ग्रामीण नेता के कार्य
( Functions of Rural Leader )
साली ग्रामीण नेता का पद दायित्वों से परिपूर्ण है । उसे अपनी संस्कृति एवं ग्राम की आवश्यकता को देखकर अनेक प्रकार के कार्य करने पड़ते हैं । नेता अपने अनुयायियों का केन्द्र होता है । वह लोगों का मार्ग – दर्शक और उनमें जागृति पैदा करने वाला होता है । बदली हई परिस्थितियों में ग्रामीण नेता के कार्य और दायित्व और भी बढ़ गए हैं । सामान्यतः एक ग्रामीण नेता को ग्राम में निम्नांकित भूमिकाएँ निभानी होती हैं
प्रबन्धकारी कार्य – ग्रामीण नेता मांव में एक प्रबन्धक के रूप में कार्य करता है । वह लोगों में कार्य का विभाजन करता है । वह अकाल , प्राकृतिक प्रकोप आदि के समय गांव वालों की आवश्यकतानों को जुटाने के लिए सरकार से सहायता के लिए प्रबन्ध करने को कहता है और गांव की मांग सरकार के सम्मुख रखता है ।
योजना बनाना – ग्रामीण नेता ग्राम विकास एवं जनहित के लिए योजनाएं बनाता है । यदि वह ग्राम पंचायत , सहकारी समिति और अन्य संस्थानों में पदाधिकारी होता है तो गांव के हित के लिए अनेक योजनाएं बनाता है और उनके क्रियान्वयन के लिए सरकार से सहायता प्राप्त करता है । वह अपनी योजना को पूरी करने के विभिन्न तरीके भी सुझाता है । वह यह भी देखता है कि योजना , उसके लक्ष्य और साधन व्यावहारिक हैं अथवा नहीं । योजनाएँ दो प्रकार की बनाई जाती हैं तात्कालिक व दीर्घकालिक । ग्राम विकास एवं कल्याण की योजनाएँ दीर्घकालिक होती हैं जबकि छोटे – मोटे कार्य जिन्हें थोड़े ही समय में पूरा करना जरूरी होता है , उनके लिए तात्कालिक व अल्पकालीन योजनाएँ बनाई जाती हैं ।
नीति का निर्धारण – ग्रामीण नेता समूह के आदर्श , उद्देश्य और नीति को तय करता है । नीति – निर्धारण में वह अपनी सझ – बूझ का प्रयोग कर सकता है अथवा अपने से उच्च नेता का मार्ग – दर्शन प्राप्त कर सकता है । वह नीति के प्रति अपने अनुयायियों की प्रतिक्रिया का भी ध्यान रखता है और अनुयायियों के द्वारा अस्वीकार किए जाने पर नीति में संशोधन भी करता है ।
विशेषज्ञ के रूप में कार्य करना – ग्रामीण लोगों के लिए उनका नेता एक विशेषज्ञ की भूमिका निभाता है । वह योजना बनाने और उन्हें लागू करने में आने वाली कठिनाइयों को विशेषज्ञ होने के नाते दूर करता है । नेता ग्रामवासियों के लिए तैयार सूचना और तैयार हल ‘ का कार्य करता है । सरकारी काम – काज कराने और न्यायिक मामलों में गांव वालों के लिए वह एक विशेषज्ञ के रूप में होता है ।
समूह का प्रतिनिधित्व – नेता अपने समूह के प्रतिनिधित्व का कार्य भी करता है । जैसे गाँव का सरपंच पंचायत समिति में , जिला स्तर के अधिकारियों एवं अन्य लोगों के सम्मुख सम्पूर्ण गांव के प्रतिनिधित्व के रूप में बोलता है और उन्हें गांव की सही स्थिति से परिचित कराता है । दो गाँवों के आपसी विवादों के समय अथवा गाँव में ही विधिज्ञ जातियों एवं गटों के बीच विवाद होने पर गाँव , जाति एवं गुटों के नेता अपने अपने समूहों का प्रतिनिधित्व करते हैं और अपनी मांगों एवं पक्ष की दूसरे नेता एवं अधिकारियों के सम्मुख रखते हैं । नेता समूह के लिए द्वार – रक्षक का कार्य करता है । इस रूप में वह समूह की प्रान्तरिक सूचना को बाहर एवं बाहर की सूचना को समह के अन्दर पहुंचाता है ।
प्रान्तरिक सम्बन्धों का नियन्त्रण करना – गाँव के नेता अपने – अपने समुदाय , दल , गुट एवं जाति के प्रान्तरिक मामलों की देखरेख करते हैं । सदस्यों के पारस्परिक सम्बन्धों को नियन्त्रित करते हैं और उनमें तनाव पैदा होने पर पारस्परिक तालमेल बैठाते हैं । सन हों के उद्देश्यों की पूति के लिए वे सभी सदस्यों का सहयोग प्राप्त करते हैं ।
पुरस्कार व दण्ड की व्यवस्था – नेता अपने उन सदस्यों के लिए पुरस्कार की व्यवस्था करता है जो समूह हित के लिए कार्य करते हैं । वह उनकी प्रशंसा करता है और उन्हें आर्थिक लाभ पहुँचाने का प्रयास करता है । जो सदस्य सामूहिक हितों के विपरीत कार्य करते हैं , उनकी बालोचना करता है और उन्हें समूह से बहिष्कृत करता है । जाति का मुखिया जाति के नियमों का उल्लंघम करने वाले सदस्यों को जाति से बहिष्कृत कर सकता है , उन्हें जाति भोज देने के लिए कह सकता है अथवा उन पर जुर्माना कर सकता है ।
