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UPSC अलर्ट: राज्यसभा में राष्ट्रपति के 4 नए मनोनयन! जानें क्यों ये नाम महत्वपूर्ण हैं और परीक्षा में क्या पूछ सकते हैं?

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UPSC अलर्ट: राज्यसभा में राष्ट्रपति के 4 नए मनोनयन! जानें क्यों ये नाम महत्वपूर्ण हैं और परीक्षा में क्या पूछ सकते हैं?

चर्चा में क्यों? (Why in News?):

हाल ही में भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने राज्यसभा के लिए चार प्रतिष्ठित हस्तियों को मनोनीत किया है। ये नाम हैं – वरिष्ठ अधिवक्ता उज्ज्वल निकम, प्रख्यात इतिहासकार डॉ. मीनाक्षी जैन, शिक्षाविद् सतनाम सिंह संधू और प्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. अश्विन बालचंद मेहता। यह मनोनयन भारतीय संविधान के अनुच्छेद 80(3) के तहत राष्ट्रपति को प्राप्त विशेष शक्तियों का एक महत्त्वपूर्ण अभ्यास है, जिसके तहत विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों को संसद के उच्च सदन में प्रतिनिधित्व का अवसर मिलता है। यह घटना न केवल राजनीतिक गलियारों में बल्कि शिक्षाविदों और विशेष रूप से UPSC सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के लिए भी गहन अध्ययन का विषय बन गई है। यह मनोनयन राज्यसभा की संरचना, राष्ट्रपति की शक्तियों और भारत की संसदीय प्रणाली में मनोनीत सदस्यों की भूमिका से जुड़े कई महत्त्वपूर्ण संवैधानिक और राजनीतिक पहलुओं को सामने लाता है। आइए, इस पूरी प्रक्रिया, इसके पीछे के तर्क और इसके UPSC परीक्षा के लिए निहितार्थों को गहराई से समझते हैं।

राज्यसभा: परिचय और संरचना (Rajya Sabha: Introduction and Structure)

राज्यसभा, जिसे ‘राज्यों की परिषद’ के नाम से भी जाना जाता है, भारत की द्विसदनीय संसद का उच्च सदन है। यह सदन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व करता है, जिससे भारतीय संघवाद की प्रकृति मजबूत होती है।

मनोनयन की शक्ति: अनुच्छेद 80 का विस्तृत विश्लेषण (Power of Nomination: Detailed Analysis of Article 80)

संविधान निर्माताओं ने राज्यसभा में कुछ ऐसे सदस्यों को शामिल करने की परिकल्पना की थी जो सीधे चुनाव प्रक्रिया का हिस्सा न होकर भी समाज और राष्ट्र के लिए महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकें। यह परिकल्पना अनुच्छेद 80 में निहित है।

अनुच्छेद 80(3) क्या कहता है? (What Article 80(3) says?)

“राष्ट्रपति द्वारा खंड (1) के उपखंड (क) के उपबंधों के अधीन नामित किए जाने वाले सदस्य ऐसे व्यक्ति होंगे जिन्हें साहित्य, विज्ञान, कला और समाज सेवा के संबंध में विशेष ज्ञान या व्यावहारिक अनुभव हो।”

यह प्रावधान स्पष्ट करता है कि राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किए जाने वाले 12 सदस्य इन चार विशिष्ट क्षेत्रों से संबंधित होने चाहिए। यह सुनिश्चित करता है कि संसद में न केवल राजनीतिक प्रतिनिधित्व हो, बल्कि विभिन्न क्षेत्रों की विशेषज्ञता और अनुभव भी शामिल हो सके, जिससे कानून निर्माण और नीतिगत चर्चाओं की गुणवत्ता बढ़ सके।

मनोनयन के पीछे का तर्क (Rationale behind Nomination)

मनोनयन की अवधारणा कई महत्त्वपूर्ण तर्कों पर आधारित है:

ब्रिटिश और भारतीय प्रावधानों में अंतर (Difference between British and Indian Provisions)

भारतीय संविधान ने ब्रिटिश संसदीय प्रणाली से प्रेरणा ली है, लेकिन मनोनयन के मामले में कुछ मूलभूत अंतर हैं।

मनोनीत सदस्यों की भूमिका और शक्तियाँ (Role and Powers of Nominated Members)

मनोनीत सदस्यों के अधिकार और शक्तियाँ निर्वाचित सदस्यों के समान होती हैं, लेकिन कुछ अपवाद हैं:

योग्यता और अयोग्यता (Qualifications and Disqualifications)

मनोनीत सदस्यों के लिए भी वे सभी योग्यताएँ लागू होती हैं जो एक निर्वाचित सदस्य के लिए होती हैं, जैसे भारत का नागरिक होना, न्यूनतम आयु (राज्यसभा के लिए 30 वर्ष) आदि। अयोग्यताएँ भी सामान्य संसद सदस्यों के समान हैं, जैसे दिवालिया होना, लाभ का पद धारण करना, या मानसिक रूप से अस्वस्थ होना।

कौन हैं ये 4 नए सदस्य? (Who are these 4 New Members?)

