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अतीत की गूँज: आज का इतिहास महा-मॉक टेस्ट

अतीत की गूँज: आज का इतिहास महा-मॉक टेस्ट

नमस्कार, इतिहास के जिज्ञासुओं! अतीत की गहराइयों में गोता लगाने और अपने ज्ञान के परचम लहराने के लिए तैयार हो जाइए। आज हम समय के उस सफर पर निकलेंगे जहाँ सदियों की महत्वपूर्ण घटनाएँ, महान व्यक्तित्व और निर्णायक मोड़ आपका इंतज़ार कर रहे हैं। यह सिर्फ एक प्रश्नोत्तरी नहीं, बल्कि ज्ञान की एक कसौटी है। आइए, परखें अपनी तैयारी और भरें उड़ान सफलता की ओर!

इतिहास अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: सिंधु घाटी सभ्यता के किस स्थल से युगल समाधि (जोड़े में दफनाने का प्रमाण) प्राप्त हुआ है?

  1. हड़प्पा
  2. मोहनजोदड़ो
  3. लोथल
  4. कालीबंगा

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: लोथल, जो गुजरात में स्थित है, एक प्रमुख सिंधु घाटी सभ्यता का स्थल है जहाँ से युगल समाधि (जोड़े में दफनाने का प्रमाण) के पुरातात्विक साक्ष्य मिले हैं। यह खोज उस समय के सामाजिक और सांस्कृतिक प्रथाओं पर प्रकाश डालती है।
  • संदर्भ और विस्तार: लोथल एक महत्वपूर्ण बंदरगाह शहर था और यहाँ से मिले अन्य साक्ष्य जैसे डॉकयार्ड, मनके बनाने के कारखाने और घर बनाने की तकनीक भी उल्लेखनीय हैं। युगल समाधि का मिलना इस बात का संकेत है कि उस काल में कुछ ऐसे रीति-रिवाज हो सकते थे जहाँ पति-पत्नी को एक साथ दफनाया जाता था।
  • गलत विकल्प: हड़प्पा और मोहनजोदड़ो भी प्रमुख स्थल हैं जहाँ से कई महत्वपूर्ण खोजें हुई हैं, लेकिन युगल समाधि का स्पष्ट प्रमाण लोथल से ही मिला है। कालीबंगा से अग्निकुंडों के प्रमाण मिले हैं।

प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा जोड़ा सही सुमेलित नहीं है?

  1. शिलालेख – अशोक
  2. हस्तलिखित ग्रंथ – हर्ष
  3. राजतरंगिणी – कल्हण
  4. इंडिका – मेगास्थनीज

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: हर्ष (हर्षवर्धन) को उनके शासनकाल के दौरान लिखे गए संस्कृत नाटकों के लिए जाना जाता है, जैसे ‘प्रियदर्शिका’, ‘रत्नावली’ और ‘नागानंद’। उन्हें ‘हस्तलिखित ग्रंथ’ के रूप में विशेष रूप से नहीं जोड़ा जाता, बल्कि वे स्वयं एक लेखक थे।
  • संदर्भ और विस्तार: अशोक के शिलालेख उनके धम्म (धर्म) के प्रचार और शासन की जानकारी देते हैं। ‘राजतरंगिणी’ कल्हण द्वारा लिखित कश्मीर का इतिहास है। ‘इंडिका’ मेगास्थनीज द्वारा लिखी गई थी, जिसमें मौर्य साम्राज्य का वर्णन है।
  • गलत विकल्प: विकल्प (b) गलत है क्योंकि हर्ष एक लेखक थे, न कि उनके द्वारा ‘हस्तलिखित ग्रंथ’ का उल्लेख किसी विशेष श्रेणी के रूप में किया जाता है, बल्कि उन्होंने स्वयं ग्रंथों की रचना की।

प्रश्न 3: ‘अष्टप्रधान’ नामक मंत्रिपरिषद का गठन किस शासक ने किया था?

  1. चंद्रगुप्त मौर्य
  2. समुद्रगुप्त
  3. शिवाजी
  4. अकबर

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: मराठा साम्राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपनी प्रशासनिक व्यवस्था को सुचारू बनाने के लिए ‘अष्टप्रधान’ नामक आठ मंत्रियों की एक परिषद का गठन किया था।
  • संदर्भ और विस्तार: अष्टप्रधान में पेशवा (प्रधानमंत्री), अमात्य (वित्त मंत्री), सचिव (गृह मंत्री), सुमंत (विदेश मंत्री), पंडित राव (धर्माध्यक्ष), सेनापति (सैन्य प्रमुख), न्यायाधीश (न्याय मंत्री) और मंत्री (सार्वजनिक सूचना मंत्री) शामिल थे। यह परिषद शिवाजी के सुदृढ़ प्रशासनिक ढांचे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थी।
  • गलत विकल्प: चंद्रगुप्त मौर्य ने अपने मैत्रिकों (मंत्रियों) की सहायता से साम्राज्य चलाया, लेकिन ‘अष्टप्रधान’ नाम की कोई विशिष्ट परिषद नहीं थी। अकबर की प्रशासनिक व्यवस्था मनसबदारी प्रणाली पर आधारित थी।

प्रश्न 4: विजयनगर साम्राज्य का सबसे प्रसिद्ध शासक कौन था, जिसने ‘कृष्णदेवराय’ उपाधि धारण की?