पंच एवं मध्यस्थ के रूप में कार्य करना – समूह के सदस्यों में संघर्ष पैदा होने के समय नेता पंच एवं मध्यस्थ का कार्य भी करता है और दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद अपना निर्णय भी देता है । वह समूह में गुटबन्दी की प्रक्रिया को रोककर समूह के संगठन को बनाए रखता है ।
प्रादर्श बनना – ग्रामीण नेता ग्रामवासियों के लिए एक आदर्श व्यक्ति होला है । गाँव का प्रत्येक व्यक्ति उसे अपने से श्रेष्ठ मानता है और उसके आचरण का अनुकरण करने का प्रयास करता है । वह गाँव वालों के लिए प्रेरणा स्रोत होता है ।
समूह का प्रतीक बनना – नेता अपने समूह का प्रतीक माना जाता है । नेता के प्राचरण और व्यवहार को देखकर उसके समूह के प्राचरण और व्यवहार का पता लगाया जा सकता है । अन्य व्यक्ति नेता को देखकर ही उसके अनुयायियों व समूह के बारे में अनुमान लगा लेते हैं ।
समूह के पथ – प्रदर्शक के रूप में कार्य करना – ग्रामीण नेता ग्रामवासियों का मार्गदर्शक होता है । संकटकाल में वह उनके साथ होता है और रचनात्मक कार्यों में उनके एक शिक्षक और सहयोगी के रूप में कार्य करता है । जब लोग यह निर्णय नहीं कर पाते कि उन्हें अमुक परिस्थिति से निपटने के लिए क्या करना चाहिए तो वह नेता की शरण में जाते हैं और उसे राह का दीपक समझकर उसकी सलाह के अनुसार कार्य करते हैं और उसकी दिशा को स्वीकार करते हैं ।
संरक्षक के रूप में कार्य करना – ग्रामीण नेता सारे समुदाय का संरक्षक माना जाता है । जब गांव में बाहर का अधिकारी अथवा पुलिस पाती है तो वह गांव वालों का पक्ष लेता है । वह उन्हें संरक्षण प्रदान करता है । हिचकॉक ने अपने खालापुर गांव के अध्ययन में नेता की इस भूमिका का उल्लेख किया है , जब एक बार पास के रेल्वे स्टेशन पर डकैती हो गई और पुलिस खालापुर के उन लोगों को जिन पर डकैती करने का शक था , पकड़ने पहुंची तो राजपूत नेता ने स्पष्ट इन्कार कर दिया कि गाँव का कोई भी व्यक्ति डकैती में सम्मिलित नहीं था । गांव के लोग भी इस नेता को दयालु और पिता तुल्य मानते थे । जनहित के लिए इस नेता ने अपने कई व्यक्तिगत हितों का बलिदान किया । या
एक सुधारक के रूप में कार्य करना – गाँव का नेता अपने गांव में अधिकाधिक विकास और सुधार के कार्यक्रम प्रारम्भ करता है । हिचकॉक ने अपने खालापुर गांव के अध्ययन में यह पाया कि राजपूत नेता वहाँ के लोगों की शराब पीने एवं अफीम खाने की प्रादत और चोरी करने की प्रवृत्ति छडाने का प्रयास कर रहा था । उसने आर्य समाज द्वारा संचालित समाज सुधार के कार्यक्रमों को लाग किया और कांग्रेस के प्रान्दोलन से लोगों को परिचित कराया । ” –
उपयुक्त कार्यों के अतिरिक्त ग्रामीण नेता को कई नए प्रकार के कार्य भी करने पड़ते हैं जो सामदायिक विकास योजना और पंचायतीराज की देन हैं तथा जो गांवों में सुधार एवं विकास से सम्बन्धित हैं । उदाहरणार्थ , एक ग्रामीण नेता को गांव में सड़क , कुनों , तालाबों एवं नहरों के निर्माण कार्यों में निर्णायक भूमिका निभानी होती है । गाँव वालों को वह नवीन खाद , बीज , कृषि यन्त्रों एवं कृषि की विधियों से परिचित कराता है और इन कार्यों के लिए वह ग्राम सेवक तथा विकास अधिकारियों की सहायता करता है । सामुदायिक कार्यो के लिए चन्दा एकत्रित करता है और श्रमदान की व्यवस्था व सासदायिक विकास की नई योजनाओं को स्वीकार करता है तथा उनकी जानकारी ग्रामवासियों को प्रदान करता है । इन योजनानों को अपनाने के लिए वह ग्रामवासियों को प्रोत्साहित करता है । ग्रामीरा नेता लोगों को सरकारी ऋण एवं प्रशदान दिलाने का कार्य भी करता है । वह
विकास अधिकारियों एवं गांव वालों के बीच एक कड़ी का कार्य करता है और दोनों को एक – दूसरे की इच्छा से अवगत कराता है । वही सरकार में गाँव का प्रतिनिधित्व करता है और सरकारी सूचनाओं से गाँव वालों को परिचित कराता है । वही गाँव के लिए पंचायत समिति , जिला परिषद् एवं राज्य सरकार से प्राप्त होने वाली सहायता प्राप्त करता है । साथ ही ऐसी योजनाओं और कार्यों का विरोध करता है जो ग्राम के हित में न हो ।