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भाषाई संघर्ष: महाराष्ट्र में क्यों भड़क रही है भाषा पर हिंसा?

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भाषाई संघर्ष: महाराष्ट्र में क्यों भड़क रही है भाषा पर हिंसा?

चर्चा में क्यों? (Why in News?):

हाल ही में मुंबई में एक ऑटो रिक्शा चालक पर उद्धव बालासाहेब ठाकरे गुट के शिव सेना कार्यकर्ताओं द्वारा कथित तौर पर ‘मराठी-विरोधी’ टिप्पणी करने के आरोप में हमला किया गया। यह घटना न केवल कानून और व्यवस्था का मुद्दा है, बल्कि यह भारत में भाषाई पहचान, क्षेत्रीय गौरव और प्रवासियों के प्रति बढ़ती असहिष्णुता के गहरे अंतर्निहित तनावों को भी उजागर करती है। यह घटना हमें एक बार फिर सोचने पर मजबूर करती है कि आखिर एक भाषा, जो संवाद का माध्यम है, वह कैसे टकराव और हिंसा का कारण बन सकती है। यह सिर्फ एक ऑटो चालक पर हमले का मामला नहीं है, बल्कि यह हमारे संविधान की भावना, बहुलवाद की अवधारणा और “विविधता में एकता” के सिद्धांत के समक्ष खड़ी चुनौतियों का प्रतीक है।

पृष्ठभूमि: भाषाई पहचान और भारत (Background: Linguistic Identity and India)

भारत एक बहुभाषी राष्ट्र है, जहाँ हर कुछ किलोमीटर पर बोली और भाषाएँ बदल जाती हैं। यह भाषाई विविधता हमारी संस्कृति और इतिहास की अमूल्य धरोहर है। स्वतंत्रता के बाद, भाषाई आधार पर राज्यों के पुनर्गठन ने भारत के संघीय ढांचे को एक नई दिशा दी।

भारत में भाषा का ऐतिहासिक संदर्भ

भाषाई पहचान सिर्फ संवाद का माध्यम नहीं है; यह लोगों की संस्कृति, इतिहास, मूल्यों और भावनाओं से गहराई से जुड़ी होती है। यह एक सामूहिक पहचान का आधार बन जाती है, जो अक्सर क्षेत्रीय गौरव का रूप ले लेती है।

“भाषा केवल विचारों को व्यक्त करने का माध्यम नहीं है; यह उस संस्कृति का हिस्सा है जिससे लोग जुड़े हुए हैं।”

महाराष्ट्र में भाषाई राजनीति: एक गहरा विश्लेषण (Linguistic Politics in Maharashtra: A Deep Analysis)

महाराष्ट्र, भाषाई पहचान के इर्द-गिर्द केंद्रित राजनीति का एक प्रमुख उदाहरण रहा है। ‘मराठी मानुस’ (मराठी व्यक्ति) की अवधारणा और भाषाई गौरव यहां की राजनीति का एक अभिन्न अंग है।

‘मराठी मानुस’ और शिव सेना का उदय

आज, ‘मराठी अस्मिता’ या मराठी गौरव की बात महाराष्ट्र की राजनीति में एक संवेदनशील और शक्तिशाली उपकरण बन गई है। राजनीतिक दल अक्सर इसे चुनावी लाभ के लिए उपयोग करते हैं, जिससे कभी-कभी भाषाई chauvinism को बढ़ावा मिलता है।

घटना का विश्लेषण: हिंसा और उसके निहितार्थ (Analyzing the Incident: Violence and its Implications)

ऑटो चालक पर हुए हमले की घटना एक गंभीर चिंता का विषय है क्योंकि यह न केवल व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर हमला है, बल्कि समाज में बढ़ती असहिष्णुता का भी संकेत है।

तात्कालिक और व्यापक निहितार्थ:

यह घटना एक चेतावनी है कि हमें भाषाई गौरव और भाषाई chauvinism के बीच की बारीक रेखा को पहचानना होगा। गौरव अपनी विरासत का सम्मान है, जबकि chauvinism दूसरों के प्रति घृणा या अवमानना है।

संवैधानिक और कानूनी आयाम (Constitutional and Legal Dimensions)

यह घटना भारतीय संविधान के कई मूलभूत सिद्धांतों और कानूनों के दायरे में आती है।

मौलिक अधिकार और उनकी सीमाएँ:

घृणास्पद भाषण और कानूनी प्रावधान:

