वस्तुनिष्ठता प्राप्ति के साधन

वस्तुनिष्ठता प्राप्ति के साधन ( Means for achieving Objectivity )   सामाजिक शोध का वास्तविक उद्देश्य वस्तुनिष्ठता की प्राप्ति है । अनेक ऐसी समस्याएँ आती हैं , जो वस्तुनिष्ठ अध्ययन के मार्ग में बाधा उपस्थित करती हैं । यहाँ मौलिक…

समाजशास्त्रीय अनुसन्धान में वस्तुनिष्ठता की समस्या

समाजशास्त्रीय अनुसन्धान में वस्तुनिष्ठता की समस्या सामाजिक शोध में कठिनाइयाँ ( Difficulties in Social Research )       अब तक की विवेचना से स्पष्ट है कि ‘ सामाजिक घटना ‘ समाज वैज्ञानिक के लिए सबसे बड़ी समस्या है ।…

सामाजिक घटनाओं की प्रकृति

सामाजिक घटनाओं की प्रकृति ( Nature of Social Phenomena )     संसार में अनेक प्रकार की घटनाएँ घटित होती हैं । इन समस्त घटनाओं को मोटे तौर पर दो श्रेणियों में रखा जा सकता है – प्राकृतिक घटनाएँ (…

सामाजिक अनुसंधान की प्रक्रिया व चरण

सामाजिक अनुसंधान की प्रक्रिया व चरण ( Process or Steps of Sorial Research )    सामाजिक अनुसन्धान की प्राजिम अचारणात्मक विवेचना इसको प्रकृति एवं प्रकार की विधिवत् व्याख्या के उपरान्त पब हम यह समझने का प्रयास करें कि एक सामाजिक…

सामाजिक अनुसंधान

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सामाजिक अनुसंधान ( SOCIAL RESEARCH )   ‘ अनुसंधान शब्द का सामान्य प्रयोग वस्तुतः वैज्ञानिक अनुसंधान के सन्दर्भ में ही किया जाता है । जे . डब्ल्यू . बेस्ट ने ‘ रिसर्च इन एजकेशन ‘ में लिखा है कि ”…

नियोजित परिवर्तन – दिशाएँ तथा प्रमुख कार्यक्रम

नियोजित परिवर्तन – दिशाएँ तथा प्रमुख कार्यक्रम  ( Planned Changes – Directions and Major Schemes ) भारतीय समाज में गतिशीलता की प्रक्रिया प्रारम्भ से ही तीव्र रही है । परिणामस्वरूप भारतीय समाज में परिवर्तन प्रारम्भ से हो रहा है ।…

सामुदायिक विकास योजनाएँ

सामुदायिक विकास योजनाएँ ( Community Development Programmes )  भारत में नियोजित परिवर्तन के अन्तर्गत सामुदायिक विकास योजना का महत्त्वपूर्ण स्थान है । ग्रामीण तथा जनजातीय क्षेत्र के निवासी प्रशिक्षा , ऋण यस्तता , बेकारी , दोषपूर्ण कृषि एवं भूमि व्यवस्था…

पंचायती राज एवं लोकतान्त्रिक विकेन्द्रीकरण

पंचायती राज एवं लोकतान्त्रिक विकेन्द्रीकरण ( Panchayati Raj and Democratic Decentralization )  हालांकि पंचायत प्रणाली का अस्तित्व भारत में प्राचीन काल से है किन्तु निश्चित व स्पष्ट अर्थ , उद्देश्य , बजट , अधिकार , संगठन , नियमावली पर आधारित…

 ग्रामीण नेतृत्व के परम्परागत प्राधार

 ग्रामीण नेतृत्व के परम्परागत प्राधार ( Traditional Bases of Rural Leadership ) भारत में ग्रामीण नेतृत्व की परम्परागत प्रकृति तथा नेतृत्व के वर्तमान स्वरूप का तुलनात्मक आधार पर अध्ययन करने के लिए आवश्यक है कि सर्वप्रथम ग्रामीण नेतृत्व के उन…

