Get free Notes

सफलता सिर्फ कड़ी मेहनत से नहीं, सही मार्गदर्शन से मिलती है। हमारे सभी विषयों के कम्पलीट नोट्स, G.K. बेसिक कोर्स, और करियर गाइडेंस बुक के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

Click Here

अनिल अंबानी की मुसीबतें: प्रवर्तन निदेशालय का लुकआउट सर्कुलर और इसके मायने

अनिल अंबानी की मुसीबतें: प्रवर्तन निदेशालय का लुकआउट सर्कुलर और इसके मायने

चर्चा में क्यों? (Why in News?):

हाल ही में, भारतीय व्यापार जगत के एक जाने-माने नाम, अनिल अंबानी, की मुश्किलें तब और बढ़ गईं जब प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उनके खिलाफ लुकआउट सर्कुलर (LOC) जारी किया। यह कदम, जो देश से बाहर यात्रा करने पर प्रतिबंध लगाता है, कई अटकलों और सवालों को जन्म देता है, विशेषकर उन लोगों के लिए जो UPSC सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं। यह घटना न केवल वित्तीय अनियमितताओं और कानूनी प्रक्रियाओं पर प्रकाश डालती है, बल्कि यह भारत की नियामक और प्रवर्तन एजेंसियों की सक्रिय भूमिका को भी दर्शाती है। UPSC की तैयारी के संदर्भ में, यह मामला आर्थिक अपराध, मनी लॉन्ड्रिंग, विदेशी मुद्रा प्रबंधन, और प्रवर्तन निदेशालय जैसे संस्थानों की कार्यप्रणाली को समझने के लिए एक उत्कृष्ट केस स्टडी प्रस्तुत करता है।

यह ब्लॉग पोस्ट इस घटना के विभिन्न पहलुओं पर गहराई से प्रकाश डालेगा, जिसमें लुकआउट सर्कुलर क्या है, इसे कब और क्यों जारी किया जाता है, अनिल अंबानी से जुड़े संभावित मामले, और UPSC परीक्षा की तैयारी करने वालों के लिए इसके क्या निहितार्थ हैं, इन सभी पर विस्तृत चर्चा की जाएगी।

लुकआउट सर्कुलर (LOC) क्या है?

लुकआउट सर्कुलर (LOC) एक ऐसा प्रशासनिक उपकरण है जिसका उपयोग आव्रजन अधिकारियों द्वारा किसी विशेष व्यक्ति के देश छोड़ने के प्रयासों को रोकने के लिए किया जाता है। यह एक तरह का “चेतावनी” या “अलर्ट” है जो हवाई अड्डों, बंदरगाहों और अन्य निकास बिंदुओं पर तैनात अधिकारियों को भेजा जाता है।

  • उद्देश्य: इसका मुख्य उद्देश्य किसी ऐसे व्यक्ति को रोकना है जिसके खिलाफ जांच चल रही हो, उस पर कोई कानूनी मामला लंबित हो, या वह किसी आपराधिक गतिविधि में शामिल हो सकता है।
  • जारी करने वाली संस्थाएं: मुख्य रूप से प्रवर्तन निदेशालय (ED), केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI), सीमा शुल्क विभाग, राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) और अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियां ​​LOC जारी कर सकती हैं।
  • किन परिस्थितियों में जारी होता है:
    • जब किसी व्यक्ति पर गंभीर आर्थिक अपराधों का आरोप हो।
    • जब व्यक्ति के देश छोड़कर भागने की आशंका हो।
    • जब व्यक्ति की गवाही या उपस्थिति किसी जांच या मुकदमे के लिए आवश्यक हो।
    • जब व्यक्ति मनी लॉन्ड्रिंग या विदेशी मुद्रा नियमों के उल्लंघन में शामिल हो।
  • प्रक्रिया: संबंधित एजेंसी संबंधित हवाई अड्डे या आव्रजन प्राधिकरण को LOC की जानकारी भेजती है। जब वह व्यक्ति यात्रा करने का प्रयास करता है, तो आव्रजन अधिकारी उसे रोक लेते हैं और आगे की कार्रवाई के लिए संबंधित एजेंसी को सूचित करते हैं।
  • अवधि: LOC आमतौर पर एक निश्चित अवधि के लिए वैध होता है, जिसे आवश्यकतानुसार बढ़ाया जा सकता है।