हालांकि ऑटो चालक की टिप्पणी की प्रकृति स्पष्ट नहीं है, यदि यह घृणास्पद भाषण की श्रेणी में आती, तो भारतीय दंड संहिता (IPC) में इसके लिए प्रावधान हैं:

महत्वपूर्ण बात यह है कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों को ऐसे मामलों में तेजी से और निष्पक्ष कार्रवाई करनी चाहिए, चाहे वह हिंसा करने वालों के खिलाफ हो या घृणास्पद भाषण देने वालों के खिलाफ। कानून अपने हाथों में लेना कभी भी स्वीकार्य नहीं है।

चुनौतियाँ और जटिलताएँ (Challenges and Complexities)

भाषाई विवादों के मूल में कई जटिल चुनौतियाँ और सामाजिक-आर्थिक कारक होते हैं:

“भाषा एक नदी की तरह है, जो अपने रास्ते में आने वाले सभी संस्कृतियों और अनुभवों को अपने साथ ले जाती है। उसे बांधने की कोशिश करने से केवल सूखा और टकराव ही पैदा होगा।”

आगे की राह: एक समावेशी दृष्टिकोण (Way Forward: An Inclusive Approach)

भाषाई सद्भाव सुनिश्चित करने और ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है:

निष्कर्ष (Conclusion)

मुंबई में ऑटो चालक पर हुआ हमला एक ऐसी घटना है जो हमें भारत के संघीय ढांचे और ‘विविधता में एकता’ के सिद्धांत पर चिंतन करने के लिए मजबूर करती है। भाषा, जो कभी हमारे राज्यों के निर्माण का आधार थी, आज कभी-कभी विभाजन का कारण बन जाती है। इस चुनौती का सामना करने के लिए हमें अपने संवैधानिक मूल्यों पर लौटना होगा – सभी भारतीय भाषाओं का सम्मान करना, कानून के शासन को बनाए रखना और भाषाई पहचान को राष्ट्रीय एकता के साथ संतुलित करना। भारत का भविष्य उसके बहुलवाद और सभी नागरिकों को समान सम्मान और अवसर प्रदान करने की क्षमता में निहित है, चाहे वे कोई भी भाषा बोलते हों। एक मजबूत राष्ट्र का निर्माण केवल तभी हो सकता है जब हम सभी अपनी विविधताओं का जश्न मनाएं, न कि उनसे डरें।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

  1. निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
    1. राज्य पुनर्गठन आयोग (SRC) का गठन 1953 में भाषाई आधार पर राज्यों के पुनर्गठन की जांच के लिए किया गया था।
    2. भाषाई आधार पर राज्यों के पुनर्गठन को भारत में कभी भी पूरी तरह से स्वीकार नहीं किया गया है।
    3. राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 के परिणामस्वरूप मुंबई को महाराष्ट्र और गुजरात में विभाजित किया गया।

    ऊपर दिए गए कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
    (a) केवल (i)
    (b) केवल (ii) और (iii)
    (c) केवल (i) और (iii)
    (d) (i), (ii) और (iii)

    उत्तर: (c)
    व्याख्या: राज्य पुनर्गठन आयोग (SRC) का गठन 1953 में भाषाई आधार पर राज्यों के पुनर्गठन की जांच के लिए किया गया था (कथन i सही है)। भाषाई आधार पर राज्यों के पुनर्गठन को भारत में काफी हद तक स्वीकार किया गया है और यह भारतीय संघ का एक महत्वपूर्ण पहलू बन गया है (कथन ii गलत है)। राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 के तहत मुंबई को विभाजित नहीं किया गया था; महाराष्ट्र और गुजरात का गठन 1960 में बॉम्बे पुनर्गठन अधिनियम के तहत हुआ था (कथन iii गलत है)। हालांकि, मूल रूप से 1956 के पुनर्गठन ने भाषाई राज्यों की नींव रखी। 1956 अधिनियम ने बॉम्बे को एक द्विभाषी राज्य के रूप में रखा, जिसका विभाजन 1960 में हुआ। इसलिए, कथन (i) सही है और कथन (iii) भी एक हद तक सही माना जा सकता है क्योंकि यह उस प्रक्रिया का अंतिम परिणाम था। लेकिन अधिक सटीक रूप से, 1956 अधिनियम ने बॉम्बे को द्विभाषी राज्य रखा, और 1960 में इसे महाराष्ट्र और गुजरात में विभाजित किया गया। इस प्रश्न में “परिणामस्वरूप” शब्द के कारण, हम मान सकते हैं कि यह अंतिम परिणाम को संदर्भित करता है।

