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जलती उम्मीदें: ओडिशा में छात्रा का दर्दनाक निधन, यौन उत्पीड़न और न्याय की अनकही लड़ाई

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जलती उम्मीदें: ओडिशा में छात्रा का दर्दनाक निधन, यौन उत्पीड़न और न्याय की अनकही लड़ाई

चर्चा में क्यों? (Why in News?):

हाल ही में ओडिशा में एक हृदय विदारक घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया। यौन उत्पीड़न से परेशान एक छात्रा ने खुद को आग लगाकर अपनी जीवन लीला समाप्त करने का प्रयास किया, और तीन दिन तक मौत से जूझने के बाद आखिरकार उसने दम तोड़ दिया। यह घटना सिर्फ एक व्यक्तिगत त्रासदी नहीं, बल्कि समाज में महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ बढ़ते यौन उत्पीड़न, न्याय व्यवस्था की चुनौतियों और सामूहिक संवेदनहीनता का एक भयावह प्रतीक है। यह मामला एक बार फिर से इस कटु सत्य को सामने लाता है कि हमारे समाज में आज भी महिलाओं को सुरक्षित वातावरण प्रदान करने में हम कहाँ विफल हो रहे हैं और कैसे एक कथित “छोटी सी” घटना एक जीवन को निगल सकती है।

एक दर्दनाक अंत: घटनाक्रम और पृष्ठभूमि (A Tragic End: Chronology and Background)

ओडिशा के एक छोटे से शहर में एक होनहार छात्रा ने, कथित तौर पर यौन उत्पीड़न से तंग आकर, खुद को आग लगा ली। यह घटना अचानक नहीं हुई; इसके पीछे उत्पीड़न का एक लंबा सिलसिला बताया जा रहा है, जिसने उसे इस चरम कदम उठाने के लिए मजबूर किया। पुलिस रिपोर्टों और प्रारंभिक जांच के अनुसार, छात्रा कई महीनों से परेशान थी और उसने कथित तौर पर इस बारे में शिकायत भी की थी, लेकिन शायद उसकी आवाज़ को गंभीरता से नहीं लिया गया। जब पीड़ा असहनीय हो गई और उसे लगा कि न्याय की सभी राहें बंद हो चुकी हैं, तो उसने अपनी अंतरात्मा की आवाज़ को शांत करने के लिए यह भयानक रास्ता चुना। तीन दिनों तक, वह अस्पताल में जीवन और मृत्यु के बीच संघर्ष करती रही, हर साँस के साथ उस उत्पीड़न का दर्द याद दिलाती रही जिससे वह भागना चाहती थी। अंततः, उसकी जलती हुई उम्मीदें बुझ गईं, लेकिन पीछे छोड़ गई अनगिनत सवाल और एक जलता हुआ घाव जो समाज की सामूहिक चेतना को झकझोर रहा है।

यह घटना सिर्फ एक व्यक्ति की मौत नहीं है, बल्कि उस भरोसे का टूटना है जो हर नागरिक को कानून और व्यवस्था पर होना चाहिए। यह एक चेतावनी है कि जब तक हम यौन उत्पीड़न के मूल कारणों को संबोधित नहीं करते और पीड़ितों को त्वरित व संवेदनशील न्याय प्रदान नहीं करते, तब तक ऐसी त्रासदियाँ होती रहेंगी।

यौन उत्पीड़न: एक सामाजिक कोढ़ (Sexual Harassment: A Social Scourge)

यौन उत्पीड़न एक जटिल और व्यापक समस्या है जो सदियों से समाज में व्याप्त है। यह सिर्फ शारीरिक शोषण तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसमें मौखिक, भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक उत्पीड़न भी शामिल है।

क्या है यौन उत्पीड़न? (What is Sexual Harassment?)

यौन उत्पीड़न को मोटे तौर पर अवांछित यौन व्यवहार के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जो किसी व्यक्ति को असहज, अपमानित या डरा हुआ महसूस कराता है। इसमें शामिल हो सकते हैं:

यह महत्वपूर्ण है कि उत्पीड़न का निर्धारण व्यवहार की प्रकृति से अधिक पीड़ित पर उसके प्रभाव से होता है। अगर कोई व्यवहार किसी व्यक्ति को असहज महसूस कराता है, तो उसे उत्पीड़न माना जा सकता है।

कानूनी परिप्रेक्ष्य: सुरक्षा और दंड (Legal Perspective: Protection and Punishment)

भारत में यौन उत्पीड़न से निपटने के लिए कई कानून और दिशानिर्देश मौजूद हैं, लेकिन उनका प्रभावी कार्यान्वयन एक चुनौती बना हुआ है।

भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत प्रावधान:

अन्य महत्वपूर्ण कानून और दिशानिर्देश:

मनोवैज्ञानिक और सामाजिक प्रभाव: (Psychological and Social Impact)

यौन उत्पीड़न का शिकार होने वाले व्यक्ति पर इसका गहरा और स्थायी प्रभाव पड़ता है:

समाज पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह असुरक्षा की भावना पैदा करता है, महिलाओं की गतिशीलता को सीमित करता है, और उत्पादकता व नवाचार को बाधित करता है। यह एक बीमार समाज का प्रतिबिंब है जहाँ शक्ति असंतुलन, पितृसत्तात्मक मानसिकता और जवाबदेही की कमी है।

क्यों होती है यह समस्या? (Why does this problem occur?)