एक उपमा: आप इसे एक “नो-फ्लाई लिस्ट” के रूप में सोच सकते हैं, लेकिन यह सिर्फ हवाई यात्रा तक सीमित नहीं है, बल्कि देश छोड़ने के सभी तरीकों पर लागू होती है। जैसे स्कूल में किसी शरारती बच्चे का नाम “डिसिप्लिन कमेटी” के रजिस्टर में लिख दिया जाता है ताकि वह स्कूल से चुपके से भाग न सके, वैसे ही LOC किसी व्यक्ति को देश से बाहर जाने से रोकता है।

अनिल अंबानी और संबंधित मामले

अनिल अंबानी, जो रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप (ADAG) के अध्यक्ष हैं, पिछले कुछ वर्षों से विभिन्न वित्तीय और कानूनी विवादों में घिरे रहे हैं। प्रवर्तन निदेशालय द्वारा लुकआउट सर्कुलर जारी करने के पीछे के कारणों को समझने के लिए, उनके खिलाफ चल रही कुछ प्रमुख जांचों पर नजर डालना महत्वपूर्ण है:

1. रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCom) और चीनी बैंक ऋण मामला:

यह मामला Anil Ambani के खिलाफ LOC जारी होने का एक प्रमुख कारण माना जा रहा है।:

  • क्या है मामला? RCom पर एक चीनी बैंक को कथित तौर पर गलत जानकारी देकर ऋण प्राप्त करने का आरोप है। प्रवर्तन निदेशालय इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के पहलू की जांच कर रहा है।
  • ED की भूमिका: ED यह पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि क्या ऋण की प्रक्रिया में कोई मनी लॉन्ड्रिंग या धोखाधड़ी हुई है। अनिल अंबानी से इस मामले में कई बार पूछताछ की गई है।
  • विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) का उल्लंघन: इस तरह के मामलों में अक्सर FEMA के उल्लंघन की भी जांच होती है, खासकर जब विदेशी बैंकों के साथ लेनदेन शामिल हो।

2. डीएचएफएल (DHFL) ऋण धोखाधड़ी मामला:

हालांकि यह सीधे तौर पर Anil Ambani से जुड़ा नहीं है, लेकिन कुछ जांचों में उनके नाम का उल्लेख आया है, खासकर जहां बड़े कॉरपोरेट लोन में अनियमितताएं पाई गई हैं। ED और CBI डीएचएफएल के प्रमुख कपिल वाधवान के खिलाफ चल रही जांच में अन्य बड़े व्यावसायिक घरानों के संभावित लिंक की भी पड़ताल कर रहे हैं।

3. अन्य संभावित मामले:

यह संभव है कि ED के पास Anil Ambani से संबंधित कोई अन्य जांच भी चल रही हो, जिसकी सार्वजनिक जानकारी अभी उपलब्ध न हो। प्रवर्तन निदेशालय अक्सर कई मामलों में एक साथ जांच करता है।

UPSC के लिए प्रासंगिकता: यह समझना महत्वपूर्ण है कि ये मामले केवल व्यक्तिगत नहीं हैं, बल्कि व्यापक आर्थिक और नियामक मुद्दों से जुड़े हैं। UPSC उम्मीदवार इन मामलों से सीख सकते हैं कि कैसे बड़े कॉर्पोरेट ऋण, बैंक धोखाधड़ी, और वित्तीय अनियमितताएं देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करती हैं।

प्रवर्तन निदेशालय (ED) की भूमिका और शक्तियाँ

प्रवर्तन निदेशालय (ED) भारत की एक प्रमुख कानून प्रवर्तन और आर्थिक खुफिया एजेंसी है। UPSC के दृष्टिकोण से, ED की शक्तियों और कार्यों को समझना महत्वपूर्ण है:

  • गठन: ED का गठन 1 मई, 1956 को ‘कस्टम्स एंड फॉरेन एक्सचेंज एडमिनिस्ट्रेशन’ के रूप में किया गया था। बाद में 1957 में, इसका नाम बदलकर ‘प्रवर्तन निदेशालय’ कर दिया गया।
  • मुख्य कार्य:
    • विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (FEMA) को लागू करना: ED FEMA के तहत विदेशी मुद्रा के प्रवाह और बहिर्वाह को नियंत्रित करता है और इसके उल्लंघन की जांच करता है।
    • धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (PMLA) को लागू करना: ED मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित मामलों की जांच करता है और ऐसी संपत्ति को जब्त करता है जो अपराध से अर्जित की गई हो।
  • शक्तियाँ (PMLA के तहत): PMLA ED को निम्नलिखित महत्वपूर्ण शक्तियाँ प्रदान करता है:
    • जांच का अधिकार: ED किसी भी व्यक्ति को समन कर सकता है, बयान दर्ज कर सकता है, और किसी भी संपत्ति की जांच कर सकता है।
    • संपत्ति कुर्की: ED को यह विश्वास होने पर कि कोई संपत्ति अपराध से अर्जित की गई है, उसे तुरंत जब्त करने का अधिकार है।
    • गिरफ्तारी का अधिकार: यदि ED को लगता है कि कोई व्यक्ति अपराध में शामिल है और उसे गिरफ्तार करने की आवश्यकता है, तो वह उसे गिरफ्तार कर सकता है।
    • लुकआउट सर्कुलर जारी करना: जैसा कि इस मामले में हुआ है, ED किसी भी व्यक्ति को देश से बाहर जाने से रोकने के लिए LOC जारी कर सकता है।