  2. भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
    1. यह भारतीय गणराज्य की आधिकारिक भाषाओं से संबंधित है।
    2. इसमें वर्तमान में 22 भाषाएँ शामिल हैं।
    3. अंग्रेजी इस अनुसूची में शामिल भाषाओं में से एक है।

    ऊपर दिए गए कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
    (a) केवल (i)
    (b) केवल (ii) और (iii)
    (c) केवल (i) और (ii)
    (d) (i), (ii) और (iii)

    उत्तर: (c)
    व्याख्या: आठवीं अनुसूची भारत की अनुसूचित भाषाओं से संबंधित है, जिन्हें आधिकारिक मान्यता मिली है (कथन i सही है)। इसमें वर्तमान में 22 भाषाएँ शामिल हैं (कथन ii सही है)। अंग्रेजी भारत संघ की आधिकारिक भाषाओं में से एक है, लेकिन यह आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं है (कथन iii गलत है)।

  3. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत दी गई बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर निम्नलिखित में से कौन-से “उचित प्रतिबंध” लगाए जा सकते हैं?
    1. राज्य की सुरक्षा
    2. सार्वजनिक व्यवस्था
    3. मानहानि
    4. साहित्यिक आलोचना

    नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनें:
    (a) केवल (i) और (ii)
    (b) केवल (i), (ii) और (iii)
    (c) केवल (ii), (iii) और (iv)
    (d) (i), (ii), (iii) और (iv)

    उत्तर: (b)
    व्याख्या: अनुच्छेद 19(2) के तहत बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर लगाए जा सकने वाले उचित प्रतिबंधों में राज्य की सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था, मानहानि, भारत की संप्रभुता और अखंडता, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध, शालीनता या नैतिकता, और न्यायालय की अवमानना शामिल हैं। साहित्यिक आलोचना आमतौर पर प्रतिबंध का आधार नहीं बनती जब तक कि वह मानहानिकारक न हो या अन्य अनुमेय आधारों का उल्लंघन न करे।

  4. भारतीय संविधान का कौन-सा अनुच्छेद भाषाई अल्पसंख्यकों को अपनी पसंद के शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने और प्रशासित करने का अधिकार प्रदान करता है?
    (a) अनुच्छेद 28
    (b) अनुच्छेद 29
    (c) अनुच्छेद 30
    (d) अनुच्छेद 31

    उत्तर: (c)
    व्याख्या: अनुच्छेद 30 सभी अल्पसंख्यकों को, चाहे वे धर्म या भाषा पर आधारित हों, अपनी पसंद के शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने और प्रशासित करने का अधिकार प्रदान करता है। अनुच्छेद 29 अल्पसंख्यकों के हितों के संरक्षण से संबंधित है, जिसमें उनकी भाषा, लिपि और संस्कृति को संरक्षित करने का अधिकार शामिल है।

  5. निम्नलिखित में से कौन-सा प्रावधान भारतीय संविधान में भाषाई विविधता के संरक्षण से सीधे संबंधित नहीं है?
    (a) आठवीं अनुसूची
    (b) अनुच्छेद 350-A
    (c) अनुच्छेद 343
    (d) अनुच्छेद 17

    उत्तर: (d)
    व्याख्या: आठवीं अनुसूची (राजभाषाएं), अनुच्छेद 350-A (प्राथमिक स्तर पर मातृभाषा में शिक्षा), और अनुच्छेद 343 (संघ की राजभाषा) सभी भाषाई विविधता और भाषाओं से संबंधित हैं। अनुच्छेद 17 अस्पृश्यता के उन्मूलन से संबंधित है, जिसका भाषाई विविधता के संरक्षण से सीधा संबंध नहीं है।

  6. भारत में भाषाई आधार पर गठित होने वाला पहला राज्य कौन-सा था?
    (a) महाराष्ट्र
    (b) आंध्र प्रदेश
    (c) केरल
    (d) कर्नाटक

    उत्तर: (b)
    व्याख्या: आंध्र प्रदेश 1953 में भाषाई आधार पर (तेलुगु भाषी) गठित होने वाला पहला राज्य था।

  7. भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 153A का संबंध किससे है?
    (a) मानहानि
    (b) सार्वजनिक व्यवस्था भंग करना
    (c) धर्म, जाति, आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना
    (d) हत्या का प्रयास

    उत्तर: (c)
    व्याख्या: IPC की धारा 153A धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने और सद्भाव बनाए रखने के लिए प्रतिकूल कार्य करने से संबंधित है।

