StudyPoint24

बिहार चुनाव का ‘कुरुक्षेत्र’: जानिए मुद्दों की धार और नेताओं के दांवपेंच का विस्तृत विश्लेषण

image 72

बिहार चुनाव का ‘कुरुक्षेत्र’: जानिए मुद्दों की धार और नेताओं के दांवपेंच का विस्तृत विश्लेषण

चर्चा में क्यों? (Why in News?):

भारत के लोकतांत्रिक ढांचे में हर चुनाव एक महायज्ञ के समान होता है, और जब बात बिहार जैसे राजनीतिक रूप से जागरूक और संवेदनशील राज्य की हो, तो यह ‘यज्ञ’ एक ‘कुरुक्षेत्र’ में बदल जाता है – जहाँ हर दल, हर नेता और हर मुद्दा अपनी पूरी शक्ति के साथ आमने-सामने खड़ा होता है। हाल के घटनाक्रम और आगामी चुनावों की सुगबुगाहट के बीच, बिहार एक बार फिर राष्ट्रीय विमर्श के केंद्र में है। यहाँ का चुनाव न केवल स्थानीय राजनीति की दिशा तय करेगा, बल्कि इसके परिणाम राष्ट्रीय स्तर पर भी दूरगामी प्रभाव डालेंगे। यह चुनाव सिर्फ सत्ता की लड़ाई नहीं, बल्कि मुद्दों की धार और नेताओं के तेज की असली कसौटी बनने जा रहा है, जहाँ हर समीकरण को बारीकी से परखा जाएगा। यूपीएससी उम्मीदवारों के लिए, यह समझना महत्वपूर्ण है कि बिहार जैसे राज्य का चुनाव सिर्फ एक राजनीतिक घटना नहीं, बल्कि भारतीय समाज, अर्थव्यवस्था और राजनीति की जटिलताओं का एक सूक्ष्म अध्ययन है।

बिहार चुनाव का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य और प्रासंगिकता (Historical Perspective and Relevance of Bihar Election)

बिहार, भारतीय राजनीति का एक उर्वर मैदान रहा है। मौर्य साम्राज्य से लेकर मगध की शक्ति और आधुनिक भारत में जयप्रकाश नारायण जैसे दिग्गजों की कर्मभूमि तक, इस राज्य ने हमेशा से राजनीतिक और सामाजिक क्रांतियों का नेतृत्व किया है। स्वतंत्रता के बाद से, बिहार की राजनीति में जाति, वर्ग और क्षेत्र का एक जटिल ताना-बाना बुना गया है। मंडल आयोग की सिफारिशों के बाद 1990 के दशक में हुए सामाजिक न्याय आंदोलन ने बिहार की राजनीति को एक नया आयाम दिया, जहाँ जातिगत पहचान एक निर्णायक चुनावी कारक बन गई।

क्या आप जानते हैं? बिहार का राजनीतिक इतिहास न केवल भारत की संसदीय प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, बल्कि यह सामाजिक इंजीनियरिंग, गठबंधन की राजनीति और जन-आंदोलनों के उदय का भी प्रत्यक्ष गवाह रहा है। यह भारतीय लोकतंत्र के लचीलेपन और चुनौतियों, दोनों को दर्शाता है।

आज, बिहार चुनाव की प्रासंगिकता कई मायनों में महत्वपूर्ण है:

मुद्दों की धार: कौन से विषय तय करेंगे चुनाव की दिशा? (Sharpness of Issues: Which Topics Will Determine the Election’s Direction?)

चुनाव में नेता कितने भी करिश्माई क्यों न हों, अंततः जनता जिन मुद्दों पर अपना मत देती है, वही सरकार बनाते या गिराते हैं। बिहार में मुद्दों की धार इस बार और भी पैनी है, क्योंकि दशकों के विकास की धीमी गति और मौजूदा चुनौतियों ने मतदाताओं को अधिक जागरूक बना दिया है।

1. आर्थिक मुद्दे: विकास की धीमी चाल और उम्मीदों का बोझ (Economic Issues: Slow Pace of Development and Burden of Expectations)