  1. देवराय प्रथम
  2. देवराय द्वितीय
  3. कृष्णदेवराय
  4. अच्युत देवराय

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: कृष्णदेवराय विजयनगर साम्राज्य के तुलुव वंश के सबसे महान शासकों में से एक थे, जिन्होंने 1509 से 1529 ईस्वी तक शासन किया। वे अपनी सैन्य विजयों, कला और साहित्य के संरक्षण के लिए जाने जाते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: कृष्णदेवराय स्वयं एक विद्वान कवि थे और उन्होंने तेलुगु में ‘अमुक्तमाल्यदा’ की रचना की। उनके शासनकाल में विजयनगर की शक्ति और समृद्धि अपने चरम पर थी। उन्होंने कई मंदिरों का निर्माण करवाया और साहित्यिक गतिविधियों को बढ़ावा दिया।
  • गलत विकल्प: देवराय प्रथम और देवराय द्वितीय भी विजयनगर के महत्वपूर्ण शासक थे, लेकिन कृष्णदेवराय का शासनकाल साम्राज्य का स्वर्ण युग माना जाता है। अच्युत देवराय, कृष्णदेवराय के उत्तराधिकारी थे।

प्रश्न 5: 1857 के विद्रोह के तुरंत बाद ब्रिटिश सरकार ने भारत में निम्नलिखित में से कौन सा परिवर्तन किया?

  1. ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन का अंत
  2. भारत के लिए एक नया वायसराय नियुक्त किया गया
  3. सभी देशी रियासतों को स्वायत्तता प्रदान की गई
  4. ईस्ट इंडिया कंपनी को भंग कर दिया गया

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: 1857 के विद्रोह के बाद, ब्रिटिश सरकार ने भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन को समाप्त कर दिया और भारत का शासन सीधे ब्रिटिश ताज (ब्रिटिश क्राउन) के अधीन ले लिया, जैसा कि 1858 के भारत सरकार अधिनियम द्वारा प्रावधान किया गया था।
  • संदर्भ और विस्तार: इस अधिनियम ने भारत के गवर्नर-जनरल का पदनाम बदलकर वायसराय कर दिया, जो सीधे ब्रिटिश सम्राट का प्रतिनिधि होता था। कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स को समाप्त कर दिया गया और भारत के राज्य सचिव का नया पद बनाया गया।
  • गलत विकल्प: वायसराय की नियुक्ति हुई, लेकिन यह ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन के अंत का परिणाम था, न कि तत्काल परिवर्तन। देशी रियासतों को स्वायत्तता नहीं, बल्कि ब्रिटिश सत्ता के अधीन लाया गया, और कंपनी को भंग किया गया, जो (a) का ही हिस्सा है।

प्रश्न 6: कनिष्क के शासनकाल में आयोजित चतुर्थ बौद्ध संगीति की अध्यक्षता किसने की?

  1. वसुमित्र
  2. अश्वघोष
  3. नागार्जुन
  4. सारिपुत्र

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: कनिष्क, कुषाण वंश का सबसे प्रसिद्ध शासक था, जिसके शासनकाल में 72 ईस्वी में कश्मीर के कुंडलवन में चतुर्थ बौद्ध संगीति आयोजित की गई थी। इसकी अध्यक्षता बौद्ध विद्वान वसुमित्र ने की थी।
  • संदर्भ और विस्तार: इस संगीति में बौद्ध धर्म का विभाजन हीनयान और महायान शाखाओं में स्पष्ट हो गया था। महायान शाखा के सिद्धांतों का विस्तृत प्रतिपादन यहीं हुआ। अश्वघोष इस संगीति के उपाध्यक्ष थे और उन्होंने ‘बुद्धचरित’ की रचना की।
  • गलत विकल्प: सारिपुत्र प्रथम बौद्ध संगीति के प्रमुख व्यक्ति थे, न कि चतुर्थ संगीति के। नागार्जुन एक प्रसिद्ध महायान बौद्ध दार्शनिक थे, लेकिन उन्होंने अध्यक्षता नहीं की।

प्रश्न 7: ‘गदर पार्टी’ की स्थापना कहाँ और कब हुई थी?

