party – राजनीतिक प्रभाव से संबंधित) को भी महत्वपूर्ण आयाम के रूप में पहचाना।
- संदर्भ एवं विस्तार: वेबर का यह बहुआयामी दृष्टिकोण सामाजिक असमानता की अधिक सूक्ष्म समझ प्रदान करता है। उन्होंने इन तीनों को मिलकर समाज में व्यक्ति की स्थिति और प्रभाव को निर्धारित करने वाला माना।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ने मुख्य रूप से आर्थिक वर्ग (उत्पादन के साधनों के स्वामित्व पर आधारित) को स्तरीकरण का आधार माना। एमिल दुर्खीम ने सामाजिक एकता और सामूहिक चेतना पर ध्यान केंद्रित किया। थॉर्नस्टीन वेबलन ‘The Theory of the Leisure Class’ के लेखक हैं और ‘विशिष्ट उपभोग’ (conspicuous consumption) की अवधारणा के लिए जाने जाते हैं।
प्रश्न 12: समाजशास्त्र में, ‘सामाजिक संस्था’ (Social Institution) का अर्थ क्या है?
- व्यक्तियों का एक अनौपचारिक समूह
- समाज के मूलभूत कार्यों को पूरा करने के लिए स्थापित नियम, भूमिकाएं और संबंध
- अस्थायी सामाजिक सभाएं
- व्यक्तियों के बीच व्यक्तिगत संबंध
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: सामाजिक संस्थाएं वे स्थापित और स्थायी पैटर्न हैं जो समाज की महत्वपूर्ण आवश्यकताओं (जैसे परिवार, शिक्षा, धर्म, सरकार) को पूरा करने के लिए विकसित होते हैं। इनमें विशिष्ट भूमिकाएं, नियम और उद्देश्य शामिल होते हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: परिवार, शिक्षा, धर्म, अर्थव्यवस्था और सरकार प्रमुख सामाजिक संस्थाओं के उदाहरण हैं। वे समाज को स्थिरता और व्यवस्था प्रदान करती हैं।
- गलत विकल्प: ‘व्यक्तियों का एक अनौपचारिक समूह’ अनौपचारिक समूह (informal group) है। ‘अस्थायी सामाजिक सभाएं’ जैसे कि भीड़ या रैली, संस्थाएं नहीं हैं। ‘व्यक्तियों के बीच व्यक्तिगत संबंध’ भी संस्थागत नहीं हैं।
प्रश्न 13: निम्नलिखित में से किस समाजशास्त्री ने ‘सामाजिक तथ्य’ (Social Facts) को “समाज में विद्यमान व्यवहार के ऐसे तरीके, जो व्यक्ति के लिए बाहरी होते हैं और बाध्यकारी शक्ति रखते हैं” के रूप में परिभाषित किया?
- मैक्स वेबर
- कार्ल मार्क्स
- हरबर्ट स्पेंसर
- एमिल दुर्खीम
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: एमिल दुर्खीम को समाजशास्त्र को एक स्वतंत्र विज्ञान के रूप में स्थापित करने का श्रेय दिया जाता है, और उन्होंने ‘सामाजिक तथ्यों’ को समाजशास्त्र का मुख्य अध्ययन विषय बताया। उन्होंने इन्हें बाह्य और बाध्यकारी के रूप में परिभाषित किया।
- संदर्भ एवं विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘The Rules of Sociological Method’ में स्पष्ट किया कि सामाजिक तथ्य ‘वस्तुओं’ की तरह अध्ययन किए जाने चाहिए, जिनका अर्थ है कि वे व्यक्ति की चेतना से स्वतंत्र होते हैं और व्यक्ति पर एक बाहरी दबाव डालते हैं।
- गलत विकल्प: मैक्स वेबर ने व्यक्तिपरक अर्थों पर जोर दिया। कार्ल मार्क्स का ध्यान आर्थिक संरचनाओं और वर्ग संघर्ष पर था। हरबर्ट स्पेंसर ने सामाजिक विकास के लिए जैविक विकासवाद का उपयोग किया।
प्रश्न 14: भारतीय समाज में, ‘अस्पृश्यता’ (Untouchability) मुख्य रूप से किस सामाजिक व्यवस्था से जुड़ी हुई है?
