सन्दर्भ – समूह की अवधारणा

सन्दर्भ – समूह की अवधारणा ( Concept of Reference Group ) मध्य अभिसीमा सिद्धान्तों ( Middle Range Theories ) की विवेचना में मर्टन द्वारा प्रस्तुत सन्दर्भ – समूह की अवधारणा का विशेष स्थान है । मर्टन ने स्पष्ट किया कि…

सामाजिक संरचना तथा नियमहीनता

सामाजिक संरचना तथा नियमहीनता ( Social Structure and Anomie ) विभिन्न विद्वान एक लम्बे समय से इस तथ्य को समझाने का प्रयत्न करते रहे हैं कि सामाजिक संरचना और व्यक्ति के व्यवहारों के बीच एक घनिष्ठ सम्बन्ध होता है ।…

रॉबर्ट के मर्टन

रॉबर्ट के मर्टन [ Robert K . Merton : 1910 ]  आधुनिक समाजशास्त्रियों में रॉबर्ट के मटन वह सबसे प्रमुख समाजशास्त्र हैं जिन्हान सामाजिक विचारधारा तथा समाजशास्त्रीय सिद्धान्त के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान करके समाजशास्त्रीय साहित्य को अधिक ममद और…

प्रतिमानित विकल्प

प्रतिमानित विकल्प ( Pattern Variables ) प्रतिमानित विकल्प की अवधारण समाजशास्त्रीय विचारों के क्षेत्र में टाल्कॉट पार्सन्स की एक महत्त्वपूर्ण देन है । पार्सन्स ने यह अवधारणा अपनी पुस्तक ‘ सामा जिक व्यवस्था ‘ ( The Social System ) में…

सामाजिक व्यवस्था

सामाजिक व्यवस्था ( Social System )  Parsons  से पहले अनेक विद्वान सामाजिक व्यवस्था की अवधारणा को अपने अपने ढंग से प्रस्तुत करते रहे थे । इस सम्बन्ध में लूमिस ( Loomis ) ने बतलायाथा कि सामाजिक व्यवस्था समाज की एक…

टाल्कॉट पार्सन्स

टाल्कॉट पार्सन्स [ Talcott Parsons : 1902 – 1978 ]  समाजशास्त्र के विद्यार्थियों के लिए टाल्कॉट पार्सन्स का नाम नया नहीं है । पार्सन्स बीसवीं शताब्दी के उन प्रमुख समाजविज्ञानियों में से एक हैं जिन्होंने आलो चनात्मक एवं रचनात्मक स्तर…

अधिकारीतन्त्र

अधिकारीतन्त्र ( Bureaucracy ) राजनैतिक समाजशास्त्र की विवेचना में वेबर का ध्यान आधुनिक राज्यों की उन विशेषताओं की ओर आकृष्ट हुआ जो पैतृक शासन तथा सामन्तवादी शासन से उत्पन्न होने वाले दोषों से उत्पन्न हुई थीं । आज संसार के…

सत्ता को अवधारणा

सत्ता को अवधारणा ( Concept of Authority )  धर्म के समाजशास्त्र की विवेचना करने के लिए वेबर ने जब विभिन्न धर्म संघों , धार्मिक नेताओं की शक्ति तथा पुरोहित वर्ग के विभिन्न प्रस्थिति समूहों ( Stratum ) का अध्ययन किया…

प्रोटेस्टेन्ट धर्म तथा पूँजीवाद के विकास में सह – सम्बन्ध

प्रोटेस्टेन्ट धर्म तथा पूँजीवाद के विकास में सह – सम्बन्ध धर्म का समाजशास्त्र ( Sociology or Religion ) मैक्स वेबर बह सर्वप्रमुख विचारक हैं जिन्होंने धर्म का बहुत सूक्ष्म वैज्ञानिक अध्ययन करके समाजशास्त्र में धर्म के समाजशास्त्र ‘ ( Sociology…

आदर्श – प्ररूप

    आदर्श – प्ररूप ( Ideal Type )   डिल्थे के इतिहासवाद तथा कान्त के बुद्धिवाद से प्रभावित होकर वेबर ने समाजशास्त्रीय विश्लेषण के लिए जिस महत्त्वपूर्ण साधन अथवा उपकरण को प्रस्तुत किया , उसे आपने ‘ आदर्श प्ररूप…