इस बार मनोनीत किए गए चार नाम अपने-अपने क्षेत्रों में असाधारण योगदान के लिए जाने जाते हैं। उनकी विशेषज्ञता और अनुभव राज्यसभा में निश्चित रूप से मूल्य जोड़ेंगे।

1. उज्ज्वल निकम (कानून)

2. डॉ. मीनाक्षी जैन (कला/साहित्य/समाज सेवा)

3. सतनाम सिंह संधू (शिक्षा और समाज सेवा)

4. डॉ. अश्विन बालचंद मेहता (विज्ञान/समाज सेवा)

इन मनोनयनों से स्पष्ट होता है कि सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों में विशिष्ट पहचान रखने वाले व्यक्तियों को चुनकर राज्यसभा की गुणवत्ता और विविधता को बढ़ाने का प्रयास किया है।

मनोनयन प्रक्रिया: पारदर्शिता और चुनौतियाँ (Nomination Process: Transparency and Challenges)

राज्यसभा में मनोनयन की प्रक्रिया, हालांकि संवैधानिक रूप से स्थापित है, अक्सर पारदर्शिता और राजनीतिक निहितार्थों को लेकर बहस का विषय रही है।

प्रक्रिया कैसे काम करती है? (How does the process work?)

संविधान में मनोनीत सदस्यों के चयन की कोई विशिष्ट प्रक्रिया या मानदंड निर्धारित नहीं है। व्यवहार में, यह कैबिनेट की सलाह पर राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है। इसका मतलब है कि प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद उन नामों की सिफारिश करते हैं जिन्हें वे मनोनीत करना चाहते हैं, और राष्ट्रपति उस सलाह पर कार्य करते हैं।

यह प्रक्रिया कुछ हद तक विवेकशील और अस्पष्ट है, जिससे पारदर्शिता की कमी के आरोप लगते रहते हैं।

मनोनयन के लाभ (Benefits of Nomination)

मनोनयन से जुड़ी चुनौतियाँ और आलोचनाएँ (Challenges and Criticisms of Nomination)

मनोनयन की प्रक्रिया को अक्सर कई आधारों पर आलोचना का सामना करना पड़ता है:

“राज्यसभा के मनोनयन को ‘विशेषज्ञता के प्रवेश द्वार’ के रूप में देखा जाना चाहिए, न कि ‘राजनीतिक सेवानिवृत्ति गृह’ के रूप में। पारदर्शिता और योग्यता का सख्ती से पालन ही इसकी गरिमा को बनाए रख सकता है।” – एक संवैधानिक विशेषज्ञ का मत

केस स्टडी: विगत मनोनयन और उनके प्रभाव (Case Study: Past Nominations and their Impact)

भारत के इतिहास में कई प्रतिष्ठित हस्तियों को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया गया है, जिनमें से कुछ ने महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है, जबकि कुछ का कार्यकाल विवादों में रहा।

इन उदाहरणों से पता चलता है कि मनोनयन का उद्देश्य महान प्रतिभाओं को संसद में लाना है, लेकिन उनकी वास्तविक सक्रियता और प्रभावकारिता व्यक्ति-विशिष्ट और परिस्थितियों पर निर्भर करती है।

संसद में मनोनयन का भविष्य (Future of Nomination in Parliament)

मनोनयन की व्यवस्था अपनी स्थापना के बाद से चली आ रही है और संविधान निर्माताओं की दूरदर्शिता का एक प्रमाण है। हालांकि, आधुनिक संदर्भ में इसमें सुधारों की आवश्यकता महसूस की जाती है।

मनोनयन की संस्था भारतीय संसद के लिए एक अनूठी और मूल्यवान विशेषता है, बशर्ते इसे इसके मूल उद्देश्य के साथ ईमानदारी से संचालित किया जाए।

UPSC परीक्षा के लिए तैयारी कैसे करें? (How to Prepare for UPSC Exam?)