- धर्म
- जाति व्यवस्था
- वर्ग व्यवस्था
- नातेदारी व्यवस्था
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: अस्पृश्यता, जो ऐतिहासिक रूप से कई निम्न जातियों के साथ किया जाने वाला भेदभावपूर्ण व्यवहार है, सीधे तौर पर भारतीय जाति व्यवस्था की एक विकृत अभिव्यक्ति है। इसने उन जातियों को “अछूत” माना जो कथित तौर पर “अशुद्ध” माने जाते थे।
- संदर्भ एवं विस्तार: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 17 ने अस्पृश्यता को समाप्त कर दिया है और इसके किसी भी रूप में आचरण को दंडनीय अपराध घोषित किया है।
- गलत विकल्प: यद्यपि धर्म कभी-कभी जातिगत नियमों को समर्थन देने के लिए इस्तेमाल किया गया है, अस्पृश्यता का मूल सामाजिक-सांस्कृतिक और पदानुक्रमित संरचना में है जिसे जाति व्यवस्था कहते हैं। वर्ग व्यवस्था आर्थिक आधार पर आधारित है, और नातेदारी व्यवस्था रक्त या विवाह संबंधों से संबंधित है।
प्रश्न 15: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) से क्या तात्पर्य है?
- समाज में स्थिरता और व्यवस्था
- किसी व्यक्ति या समूह की सामाजिक स्थिति में परिवर्तन
- सामाजिक मानदंडों का उल्लंघन
- व्यक्तिगत पहचान का निर्माण
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: सामाजिक गतिशीलता एक व्यक्ति या समूह के एक सामाजिक स्तर या स्थिति से दूसरे में जाने की प्रक्रिया को संदर्भित करती है। यह ऊपर की ओर (ऊर्ध्वगामी) या नीचे की ओर (अधोगामी) हो सकती है, या एक ही स्तर पर (क्षैतिज) हो सकती है।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह समाज में अवसरों की उपलब्धता और संरचनात्मक परिवर्तनों का एक महत्वपूर्ण संकेतक है।
- गलत विकल्प: ‘समाज में स्थिरता और व्यवस्था’ सामाजिक स्तरीकरण या व्यवस्था का पहलू है। ‘सामाजिक मानदंडों का उल्लंघन’ विचलन (deviance) है। ‘व्यक्तिगत पहचान का निर्माण’ एक मनोवैज्ञानिक और सामाजिक प्रक्रिया है।
प्रश्न 16: सामाजिक अनुसंधान (Social Research) में ‘गुणात्मक विधि’ (Qualitative Method) का मुख्य उद्देश्य क्या है?
- संख्यात्मक डेटा एकत्र करना और उनका विश्लेषण करना
- घटनाओं के पीछे के अर्थ, अनुभव और संदर्भ को समझना
- बड़े पैमाने पर जनसंख्या का सर्वेक्षण करना
- कारण-परिणाम संबंधों का सटीक माप करना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: गुणात्मक विधियाँ (जैसे साक्षात्कार, अवलोकन, केस स्टडी) किसी सामाजिक घटना के ‘क्यों’ और ‘कैसे’ को समझने पर केंद्रित होती हैं। ये गहराई से अनुभव, व्याख्याओं और संदर्भों को जानने का प्रयास करती हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह विधि अक्सर गहन साक्षात्कार, फोकस समूह चर्चाओं और सहभागी अवलोकन जैसी तकनीकों का उपयोग करती है।
- गलत विकल्प: ‘संख्यात्मक डेटा एकत्र करना’ मात्रात्मक विधि (Quantitative Method) का मुख्य उद्देश्य है। ‘बड़े पैमाने पर जनसंख्या का सर्वेक्षण’ और ‘कारण-परिणाम संबंधों का सटीक माप’ अक्सर मात्रात्मक विधियों द्वारा किया जाता है।
प्रश्न 17: परिवार की ‘सत्ता’ (Authority) के प्रकारों का विश्लेषण करते हुए, मैक्लिंटॉक (McClintock) ने किस प्रकार के परिवार को ‘पितृसत्तात्मक’ (Patriarchal) के रूप में वर्गीकृत किया?