 व्याख्यात्मक बोध की पद्धति

 व्याख्यात्मक बोध की पद्धति ( Verstehen : Method of Interpretative Understanding )  समाजशास्त्रीय विश्लेषण की पद्धति क्या हो ? अथवा समाजशास्त्र की अध्ययन – वस्तु अर्थात् सामाजिक क्रियाओं का वैज्ञानिक बोध किस प्रकार किया जाय ? इसके लिए वेबर ने…

सामाजिक क्रिया

  सामाजिक क्रिया ( Social Action ) मैक्स वेबर के समाजशास्त्र में सामाजिक क्रिया का स्थान सर्वाधिक महत्त्व पूर्ण है । उनके अनुसार व्यक्ति तथा उसकी क्रियाएँ भी वे आधारभूत अणु ( Atom ) हैं जिन पर समाजशास्त्र का अस्तित्व…

मैक्स वेबर

मैक्स वेबर [ Max Weber : 1864 – 1920 ] जर्मन समाजशास्त्री मैक्स वेबर वह प्रमुख सामाजिक विचारक हैं जिन्हें समाजशास्त्र के संस्थापक जनकों में से एक माना जाता है । वेबर ने अर्थशास्त्र , कानून तथा राजनीतिशास्त्र का व्यापक…

अभिजनों का  परिभ्रमण

अभिजनों का  परिभ्रमण ( Circulation of Elites ) सामाजिक विचारधारा के क्षेत्र में ‘ अभिजनों के परिभ्रमण की अवधारणा ‘ परेटो की एक प्रमुख देन है । इस अवधारणा के द्वारा परेटो ने जहाँ एक ओर सामा जिक संरचना के…

विशिष्ट चालक तथा भ्रान्त- तर्क

विशिष्ट चालक तथा भ्रान्त- तर्क ( Residues and Derivations ) मनिव मनोविज्ञान के आधार पर सामाजिक सम्बन्धों के अध्ययन में अतार्किक क्रियाओं के महत्त्व को स्वीकार करते हुए परेटो ने यह भी स्पष्ट किया कि यह अतार्किक क्रियाएँ किन प्रेरणाओं…

ताकिक तथा अताकिक क्रियाएँ

ताकिक तथा अताकिक क्रियाएँ ( Logical and Non – Logical Actions ) परेटो ने तार्किक क्रियाओं तथा इनसे सम्बन्धित विभिन्न प्रकार के मानव व्यवहारों को ही समाजशास्त्र की मुख्य अध्ययन – वस्तु के रूप में स्वीकार किया है । यही…

विलफ्रेडो परेटो

विलफ्रेडो परेटो ( Vilfredo Pareto : 1848 – 1923 ] – इटली के प्रमुख सामाजिक विचारक विलफ्रेंडो परेटो का नाम उन प्रमुख विद्वानों में से एक है जिन्होंने समाजशास्त्रीय चिन्तन को व्यवस्थित बनाने तथा उसे एक दिशा देने में महत्त्वपूर्ण…

सामाजिक परिवर्तन अवधारणा

सामाजिक परिवर्तन को अवधारणा ( Concept of Social Change ) मार्क्स द्वारा प्रस्तुत सामाजिक परिवर्तन की अवधारणा बहुत बड़ी सीमा तक उनकी ‘ इतिहास की भौतिकवादी व्याख्या ‘ तथा ‘ वर्ग – संघर्ष ‘ सम्बन्धी विचारों पर आधारित है ।…

आथिक निर्णायकवाद

आथिक निर्णायकवाद ( Economic Determinism )  व्यवस्था की समालोचना ‘ ( Critique of Political र्स की वह प्रमुख रचना है जिसमें उन्होंने मानवीय सम्बन्धों तथा  राजनैतिक संरचना पर आर्थिक व्यवस्था की प्राथमिकता को स्वीकार किया । यह सच है कि…

वर्ग – संघर्ष का सिद्धान्त

  वर्ग – संघर्ष का सिद्धान्त  ( Theory of Class – Struggle )      मार्क्स ने सामाजिक परिवर्तन के लिए वर्ग – संघर्ष की प्रक्रिया को सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण स्थान दिया है । यही कारण है कि मार्क्स के चिन्तन…