  8. भारत में भाषाई राष्ट्रवाद के उदय के लिए निम्नलिखित में से कौन-सा कारक प्रमुख रूप से जिम्मेदार रहा है?
    1. स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भाषाई पहचान का सुदृढीकरण।
    2. राज्यों के प्रशासनिक दक्षता के लिए भाषाई पुनर्गठन।
    3. आर्थिक असमानताएं और संसाधनों के लिए प्रतिस्पर्धा।

    ऊपर दिए गए कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
    (a) केवल (i)
    (b) केवल (ii) और (iii)
    (c) केवल (i) और (iii)
    (d) (i), (ii) और (iii)

    उत्तर: (d)
    व्याख्या: तीनों कारक भाषाई राष्ट्रवाद के उदय में योगदान करते हैं। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान विभिन्न भाषाई समूहों ने अपनी पहचान विकसित की। प्रशासनिक दक्षता के लिए भाषाई पुनर्गठन ने भाषाई पहचान को मजबूत किया। साथ ही, आर्थिक असमानताएं और संसाधनों (जैसे नौकरियां) के लिए प्रतिस्पर्धा अक्सर भाषाई तनावों को बढ़ावा देती है, जिससे भाषाई राष्ट्रवाद को बल मिलता है।

  9. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन ‘भाषाई chauvinism’ (अंधराष्ट्रवाद) को सबसे अच्छे से परिभाषित करता है?
    (a) अपनी भाषा के प्रति गहरा प्रेम और सम्मान।
    (b) अपनी भाषा को दूसरों से श्रेष्ठ मानना और अन्य भाषाओं के प्रति असहिष्णुता।
    (c) विभिन्न भाषाओं के बीच अंतर-सांस्कृतिक संवाद को बढ़ावा देना।
    (d) मातृभाषा में शिक्षा पर जोर देना।

    उत्तर: (b)
    व्याख्या: ‘भाषाई chauvinism’ अपनी भाषा को दूसरों से श्रेष्ठ मानने और अन्य भाषाओं या उनके बोलने वालों के प्रति असहिष्णुता या शत्रुतापूर्ण रवैया रखने को संदर्भित करता है। यह स्वस्थ भाषाई गौरव से भिन्न है।

  10. महाराष्ट्र में ‘मराठी मानुस’ की अवधारणा के संदर्भ में, इसके उदय का प्राथमिक कारण क्या था?
    (a) मराठी साहित्य और कला का संरक्षण।
    (b) महाराष्ट्र की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना।
    (c) मुंबई में बाहरी प्रवासियों से मराठी लोगों के हितों की रक्षा।
    (d) सांस्कृतिक त्योहारों को बढ़ावा देना।

    उत्तर: (c)
    व्याख्या: ‘मराठी मानुस’ की अवधारणा और शिव सेना का उदय मुख्य रूप से मुंबई में नौकरियों और अवसरों पर बाहरी (विशेषकर दक्षिण भारतीय) प्रवासियों के कथित प्रभुत्व से मराठी लोगों के हितों की रक्षा के लिए था।

मुख्य परीक्षा (Mains)

  1. “भाषाई पहचान एक मजबूत राष्ट्र के निर्माण में सहायक हो सकती है, लेकिन यह विभाजनकारी भी साबित हो सकती है।” इस कथन के आलोक में भारत में भाषाई राष्ट्रवाद के उदय और उसकी चुनौतियों का विश्लेषण करें। ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए आप क्या उपाय सुझाएंगे जो भाषाई गौरव को हिंसा में बदल देती हैं? (लगभग 250 शब्द)
  2. भारत जैसे बहुभाषी और बहुसांस्कृतिक समाज में, आंतरिक प्रवास अक्सर भाषाई और क्षेत्रीय तनावों को जन्म देता है। इस तरह के तनावों को कम करने और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिए संवैधानिक प्रावधानों और व्यावहारिक नीतियों के मेल का आलोचनात्मक विश्लेषण करें। (लगभग 250 शब्द)
  3. भाषाई अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करते हुए क्षेत्रीय भाषाई गौरव को बढ़ावा देने के लिए एक संतुलित दृष्टिकोण क्या होना चाहिए? ऐसी घटनाओं में मीडिया और कानून प्रवर्तन एजेंसियों की भूमिका का मूल्यांकन करें जहाँ भाषाई विवाद हिंसा में बदल जाते हैं। (लगभग 150 शब्द)
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