- जहाँ निर्णय लेने का अधिकार पत्नी के पास हो
- जहाँ निर्णय लेने का अधिकार पति के पास हो
- जहाँ निर्णय लेने का अधिकार सबसे छोटे बेटे के पास हो
- जहाँ निर्णय लेने का अधिकार सभी सदस्यों के पास सामूहिक रूप से हो
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: पितृसत्तात्मक परिवार वह है जहाँ परिवार का मुखिया पुरुष (आमतौर पर पति या पिता) होता है, और निर्णय लेने की शक्ति मुख्य रूप से उसी के पास केंद्रित होती है। यह शक्ति वंशानुगत हो सकती है।
- संदर्भ एवं विस्तार: सत्ता के अन्य रूप मातृसत्तात्मक (Matriarchal – माँ के पास शक्ति) और समतावादी (Egalitarian – पति-पत्नी के बीच समान शक्ति) हो सकते हैं। मैक्लिंटॉक ने सत्ता के वितरण के आधार पर परिवारों को वर्गीकृत करने में योगदान दिया।
- गलत विकल्प: पत्नी के पास अधिकार मातृसत्तात्मक या समतावादी परिवार की ओर इंगित करता है। सबसे छोटे बेटे के पास अधिकार (जैसे कुछ उत्तर भारतीय समाजों में) एक विशिष्ट पैटर्न हो सकता है, लेकिन वह पितृसत्तात्मक का मुख्य लक्षण नहीं है। सामूहिक निर्णय लेना समतावादी का संकेत है।
प्रश्न 18: समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से, ‘धर्म’ का सबसे व्यापक कार्य क्या है?
- केवल व्यक्तिगत मोक्ष प्राप्त करना
- सामूहिक चेतना को मजबूत करना और सामाजिक एकता को बढ़ावा देना
- आर्थिक उत्पादन को विनियमित करना
- वैज्ञानिक ज्ञान का प्रसार करना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: एमिल दुर्खीम जैसे समाजशास्त्रियों ने धर्म को समाज के लिए एक महत्वपूर्ण एकीकृत शक्ति के रूप में देखा है। धर्म साझा विश्वासों और अनुष्ठानों के माध्यम से सदस्यों के बीच एकता और सामूहिक चेतना को बढ़ावा देता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘The Elementary Forms of Religious Life’ में बताया कि कैसे पवित्र और अपवित्र वस्तुओं के भेद, और सामूहिक अनुष्ठान, समाज को एक साथ बांधते हैं।
- गलत विकल्प: जबकि धर्म व्यक्तिगत मोक्ष प्रदान कर सकता है, यह उसका एकमात्र समाजशास्त्रीय कार्य नहीं है। धर्म आर्थिक उत्पादन को विनियमित करने के बजाय अक्सर सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने का प्रयास करता है, और यह वैज्ञानिक ज्ञान का प्रत्यक्ष स्रोत नहीं है।
प्रश्न 19: मैक्स वेबर के अनुसार, ‘तर्कसंगतता’ (Rationality) की वृद्धि से किस प्रकार की सामाजिक संरचना का उद्भव होता है?
- पारंपरिक समाज
- अनुष्ठान-आधारित समाज
- नौकरशाही (Bureaucracy)
- सामंतवादी व्यवस्था
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: वेबर ने तर्कसंगतता, विशेष रूप से ‘औपचारिक तर्कसंगतता’ (formal rationality) को आधुनिक नौकरशाही के उदय का मुख्य कारण माना। नौकरशाही नियमों, पदानुक्रम और मानकीकृत प्रक्रियाओं पर आधारित होती है।
- संदर्भ एवं विस्तार: वेबर ने नौकरशाही को ‘लोहे के पिंजरे’ (iron cage) के रूप में भी देखा, जहाँ तर्कसंगतता और दक्षता के कारण मानवीय भावनाएँ और स्वतंत्रता सीमित हो जाती है।
- गलत विकल्प: पारंपरिक, अनुष्ठान-आधारित और सामंतवादी व्यवस्थाएं तर्कसंगतता के बजाय परंपरा, धर्म या व्यक्तिगत निष्ठा पर अधिक आधारित होती हैं।
प्रश्न 20: निम्नलिखित में से कौन सा कथन ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) की अवधारणा का सबसे अच्छा वर्णन करता है?