  1. लंदन, 1913
  2. सैन फ्रांसिस्को, 1913
  3. टोक्यो, 1914
  4. पेरिस, 1912

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: गदर पार्टी की स्थापना 1913 में संयुक्त राज्य अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को शहर में हुई थी। यह पार्टी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय थी और इसका उद्देश्य भारत को ब्रिटिश शासन से मुक्त कराना था।
  • संदर्भ और विस्तार: इस पार्टी की स्थापना लाला हरदयाल, सोहन सिंह भकना और अन्य प्रवासी भारतीयों द्वारा की गई थी। पार्टी का मुख्य पत्र ‘गदर’ था, जो उर्दू, पंजाबी, हिंदी और अन्य भाषाओं में प्रकाशित होता था। इसका मुख्यालय ‘यूनिटी हॉल’ सैन फ्रांसिस्को में था।
  • गलत विकल्प: लंदन में भी भारतीय राष्ट्रवादी गतिविधियां चल रही थीं, लेकिन गदर पार्टी की स्थापना सैन फ्रांसिस्को में हुई थी। टोक्यो और पेरिस से संबंधित ये वर्ष सही नहीं हैं।

प्रश्न 8: निम्नलिखित में से किस सुल्तान ने ‘दीवान-ए-खैरात’ (दान विभाग) की स्थापना की?

  1. गयासुद्दीन तुगलक
  2. मुहम्मद बिन तुगलक
  3. फिरोज शाह तुगलक
  4. अलाउद्दीन खिलजी

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: फिरोजशाह तुगलक (1351-1388) ने ‘दीवान-ए-खैरात’ नामक एक दान विभाग की स्थापना की थी, जिसका मुख्य उद्देश्य मुस्लिम अनाथों, विधवाओं और गरीबों की सहायता करना था।
  • संदर्भ और विस्तार: फिरोजशाह तुगलक ने कई जनकल्याणकारी कार्य किए, जैसे कि नहरों का निर्माण, अस्पतालों (दार-उल-शफा) की स्थापना, और दास प्रथा को संस्थागत बनाना। दीवान-ए-खैरात भी इसी जनहितैषी नीतियों का हिस्सा था।
  • गलत विकल्प: गयासुद्दीन तुगलक ने तुगलक वंश की नींव रखी। मुहम्मद बिन तुगलक अपनी महत्वाकांक्षी और अक्सर असफल परियोजनाओं के लिए जाने जाते हैं। अलाउद्दीन खिलजी ने बाजार नियंत्रण और राजस्व सुधारों पर ध्यान केंद्रित किया था।

प्रश्न 9: वेदों की ओर लौटो’ का नारा किसने दिया था?

  1. स्वामी दयानंद सरस्वती
  2. स्वामी विवेकानंद
  3. राजा राम मोहन राय
  4. ईश्वर चंद्र विद्यासागर

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: ‘वेदों की ओर लौटो’ का प्रसिद्ध नारा 19वीं सदी के एक महान समाज सुधारक और आर्य समाज के संस्थापक, स्वामी दयानंद सरस्वती ने दिया था।
  • संदर्भ और विस्तार: स्वामी दयानंद सरस्वती ने वेदों को ज्ञान का अंतिम स्रोत माना और भारतीय समाज में फैली कुरीतियों, अंधविश्वासों और पाखंडों का विरोध किया। उनका मानना था कि प्राचीन वैदिक काल में समाज अधिक व्यवस्थित और नैतिक था। उन्होंने ‘सत्यार्थ प्रकाश’ नामक पुस्तक भी लिखी।
  • गलत विकल्प: स्वामी विवेकानंद ने ‘उठो, जागो और तब तक रुको नहीं जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए’ जैसा नारा दिया था। राजा राम मोहन राय ब्रह्म समाज के संस्थापक थे और उन्होंने सती प्रथा का विरोध किया। ईश्वर चंद्र विद्यासागर ने विधवा पुनर्विवाह का समर्थन किया।

प्रश्न 10: किस मुगल बादशाह ने ‘दिन-ए-इलाही’ नामक एक नया धर्म शुरू करने का प्रयास किया?