UPSC संबंध: PMLA और FEMA जैसे अधिनियमों की धाराएं, ED की शक्तियां, और मनी लॉन्ड्रिंग की प्रक्रियाएं प्रीलिम्स और मेन्स दोनों परीक्षाओं में अक्सर पूछी जाती हैं। यह मामला इन कानूनों को वास्तविक दुनिया के संदर्भ में समझने का एक अवसर प्रदान करता है।

लुकआउट सर्कुलर (LOC) जारी करने का औचित्य और कानूनी आधार

लुकआउट सर्कुलर (LOC) का जारी होना एक गंभीर कदम है और इसके लिए मजबूत औचित्य की आवश्यकता होती है।

कानूनी आधार:

LOC जारी करने का अधिकार विभिन्न अधिनियमों और प्रशासनिक निर्देशों द्वारा शासित होता है, जिनमें शामिल हैं:

  • विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (FEMA): FEMA के तहत, ED या अन्य नामित प्राधिकारी देश से बाहर जाने वाले व्यक्तियों पर प्रतिबंध लगा सकते हैं यदि वे कानून के तहत किसी जांच में शामिल हों।
  • धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (PMLA): PMLA के तहत ED को जांच के दौरान व्यक्तियों की आवाजाही को नियंत्रित करने की शक्ति प्राप्त है।
  • आपराधिक प्रक्रिया संहिता, 1973 (CrPC): यद्यपि CrPC सीधे तौर पर LOC जारी करने का उल्लेख नहीं करती, लेकिन यह पुलिस और अन्य जांच एजेंसियों को किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने या उसकी गवाही सुनिश्चित करने के लिए अन्य उपाय करने की शक्ति देती है।
  • आव्रजन अधिनियम और नियम: सीमा पार आवाजाही को नियंत्रित करने वाले नियम भी LOC के कार्यान्वयन में भूमिका निभाते हैं।

औचित्य:

LOC आमतौर पर निम्नलिखित स्थितियों में जारी किया जाता है:

  • भगोड़ा होने की आशंका: जब यह संभावना हो कि व्यक्ति देश छोड़कर भाग सकता है, जिससे कानूनी प्रक्रिया बाधित हो सकती है।
  • जांच में सहयोग: यदि व्यक्ति की उपस्थिति जांच के लिए महत्वपूर्ण है और वह सहयोग नहीं कर रहा है।
  • सबूतों का संरक्षण: यह सुनिश्चित करने के लिए कि व्यक्ति देश से बाहर जाकर सबूतों के साथ छेड़छाड़ न कर सके।
  • सार्वजनिक हित: कभी-कभी, बड़े आर्थिक अपराधों में सार्वजनिक हित को ध्यान में रखते हुए भी LOC जारी किया जा सकता है।

“लुकआउट सर्कुलर केवल एक प्रशासनिक उपाय है, यह किसी व्यक्ति की स्वतंत्रता पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि व्यक्ति देश की कानूनी प्रक्रियाओं से न भाग सके।”

अनिल अंबानी मामले में LOC के निहितार्थ

अनिल अंबानी के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी होने के कई महत्वपूर्ण निहितार्थ हैं:

1. यात्रा प्रतिबंध:

यह सबसे सीधा निहितार्थ है। अनिल अंबानी अब भारत से बाहर यात्रा नहीं कर सकते हैं जब तक कि ED द्वारा LOC रद्द न कर दिया जाए या उन्हें विशेष अनुमति न मिल जाए।

2. जांच में तेजी:

