जनांकिकी का अर्थ
( Meaning of Demography )
‘ Demography ग्रीक भाषा के दो शब्दों से मिलकर बना है । प्रथम शब्द है Demas ( डिमास ) जिसका अर्थ होता है- मनुष्य ( People ) और दूसरा शब्द है Grapho ( ग्राफो ) जिसका अर्थ होता है- लिखना या अंकित करना ( To draw or write about people ) इस प्रकार Demography का शाब्दिक अर्थ हुआ- मनुष्य या जनता के विषय में लिखना या अंकित करना हुआ । ( To draw or write about people )
जैसा कि अशिले गुइलार्ड ने संक्षेप में कहा है ” It is the science which studies the number of people ” . अर्थात् यह वह विज्ञान है , जो मनुष्यों की संख्या के विषय में अध्ययन करता है । ‘ डिमोग्राफी ( जनांकिकी ) शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग फ्रांसीसी विद्वान ‘ अशिले गुइलार्ड ‘ द्वारा 1855 में अपनी पुस्तक ‘ Elements destatique human on demographic compare ‘ में किया गया ।
लेकिन एक विशिष्ट और स्वतंत्र विज्ञान के रूप में इसकी नींव इंग्लैण्ड के विद्वान जॉन ग्रान्ट ( John Graunt ) द्वारा 1662 में रखी जा चुकी थी । जॉन ग्रान्ट ने 1662 में अपनी महत्वपूर्ण कृति जिसका नाम ‘ Natural and Political observation made up the bills of smortality था द्वारा जनांकिकी का सूत्रपात कर दिया था । यही कारण है कि इन्हें जनांकिकी के जनक की संज्ञा प्राप्त है ।
डिमोग्राफी शब्द के जन्म के पूर्व जनसंख्या सम्बन्धी अध्ययनों के लिए कुछ अन्य नाम भी समय – समय पर प्रचलित रहे हैं यथा डिमोलाजी ( Demology ) व जनसंख्या का अध्ययन ( Population studies ) आदि पर ये शब्द अधिक दिन तक नहीं चल सके , और न ही लोकप्रिय हो सके । अतः 1862 में अशिले गुइलाई द्वारा ग्रीस भाषा का शब्द ‘ डिमोग्राफी ही अधिक लोकप्रिय एवं प्रचलित है । इस प्रकार संक्षेप में शाब्दिक अर्थ से हमें demography का आशय विदित हो जाता है कि डिमोग्राफी जनसंख्या की विशेषताओं का अध्ययन और विश्लेषण करने वाला विज्ञान है । विभिन्न विद्वानों ने जनांकिकी से क्या आशय समझा है यह भी जानना आवश्यक है क्योंकि विद्वानों की दृष्टि अर्थ के समत्व को हमें ठीक से समझाता है । जनांकिकी की परिभाषाओं पर यदि दृष्टि डाली जाय तो स्पष्ट होता है कि समाजशास्त्रियों , अर्थशास्त्रियों एवं शिक्षाविदों द्वारा जनांकिकी की परिभाषा पर दिये गये विचारों में एकत्व नहीं है । कुछ विद्वानों ने इस शास्त्र के विषय वस्तु को आधार मानकर परिभाषा दी है तो कुछ विद्वान ने इसकी वैज्ञानिकता , उपयोगिता एवं महत्ता को ध्यान में रखकर इसे परिभाषित किया है । एक अर्थशास्त्री जनसंख्या को श्रमपूर्ति के रूप में उपभोक्ता के रूप में देखता है और जनांकिकी के अध्ययन को विकास के अर्थशास्त्र का अंग मानता है । समाजशास्त्रियों द्वारा जनांकिकी में जनसंख्या के सामाजिक पहलुओं का अध्ययन किया जाता है । जीव शास्त्री तथा भूगोलशास्त्री जनांकिकी में जैविक तथ्यों एवं भौगोलिक वितरण का अध्ययन करते हैं । यही कारण है कि किसी एक परिभाषा में सभी तत्त्वों को एक साथ समावेश कर प्रस्तुत करना कठिन है । अध्ययन सरलता की दृष्टि से विभिन्न जनांकिकीविदों द्वारा दी गई परिभाषा को आइये हम दो शीर्षकों में वर्गीकृत कर अध्ययन करते हैं
1.संकुचित दृष्टिकोण ।
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व्यापक दृष्टिकोण