ग्रामीण नेता के कार्य 

ग्रामीण नेता के कार्य  ( Functions of Rural Leader )  साली ग्रामीण नेता का पद दायित्वों से परिपूर्ण है । उसे अपनी संस्कृति एवं ग्राम की आवश्यकता को देखकर अनेक प्रकार के कार्य करने पड़ते हैं । नेता अपने अनुयायियों…

ग्रामीण नेता

ग्रामीण नेता  ( Rural Leadership)  ग्रामीण शक्ति संरचना में नेतृत्व का महत्त्वपूर्ण स्थान है । वर्तमान जटिल समाज में हमारी सम्पूर्ण सामाजिक व्यवस्था प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से नेतृत्व पर ही आधारित है । इसका कारण यह है कि समाज…

 शक्ति संरचना में वर्तमान परिवर्तन

 शक्ति संरचना में वर्तमान परिवर्तन  ( Recent Changes in Rural Structure )    भारत में ग्रामीण शक्ति संरचना याज अपने परम्परागत स्वरूप से हटकर नया परिवेश ग्रहण कर रही है । स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् भारत में जमींदारी प्रथा का…

ग्रामीण शक्ति संरचना : नेतृत्व – इसके परिवर्तित प्रतिमान

ग्रामीण शक्ति संरचना : नेतृत्व – इसके परिवर्तित प्रतिमान ( Rural Power Structure : Leadership – Changing Patterns ) किसी भी सामाजिक व्यवस्था के सूव्यवस्थित अध्ययन के लिए यह आवश्यक है कि उसके समस्त पक्षों का अध्ययन किया जाए ।…

लघु एवं वहत् परम्पराएँ

MUST READ THIS लघु एवं वहत् परम्पराएँ  ( Little and Great Traditions ) भारतीय समाज को विधिवत् दृष्टिकोण से समझने के लिए यह अत्यावश्यक है कि हम उन सभी ‘ परम्परामों ‘ ( Traditions ) का अध्ययन करें जिनसे भारतीय…

 सार्वभौमिकरण 

 सार्वभौमिकरण  ( Universalization )  – ‘ सार्वभौमिकरण ‘ की अवधारणा मूलतः स्थानीयकरण ( Parochialization ) की अवधारणा • के पूर्णतः विपरीत है । शाब्दिक दृष्टिकोण से यदि हम इसे देखें तो हम कह सकते हैं कि सार्वभौमिकरण का प्राशय किसी…

भारत में ग्रामीण प्रक्रियायें : स्थानीयकरण , सार्वभौमिकरण , संस्कृतिकरण , लघु एवं वृहत् परम्परा

भारत में ग्रामीण प्रक्रियायें  स्थानीयकरण , सार्वभौमिकरण , संस्कृतिकरण , लघु एवं वृहत् परम्परा ( Rural Processes in India : Parochialization , Universalization , Sanskritization , Little and Great Tradition ) भारतीय ग्रामीण व्यवस्था का वैज्ञानिक अध्ययन इसमें निहित कुछ…

ग्रामीण तथा नगरीय समुदाय में तुलना

ग्रामीण तथा नगरीय समुदाय में तुलना  ( Comparison between Rural and Urban Community ) ग्रामीण तथा नगरीय समुदाय सैद्धान्तिक दृष्टि से अलग – अलग है किन्तु व्यावहारिक रूप से वे इतने घले – मिले ॥ हैं कि उनकी विलगता को…

ग्रामीण एवं नगरीय समुदाय

ग्रामीण एवं नगरीय समुदाय ( Rural and Urban Community ) भारत गाँवों का देश है । आज भी यहाँ की अधिकतर जनसंख्या गाँवों में निवास करती है । गाँव किसी ऐसे स्थान को कहते हैं जहाँ लोग लम्बी अवधि से…

ग्रामीण समाजशास्त्र का महत्त्व

ग्रामीण समाजशास्त्र का महत्त्व ( Importance of Rural Sociology ) ग्रामीण समाजशास्त्र ग्रामीण समाज का अध्ययन करता है । संसार की अधिकांश जनसंख्या आज भी ग्रामों में बसी है । इसलिए ग्रामीण समाज का अध्ययन हमारे लिए इस युग में…