  1. हुमायूँ
  2. अकबर
  3. जहाँगीर
  4. शाहजहाँ

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: मुगल सम्राट अकबर ने 1582 ईस्वी में ‘दिन-ए-इलाही’ (ईश्वर का धर्म) नामक एक सर्वधर्म समन्वयकारी विचारधारा प्रस्तुत की थी।
  • संदर्भ और विस्तार: अकबर धार्मिक सहिष्णुता और विभिन्न धर्मों के बीच सामंजस्य स्थापित करने का प्रयास कर रहा था। दिन-ए-इलाही विभिन्न धर्मों के सार को मिलाकर एक ऐसा संप्रदाय बनाने का प्रयास था जो सभी को स्वीकार्य हो। इसमें प्रमुख रूप से इस्लाम, हिंदू धर्म, ईसाई धर्म, पारसी धर्म आदि के तत्वों का मिश्रण था। हालांकि, यह प्रयास व्यापक रूप से सफल नहीं रहा और अकबर के बाद इसका प्रभाव समाप्त हो गया।
  • गलत विकल्प: हुमायूँ, जहाँगीर और शाहजहाँ अपने-अपने शासनकाल में इस्लामी सिद्धांतों और परंपराओं का पालन करते रहे, उन्होंने किसी ऐसे नए धर्म को शुरू करने का प्रयास नहीं किया।

प्रश्न 11: फ्रांसीसी क्रांति (1789) का तात्कालिक कारण क्या था?

  1. आम नागरिकों पर अत्यधिक करों का बोझ
  2. स्टेट्स-जनरल (States-General) का सम्मेलन
  3. लुई सोलहवें की लोकप्रियता
  4. भ्रष्टाचार और कुशासन

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: फ्रांसीसी क्रांति के कई कारण थे, लेकिन इसका सबसे तात्कालिक कारण आम नागरिकों, विशेषकर तीसरे एस्टेट (जनसाधारण) पर लगाए गए अत्यधिक कर थे, जबकि कुलीन वर्ग और पादरी वर्ग करों से मुक्त थे।
  • संदर्भ और विस्तार: 1789 में, फ्रांस गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा था, जिसमें भारी शाही कर्ज, खराब फसलें और बढ़ते मूल्य शामिल थे। राजा लुई सोलहवें को वित्तीय समस्याओं को हल करने के लिए स्टेट्स-जनरल (प्रतिनिधि सभा) की बैठक बुलानी पड़ी, जो 175 वर्षों में पहली बार बुलाई गई थी। इसी बैठक में तीसरे एस्टेट के प्रतिनिधियों ने अपने अधिकारों की मांग की और क्रांति की शुरुआत हुई।
  • गलत विकल्प: स्टेट्स-जनरल का सम्मेलन एक महत्वपूर्ण घटना थी, लेकिन यह तात्कालिक कारण से अधिक एक माध्यम था। लुई सोलहवें की लोकप्रियता कम थी, अधिक थी। भ्रष्टाचार और कुशासन दूरगामी कारण थे, जबकि करों का बोझ तात्कालिक विस्फोट का कारण बना।

प्रश्न 12: ‘सहायक संधि’ (Subsidiary Alliance) की नीति को किस ब्रिटिश गवर्नर-जनरल ने भारत में लागू किया?

  1. लॉर्ड कर्जन
  2. लॉर्ड डलहौजी
  3. लॉर्ड वेलेजली
  4. लॉर्ड विलियम बेंटिंक

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: सहायक संधि की नीति भारत में ब्रिटिश विस्तार का एक प्रमुख साधन थी, जिसे लॉर्ड वेलेजली (1798-1805) द्वारा प्रभावी ढंग से लागू किया गया था।
  • संदर्भ और विस्तार: इस संधि के तहत, भारतीय शासकों को अपने राज्य में एक ब्रिटिश सेना रखनी होती थी और उसका खर्च वहन करना होता था। बदले में, ब्रिटिश सेना उन्हें बाहरी आक्रमणों से सुरक्षा प्रदान करती थी और आंतरिक विद्रोहों को दबाने में मदद करती थी। साथ ही, वे किसी अन्य यूरोपीय शक्ति से संबंध नहीं रख सकते थे। इससे भारतीय राज्यों की संप्रभुता कम हो गई और वे ब्रिटिश प्रभाव में आ गए।
  • गलत विकल्प: लॉर्ड डलहौजी ‘व्यपगत के सिद्धांत’ (Doctrine of Lapse) के लिए जाने जाते हैं। लॉर्ड कर्जन ने बंगाल का विभाजन किया। लॉर्ड विलियम बेंटिंक ने सती प्रथा को प्रतिबंधित किया।

प्रश्न 13: निम्नलिखित में से कौन सा कथनMuhammad Ghori के बारे में सही नहीं है?