यह हालिया मनोनयन UPSC सिविल सेवा परीक्षा के लिए कई महत्त्वपूर्ण विषयों को कवर करता है। उम्मीदवारों को निम्नलिखित पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए:

  1. संवैधानिक प्रावधान:
    • अनुच्छेद 80 की गहन समझ, विशेष रूप से अनुच्छेद 80(3) और मनोनयन के क्षेत्र।
    • राज्यसभा की संरचना, कार्यकाल, शक्तियाँ और भूमिका।
    • लोकसभा और राज्यसभा के बीच अंतर।
    • राष्ट्रपति की शक्तियाँ, विशेषकर विधायी शक्तियाँ।
    • संसद के सदस्य बनने की योग्यताएँ और अयोग्यताएँ।
    • राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया में मनोनीत सदस्यों की भूमिका।
  2. भारतीय राजव्यवस्था (Indian Polity):
    • संसदीय प्रणाली के कार्यकरण।
    • सदन में समितियों की भूमिका।
    • संसदीय विशेषाधिकार।
    • संघवाद और राज्यों का प्रतिनिधित्व।
  3. समसामयिक घटनाएँ और उनका विश्लेषण:
    • नवीनतम मनोनयन के पीछे के कारणों और चुने गए व्यक्तियों के क्षेत्रों को समझना।
    • मनोनयन प्रक्रिया से जुड़े विवादों और आलोचनाओं का एक संतुलित विश्लेषण।
    • विगत के महत्त्वपूर्ण मनोनीत सदस्यों और उनके योगदान का ज्ञान।
  4. निष्कर्ष और वे फॉरवर्ड:
    • मनोनयन की आवश्यकता और प्रासंगिकता पर एक संतुलित दृष्टिकोण विकसित करना।
    • प्रक्रिया को अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिए संभावित सुधारों पर विचार करना।

इन विषयों पर मजबूत पकड़ प्रीलिम्स और मेन्स दोनों परीक्षाओं में बेहतर प्रदर्शन सुनिश्चित करेगी। तथ्यात्मक जानकारी के साथ-साथ विश्लेषणात्मक क्षमता विकसित करना भी अत्यंत आवश्यक है।

निष्कर्ष (Conclusion)

राज्यसभा में राष्ट्रपति द्वारा चार नए सदस्यों का मनोनयन भारतीय लोकतंत्र की एक महत्त्वपूर्ण संवैधानिक प्रक्रिया का हिस्सा है। यह प्रक्रिया संसद में विभिन्न क्षेत्रों की विशेषज्ञता और अनुभव को शामिल करने का एक अनूठा मार्ग प्रदान करती है, जिससे कानून निर्माण और नीतिगत चर्चाओं की गुणवत्ता में वृद्धि होती है। उज्ज्वल निकम, डॉ. मीनाक्षी जैन, सतनाम सिंह संधू और डॉ. अश्विन बालचंद मेहता जैसे प्रतिष्ठित व्यक्तियों का मनोनयन यह दर्शाता है कि सरकार ने कला, साहित्य, विज्ञान और समाज सेवा के व्यापक दायरे में कानूनी विशेषज्ञता, इतिहास, शिक्षा और चिकित्सा जैसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों को शामिल किया है।

हालांकि, इस प्रक्रिया की प्रभावकारिता और विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए पारदर्शिता और योग्यता-आधारित चयन को और मजबूत करना आवश्यक है। यह सुनिश्चित करना कि मनोनीत सदस्य वास्तव में दलगत राजनीति से ऊपर उठकर राष्ट्र सेवा करें, इस संवैधानिक प्रावधान की गरिमा को बनाए रखने के लिए महत्त्वपूर्ण है। UPSC उम्मीदवारों के लिए, यह घटना संसद, राष्ट्रपति की शक्तियों और संवैधानिक प्रावधानों के गहन अध्ययन का एक अवसर है, जो उन्हें भारतीय राजव्यवस्था की बारीकियों को समझने में मदद करेगा।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

(प्रत्येक प्रश्न के लिए सही विकल्प चुनें और फिर व्याख्या देखें)

1. राज्यसभा के सदस्यों के मनोनयन के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

  1. भारत के राष्ट्रपति द्वारा राज्यसभा में 12 सदस्य मनोनीत किए जाते हैं।
  2. ये सदस्य साहित्य, विज्ञान, कला और समाज सेवा के क्षेत्रों से चुने जाते हैं।
  3. मनोनीत सदस्य राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति दोनों के चुनाव में मतदान करने के हकदार होते हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

सही उत्तर: (a)