ग्रामीण समाजशास्त्र का अध्ययन – क्षेत्र 

ग्रामीण समाजशास्त्र का अध्ययन – क्षेत्र  समस्त राष्ट्रों में ग्रामीण समाजशास्त्र का अत्यधिक विकास हो जाने के बाद यह प्रश्न अत्यधिक महत्त्वपूर्ण हो गया है कि ग्रामीण समाजशास्त्र के अध्ययन का क्षेत्र क्या हो ? अर्थात् वे कौन से विषय…

ग्रामीण समाजशास्त्र

ग्रामीण समाजशास्त्र ( Rural Sociology) ग्रामीण समाजशास्त्र ग्रामीण पर्यावरण से प्रभावित समाज के . सूक्ष्म , व्यवस्थित , स्पष्ट एवं वैज्ञानिक अध्ययन से सम्बन्धित है । इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर ग्रामीण वातावरण से विभिन्न वैज्ञानिक अनुसन्धानों ( Researches…

अभिवृत्ति मापन

अभिवृत्ति मापन ( Attitude Measurement )  जैसा कि पहले कहा जा चुका है , अभिवृत्ति के तीन तत्व होते है – संज्ञानात्मक , भावात्मक और व्यवहारात्मक । इनमें से संज्ञानात्मक एवं भावात्मक तत्त्वों की सीधी जानकारी नहीं प्राप्त की जा…

अभिवृत्ति

अभिवृत्ति  अभिवृत्ति का स्वरूप सामाजिक व्यवहार के निर्धारण में अभिवृत्ति की महत्वपूर्ण भूमिका अधिकांश समाज – मनोवैज्ञानिक मानते हैं । सामान्य व्यक्ति भी ऐसा विश्वास करता है कि व्यक्तियों , वस्तुओं . समूहों के प्रति उसकी स्पष्ट अभिवृत्तियाँ हैं ।…

भीड़ व्यवहार – उत्तेजित भीड़

भीड़ व्यवहार – उत्तेजित भीड़ ( Mob ) भीड़ शब्द का प्रयोग सामान्य व्यक्तियों तथा समाज वैज्ञानिकों द्वारा विभिन्न रूपों में किया गया है । बाजार में , सड़क पर अथवा मैदान में एकत्रित व्यक्तियों को भीड़ नाम से अभिहित…

पूर्वग्रह क्या है 

पूर्वग्रह क्या है   पर्वग्रह शब्द के अंग्रेजी प्रति शब्द ( Prejudice ) की उत्पत्ति लैटिन भाषा की ‘ प्रेजडिसियम ‘ ( Prejudicium ) संज्ञा से हुई है जिसका अर्थ होता है – वह निर्णय जो पूर्व निश्चयों पर आधारित है…

प्रचार की आवश्यकता

प्रचार की आवश्यकता प्रचार अंग्रेजी भाषा में ‘ प्रोपेगण्डा ‘ शब्द के साथ संवेगात्मक प्रतिक्रियाएं जुड़ी हुई हैं । इसे कपटतापूर्ण , भ्रांतिजनक , गर्हणीय तथा अनैतिक प्रक्रिया के रूप में देखा जाता है । यह एक ऐसा साधन समझा…

नेतृत्व तथा जनमत

नेतृत्व तथा जनमत जनमत – निर्माण में नेताओं का महत्त्वपूर्ण हाथ रहता है । वे किसी समस्या की व्याख्या करते हैं । लोगों में कुछ कुंठाएँ या कुछ उत्कंठाएँ हो सकती हैं । यह केवल नेता ही है जो इन…

जनमत एक प्रक्रिया के रूप में

जनमत एक प्रक्रिया के रूप में ‘ जन ‘ शब्द का अर्थ हमें यह जानना आवश्यक हो जाता है कि जन शब्द का निश्चित अभिप्राय क्या है । इस संकल्पना को स्पष्ट करने के लिए हम , एक दूसरी संज्ञा…