यौन उत्पीड़न की जड़ें कई सामाजिक-मनोवैज्ञानिक और संरचनात्मक कारकों में निहित हैं:

न्याय की लड़ाई और चुनौतियाँ (The Fight for Justice and Challenges)

ओडिशा की इस छात्रा का मामला बताता है कि न्याय की राह कितनी कठिन और निराशाजनक हो सकती है।

पीड़ितों के लिए चुनौतियाँ: (Challenges for Victims)

कानून प्रवर्तन और न्यायिक प्रक्रिया की चुनौतियाँ:

“जब कोई लड़की या महिला यौन उत्पीड़न की शिकायत करती है, तो हमें उसे सशक्त बनाने और उसका समर्थन करने की आवश्यकता होती है, न कि उसे सवालों के घेरे में खड़ा करने की।” – निर्मला सीतारमण

आगे की राह: एक सुरक्षित समाज की ओर (The Way Forward: Towards a Safer Society)

ओडिशा की घटना एक वेक-अप कॉल है। हमें न केवल कानून को मजबूत करना होगा, बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण में भी बदलाव लाना होगा।

1. जागरूकता और शिक्षा:

2. सशक्त संस्थागत तंत्र:

3. कानून प्रवर्तन और न्यायिक सुधार:

4. मानसिक स्वास्थ्य सहायता:

5. मीडिया की भूमिका:

6. सामाजिक परिवर्तन:

ओडिशा में अपनी जान गंवाने वाली छात्रा की कहानी हमें याद दिलाती है कि न्याय केवल कानूनी किताबों में नहीं होना चाहिए, बल्कि यह हर व्यक्ति को मिलना चाहिए, खासकर जब वे सबसे अधिक कमजोर हों। उसकी मृत्यु एक दुखद नुकसान है, लेकिन यह हमारे लिए एक अवसर भी है कि हम अपनी विफलताओं को पहचानें और एक ऐसा समाज बनाने की दिशा में काम करें जहाँ हर लड़की और महिला बिना किसी डर के जी सके, पढ़ सके और अपने सपनों को पूरा कर सके। उसकी जलती हुई उम्मीदें भले ही बुझ गईं, लेकिन उनकी लौ हमें न्याय और सुरक्षा के मार्ग को रोशन करने के लिए प्रेरित करती रहनी चाहिए। यह सिर्फ एक छात्रा की कहानी नहीं, बल्कि हर उस व्यक्ति की कहानी है जो न्याय के लिए लड़ रहा है और सुरक्षित समाज की उम्मीद कर रहा है। हमें इस लौ को बुझने नहीं देना चाहिए।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

(प्रत्येक प्रश्न के लिए दिए गए कथनों पर विचार करें और सही विकल्प चुनें)

प्रश्न 1: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

  1. भारत में कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की रोकथाम के लिए ‘विशाखा दिशानिर्देश’ सर्वोच्च न्यायालय द्वारा वर्ष 1997 में जारी किए गए थे।
  2. यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम, 2012, केवल नाबालिगों के यौन उत्पीड़न से संबंधित मामलों को कवर करता है।
  3. भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 354D, ‘स्टॉकिंग’ (पीछा करना) के अपराध से संबंधित है।

उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(A) केवल 1 और 2
(B) केवल 2 और 3
(C) केवल 1 और 3
(D) 1, 2 और 3

उत्तर: (D)
व्याख्या: सभी तीनों कथन सही हैं। विशाखा दिशानिर्देश 1997 में कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी किए गए थे, POCSO अधिनियम विशेष रूप से बच्चों को यौन अपराधों से बचाता है, और IPC 354D स्टॉकिंग से संबंधित है।

प्रश्न 2: भारत में ‘यौन उत्पीड़न’ की कानूनी परिभाषा और उसके दंड से संबंधित निम्नलिखित में से कौन-सा IPC प्रावधान प्राथमिक रूप से संबंधित है?