  1. उसने पृथ्वीराज चौहान को तराइन के द्वितीय युद्ध में हराया था।
  2. उसने भारत में तुर्क साम्राज्य की नींव रखी।
  3. उसने गजनी से भारत पर आक्रमण किया।
  4. वह एक कुशल प्रशासक था और उसने भारत में स्थायी शासन स्थापित किया।

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: जबकि मुहम्मद गोरी ने भारत में तुर्क शासन की शुरुआत की और महत्वपूर्ण सैन्य विजयें हासिल कीं, वह एक कुशल प्रशासक नहीं था जिसने भारत में स्थायी शासन स्थापित किया। यह श्रेय उसके गुलाम सेनापति कुतुबुद्दीन ऐबक को जाता है, जिसने दिल्ली सल्तनत की स्थापना की।
  • संदर्भ और विस्तार: मुहम्मद गोरी ने 1191 में तराइन के प्रथम युद्ध में पृथ्वीराज चौहान से हार का सामना करना पड़ा, लेकिन 1192 में द्वितीय युद्ध में उन्हें पराजित किया। उसने भारत पर कई बार आक्रमण किए और गजनी लौट जाता था। उसकी मुख्य रुचि लूट और विजय थी, न कि व्यवस्थित प्रशासन।
  • गलत विकल्प: (a), (b), और (c) सभी कथन मुहम्मद गोरी के बारे में सही हैं। वह तराइन के द्वितीय युद्ध में विजयी हुआ, उसने भारत में तुर्क साम्राज्य की शुरुआत की (इसके बाद कुतुबुद्दीन ऐबक ने दिल्ली सल्तनत की स्थापना की), और उसने गजनी से आक्रमण किया।

प्रश्न 14: ‘कौटिल्य’ द्वारा लिखित ‘अर्थशास्त्र’ का मुख्य विषय क्या है?

  1. दर्शनशास्त्र
  2. युद्ध कला
  3. राजनीतिक और सैन्य रणनीतियाँ
  4. धर्म और नैतिकता

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: कौटिल्य (जिन्हें चाणक्य या विष्णुगुप्त भी कहा जाता है) द्वारा लिखित ‘अर्थशास्त्र’ एक प्राचीन भारतीय ग्रंथ है जिसका मुख्य विषय राज्य-कला, आर्थिक नीति और सैन्य रणनीतियाँ हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह पुस्तक मौर्य काल के दौरान शासन, कूटनीति, नागरिक और सैन्य प्रशासन, धन प्रबंधन, कानून और व्यवस्था, और राज्य के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत मार्गदर्शन प्रदान करती है। इसे अक्सर राज्य-कला (Statecraft) का एक महत्वपूर्ण मार्गदर्शक माना जाता है।
  • गलत विकल्प: यद्यपि इसमें कुछ दार्शनिक और नैतिक विचार शामिल हैं, और युद्ध कला का भी वर्णन है, लेकिन इसका प्राथमिक और व्यापक विषय राजनीतिक और सैन्य रणनीतियाँ तथा राज्य का प्रबंधन है।

प्रश्न 15: 1916 का लखनऊ समझौता कांग्रेस और किस राजनीतिक दल के बीच हुआ था?

  1. भारतीय मुस्लिम लीग
  2. भारत का राष्ट्रीय संघ
  3. गदर पार्टी
  4. होम रूल लीग

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: 1916 का लखनऊ समझौता भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और अखिल भारतीय मुस्लिम लीग के बीच हुआ था। यह एक महत्वपूर्ण घटना थी जिसने राष्ट्रवादी आंदोलन को एकजुट करने का प्रयास किया।
  • संदर्भ और विस्तार: इस समझौते के माध्यम से, कांग्रेस ने मुस्लिम लीग की मांगों को स्वीकार कर लिया, विशेष रूप से मुसलमानों के लिए पृथक निर्वाचक मंडल (separate electorates) के संबंध में, जिसे 1909 के मार्ले-मिंटो सुधारों में पेश किया गया था। इस समझौते को ‘लखनऊ पैक्ट’ के नाम से भी जाना जाता है। इसके तहत दोनों दलों ने ब्रिटिश सरकार से स्वशासन (होम रूल) की मांग की।
  • गलत विकल्प: भारत का राष्ट्रीय संघ (Indian National Congress) और गदर पार्टी दोनों राष्ट्रवादी संगठन थे, लेकिन समझौता कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच था। होम रूल लीग आंदोलन भी उसी समय चल रहा था, लेकिन समझौता लीग के साथ हुआ।

प्रश्न 16: निम्नलिखित में से कौन सा ‘जहांगीर’ के शासनकाल से संबंधित नहीं है?