संकुचित दृष्टिकोण :
संकुचित दृष्टिकोण की परिभाषाओं में जनसंख्या के परिमाणात्मक पहलू को सम्मिलित किया जाता है तथा जीवन समंकों के अध्ययन एवं विश्लेषण में सांख्यिकीय पद्धतियों को महत्त्व प्रदान किया जाता है । प्रायः जनसंख्या को प्रभावित करने वाले पांच कारको प्रजनन , विवाह , मृत्यु , प्रवास एवं सामाजिक गतिशीलता का अध्ययन दो शीर्षकों जनसंख्या की संरचना अथवा गठन तथा समयानुसार परिवर्तन के अन्तर्गत किया जाता है । यह पांचों कारक जनसंख्या के आकार प्रादेशिक वितरण , संरचना के निर्धारण में सदैव सक्रिय रहते हैं और जनसंख्या को गतिशील बनाये रखते हैं । संकुचित दृष्टिकोण वाली जनांकिकी की प्रमुख परिभाषाएं निम्न हैं
बेन्जामिन बी ( Benjamin B ) के अनुसार , ” जनांकिकी सामूहिक रूप में मानव जनसंख्या की वृद्धि विकास तथा गतिशीलता से सम्बन्धित अध्ययन है । ” हिप्पल , जी ० सी ० ( Whipple , G.C. ) के अनुसार , ” जनांकिकी वह विज्ञान है जो मानव पीढ़ी , उसकी वृद्धि , द्वास तथा मृत्यु का सांख्यिकीय पद्धति से अध्ययन करता है ।
अशिले गुइलाई ( Achille Guillard ) के अनुसार यह ( जनांकिकी ) जनसंख्या की सामान्य गति और भौतिक , सामाजिक तथा बौद्धिक दशाओं का गणितीय ज्ञान है ।
” लिवासियर ( Levasseur ) के अनुसार यह ( जनांकिकी ) साधारणतया जनसंख्या का विज्ञान है जो मुख्यतया जन्मों , विवाहों , मृत्युओं तथा जनसंख्या के प्रवास की गति को सुनिश्चित करने के साथ ही साथ उन नियमों की खोज कराने का भी प्रयास करता है जो इन गतियों को नियमन करते हैं । ” लिवासियर ने अपनी परिभाषा जीवन समको ( Vital Statistics ) से सम्बद्ध करने का प्रयास करके ऐतिहासिक महत्ता को रेखांकित किया है ।
वान मैयर , जी ० ( Von Mayer , G. ) के अनुसार , ” जनांकिकी जनसंख्या की दशा एवं गतिशीलता का सांख्यिकीय विश्लेषण है , जिसके अन्तर्गत जनगणना एवं जैवकीय घटनाओं का पंजीकरण किया जाता है तथा इस प्रकार जनगणना एवं पंजीकरण से प्राप्त मौलिक आंकड़ों के आधार पर जनसंख्या की दशा एवं गतिशीलता का सांख्यिकीय विश्लेषण किया जा सकता है । ” इस परिभाषा में जनांकिकी को मानव जीवन का लेखा – जोखा रखने वाली सांख्यिकीय पद्धति के रूप में विकसित किया गया है जिसके अन्तर्गत जनसंख्या और प्रमुख जैवकीय घटनाओं का नियमित रूप से अध्ययन एवं विश्लेषण होता रहता है ।
पी 0 आर कॉक्स ( P.R. Cox ) के शब्दों में जनांकिकी वह विज्ञान है जिसमें मानव जनसंख्या के अध्ययन में सांख्यिकीय पद्धतियों का प्रयोग किया जाता है तथा यह मुख्यतया जनसंख्या के आकार वृद्धि अथवा ह्रास , जीवित व्यक्तियों की संख्या तथा अनुपात , किसी क्षेत्र विशेष में जन्में तथा मृत तथा ऐसे फलनों की माप जैसे प्रजननशीलता , मृत्यु तथा विवाह दरों से सम्बन्धित है । ” इस तरह कॉक्स ने जनांकिकी के अध्ययन में सांख्यिकीय पद्धतियों के प्रयोग को महत्व प्रदान किया है और जीवन समंकों के अध्ययन एवं विश्लेषण की सार्थकता की विवेचना की
व्यापक दृष्टिकोण :
व्यापक दृष्टिकोण वाली परिभाषाओं में जनसंख्या के परिमाणात्मक अध्ययन एवं विश्लेषण के साथ – साथ गुणात्मक पहलू पर भी ध्यान दिया गया है । ऐसा करके जनांकिकी को एक विस्तृत सामान्य एवं व्यावहारिक विज्ञान के रूप में विकसित करने का प्रयास किया है । इससे सम्बन्धित कुछ परिभाषाएं इस प्रकार हैं :