- किसी व्यक्ति की आर्थिक संपत्ति और वित्तीय संसाधन
- किसी व्यक्ति का शिक्षा और कौशल स्तर
- सामाजिक नेटवर्क, संबंध और उनके द्वारा उत्पन्न विश्वास और सहयोग
- किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत प्रतिष्ठा और ख्याति
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: सामाजिक पूंजी उन अंतर्व्यक्तिगत संबंधों, नेटवर्क और विश्वासों को संदर्भित करती है जो व्यक्तियों या समूहों को सामूहिक रूप से कार्य करने और लाभ प्राप्त करने में सक्षम बनाते हैं। पियरे बॉर्डियू और जेम्स कोलमेन जैसे समाजशास्त्रियों ने इस अवधारणा को विकसित किया है।
- संदर्भ एवं विस्तार: मजबूत सामाजिक नेटवर्क किसी व्यक्ति को जानकारी, समर्थन और अवसरों तक पहुँच प्रदान कर सकते हैं, जो उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति को बढ़ा सकता है।
- गलत विकल्प: ‘आर्थिक संपत्ति’ वित्तीय पूंजी है। ‘शिक्षा और कौशल स्तर’ मानव पूंजी (human capital) है। ‘व्यक्तिगत प्रतिष्ठा’ व्यक्तिगत विशेषता है, हालांकि यह सामाजिक पूंजी से जुड़ सकती है।
प्रश्न 21: भारत में ‘ग्रामीण-शहरी सातत्य’ (Rural-Urban Continuum) की अवधारणा क्या इंगित करती है?
- ग्रामीण और शहरी जीवन शैलियों के बीच एक स्पष्ट और कठोर विभाजन
- ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच जीवन शैली, सामाजिक संरचना और मूल्यों का क्रमिक अंतर-प्रवाह और परिवर्तन
- ग्रामीण क्षेत्रों का पूर्ण अलगाव और आत्मनिर्भरता
- शहरी क्षेत्रों का ग्रामीण विकास पर कोई प्रभाव नहीं
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: यह अवधारणा इस विचार को प्रस्तुत करती है कि ग्रामीण और शहरी जीवन शैलियों के बीच कोई स्पष्ट विभाजन रेखा नहीं है, बल्कि वे एक स्पेक्ट्रम पर मौजूद हैं जहाँ एक से दूसरे में धीरे-धीरे परिवर्तन होता है। शहरी प्रभाव ग्रामीण क्षेत्रों में प्रवेश करते हैं और ग्रामीण प्रवृत्तियाँ भी शहरीकरण में योगदान करती हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: एम.एन. श्रीनिवास ने भारतीय समाज के अध्ययन में इस विचार का उल्लेख किया था, कि कैसे शहरीकरण की प्रक्रियाएं धीरे-धीरे ग्रामीण क्षेत्रों को प्रभावित करती हैं, और कैसे ग्रामीण-शहरी संपर्क सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन लाते हैं।
- गलत विकल्प: ‘स्पष्ट और कठोर विभाजन’ (a) एक द्विभाजन (dichotomy) है। ‘पूर्ण अलगाव’ (c) और ‘कोई प्रभाव नहीं’ (d) इस अवधारणा के विपरीत हैं।
प्रश्न 22: निम्नलिखित में से कौन सी सामाजिक समस्या ‘सामाजिक पूंजी’ की कमी से सबसे अधिक जुड़ी हो सकती है?
- उच्च साक्षरता दर
- आपराधिक गतिविधियों में वृद्धि और सामाजिक विघटन
- पर्यावरणीय स्थिरता
- बढ़ती जीवन प्रत्याशा
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: सामाजिक पूंजी, जो समुदाय के सदस्यों के बीच विश्वास, सहयोग और मजबूत नेटवर्क को दर्शाती है, सामाजिक समस्याओं को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसकी कमी से अक्सर सामाजिक विघटन, अपराध और समुदायों में कमजोर संबंध जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: जहाँ सामाजिक पूंजी मजबूत होती है, वहाँ लोग एक-दूसरे की मदद करते हैं, सामुदायिक पहलों में भाग लेते हैं और नियमों का पालन करते हैं। इसकी अनुपस्थिति में, सामाजिक नियंत्रण कमजोर हो जाता है।
- गलत विकल्प: उच्च साक्षरता दर, पर्यावरणीय स्थिरता और बढ़ती जीवन प्रत्याशा आमतौर पर सकारात्मक सामाजिक विकास के संकेतक हैं, न कि सामाजिक पूंजी की कमी के परिणाम।
प्रश्न 23: ई.टी. हॉल (Edward T. Hall) द्वारा विकसित ‘निकटता स्थान’ (Proxemics) का अध्ययन मुख्य रूप से किस पर केंद्रित है?