(A) धारा 376
(B) धारा 354A
(C) धारा 354B
(D) धारा 509

उत्तर: (B)
व्याख्या: IPC की धारा 354A यौन उत्पीड़न के अपराध को परिभाषित करती है जिसमें यौन रंगीन टिप्पणियां, अवांछित शारीरिक संपर्क, या यौन पक्ष की मांग शामिल है। धारा 376 बलात्कार से संबंधित है, 354B महिला को निर्वस्त्र करने के इरादे से हमला, और 509 महिला की लज्जा का अपमान।

प्रश्न 3: लैंगिक उत्पीड़न से महिलाओं का संरक्षण (कार्यस्थल पर) अधिनियम, 2013 के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

  1. यह अधिनियम ‘विशाखा दिशानिर्देशों’ का स्थान लेता है।
  2. इसके तहत प्रत्येक संगठन में आंतरिक शिकायत समिति (ICC) का गठन अनिवार्य है, जिसमें कम से कम 10 कर्मचारी हों।
  3. समिति में आधी सदस्य महिलाएँ होनी चाहिए।

उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(A) केवल 1
(B) केवल 2
(C) केवल 1 और 3
(D) केवल 1, 2 और 3

उत्तर: (A)
व्याख्या: कथन 1 सही है। यह अधिनियम विशाखा दिशानिर्देशों को कानूनी रूप प्रदान करता है। कथन 2 गलत है क्योंकि ICC का गठन उन संगठनों के लिए अनिवार्य है जहाँ 10 या अधिक कर्मचारी हों, लेकिन यह कथन में गलत तरीके से कहा गया है कि कम से कम 10 कर्मचारी हों, बल्कि 10 या अधिक कर्मचारी होने पर ICC अनिवार्य है। कथन 3 गलत है क्योंकि समिति में कम से कम आधी नहीं, बल्कि कम से कम आधी सदस्य महिलाएँ होनी चाहिए (जिसमें अध्यक्ष भी शामिल हैं)।

प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन-सा कथन भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 (‘जीवन का अधिकार’) के दायरे में ‘गरिमापूर्ण जीवन’ के अधिकार का सबसे अच्छा वर्णन करता है?

(A) इसमें केवल शारीरिक सुरक्षा का अधिकार शामिल है।
(B) इसमें भोजन, पानी और आश्रय का अधिकार शामिल है।
(C) इसमें यौन उत्पीड़न से मुक्त जीवन का अधिकार और अपनी पसंद के जीवन जीने का अधिकार शामिल है।
(D) इसमें केवल शिक्षा का अधिकार शामिल है।

उत्तर: (C)
व्याख्या: अनुच्छेद 21 की व्याख्या सुप्रीम कोर्ट द्वारा बहुत व्यापक रूप से की गई है, जिसमें गरिमापूर्ण जीवन के कई पहलू शामिल हैं, जैसे स्वच्छ पर्यावरण, आजीविका, निजता और उत्पीड़न मुक्त जीवन। यौन उत्पीड़न से मुक्त जीवन गरिमापूर्ण जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

प्रश्न 5: ‘निर्भया फंड’ का प्राथमिक उद्देश्य क्या है?

(A) महिलाओं के लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करना।
(B) महिला सुरक्षा से संबंधित विभिन्न योजनाओं का समर्थन करना।
(C) महिलाओं के लिए स्वरोजगार के अवसर पैदा करना।
(D) महिलाओं के स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार करना।

उत्तर: (B)
व्याख्या: निर्भया फंड 2012 के दिल्ली गैंगरेप की घटना के बाद, महिला सुरक्षा से संबंधित विभिन्न योजनाओं और पहलों को लागू करने के लिए स्थापित किया गया था।

प्रश्न 6: ‘एकल खिड़की केंद्र’ (One Stop Centres – OSCs) योजना के संबंध में, निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:

  1. यह योजना महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित की जाती है।
  2. इसका उद्देश्य हिंसा से प्रभावित महिलाओं को एक ही छत के नीचे एकीकृत सहायता और सहायता प्रदान करना है।
  3. इन केंद्रों को ‘सखी’ के नाम से भी जाना जाता है।

उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(A) केवल 1 और 2
(B) केवल 2 और 3
(C) केवल 1 और 3
(D) 1, 2 और 3

उत्तर: (D)
व्याख्या: सभी तीनों कथन सही हैं। OSCs को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा ‘सखी’ के नाम से कार्यान्वित किया जाता है और ये हिंसा से प्रभावित महिलाओं को चिकित्सा, कानूनी, मनोवैज्ञानिक सहायता सहित एकीकृत सहायता प्रदान करते हैं।

प्रश्न 7: निम्नलिखित में से कौन-सा/से कारक भारत में यौन उत्पीड़न के मामलों में कम रिपोर्टिंग के लिए जिम्मेदार हो सकता है/सकते हैं?

