सामाजिक स्तरीकरण के स्वरूप,

सामाजिक स्तरीकरण के स्वरूप ( Forms of Stratification ) स्तरीकरण असमानता का वह स्वरूप है जिसमें समाज के सदस्य ऊँचे – नीचे पदों या स्थितियों में विभाजित रहते हैं । स्थिति की यह ऊँचाई – नीचाई जिन आधारों से निर्धारित…

लिंग एवं स्तरीकरण

लिंग एवं स्तरीकरण ( Gender and Stratification ) सामाजिक स्तरीकरण का सबसे प्राचीन आधार लिंग – भेद ( Gender Discrimination ) है । स्त्री और पुरुष मानव समाज की आधारशिला है । किसी एक के अभाव में समाज की कल्पना…

 जाति

 जाति (Caste ) जाति की अवधारणा या परिभाषा के सम्बन्ध में यह कहा जा सकता है कि मुख्यत : यह लोगों का एक ऐसा सबक है जिसकी सदस्यता आनुवंशिकता पर आधारित होती है । इसे जाति – संस्तरण में एक…

वर्ग

वर्ग ( Class )   ऐसे व्यक्तियों का समूह है जिनकी समान सामाजिक प्रस्थिति होती है । प्रत्येक समाज में अनेक प्रस्थितियाँ पाई जाती है । फलस्वरूप उनके अनुसार अनेक वर्ग भी पाए जाते हैं । जब जन्म के अतिरिक्त…

  सामाजिक स्तरीकरण के आधार

सामाजिक स्तरीकरण के आधार ( Bases of Social Stratification )   जाति ( Caste ) : सामाजिक स्तरीकरण का एक प्रमुख प्राणिशास्त्रीय आधार ‘ जाति ‘ है । भारत इसका ज्वलन्त उदाहरण है । इस जातिगत स्तरीकरण में सबसे ऊंचा…

सामाजिक स्तरीकरण

सामाजिक स्तरीकरण   स्तरीकरण ( stratification ) शब्द भूविज्ञान से ग्रहण किया गया है तथा यह समाज में व्यक्तियों के विभिन्न स्तरों में वर्गीकरण की ओर संकेत करता है जिसके सम्बन्ध में माना जाता है कि समाज में स्तर की…

नातेदारी के प्रकार

नातेदारी के प्रकार ( Types of Kinship ) नातेदारी के दो मुख्य प्रकार बतलाये जाते हैं जो प्रायः सभी समाजों में प्रचलित हैं । ये हैं – विवाह – मूलक नातेदारी और रक्त – मूलक नातेदारी ।  1 . विवाह…

नातेदारी

नातेदारी  ( Kinship ) नातेदारी का शाब्दिक अर्थ होता है सम्बन्ध । यह सम्बन्ध दो या अधिक व्यक्तियों के बीच ही हो सकता है । समाज के सदस्य विभिन्न सम्बन्धों से बँधे होते हैं । इनमें रक्त सम्बन्ध , विवाह…

 विवाह के प्रकार

विवाह के प्रकार (Types of Marriage ) हिन्दू विवाह  ( HINDU MARRIAGE)  हिन्दओं में विवाह को एक संस्कार के रूप में स्वीकार किया गया है । कापडिया लिखते हैं , “ हिन्दू विवाह एक संस्कार है । ‘ हिन्दू विवाह…

विवाह

विवाह  ( Marriage ) विवाह के अलग – अलग समाजों में अलग – अलग उददेश्य हैं : जैसे – ईसाई धर्म में प्रमुख उद्देश्य यौन सन्तुष्टि है तो हिन्दू समाज में धर्म की रक्षा करना या धार्मिक संस्कार करना ,…

 परिवार की समस्याएँ

     परिवार की समस्याएँ  ( Problems of Family )  वर्तमान समय में परिवार में कुछ ऐसे परिवर्तन हुए हैं जिससे इसके सामने कई समस्याएँ उत्पन्न हुई है । ये समस्याएँ सिर्फ सामाजिक जीवन को ही नहीं , बल्कि परिवार…

