सामाजिक परिवर्तन के प्रमुख स्वरूप 

सामाजिक परिवर्तन के प्रमुख स्वरूप 

सामाजिक परिवर्तन के विभिन्न पहलुओं , मुख्यतः सामाजिक सम्बन्धों , सामाजिक घटनाओं , ममितियों , संस्थाओं व रीति – रिवाजों में होने वाला परिवर्तन है । सामाजिक परिवर्तन कितने प्रकार है । प्रमुख वर्गीकरण निम्न प्रकार है है ? यह बताना एक कठिन कार्य है क्योंकि इसका वर्गीकरण अनेक आधारों पर किया गया-

 (a) अवधि के आधार पर वर्गीकरण : अवधि के आधार पर सामाजिक परिवर्तन को दो श्रेणियों में बाँटा जा सकता है-

 1.अल्प अवधि वाले परिवर्तन : इनमें उन परिवर्तनों को सम्मिलित किया जाता है जो थोड़े समय के लिए सामाजिक व्यवस्था को प्रभावित करते हैं ।

2.दीर्घ अवधि वाले परिवर्तन : इनमें उन परिवर्तनों को सम्मिलित किया जाता है जो कई पीढ़ियों से सामाजिक व्यवस्था को प्रभावित करते हैं । 

(b)नियोजन के आधार पर वर्गीकरण : नियोजन के आधार पर भी वर्गीकरण को निम्न दो श्रेणियों में बाँटा जा सकता है-

1.अनियोजित सामाजिक परिवर्तन : इस प्रकार के परिवर्तन पर किसी प्रकार नियंत्रण नहीं रखा जाता तथा अगर इससे सामाजिक व्यवस्था को कोई खतरा पैदा नहीं होता तो इस पर किसी प्रकार का अंकुश लगाने का प्रयास भी नहीं किया जाता है ।

2.नियोजित सामाजिक परिवर्तन : समाज के अपने उद्देश्यों अथवा लक्ष्यों को प्राप्त करने हेतु जो परिवर्तन किया जाता है , उसे नियोजित परिवर्तन कहा जाता है । 

(c)स्रोत के आधार पर वर्गीकरण : स्रोत के आधार पर परिवर्तन को निम्न दो श्रेणियों में बाँटा जा सकता है- 1.अन्तःजनित परिवर्तन : यदि सामाजिक परिवर्तन का स्रोत अपनी ही संस्कृति में है तो इस प्रकार के परिवर्तन को अन्तःजनित परिवर्तन कहा जाता है ।

2.बाह्यजनित परिवर्तन : अगर परिवर्तन का स्रोत बाहरी संस्कृति या समाज है तो इसे बाह्यजनित परिवर्तन कहा जाता है । 

(d)परिणाम के आधार पर वर्गीकरण : परिणाम के आधार पर सामाजिक परिवर्तन को निम्नलिखित श्रेणियों में बाँटा जा सकता है- 

1.सामाजिक उद्विकास

2.सामाजिक विकास

3.सामाजिक प्रगति 

4.सामाजिक प्रसार

5.सामाजिक आन्दोलन

6.सामाजिक क्रान्ति 

7.सामाजिक अन्तर्वलन

8.सामाजिक प्रसार तथा

9.सामाजिक पश्चजनन

मेकाइवर तथा पेज ने सामाजिक परिवर्तन के स्वरूपों को अग्र प्रकार से समझाने का प्रयास किया है-

1.सम्बन्धों में अन्तर                      परिवर्तन

2.निश्चित निरन्तर परिवर्तन             प्रक्रिया

3.निश्चित दिशा में निरन्तर परिवर्तन

(a)मात्रा पर आधारित , आकार से सम्बन्धित

(b)गुणात्मक आधार , संरचना या कार्यों में अन्तर

                वृद्धि उद्विकास विकास

 (c)गुणात्मक आधार , इच्छित या मान्य मूल्यों के अनुसार                                      प्रगति अवनति पतन अनुकूलन सामंजस्य

(d)अन्य वस्तुएँ या व्यवस्था के प्रसंग के अनुसार

                अनुकूलन सामंजस्य व्यवस्थापन आत्मसात 

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