LOC जारी होने से यह संकेत मिलता है कि ED की जांच अपने अंतिम चरण में हो सकती है या ED को लगता है कि व्यक्ति की विदेश यात्रा से जांच पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। यह ED को अपनी जांच तेज करने के लिए प्रेरित कर सकता है।

3. प्रतिष्ठा पर प्रभाव:

एक प्रमुख व्यवसायी के खिलाफ इस तरह की कार्रवाई से उनकी और उनके समूह की प्रतिष्ठा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है। यह निवेशकों, लेनदारों और जनता के विश्वास को भी प्रभावित कर सकता है।

4. वित्तीय प्रभाव:

लगातार कानूनी और जांच संबंधी मुद्दे कंपनी के वित्तीय स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं। यह नए ऋण प्राप्त करने, नए निवेश आकर्षित करने और मौजूदा व्यावसायिक सौदों को पूरा करने में बाधा उत्पन्न कर सकता है।

5. कानूनी चुनौतियाँ:

अनिल अंबानी या उनकी कानूनी टीम इस LOC को अदालत में चुनौती दे सकती है। ऐसे मामलों में अक्सर यह तय किया जाता है कि LOC जारी करने के लिए ED के पास पर्याप्त आधार थे या नहीं।

UPSC परीक्षा के लिए विषय-वार जुड़ाव

यह मामला UPSC सिविल सेवा परीक्षा के विभिन्न चरणों और विषयों के लिए प्रासंगिक है:

1. भारतीय अर्थव्यवस्था:

  • वित्तीय क्षेत्र: बैंकों द्वारा ऋण देना, NPA, कॉर्पोरेट दिवालियापन, वित्तीय अनियमितताएं।
  • आर्थिक अपराध: मनी लॉन्ड्रिंग, धोखाधड़ी, FEMA का उल्लंघन।
  • नियामक ढांचा: ED, RBI, SEBI जैसी संस्थाएं और उनके कार्य।

2. शासन (Governance):

  • कानून प्रवर्तन एजेंसियां: ED, CBI, पुलिस और उनकी शक्तियां।
  • प्रशासनिक कानून: लुकआउट सर्कुलर जैसे प्रशासनिक उपायों का कानूनी आधार।
  • भ्रष्टाचार विरोधी उपाय।

3. भारतीय राजव्यवस्था:

  • संवैधानिक अधिकार: किसी व्यक्ति के यात्रा के अधिकार और कानून के शासन का संतुलन।
  • न्यायपालिका की भूमिका: कानूनी विवादों का निपटारा।

4. आंतरिक सुरक्षा:

  • आर्थिक अपराधों से उत्पन्न होने वाले खतरे: राष्ट्र की वित्तीय स्थिरता पर प्रभाव।
  • धन शोधन का राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रभाव।

चुनौतियाँ और आगे की राह

अनिल अंबानी के मामले में LOC जारी होना कई तरह की चुनौतियों को उजागर करता है:

  • सबूत और आरोप: क्या ED के पास अनिल अंबानी के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं? यह सवाल हमेशा उठा है, खासकर जब ये आरोप गंभीर आर्थिक अपराधों से संबंधित हों।
  • अति-जटिलता: भारतीय कॉर्पोरेट जगत अक्सर अत्यधिक जटिल संरचनाओं और वित्तीय व्यवस्थाओं के साथ काम करता है, जिससे जांच प्रक्रियाएं मुश्किल हो जाती हैं।
  • कानूनी प्रक्रिया में देरी: ऐसे मामलों में वर्षों तक कानूनी लड़ाई चलती रहती है, जिससे अंतिम न्याय मिलने में देरी होती है।
  • जवाबदेही: बड़े कॉर्पोरेट घरानों की जवाबदेही सुनिश्चित करना एक सतत चुनौती रही है।

आगे की राह:

  • मजबूत नियामक ढांचा: वित्तीय अनियमितताओं से निपटने के लिए कानूनों और विनियमों को लगातार मजबूत करना।
  • त्वरित जांच: ED और अन्य एजेंसियों को जांच को प्रभावी ढंग से और समयबद्ध तरीके से पूरा करने की आवश्यकता है।
  • पारदर्शिता: कॉर्पोरेट गवर्नेंस में अधिक पारदर्शिता सुनिश्चित करना।
  • अंतर-एजेंसी सहयोग: वित्तीय अपराधों से निपटने के लिए ED, CBI, RBI, SEBI आदि के बीच बेहतर समन्वय।