बिहार हमेशा से ही आर्थिक रूप से पिछड़े राज्यों में गिना जाता रहा है, और यह चुनावी विमर्श का केंद्रीय बिंदु है।

2. सामाजिक मुद्दे: जाति, शिक्षा और स्वास्थ्य का जटिल समीकरण (Social Issues: Complex Equation of Caste, Education, and Health)

बिहार में सामाजिक मुद्दे, विशेषकर जातिगत समीकरण, चुनाव परिणाम को गहराई से प्रभावित करते हैं।

3. शासनिक मुद्दे: केंद्र-राज्य संबंध और नीतियों का क्रियान्वयन (Governance Issues: Centre-State Relations and Policy Implementation)

शासन से जुड़े मुद्दे, विशेषकर केंद्र और राज्य के बीच संबंधों का प्रभाव, भी मतदाताओं की राय पर असर डालता है।

नेताओं के तेज की कसौटी: नेतृत्व, रणनीति और गठबंधन (Test of Leaders’ Acumen: Leadership, Strategy, and Alliance)

बिहार का चुनाव सिर्फ मुद्दों का नहीं, बल्कि नेताओं की क्षमता, उनकी चुनावी रणनीति और उनके करिश्मे का भी इम्तिहान होता है। ‘कुरुक्षेत्र’ में कौन कितना ‘तेज’ है, यह जनता तय करती है।

1. प्रमुख राजनीतिक दल और उनके चेहरे (Major Political Parties and their Faces)

बिहार में मुख्य रूप से दो बड़े गठबंधन हैं, जिनके इर्द-गिर्द पूरी राजनीतिक धुरी घूमती है:

2. नेतृत्व क्षमता और चुनावी रणनीति (Leadership Acumen and Electoral Strategy)

नेताओं का तेज सिर्फ भाषणों में नहीं, बल्कि उनकी रणनीति में दिखता है:

चुनाव को प्रभावित करने वाले अन्य कारक (Other Factors Influencing the Election)

मुद्दों और नेताओं के अलावा भी कई ऐसे कारक हैं जो चुनाव परिणामों को प्रभावित करते हैं:

“कुरुक्षेत्र” के समीकरण: भविष्य की राह (Equations of “Kurukshetra”: Future Path)

बिहार का चुनाव सिर्फ एक राज्य का चुनाव नहीं, बल्कि भारतीय लोकतंत्र की नब्ज को समझने का एक अवसर है।

निष्कर्ष (Conclusion)

बिहार चुनाव, अपने मूल में, भारतीय लोकतंत्र का एक सूक्ष्म संस्करण है जहाँ मुद्दों, नेताओं के करिश्मे, जातिगत समीकरणों, विकास की आकांक्षाओं और बदलते मतदाता व्यवहार का एक जटिल मिश्रण काम करता है। यह सिर्फ एक राजनीतिक लड़ाई नहीं, बल्कि बिहार के भविष्य की दिशा तय करने वाला एक महत्वपूर्ण मोड़ है। यूपीएससी उम्मीदवारों के लिए, इस चुनाव का विस्तृत विश्लेषण न केवल समसामयिक मामलों की गहरी समझ प्रदान करता है, बल्कि भारतीय राजनीति, समाज और शासन के मूलभूत सिद्धांतों को व्यावहारिक रूप से समझने का अवसर भी देता है। “कुरुक्षेत्र” तैयार है, और अब यह देखना बाकी है कि कौन सा समीकरण जीत का परचम लहराता है, और बिहार को विकास और सुशासन की नई राह पर ले जाता है।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

(यहाँ 10 MCQs, उनके उत्तर और व्याख्या प्रदान करें)

1. बिहार में हुए जातिगत जनगणना के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:

  1. जातिगत जनगणना का आयोजन भारतीय संविधान के अनुच्छेद 246 के तहत किया गया है।
  2. यह बिहार सरकार द्वारा ‘बिहार राज्य में जाति-आधारित गणना’ नामक कानून के तहत किया गया है।
  3. इस जनगणना में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं।

उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

  1. केवल 1
  2. केवल 2
  3. केवल 1 और 3
  4. केवल 2 और 3

उत्तर: B
व्याख्या: जातिगत जनगणना राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में नहीं आती है, बल्कि यह संघ सूची का विषय है। हालाँकि, बिहार सरकार ने इसे एक ‘गणना’ के रूप में अपने प्रशासनिक अधिकार क्षेत्र में करवाया है। कथन 1 गलत है। यह ‘बिहार राज्य में जाति-आधारित गणना’ नामक कानून के तहत किया गया। कथन 2 सही है। जातिगत जनगणना में सभी जातियों का विवरण होता है, न कि केवल SC/ST का। कथन 3 गलत है।

2. बिहार में ‘विशेष राज्य का दर्जा’ की मांग के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:

  1. यह मांग मुख्यतः केंद्रीय योजनाओं में अधिक वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए की जाती है।
  2. किसी भी राज्य को विशेष राज्य का दर्जा देने का निर्णय राष्ट्रीय विकास परिषद (NDC) द्वारा लिया जाता है।
  3. विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त राज्यों को केंद्रीय सहायता में 90% अनुदान और 10% ऋण के रूप में मिलती है।

उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

  1. केवल 1
  2. केवल 2 और 3
  3. केवल 1 और 3
  4. 1, 2 और 3

उत्तर: C
व्याख्या: विशेष राज्य के दर्जे से राज्य को केंद्रीय योजनाओं में अधिक वित्तीय सहायता मिलती है, कथन 1 सही है। राष्ट्रीय विकास परिषद द्वारा विशेष श्रेणी का दर्जा देने का मानदंड निर्धारित किया गया था, लेकिन अब यह कार्य वित्त आयोग की सिफारिशों पर निर्भर करता है। कथन 2 गलत है। विशेष श्रेणी के राज्यों को केंद्रीय सहायता में 90% अनुदान और 10% ऋण के रूप में प्राप्त होता है, जबकि सामान्य राज्यों को यह 30% अनुदान और 70% ऋण के रूप में मिलता है। कथन 3 सही है।

3. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 324 के संदर्भ में, जो भारत निर्वाचन आयोग से संबंधित है, निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:

  1. यह संसद और प्रत्येक राज्य के विधानमंडल के चुनावों के संचालन, अधीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण का अधिकार निर्वाचन आयोग में निहित करता है।
  2. नगर पालिकाओं और पंचायतों के चुनावों के लिए भी यही अनुच्छेद लागू होता है।
  3. मुख्य चुनाव आयुक्त को केवल संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित प्रस्ताव के आधार पर हटाया जा सकता है।

उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

  1. केवल 1
  2. केवल 1 और 3
  3. केवल 2 और 3
  4. 1, 2 और 3

उत्तर: B
व्याख्या: अनुच्छेद 324 संसद और राज्य विधानमंडल के चुनावों से संबंधित है, कथन 1 सही है। नगर पालिकाओं और पंचायतों के चुनाव राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा आयोजित किए जाते हैं, जो अनुच्छेद 243K और 243ZA के तहत आते हैं। कथन 2 गलत है। मुख्य चुनाव आयुक्त को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश को हटाने की प्रक्रिया के समान ही हटाया जा सकता है, यानी संसद के दोनों सदनों द्वारा विशेष बहुमत से पारित प्रस्ताव के आधार पर। कथन 3 सही है।

4. बिहार में ‘पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं के लिए आरक्षण’ के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?

  1. बिहार भारत का पहला राज्य था जिसने पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं के लिए 50% आरक्षण लागू किया।
  2. यह आरक्षण केवल ग्राम पंचायत स्तर पर लागू है, न कि जिला परिषद या पंचायत समिति स्तर पर।
  3. यह आरक्षण केवल अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के लिए है।
  4. यह आरक्षण महिलाओं को निर्णय लेने की प्रक्रिया से पूरी तरह से बाहर रखता है।

उत्तर: A
व्याख्या: बिहार ने 2006 में पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं के लिए 50% आरक्षण लागू किया, ऐसा करने वाला यह भारत का पहला राज्य था। यह आरक्षण सभी स्तरों (ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद) पर लागू है और सभी वर्गों की महिलाओं के लिए है, न कि केवल SC/ST के लिए। इसका उद्देश्य महिलाओं को निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल करना है।