अतिरिक्त मूल्य का सिद्धान्त

अतिरिक्त मूल्य का सिद्धान्त ( Theory of Surplus Value ) मार्क्स ने अपने इस सिद्धान्त की विस्तृत विवेचना अपने प्रमुख ग्रन्थ ‘ पूंजी ‘ ( Das Capital ) के प्रथम भाग में की है । मार्क्स ने इस सिद्धान्त को…

इतिहास की भौतिकवादी व्याख्या

इतिहास की भौतिकवादी व्याख्या ( Materialistic Interpretation of History ) कार्ल मार्क्स ने द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद को स्पष्ट करने के लिए इतिहास की भौतिकवादी व्याख्या प्रस्तुत की । इसी को मार्क्स का ऐतिहासिक भौतिकवाद ‘ ( Historical Materialism ) कहा जाता…

द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद

द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद ( Dialectical Materialism )  द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद मार्क्स के चिन्तन का न केवल एक महत्त्वपूर्ण आधार है बल्कि इसे मार्क्स की सबसे प्रमुख उपलब्धि भी माना जा सकता है । द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद केवल एक सिद्धान्त ही नहीं है बल्कि…

कार्ल मार्क्स

कार्ल मार्क्स [ Karl Marx : 1818 – 1883 ]  कार्ल मार्क्स विश्व के उन महानतम विचारकों में से एक हैं जिन्हें ‘ साम्य वाद के जनक ‘ ( Father of Communism ) के नाम से जाना जाता है ।…

धर्म का सामाजिक सिद्धान्त

धर्म का सामाजिक सिद्धान्त ( Social Theory of Religion ) समाजशास्त्र के लिए , दुर्सीम का एक प्रमुख योगदान धर्म जैसे विवादपूर्ण विषय की व्यवस्थित विवेचना करके उसके सामाजिक स्वरूप को स्पष्ट करना है । दुर्चीम ने न केवल धर्म…

आत्महत्या का सिद्धान्त

  आत्महत्या का सिद्धान्त  ( Theory of Suicide ) ,  दुखीम ने अपनी पुस्तक ‘ Le Suicide ‘ में बहत से आँकड़ों के आधार पर यह स्पष्ट किया कि आत्महत्या किसी व्यक्तिगत कारण का परिणाम नहीं होती बल्कि यह एक…

श्रम – विभाजन

श्रम – विभाजन  ( Division of Labour ) दुर्थीम द्वारा प्रतिपादित सिद्धान्तों में श्रम – विभाजन के सिद्धान्त का महत्त्वपूर्ण स्थान है । दुर्थीम से पहले एडम स्मिथ ( Adam Smith ) , स्पेन्सर ( Spencer ) . तथा जॉन…

यांत्रिक तथा सावयवी एकता

यांत्रिक तथा सावयवी एकता ( Mechanical and Organic Solidarity ) यान्त्रिक तथा सावयवी एकता से सम्बन्धित दुर्थीम के विचार उनकी प्रसिद्ध पुस्तक ‘ समाज में श्रम – विभाजन ‘ ( The Division of Labour in Society ) का प्रमुख आधार…

सामूहिक प्रतिनिधान

सामूहिक प्रतिनिधान  ( Collective Representation ) ‘ सामूहिक प्रतिनिधान ‘ DURKHEIM द्वारा प्रस्तुत प्रमुख अवधारणाओं में से एक है । इस अवधारणा का महत्त्व इस बात से भी स्पष्ट हो जाता है कि दुर्थीम सामूहिक प्रतिनिधानों को ही समाजशास्त्र की…

प्रत्यक्षवादी कार्य – पद्धति

प्रत्यक्षवादी कार्य – पद्धति  ( Positive Methodology ) फ्रांस में दुर्थीम को कॉम्ट के प्रमुख उत्तराधिकारी के रूप में मान्यता दी जाती है । इस दृष्टिकोण से दुर्शीम ने आरम्भ से ही इस बात पर विशेष बल देना आरम्भ किया…