निष्कर्ष

अनिल अंबानी के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय द्वारा लुकआउट सर्कुलर जारी करना एक महत्वपूर्ण घटना है जो भारतीय वित्तीय और कानूनी परिदृश्य की जटिलताओं को दर्शाती है। यह मामला UPSC उम्मीदवारों के लिए आर्थिक अपराधों, मनी लॉन्ड्रिंग, प्रवर्तन एजेंसियों की कार्यप्रणाली, और विदेशी मुद्रा प्रबंधन जैसे महत्वपूर्ण विषयों को समझने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है।

यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि किसी भी व्यक्ति को तब तक निर्दोष माना जाता है जब तक कि वह दोषी साबित न हो जाए। ED की जांच का उद्देश्य तथ्यों का पता लगाना और कानून के अनुसार कार्रवाई करना है। यह घटना भारत के बढ़ते वित्तीय नियामक तंत्र और आर्थिक अपराधों से निपटने की सरकार की प्रतिबद्धता का भी एक उदाहरण है। UPSC की तैयारी कर रहे छात्रों को इन घटनाओं से सीख लेनी चाहिए और व्यापक परिप्रेक्ष्य में इन्हें समझना चाहिए।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

1. प्रश्न: प्रवर्तन निदेशालय (ED) किन दो प्रमुख अधिनियमों को लागू करता है?
(a) भारतीय दंड संहिता (IPC) और नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट (NDPS Act)
(b) विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA), 1999 और धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002
(c) भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 और कंपनी अधिनियम, 2013
(d) आयकर अधिनियम, 1961 और वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम, 2017
उत्तर: (b)
व्याख्या: प्रवर्तन निदेशालय (ED) मुख्य रूप से विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA), 1999 और धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 को लागू करता है।

2. प्रश्न: लुकआउट सर्कुलर (LOC) का प्राथमिक उद्देश्य क्या है?
(a) किसी व्यक्ति को विदेशी मुद्रा अर्जित करने से रोकना।
(b) किसी व्यक्ति को देश से बाहर जाने से रोकना।
(c) किसी व्यक्ति की संपत्ति को जब्त करना।
(d) किसी व्यक्ति के बैंक खातों को फ्रीज करना।
उत्तर: (b)
व्याख्या: लुकआउट सर्कुलर (LOC) का मुख्य उद्देश्य किसी ऐसे व्यक्ति को रोकना है जिसके खिलाफ जांच चल रही है या जो देश से भाग सकता है, उसे देश छोड़ने से रोकना है।

3. प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सी संस्था लुकआउट सर्कुलर (LOC) जारी कर सकती है?
1. प्रवर्तन निदेशालय (ED)
2. केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI)
3. सीमा शुल्क विभाग
4. राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA)
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 1, 2 और 4
(c) केवल 2, 3 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4
उत्तर: (d)
व्याख्या: ED, CBI, सीमा शुल्क विभाग, DRI, NIA सहित विभिन्न कानून प्रवर्तन एजेंसियां ​​LOC जारी कर सकती हैं।

4. प्रश्न: धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (PMLA) के तहत, प्रवर्तन निदेशालय (ED) को कौन सी शक्ति प्राप्त है?
(a) केवल अपराध से अर्जित संपत्ति को फ्रीज करने की शक्ति।
(b) केवल मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल व्यक्तियों से पूछताछ करने की शक्ति।
(c) अपराध से अर्जित संपत्ति को जब्त करने और व्यक्तियों को गिरफ्तार करने की शक्ति।
(d) केवल वित्तीय संस्थानों के खातों की जांच करने की शक्ति।
उत्तर: (c)
व्याख्या: PMLA ED को अपराध से अर्जित संपत्ति को जब्त करने और मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल व्यक्तियों को गिरफ्तार करने की महत्वपूर्ण शक्तियां प्रदान करता है।

5. प्रश्न: “लुकआउट सर्कुलर” (LOC) किस प्रशासनिक या कानूनी उपकरण से सबसे अधिक संबंधित है?
(a) पासपोर्ट अधिनियम, 1967
(b) नागरिकता अधिनियम, 1955
(c) आव्रजन अधिनियम और कानून प्रवर्तन द्वारा निगरानी
(d) विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (FEMA)
उत्तर: (c)
व्याख्या: LOC मुख्य रूप से आव्रजन नियमों और सीमा नियंत्रण से संबंधित है, जिसका उपयोग कानून प्रवर्तन एजेंसियां ​​लोगों की आवाजाही को नियंत्रित करने के लिए करती हैं। FEMA इसके उपयोग के औचित्य में भूमिका निभा सकता है, लेकिन LOC का तंत्र आव्रजन से जुड़ा है।