5. भारत में ‘मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट’ (MCC) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:

  1. यह भारत निर्वाचन आयोग द्वारा राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के लिए जारी दिशा-निर्देशों का एक समूह है।
  2. यह संविधान के तहत एक वैधानिक प्रावधान है।
  3. यह चुनाव प्रक्रिया की घोषणा के साथ लागू होता है और परिणाम घोषित होने तक प्रभावी रहता है।

उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

  1. केवल 1 और 2
  2. केवल 1 और 3
  3. केवल 2 और 3
  4. 1, 2 और 3

उत्तर: B
व्याख्या: MCC निर्वाचन आयोग द्वारा जारी दिशा-निर्देश हैं, कथन 1 सही है। यह संविधान या किसी अधिनियम के तहत वैधानिक प्रावधान नहीं है, बल्कि राजनीतिक दलों के बीच आम सहमति के आधार पर विकसित हुआ है। कथन 2 गलत है। यह चुनाव की घोषणा के साथ लागू होता है और परिणाम घोषित होने तक प्रभावी रहता है, कथन 3 सही है।

6. ‘एंटी-डिफेक्शन लॉ’ (दल-बदल विरोधी कानून) के संबंध में निम्नलिखित कथनों में से कौन सा सही नहीं है?

  1. यह कानून संविधान की दसवीं अनुसूची में उल्लिखित है।
  2. यह संसद और राज्य विधानमंडलों के सदस्यों पर लागू होता है।
  3. यह कानून स्पीकर या अध्यक्ष को दल-बदल के मामलों में अंतिम निर्णय लेने का अधिकार देता है।
  4. यह कानून निर्वाचित सदस्यों को अपनी पार्टी के व्हिप के खिलाफ मतदान करने की पूर्ण स्वतंत्रता प्रदान करता है।

उत्तर: D
व्याख्या: दल-बदल विरोधी कानून (52वां संशोधन, 1985) संविधान की दसवीं अनुसूची में है (A सही)। यह संसद और राज्य विधानमंडलों के सदस्यों पर लागू होता है (B सही)। स्पीकर/अध्यक्ष का निर्णय अंतिम होता है, यद्यपि न्यायिक समीक्षा के अधीन है (C सही)। यह कानून सदस्यों को पार्टी व्हिप के खिलाफ मतदान करने पर अयोग्यता का सामना करना पड़ सकता है, यह पूर्ण स्वतंत्रता नहीं देता (D गलत)।

7. बिहार के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन-सा आर्थिक सूचक आमतौर पर राष्ट्रीय औसत से नीचे पाया जाता है?

  1. प्रति व्यक्ति आय (Per Capita Income)
  2. जनसंख्या घनत्व (Population Density)
  3. साक्षरता दर (Literacy Rate)
  4. शिशु मृत्यु दर (Infant Mortality Rate)

उत्तर: A
व्याख्या: बिहार की प्रति व्यक्ति आय भारत के राज्यों में सबसे कम में से एक है, जो राष्ट्रीय औसत से काफी नीचे है। जनसंख्या घनत्व बिहार का अधिक है, राष्ट्रीय औसत से ऊपर। साक्षरता दर राष्ट्रीय औसत से कम है, लेकिन प्रति व्यक्ति आय सबसे स्पष्ट रूप से नीचे है। शिशु मृत्यु दर भी राष्ट्रीय औसत से अधिक है। प्रश्न में ‘सबसे कम’ नहीं पूछा गया, बल्कि ‘नीचे पाया जाता है’ पूछा गया है। विकल्पों में, प्रति व्यक्ति आय सबसे प्रमुख रूप से नीचे है।

8. भारतीय राजनीति में ‘मंडल आयोग’ की सिफारिशों का क्या प्रभाव पड़ा?

  1. इन्होंने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण की शुरुआत की।
  2. इन्होंने अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में आरक्षण का मार्ग प्रशस्त किया।
  3. इन्होंने महिलाओं के लिए स्थानीय निकायों में आरक्षण की नींव रखी।
  4. इन्होंने आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (EWS) के लिए आरक्षण की सिफारिश की।

उत्तर: B
व्याख्या: मंडल आयोग की सिफारिशों ने 1990 के दशक में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में 27% आरक्षण की शुरुआत की, जिससे भारतीय राजनीति में एक बड़ा सामाजिक-राजनीतिक बदलाव आया।

9. बिहार में ‘शराबबंदी’ कानून (Prohibition of Alcohol) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?