सामाजिक तथ्य

सामाजिक तथ्य  ( Social Fact )  दुर्थीम की पुस्तक ‘ समाजशास्त्रीय पद्धति के नियम ‘ ( The Rules of Sociological Method ) वह महत्त्वपूर्ण पुस्तक है जिसमें दुर्थीम ने सबसे पहले उन नियमों की विवेचना की जिनके द्वारा समाजशास्त्रीय अध्ययनों…

इमाइल दुर्थीम

इमाइल दुर्थीम  Emile Durkheim : 1858 – 1917 ] विश्व के प्रमुख समाजशास्त्रीय विचारकों में दीम का नाम अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है । फ्रांस के विचारकों में ऑगस्ट कॉम्ट के पश्चात् दुर्थीम को ही सबस महत्त्वपूर्ण समाजशास्त्री माना जाता है ।…

समाज की सावयवी संरचना की अवधारणा

समाज की सावयवी संरचना की अवधारणा ( Organismic Concept of Society ) हरबर्ट स्पेन्सर ने अपने प्रमुख ग्रन्थ ‘ ‘ समाजशास्त्र के सिद्धान्त ‘ भाग – 2 ( Principles of Sociology , Vol . II ) में समाज तथा सावयवी…

सामाजिक उविकास का नियम

  सामाजिक उविकास का नियम ( Law of Social Evolution )       स्पेन्सर ने भौतिक उ विकास और प्राणीशास्त्रीय उद्विकास के नियम के आधार पर सामाजिक उ विकास के नियमों का प्रतिपादन किया । जिस प्रकार भौतिक उदविकास…

सामाजिक उद्विकास

  सामाजिक उद्विकास ( Social Evolution )     सामाजिक उद्विकास का विचार सर्वप्रथम उस समय उत्पन्न हुआ जब समाज विज्ञानियों ने यह सोचना प्रारम्भ किया कि समाज का विकास एक अवस्था से दूसरी अवस्था की ओर होता है ।…

सामाजिक उद्विकास

सामाजिक उद्विकास ( Social Evolution ) सामाजिक उद्विकास का विचार सर्वप्रथम उस समय उत्पन्न हुआ जब समाज विज्ञानियों ने यह सोचना प्रारम्भ किया कि समाज का विकास एक अवस्था से दूसरी अवस्था की ओर होता है । प्रारम्भ में आदर्शात्मक…

हरबर्ट स्पेन्सर

हरबर्ट स्पेन्सर [ HERBERT SPENCER : 1820 – 1902 ] उन्नीसवीं शताब्दी के समाजशात्रीय विचारकों में हरबर्ट स्पेन्सर का नाम अग्रणीय है । आगस्त कॉम्ट ने यदि समाजशास्त्र का नामकरण करके इसे स्थापित किया तो समाजशास्त्र को प्रतिष्ठित करने वाले…

विज्ञानों का संस्तरण

विज्ञानों का संस्तरण ( Hierarchy of Sciences )  समाजशास्त्र के जनक आगस्त कॉम्ट ‘ समाजशास्त्र ‘ को एक विशिष्ट प्रस्थिति प्रदान करना चाहते थे । इसके लिए उन्हें एक ऐसे सुदृढ़ आधार की आवश्यकता थी जिसके माध्यम से वे अन्य…

प्रत्यक्षवाद : कॉम्ट का पद्धतिशास्त्र

प्रत्यक्षवाद : कॉम्ट का पद्धतिशास्त्र  ( Positivism : Methodology of Comte ) प्रत्यक्षवाद कॉम्ट द्वारा प्रस्तुत वह सिद्धान्त है जिसने न केवल समाजशास्त्र को एक वैज्ञानिक आधार प्रदान किया , बल्कि इसे सामाजिक दर्शन ( Social Philo sophy ) से…

 तीन स्तरों का नियम

 तीन स्तरों का नियम  ( The Law of Three Stages )  कॉम्ट द्वारा प्रतिपादित यह नियम सामाजिक उदाधिकास ( Social Evolu tion ) की प्रकृति को स्पष्ट करने से सम्बन्धित है । मह नियम कॉम्ट की उस मान्यता का स्पष्ट…