परिवार के कार्य एवं महत्त्व

    परिवार के कार्य एवं महत्त्व ( Functions and Importance of Family )    परिवार एक अनोखा संगठन है । इसका निर्माण स्वत : होता है और यह मानव के लिए अनिवार्य भी है । परिवार के द्वारा व्यक्ति…

 परिवार के प्रकार

परिवार के प्रकार ( Types of Family ) परिवार एक सार्वभौमिक समूह है । यह प्रत्येक समाज में किसी – न – किसी रूप में अवश्य पाया जाता है ।  विभिन्न समाज में परिवार के भिन्न – भिन्न रूप देखने…

परिवार

परिवार  ( Family ) विश्व का ऐसा कोई भी समाज नहीं है , जहाँ परिवार नाम की संस्था नहीं है । यह प्रत्येक समाज में किसी – न – किसी रूप में अवश्य पाया जाता है । परिवार के द्वारा…

 भारतीय समाज में  विविधता  में एकता

भारतीय समाज में  विविधता  में एकता भारतीय समाज में विविधताएँ ( Diversities in Indian Society )     भौगोलिक विभिन्नताएँ ( Geographical Diversities ) – भारतीय समाज के भौगोलिक स्वरूप से यह स्पष्ट है कि भारत भौगोलिक दृष्टि से अनेक विभिन्नतामों…

भारतीय सामाजिक संगठन की नवीन विशेषताएं

भारतीय सामाजिक संगठन की नवीन विशेषताएं  ( CHARACTERISTICS OF INDIAN SOCIAL ORGANIZATION : NEW BASES )  समय के साथ – साथ भारतीय सामाजिक संगठन के आधारों में भी परिवर्तन आया और अनेक नवीन  आयल विकसित हुए । जैसे – जैसे…

भारतीय संस्कृति की विशेषताएँ

भारतीय समाज एवं संस्कृति   भारतीय संस्कृति की विशेषताएँ  ( Characteristics of Indian Culture )       वर्ण – व्यवस्था – भारतीय समाज एवं संस्कृति में व्यक्तियों के सामाजिक जीवन को प्रकार्यात्मक रूप से उपयोगी बनाने और उसे स्थायित्व…

सामाजिक आन्दोलन के विभिन्न प्रकार

सामाजिक आन्दोलनों के उत्पन्न  होने कीअवस्था सामाजिक आन्दोलनों के उत्पन्न तथा विकसित होने की निम्नलिखित अवस्थाओं का उल्लेख किया जा सकता है सामाजिक असन्तोष या अशान्ति की स्थिति : प्रायः सामाजिक आन्दोलन ऐसे समय उत्पन्न होते हैं जब अनेक व्यक्ति…

सामाजिक आन्दोलन के कारक

सामाजिक आन्दोलन के कारक   सामाजिक आन्दोलन प्रत्येक समाज में समय – समय पर होते रहते हैं । इसके लिए उत्तरदायी कारकों का निम्नलिखित रूप में वर्णन किया जा सकता है  रीति – रिवाजों की प्राचीनता : प्रत्येक समाज में रीति…

सामाजिक आन्दोलन

सामाजिक आन्दोलन अवधारणा :   – सामाजिक आन्दोलन की चर्चा 20 वीं शताब्दी के मध्य में बहुत गई । इसका काल यह है कि लातीनी अमेरिका और एशिया में इस काल में बहुत व्यापक आन्दोलन हुए । इस समय चीन…

 वैश्वीकरण , उदारीकरण

वैश्वीकरण , उदारीकरण ( Globalisation ) :    वैश्वीकरण या भूमण्डलीकरण का शाब्दिक अर्थ है पूरी धरती या पूरे विश्व को एक मण्डल बना देना । इसका तात्पर्य एक केन्द्रीय व्यवस्था होती है । नए सन्दर्भो में भूमण्डलीय वह व्यवस्था…

संस्कृतिकरण तथा पश्चिीकरण में अंतर

संस्कृतिकरण तथा पश्चिीकरण में अंतर  पश्चिमीकरण भारतीय समाज में होने 1. संस्कृतिकरण भारतीय समाज में होने वाली एक अन्तःजनित प्रक्रिया है । इसका वाली एक बाह्यजनित प्रक्रिया है । इसका स्रोत स्वयं भारतीय समाज में ही विद्यामन स्रोत भारतीय समाज…