- किसी व्यक्ति की आर्थिक स्थिति
- सांस्कृतिक संदर्भ में व्यक्तिगत स्थान और दूरी का उपयोग
- सामाजिक वर्गों के बीच संबंध
- नौकरशाही की संरचना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: निकटता स्थान (Proxemics) मानव व्यवहार में व्यक्तिगत स्थान और दूरी के उपयोग का अध्ययन है। एडवर्ड टी. हॉल ने दिखाया कि कैसे विभिन्न संस्कृतियों में लोग अपने आस-पास की जगह का अलग-अलग उपयोग करते हैं, जो सामाजिक संपर्क को प्रभावित करता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: हॉल ने ‘अंतरंग दूरी’, ‘व्यक्तिगत दूरी’, ‘सामाजिक दूरी’ और ‘सार्वजनिक दूरी’ जैसी विभिन्न दूरियों का वर्णन किया और बताया कि ये सांस्कृतिक रूप से निर्धारित होती हैं।
- गलत विकल्प: यह आर्थिक स्थिति, सामाजिक वर्गों के संबंध या नौकरशाही की संरचना पर केंद्रित नहीं है।
प्रश्न 24: निम्नलिखित में से कौन सी समाजशास्त्रीय अवधारणा ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) का वर्णन करती है?
- किसी संस्कृति का दूसरों को अपनी प्रथाओं को अपनाने के लिए मजबूर करना
- समाज के भौतिक पहलुओं (जैसे प्रौद्योगिकी) में परिवर्तन का उसके गैर-भौतिक पहलुओं (जैसे मूल्यों, आदर्शों) से तेज होना
- समाज में विभिन्न उपसंस्कृतियों का सह-अस्तित्व
- किसी संस्कृति के लंबे समय तक अपरिवर्तित रहना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा, जिसे विलियम ओगबर्न (William F. Ogburn) ने प्रस्तुत किया था, बताती है कि कैसे समाज के भौतिक घटक (जैसे नई तकनीक) अक्सर गैर-भौतिक घटकों (जैसे सामाजिक मानदंड, संस्थाएं, मूल्य) की तुलना में अधिक तेज़ी से बदलते हैं। इसके परिणामस्वरूप समाज में समायोजन की समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: उदाहरण के लिए, इंटरनेट और स्मार्टफोन जैसी तकनीकों के तेजी से विकास ने हमारे संचार के तरीकों को बदल दिया है, लेकिन हमारे सामाजिक नियम और व्यक्तिगत संबंध इन परिवर्तनों के साथ तालमेल बिठाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
- गलत विकल्प: (a) यह सांस्कृतिक प्रसार या प्रभुत्व का वर्णन करता है। (c) यह बहुसंस्कृतिवाद (multiculturalism) का वर्णन करता है। (d) यह सांस्कृतिक स्थायित्व (cultural persistence) का वर्णन करता है।
प्रश्न 25: भारत में, ‘पिछड़ापन’ (Backwardness) की अवधारणा को अक्सर ________ से जोड़ा जाता है, विशेषकर सामाजिक न्याय के संदर्भ में।
- उच्च सामाजिक-आर्थिक स्थिति
- आधुनिक तकनीक का व्यापक उपयोग
- ऐतिहासिक रूप से वंचित सामाजिक-धार्मिक समूह (जैसे दलित और आदिवासी)
- शहरी जीवन शैली को अपनाना
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: भारतीय सामाजिक न्याय के संदर्भ में, ‘पिछड़ापन’ मुख्य रूप से ऐतिहासिक रूप से शोषित, उपेक्षित और वंचित सामाजिक-धार्मिक समूहों, विशेष रूप से अनुसूचित जातियों (Dalits) और अनुसूचित जनजातियों (Tribals) से जुड़ा हुआ है, जिन्हें सदियों से सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक अवसरों से वंचित रखा गया है।
- संदर्भ एवं विस्तार: सरकारें आरक्षण और सकारात्मक कार्रवाई जैसी नीतियों के माध्यम से इन समुदायों के पिछड़ेपन को दूर करने का प्रयास करती हैं।
- गलत विकल्प: उच्च सामाजिक-आर्थिक स्थिति (a), आधुनिक तकनीक का उपयोग (b), और शहरी जीवन शैली अपनाना (d) पिछड़ेपन के संकेतक नहीं माने जाते हैं; बल्कि, ये अक्सर प्रगति और समावेश के प्रतीक माने जाते हैं।
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