  1. ‘तुजुक-ए-जहांगीरी’ की रचना
  2. ‘मनसबदारी प्रणाली’ का विकास
  3. ‘ईस्ट इंडिया कंपनी’ का भारत आगमन
  4. ‘नूरजहाँ’ का प्रभाव

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: मनसबदारी प्रणाली की शुरुआत मुगल सम्राट अकबर ने की थी और इसका विकास उसके शासनकाल में हुआ था। हालाँकि जहांगीर ने इसे जारी रखा, लेकिन इसे ‘जहांगीर के शासनकाल से संबंधित’ प्राथमिक विकास नहीं माना जाता।
  • संदर्भ और विस्तार: ‘तुजुक-ए-जहांगीरी’ जहांगीर की आत्मकथा है। ईस्ट इंडिया कंपनी के कुछ व्यापारी उसके शासनकाल में भारत आए थे (जैसे थॉमस रो)। उसकी पत्नी नूरजहाँ का उसके शासनकाल पर गहरा राजनीतिक प्रभाव था।
  • गलत विकल्प: (a), (c) और (d) सभी जहांगीर के शासनकाल की महत्वपूर्ण घटनाएँ हैं। (b) गलत है क्योंकि मनसबदारी प्रणाली अकबर की देन थी।

प्रश्न 17: ‘पलासी का युद्ध’ (1757) किसके बीच हुआ था?

  1. शिराज-उद-दौला और लॉर्ड डलहौजी
  2. मीर कासिम और रॉबर्ट क्लाइव
  3. शिराज-उद-दौला और रॉबर्ट क्लाइव
  4. मीर जाफर और लॉर्ड वेलेजली

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: 23 जून 1757 को हुआ पलासी का युद्ध बंगाल के नवाब सिराज-उद-दौला और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना के बीच लड़ा गया था, जिसका नेतृत्व रॉबर्ट क्लाइव ने किया था।
  • संदर्भ और विस्तार: इस युद्ध में, सिराज-उद-दौला के सेनापति मीर जाफर की विश्वासघात के कारण बंगाल की सेना प्रभावी ढंग से युद्ध में भाग नहीं ले पाई। परिणामस्वरूप, ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी विजयी हुई, जिसने भारत में ब्रिटिश साम्राज्य की नींव रखी। इस युद्ध ने बंगाल पर कंपनी के राजनीतिक प्रभुत्व की शुरुआत की।
  • गलत विकल्प: लॉर्ड डलहौजी और लॉर्ड वेलेजली बाद के गवर्नर-जनरल थे। मीर कासिम, सिराज-उद-दौला का उत्तराधिकारी था, और मीर जाफर ने क्लाइव के साथ मिलकर सिराज-उद-दौला को धोखा दिया था।

प्रश्न 18: गुप्त काल को ‘भारतीय इतिहास का स्वर्ण युग’ क्यों कहा जाता है?

  1. इस काल में पहली बार लोहे का प्रयोग शुरू हुआ।
  2. कला, साहित्य, विज्ञान और वास्तुकला का अभूतपूर्व विकास हुआ।
  3. गुप्त शासक धर्मनिरपेक्ष थे और सभी धर्मों का समान आदर करते थे।
  4. इस काल में भारत का सबसे बड़ा सैन्य विस्तार हुआ।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: गुप्त काल (लगभग 320-550 ईस्वी) को भारतीय इतिहास का स्वर्ण युग कहा जाता है क्योंकि इस अवधि में कला, साहित्य, विज्ञान, गणित, खगोल विज्ञान और वास्तुकला के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति हुई।
  • संदर्भ और विस्तार: इस काल में कालिदास जैसे महान कवियों ने अपने साहित्य का सृजन किया। आर्यभट्ट ने शून्य (0) और दशमलव प्रणाली में महत्वपूर्ण योगदान दिया, और खगोल विज्ञान में भी प्रगति की। विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भी प्रगति देखी गई, जैसे लोहे के स्तंभों का निर्माण। शासकों ने हिंदू धर्म को बढ़ावा दिया, लेकिन अन्य धर्मों के प्रति भी सहिष्णुता बरती।
  • गलत विकल्प: लोहे का प्रयोग गुप्त काल से बहुत पहले, लगभग ईसा पूर्व दूसरी सहस्राब्दी में शुरू हो गया था। जबकि गुप्त शासकों ने कला और साहित्य को संरक्षण दिया, वे पूरी तरह धर्मनिरपेक्ष नहीं थे (हिंदू धर्म को राजधर्म बनाया गया) और उनका सैन्य विस्तार मुगल या मौर्य काल जितना विशाल नहीं था।

प्रश्न 19: ‘रैयतवाड़ी व्यवस्था’ के तहत किसानों से सीधे भू-राजस्व वसूल किया जाता था। इस व्यवस्था की शुरुआत किसने की?