6. प्रश्न: अनिल अंबानी के मामले में लुकआउट सर्कुलर (LOC) जारी होने का संभावित कारण निम्नलिखित में से कौन सा हो सकता है?
1. विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) का उल्लंघन
2. चीनी बैंक से जुड़े ऋण मामले में जांच
3. मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (d)
व्याख्या: हालिया समाचारों के अनुसार, अनिल अंबानी चीनी बैंक ऋण मामले और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों से जुड़ी जांच के कारण ED के रडार पर हैं, जिनमें FEMA के उल्लंघन भी शामिल हो सकते हैं।

7. प्रश्न: किसी व्यक्ति को “भगोड़ा आर्थिक अपराधी” घोषित करने का प्रावधान किस अधिनियम के तहत आता है?
(a) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988
(b) भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम, 2018
(c) कंपनी अधिनियम, 2013
(d) वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम, 2017
उत्तर: (b)
व्याख्या: भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम, 2018 ऐसे व्यक्तियों से संबंधित है जो गंभीर आर्थिक अपराध करने के बाद देश से भाग जाते हैं।

8. प्रश्न: प्रवर्तन निदेशालय (ED) किस मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में आता है?
(a) गृह मंत्रालय
(b) वित्त मंत्रालय
(c) वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय
(d) कानून और न्याय मंत्रालय
उत्तर: (b)
व्याख्या: प्रवर्तन निदेशालय (ED) वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के तहत एक विशेष वित्तीय जांच एजेंसी है।

9. प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. लुकआउट सर्कुलर (LOC) केवल हवाई अड्डों पर ही लागू होता है।
2. ED, PMLA के तहत किसी भी व्यक्ति को समन कर सकता है और उससे पूछताछ कर सकता है।
उपरोक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) दोनों 1 और 2
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर: (b)
व्याख्या: LOC देश के सभी निकास बिंदुओं (हवाई अड्डों, बंदरगाहों, भूमि सीमा चौकियों) पर लागू होता है। ED PMLA के तहत किसी व्यक्ति को समन कर सकता है और उससे पूछताछ कर सकता है।

10. प्रश्न: “मनी लॉन्ड्रिंग” का तात्पर्य क्या है?
(a) केवल काला धन सफेद करने की प्रक्रिया।
(b) अवैध रूप से अर्जित धन को वैध बनाना ताकि उसके असली स्रोत को छुपाया जा सके।
(c) विदेशी मुद्रा नियमों का उल्लंघन करके धन कमाना।
(d) कर चोरी करके सरकार को नुकसान पहुंचाना।
उत्तर: (b)
व्याख्या: मनी लॉन्ड्रिंग अवैध साधनों से प्राप्त धन को वैध बनाने की प्रक्रिया है, ताकि उसके मूल स्रोत को छिपाया जा सके और उसे अर्थव्यवस्था में उपयोग किया जा सके।

मुख्य परीक्षा (Mains)

1. प्रश्न: “लुकआउट सर्कुलर” (LOC) की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए। प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा ऐसे सर्कुलर जारी करने के क्या औचित्य होते हैं और यह किसी व्यक्ति के अधिकारों को कैसे प्रभावित कर सकता है? (लगभग 150 शब्द)
2. प्रश्न: धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 के प्रमुख प्रावधानों की विवेचना कीजिए और बताइए कि यह अधिनियम आर्थिक अपराधों से निपटने में कैसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ED के संबंध में इसकी शक्तियों का विश्लेषण करें। (लगभग 250 शब्द)
3. प्रश्न: भारत में कॉर्पोरेट गवर्नेंस की कमजोरियां और वित्तीय अनियमितताओं की बढ़ती घटनाएं अर्थव्यवस्था के लिए एक गंभीर चुनौती हैं। अनिल अंबानी से जुड़े हालिया घटनाक्रमों के संदर्भ में इस समस्या का विश्लेषण कीजिए और सुधारात्मक उपायों का सुझाव दीजिए। (लगभग 250 शब्द)
4. प्रश्न: “आर्थिक अपराध राष्ट्र की सुरक्षा के लिए खतरा हो सकते हैं।” इस कथन के आलोक में, मनी लॉन्ड्रिंग, वित्तीय धोखाधड़ी और काले धन जैसी समस्याओं से निपटने के लिए भारत द्वारा उठाए गए कदमों पर प्रकाश डालिए। (लगभग 200 शब्द)

Leave a Comment