INDIVIDUAL AND SOCIETY

INDIVIDUAL AND SOCIETY समाज जैसा कि हम अभी देख चुके हैं व्यक्ति का व्यक्तित्व परिवार तथा परिवार से बाहर के व्यक्तियों के साथ उसके सम्पर्क से बनता है । सामाजिक कार्य व्यक्तियों की अन्तकिया है । मां और शिशु का…

सामाजिक मनोविज्ञान और अन्य विज्ञान

सामाजिक मनोविज्ञान और अन्य विज्ञान यदि हम यह विचार करें कि सामाजिक मनोविज्ञान का अन्य विज्ञानों से क्या सम्बन्ध है तो हमारा सामाजिक मनोविज्ञान के क्षेत्र तथा समस्याओं का मूल्यां कन और अधिक स्पष्ट हो जाएगा । जन्म से ही…

समाज मनोविज्ञान का क्षेत्र

समाज मनोविज्ञान का क्षेत्र समाज मनोविज्ञान का क्षेत्र अति विस्तृत है । उसकी विषय – वस्तु को कई भागों में विभक्त किया जा सकता । है । समाज मनोविज्ञान के सम्पूर्ण क्षेत्र को हम पाँच भागों में विभक्त कर सकते…

समाज मनोविज्ञान

समाज मनोविज्ञान समाज मनोविज्ञान को प्रायः व्यक्ति के विचारों , भावों और कार्यों पर अन्य व्यक्तियों के प्रभावों का अध्ययन माना जाता है । वस्तुतः किसी व्यक्ति की अन्य व्यक्तियों के प्रति संवेदनशीलता ही उसके व्यवहार को सामाजिक बनाती है…

उत्तर आधुनिकता

उत्तर आधुनिकता लेस्ली फिल्डर एवं इहाब हस्तान ने 1960 में उत्तर आधुनिकता शब्द का उपयोग किया था । इसका व्यापक रूप से प्रयोग नृत्य , संगीत एवं समाज तथा संस्कृति से जुड़े विज्ञानों ने किया । उत्तर आधुनिकता के दो…

संरचनावाद एवं उत्तर – संरचनावाद

संरचनावाद एवं उत्तर – संरचनावाद : सी . लेवी स्ट्रॉस एवं एम . फोकाल्ट ( Structuralism and Post – Structuralism : C. Levi Strauss and M. Foucault )  संरचनावाद ( Structuralism ): बीसवीं शताब्दी के सामाजिक विज्ञान व मानविकी में…

नव प्रकार्यवाद

नव प्रकार्यवाद  Neo – Functionalism      नव प्रकार्यवाद के जनक के रूप में अमेरिकन जेफ्री अलेक्जेण्डर का नाम लिया जाता है । किन्तु ऐसा नहीं है । वास्तव में नव प्रकार्यवाद का जन्म जर्मनी में हुआ था जब निकलस…

संरचनात्मक – प्रकार्यवाद

संरचनात्मक – प्रकार्यवाद  Structural – Functionalism   किसी भी समाज या संस्कृति की स्थिरता व निरन्तरता उसके विभिन्न तत्वों या इकाइयों के संगठन व व्यवस्था पर निर्भर करती है । यह संगठन व व्यवस्था तभी सम्भव है जब ये विभिन्न तत्व…

प्रकार्यवाद

Functionalism in Merton’s ideology Functionalism can be said to be the most important aspect in Merton’s ideology, which Merton tried to free sociological analysis from the influence of anthropology by giving a new form. Before Merton, many scholars had tried…

Social Structure – Concept and Theories 

सामाजिक संरचना – अवधारणा एवं सिद्धान्त Social Structure – Concept and Theories  सामाजिक संरचना समाजशास्त्र की महत्वपूर्ण अवधारणाओं में से है । समाजशास्त्र में सामाजिक संरचना की अवधारणा का प्रयोग सर्वप्रथम हरबर्ट स्पेन्सर ने अपनी पुस्तक ” Principles of Sociology…

घटना – क्रिया – विज्ञान

घटना – क्रिया – विज्ञान  Phenomenology  घटना – किया – विज्ञान विशुद्ध रूप से दार्शनिक दृष्टिकोण को साथ लेकर चलता है । यह उपयोगितावाद को नकारता है । इसी कारण इसका उद्गम स्थान जर्मनी अर्थात् यूरोप है । यूरोप में…