  1. लॉर्ड कार्नवालिस
  2. लॉर्ड वेलेजली
  3. सर थॉमस मुनरो
  4. लॉर्ड विलियम बेंटिंक

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: रैयतवाड़ी व्यवस्था को मद्रास प्रेसीडेंसी में सर थॉमस मुनरो और कैप्टन अलेक्जेंडर रीड द्वारा 1820 के आसपास लागू किया गया था।
  • संदर्भ और विस्तार: इस व्यवस्था में, भूमि का स्वामित्व किसानों (रैयतों) को दिया गया और भू-राजस्व सीधे उनसे वसूल किया जाता था। यह स्थायी बंदोबस्त (Permanent Settlement) के विपरीत था, जहाँ जमींदारों को भू-राजस्व एकत्र करने का अधिकार था। रैयतवाड़ी व्यवस्था मद्रास, बंबई और असम के कुछ हिस्सों में लागू की गई थी।
  • गलत विकल्प: लॉर्ड कार्नवालिस ने स्थायी बंदोबस्त (Permanent Settlement) लागू किया था। लॉर्ड वेलेजली सहायक संधि के लिए जाने जाते हैं। लॉर्ड विलियम बेंटिंक ने कई सामाजिक सुधार किए थे।

प्रश्न 20: अशोक के शिलालेखों में प्रयुक्त ‘प्राकृत’ भाषा के अतिरिक्त किस भाषा का भी प्रयोग हुआ है?

  1. संस्कृत
  2. पाली
  3. अरामाईक और यूनानी
  4. फारसी

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: अशोक के अधिकांश शिलालेख प्राकृत भाषा में हैं, लेकिन उत्तर-पश्चिम सीमांत क्षेत्रों में, जहाँ यूनानी और अरामाईक प्रभाव था, वहाँ इन भाषाओं में भी शिलालेख पाए गए हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: विशेष रूप से मानसेहरा (पाकिस्तान) और शहबाजगढ़ी (पाकिस्तान) के शिलालेखों में खरोष्ठी लिपि का प्रयोग हुआ है, जो दाईं से बाईं ओर लिखी जाती थी और प्राकृत भाषा में थी। वहीं, अफगानिस्तान के लघमान (पुराना स्थान) से प्राप्त द्विभाषी (यूनानी और अरामाईक) शिलालेख अशोक की व्यापक पहुंच और बहुसांस्कृतिक शासन का प्रमाण हैं।
  • गलत विकल्प: संस्कृत और पाली का प्रयोग प्रमुखता से बाद के काल में हुआ या धार्मिक ग्रंथों में। फारसी का प्रयोग भी बाद में हुआ।

प्रश्न 21: ‘भूदान आंदोलन’ का प्रारंभ किसने किया?

  1. महात्मा गांधी
  2. विनोबा भावे
  3. जयप्रकाश नारायण
  4. आचार्य नरेंद्र देव

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: भूदान आंदोलन की शुरुआत 1951 में विनोबा भावे ने की थी। यह एक स्वैच्छिक भूमि सुधार आंदोलन था।
  • संदर्भ और विस्तार: विनोबा भावे ने तेलंगाना में भूमिहीन किसानों की दुर्दशा को देखकर उनसे भूमि दान करने का आग्रह किया ताकि यह भूमि गरीबों में वितरित की जा सके। उन्होंने पैदल यात्रा करके लोगों से भूमि दान करने की अपील की। इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य वर्ग संघर्ष को समाप्त कर एक अहिंसक समाज का निर्माण करना था।
  • गलत विकल्प: महात्मा गांधी ने भी भूमिहीन मजदूरों के लिए काम किया, लेकिन भूदान आंदोलन की शुरुआत सीधे विनोबा भावे ने की। जयप्रकाश नारायण और आचार्य नरेंद्र देव भी समाजवादी नेता थे, लेकिन इस आंदोलन के प्रवर्तक विनोबा भावे ही थे।

प्रश्न 22: भारत में ‘प्रशासनिक सुधारों’ के लिए प्रसिद्ध वायसराय कौन था, जिसने ‘लॉर्ड कॉर्नवॉलिस कोड’ लागू किया?

  1. लॉर्ड वेलेजली
  2. लॉर्ड कॉर्नवालिस
  3. लॉर्ड हेस्टिंग्स
  4. लॉर्ड डलहौजी

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: लॉर्ड कॉर्नवालिस (1786-1793) को भारत में प्रशासनिक, न्यायिक और पुलिस सुधारों का श्रेय दिया जाता है। उन्होंने ‘लॉर्ड कॉर्नवालिस कोड’ लागू किया।
  • संदर्भ और विस्तार: इस कोड ने शक्तियों के पृथक्करण की व्यवस्था स्थापित की, जिसमें कलेक्टर के न्यायिक अधिकार छीन लिए गए और उन्हें केवल राजस्व कार्य तक सीमित कर दिया गया। इसने पुलिस व्यवस्था को भी संगठित किया और जिलों को पुलिस थानों में बाँटा। उन्होंने स्थायी बंदोबस्त (Permanent Settlement) की भी शुरुआत की।
  • गलत विकल्प: अन्य वायसराय भी महत्वपूर्ण थे, लेकिन प्रशासनिक सुधारों और विशेष रूप से कॉर्नवालिस कोड के लिए लॉर्ड कॉर्नवालिस का नाम प्रमुख है।

प्रश्न 23: ‘गांधी-इरविन समझौता’ कब हुआ था?