व्याख्या:
कथन 1 सही है। संविधान के अनुच्छेद 80(3) के अनुसार, राष्ट्रपति राज्यसभा में 12 सदस्यों को मनोनीत करते हैं।
कथन 2 सही है। ये सदस्य साहित्य, विज्ञान, कला और समाज सेवा के क्षेत्रों से होने चाहिए।
कथन 3 गलत है। मनोनीत सदस्य उपराष्ट्रपति के चुनाव में मतदान कर सकते हैं, लेकिन राष्ट्रपति के चुनाव में नहीं (अनुच्छेद 54)।

2. भारतीय संसद के संदर्भ में, मनोनीत सदस्यों के पास कौन-सी शक्तियाँ होती हैं?

  1. वे सामान्य विधेयक पर मतदान कर सकते हैं।
  2. वे संसदीय समितियों के सदस्य हो सकते हैं।
  3. वे केंद्रीय मंत्रिपरिषद में शामिल हो सकते हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 2
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3

सही उत्तर: (d)

व्याख्या:
सभी तीनों कथन सही हैं। मनोनीत सदस्य सामान्य विधेयक पर मतदान कर सकते हैं, संसदीय समितियों के सदस्य हो सकते हैं और केंद्रीय मंत्रिपरिषद में भी शामिल हो सकते हैं। यदि वे मंत्री बनते हैं, तो उन्हें राज्यसभा का सदस्य बने रहना आवश्यक है।

3. राज्यसभा में सदस्यों के मनोनयन की प्रक्रिया किस देश के संविधान से प्रेरित है?

(a) संयुक्त राज्य अमेरिका
(b) ब्रिटेन
(c) आयरलैंड
(d) कनाडा

सही उत्तर: (c)

व्याख्या:
राज्यसभा में सदस्यों के मनोनयन का प्रावधान आयरलैंड के संविधान से लिया गया है।

4. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन राज्यसभा के संबंध में सही नहीं है?

(a) यह एक स्थायी सदन है जिसे भंग नहीं किया जा सकता।
(b) इसके एक-तिहाई सदस्य हर दो साल में सेवानिवृत्त होते हैं।
(c) राज्यसभा के सदस्य राष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेते हैं।
(d) राज्यसभा धन विधेयक को संशोधित या अस्वीकार नहीं कर सकती।

सही उत्तर: (c)

व्याख्या:
कथन (c) सही नहीं है। राष्ट्रपति के चुनाव में संसद के दोनों सदनों के केवल निर्वाचित सदस्य और राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य भाग लेते हैं। राज्यसभा के मनोनीत सदस्य राष्ट्रपति के चुनाव में भाग नहीं लेते हैं।

5. अनुच्छेद 249 के तहत, राज्यसभा को कौन-सी विशेष शक्ति प्राप्त है?

(a) किसी भी साधारण विधेयक को अस्वीकार करना।
(b) राज्य सूची के विषय पर कानून बनाने के लिए संसद को अधिकृत करना।
(c) अखिल भारतीय सेवाओं के निर्माण की सिफारिश करना।
(d) राष्ट्रपति पर महाभियोग प्रक्रिया शुरू करना।

सही उत्तर: (b)

व्याख्या:
अनुच्छेद 249 राज्यसभा को दो-तिहाई बहुमत से प्रस्ताव पारित करके संसद को राज्य सूची के किसी विषय पर राष्ट्रीय हित में कानून बनाने के लिए अधिकृत करने की शक्ति प्रदान करता है। अखिल भारतीय सेवाओं के निर्माण की सिफारिश करने की शक्ति अनुच्छेद 312 के तहत है।

6. भारत के राष्ट्रपति द्वारा राज्यसभा के लिए मनोनीत किए जाने वाले सदस्यों के लिए न्यूनतम आयु क्या है?

(a) 25 वर्ष
(b) 30 वर्ष
(c) 35 वर्ष
(d) कोई आयु सीमा नहीं

सही उत्तर: (b)

व्याख्या:
राज्यसभा का सदस्य बनने के लिए न्यूनतम आयु 30 वर्ष है, चाहे वह निर्वाचित हो या मनोनीत।

7. राज्यसभा के मनोनीत सदस्यों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:

  1. वे सदन में किसी भी विधेयक पर मतदान कर सकते हैं।
  2. यदि वे किसी राजनीतिक दल में शामिल होते हैं, तो उन्हें अयोग्य ठहराया जा सकता है।
  3. वे संसदीय समितियों के अध्यक्ष हो सकते हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

सही उत्तर: (d)