Ethnomethodology 

   लोक – विधि विज्ञान   ‘ Ethno ‘ ( इथनो ) का अर्थ होता है ‘ लोक ‘ या लोकज्ञान ‘  ‘ Methodology ‘ ( मैथडोलोजी ) का अर्थ विषय – वस्तु है | इथनोमैथडोलोजी का अर्थ है –…

संघर्षवादी सिद्धांत

संघर्षवादी सिद्धांत    इस सिद्धांत की मान्यता है कि समाज में परिवर्तन का कारक द्वन्द्व है । इस सिद्धांत के समर्थक कार्ल मार्क्स , राल्फ डहरेन्डार्फ , जार्ज – सिम्मेल तथा लेविस कोजर आदि हैं ।                    संघर्षवादी सिद्धांत के सबसे बड़े…

 Ideal Type  Verstehen Understanding

आदर्श – प्ररूप डिल्थे के इतिहासवाद तथा कान्त के बुद्धिवाद से प्रभावित होकर वेबर ने समाजशास्त्रीय विश्लेषण के लिए जिस महत्त्वपूर्ण साधन अथवा उपकरण को प्रस्तुत किया , उसे आपने ‘ आदर्श प्ररूप ‘ का नाम दिया । वेबर ने…

समाजशास्त्र का ऐतिहासिक प्रारम्भ

  समाजशास्त्र का ऐतिहासिक प्रारम्भ  ( उद्भव एवं विकास ) यूरोप में होने वाले अमूलचूल परिवर्तनों एवं इनके परिणामस्वरूप उत्पन्न समस्याओं को समझने के प्रयास से इस विषय का विकास हुआ है । आज समाजशास्त्र सैद्धान्तिक एवं व्यावहारिक दोनों दृष्टियों…

Problems of Theory Building in Sociology

Problems of Theoretical Construction of Sociology: Theory building is a process. This process passes through several stages. Each stage is scientific and diverse. Since sociological theories are based on the practical study of complex and variable social phenomena, they are…

समाजशास्त्रीय सिद्धान्तों के प्रकार

समाजशास्त्रीय सिद्धान्तों के प्रकार समाजशास्त्रीय सिद्धान्त कितने प्रकार के हैं , इसके बारे में निश्चित रूप से कुछ भी कहना कठिन है , क्योंकि यदि हम यह मान लें कि समाजशास्त्र में अभी तक परिपक्व सिद्धान्तों का निर्माण नहीं हुआ…

 Recent Trends in Sociological Theories

समाजशास्त्रीय सिद्धान्तों में आधुनिक प्रवृत्तियाँ: समाजशास्त्र एक विज्ञान है । अतः समाजशास्त्रीय सिद्धान्त वैज्ञानिक सिद्धान्त की श्रेणी में ही आते हैं । हम यह जानते हैं कि वैज्ञानिक सिद्धान्त मूलतः आनुभाविक या प्रयोगसिद्ध एवं कारणात्मक ( empirical and causal )…

समाजशास्त्रीय सिद्धान्त की अवधारणा

समाजशास्त्रीय सिद्धान्त की अवधारणा:   समाजशास्त्रीय सिद्धान्त सामाजिक तथ्यों पर आधारित सामान्यीकरण होते हैं । समाजशास्त्रीय सिद्धान्तों की प्रकृति वैज्ञानिक होती है । प्रारम्भिक समाजशास्त्रियों ने अनेक सिद्धान्तों को प्रतिपादित करने का प्रयास किया है । यद्यपि अनेक विद्वान समाजशास्त्र…

  DR.Bhimrao Ambedkar 

  अम्बेडकर का अधीनस्थ या दलितोद्धार परिप्रेक्ष्य [ SUBALTERN PERSPECTIVE OF AMBEDKAR ]  डॉ ० अम्बेडकर का जीवन भारत के सामाजिक सुधारों के लिए समर्पित था । उन्होंने जातिवाद और अस्पृश्यता के निवारण के लिए जीवनभर कार्य किया । वे…