  1. यह बिहार में 2010 में लागू किया गया था।
  2. इस कानून का मुख्य उद्देश्य महिला सशक्तिकरण और सामाजिक सुधार था।
  3. यह कानून बिहार को भारत का एकमात्र शराबबंदी वाला राज्य बनाता है।
  4. इस कानून ने राज्य के राजस्व में उल्लेखनीय वृद्धि की है।

उत्तर: B
व्याख्या: बिहार में शराबबंदी अप्रैल 2016 में लागू की गई थी (A गलत)। इसका मुख्य उद्देश्य घरेलू हिंसा में कमी और महिलाओं व परिवारों के जीवन स्तर में सुधार लाकर सामाजिक सुधार लाना था (B सही)। गुजरात, नागालैंड, मिजोरम और लक्षद्वीप जैसे अन्य राज्य/केंद्र शासित प्रदेश भी शराबबंदी लागू करते हैं (C गलत)। शराबबंदी से राज्य के राजस्व को नुकसान हुआ है, वृद्धि नहीं (D गलत)।

10. ‘डबल इंजन सरकार’ का नारा अक्सर चुनावी अभियानों में प्रयोग किया जाता है। इसका क्या अर्थ है?

  1. राज्य और केंद्र में एक ही राजनीतिक दल की सरकार होने पर विकास की गति तेज होने का दावा।
  2. राज्य में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री, दोनों एक ही दल से होने का दावा।
  3. राज्यों को केंद्र से स्वतंत्र रूप से काम करने की अनुमति देना।
  4. एक ही राज्य में दो अलग-अलग राजनीतिक दलों का शासन।

उत्तर: A
व्याख्या: ‘डबल इंजन सरकार’ का नारा आमतौर पर भारतीय जनता पार्टी और उसके सहयोगी दलों द्वारा उपयोग किया जाता है। इसका अर्थ है कि यदि राज्य और केंद्र दोनों में एक ही राजनीतिक दल या गठबंधन की सरकार है, तो राज्यों को केंद्रीय योजनाओं और नीतियों का अधिक लाभ मिलेगा, जिससे विकास की गति तेज होगी।

मुख्य परीक्षा (Mains)

(यहाँ 3-4 मेन्स के प्रश्न प्रदान करें)

1. “बिहार का चुनाव केवल सत्ता परिवर्तन का माध्यम नहीं है, बल्कि यह विकास के मॉडल, सामाजिक न्याय की अवधारणा और गठबंधन की राजनीति की प्रयोगशाला भी है।” इस कथन के आलोक में, बिहार चुनाव को प्रभावित करने वाले प्रमुख सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक कारकों का विस्तृत विश्लेषण करें।

2. बिहार में लगातार उठने वाली ‘विशेष राज्य के दर्जे’ की मांग का आलोचनात्मक परीक्षण करें। क्या यह दर्जा राज्य की दीर्घकालिक विकास चुनौतियों का समाधान कर सकता है? केंद्र-राज्य संबंधों पर इसके संभावित प्रभावों पर भी चर्चा करें।

3. जातिगत जनगणना के परिणामों ने बिहार की राजनीति में एक नई बहस छेड़ दी है। बिहार के राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य पर जातिगत जनगणना के तात्कालिक और दीर्घकालिक प्रभावों का मूल्यांकन करें। क्या यह नीति ‘सबका साथ, सबका विकास’ के सिद्धांत के अनुरूप है?

4. बिहार में रोजगार सृजन और पलायन हमेशा से प्रमुख चुनावी मुद्दे रहे हैं। इन मुद्दों को हल करने के लिए वर्तमान और संभावित सरकारों द्वारा क्या उपाय किए जा सकते हैं? बिहार के संदर्भ में औद्योगिक विकास की बाधाओं और अवसरों का विश्लेषण करें।

Exit mobile version