व्याख्या:
कथन 1 सही है। वे सामान्य विधेयकों पर मतदान कर सकते हैं।
कथन 2 सही है। यदि कोई मनोनीत सदस्य अपनी सीट लेने के छह महीने बाद किसी राजनीतिक दल में शामिल होता है, तो उसे दलबदल विरोधी कानून (10वीं अनुसूची) के तहत अयोग्य ठहराया जा सकता है।
कथन 3 सही है। मनोनीत सदस्य संसदीय समितियों के सदस्य और अध्यक्ष दोनों हो सकते हैं।

8. राज्यसभा के सदस्य के रूप में उज्ज्वल निकम के हालिया मनोनयन को किस श्रेणी के तहत उचित ठहराया जा सकता है?

(a) साहित्य
(b) विज्ञान
(c) कला
(d) समाज सेवा

सही उत्तर: (d)

व्याख्या:
उज्ज्वल निकम एक प्रख्यात लोक अभियोजक हैं जिन्होंने न्याय प्रणाली में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। उनका कार्य बड़े पैमाने पर समाज की सेवा है, इसलिए उन्हें ‘समाज सेवा’ श्रेणी के तहत मनोनीत किया गया है। कानून एक पेशेवर क्षेत्र है लेकिन इसके माध्यम से किए गए व्यापक सार्वजनिक योगदान को ‘समाज सेवा’ के रूप में देखा जा सकता है।

9. भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद में राज्यसभा की संरचना और सदस्यों के मनोनयन का उल्लेख है?

(a) अनुच्छेद 79
(b) अनुच्छेद 80
(c) अनुच्छेद 81
(d) अनुच्छेद 82

सही उत्तर: (b)

व्याख्या:
अनुच्छेद 80 राज्यसभा की संरचना से संबंधित है, जिसमें राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधियों और राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत सदस्यों का प्रावधान शामिल है। अनुच्छेद 79 संसद के गठन से, अनुच्छेद 81 लोकसभा की संरचना से और अनुच्छेद 82 परिसीमन के बाद सीटों के पुनर्समायोजन से संबंधित है।

10. निम्नलिखित में से कौन भारत के उपराष्ट्रपति के चुनाव में मतदान कर सकते हैं?

  1. लोकसभा के निर्वाचित सदस्य।
  2. राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य।
  3. लोकसभा के मनोनीत सदस्य।
  4. राज्यसभा के मनोनीत सदस्य।

सही कोड चुनें:

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 1, 2 और 3
(c) केवल 1, 2 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4

सही उत्तर: (d)

व्याख्या:
उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के सभी सदस्यों (निर्वाचित और मनोनीत दोनों) द्वारा किया जाता है। इसलिए, सभी चार प्रकार के सदस्य उपराष्ट्रपति के चुनाव में मतदान कर सकते हैं।

मुख्य परीक्षा (Mains)

1. “राज्यसभा में राष्ट्रपति द्वारा सदस्यों का मनोनयन भारतीय संसदीय प्रणाली की एक विशिष्ट विशेषता है।” इस कथन के आलोक में मनोनयन के पीछे के संवैधानिक तर्क, इसके लाभों और आलोचनाओं का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिए। (250 शब्द)

2. राज्यसभा में मनोनीत सदस्यों की भूमिका और प्रभावशीलता पर चर्चा कीजिए। क्या आप मानते हैं कि मनोनयन प्रक्रिया में अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही लाने की आवश्यकता है? अपने उत्तर के समर्थन में तर्क दीजिए। (250 शब्द)

3. “साहित्य, विज्ञान, कला और समाज सेवा” – संविधान के इन चार क्षेत्रों में मनोनयन की आवश्यकता क्यों महसूस की गई थी? हालिया मनोनयनों (उज्ज्वल निकम, मीनाक्षी जैन, सतनाम सिंह संधू, डॉ. अश्विन बालचंद मेहता) के उदाहरणों के माध्यम से स्पष्ट कीजिए कि ये मनोनयन इन श्रेणियों में कैसे फिट होते हैं और संसद में क्या मूल्य जोड़ सकते हैं। (250 शब्द)

4. राज्यसभा में मनोनीत सदस्यों के लिए दलबदल विरोधी कानून (10वीं अनुसूची) के प्रावधानों की व्याख्या कीजिए। क्या यह प्रावधान मनोनीत सदस्यों की ‘गैर-राजनीतिक’ स्थिति को बनाए रखने में प्रभावी है? विश्लेषण कीजिए। (150 शब्द)

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