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अवलोकन विधि के प्रकार

 

अवलोकन विधि के प्रकार

( Types of Observation Method )

अवलोकन योग्य सामाजिक घटनाओं की प्रकृति विविध एवं जटिल है । फलस्वरूप सामाजिक अनुसंधान में अवलोकन के कई रूपों का विभिन्न स्थितियों में प्रयोग किया गया है । अत : अवलोकन के अनेक प्रकार बतलाए जाते हैं । अध्ययन की सुविधा की दृष्टि से इसे निम्न रूप में समझा जा सकता है

 

( 1 ) अनियन्त्रित अवलोकन ( Uncontrolled Observation ) ,

 ( 2 ) नियन्त्रित अवलोकन ( Controlled Observation ) ,

 ( 3 ) सहभागी अवलोकन ( Participant Observation ) ,

( 4 ) असहभागी अवलोकन ( Non – Participant Observation ) ,

( 5 ) अर्द्ध – सहभागी अवलोकन ( Quasi – Participant Observation )

( 6 ) सामूहिक अवलोकन ( Collective Observation ) ।

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 ( 1 ) नियंत्रित अवलोकन ( Controlled Observation ) : नियंत्रित अवलोकन में अवलोकनकर्ता एवं अवलोकन करना । वाली सामाजिक घटना पर नियंत्रण किया जाता है । अवलोकनकर्ता पर नियंत्रण के लिए कई प्रकार के साधनों का प्रयोग किया जाता है , जैसे – अवलोकन की विस्तृत योजना बना लेना , अनुसूची व प्रश्नावली का प्रयोग मानचित्र का प्रयोग क्षेत्रीय नोटस , डायरी , फोटोग्राफ , कैमरा व टेपरिकार्डर आदि का प्रयोग । सामाजिक घटना पर नियंत्रण के लिए उन परिस्थितियों या घटकों पर नियंत्रण किया जाता है जिनका अवलोकन किया जाना है । इस प्रकार एक ऐसे कृत्रिम वातावरण की सष्टि की जाती है जिसमें परिस्थितियाँ या घटक यथावत बनी रहे ।

 ( 2 ) अनियंत्रित अवलोकन ( Uncontrolled Observation ) : अनियंत्रित अवलोकन में स्वाभाविक व वास्तविक जीवन की घटनाओं का सतर्कतापूर्वक अध्ययन किया जाता है । इसके अन्तर्गत घटनाएँ जिस रूप में घटित हो रही हैं , उन्हें उसी रूप में देखने का प्रयत्न किया जाता है । इसमें न तो अवलोकनकर्ता पर और ना ही घटना या परिस्थिति पर नियंत्रण होता है । इसके तीन रूप हैं —

( 1 ) सहभागी अवलोकन ,

( II ) असहभागी अवलोकन एवं

( III ) अर्द्ध – सहभागी अवलोकन ।

 ( 1 ) सहभागी अवलोकन ( Participant Observation ) : इसका प्रयोग सर्वप्रथम लिंडमैन ( Lindeman ) ने 1924 में किया था । सहभागी अवलोकन के माध्यम से अध्ययन के लिए अवलोकनकर्ता उस समूह का सदस्य बनता है जिसका अध्ययन करना है । समूह की क्रियाओं में भाग लेते हुए अवलोकन करता रहता है । सहभागिता के सन्दर्भ में दो विचारधाराएँ हैं । प्रथम , अमेरिकन समाज वैज्ञानिकों के अनुसार अपना परिचय को अवलोकनकर्ता गुप्त रखें । द्वितीय , भारतीय समाज वैज्ञानिकों के अनुसार अपना परिचय व अध्ययन – उद्देश्य को गुप्त नहीं रखना चाहिए ।

 ( II ) असहभागी अवलोकन ( Non – Participant Observation ) : असहभागी अवलोकन में अवलोकनकर्ता समुदाय या समूह का न तो अस्थाई सदस्य बनता है और न ही उसकी क्रियाओं में भागीदार बनता है , एक तटस्थ व्यक्ति की तरह घटनाओं को देखता है व उसकी गहराई तक पहुंचने का प्रयास करता है ।

 ( III ) अर्द्ध – सहभागी अवलोकन ( Quasi Participant Observation ) : अर्द्ध – सहभागी अवलोकन सहभागी व असहभागी अवलोकन का सम्मिलित रूप है । इस प्रकार के अवलोकन में अवलोकनकर्ता अध्ययन किए जाने वाले समुदाय या समूह के कुछ कार्यों में भाग लेता है और अधिकांशत : तटस्थ भाव से बिना भाग लिए उसका अवलोकन करता है ।

( 3 ) सामूहिक अवलोकन ( Mass Observation ) : जब अवलोकन कार्य अनेक व्यक्तियों के द्वारा सामूहिक रूप से किए जाते हैं , तब इसे सामूहिक अवलोकन कहा जाता है । सामूहिक अवलोकन के अन्तर्गत एक घटना के विभिन्न विषयों से सम्बन्धित अनेक विशेषज्ञ होते हैं । ये विशेषज्ञ अपना – अपना अवलोकित तथ्य एक केन्द्रीय व्यक्ति के पास जमा कर देते हैं । उस केन्द्रीय व्यक्ति के द्वारा उन एकत्रित तथ्यों के आधार पर निष्कर्ष निकाला जाता है ।

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