पश्चिमीकरण

पश्चिमीकरण अवधारणा : पश्चिमीकरण परिवर्तन की उस प्रक्रिया का द्योतक है जो कि भारतीय जनजीवन , समाज व संस्कृति के विभिन्न पक्षों में उस पश्चिमी संस्कृति के सम्पर्क में आने के फलस्वरूप उत्पन्न हुई जिसे कि अंग्रेज शासक अपने साथ…

औद्योगीकरण

औद्योगीकरण     औद्योगीकरण नगरीकरण का कारण और परिणाम दोनों ही हो सकता है । अक्सर यह देखा जाता है कि जहाँ पर उद्योग – धन्धे पनप जाते हैं और मशीनों के बड़े बड़े मिल व फैक्ट्रियों में उत्पादन का कार्य…

नगरीकरण

नगरीकरण ( Urbanization )    अवधारणा ( Concept ) : नगर की कोई निश्चित परिभाषा देना कठिन है । मोटे तौर पर यह कहा जा सकता है कि नगर सामाजिक विभिन्नताओं का वह समुदाय है जहाँ द्वैतीयक समूहों , नियंत्रणों…

लौकिकीकरण या धर्मनिरपेक्षीकरण

लौकिकीकरण या धर्मनिरपेक्षीकरण               लौकिकीकरण अथवा धर्मनिरपेक्षीकरण वह प्रक्रिया है जिसके परिणामस्वरूप किसी समाज में धर्म के आधार पर सामाजिक व्यवहार में भेदभाव समाप्त किया जाता है । धर्मनिरपेक्षीकरण जो बुद्धिवाद पर आधारित है , आधुनिकीकरण के लिए…

आधुनिकीकरण बनाम परम्परा

आधुनिकीकरण बनाम परम्परा         एक सामान्य धारणा आधुनिकीकरण एवं परम्परा को एक – दूसरे का विरोधी मानने की है । इन्हें एक युग्म के रूप में स्वीकार किया जाता है । रूडोल्फ एवं रूडोल्फ लिखते हैं- “ वर्तमान सामाजिक और…

आधुनिकीकरण

आधुनिकीकरण ( Modernization ) :  परम्परात्मक समाजों में होने वाले परिवर्तनों या औद्योगीकरण के कारण पश्चिमी समाजों में आये परिवर्तनों को समझने तथा दोनों में भिन्नता को प्रकट करने के लिए विद्वानों ने आधुनिकीकरण को अवधारणा का जन्म दिया ।…

संस्कृतिकरण के प्रमुख स्रोत एवं कारक

संस्कृतिकरण के प्रमुख स्रोत एवं कारक  जाति – व्यवस्था के अन्तर्गत न केवल विभिन्न जातियों को ही एक दूसरे से उच्च या निम्न माना जाता है , बल्कि व्यवसायों , भोजन , वस्त्र , आभूषण आदि में भी कुछ विशेष…

सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रियाएँ

सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रियाएँ संस्कृतिकरण: संस्कृतिकरण नामक अवधारणा का प्रयोग भारतीय सामाजिक संरचना में सांस्कृतिक गतिशीलता की प्रक्रिया का वर्णन करने हेतु किया गया । दक्षिण भारत के कुर्ग लोगों के सामाजिक और धार्मिक जीवन के विश्लेषण में प्रसिद्ध भारतीय…

क्रान्ति का अर्थ एवं परिभाषाएँ 

क्रान्ति का अर्थ एवं परिभाषाएँ   क्रान्ति एक प्रकार का तीव्र परिवर्तन है जिसमें प्राचीन परम्पराओं और सामाजिक मूल्यों का कोई महत्त्व नहीं रहता है । संकुचित अर्थ में क्रान्ति जीवन के किसी भी पक्ष में होने वाला मूल परिवर्तन है…