सामाजिक स्थितिको विज्ञान तथा सामाजिक गत्यात्मकता

  सामाजिक स्थितिको विज्ञान तथा सामाजिक गत्यात्मकता  ( Social Statics and Social  Dynamics )     आगस्त कॉम्ट के जीवन काल में फ्रांसीसी विचारकों में ऐतिहासिक पद्धति के आधार पर मस्तिष्क और समाज के विकास का अध्ययन करने का प्रचलन…

समाजशास्त्र एक विज्ञान है

  समाजशास्त्र एक विज्ञान है ( Sociology is a Science ) अगस्त कॉम्ट ने समाजशास्त्र को ‘ मानवता के वास्तविक विज्ञान ‘ (  Science of Humanity ) के नाम से सम्बोधित किया है । उनके मतानुसार , समाज शास्त्र सामाजिक…

आगस्त कॉम्ट

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आगस्त कॉम्ट  (AUGUSTE COMTE  1798 –  1857 )   आगस्त कॉम्ट ने समाज के वैज्ञानिक अध्ययन से सम्बन्धित जो विचार प्रति पादित किये , उन पर कान्त ( Kant ) के विचारों का एक स्पष्ट प्रभाव दिखाई देता है ।…

              सामाजिक स्तरीकरण की विशेषताएँ

                  सामाजिक स्तरीकरण की विशेषताएँ ( Characteristics of Social Stratification )   सार्वभौमिकता ( Universality ) : सामाजिक स्तरीकरण एक सार्वभौमिक प्रक्रिया है । यह प्रत्येक समाज में किसी – न – किसी रूप में अवश्य पाया जाता…

अनुसूचित जनजातियों के सम्बन्ध में संवैधानिक व्यवस्थाएं 

  अनुसूचित जनजातियों के सम्बन्ध में संवैधानिक व्यवस्थाएं  ( CONSTITUTIONAL PROVISIONS REGARDING SCHEDULED TRIBES ) . . . .     – पांचवीं अनुसूची में जनजातीय सलाहकार परिषद की नियुक्ति की व्यवस्था है जिसमें अधिकतम बीस सदस्य हो सकते हैं…

अनुसूचित जनजातियों की समस्याएं

अनुसूचित जनजातियों की समस्याएं  ( PROBLEMS OF SCHEDULED TRIBES )    दुर्गम निवास स्थान एक समस्या ( Unapproach able Habitation – A Problem ) लगभग सभी जनजातियां पहाडी भागों , जंगलों , दलदल – भूमि और ऐसे स्थानों में निवास…

अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों की समस्याएं

    अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों की समस्याएं ,  संवैधानिक व्यवस्थाएं तथा कल्याण योजनाएं PROBLEMS , CONSTITUTIONAL PROVISIONS AND WELFARE SCHEMES FOR SCHEDULED CASTES AND SCHEDULED TRIBES ]     सामान्यतः अनुसूचित जातियों को अस्पृश्य जातियां भी कहा जाता है…

अनुसूचित जातियों की समस्याएं ( निर्योग्यताएं )

अनुसूचित जातियों की समस्याएं ( निर्योग्यताएं ) ( PROBLEMS OR DISABILITIES OF SCHEDULED CASTES )  संवैधानिक व्यवस्थाएं तथा कल्याण योजनाएं PROBLEMS , CONSTITUTIONAL PROVISIONS AND WELFARE SCHEMES FOR SCHEDULED CASTES AND SCHEDULED TRIBES ] सामान्यतः अनुसूचित जातियों को अस्पृश्य जातियां…

जाति और वर्ग में अन्तर

जाति और वर्ग में अन्तर   ( Distinction between Caste and Class ) वर्ग( Class )   ऐसे व्यक्तियों का समूह है जिनकी समान सामाजिक प्रस्थिति होती है । प्रत्येक समाज में अनेक प्रस्थितियाँ पाई जाती है । फलस्वरूप उनके…

जाति प्रथा

जाति प्रथा ( Caste System ) ‘ जाति ‘ शब्द के निर्माण के बारे में अनेक मत प्रचलित हैं । जाति का शास्त्रीय देश भारत है । सन्दर्भ में देखा जाए तो हिन्दी का ‘ जाति ‘ शब्द संस्कृत भाषा…