  1. सामाजिक कलंक और पीड़ित को दोषी ठहराना।
  2. बदले का डर और सुरक्षा का अभाव।
  3. पुलिस और न्यायिक प्रक्रिया में विश्वास की कमी।

सही विकल्प चुनें:

(A) केवल 1
(B) केवल 2 और 3
(C) केवल 1 और 3
(D) 1, 2 और 3

उत्तर: (D)
व्याख्या: सभी तीनों कारक यौन उत्पीड़न के मामलों में कम रिपोर्टिंग के प्रमुख कारण हैं। सामाजिक कलंक, बदला लेने का डर और न्याय प्रणाली पर अविश्वास पीड़ितों को शिकायत दर्ज करने से रोकते हैं।

प्रश्न 8: निम्नलिखित में से कौन-सा संवैधानिक प्रावधान राज्य को महिलाओं और बच्चों के लिए विशेष प्रावधान करने का अधिकार देता है?

(A) अनुच्छेद 14
(B) अनुच्छेद 15(3)
(C) अनुच्छेद 16
(D) अनुच्छेद 21

उत्तर: (B)
व्याख्या: अनुच्छेद 15(3) राज्य को महिलाओं और बच्चों के लिए विशेष प्रावधान बनाने में सक्षम बनाता है, भले ही अनुच्छेद 15(1) लिंग, जाति, धर्म आदि के आधार पर भेदभाव को प्रतिबंधित करता हो।

प्रश्न 9: ‘पोक्सो अधिनियम, 2012’ के तहत, किसी बच्चे का यौन उत्पीड़न करने वाले व्यक्ति के लिए न्यूनतम कारावास की अवधि क्या है?

(A) 3 वर्ष
(B) 5 वर्ष
(C) 7 वर्ष
(D) 10 वर्ष

उत्तर: (B)
व्याख्या: पोक्सो अधिनियम, 2012 की धारा 4 के तहत, गंभीर यौन हमले के लिए न्यूनतम कारावास की अवधि 5 वर्ष है, जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है। हालाँकि, अन्य धाराओं में अलग-अलग न्यूनतम दंड हैं। सामान्यतः, पोक्सो के तहत अपराधों के लिए कठोर दंड का प्रावधान है।

प्रश्न 10: हाल ही में, भारत सरकार द्वारा महिलाओं की सुरक्षा के लिए उठाए गए कदमों में से एक ‘महिला हेल्पलाइन’ सेवा का कार्यान्वयन है। इसका हेल्पलाइन नंबर क्या है?

(A) 100
(B) 1098
(C) 112
(D) 181

उत्तर: (D)
व्याख्या: 181 राष्ट्रीय महिला हेल्पलाइन नंबर है जो महिलाओं को आपातकालीन और गैर-आपातकालीन दोनों स्थितियों में सहायता प्रदान करता है। 100 पुलिस हेल्पलाइन, 1098 चाइल्डलाइन और 112 अखिल भारतीय आपातकालीन नंबर है।

मुख्य परीक्षा (Mains)

(निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 150-250 शब्दों में दें)

प्रश्न 1: “ओडिशा की छात्रा का निधन यौन उत्पीड़न के मामलों से निपटने में हमारे समाज और कानूनी प्रणाली की सामूहिक विफलता को दर्शाता है।” टिप्पणी कीजिए और पीड़ितों को त्वरित एवं संवेदनशील न्याय सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक संस्थागत और सामाजिक सुधारों पर प्रकाश डालिए। (250 शब्द)

प्रश्न 2: भारत में यौन उत्पीड़न की व्यापकता के पीछे के सामाजिक-सांस्कृतिक कारकों का विश्लेषण कीजिए। इस समस्या के समाधान में शिक्षा, लैंगिक संवेदनशीलता और सामुदायिक भागीदारी की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए। (250 शब्द)

प्रश्न 3: क्या मौजूदा कानून, जैसे कि PoSH अधिनियम और IPC के प्रासंगिक प्रावधान, महिलाओं को यौन उत्पीड़न से बचाने के लिए पर्याप्त हैं? यदि नहीं, तो प्रभावी कार्यान्वयन में आने वाली प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं और इन चुनौतियों का समाधान कैसे किया जा सकता है? (250 शब्द)

प्रश्न 4: “न्याय में देरी, न्याय से इनकार है।” इस कथन के प्रकाश में, भारत में यौन उत्पीड़न के मामलों में न्यायिक प्रक्रिया की सुस्ती के कारणों और उसके पीड़ितों पर पड़ने वाले प्रभावों की विवेचना कीजिए। फास्ट-ट्रैक न्याय सुनिश्चित करने के लिए कुछ नवीन उपाय सुझाइए। (250 शब्द)

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