हाउजर एवं डंकन ( Hauser and Dancan ) के अनुसार , ” जनांकिकी जनसंख्या के आकार , क्षेत्रीय वितरण गठन व उनमें परिवर्तन के घटक , जो कि जन्म , मृत्यु , क्षेत्रीय गमन ( प्रवास ) एवं सामाजिक गतिशीलता ( स्तर में परिवर्तन ) के रूप में जाने जाते हैं , का अध्ययन करता है । ” विकसित करने का का इस परिभाषा में जनसंख्या की संरचना के अन्तर्गत जनसंख्या के परिणात्मक तथा गुणात्मक दोनों पक्षों का समावेश है । परिभाषा में सामाजिक गतिशीलता के अध्ययन पर विशेष बल दिया गया है क्योंकि जनसंख्या के जन्म , मृत्यु से ही परिवर्तन नहीं आता वरन् सामाजिक स्तर में परिवर्तन जैसे अविवाहित से विवाहित हो जाना , विवाहित से विधुर / विधवा , बेरोजगार से रोजगार होना आदि भी महत्त्वपूर्ण कारक है जो जनसंख्या को प्रभावित करते हैं ।
थाम्पसन एवं लेविस ( Thompson and Lewis ) के अनुसार , इसकी ( जनांकिकी ) रूचि वर्तमान समय की जनसंख्या के आकार , संरचना तथा वितरण में ही नहीं बल्कि समय – समय पर इन पक्षों में हो रहे परिवर्तनों एवं इन परिवर्तन के कारणों में भी है । उपरोक्त परिभाषा का उल्लेख दोनो अमेरिकन जनांकिकीविदों ने 1930 में अपनी पुस्तक ” Population Problems ” में किया था । इन्होंने अपने Population Study में जनसंख्या का आकार ( Size of Population ) , जनसंख्या की संरचना ( Composition of Population ) जनसंख्या का वितरण ( Distribution of Population ) को शामिल कर जनांकिकी के अध्ययन को व्यापक बनाने का प्रयास किया ।
प्रो ० डोनाल्ड जे . बोग ( Prof. Donold J. Bogue ) प्रो ० बोग अमेरिका के शिकागो विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र के प्राध्यापक रहे हैं । 1990 में प्रकाशित अपनी पुस्तक Principles of demography में जनांकिकी के आधारभूत नियमों , प्रक्रियाओं एवं विषयवस्तु की विधिवत् विवेचना प्रस्तुत की ।
प्रो ० बोग के अनुसार , ” जनांकिकी पांच प्रकार की जनांकिकी प्रक्रियाओं , प्रजननशीलता , मृत्युकम , विवाह , प्रवास तथा सामाजिक गतिशीलता कुछ परिभाषाएं बर्कले ( Barclay ) के अनुसार जनसंख्या के आंशिक चित्रण को कभी – कभी जनांकिकी के रूप में जाना जाता है तथा इसमें कुछ विशिष्ट प्रकार के समंकों के द्वारा निरूपित व्यक्तियों का समग्र दृष्टिकोण से अध्ययन किया जाता है । जनांकिकी का सम्बन्ध समूह व्यवहार से होता है न कि किसी व्यक्तिगत व्यवहार से । “
स्पेंगलर एवं डंकन ( Spengler and Duncan ) के अनुसार , ” बहुत से अन्य विषयों की भांति जनांकिकी भी अपने में विविध विषयों को समेटे हुए है , परन्तु आज इसका क्षेत्र समन्वित ज्ञान के निकाय तक ही सीमित है जो कुल जनसंख्या तथा उसमें परिमार्जन करने वाले तत्वों से सम्बन्धित है । इन तत्वों के अन्तर्गत समुदायों का आकार , जन्म , विवाह तथा मृत्यु दरें , आयु संरचना तथा प्रवास को सम्मिलित किया जाता है । ” 3. विक्टर पेट्रोच ( Victor Petrov ) के अनुसार , ” जनांकिकी वह विज्ञान है जो जनसंख्या की संरचना तथा आवागमन का अध्ययन करता है । ” उपर्युक्त परिभाषाओं से हम जनांकिकी का अर्थ या आशय को व्यापक रूप में जान गये हैं कि जनांकिकी के अन्तर्गत जनसंख्या के समस्त निर्धारक तत्वों तथा उनके परिणामों का अध्ययन किया जाता है । इसके अन्तर्गत जनसंख्या के परिमाणात्मक तथा गुणात्मक दोनों ही पक्षों का अध्ययन व विश्लेषण किया जाता है ।