सामाजिक आन्दोलनों के विकास की प्रमुख अवस्थाएँ 

सामाजिक आन्दोलनों के विकास की प्रमुख अवस्थाएँ   सामाजिक आन्दोलन के विकास की अवस्थाएँ कोई निचित नहीं है , यह बताना एक कठिन कार्य है । विभिन्न विद्वानों ने सामाजिक आन्दोलनों के विकास की विभिन्न अवस्थाओं की चर्चा निम्नलिखित रूप में…

सामाजिक आन्दोलन

सामाजिक आन्दोलन   अर्थ एवं परिभाषाएँ :       आन्दोलन का अर्थ व्यक्तियों द्वारा सामूहिक रूप से सामाजिक परिवर्तन लाना अथवा इसका विरोध करना है । इसका मुख्य प्रयोजन किसी – न – किसी सामाजिक या राजनीतिक समस्या का…

उद्विकास और प्रगति

उद्विकास और प्रगति उद्वविकास का अर्थ एवं परिभाषाएँ :    ‘ उद्वविकास ‘ शब्द का अंग्रेजी रूपान्तर EVOLUTION है । ‘ इवोल्यूशन ‘ शब्द लैटिन भाषा के शब्द Evolvere से लिया गया है । Evolvere शब्द के अक्षर E का अर्थ है…

 सामाजिक परिवर्तन के प्रमुख स्वरूप 

सामाजिक परिवर्तन के प्रमुख स्वरूप  सामाजिक परिवर्तन के विभिन्न पहलुओं , मुख्यतः सामाजिक सम्बन्धों , सामाजिक घटनाओं , ममितियों , संस्थाओं व रीति – रिवाजों में होने वाला परिवर्तन है । सामाजिक परिवर्तन कितने प्रकार है । प्रमुख वर्गीकरण निम्न…

प्रकार्यवादी सिद्धांत

प्रकार्यवादी सिद्धांत सर्वप्रथम ‘FUNCTION’ शब्द की चर्चा हरबर्ट स्पेन्सर की रचनाओं में आई लेकिन FUNCTION शब्द की वैज्ञानिक अवधारणा के रूप में प्रयोग करने का श्रेय फ्रेंच विचारक इमाइल दुर्शीम ने अपनी पुस्तक The rules of sociological Method (1895) में…

राल्फ डेहरेन्डार्फ

राल्फ डेहरेन्डार्फ           1929 में जन्मे जर्मन समाजशास्त्री राल्फ डेहरेन्डार्फ , मार्क्स के स्वदेशी हैं । मार्क्स की तरह वह भी द्वन्द्वादी योजना के आधार संघर्ष सिद्धांत की व्याख्या करते हैं किन्तु संघर्ष के अन्य मुद्दों पर…

एल० ए० कोजर ,जार्ज सिम्मेल  

एल० ए० कोजर ,जार्ज सिम्मेल    एल० ए० कोजर   अमेरिकन समाजशास्त्री लेविस ए० कोजर , जर्मन समाजशास्त्री जार्ज सिम्मेल के विचारों से प्रभावित थे । कोजर ने अपनी पस्तक ” फंक्शन ऑफ सोशल कंफ्लिक्ट 1955 में संघर्ष से संबंधित विभिन्न…

संघर्षवादी सिद्धांत

IMG 20210801 125819

संघर्षवादी सिद्धांत:    इस सिद्धांत की मान्यता है कि समाज में परिवर्तन का कारक द्वन्द्व है । इस सिद्धांत के समर्थक कार्ल मार्क्स , राल्फ डहरेन्डार्फ , जार्ज – सिम्मेल तथा लेविस कोजर आदि हैं ।                    संघर्षवादी सिद्धांत के सबसे बड़े…

चक्रिय सिद्धांत 

चक्रिय सिद्धांत  इस सिद्धांत की मूल मान्यता है कि सामाजिक परिवर्तन की गति और दिशा एक चक्र की भाँति है और इसलिए सामाजिक परिवर्तन जहाँ से आरम्भ होता है फिर वहीं स्पलेंग्लर , पैरेटो आदि हैं । म पहुँच कर…