  1. 1929
  2. 1930
  3. 1931
  4. 1932

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: गांधी-इरविन समझौता 5 मार्च 1931 को हुआ था। यह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन के बीच एक राजनीतिक समझौता था।
  • संदर्भ और विस्तार: इस समझौते के परिणामस्वरूप, महात्मा गांधी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन (Civil Disobedience Movement) को स्थगित कर दिया था और ब्रिटिश सरकार ने कांग्रेस की कुछ मांगों को स्वीकार कर लिया था, जिसमें नमक सत्याग्रह से संबंधित नागरिक अवज्ञा के कार्यों को रद्द करना और राजनीतिक कैदियों को रिहा करना शामिल था। यह समझौता लंदन में होने वाले दूसरे गोलमेज सम्मेलन (Second Round Table Conference) में कांग्रेस की भागीदारी के लिए एक आधार बना।
  • गलत विकल्प: 1929 में लाहौर अधिवेशन हुआ था जहाँ पूर्ण स्वराज्य की मांग की गई। 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू हुआ था। 1932 में पूना समझौता हुआ था।

प्रश्न 24: ‘ताकत का संतुलन’ (Balance of Power) की अवधारणा का उपयोग किस यूरोपीय काल में अंतरराष्ट्रीय संबंधों को स्थिर करने के लिए किया गया था?

  1. प्रबोधन काल (Age of Enlightenment)
  2. पुनर्जागरण काल (Renaissance)
  3. वियना कांग्रेस (Congress of Vienna) के बाद
  4. अठारहवीं शताब्दी के मध्य

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: ‘ताकत का संतुलन’ की अवधारणा का सबसे प्रमुख उपयोग और संस्थागतकरण 1815 की वियना कांग्रेस के बाद किया गया था।
  • संदर्भ और विस्तार: नेपोलियन के युद्धों के बाद, यूरोपीय शक्तियों ने यूरोप के राजनीतिक मानचित्र को फिर से व्यवस्थित करने और भविष्य में किसी भी एक शक्ति को बहुत अधिक शक्तिशाली बनने से रोकने के लिए वियना कांग्रेस का आयोजन किया। इसका मुख्य उद्देश्य महाद्वीपीय शक्ति को संतुलित करना था ताकि शांति बनी रहे। इस सिद्धांत का पालन 19वीं शताब्दी के दौरान यूरोप की राजनीति में एक महत्वपूर्ण तत्व रहा।
  • गलत विकल्प: प्रबोधन काल (18वीं शताब्दी) में विचारों का विकास हुआ, लेकिन सीधे तौर पर लागू नहीं हुआ। पुनर्जागरण काल (14वीं-16वीं शताब्दी) में कला और संस्कृति का विकास हुआ। अठारहवीं शताब्दी के मध्य का काल वियना कांग्रेस से पहले था।

प्रश्न 25: चोल प्रशासन में ‘ग्राम सभा’ का सबसे विस्तृत विवरण किस अभिलेख से प्राप्त होता है?

  1. अभिलेख महाबलीपुरम
  2. अभिलेख ऐहोल
  3. उत्तरमेरूर अभिलेख
  4. मंदसौर अभिलेख

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता: चोल प्रशासन में ग्राम सभा (या ‘उर’ और ‘सभा’) के कामकाज, सदस्यों के चुनाव और उनकी योग्यताओं का सबसे विस्तृत और प्रामाणिक विवरण उत्तरमेरूर (तमिलनाडु) के अभिलेखों से मिलता है।
  • संदर्भ और विस्तार: उत्तरमेरूर के अभिलेख 10वीं शताब्दी ईस्वी के हैं और ये चोल काल की स्थानीय स्वशासन प्रणाली की स्पष्ट जानकारी देते हैं। इनमें ग्राम सभा के सदस्यों के चुनाव की प्रक्रिया, उनकी योग्यताएं (जैसे आयु, संपत्ति, ज्ञान), उनके कर्तव्य और अयोग्यता के मानदंडों का उल्लेख है। यह भारत में प्राचीनतम लोकतान्त्रिक व्यवस्थाओं में से एक का उत्कृष्ट उदाहरण है।
  • गलत विकल्प: महाबलीपुरम के अभिलेख पल्लवकालीन कला से संबंधित हैं। ऐहोल और मंदसौर अभिलेख भी विभिन्न राजवंशों की जानकारी देते हैं, लेकिन वे ग्राम सभा की विस्तृत कार्यप्रणाली पर उतने केंद्रित नहीं हैं जितने उत्तरमेरूर अभिलेख।

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