 हरबर्ट स्पेन्सर का योगदान

हरबर्ट स्पेन्सर का योगदान          19वीं शदाब्दी के समस्त समाजशास्त्रियों की रचनाओं का मूल्यांकन करने से हमे स्पष्ट हो है कि सामाजिक परिवर्तन का अध्ययन समाजशास्त्रियों का केन्द्र बिन्दु रहा है । इस सामारि परिवर्तन की व्याख्या…

ईमाइल दुर्शीम : सामाजिक परिवर्तन 

IMG 20210901 095225

ईमाइल दुर्शीम : सामाजिक परिवर्तन                         फ्रांसीसी विचारक इमाईल दुर्शीम ( 1858 – 1917 ) ने अपनी पुस्तक ” डिविजन ऑफ लेबर इन सोसायटी  ( 1893 ) में जो कि…

एल० एच० मार्गन: सामाजिक परिवर्तन 

Image0059

एल० एच० मार्गन: सामाजिक परिवर्तन       मार्गन ने भी सामाजिक परिवर्तन की व्याख्या अपनी पुस्तक Ancient Society में उद्विकासीय आधार पर किया है । इनके अनुसार समाज में परिवर्तन तकनीकी कारक  (Technological Factor) पर निर्भर है । जैसे –…

सामाजिक परिवर्तन के सिद्धांत

Screenshot 20210917 105537

सामाजिक परिवर्तन के सिद्धांत रेखीय या उद्विकासीय सिद्धांत :  साधारण शब्दों में उविकास का अर्थ है , एक सादी और सरल वस्तु का धीरे – धार एक जटिल अवस्था में बदल जाना और भी स्पष्ट रूप में सब कछ निश्चित…

सामाजिक परिवर्तन के प्रतिमान

सामाजिक परिवर्तन के प्रतिमान  समाज में चूंकि सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया अनवरत स्वाभाविक प्रश्न हो जाता है कि आखिर इस परिवर्तन की तरीका है जिससे सामाजिक परिवर्तन होता है ? प्रस्तत पानी दिशा या प्रतिमानों के बारे में विवेचना करेंगे…

सामाजिक परिवर्तन के कारक

Screenshot 20210917 105537

सामाजिक परिवर्तन के कारक                सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन के लिए कोई एक कारक नहीं अपितु अनेक कारक । उत्तरदायी हैं । कारण और कारक में कुछ अंतर है । इतिहासकार उन अनेकों कारणों…

 सामाजिक परिवर्तन : अवधारणा एवं विश्लेषण

Screenshot 20210917 105537

 सामाजिक परिवर्तन : अवधारणा एवं विश्लेषण   अवधारणा ( Concept ) :  सामाजिक परिवर्तन एक व्यापक प्रक्रिया है । विश्व के प्रत्येक समाज में चाहे वह आदिम जनजातीय सरल समाज हो या आधुनिक जटिल तकनीकी समाज हो , किसी –…

सामाजिक व्यवस्था

  सामाजिक व्यवस्था ( Social System)   सामाजिक व्यवस्था का निर्माण सामाजिक अन्तक्रियाओं एवं अन्तर्सम्बन्धों के द्वारा होता है । मानव प्राणियों के बीच होने वाले अन्तक्रियाओं एवं अन्तर्सम्बन्धों के परिणामस्वरूप विभिन्न रीति – रिवाज , कार्य – प्रणाली ,…

सामाजिक संरचना

    सामाजिक संरचना ( Social Structure )   सामाजिक संरचना समाजशास्त्र की महत्वपूर्ण अवधारणाओं में से है । समाजशास्त्र में सामाजिक संरचना की अवधारणा का प्रयोग सर्वप्रथम हरबर्ट स्पेन्सर ने अपनी पुस्तक ” Principles of Sociology ” में किया…

समाजीकरण के साधन

  समाजीकरण के साधन ( Agencies of Socialization ) परिवार ( Family ) – समाजीकरण के साधनों में परिवार का महत्त्वपूर्ण स्थान है । मनुष्य जन्म से लेकर मृत्युपर्यन्त परिवार में ही रहता है । अत : व्यक्तित्व के निर्माण…